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ये शफ़क़ शाम हो रही है अब / दुष्यंत कुमार

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आज प्रिय कवि दुष्यंत कुमार का जन्म दिन है।

ये शफ़क़ शाम हो रही है अब / दुष्यंत कुमार

ये शफ़क़ शाम हो रही है अब
और हर गाम हो रही है अब

जिस तबाही से लोग बचते थे
वो सरे आम हो रही है अब

अज़मते—मुल्क इस सियासत के
हाथ नीलाम हो रही है अब

शब ग़नीमत थी, लोग कहते हैं
सुब्ह बदनाम हो रही है अब

जो किरन थी किसी दरीचे की
मरक़ज़े बाम हो रही है अब

तिश्ना—लब तेरी फुसफुसाहट भी
एक पैग़ाम हो रही है अब


मशालें फिरभी तैयार रखनी होंगी क्योंकि अभी अंधेरी रात का अंत हुआ नहीं है। पलाश विश्वास

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मशालें फिरभी तैयार रखनी होंगी क्योंकि अभी अंधेरी रात का अंत हुआ नहीं है।

पलाश विश्वास


कवि अनिल जनविजय ने जनकवि बल्लीसिंह चीमा को लाल सलाम कहते हुए फेसबुक पर यह पोस्ट कल टांगा हैः

आज जनकवि बल्ली सिंह चीमा 62 साल के हो गए। उनको जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ। प्रस्तुत है उनकी बेहद प्रसिद्ध कविता।।हमारी शुभकामनाएं भी।हालांकि जानता हूं कि चीमा किसी शुभकामना के मोहताज नहीं रहे कभी।

आज मेरे बेटे एक्सकैलिबर स्टीवेंस का जन्मदिन भी है जो अब भी बेरोजगार संघर्षरत है और नौकरी नहीं करने का उसका मिजाज है।पारिवारिक आंदोलनी विरासत अब हमारी अगली पीढियों के हवाले है।संघ परिवार अपनी अगली पीढ़ियों को तैयार हीन नही कर चुका है बल्कि नानाविध आयुधों से लैस कर चुका है।हमारा काम अभी अधूरा है।

हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका ।

झुकाओ सिर को तो देगा उधार अमरीका ।

बड़ी हसीन हो बाज़ारियत को अपनाओ,

तुम्हारे हुस्न को देगा निखार अमरीका ।

बराबरी की या रोटी की बात मत करना,

समाजवाद से खाता है ख़ार अमरीका ।

आतंकवाद बताता है जनसंघर्षों को,

मुशर्रफ़ों से तो करता है प्यार अमरीका ।

ये लोकतंत्र बहाली तो इक तमाशा है,

बना हुआ है हक़ीक़त में ज़ार अमरीका ।

विरोधियों को तो लेता है आड़े हाथों वह,

पर मिट्ठूओं पे करे जाँ निसार अमरीका ।

प्रचण्ड क्रान्ति का योद्धा या उग्रवादी है,

सच्चाई क्या है करेगा विचार अमरीका ।

तेरे वुजूद से दुनिया को बहुत ख़तरा है,

यह बात बोल के करता है वार अमरीका ।

स्वाभिमान गँवाकर उदार हाथों से,

जो एक माँगो तो देता है चार अमरीका ।

हरेक देश को निर्देश रोज़ देता है,

ख़ुदा कहो या कहो थानेदार अमरीका ।

बल्ली का घर मेरे घर से बमुश्किल तीसेक किमी दूर होगा उत्तराखंड की तराई में।

वे लगातार सत्तर दशक से मशाले लेकर चल रहे हैं।यह मेरे लिए निजी गौरव का मामला भी है।लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उनके जैसे जनकवि के चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने की कोशिश हमें अच्छी नहीं लगी।हालांकि घर में होता तो मैं वोट उन्हीं को देता।नोटा का इस्तेमाल हरगिज नहीं करता।

बल्ली भाई भी बूढ़ाने लगे हैं।जवान मरता तो कोई पाश जैसा ही है।बूढ़ा होकर मरे मुक्तिबोध तो किसी के जानने बूझने का मौका भी नहीं होता।संत रविदास सदियों से फर वही चर्मकार हैं।

तो लगे रहो,चीमाभाई।टेंशन लेने को नहीं है,देने को है।बेमतलब गांधीगिरि के लिए अरविंद भरोसे चुनावमध्ये हाजत वास करके आये और देखने को कोई विस्वास भी न था।

हम सारे लोग वृद्धावस्था के लिए जन्मजात अभिशप्त हैं।लेकिन लगता तो नहीं है कि ससदीय राजनीति और आम आदमी की क्रांति से आपका मोहभंग हुआ होगा।ऐसा भ्रम पालते रहे हैं बाबा नागार्जुन भी।औगढ़ विद्वान त्रिलोचन शास्तरी भी वक्त बेवक्त डांवाडोल रहे हैं और राहुल सांकृत्यायन की छटा भी निराली है।निराल तो विक्षिप्त हुए।


इसलिए आपके मोहमय विचलन के बावजूद अब भी आप हमारे प्रिय कवि हैं।वैसे ही जैसे गिर्दा,नवारुणदा या वीरेन डंगवाल।तालों में ताल नैनीताल,बाकी सब तलैया।लोग हमें इस दुराग्रह का दोष दें तो भी हम तो बदलने से रहे।

लेकिन दिलोदिमाग और हरकतें जवान होनी चाहिए हर हाल में।कविता के लिए तो यह अनिवार्य शर्त है।चूंकि बल्ली अब भी कविता में मौजूद हैं तो मैं उन्हें अपने खेतों में हमेशा हल जोतते हुए देख सकता हूं।


मेरी मां बसंतीपुर की बसंतीदेवी मुझे कलमपिस्सू कहा करती थी।चूंकि हमारे साथ कोई कार नत्थी नहीं है,बाहैसियत पत्रकार भी मैं बेकार हूं,इसलिए मातृवचन सत्य है।गनीमत है कि बेकार होते हुए भी बल्ली कलम पिस्सू नहीं हैं।

बल्ली भाई,हमने भी कभी वर्षों तक अमेरिका से सावधान लिखा था।लेकिन अब खतरा उससे भी भयंकर है और हम समझते हैं कि कविता में भी इस आन पड़ी विपदा की दस्तक सुनायी देनी चाहिए।


मशालें फिरभी तैयार रखनी होंगी क्योंकि अभी अंधेरी रात का अंत हुआ नहीं है।

गौर करें कि अबकी दफा,हां, किंतु परंतु जापान के रोबोट से मुकाबला है अब।

कंप्यूटर तो गयो रे भाया कि रोबोट आला रे।

आला रे दिगिविजया प्रधानमंत्री।घर आयो परदेशी।

शुकर है कि घर का बुद्ध कृष्णावतार घर लौट आये हैं।

इससे हालांकि कोई फर्क नहीं पड़ता कि जापान में विवेकानंद कल्चरल सेंटर में अनिवासी भारतीयों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम माउस चलाते हैं तब दुनिया चलती है। यह बात उन्होंने तब कही जब वह एक कोरियाई नागरिक के एक प्रसंग का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कोरियाई नागरिक ने एक बार उनसे पूछा कि क्या अब भी भारत में काला जादू और सपेरों का बोलबाला है। तब मैंने कहा कि अब हमारा डिमोशन हो गया है। अब हमारे हाथ में माउस है और जब हमारा माउस चलता है, तब दुनिया चलती है। सफाई पर जोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए भारत को स्वच्छ भारत बनाना होगा।

भारत के सदियों के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को श्रदांजलि तो देश बेचो अभियान निरंकुश है जो दरअसल लाल किले से प्रधान स्वयंसेवक का राष्ट्र को संबोधन है जिसका दुहराव गुरु गोलवलकर पर्व पर वृहस्पतिवार कोहोना ार्थिक सुधारों का अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।


सौ दिनों में जनसंहारक संस्कृति के सशक्तीकरण के सौ फैसलों के बाद,जापानी सम्राट को भागवत गीता का उपहार देते हुए स्वदेशी धर्मनिरपेक्षता पर कुठाराघातउपरांते शिक्षक दिवस को गुरु गोलवलकर के संकल्प दिवस में तब्दील करने का संघी कार्यभार को संपन्न करने के लिए।


सुबह होते ही वे देश भर के छात्रों को गीता का प्रवचन सुनायेंगे।

इसी बीच मोदीविरोधी जिहाद के पद्मप्रलयक्षेत्र की इस ताजा खबर पर गौर करे जो शारदा घोचटाले में सीबीआई शिकंजे में फंसती जा रही ममता बनर्जी से संबंधित खबरों की आड़ में सबसे बड़ी खबर है और ऐसा लव जिहाद देश भर में हो रहा है जैस यादवपुर विश्वविद्यालय में कैंपस से एक छातारा को हास्टल में उठा ले जाकर उसका शीलभंग या शांतिनिकेतन में उत्तर पूर्व की एक छात्रा के विरुद्ध यौन अपराध से प्रधानमंत्री के कार्यालय में खलबलीउपरांते एक और यौन अपराध शातिनिरकेतन की आश्रमकन्या के साथ,जहां कभी इंदिरा गांधी भी छात्रा रहीं है।

माफ कीजिये,यह मूल मुद्दे से विचलन नहीं है।केसरिया लवजिहाद के चरित्र पर किंचित चर्चा है जिसके लिए धर्मांतरण सबसे बड़ा अपराध है और बाकी सबकुछ जायज है।

हम पीढ़ी दर पीढ़ी इस केसरिया आतंक का नतीजा भुगत रहे हैं।धर्मांतरण के आतंक की वजह से हमारे पुरखे गृहभूमि से बेदखल होते रहे तो धर्मांतरण के बहाने फिर वही गाजापट्टियां।

लेकिन दूसरे किस्म के लव जिहाद के खिलाफ क्यों शांत हैं स्वदेशी सूरमा,यह सवाल कोई पूच्छेगा नहीं।मसलन पश्चिम बंगाल में किशोरी ने स्वयंभू पंचायत के थूक चाटने के आदेश को मानने से इनकार कर दिया और कुछ ही घंटों बाद मंगलवार सुबह उसकी नग्न लाश घर के पास रेल की पटरियों पर पड़ी मिली।


बताया जा रहा है कि गांव की उस तथाकथित पंचायत का नेतृत्व राज्य में सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस की महिला पार्षद कर रही थीं। किशोरी के परिवार ने रेप और हत्या के आरोप में दर्ज कराए केस में 13 लोगों को आरोपी बनाया है। पार्षद नमिता रॉय के पति भी आरोपियों में से एक हैं। इस मामले में पुलिस ने अब तक एक शख्स को गिरफ्तार किया है।

तो दूसरी ओर,मोदी सरकार के सभी मंत्री 100 दिन की उपलब्धियां गिनाने में जुटे हैं। लोग भले ही प्याज और सब्जियों के बढ़े दाम से परेशान हैं लेकिन कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने भरोसा दिया है कि मोदी सरकार में प्याज यूपीए सरकार के जैसा नहीं रुलाएगा। उनके मुताबिक सरकार के पहले 100 दिन में काफी काम हुए है और बजट में पहली बार किसानों को तरजीह दी गई है। रेल किराये बढ़ाना जरूरी था क्योंकि रेलवे की हालत काफी खराब थी।


उधर, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी अपनी उपलब्धियां बताई। जावडेकर ने कहा कि पहले पर्यावरण मंत्रालय की निगेटिव छवि थी लेकिन अब इसकी छवि बदली है। मंजूरी देने में तेजी लाई जा रही है।



यह मामला हांलांकि दीर्घकालीन स्थाई बंदोबस्त का है,लव जिहाद जैसे तात्कालिक ऐप उपकरण नहीं,बाकायदा मुकम्मल आपरेटिंग सिस्टम है क्लाउड साफ्टवेयर आवाजाही समेत।


जैसा कि दस्तूर है कि बुनियादी मसलों को स्पर्श करने की मनाही है धर्मनिरपेक्ष वाम अवाम में,लव जिहाद मोड से बाहर निकलकर चूं भी कोई कर नहीं रहा है।जबकि इसी बीच शिक्षा मंत्री ने नागपुरनिर्देशे ममतामयी आपत्ति खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि भाषण सुनना ऐच्छिक है।


हो भी सकता है।कोई सुने, न सुने,इसपर नियंत्रण के लिए तो अभी अभी जापान से लौटे हैं प्रधान स्वयंसेवक, कार्यक्रम अपलोड करने की देरी है।लेकिन गुरु पर्व अब स्थाईभाव है।

दूसरी ओर,बाजार की शानदार रफ्तार जारी है और सेंसेक्स-निफ्टी में 0.4 फीसदी की मजबूती देखने को मिल रही है। सेंसेक्स और निफ्टी ने आज भी रिकॉर्ड नया ऊपरी स्तर बनाया है। सेंसेक्स ने 27198.8 का नया रिकॉर्ड ऊपरी स्तर बनाया, तो निफ्टी ने 8133.1 का नया रिकॉर्ड ऊपरी स्तर छूआ है। आज भी मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में जोश कायम है। वहीं आईटी, टेक्नोलॉजी, कैपिटल गुड्स, ऑटो और फार्मा शेयरों में अच्छी खरीदारी का रुझान है। हालांकि एफएमसीजी, बैंकिंग और ऑयल एंड गैस शेयरों पर दबाव नजर आ रहा है।

श्रम कानूनों के सफाये,भूमि अधिग्रहण,खनन अधिनियम,पर्यावरण कानून,बैंकिंग आरबीआई कानून वगैरह वगैरह को बिगाड़ने के इंतजामात के साथ साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सर्वक्षेत्रे,विनिवेश उपक्रमों और सेवाओं का,निरंकुश निजीकरण,देश बेचो अभियान,संसाधनों की खुली लूट,अबाध बेदखली के लिए लंबित निजी परियोजनाओं को हरीझंडी,सेज महासेज औद्योगिक गलियारा,स्मार्ट सिटी,बुलेट ट्रेन और रोबोटिक्स, डिजिटल देश, जनधनमन से गण गायब,निराधार आधार सशक्तीकरण,सारे घोटाले कोयला नीलामी दुबारा, घोटाला विरुद्धे रक्षाकवच काला धन वापस करो रे फंडा के साथ, इत्यादिमध्ये सेनसेक्स और निफ्टी बजरिये बेलगाम सांढ़ संस्कृति के विकास कामसूत्र से जो लोग परमार्थकारणे उत्तेजित हैं,उनकी मुक्ति के लिए जापानी उद्योगपतियों को रेड कार्पेट पर आमंत्रण के बंदोबस्त का इकरार प्रधानमंत्री की जुबानी समझ में आयेगा,इसकी कोई गारंटी नहीं है।

स्मृति लुप्त अनार्यों को हड़प्पा का इतिहास भी अब आर्य सनातन सभ्यता बताया साबित किया जा रहा है जैसे यरूशलम जियानियों का धर्मस्थलदावा है,उसी तरह हर विधर्मी निर्माण अब आर्यावर्त है और ऐतिहासिक विरासत मसलन लालकिला, ताजमहल, इंडियागेट ,गेट वे आफ इंडिया,सुंदरवन,अजंता ऐलोरा,सांची,नालंदा, तक्षशिला,विक्टोरिया मेमोरियल से लेकर फोर्ट विलियम और तारमीनार भी राम सेतु और राम मंदिर के नानाविध संस्करण है,बस देर सवेर साबित हो जाने का इंतजार करें।


स्वदेशी मेधा वामविकृत इतिहास संसाधन और पौराणिक वैदिक आयुर्वैदिक बागवत इतिहास के पुनरूद्धार करके उत्तर आधुनिक अखंड महाशक्ति हिंदी हिंदू और हिंदुस्तान का सापना साकार करके बनाने वाले ही हैं,जैसे सामाजिक बदलाव के केंद्र यूपी अब गाजा पट्टी है,वैसे ही भूगोल को तहस नहस करके इतिहास की नयी नींव पर समग्र एशिया अब हिंदुत्व का पद्मप्रलय है।


इस सुनामी की आहट जो सुन नहीं रहे हैं,वे बहरे हैं या इसी आहट के तेलयुद्ध में,पारमाणविक विध्वंस में तब्दील हो जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं वे।जो देख नहीं रहे हैं,दिग्विजयी बेलगाम अश्वमेधी घोड़ों को वे या तो शंबुक की तरहै मनुस्मृति अनुशासन भंग रने के अपराध में मारे जायेंगे,या घर घर सीरियल महाभारत की तरह गृहयुद्ध में कुरुक्षेत्र के महाशोक में अशोक हो जायेंगे या वे अधीर जो हैं,समाहित समावेशी सत्ताभृत्यों की तरह उनके तमाम खेत सोना उगलेंगे  रक्षा, कोयला, टेलीकाम, राष्ट्रमंडल, आईपीएल, शेयर,शारदा घोटालों की तरह।


सीबीआई जांच करती रहेगी और मीडिया मुफ्त पीआर टीआरपी कारोबार करता रहेगा,बेदखल जनांदोलन बेवफा विचारधारा और बेहया पाखंडी प्रतिबद्धता के दुष्काल में निम्नदेशीय केश की तरह प्राचुर्य के बावजूद बाकी जनता अपनी लाश के लिए दो गज जमीन और कमसकम कफन का मोहताज होते रहेंगे।


निकेई और जापान की व्यापार संवर्द्धन संस्था जेट्रो की ओर से यहां आयोजित व्यावसायिक गोष्ठी में निवेशकों को संबोधित करते हुए मोदी ने भारत में विनिर्माण कारोबार को बढ़ाने के लिए अपने मेड इन इंडिया (भारत में निर्मित) नारे की चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के पहले सौ दिन के कार्यकाल में देश में कारोबार करने वालों के लिए रास्ते आसान करने के लिए किए गए विभिन्न निर्णयों का भी जिक्र किया।

मोदी ने अपनी यात्रा के चौथे दिन कहा कि भारत की तरह कोई भी दूसरा देश ऐसा मौका नहीं देता क्योंकि देश में लोकतंत्र है, युवा आबादी है और मांग है।इससे पहले सोमवार को उन्होंने एक अन्य समारोह में निवेशकों को संबोधित किया था। प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा कि वे भारत में निवेश कर अपना भाग्य आजमाएं। साथ ही कहा कि भारत में निवेश करने वाले कम लागत वाले विनिर्माण के जरिए लाभ के लिहाज से चमत्कार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा 'विनिर्माताओं को क्या चाहिए? ..वे विनिर्माण की लागत में कमी चाहते हैं। वे उच्च लागत वाला विनिर्माण नहीं चाहते। सस्ता श्रम, कुशल श्रमशक्ति, आसान कारोबार प्रक्रिया और उदार माहौल। फिर यह भातर में व्यावहारिक हो जाता है।'

प्रधानमंत्री ने कहा 'भारत में अरबों खरबों डालर के निवेश की जरूरत है। इलेक्ट्रानिक बाजार विशेष तौर पर मोबाइल हैंडसेट क्षेत्र संभावनाओं वाला बड़ा बाजार है।'सरकार ने 125 करोड़ लोगों के लिए डिजिटल इंडिया नाम से एक योजना बनाई है जो मिशन मोड में चलाई जाएगी। भारत में बड़ी संभावना क्यों है।  इस बारे में मोदी ने कहा कि करीब 50 शहरों में मेट्रो निर्माण की योजना और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र बड़ी संभावना पेश करता है।


उन्होंने कहा जापानी उद्योगपतियों को आकर्षित करते हुए कहा 'भारत आपको आमंत्रित करने के लिए तैयार है। भारत में निर्माण करें। आप जो भी सुविधा चाहते हैं वह वहां है।'

मोदी ने विशेष तौर पर लघु एवं मध्यम उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उपलब्ध मौके का यह कहते हुए जिक्र किया भारत की विशेषज्ञता साफ्टवेयर में है और जापान की विशेषज्ञता हार्डवेयर क्षेत्र में जिसे एक दूसरे से जोड़ने की जरूरत है।प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच आर्थिक मामले में नया इतिहास रचने का आह्वान करते हुए कहा 'बगैर जापान के भारत अधूरा है और बिना भारत जापान आधा-अधूरा।'

उन्होंने अपनी सरकार के फैसला करने की तेज रफ्तार को रेखांकित करते हुए कहा 'मैं आपको आश्वस्त करने आया हूं कि भारत में कोई लालफीताशाही नहीं है बल्कि लाल कालीन है। कारोबार आसान बनाने के लिए हमने कई नियमों में बदलाव किया है। इससे पहले किसी सरकार ने इतने कम समय में इतना कुछ नहीं किया है।'उन्होंने कहा 'भारत आपका स्वागत करने के लिए तैयार है। आपको जो भी सुविधा चाहिए हैं हम मुहैया कराएंगे।''

उन्होंने कहा कि 125 करोड़ की आबादी वाला बाजार उनका इंतजार कर रहा है। मोदी ने कहा 'मैं आपको एशिया की शांति और प्रगति के लिए आमंत्रित करता हूं। हमें साथ मिल कर काम करने की जरूरत है। अपना भाग्य आजमाइए, अपनी क्षमता आजमाइए।'उन्होंने कहा 'आप भारत में विनिर्माण कर न सिर्फ भारत की बल्कि पूरे विश्व की जरूरत पूरी कर सकते हैं।'


मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं ताकि कारोबार प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। उन्होंने पहली तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के बढ़ कर 5.7 फीसद दर्ज होने का भी जिक्र किया जो पिछले दो-तीन साल से पांच फीसद से कम पर थी।

भारत को विनिर्माण का संभावित केंद्र के तौर पर पेश करते हुए मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक बाजार तक पहुंचने के लिए 'ईश्वर प्रदत्त स्थान'है क्योंकि यहां शानदर समुद्र तट है, कुशल श्रमशक्ति और कम लागत वाला कच्चा माल है।

जापानी उद्योगपतियों से मोदी ने कहा 'आप कमाल जो दस साल में करते हैं वह आप दो साल में कर सकते हैं। ऐसी संभावनाएं हैं।'उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र, सुरक्षा और न्याय की गारंटी देता है।

अपनी 'भारत में विनिर्माण'की दृष्टि के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी मंशा देश में बने उत्पाद को ब्रांड बनाने की है जिसकी गुणवत्ता की विश्वसनीयता जापान में बने उत्पादों की तरह हो। विश्व भर में लोग सस्ता सामान चाहते हैं और भारत में बना उत्पाद जापानी कंपनियों के लिए व्यावहार्य होगा। उनसे पूछा गया कि वे जापान के सिर्फ लघु एवं मध्यम उपक्रमों को भारत में प्रवेश को तरजीह क्यों देते हैं तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा 'जापान की छोटी चीज भी भारत के लिए बड़ी है।'उनसे जब यह पूछा गया कि यदि देश में विदेशी कंपनियां उत्पाद बनाएंगी तो वे अपनी राष्ट्रवादी छवि कैसे बरकरार रखेंगे, मोदी ने कहा कि इसमें कोई विरोधाभास नहीं है क्योंकि मैं इसे विस्तार की तरह देखता हूं। उन्होंने कहा कि जब पर्यटक कहीं जाता है, तो उसकी पहचान नहीं बदलती।


बहरहाल जापान का पांच दिन का दौरा सफलतापूर्वक संपन्न कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्वदेश रवाना हो गए। प्रधानमंत्री के इस दौरे में जापान ने भारत में अगले पांच साल के दौरान विकास कार्यों के लिए 35 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि निवेश करने का वादा किया है। दोनों देशों ने रक्षा और अन्य सामरिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी निर्णय किया है। मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें रक्षा संबंधी आदान प्रदान, स्वच्छ उर्च्च्जा में सहयोग, सड़क और राजमार्ग, स्वास्थ्य और महिला उत्थान जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने अपने संबंधों को नयी उच्च्ंचाइयों तक पहुंचाने का भी संकल्प जताया।

   जापान ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड :एचएएल: सहित छह भारतीय कंपनियों पर से प्रतिबंध भी हटा लिया है। वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद से इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा था।

  पांच दिवसीय दौरे में मोदी ने जापान के निवेशकों को भारत आमंत्रित किया और उद्योग के लिए, खास कर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत को एक अनुकूल देश के तौर पर पेश करने की पुरजोर कोशिश की।

   मोदी के मई में प्रधानमंत्री बनने के बाद उपमहाद्वीप के बाहर यह उनकी पहली यात्रा थी।

   जापानी उद्योगपतियों से मोदी ने कहा कि भारत अपने यहां निवेश के लिए उनका इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने निवेशकों के लिए ''रेड कार्पेट''बिछाया है, न कि अब ''रेड टैप'' :लालफीताशाही: की बाधाएं हैं क्योंकि उनकी सरकार ने नियमों और प्रक्रियाओं को आसान बनाया है।

   कल अपना आधिकारिक कार्यक्रम संपन्न करते हुए मोदी ने भारत में 'विश्वास'बहाल करने के लिए जापान का आभार व्यक्त किया और उसके साथ भारत की दोस्ती को इन शब्दों में जाहिर किया ''यह फेवीकोल से भी ज्यादा मजबूत जोड़ है।'' 

   मोदी ने पूर्व में अपने सम्मान में यहां भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा ''यह दौरा अत्यंत सफल रहा।''

   उन्होंने कहा ''करोड़ों और अरबों की बातें हुईं लेकिन खरबों की बात कभी नहीं हुई।''उनका संकेत जापान द्वारा भारत में 35 अरब डालर की राशि का निवेश करने के वादे की ओर था। जापान यह राशि अगले पांच साल के दौरान स्मार्ट शहरों के निर्माण और गंगा नदी की सफाई जैसे विभिन्न कार्यों के लिए निजी और सार्वजनिक कोषों के माध्यम से निवेश करेगा।

     मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे के बीच बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा और रणनीतिक सहयोग को नयी उच्च्ंचाई तक पहुंचाने का तथा असैन्य परमाणु करार के बारे में बातचीत को गति देने का भी निर्णय किया। यह असैन्य परमाणु करार अब तक नहीं हो पाया है।

   दोनों ही नेताओं के बीच बेहतरीन तालमेल था और उनके मध्य 'सार्थक'आदानप्रदान हुआ।

   मोदी जब पांच दिवसीय दौरे के पहले चरण में 30 अगस्त को यहां पहुंचे तो आबे ने खुद उनका स्वागत किया।

   क्योतो में एक करार पर हस्ताक्षर किए गए जिसके तहत मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को जापान की मदद से 'स्मार्ट शहर'क्योतो की तरह विकसित किया जाएगा।

   आबे ने यह भी घोषणा की कि भारत-जापान सहयोग के उदाहरण के तौर पर तोक्यो 'बुलेट ट्रेन'शुरू करने के लिए भारत को वित्तीय, प्रौद्योगिकी और संचालनगत सहयोग प्रदान करने में मदद करेगा। 'बुलेट ट्रेन' मोदी की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।

   जापान का पांच दिवसीय दौरा संपन्न करने के बाद मोदी ने कहा कि यह सिर्फ अपने संबंधों का एक श्रेणी से दूसरी में बदलाव नहीं है, हमारे संबंध न सिर्फ क्षेत्रीय हैं बल्कि उनका वैश्विक प्रभाव भी पड़ेगा।

अमेरिका: लॉटरी से तय होगा, कौन होंगे मोदी के समारोह में शामिल

वाशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका आगमन पर 28 सितंबर को न्यूयार्क सिटी में प्रतिष्ठित मैडिसन स्क्वायर गार्डन में उनके सार्वजनिक स्वागत समारोह में शामिल होने वाले प्रतिभागियों का चयन लॉटरी प्रणाली के जरिए किया जाएगा। मोदी के स्वागत समारोह के आयोजकों ने यह जानकारी दी।

इस उद्देश्य के लिए हाल ही में गठित भारतीय अमेरिकी कम्युनिटी फाउंडेशन को सोमवार की मध्य रात्रि तक देश भर से करीब 20,000 आवेदन मिले हैं। आवेदन सुदूर अलास्का और हवाई से भी आए हैं।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 407 संगठनों और धार्मिक संस्थानों के सदस्यों के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की समय सीमा सोमवार तक थी। ये सभी मोदी के सार्वजनिक स्वागत समारोह में मेजबान की भूमिका अदा करेंगे। मंगलवार को फांउडेशन ने समारोह के लिए आम लोगों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। मैडिसन गार्डन में करीब 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता है। आम लोगों के लिए इस समारोह में शामिल होने की खातिर ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 7 सितंबर है। आयोजकों को उम्मीद है कि इस दौरान हजारों लोग समारोह में शामिल होने की खातिर ऑनलाइन आवेदन करेंगे।


CBI जांच में सारदा घोटाले और ममता बनर्जी के बीच तार जुड़े होने का खुलासा?



CBI जांच में सारदा घोटाले और ममता बनर्जी के बीच तार जुड़े होने का खुलासा?

ज़ी मीडिया ब्यूरो/आलोक कुमार राव

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के करोड़ों रुपए के सारदा चिट फंड घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती दिख रही है। रिपोर्टों के मुताबिक मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और सारदा ग्रुप के बीच तार जुड़े होने का खुलासा किया है। सारदा ग्रुप और आईआरसीटीसी के बीच एक अनुबंध उस समय हुआ जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं।

रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी और सारदा ग्रुप ने वर्ष 2010 में टूरिज्म परियोजना को लेकर एक अनुबंध किया था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सारदा टूर्स एवं ट्रवेल्स ने भारत तीर्थ योजना के तहत आधिकारिक रूप से आईआरसीटीसी के लिए दक्षिण भारत पैकेज टूर का आयोजन किया था। भारत तीर्थ योजना की शुरुआत ममता बनर्जी ने 2010-11 में अपने रेल बजट में की थी।

वहीं, टीएमसी ने कहा है कि केंद्र सरकार एक राजनीतिक हथियार के रूप में सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल राय ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'पहले सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन के रूप में जाना जाता था। सीबीआई ने अपना चरित्र नहीं बदला है।'

पूर्व रेल मंत्री ने दावा किया, 'सीबीआई कोई स्वायत्त संस्था नहीं है जो अपने काम अपने आप करे। सीबीआई एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करती है।'विपक्ष के सारदा समूह के स्वामित्व वाले श्रद्धा टूर्स एंड ट्रेवेल्स को आईआरसीटीसी द्वारा अनावश्यक रूप से लाभ पहुंचाने के विपक्ष के आरोपों के बारे में पार्टी का रूख पूछने पर राय ने अनभिज्ञता जताते हुए कहा, 'मैं कुछ नहीं जानता। समझौता मेरे द्वारा जिम्मा संभालने से पहले हुआ था। वह समुचित निविदा प्रक्रिया के जरिये हुआ होगा।'

उन्होंने कहा, 'कैग या रेलवे अंकेक्षण जैसे कई ऐसे संगठन हैं जो समझौते पर गौर कर सकते हैं।'तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदी को रेलमंत्री पद से हटाये जाने के बाद राय ने यह जिम्मेदारी संभाली थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)



100 दिन…100 फैसले…100 बदलाव

1-पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने की पहल। सार्क देशों के तमाम मुखिया शपथग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए दिल्ली में मौजूद थे। पाक सेना के इनकार के बावजूद नवाज शरीफ भी मोदी को बधाई देने के लिए यहां आए। सभी के साथ द्विपक्षीय बातचीत हुई। मोदी ने खुद कहा कि ये सही वक्त पर लिया गया सही फैसला था।

2-प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी ने जनता के लिए अपने द्वार खोल दिए। पीएमओ की वेबसाइट पर एक लिंक चमकने लगा। प्रधानमंत्री के साथ करें बातचीत। मोदी ने कहा कि वो अपनी वेबसाइट के जरिए सरकार की हर जानकारी, नए कदम देश को बताते रहेंगे और ऐसा हुआ भी।

3–26 मई को ही देर रात नरेंद्र मोदी सरकार ने मंत्रालयों के पुनर्गठन पर भी मुहर लगा दी। मोदी ने 17 बड़े मंत्रालयों को मिलाकर 7 टुकड़ों में बांट दिया। ओवरसीज मंत्रालय विदेश मंत्रालय के अधीन हो गया तो कॉरपोरेट अफेयर्स वित्त मंत्रालय के। मकसद यही कि फैसलों के लिए फाइलें एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में चक्कर ना काटती रहें।

4-27 मई को नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक बुलाई। बैठक में सरकार ने पहला बड़ा फैसला किया कि कालेधन की जांच के लिए SIT बनाई जाएगी। SIT भले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनी लेकिन ये भी ध्यान देने वाली बात है कि पिछली यूपीए सरकार लगातार इस फैसले को टालती जा रही थी।

5- 28 मई को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री कार्यालय के अफसरों से मिले। उन्हें साफ ताकीद की गई कि मोदी सरकार के काम करने का एजेंडा होगा जनता की समस्याएं दूर करना। अफसरों को हर वो फैसले लेने को कहा गया जिससे लोगों की समस्याएं दूर हों, उनकी परेशानी कम हो। अब फैसलों में देरी की गुंजाइश नहीं थी।

6– 30 मई को स्कूली किताबों में अपनी जीवनी पढ़ाने पर नरेंद्र मोदी ने रोक लगा दी। दरअसल पीएम बनने के बाद कई अखबारों में छपा कि चायवाले से पीएम बनने का सफर अब बच्चों को किताबों में पढ़ाया जाएगा। लेकिन मोदी ने खुद ट्वीट करके ये कह दिया कि जीवित व्यक्ति की जीवनी बच्चों को हरगिज ना पढ़ाई जाए।

7- 31 मई को प्रधानमंत्री ने एक झटके में सभी मंत्री समूहों या कहें GOM को खत्म कर दिया। मंत्रालयों और विभागों को मजबूत बनाने के लिए ये एक बड़ा कदम था। सरकार का तर्क था कि अब तमाम मुद्दों पर सीधे मंत्रालय ही फैसला लेंगे और अगर कोई दिक्कत हुई तो PMO की तरफ से मदद की जाएगी।

8- 4 जून को संसद का पहला दिन। सोलहवीं लोकसभा का आगाज हुआ और मेजों की थपथपाहट के साथ नरेंद्र मोदी ने पहली बार लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। लोकसभा में अपने पहले भाषण में नरेंद्र मोदी ने देश को भरोसा दिलाया कि आम आदमी की उम्मीदों और सपनों को पूरा करने की वो हर मुमकिन कोशिश करेंगे।

9–4 जून को ही प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक की। ऐसी बैठक आठ साल के बाद हुई। ढाई घंटे तक चली बैठक में मोदी ने ये जानने की कोशिश की कि अफसर पूरी ताकत के साथ काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं। बैठक के बाद मोदी ने अफसरों से कहा कि आप काम करिए। मैं 24 घंटे आपके साथ हूं।

10– 6 जून को प्रधानमंत्री ने बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में एक और सख्त फरमान दिया। ये फरमान था बीजेपी के सभी सांसदों के लिए। जितने दिन संसद की कार्यवाही चले, रोजाना आइए, पूरी तैयारी के साथ आइए, पूरी तैयारी के साथ सदन में सवाल करिए और पूरी तैयारी के साथ बहस में हिस्सा लीजिए। साफ था, मोदी को किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं।

11-7 जून को मोदी सरकार ने नौकरशाहों के लिए अहम निर्देश जारी किया। कैबिनेट सचिव ने अफसरों को 11 निर्देश भेजे जिससे काम करने का तरीका सुधरे। काम करने का माहौल सुधरे। फैसला लेने में देरी ना हो और दफ्तरों में साफ-सफाई हो। मोदी के इस आदेश के बाद अफसरों की मेजों पर लगे फाइलों के ढेर अचानक कम होने लगे।

12–8 जून को प्रधानमंत्री ने अपने घर पर गेटिंग इंडिया बैक ऑन ट्रैक, एन एक्शन एजेंडा फॉर रिफॉर्म किताब का विमोचन किया। इस किताब के जरिए मोदी ने साफ कर दिया कि देश के विकास को पटरी पर लाने के लिए उनकी सरकार का ब्लूप्रिंट क्या है। मोदी ने नीति निर्माण से लेकर स्किल डवलपमेंट पर जोर दिया।

13–10 जून को मोदी सरकार ने कैबिनेट की 4 स्टैंडिंग कमेटियों को भी बर्खास्त कर दिया। यूपीए सरकार के दौरान बनाई गई सुरक्षा, राजनीतिक मामलों, आर्थिक मामलों और संसदीय कार्य से जुड़ी अहम कैबिनेट कमेटियों का भी पुनर्गठन कर दिया गया। इसके बाद हर विभाग के मंत्री को फैसलों की ज्यादा जिम्मेदारी सौंपी जाने लगी।

14–12 जून को मोदी सरकार ने एक ऐसा फैसला किया जो आठ साल से अटका पड़ा था। ये फैसला था सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का। मोदी के मुख्यमंत्री काल से ही गुजरात सरकार ये मांग कर रही थी। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 17 मीटर और बढ़ाई जाए, लेकिन मनमोहन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। सरकार में आते ही तीन हफ्तों के भीतर मोदी ने फैसला लिया।

15–14 जून को नरेंद्र मोदी गोवा गए। देश के सबसे बड़े जंगी जहाज INS विक्रमादित्य को देश को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सेना से जुड़े उपकरणों और हथियार के निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। यहीं पर पहली बार मोदी ने इशारा किया कि देश की वित्तीय हालत संभालने के लिए कड़े आर्थिक फैसले लेने होंगे।

16 –15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए। मोदी ने भूटान नरेश और प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की और वहां की संसद को संबोधित किया। मोदी ने दो टूक संदेश दिया कि किसी भी देश में शांति तभी रह पाएगी जब उसके पड़ोसी देश से संबंध अच्छे होंगे। मोदी ने 600 मेगावॉट पनबिजली परियोजना का उद्घाटन भी किया।

17–19 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और अहम और संवेदनशील फैसला किया। ये फैसला था, अफसरों की नियुक्ति में मंत्रियों के दखल पर रोक। मोदी ने आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी से राम विलास पासवान को भी बाहर रखा। मंत्रियों को ये आदेश दिया गया कि वो यूपीए सरकार के दौरान मंत्रियों के अफसरों को अपने स्टाफ में शामिल ना करें।

18-20 जून को वो दिन आया जब नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए एक बेहद ही साहसी फैसला किया। एक झटके में रेल यात्री किराए में 14 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई। मालभाड़ा भी साढ़े 6 फीसदी बढ़ा। लोगों ने इस फैसले की आलोचना की, लेकिन ज्यादातर ऐसे थे, जिनका मानना था कि सुविधाएं देने के लिए किराया बढ़ाना सही कदम था।

19-22 जून को सरकार ने फैसला किया कि मंत्रालयों के सचिवों को और जवाबदेह बनाया जाएगा। मोदी ने तय किया कि ऐसे सचिवों को और ज्यादा जिम्मेदार बनाया जाएगा जो अलग-अलग मंत्रालयों में अटकी हुई फाइलों को निकलवाने में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही ऐसे मामलों में जब फंडिंग दूसरे मंत्रालयों से हो।

20-23 जून को सरकार संभाले हुए मोदी सरकार को लगभग एक महीना होने को था। एक और कड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे चीनी की कीमत बढ़ेगी, लेकिन सरकार का तर्क था कि इस फैसले से घरेलू चीनी उद्योग मजबूत होगा।

21-23 जून को ही मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग को देश के तमाम न्यूक्लियर सेंटर की तहकीकात और निगरानी की इजाजत दे दी। अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील के वक्त भारत ने इस प्रस्ताव पर हामी भरी थी। इस इजाजत के साथ ही मोदी सरकार ने दुनिया को ये संदेश भी दिया कि नई सरकार परमाणु मामलों को लेकर गंभीर और जिम्मेदार है।

22-24 जून को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को तीन मंत्र दिए। पहला, लोगों की शिकायतों पर जल्द कार्रवाई हो। दूसरा, राज्यों और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते और मजबूत करने के लिए काम हो और तीसरा, सेना की सारी जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। तमाम मंत्रालयों से संपर्क के दौरान इन तीन मंत्रों पर खास ध्यान दिया जाता है।

23-मोदी के लिए बेहद अहम है देश के युवाओं को रोजगार। 25 जून को मोदी सरकार ने अपने गुजरात में कामयाबी के साथ चले रोजगार कार्यक्रम NEPAM को केंद्र की तरफ से भी लागू करने की मंजूरी दे दी। इस कार्यक्रम के तहत उद्योगों की जरूरत के मुताबिक युवाओं को नौकरी में रहते हुए ट्रेनिंग और नौकरी पाने के लिए स्किल डवलपमेंट का कोर्स कराया जाता है।

24-26 जून को मोदी सरकार को केंद्र में एक महीना हुआ। इस दिन सीधे जनता से जुड़े कई कई आदेश एक साथ दिए गए। शहरी विकास मंत्रालय ने सारे मंत्रियों और अफसरों से अपील की कि जितना संभव हो सके दिल्ली में आने-जाने के लिए मेट्रो का ही इस्तेमाल करें। सरकार ने उन्हें समझाया कि इससे वक्त बचेगा। ट्रैफिक पर असर पड़ेगा और पर्यावरण का भी फायदा होगा।

25-फिजूलखर्ची रोकने के लिए एक और फैसला हुआ। 26 जून को मोदी सरकार ने अपने सभी मंत्रियों और अफसरों को नई कार खरीदने पर रोक लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी नई कार के बजाय उसी बुलेटप्रूफ कार का इस्तेमाल करते हैं जिससे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चला करते थे। मंत्रियों को ये भी कहा गया कि एक लाख रुपए से ज्यादा खर्च करने से पहले उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से इजाजत लेनी होगी।

26–छब्बीस जून को सरकार का एक महीना पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर देश से मिले समर्थन के लिए आभार जताया। ये कहा कि उनकी सरकार का हर फैसला सिर्फ और सिर्फ देश हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पीएम ने ये भी कहा कि पिछली सरकारों को हनीमून पीरियड मिलता रहा है लेकिन उन पर तो पहले दिन से ही सियासी हमले होने लगे।

27-सरकार बनने के एक महीने के भीतर मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जो सिर्फ कागजी नहीं थे। संसद में राष्ट्रपति के भाषण के जरिए मोदी सरकार ने ये साफ कर दिया कि वो कश्मीरी पंडितों के मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है। कश्मीरी पंडियों को ये भरोसा दिया गया कि ना सिर्फ उनकी जमीन वापस की जाएगी बल्कि उनको दोबारा बसाने का भी पूरा इंतजाम किया जाएगा।

28-जिस चीन के साथ रिश्ते हमेशा तल्ख रहे। एक महीने के भीतर मोदी सरकार ने उस पर भी मेहनत की। चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान इंडस्ट्रियल पार्क पर सहमति बनी। ये भी तय हुआ कि छोटे चीनी निवेशकों से कम टैक्स वसूलने का तरीका खोजा जाए। सरकार के इस फैसले से भारत और चीन, दोनों को आर्थिक फायदा होने की उम्मीद है।

29-रूस के साथ भी रिश्तों में गर्माहट लाने की कोशिश हुई। रूस के उप प्रधानमंत्री ने मोदी से मुलाकात की। कुडनकुलम में रूस के साथ मिलकर दो और न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने पर समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी समझौते पर दस्तखत किए गए।

30-कम मॉनसून की आशंका का असर महंगाई दर पर दिखा, लेकिन इसे कम करने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए। आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में कर दिया गया। राज्य सरकारों को सख्त ताकीद की गई कि वो कालाबाजारियों पर नकेल कसे। छापेमारी करे। आम जनता से जुड़ी चीजों के निर्यात पर पाबंदी लगाकर कीमतों को काबू में करने की कोशिश की गई।

31-सरकार में एक महीना पूरा होने के बाद मोदी ने एक बार फिर अपने सांसदों की नकेल कसी। बाकायदा क्लास लगाकर पहली बार बीजेपी के टिकट पर सांसद बने नेताओं को काम करने का तरीका सिखाया गया। ये भी ताकीद की गई कि वो सदन के भीतर अपना बर्ताव दुरुस्त रखें। मोदी की इस क्लास का असर था कि सालों बाद संसद में इतना काम होता नजर आया।

32-मोदी ने अपनी सरकार के मंत्रियों और अफसरों को एक और नसीहत दी। आप जो काम कर रहे हैं वो अपने लोगों तक पहुंचाएं। मोदी ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर जोर दिया। हर मंत्री और अफसर को अपना ट्विटर अकाउंट खोलकर उसे लगातार अपडेट करने को कहा। मोदी ने प्रशासन में ट्विटर और फेसबुक के इस्तेमाल पर लगी रोक भी हटा दी।

33-30 जून को प्रधानमंत्री ने एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए श्रीहरिकोटा का रुख किया। उन्होंने PSLV C-23 रॉकेट लॉन्चर से 5 उपग्रहों की लॉन्चिंग देखी। इसरो के वैज्ञानिकों को इस कामयाबी की बधाई देने के बाद मोदी ने उनसे ये भी कहा कि सार्क देशों के लिए भी एक सैटेलाइट बनाई जाए जो सभी देशों को विकास में मदद करे।

34-छोटे और सस्ते घरों का सपना पूरा करने के लिए नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर से मदद मांगी। सिंगापुर के विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान मोदी ने उनसे कहा कि सिंगापुर वो तकनीक भारत को दे जिससे हमारे यहां भी सस्ते और मजबूत घर बनाए जा सकें। आपको याद दिला दें कि 2022 तक मोदी सरकार का सपना हर भारतीय को एक घर देने का है।

35-2 जुलाई को मोदी सरकार ने तय किया कि देश के ढाई लाख गावों में ब्रॉडबैंड सर्विस मुहैया कराकर, सभी गावों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाए। सरकार की कोशिश डेढ़ लाख गावों में इंटरनेट सेंटर स्थापित करने की है। इन सेंटरों को स्थापित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि क्षेत्रीय भाषाओं की वजह से ये फ्लॉप ना हों और ज्यादा से ज्यादा लोग इनसे जुड़ें।

36-3 जुलाई को मोदी सरकार ने अहम फैसला करते हुए तय किया कि अब भारत के बच्चों को रोटा वायरस की वैक्सीन समेत तीन नए वैक्सीन दिए जाएंगे। मोदी सरकार का लक्ष्य साल 2015 तक शिशु मृत्यु दर को दो-तिहाई तक घटाने का है। साथ ही सरकार ने ये भी तय किया कि जिन इलाकों में जापानी इंसेफिलाइटिस फैला है वहां बड़ों को भी इसकी वैक्सीन दी जाएगी।

37-प्रधानमंत्री बनने के बाद 4 जुलाई को पहली बार नरेंद्र मोदी जम्मू और कश्मीर गए। उरी में उन्होंने 240 मेगावॉट वाली पनबिजली योजना देश को समर्पित की। मोदी ने देश से फिर वायदा किया कि उनकी सरकार देश से अंधेरा दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां मोदी ने ये भी कहा कि देश में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के नेटवर्क पर भी ध्यान दिया जाएगा।

38- 4 जुलाई को नरेंद्र मोदी ने वैष्णो देवी के भक्तों को तोहफा दिया। कटरा उधमपुर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर नरेंद्र मोदी ने भक्तों को देवी के और करीब ला दिया। मोदी के सुझाव के बाद अब इस ट्रेन का नाम श्रीशक्ति एक्सप्रेस कर दिया गया है। मोदी के उस सुझाव पर भी काम हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि कटरा रेलवे स्टेशन को सौर ऊर्जा आधारित बनाया जाए।

39-देश के घरेलू मुद्दों के अलावा मोदी सरकार एक और मोर्चे पर लगातार काम करती रही। ये था इराक में फंसे भारतीयों को वापस लाना। मोदी सरकार की लगातार कोशिशों का नतीजा था कि तिकरित में फंसी केरल की 46 नर्सें 5 जुलाई को सुरक्षित वापस लौट पाईं। इराक संकट से निपटने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की भी जमकर तारीफ हुई।

40-मनमोहन सरकार के सबसे अहम प्रोजेक्ट में से एक आधार परियोजना को मोदी सरकार ने 5 जुलाई को जीवनदान दे दिया। इस आशंका को दरकिनार करते हुए कि बीजेपी सरकार आने के बाद ये योजना बंद हो जाएगी। नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ आधार के लिए बजट दिया बल्कि ये भी सुनिश्चित किया कि ये प्रोजेक्ट उनकी निगरानी में जारी रहेगा।

41-मोदी सरकार ने बुजुर्गों की सेहत पर भी खास ध्यान दिया। तय किया गया कि केंद्र की तीन योजनाओं, ओल्ड एज पेंशन स्कीम, आम आदमी बीमार योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को मिलाकर एक कर दिया जाए। देश के 20 जिलों में स्मार्ट कार्ड के जरिए इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी जोरों पर चल रही है।

42-रेल बजट से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने रेल मंत्रालय को आदेश दिया कि देश में चलने वाली लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में फ्री वाई-फाई की सुविधा मुहैया कराई जाए। लोगों को सहूलियत देने की मुहिम में मोदी सरकार ने रेलवे के इस ऐतराज को भी खारिज कर दिया कि सभी ट्रेनों में वाई-फाई का खर्च बहुत ज्यादा होगा और इससे रेलवे को नुकसान होगा।

43-7 जुलाई को ही नरेंद्र मोदी सरकार ने कर्मचारी पेंशन स्कीम में भी बदलाव कर दिया। तय किया गया कि अब एक महीने में कम से कम एक हजार रुपए पेंशन के तौर पर मिला करेगा। मोदी सरकार के इस फैसले का सीधा फायदा देश के 28 लाख लोगों को हुआ।

44-मोदी सरकार का पहला रेल बजट आया आठ जुलाई को। बजट में सबसे अहम था मुंबई-अहमदाबाद के बीच 300 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली बुलेट ट्रेन के सर्वे का प्रस्ताव। मोदी सरकार ने ये भी ऐलान किया कि देश के 9 बड़े रूटों पर 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हाई स्पीड ट्रेन भी चलाई जाएगी।

45-मोदी सरकार ने ऐलान किया कि अब इंटरनेट से प्रति मिनट 7200 टिकट बुक हो सकेंगे। रेलवे की वेबसाइट पर एक साथ 1 लाख 20 हजार लोग लॉग इन कर सकेंगे। मकसद यही कि इंटरनेट से टिकट बुकिंग कराते वक्त लोगों को होने वाली मुश्किल कम हो सके। रेल बजट में हुए इस वायदे पर अमल भी किया जा चुका है।

46-लोगों को एक और दिक्कत आती है प्लेटफॉर्म टिकट लेते वक्त। मोदी सरकार ने तय किया कि पार्किंग और प्लेटफॉर्म टिकट अब ऑनलाइन भी बुक हो सकेंगे। यही नहीं इंटरनेट के जरिए वेटिंग रूम बुक करने की सुविधा भी लोगों को मुहैया कराने की कोशिश हो रही है।

47-लंबी दूरी की ट्रेनों को वाई-फाई करने के अलावा मोदी सरकार ने ये भी तय किया कि अहम ट्रेनों में कंप्यूटर वर्क स्टेशन भी दिया जाएगा। यानि आपको दफ्तर का कोई काम हो तो अब आप ट्रेन में चलते-फिरते दफ्तर से भी अपना काम कर सकते हैं।

48-रेल बजट में मोदी सरकार ने लोगों की सहूलियत बढ़ाने वाला एक और कदम उठाया। आने वाले दिनों में रेल सफर के दौरान आपका मोबाइल आपका दोस्त बनेगा।मोबाइल पर वेक-अप कॉल आएगी। मोबाइल पर स्टेशन आने से पहले सूचना आएगी और जो स्टेशन गुजरेंगे, उनकी भी जानकारी दी जाएगी। ऐसे में इस बात का भी खतरा नहीं रहेगा कि स्टेशन गुजर जाए और आप उतर ही ना पाएं।

49-मोदी सरकार ने रेल में खाने-पीने की दिक्कतों को दूर करने के लिए भी बड़े फैसले लिए। हर ट्रेन में पहले से तैयार खाना देने का प्रोजेक्ट शुरू किया। यही नहीं, अब खाने पर यात्रियों से फीडबैक लिया जाएगा और अगर लोग संतुष्ट ना हुए तो ठेकेदार का लाइसेंस रद्द होगा। इसके अलावा अब खाने का ऑर्डर भी आनलाइन देने की सुविधा दी जाएगी।

50-सफाई पर पहले दिन से मोदी सरकार का जोर है और हमारी ट्रेनें गंदगी के लिए बदनाम। इसलिए रेल बजट में सफाई का खर्च इस बार 40 फीसदी बढ़ा दिया गया। ट्रेन में बायो टॉयलेट बनाने की योजना भी शुरू की गई। मोदी सरकार ने ये भी वायदा कि अब सभी स्टेशनों पर शौचालयों की सुविधा होगी।

51-नाम छोटे और दर्शन बड़े। मोदी सरकार की कोई भी योजना का नाम लंबा-चौड़ा नहीं है। पुराने दौर के राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड सुधार कार्यक्रम जैसे कठिन और लंबे नामों के बजाय मोदी सरकार के कार्यक्रमों के नाम छोटे रखे जाते हैं। जैसे जन-धन योजना। ये फैसला हुआ रेल बजट वाले दिन, यानि 8 जुलाई को।

52-10 जुलाई को मोदी सरकार का पहला बजट आया। नौकरीपेशा लोगों को राहत देते हुए टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर ढ़ाई लाख कर दी गई। 80 सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को भी एक लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दिया गया। पीपीएफ में भी निवेश की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दी गई।

53-मोदी सरकार ने ऐलान किया कि देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। इसके लिए बजट में 7600 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी रखा गया। स्मार्ट सिटी के लिए विदेशी निवेश के जरिए पैसा जुटाया जाएगा। सरकार का तर्क है कि अगले दस साल में शहरी आबादी दस फीसदी बढ़ जाएगी और लोगों को सभी सुविधाएं देने के लिए 100 नए शहर जरूरी हैं।

54-गंगा के लिए अपना वायदा निभाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए के साथ नमामि गंगा प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया। सरकार ने ऐसी सैकड़ों फैक्ट्रियों की पहचान कर उन पर रोक लगा दी जो गंगा के पानी को प्रदूषित कर रहीं थीं। बनारस में गंगा घाटों की सफाई का भी अभियान शुरू किया गया है।

55-गंगा को साफ करने के साथ ही पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर भी विकसित करने का ऐलान किया गया। बजट में सरकार ने 4200 करोड़ रुपए इस काम के लिए अलग से रखे। सरकार की योजना है कि अगले 6 साल में इलाहाबाद से हल्दिया तक पानी के जहाजों के लिए जलमार्ग विकसित किया जाए।

56-सरकार ने देश के बड़े हवाई अड्डों पर 6 महीने के भीतर ही ई वीजा की सुविधा शुरू करने का ऐलान किया। यानि दूसरे देशों से आने वाले टूरिस्टों को वीजा मिलने के नियम और आसान हो जाएंगे। टूरिस्टों की संख्या बनाने के लिए मोदी सरकार ने 5 टूरिस्ट सर्किट बनाने का भी फैसला किया।

57-मोदी सरकार ने तय किया कि देश के सभी राज्यों में दिल्ली के एम्स जैसे अस्पताल खोले जाएंगे। यही नहीं, आंध्र प्रदेश, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और विदर्भ में एम्स की चार शाखाएं खुलेंगी। सरकार ने इस बात का भी फैसला किया कि देश में 12 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे।

58-मोदी सरकार का इरादा महिला और बाल कल्याण विकास पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का है। सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की भी शुरुआत की। निर्भया कोष से मदद लेकर दिल्ली में महिलाओं के लिए संकट प्रबंधन केंद्र खोलने का भी फैसला किया गया।

59-सभी तरह के निवेश के लिए अब होगा एक ही KYC यानि KNOW YOUR CUSTOMER फॉर्म। यही नहीं मोदी सरकार के निर्देश के बाद रिजर्व बैंक ने ये भी तय कर दिया कि बैंक अकाउंट खोलने के लिए सिर्फ एक ही दस्तावेज काफी होगा। यानि पहचान के लिए अलग, पते के लए अलग दस्तावेज देने के झंझट से मुक्ति मिली।

60-किसानों पर मोदी सरकार ने तोहफों की बरसात की। इस साल के अंत तक किसान टीवी चैनल शुरू होगा। खेत में मिट्टी की जांच के लिए हेल्थ कार्ड की योजना भी शुरू करने का ऐलान किया गया। इस जांच के लिए 100 से ज्यादा चलती-फिरती प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी।

61-पूर्वोत्तर पर भी खास ध्यान। पूर्वोतर में रेल संपर्क बढ़ाने के लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया गया। इसके अलावा अरुण प्रभा नाम से 24 घंटे का एक टीवी चैनल शुरू करने की भी तैयारी है। वाजपेयी सरकार की परंपरा पर चलते हुए पूर्वी राज्यों के लिए अलग से बजट भी आवंटित किया गया।

62-चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के बुनकरों को वायदा किया था कि उनके विकास के लिए योजनाएं शुरू होंगी। ये वायदा पूरा करते हुए बनारस के बुनकरों के लिए अलग से 50 करोड़ का फंड बनाया गया। बनारस में हथकरघा व्यापार सुविधा केंद्र और शिल्प संग्रहालय भी बनेगा।

63-अफसरों के विदेश दौरे पर नरेंद्र मोदी की नजर। मोदी सरकार ने अफसरों की विदेश यात्रा पर नकेल कसते हुए ये नियम बना दिया कि अफसरों को पहले सरकार को पूरी तरह संतुष्ठ करना होगा कि आखिर उनकी विदेश यात्रा जरूरी क्यों है? उनकी विदेश यात्रा से प्रशासन और लोगों को क्या फायदा होगा।

64-मोदी सरकार करेगी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कोशिश। मोदी सरकार राज्यों से इस बारे में बात कर रही है कि क्या जमीन अधिग्रहण के लिए 70 के बजाय 50 फीसदी किसानों की मंजूरी को ही जरूरी माना जाए।सरकार का तर्क है कि ये फैसला किसानों के साथ ही उद्योगों के विकास में भी मददगार साबित होगा।

65-हिंदी भाषा का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने अहम कदम उठाया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से हिंदी भाषी राज्यों के दफ्तरों को निर्देश दिया गया कि वो सरकारी काम हिंदी में ही करें। सोशल मीडिया में भी हिंदी का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। विवाद से बचने के लिए सरकार ने ये भी कहा कि वो सारी भाषाओं के विकास पर काम कर रही है।

66-ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने ब्राजील गए नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबका ध्यान खींचा। मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को स्थिरता, शांति और विकास के लिए काम करना चाहिए। मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाने पर भी जोर दिया।

67-ब्रिक्स बैंक का अध्यक्ष बना भारत। दो साल की माथापच्ची के बाद आखिरकार ब्रिक्स देश एक अंतरराष्ट्रीय बैंक बनाने पर राजी हो गए। ये बैंक 100 अरब डॉलर की पूंजी से शुरू होगा। इस बैंक का मुख्यालय शंघाई में होगा। बैंक का मकसद होगा अहम योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे की कमी को दूर करना।

68-ब्राजील में चीन के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात भी दिलचस्प रही। ये मुलाकात सिर्फ 40 मिनट के लिए होनी थी, लेकिन जब दोनों नेता आपस में बात करने लगे तो 80 मिनट तक एक दूसरे से बात करते रहे। दोनों देश के नेताओं में सीमा विवाद, आर्थिक रिश्ते और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दूसरे रूट को लेकर बातचीत हुई।

69-सोलह जुलाई को मोदी सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़ा आदेश दिया। मंत्रालयों को आदेश दिया गया कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए जमीन साफ करते वक्त पेड़ नहीं काटे जाएंगे। अगर पेड़ काटना बहुत जरूरी होगा तो उस पेड़ को वहां से निकालकर दूसरी जगह लगाया जाएगा। मोदी की कमान में गुजरात सरकार ऐसा पहले भी करती रही थी।

70-18 जुलाई को मोदी सरकार ने दिल्ली का बजट पेश किया। बजट में लोगों पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया। बिजली संकट से जूझते देश की राजधानी के लोगों को 260 करोड़ रुपए सब्सिडी भी दी गई। सरकार ने ये भी ऐलान किया कि दिल्ली में एक नया आधुनिक अस्पताल भी बनेगा।

71- मोदी सरकार हिंदी के साथ ही संस्कृत के विकास पर भी गंभीर नजर आई। CBSE ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि वो भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत सप्ताह मनाएं। हालांकि कुछ राज्यों ने इसका विरोध भी किया।

72- मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा कि अगले 3 से 4 साल के भीतर देश के हर गांव में टेलीफोन कनेक्शन होगा। हर गांव में इटंरनेट पहुंचाने की मुहिम की कामयाबी के लिए ये होना बहुत जरूरी भी है। मौजूदा वक्त में देश के सिर्फ 44 फीसदी गावों में ही टेलीफोन कनेक्शन है।

73-महंगाई से जूझते लोगों को बड़ी राहत देते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया कि वो रसोई गैस और केरोसीन ऑयल की कीमत में इजाफा नहीं करेगी। यही नहीं सरकार ने एक महीने में सब्सिडी वाला सिलेंडर सिर्फ एक बार ही मिलने की बाध्यता भी खत्म कर दी।

74-मोदी सरकार ने तय किया कि वो भ्रष्टाचार का खुलासा करने वालों को सुरक्षा देगी। तमाम मंत्रालयों और विभागों के चीफ विजिलेंस ऑफीसर्स को ये आदेश दिया गया कि वो भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले को सुरक्षा देने के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं।

75-24 जुलाई को सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कड़ा संदेश दिया। अमेरिकी दबाव के बावजूद मोदी सरकार ने WTO प्रोटोकॉल रूल के समर्थन से साफ इनकार कर दिया। मोदी सरकार ने कहा कि इस प्रोटोकॉल का समर्थन करने के बाद देश में गरीबों के लिए चल रहे खाद्य कार्यक्रमों में अड़चनें आतीं।

76-बीमा सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बड़ाकर 49 फीसदी कर दी। सरकार ने ये भी तय किया कि बीमा कंपनियों का मैनेजमेंट भारतीय प्रमोटरों के ही पास रहेगा। इस फैसले ने देश की बीमा कंपनियों को नया जीवनदान दिया। इसे मोदी सरकार के पहले बड़े आर्थिक फैसले के तौर पर देखा गया।

77-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वो सांसदों पर चल रहे आपराधिक केसों की पड़ताल एक साल के भीतर निपटाएं। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने दागी नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने का भरोसा दिया था। आपको बता दें कि ADR नाम की संस्था के मुताबिक मौजूदा लोकसभा के 34 फीसदी सांसदों पर आपराधिक केस चल रहा है।

78-देश के हवाई यात्रियों को राहत देते हुए मोदी सरकार ने एक साथ 6 नई एयरलाइंस के लाइसेंस को हरी झंडी दिखाई। इन एयरलाइंस को लाइसेंस देने की प्रक्रिया महीनों से अटकी हुई थी। 6 नई एयरलाइंस में से 3 घरेलू रूट पर उड़ेंगी जबकि 3 अंतरराष्ट्रीय रूट पर।

79-28 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने MYGOV नाम से वेबसाइट लॉन्च की। इस वेबसाइट के जरिए मोदी सरकार गंगा सफाई, डिजिटल क्रांति जैसे जैसे अहम मुद्दों पर देश के लोगों की राय मांग रही है। इस वेबसाइट पर अब तक देश के हजारों लोग अपनी राय दे चुके हैं।

80-सेना में महिलाओं को ज्यादा अधिकार देते हुए मोदी सरकार ने फैसला किया कि अब महिला अफसरों को पूरी बटालियन की कमांड भी सौंपी जाएगी। पहल ऐसा नहीं था। सरकार के फैसले के बाद अब एविएशन, सिग्नल और इंजीनियर्स बटालियन की कमान महिला अफसर भी संभाल सकेंगी।

81-कभी मोदी को वीजा देने से मना करने वाला अमेरिका और झुकता नजर आया। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी से मुलाकात की मोदी के मुरीद जॉन केरी ने हिंदी में सबका साथ-सबका विकास बोलकर सबका ध्यान खींचा। सितंबर में मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले इस मुलाकात को बेहद अहम माना गया।

82-दस्तावेजों को Attested कराने के झंझट से मुक्ति दिलाते हुए मोदी सरकार ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वो सेल्फ सर्टिफिकेशन पर जोर दे। सरकार ने कहा कि तमाम सरकारी कार्रवाइयों में हलफनामों को भी कम से कम करने के तरीके खोजे जाएं। सरकार ने कहा कि गजटेड ऑफिसर से अटेस्ड कराने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

83-4 अगस्त को नरेंद्र मोदी नेपाल यात्रा पर गए। 17 साल बाद कोई भारतीय पीएम द्विपक्षीय वार्ता के लिए नेपाल पहुंचा। भारत ने पन-बिजली योजनाओं के लिए नेपाल सरकार के साथ समझौता किया। भारत ने इस बात पर भी सहमति जताई कि वो 1950 में हुई भारत-नेपाल ट्रीटी पर बातचीत के लिए तैयार है।

84-CSAT परीक्षा पर अहम फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया कि अब मेरिट लिस्ट में अंग्रेजी पेपर के नंबरों को नहीं जोड़ा जाएगा। सरकार ने 2011 में सिविल सर्विसेस की परीक्षा देने वाले छात्रों को एक और मौका दिए जाने की भी बात कही। इस फैसले ने हिंदी भाषा के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बड़ी राहत दी।

85-मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद मोदी सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। राज्यपाल के तौर पर कमला बेनीवाल का कार्यकाल खत्म होने में दो महीने बाकी रहते उन्हें हटाया गया था। ऐसे में विपक्ष ने सरकार पर बदले की राजनीति करने का भी आरोप लगाया।

86-जुवैनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव को मंजूरी देते हुए सरकार ने तय कर दिया कि अब गंभीर अपराधों के मामले में 16 साल से बड़े किशोरों को भी वयस्क की तरह सजा दी जा सकेगी। ये फैसला लेने की जिम्मेदारी सरकार ने जुवैनाइल जस्टिस बोर्ड पर छोड़ दी कि आरोपी पर मुकदमा बालिग के तौर पर चलाएं।

87-पीएम बनने के बाद 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। लद्दाख में पन बिजली परियोजना का उद्घाटन करते हुए मोदी ने प्रकाश, पर्यावरण और पर्यटन का नारा दिया। यहीं पर मोदी ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वो आतंक के नाम पर छद्म युद्ध में लगा हुआ है।

88-जजों की नियुक्ति के लिए राज्यसभा में न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल पास होते ही पुराना कॉलेजियम सिस्टम खत्म हो गया। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता में कमी के आरोप के चलते कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना हो रही थी। अब नए सिस्टम के तहत न्यायिक आयोग सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करेगा।

89-सरकार ने तय किया कि नक्सल प्रभावित सभी 10 राज्यों में मोबाइल की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए करीब दो हजार नए टॉवर भी लगाए जाएंगे। प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी बीएसएनएल को दी गई है जो पहले ही इन इलाकों में साढ़े तीन सौ टॉवर लगा चुकी है।

90-मोदी ने 15 अगस्त को ही देश से ये वायदा किया कि अगले साल 15 अगस्त तक कोई भी स्कूल ऐसा नहीं होगा जहां बच्चों के लिए शौचालय ना हो। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से ये भी कहा कि वो सांसद निधि का इस्तेमाल स्कूलों में शौचालय बनवाने में करें। ताकि बच्चे शौचालय ना होने की वजह से पढ़ाई बीच में ना छोड़ें।

91-डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत मोदी सरकार का लक्ष्य 2019 तक हर भारतीय के हाथ में स्मार्टफोन देने का है। मकसद ये कि मोबाइल फोन के जरिए देश का हर नागरिक सरकार की हर योजना के साथ सीधे जुड़ा हो। सरकार की तैयारी ढ़ाई लाख पंचायतों और स्कूलों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की है।

92-मोदी ने ऐलान किया कि इसी साल 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया जाएगा। मोदी ने देश से ये वायदा लिया कि 2019 तक देश का हर शहर, हर सड़क और हर गली साफ-सुथरी होगी। उन्होंने कहा कि ये काम सिर्फ सरकार से नहीं हो सकता इसमें लोगों की मदद की भी जरूरत है।

93-मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना का भी ऐलान किया। इस योजना के तहत 2016 तक हर सांसद को अपने इलाके में एक आदर्श गांव बनाना होगा। इसके बाद सांसद को 2019 तक दो और गावों को आदर्श गांव में बदलना होगा। इस योजना का औपचारिक ऐलान 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर होगा।

94-मोदी सरकार ने तय किया कि वो रामसेतु के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने देगी। रामसेतु के बीच से जहाजों के लिए रास्ता बनवाने का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस समुद्री रास्ते के पक्ष में दलील ये दी जाती है कि इससे वक्त और पैसे दोनों की बचत होगी। लेकिन सरकार ने कहा कि लोगों की भावनाओं को दरकिनार नहीं किया जाएगा।

95-मना करने के बावजूद कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बैठक रद्द कर दी। मोदी सरकार ने पाकिस्तान से टो दूक कहा कि वो या तो अलगाववादियों से बात कर ले या फिर भारत सरकार से। इस फैसले से मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये संदेश दिया कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।

96-तबादलों के दौरान ऐसी महिलाओं को तरजीह मिले जो अपने परिवार से अलग, दूसरे शहरों में रह रही हैं। केंद्र सरकार ने खासतौर पर बैंकों को निर्देश दिया कि महिला कर्मचारियों की तैनाती उनके घर के नजदीक ही की जाए ताकि उनमें असुरक्षा की भावना कम हो।

97-योजना आयोग के दिन खत्म होने का ऐलान करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के लोगों से नई संस्था के बारे में सुझाव मांगा। सरकार का कहना था कि 64 साल पुराना, योजना आयोग वक्त के हिसाब से खुद को बदल नहीं पाया। इसलिए एक नई संस्था की जरूरत है। अब ये नई संस्था 21वीं सदी के मुताबिक विकास से जुड़े सुझाव देगी।

98-मोदी सरकार ने तय किया कि उत्तर पूर्वी राज्यों में जमीन से आसमान में मार करने वाली आकाश मिसाइल की 6 स्क्वैड्रन तैनात की जाएगी। ऐसा चीन के लड़ाकू विमानों और ड्रोन की तैनाती के बाद किया गया। सरकार पहले ही तेजपुर और छाबुआ में सुखोई-30 विमान की तैनाती कर चुकी है।

99-देश के हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट फ्लिपकार्ट के साथ अहम समझौता किया। अब केंद्र सरकार की मदद से हथकरघा उद्योग का बनाया सामान फ्लिपकार्ट पर बेचा जाएगा। इस नई पहल से बुनकरों का तो फायदा होगा ही, उद्योग की कमाई भी बढ़ेगी।

100-पंद्रह अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 'जन-धन योजना'का ऐलान किया था। इस योजना के तहत देश के हर नागरिक के पास बैंक अकाउंट होने का लक्ष्य रखा गया। दो हफ्ते के भीतर ही ये योजना पूरे देश में शुरू कर दी गई। 28 अगस्त को योजना के पहले दिन ही एक करोड़ से ज्यादा नए लोगों के बैंक अकाउंट खुले।

10 ने बटोरी सुर्खिंयां…

1. काले धन पर SIT

विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के मुद्दे पर केंद्र में आई मोदी सरकार ने विदेशों में जमा काले धन की वापसी के लिए एसआइटी के गठन का फैसला लिया. हालांकि कोर्ट ने इसके लिए पिछली सरकार को ही आदेश दिया था लेकिन इस पर फैसला टलता रहा और आखिरकार सत्ता संभालने के बाद ही मोदी ने इसकी मंजूरी दे दी.

2. नियुक्ति आयोग के गठन को मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए मौजूदा कोलिजियम व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था के तहत नियुक्ति आयोग के गठन को मंजूरी दी गई. अब इसमें जजों का एक पैनल होगा, जिसमें भारत के चीफ जस्टिस, सरकार के नुमाइंदे और जाने-माने नागरिक होंगे. कोलिजियम व्यवस्था के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण में धांधली के आरोप लगते रहे हैं.

3. योजना आयोग को भंग किया

स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 64 साल पुराने योजना आयोग को खत्म कर उसकी जगह नई व्यवस्था लाने का ऐलान किया. इसके लिए लोगों से ऑनलाइन सुझाव मांगे. योजना आयोग को खत्म करने के पीछे पीएम मोदी ने तर्क दिया कि योजना आयोग राज्यों के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है.

4. महंगाई रोकने के लिए कदम

देश में महंगाई रोकने के लिए पीएम मोदी ने जरूरी खाद्य उत्पादों के लिए राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने ऐलान किया है ताकि महंगाई को लेकर अनियंत्रित अटकलों को बढ़ने से रोका जा सके.

5. गंगा की सफाई

गंगा सफाई को राष्ट्रीय मिशन का बनाने का मोदी ने केवल ऐलान किया बल्कि इसके लिए बजट भी आवंटित कर दिए हैं. अगले कुछ महीनों में इस पर काम शुरू हो जाएगा. मोदी सरकार से पहले भी गंगा सफाई की बात की जा रही थी लेकिन कोई भी निर्णय सामने नहीं आया था. सिर्फ कमेटी ही बनती थी.

6. निर्मल भारत अभियान का फैसला

स्वतंत्रता दिवस पर देश के नाम दिए गए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने दो अक्टूबर से निर्मल भारत अभियान के शुरुआत की घोषणा की. इस अभियान के तहत लोगों को शौचालय के प्रयोग और खुले में शौच से होने वाले नुकसान के साथ ही सफाई से होने वाले फायदों के प्रति प्रेरित किया जाएगा.

7. जन धन योजना का एलान

पीएम मोदी ने महात्वाकांक्षी जन धन योजना की शुरुआत की. इस योजना के माध्यम से आर्थिक रूप से पिछड़े जिन परिवारों के पास बैंक खाता नहीं है उनके बैंक खाते खोले जा रहे हैं. इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार में दो बैंक खातों के साथ कुल 15 करोड़ खाते खोलने का लक्ष्य है. योजना के तहत खाता खुलवाने पर व्यक्ति को एक लाख रुपये की दुर्घटना बीमा मिलेगी और आधार कार्ड से खुले खातों में छह महीने बाद ग्राहक आवेदन देने पर जमा राशि से पांच हजार रुपये की अधिक राशि निकाल सकेगा.

8. पर्यावरण मंजूरी को ऑनलाइन सेवा

मोदी सरकार ने पर्यावरण मंजूरी के लिए ऑनलाइन सेवा शुरू की है ताकि मंत्रालयों के बीच आपसी लड़ाई खत्म हो और देश के लोगों को इधर-उधर भटकना न पड़े. गौरतलब है कि यूपीए सरकार के दौरान पर्यावरण मंजूरी को लेकर कई तरह की बातें सामने आई थीं.

9. अफसरशाही पर नकेल

जिस दिन नरेंद्र मोदी ने पीएम पद का शपथ ग्रहण किया उसी दिन से उन्होंने अपने नौकरशाहों को साफ संदेश दे दिया था कि अब किसी भी कीमत पर अफसरशाही नहीं चलने वाली है. उन्होंने पीएमओ के अधिकारियों को समय पर कार्यालय आने, दफ्तर में साफ-सफाई आदि का पाठ पढ़ाया. अब मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाह सीधे पीएम से निर्देश लेते हैं. मोदी ना सिर्फ मंत्रियों से बल्कि वरिष्ठ अफसरों से भी नियमित सीधे बात करते हैं.

10. विदेश नीति

मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रण भेजकर संदेह दे दिया कि वह किस तरह के विदेश नीति के हिमायती हैं. उन्होंने सबसे पहले पड़ोसी मुल्क पाक को दोस्ती का संदेश देने की कोशिश की. फिर उन्होंने पहले विदेश दौरे के लिए भूटान जैसे छोटे देश को चुना और वहां से वह नेपाल गए. पीएम मोदी का नेपाल दौरा ऐतिहासिक रहा. कोई भारतीय प्रधानमंत्री 17 साल बाद द्विपक्षीय बातचीत के लिए नेपाल पहुंचा था. मौजूदा समय में पीएम मोदी जापान दौरे पर हैं. यहां दोनों देशों के बीच उर्जा, शिक्षा, शोध और निवेश जैसे करार पर हस्ताक्षर हुए.

खबर का श्रोत

आईबीएन7 और श्री न्यूज़

स्मार्ट सिटी बनाने की होड़ में दिग्गज कंपनियां

प्रकाशित Wed, सितम्बर 03, 2014 पर 09:20  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर कई बड़ी रियल एस्टेट और इंफ्रा कंपनियां अपनी भागीदारी के लिए कतार में खड़ी हो गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई दिग्गज कंपनियों ने सरकार को प्रेजेंटेशन सौंपा है। जिसमें चुनिंदा शहरों में रेसिडेंशियल और कमर्शियल टाउनशिप डेवलप करने से लेकर वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने का मॉडल शामिल है।


देश में स्मार्ट सिटी बनाने की शुरूआत गुजरात, राजस्थान, केरल और कर्नाटक से होनी है, जहां पहले चरण में 7 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। सरकार की इस मंशा को जानते ही एलएंडटी, टाटा रियल्टी, महिंद्रा लाइफस्पेस और गोदरेज प्रॉपर्टीज जैसी दिग्गज रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने अपने सुझावों की लिस्ट सरकार को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को प्रेजेंटेशन दिया और डेवलपर के तौर पर सरकार के साथ काम करने की इच्छा जताई। प्रेजेंटेशन में वाराणसी को विकसित करने की योजना, शहर में होटल इंडस्ट्री के डेवल्पमेंट का मॉडल, शेंद्रा-बिदकिन इंडस्ट्रियल जोन में एसईजेड डेवलपमेंट, अमृतसर-चेन्नई, बंगलुरू-चेन्नई और चेन्नई- विशाखापट्‌टनम के बीच रेसिडेंशियल और कमशिर्यल डेवलपमेंट के सुझाव हैं।


महिंद्रा लाइफस्पेस ने तो राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसकी शुरूआत भी कर दी है। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर महिंद्रा वर्ल्ड सिटी जयपुर और चेन्नई में विकसित किए जाएंगे। चेन्नई में टिडको यानि तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर 1500 एकड़ में इंडस्ट्रियल जोन डेवलप किया जाएगा। वहीं जयपुर में 3000 एकड़ में राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के साथ डेवलप किया जाएगा।


सरकार की 2019 तक डीएमआईसी (दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) के बीच 3 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसे ग्लोबल मैन्युफैकचरिंग और ट्रेडिंग हब के तौर पर विकसित किया जाना है। ये सिटी ढोलेरा, शेंद्रा-बिदकिन और ग्लोबल सिटी के नाम से डेवलप होंगे। ये प्रोजेक्ट जापान सरकार के साथ साझेदारी में पूरे होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा में जापान ने भारत में 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपये निवेश करने का वादा किया है जिसमें बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट भी शामिल है।

मॉल के लिए बिल्डरों की नई स्ट्रैटेजी

प्रकाशित Wed, सितम्बर 03, 2014 पर 09:11  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

अहमदाबाद में पिछले दिनों कई मॉल कॉम्पिटिशन में टिक नहीं पाए और बंद हो गए। इससे सीख लेकर बिल्डर अब मॉल्स के लिए नई स्ट्रैटेजी पर काम कर रहे हैं।


अहमदाबाद के सीजी रोड पर वीनस बिल्डर्स ने खोला है अपना नया मॉल सीजी स्क्वेयर। करीब 1.5 लाख स्क्वेयर फीट एरिया में बने इस मॉल में शॉपर्स स्टॉप, लाकोस्टे, फ्रेंच कनेक्शन, स्टारबक्स और वार्नर ब्रदर्स जैसे ब्रांड आएंगे। अब तक इस मॉल में 65 फीसदी जगह की बुकिंग हो चुकी है। इस मॉल को बनाने वाले अहमदाबाद के वीनस बिल्डर्स एक नई स्ट्रैटेजी के साथ चल रहे हैं, ताकि कड़े कॉम्पिटिशन में उन्हें अपना मॉल बंद ना करना पड़े।


अहमदाबाद में अब तक 7 मॉल्स आए, जिनमें से 2 मॉल्स बंद हो चुके हैं। यही नहीं, कई मॉल्स में काफी जगह खाली भी पड़ी है। जानकारों के मुताबिक जिन बिल्डर्स ने मॉल बनाए थे, वो उन्हें मेनटेन नहीं कर पाए और मॉल्स बंद हो गए।


अहमदाबाद में जितने मॉल हैं उसमें अभी ज्यादातर 70 से 80 फीसदी जगह भरी हुई है, 2 मॉल टूट चुके हैं, वजह यही रही कि सप्लाई ज्यादा था, साथ ही सिंगल ओनरशिप ना होने से मेन्टेन नहीं हो सके, जितने मॉल टिके हुए है उसमे सिंगल ओनर है।


प्रॉपटी के जानकारों का यह भी कहना है कि अहमदाबाद के ज्यादातर मॉल एसजी हाइवे के एक किलोमीटर में ही खुले थे, ऊपर से यहां पर ब्रांड का रिपिटिशन हो रहा था. वीनस के लिए फायदे की बात यह है कि उनके मॉल में कई ऐसे ब्रांड है जो अहमदाबाद में पहली बार आए हैं, साथ ही स्टारबक्स जैसा कॉफी चेन भी पहली बार आ रहा है। आने वाले समय में बिल्डर्स को नए मॉल लेकर आने की संभावना है।

बिजली संकट पर राज्यों की ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक

प्रकाशित Wed, सितम्बर 03, 2014 पर 09:06  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

देश में बढ़ते बिजली संकट पर कल 5 राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक की। ये राज्य हैं गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र। बैठक में इन राज्यों में बिजली संकट गहराने और कोयले की किल्लत से पावर प्लांट बंद होने के मुद्दे उठे।


बिजली संकट ने राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों को केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर कर दिया है। कोयले की किल्लत के चलते कई पावर प्लांट बंद हो गए हैं और इसका असर गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बिजली की सप्लाई पर पड़ा है। बिजली के गंभीर संकट से निपटने पर चर्चा के लिए इन 5 राज्यों के ऊर्जा मंत्री केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल से मिले और संकट दूर करने की मांग की। बैठक के बाद पीयूष गोयल ने बताया कि जल्द ही इस समस्या को दूर किया जाएगा ताकि लोगों को असुविधा ना हो।


गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अदानी पावर ने 4,620 मेगावॉट के 6 जेनरेशन प्लांट बंद कर दिए थे। इन प्लांट से हरियाणा और गुजरात को बिजली सप्लाई होती है। साथ ही टाटा पॉवर ने भी 4000 मेगावॉट की 2 जेनरेशन यूनिट बंद कर दी हैं। इस वजह से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब- इन पांचों राज्यों में बिजली की कटौती बढ़ गई है। इन कंपनियों का कहना है कि इंडोनेशिया से महंगा कोयला खरीदने की वजह से उनके लिए सस्ती बिजली दे पाना मुश्किल हो रहा है।  लेकिन स्टेट बिजली बोर्ड बिजली की ज्यादा कीमत देने को तैयार नहीं है। बिजली कंपनियों और स्टेट बिजली बोर्ड के बीच खींचातानी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है।


तेजी का दौर जारी, अब 33900 भी नहीं दूर

प्रकाशित Wed, सितम्बर 03, 2014 पर 10:44  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

जानकार बाजार की तेजी को लेकर काफी बुलिश हैं। मॉर्गन स्टैनली के रिधम देसाई तो कह रहे हैं कि तेजी ऐसे ही जारी रही तो अगले साल जून तक सेंसेक्स 33900 तक पहुंच जाएगा। वैसे रिधम देसाई ने जून 2015 तक सेंसेक्स का लक्ष्य 28500 तय किया है।


रिधम देसाई के मुताबिक सरकार के फैसलों के दम पर बाजार में तेजी जारी रहेगी, लेकिन फेड के फैसले भी बाजार के लिए अहम साबित होंगे।


रिधम देसाई का मानना है कि देश की ग्रोथ स्टोरी तेजी से आगे बढ़ेगी इसलिए मौजूदा स्तर पर एफएमसीजी और ऑटो सेक्टर में निवेश फायदेमंद होगा। दरअसल शहरीकरण से ऑटो सेक्टर को रफ्तार मिलेगी।


सूचीबद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री की वृद्धि दर आधी हुई: आरबीआई सूचीबद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री की वृद्धि दर आधी हुई: आरबीआई

रिजर्व बैंक ने कहा कि निजी क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों की कुल बिक्री की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2013-14 में आधी यानी 4.7 प्रतिशत रह गई। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में 9.1 प्रतिशत रही थी। सबसे अधिक प्रभावित छोटी कंपनियां रहीं।

सस्ती उड़ानों की तेज हुई होड़, अब इंडिगो कराएगी 999 रुपए में हवाई यात्रासस्ती उड़ानों की तेज हुई होड़, अब इंडिगो कराएगी 999 रुपए में हवाई यात्रा

स्पाइसजेट और जेट एयरवेज के बाद अब एक अन्य किफायती विमानन कंपनी इंडिगो ने किराए पर छूट योजना पेश कर दी है। मंगलवार को शुरू योजना के तहत एक ओर का किराया 999 रुपये होगा, जिसमें सभी कुछ शामिल होगा।

सोनी ने लॉन्च किए 4K TV सीरीज के छह नए मॉडलसोनी ने लॉन्च किए 4K TV सीरीज के छह नए मॉडल

इलेक्ट्रानिक सामान बनाने वाली जापानी कंपनी सोनी ने अपने ब्राविया रेंज के महंगे 4के टेलीविजन सीरीज के छह नए मॉडल आज पेश किए।

स्पाइसजेट के बाद अब जेट एयरवेज 500 रुपए में कराएगी हवाई यात्रास्पाइसजेट के बाद अब जेट एयरवेज 500 रुपए में कराएगी हवाई यात्रा

बजट एयरलाइंस स्पाइसजेट द्वारा घरेलू नेटवर्क पर 499 रुपए के किराये की पेशकश के एक दिन बाद अब जेट एयरवेज भी इस होड़ में शामिल हो गई है। एयरलाइन ने सीमित अवधि के लिए अपनी घरेलू उड़ानों पर इकनॉमी श्रेणी में 500 रुपए किराये की पेशकश की है।

डीडीए हाउसिंग स्कीम 2014: वेबसाइट बहाल, दो दिन में 18 लाख हिट्सडीडीए हाउसिंग स्कीम 2014: वेबसाइट बहाल, दो दिन में 18 लाख हिट्स

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने आज अपनी ऑनलाइन सेवा को बहाल कर लिया। विशाल आवासीय योजना को लेकर लोगों के उत्साह के बीच डीडीए की आधिकारिक वेबसाइट कल बैठ गई थी।

जब हम माउस चलाते हैं तब पूरी दुनिया चलती है: नरेंद्र मोदीजब हम माउस चलाते हैं तब पूरी दुनिया चलती है: नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा को बहुत सफल बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जापान ने पांच साल में 35 अरब डॉलर की अब तक की सबसे बड़ी राशि की मदद देने का जो वादा किया है उससे भारत में बुनियादी ढांचे में सुधार आएगा और साफ-सफाई बढ़ेगी।

भारत को विनिर्माण उद्योगों के लिए शानदार जगह के रूप में पेश किया मोदी नेभारत को विनिर्माण उद्योगों के लिए शानदार जगह के रूप में पेश किया मोदी ने

जापान द्वारा 35 अरब डॉलर की ऋण सहायता की घोषणा के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विनिर्माण उद्योगों के लिए शानदार जगह बताते आज यहां जापानी निवेश को न्योता दिया और कहा कि देश में निवेशकों के सामने 'लालफीताशाही'की अड़चन का दौर खत्म हो चुका है और राह में 'लाल कालीन'के साथ उनका स्वागत है।

2जी घोटाला: सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा एक नए विवाद में2जी घोटाला: सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा एक नए विवाद में

केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा आज एक गैर सरकारी संगठन के आरोपों के साथ ही एक नये विवाद का केन्द्र बन गये। इस संगठन ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि रंजीत सिन्हा के निवास का आगंतुक रजिस्टर 'बेहद परेशान करने वाली'और 'विस्फोट सामग्री'पेश करता है जो 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन कांड में न्याय की राह में आड़े आ रही है।

भारत के रंग में भंग डाल सकती है बिजली कटौती : महिंद्राभारत के रंग में भंग डाल सकती है बिजली कटौती : महिंद्रा

मुंबई में बिजली कटौती से खिन्न महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने आज चेताया कि बिजली आपूर्ति कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था के रंग में भंग पड़ सकता है।  टाटा पावर की एक इकाई ट्रिप करने से आज देश की आर्थिक राजधानी में दक्षिण व मध्य मुंबई को बिजली कटौती से जूझना पड़ा।

मोदी की जापान यात्रा से 2020 तक द्विपक्षीय व्यापार होगा 50 अरब डॉलर!मोदी की जापान यात्रा से 2020 तक द्विपक्षीय व्यापार होगा 50 अरब डॉलर!

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा से और अधिक जापानी कंपनियां भारत में निवेश को प्रोत्साहित होंगी तथा 2019-2020 तक द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 50 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

मोदी इफेक्ट: सेंसेक्स पहली बार 27000 के पार, निफ्टी भी नई उंचाई परमोदी इफेक्ट: सेंसेक्स पहली बार 27000 के पार, निफ्टी भी नई उंचाई पर

चालू खाते के घाटे (सीएडी) में कमी तथा अपेक्षा से बेहतर वृद्धि दर के बीच लिवाली समर्थन के चलते बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज 151 अंक चढ़कर पहली बार 27,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार पहुंचकर बंद हुआ। कारोबार के दौरान निफ्टी भी 8,100 अंक के स्तर को छू गया।

सुप्रीम कोर्ट का किंगफिशर एयरलाइंस की याचिका पर विचार से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने किंगफिशर को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत निदान समिति द्वारा जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित करने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को विचार से इनकार कर दिया।

बजाज ऑटो की मोटरसाइकिल बिक्री बढ़ी

बजाज ऑटो की कुल बिक्री अगस्त में 8 प्रतिशत बढ़कर 3,36,840 वाहनों की रही जो पिछले साल के इसी माह में 3,12,188 वाहनों की थी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि समीक्षाधीन अवधि में मोटरसाइकिलों की बिक्री अगस्त में 2,84,302 वाहनों की रही जो अगस्त, 2013 में 2,78,583 वाहनों की थी।

फोर्ब्स की एशिया-प्रशांत की 50 सबसे अच्छी कंपनियों में 12 भारतीय कंपनियांफोर्ब्स की एशिया-प्रशांत की 50 सबसे अच्छी कंपनियों में 12 भारतीय कंपनियां

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचसीएल टेक्नोलाजीज और एचडीएफसी बैंक फोर्ब्स की उस 50 बेहतरीन पब्लिक लिमिटेड कंपनियों की सूची में शामिल हैं जिसमें भारत दूसरे स्थान पर है। सबसे अधिक अच्छी कंपनियों के साथ इस सूची में चीन अव्वल रहा। फोर्ब्स 2014 की 50 सबसे बेहतरीन कंपनियों की सूची में एशिया-प्रशांत की सबसे बड़ी पब्लिक लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं।

निवेशकों की राह में लाल-कालीन बिछा है, लालफीताशाही का रोड़ा नहीं: PM मोदीनिवेशकों की राह में लाल-कालीन बिछा है, लालफीताशाही का रोड़ा नहीं: PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान में मंगलवार को चौथा दिन है। जापान-इंडिया एसोसिएशन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी व्यापारियों से कहा कि निवेश के लिए भारत से बढ़िया जगह कोई दूसरा नहीं है। उन्होंने जापान के व्यापारियों से कहा कि जो चमत्कार आप जापान में 10 साल में कर सकते हैं, वही चमत्कार भारत में आप 2 साल में कर सकते हैं। भारत में इस तरह की अपार संभावनाएं हैं।

सेंसेक्स, निफ्टी रिकार्ड उंचाई पर पहुंचे

शेयर बाजारों में तेजी का सिलसिला आज भी जारी रहा। सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों से उत्साहित विदेशी निवेशकों के सतत पूंजी निवेश से बीएसई सेंसेक्स 81.53 अंक उपर 26,949.08 अंक की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 20.95 अंक की बढ़त के साथ 8,048.65 अंक की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया।

कर, वित्तीय क्षेत्र सुधारों को आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: मोदीकर, वित्तीय क्षेत्र सुधारों को आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारोबारी माहौल सुधारने के लिए कर एवं वित्तीय क्षेत्र सुधारों को आगे बढाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता आज व्यक्त की।

सरकारी कर्मचारियों को अब पेंशन मिलने में नहीं होगी देरी, नए नियम अधिसूचितसरकारी कर्मचारियों को अब पेंशन मिलने में नहीं होगी देरी, नए नियम अधिसूचित

सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलने में अब देरी नहीं होगी। सरकार ने सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को समय पर पेंशन मिलना सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाये हैं। इसके तहत पेंशन मिलने में देरी के लिये मुख्य कार्यालय जिम्मेदार होगा। अब कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से एक साल पहले कागजी कारवाई शुरू करनी होगी।

आर्थिक वृद्धि आंकड़ों से बाजार में उछाल, सेंसेक्स-निफ्टी रिकॉर्ड नई उंचाई पर

निवेशकों की ताबड़तोड़ लिवाली से बाजार में आज भी तेजी रही। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि का आंकड़ा उत्साहजनक रहने से निवेशकों ने विशेष रूप से वाहन, धातु तथा बैंकिंग शेयरों में ताबड़तोड़ लिवाली से जहां निफ्टी 8,000 अंक को पार कर गया वहीं सेंसेक्स भी नई रिकार्ड उंचाई 26,867.55 अंक पर बंद हुआ।

स्पाइसजेट की 499 रुपए में टिकट की पेशकश, बुकिंग एक लाख के पारस्पाइसजेट की 499 रुपए में टिकट की पेशकश, बुकिंग एक लाख के पार

बाजार भागीदारी के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने सस्ते किराए की एक नयी योजना 'अर्ली बर्ड'आज शुरू की जिसमें उसने घरेलू मार्ग पर 499 रुपए में टिकट की पेशकश की है। इस योजना के तहत पहले ही दिन एक लाख से ज्यादा टिकट बिक गए।


Obama trapped in oil fire of Arab Spring might reverse great Indian growth story of dollar linked economy as Replicated Indian Obama engaged in RSS agenda! Palash Biswas

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Obama trapped in oil fire of Arab Spring might reverse great Indian growth story of dollar linked economy as Replicated Indian Obama engaged in RSS agenda!

Palash Biswas

Obama trapped in oil fire of Arab Spring might reverse great Indian growth story of dollar linked economy as Replicated Indian Obama engaged in RSS agenda!Oil is going to be the key once again and the people so ga ga about the hundred days`s stocks blitz might not the oil burns once again as the minimum governance would not bail out them with subsidy whatsoever in the decontrolled,deregulated digital free market.


Arab spring sponsored by United States of America brings forth the Globe it boasts to control with precise Americanism is once again at the verge  of Yet another full scale war in the middle east.Ironically, America chose Obama for two terms just because of his promise that he would bail out America out of the desert storm.It is very likely that Obama has to activate the defaulted wargames amidsts the oil fields which would send the global economy into yet another recession as it happened in 2008 and the recovery is not complete as yet.


What will be the global trends,it may be predicted at this juncture as President Barack Obama warned Wednesday that the United States will not be intimidated by Islamic State militants after the beheading of a second American journalist and will build a coalition to "degrade and destroy" the group.Obama still did not give a timeline for deciding on a strategy to go after the extremist group's operations in Syria. "It'll take time to roll them back," the president said at a news conference during a visit to Europe.


It is to be understood that pro America,the Hindutva brigade led by RSS in India just replicated the American phenomenon to accomplish its long pending Hindutva mission,the Hindu nation.As Obama did upset the apple carst based on war economy and police state with launching a face which would include all races,all social sections altogether just because without support of the excluded communities ie SC,ST,OBC and minorities,it was quite impossible to mobilise the Hindutva artillery.Modi belongs to a low caste OBC community which consists the half of the population.Not only this,RSS succeeded to consolidate its sc, st and minority bases also just because of Modi.


As Obama failed to abort the trap of conventional American hegemony controlled by outright hard core zionism backed by Israel,Modi seems to be predestined to be trapped in the Hindutva trap in the same way irrelevant of his vigour,honesty,commitment and ambition to change India.Rather the hundred days completed in power with minimum governance and maximum administration is highlighted by the RSS agenda unbound and the almost Europe size demography of the Uttar Pradesh is sieged within Gaza,created by modi`s right hand elevated to the post of BJP President.Modi,of course,is projected as a person who got rid of policy paralysis and the reforms get the boos by passing parliament and constitution,his engagement with original fascist Nazi ideology of  Guru Golwalkar  ahs creating a near anarchy situation full of hate leading him to a position where Obama stands at present.


Beheading of US and British journalists is not enough as Obama warned US action against Islamic State.Islamist militias in Libya took control of nearly a dozen commercial jetliners last month, and Western intelligence agencies recently issued a warning that the jets could be used in terrorist attacks across North Africa.


Just see, Modi addressed the nation on independence day not as the prime minister of India,but as the most committed principal committed RSS cadre.He invoked religious nationalism all on the name of growth and development.Dr Manmohan Singh had been instrumental to the mega shifting to neo liberal age formally from the soviet model but he led the country as an economist, not as a religious leader who should lose the vision of the complete geopolitics.


You have officially  adopted globalisation while you imprison yourself in the RSS headquarters of Nagpur.You do not represent the nation and just represent the ruling class consisting of the market dominating hegemony and it is economic nonsense despite the media hype of inclusion.

His foreign policy and his diplomacy happen tagged with sacred books of Hindutva and the hidden agenda of the Hindu empire shows off its naked skin.The impasse over Gaza genocide is unprecedented.

MOdi`s urgency and his topmost priority to second generation reforms violates the basic grammar of open market economy because he is rather more committed to the agenda of Hindu nation.The market forces have no limit to express joy as they created the mandate.I am afraid to say that they should prepare for disaster,Unprecedented violence and communal divide may not help the market as continuous war against terror never did help America at any level.America expected that Obama should deactivate the operating system controlled by Zionism and Obama failed miserably.

It happened the same thing.America chose him the first ever black president coming out of the civil war history of racial apartheid.As Modi is a low caste OBC having humble background,same way Obama may not boast of anything but Mishell Obama.The mariage elevated Obama as the person who should lead the white hegemonial United States of America. Across the fences, Obama provoked the aspirations of the common taxpayer citizens of America  to come out of the suicidal war economy.He promised to fulfil the dream of Martin Luther King.He declared,America can!

America could not.Just because,Obama failed those communities who he should have represented keeping in mind his origin.

Obama is no less as trapped as Senior or Junior Bush as he proved him to be the greatest ever zionist.

Modi dissolved the planning commission but made the nation digital biometric,subjected to the continuous surveillance without any economic vision at all.He is just working with corporate aps endorsed by RSS headquarter Nagpur and he made governance and  policy making religious rituals with racial apartheid.

Modi promised employment to the youth and opted for robotics and automation which would generate more unemployment.

His inclusive PPP Gujarat Model is based on private capital and foreign investment.He is, not at any point,not addressing the fundamentals of the economy and the finance ministry is all about corporate lobbying,defence deals,bargaining,manipulation,undue favour,unsystematic impulsive governance,environment clearance and depend on fluctuating dices in the stock exchange.


Indo Us nuclear deal is not implemented as yet. But Modi decided to make strategic partnership with Japan and with a single stroke he ensured bulk of business for japanese companies in every possible sector including defence and nuclear energy,smart city and bullet train dumping US interests.


Intelligence reports of the stolen jetliners were distributed within the U.S. government over the past two weeks and included a warning that one or more of the aircraft could be used in an attack later this month on the anniversary of the Sept. 11, 2001, terrorist attacks against New York and Washington, said U.S. officials familiar with the reports.


Obama's comments came after he said the United States had verified the authenticity of a video released Tuesday showing the beheading of freelance reporter Steven Sotloff, two weeks after journalist James Foley was similarly killed.


Obama vowed the U.S. would not forget the "terrible crime against these two fine young men."


"Our reach is long and justice will be served," Obama said.


In the Sotloff video, a masked militant warns Obama that as long as U.S. airstrikes against the militant group continue, "our knife will continue to strike the necks of your people."


Obama responded that he will continue to fight the militant threat and the "barbaric and ultimately empty vision" it represents.


"Our objective is to make sure that ISIL is not an ongoing threat to the region," he said, using an acronym for the militant group. "And we can accomplish that. It's going to take some time and it's going to take some effort."


Sotloff, a 31-year-old Miami-area native who freelanced for Time and Foreign Policy magazines, vanished a year ago in Syria and was not seen again until he appeared in the video that showed Foley's beheading. Dressed in an orange jumpsuit against an arid Syrian landscape, Sotloff was threatened in that video with death unless the U.S. stopped airstrikes on the Islamic State.


In the video distributed Tuesday and titled "A Second Message to America," Sotloff appears in a similar jumpsuit before he is apparently beheaded by a fighter with the Islamic State, the extremist group that has conquered wide swaths of territory across Syria and Iraq and declared itself a caliphate.


British Foreign Secretary Philip Hammond told the BBC Wednesday that the masked, British-accented jihadist appears to be the same person shown in the Foley footage.


In the video, the organization threatens to kill another hostage, this one identified as a British citizen, David Cawthorne Haines. It was not immediately clear who Haines was.


Last week, Sotloff's mother, Shirley Sotloff, pleaded with his captors for mercy, saying in a video that her son was "an innocent journalist" and "an honorable man" who "has always tried to help the weak."


Obama said the prayers of the American people are with the family of the "devoted and courageous journalist" who deeply loved the Islamic world and whose "life stood in stark contrast to those who murdered him so brutally."

"Whatever these murderers think they will achieve by murdering innocents like Steven, they have already failed," Obama said. "We will not be intimidated. Their horrific acts only unite us."

State Department spokeswoman Jen Psaki said Tuesday that it is believed that "a few" Americans are still being held by the Islamic State. Psaki would not give any specifics, but one is a 26-year-old woman who was kidnapped while doing humanitarian aid work in Syria, according to a family representative who asked that the hostage not be identified out of fear for her safety.




Didi Modi Phenomenon identical with generic difference Excalibur Stevens Biswas

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Didi Modi Phenomenon identical with generic difference
Excalibur Stevens Biswas
Didi Mamata Banerjee,the chief minister of West Bengal and Narendra Modi seems to be on different boats politically but the politics they happen to play is identical.Their iconic status is also identical.

The brand equity is identical.

Both the politicians overthrew the ruling combinations with identical politics.Both of them bank highly on identity politics with a difference,Modi is committed professional Hindutva whereas Mamata does bank on Bengali nationalism.

In both cases,the rhetoric is high pitched and very very loud.

They speak impulsive.They inject emotions and passions.They are identical in the phenomenon of politics based on impulse,emotions and dreams.

None of them cares much for the accuracy of facts and statics anyway.

Not only this,both the most branded political icons are considered very honest and committed in personal life despite estranged relations abundant.

Modi as well as Mamata  likes to control every person,every institution and has enough potential to destroy established conventions.

None of them believes anyone who seems in a position to challenge their status.

They belong to the common mass background wherefrom they have been made national leaders and both of them enjoys unconditional support of the market forces which invested without limit to create mandate to implant in the political system suitable to open market.

Didi and Modi do not share the same platform not because of any ideological difference but just for the specific vote bank equations.

Being the prime RSS Cadre Modi does every possible thing to accomplish the RSS agenda of superpower Hindu nation.

It would seem quite unbelieveable that ideologically Mamata Banerjee has nothing to oppose this Hindutva agenda or the Hindu nation itself  as she was  the part of first NDA government led by Atal Bihari Vajpayee.

In fact,she had been  fighting round the clock for years for the supreme status in Bengal.

Now she succeeded to achieve  the status thanks to the historical fence crossing of minority vote bank captured by the Left for no less than thirty five years.

Thus, Mamata simply struck the gold and simply would not lose it at any cost . It is not very difficult for her as she has no ideology at all to sacrifice.Jumping on the streets with whatsoever issue relevant at the particular time has always been her politics.

Mamata`s linguistics is full of poetry while Modi is no less fluent to add contradiction to anything he deals with in his high pitched speeches and irrespective of occasion both happen to be the master of playing with public sentiments and  have enough potential to invoke fire.Mamata is said to be the firebrand kanya in Bengal where as Modi is well known for his aggression,too.

Nevertheless, being anti left, purely right in her behaviour she is compelled to adopt secular stance which just pitted her against the phenomenon of Modi politics,ironically which she shares most.

It is no secret,RSS wants her back in NDA and RSS leaders including Narendra Modi did not allow any stone unturned to woo Mamata.

But simply for the sake of newfound key to power in Bengal, Mamata could not oblige neither RSS nor Modi.

However,Modi did everything to polarise shafron votebank in Bengal on religious line as Mamat had no other alternative but to react most violently.

So much so that during Loksabha campaign,she expressed her wish to get Modi arrested.She could not arrest Modi but succeeded to launch herself as brand new secular saviour of the Muslims.

The forces which finally succeeded launching iconic Modi to boost open market economy, had the dummy in Mamata Banerjee lest Hindutva might fail and much more nationwide hyped, her honesty was proposed as the best alternative.

Anna Hazare came forward to toe the rightist  line but meanwhile Congress eventually opting to surrender power to Sangh Pariwar led by Modi in the best interest of PPP model development following the global trends ,those forces betrayed Mamata and her hidden  ambition to become the prime minister of India was aborted without any ceremony. Mamata ,though tried her best to enhance her regional party to the national level to match Modi and failed miserably.

Politically different,the development saga they share is ditto.

Bengal is practicing PPP model Gujarati most and prototype projects are being launched from Bengal instead of Gujarat.Both plead for private involvement is the production system and both bank on foreign private capital.

Recent CBI enquiry to expose Mamata` honesty seems to be latest bone of contention.

We have been witnessing same drama elsewhere non resultant.

Nevertheless,it seems no one better than Mamata Banerjee who should bail out the minority government in the Rajya Sabha to pursue the second generation of reforms.

Because the basic instinct of rightist politics remains the same.

মুুক্তবাজারে ষাঁড়ের যেমন দাপট,তেমনিই ধর্ষণেই পুরুষতন্ত্রের আধিপাত্য পলাশ বিশ্বাস

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মুুক্তবাজারে ষাঁড়ের যেমন দাপট,তেমনিই ধর্ষণেই পুরুষতন্ত্রের আধিপাত্য
পলাশ বিশ্বাস


মুুক্তবাজারে ষাঁড়ের যেমন দাপট,তেমনিই ধর্ষণেই পুরুষতন্ত্রের আধিপাত্য,প্রমাণ,২০১৩ সালে ভারতে প্রতিদিন গড়ে ৯২ জন মহিলা ধর্ষিতা হয়েছেন। এমনই চাঞ্চল্যকর তথ্য দিল ন্যাশনাল ক্রাইম রেকর্ডস ব্যুরো (এনসিআরবি)। ২০১২ সালে দেশে ধর্ষণের সংখ্যা ছিল ২৪ হাজার ৯২৩টি। গত বছর তা বেড়ে হয়েছে ৩৩ হাজার ৭০৭টি।

ধর্ষণ সংস্কৃতি অপ্রতিরোধ্য।বাড়িতে ষাঁড় পাঠিয়ে রেপ করানো এখন অতি মহিমামন্ডিত রাজনীতি শাসকের।

সালিশিতেও রেহাই নেই।
বিচারে দন্ড ধর্ষণ।

প্রতিবাদ করলেই কামদুনি।
প্রতিবাদ করলেই মাওবাদী।
শ্লীলতাহানি বিশ্ববিদ্যালয়ে।
শ্লীলতাহানি শান্তিনিকেতনে।

অনুসন্ধানের ফলাফল

  1. কামদুনি - Zee News - India

  2. zeenews.india.com/bengali/tags/কামদুনি.html
  • কামদুনি - Get latest news on কামদুনি. Read Breaking News on কামদুনি updated and published at Zee News Hindi.
  • কামদুনিধর্ষণ - Latest News on কামদুনিধর্ষণ | Read ...

  • zeenews.india.com/bengali/tags/কামদুনি-ধর্ষণ.html
  • কামদুনি ধর্ষণ - Get latest news on কামদুনি ধর্ষণ. Read Breaking News on কামদুনি ধর্ষণ updated and published at Zee News Hindi.
  • কামদুনিথেকে : দীপাঞ্জন - Facebook

  • https://www.facebook.com/notes/.../কামদুনি.../532857243418394
  • কামদুনি থেকে দীপাঞ্জন. বারাসাতের কামদুনি গ্রামটিতে গণধর্ষণ আর হত্যা ঘটনা ঘটে যাওয়ার পর, কলকাতার কিছু রাজনৈতিক কর্মী, আর অন্যান্য ব্যক্তিদের সঙ্গে স্থানীয় মানুষদের আন্দোলনের সংহতিতে গ্রামটিতে গিয়েছিলাম গত ১৬ জুন। মমতার কামদুনিসফরের ঠিক একদিন আগে। নিচের লেখায় তারই একটা সংক্ষিপ্ত বিবরণ ধরা থাকলঃ আমি এর আগে কোন ...
  • রাজকোষে মাথা নুইয়েছে কামদুনি - EI-Samay

  • eisamay.indiatimes.com › শহরকলকাতা
  • ৫ নভেম্বর, ২০১৩ - কৌশিক সরকার ও মণিপুষ্পক সেনগুপ্ত চাকরি নয়, টাকা নয়৷ অপরাজিতার ধর্ষক খুনিদের ফাঁসি চাই! গোটাকামদুনি গ্রাম চষে ফেলেও সেই পোস্টারগুলি আর খুঁজে পাওয়া যাবে না৷ কামদুনি আজ মাথা নত করেছে রাজকোষের কাছে৷ এক মাস আগেও কামদুনির বাড়ির দেওয়াল, পাঁচিল জানান দিত অপরাজিতার মর্মান্তিক মৃত্যুর ঘটনা৷ শোকস্তব্ধ এবং ...
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  • ৭ জুন, ২০১৪ - কামদুনি News - Get List of Updates on কামদুনি news, কামদুনি breaking news and কামদুনি current news on bengali.oneindia.in.

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  • কামদুনিধর্ষণ-খুনের আজ ১ বছর, কারও শাস্তি হয়নি - Aajkaal

  • www.aajkaal.net/07-06-2014/news/222325/
  • ৭ জুন, ২০১৪ - সোহম সেনগুপ্ত: কামদুনির কলেজ ছাত্রীকে ধর্ষণ করে খুনের এক বছর কেটে গেলেও এখনও দোষীদের শাস্তি না হওয়ায় হতাশ কামদুনির বাসিন্দারা৷‌ আজ শনিবার কামদুনির ঘোষপাড়া, কয়ালপাড়া, মণ্ডলপাড়া ও নস্করপাড়ার বাসিন্দারা কামদুনি প্রাইমারি স্কুলের সামনে সকাল ১০টায় নির্যাতিত ছাত্রীর স্মরণে একটি স্মরণসভার আয়োজন ...
  • গণধর্ষণের ১ বছর পরও কামদুনিআছে কামদুনিতেই - প্রচ্ছদ

  • www.satdin.in/index.php/2014-04.../388-2014-06-07-09-36-09
  • ৮ জুন, ২০১৪ - কামদুনি গণধর্ষণের ঘটনার এক বছর পর কামদুনি আছে কামদুনিতে। দোষীদের শাস্তি পেতে যাতে ...কামদুনি ঘটনার পর যে একগুচ্ছ প্রতিশ্রুতি দিয়েছিল তার একটাও রক্ষা করেনি রাজ্য। রা্স্তার আলো,গ্রাম ... কলকাতা থেকে ঢিল ছোড়া দূরত্বে শুধু কামদুনি নয় এর মত অসংখ্য গ্রাম আছে প্রায় যোগাযোগ বিচ্ছিন্ন অবস্থায়। আর রবিবারই দেশে ...
  • গণধর্ষণের ১ বছর পরও কামদুনিআছে কামদুনিতেই - প্রচ্ছদ

  • www.satdin.in/index.php/2014-04.../388-2014-06-07-09-36-09
  • রা্স্তার আলো,গ্রাম থেকে বাস রাস্তায় ছোট গাড়ির ব্যবস্থা কিছুই হয়নি এখনও।তবে যতদিন ন্যায় বিচার না হবে ততদিন কামদুনির মানুষেরা শাসক দলের রক্ত চক্ষু উপেক্ষা করে লড়বেন বলে ঠিক করেছেন। কলকাতা থেকে ঢিল ছোড়া দূরত্বে শুধু কামদুনি নয় এর মত অসংখ্য গ্রাম আছে প্রায় যোগাযোগ বিচ্ছিন্ন অবস্থায়। আর রবিবারই দেশে আরেকটি শহর,মুম্বইয়ে ...
  • কামদুনি , এখন - প্রথম পাতা

  • www.guruchandali.com › বুলবুলভাজা
  • ১২ সেপ্টেম্বর, ২০১৩ - কামদুনি , এখন. কুসুম্বা. ৭সেপ্টেম্বর কামদুনির স্কুল মাঠে অপরাজিতার স্মরণে হাজির হওয়া মানুষের নব্বই শতাংশই ছিল মেয়েরা| স্থানীয়রা ছিলেন ভালোসংখ্যক, সুঁটিয়া থেকে এসেছিলেন প্রতিবাদী মঞ্চের মানুষজন, কলকাতা ও উত্তর চব্বিশ পরগণার এপয়া ও অন্যান্য গণসংগঠনের কর্মীরা এবং কয়েকজন নামকরা ব্যক্তি| অপরাজিতার জন্য, ...
  • কামদুনি: চার্জগঠন রফিকুলের বিরুদ্ধে - ABP News

  • abpananda.abplive.in/state/.../কামদুনি-চার্জগঠন-রফিকুলের-ব
  • ১৩ জানুয়ারী, ২০১৪ - কলকাতা: বাকিদের মতো কামদুনি মামলার নবম অভিযুক্ত রফিকুলের বিরুদ্ধেও খুন, ধর্ষণ, তথ্য প্রমাণ লোপাট-সহ ৭টি ধারায় চার্জ গঠন করল নগর দায়রা আদালত৷ ১০ সেপ্টেম্বর কামদুনি মামলায় ৮ অভিযুক্তের বিরুদ্ধে চার্জ গঠন হয়৷ তখনও ধরা পড়েনি রফিকুল৷ ফলে তার বিরুদ্ধে চার্জগঠন হয়নি৷ ৮ অভিযুক্তের বিরুদ্ধে চার্জগঠনের পর এই মামলার ...


  • ধর্ষণ সংস্কৃতি সীমান্ত ডিঙিয়ে,এপার বাংলায় যেমন,তেমনিইওপার বাংলায়।

    সাহিত্য,শিল্প,কর্মক্ষেত্র কোথাও পুরুষতান্ত্রিক আধিপাত্যে খামতি নেই,তাই সর্বত্র ধর্ষণ।

    জাপানি তেলের বিজ্ঞাপন,যেখানে খুশি সেখানে কন্ডোম ব্যবহারের বিজ্ঞাপন ছাড়া খবর হয়না।
    সুগন্ধি থেকে হরেক পণ্যেই নারী পণ্যা,মুক্তবাজারে সর্বত্র নারী ধর্ষিতা।
    সমাজের লজ্জা হয় না।
    ধর্মের লজ্জা নেই।
    আইন লজ্জিত নয়।
    শাসকের লজ্জা নেই।

    ধর্ষকের ভয় নেই।
    ষাঁড় সংস্কৃতিতে সর্বত্র অভযদান।

    অনুসন্ধানের ফলাফল

    1. বাংলাদেশে ধর্ষণবাড়ছে | বিশ্ব | ডিডাব্লিউ.ডিই | 27.07.2014

    2. www.dw.de/বাংলাদেশে-ধর্ষণ-বাড়ছে/a-17810685
  • ২৭ জুলাই, ২০১৪ - ধর্ষণ বাড়ছে বাংলাদেশে৷ বেসরকারি স্বেচ্ছাসেবী সংস্থার প্রতিবেদন এবং পুলিশের তথ্যে তার প্রমাণ মিলছে৷ বিশ্লেষকরা বলছেন এর জন্য আইনের প্রয়োগে ঢিলেমি এবং সামাজিক অবস্থা কাজ করছে৷.

  • ধর্ষণ বাংলাদেশে-এর চিত্রচিত্রগুলি রিপোর্ট করুন
    • ধর্ষণ বাংলাদেশে এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ বাংলাদেশে এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ বাংলাদেশে এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ বাংলাদেশে এর চিত্র ফলাফল

  • বাংলাদেশে ধর্ষণবাড়ছে - savarnews24.com

  • savarnews24.com/archives/957
  • অনলাইন ডেস্ক, (সাভার নিউজ ২৪.কম) : ধর্ষণ বাড়ছে বাংলাদেশে৷ বেসরকারি স্বেচ্ছাসেবী সংস্থার প্রতিবেদন এবং পুলিশের তথ্যে তার প্রমাণ মিলছে৷ বিশ্লেষকরা বলছেন এর জন্য আইনের প্রয়োগে ঢিলেমি এবং সামাজিক অবস্থা কাজ করছে৷. ঢাকা মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতালের ওয়ানস্টপ ক্রাইসিস সেন্টারে (ওসিসি) সারা দেশ থেকে গড়ে প্রতিদিনই গড়ে ...
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশেপালাতে... - Tazakhobor ...

  • https://www.facebook.com/tazakhobornews/posts/608432592513350?...
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশে পালাতে চেয়েছিল অভিযুক্ত আনসারি http://tazakhobor.com/bangla/international/9832-2013-08-26-10-45-42.
  • বাংলাদেশেছয় মাসে ধর্ষিত ৪৩১ জন: মহিলা পরিষদ - BBC Bangla ...

  • www.bbc.co.uk/.../07/140722_mk_bangla_rape_mahila_parishad.shtml
  • ২২ জুলাই, ২০১৪ - বাংলাদেশে নারী অধিকার নিয়ে কাজ করে এমন একটি বেসরকারি সংস্থা বাংলাদেশ মহিলা পরিষদ, বলছে চলতি বছরের প্রথম ছয় মাসে ২২০৮ জন নারী নির্যাতনের শিকার হয়েছেন। সংস্থাটি মঙ্গলবার ঢাকায় এক সংবাদ সম্মেলনে এসব তথ্য তুলে ধরে নারীর প্রতি এ ধরনের সহিংসতার অবসানে ধর্ষণ-বিরোধী আইন কার্যকরসহ বেশ কিছু সুপারিশও করেছে।
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশেপালাতে চেয়েছিল আসামি ...

  • www.poriborton.com/.../ফটোসাংবাদিক-ধর্ষণ-বাংলাদেশে-...
  • দূরদেশ ডেস্ক ::মুম্বাইয়ে ফটোসাংবাদিক ধর্ষণের পাঁচ আসামিকেই গ্রেপ্তার করতে সমর্থ হয়েছে পুলিশ। তবে শেষে আটককৃত সেলিম আনসারিবাংলাদেশে পালাতে চেয়ে.
  • বিডিটুডে.নেট:ধর্ষণবাড়ছে বাংলাদেশে! - BD Today

  • www.onbangladesh.org/newsdetail/detail/40/85728
  • ধর্ষণ বাড়ছে বাংলাদেশে! 27 Jul, 2014. দিনে দিনে ধর্ষণ বেড়েই চলেছে বাংলাদেশে৷ বেসরকারি স্বেচ্ছাসেবী সংস্থার প্রতিবেদন এবং পুলিশের তথ্যে তার প্রমাণ মিলছে৷ বিশ্লেষকরা বলছেন এর জন্য আইনের প্রয়োগে ঢিলেমি এবং সামাজিক অবস্থা কাজ করছে৷ ঢাকা মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতালের ওয়ানস্টপ ক্রাইসিস সেন্টারে (ওসিসি) সারা দেশ থেকে গড়ে ...
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশেপালাতে চেয়েছিল অভিযুক্ত ...

  • probasebangladesh.com/2013.08.26.5528.html
  • ডেস্ক রিপোর্টঃ বাংলাদেশে পালানোর চেষ্টা করছিল মুম্বাইয়ে নারী সাংবাদিক গণধর্ষণের ঘটনায় অন্যতম অভিযুক্ত সেলিম আনসারি। সালিম আনসারিকে রোববার সকালে দিল্লি-হরিয়ানা সীমানা থেকে গ্রেফতার করে দিল্লি পুলিশ এবং মুম্বাই অপরাধ দমন শাখার বিশেষ দল। আনসারি বিহার হয়ে বাংলাদেশে পালিয়ে যাওয়ার পরিকল্পনা করছিল বলে জানিয়েছে ...
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশেপালাতে চেয়েছিল অভিযুক্ত ...

  • unify24.com/newspaper/detail/165175
  • ফটোসাংবাদিক ধর্ষণ: বাংলাদেশে পালাতে চেয়েছিল অভিযুক্ত আনসারি | international | natunbarta.com | Top Online Newspaper in Bangladesh. শনিবার, ০৭ জুন ২০১৪. English. বাংলা ফন্ট. প্রচ্ছদ. জাতীয়. রাজনীতি. আইন-আদালত. অর্থ ও বাণিজ্য. স্পোর্টস. ব্রাজিল বিশ্বকাপ ২০১৪. বিদেশ. প্রবাস. মিডিয়া. ঢাকার বাইরে. শিক্ষাঙ্গন. এন্টারটেইনমেন্ট.
  • Rape during the Bangladesh Liberation War - Wikipedia, the free ...

  • en.wikipedia.org/wiki/Rape_during_the_Bangladesh_Liberation_War
  • During the 1971 Bangladesh war for independence, members of the Pakistani military and supporting Bihari and Razaker militias raped between two and four ...
  • Bangladesh's Birangona women: 'Tell the world our story' | Stage ...

  • www.theguardian.com/.../silence-bangladesh-birangona-women-of-war-...
  • Hundreds of thousands of women were raped during Bangladesh's war of independence. Now they are speaking out in a powerful new play, reports Tahmima ...

  • ধর্ষণের দিক থেকে দেশের মধ্যে প্রথম হয়েছে দিল্লি। ২০১৩ সালে দেশের রাজধানী শহরে ধর্ষণ হয়েছিল ১৬৩৬টি। সেখানে ২০১২ সালে দিল্লিতে সরকারী খাতায় ধর্ষণ নথিভুক্ত করা হয়েছিল ৭০৬টি।
    রঙিন শহর মুম্বই ধর্ষণে দিল্লির পরের স্থানে। বাণিজ্য নগরীতে ২০১৩ সালে ধর্ষণ হয়েছে ৩৯১টি। ২০১৩-য় জয়পুর ও পুনেতে ধর্ষণের সংখ্যা যথাক্রমে ১৯২ ও ১৭১টি।
    দিল্লি মহিলাদের কাছে যে নিরাপদ নয়, সেটা ২০১২-র ১৬ ডিসেম্বরের রাতে চলন্ত বাসে গণধর্ষণ সহ পরবর্তীকালের একাধিক ঘটনায় স্পষ্ট হয়ে গিয়েছে। এনসিআরবি-র তথ্যেও প্রকাশ, দিল্লিতে ২০১৩ থেকে ২০১৪-য় বেড়ে দ্বিগুণ হয়েছে ধর্ষণ। ২০১২ সালে যে রাজধানী শহরে ৭০৬টি ধর্ষণের ঘটনা ঘটেছিল, সেখানে গত বছর সংখ্যাটা বেড়ে দাঁড়িয়েছে ১৬৩৬টি। রিপোর্ট জানাচ্ছে, গড়ে ২০১৩ সালে প্রতিদিন দিল্লিতে ধর্ষণ হয়েছে ৪টি।  
    বেশিরভাগ ক্ষেত্রেই ধর্ষণকারী নির্যাতিতার পূর্বপরিচিত! ৯৪ শতাংশ ধর্ষণের ক্ষেত্রে ধর্ষিতা আগে থেকে চিনতেন ধর্ষককে।
    • ধর্ষণ এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ এর চিত্র ফলাফল
    • ধর্ষণ এর চিত্র ফলাফল
    • RAPE/ধর্ষণ | সেরা-চটি

    • https://sherachoti.wordpress.com/category/rapeধর্ষণ/
    • নিজে জন্ম দেয়ার পর তাদের ২০ বছর ধরে ধর্ষণ করে আসছেন পিতা। ঘটনাটি ঘটেছে ভারতের রাজস্থানে। পিতার লালসার শিকার দুই বোন মুখ খোলায় বের হয়েছে পিতার কু-কৃত্তি। আর দিব্যি পিতার এই অনাচারে সমর্থন যুগিয়ে গেছেন মা। মঙ্গলবার স্বামীদের নিয়ে থানায় গিয়ে পিতার বিরুদ্ধে ধর্ষণের অভিযোগ দায়ের করেন দুই বোন। আর নিজেদের ওপর এই লালসার ...
    • ধর্ষণ | বাংলা চটি সম্ভার

    • sexasiabd.wordpress.com/category/ধর্ষণ/
    • Posts about ধর্ষণ written by shoeb45. ... কাজের মেয়েকে ধর্ষণ. ওর নাম ফাগুন, আমাদের বাসার নতুন কাজের মেয়ে। অন্য দশটা কাজের মেয়ের সাথে ওর তুলনা করা যাবে না। আমি হলফ করে বলতে পারি আমাদের সম্ভ্রান্ত ফ্যামিলির অনেক মেয়েদের থেকে ও অনেক সুন্দর ছিল, বিশেষ করে ওর বুক। আসলে মেয়েটার বয়স … Continue reading → · Aside | Posted on ...
    • শৌচাগারে সহপাঠীকে ধর্ষণকরলো সপ্তম শ্রেনীর ছাত্র | Hello Today

    • hello-today.com/শৌচাগারে-সহপাঠীকে-ধর্ষণ
    • হ্যালোটুডে ডেস্ক: তখনও স্যার ক্লাসে ঢোকেননি। স্যার আসার আগেই প্রকৃতির ডাকে সাড়া দিতে স্কুলের শৌচাগারে গেল সপ্তম শ্রেণীর এক ছাত্রী। পিছু নিল তারই এক সহপাঠী। এরপর শৌচাগারে পৌঁছে ওই ছাত্রীকে ধর্ষণ করে ওই ছাত্র। ধর্ষনের পর কাউকে কিছু না জানানোর হুমকি দিয়ে চুপচাপ ক্লাসে গিয়ে বসে পড়ে ওই ছাত্র৷ কিন্তু মুখ বন্ধ রাখেনি ওই ছাত্রী ...
    • স্বামীকে দিয়ে বান্ধবীকে ধর্ষণকরালেন স্ত্রী! - bdnews24.com

    • bangla.bdnews24.com/world/article837346.bdnews
    • ১৭ আগস্ট, ২০১৪ - ভারতের বেঙ্গালুরু শহরে এক নারী তার স্বামীকে দিয়ে ঘনিষ্ঠ প্রতিবেশীর বউ ও বান্ধবীকে 'ধর্ষণ'করিয়েছেন বলে অভিযোগ পাওয়া গেছে।
    • দৈনিক ধর্ষণনিউজ.কম | Facebook

    • https://www.facebook.com/pages/দৈনিক-ধর্ষণ.../463221797078372
    • দৈনিক ধর্ষণ নিউজ.কম. 176733 likes · 4867 talking about this. News Personality.
    • ধর্ষণসমাচার | Facebook

    • https://www.facebook.com/bars.com.bd
    • ধর্ষণ সমাচার. 14925 likes · 106 talking about this. এসো সচেতন হই.
    • স্বামীকে বেঁধে স্ত্রীকে ধর্ষণ, ছাত্রলীগ নেতাসহ গ্রেপ্তার ২

    • www.prothom-alo.com › বাংলাদেশ
    • ১১ জুন, ২০১৪ - চিকিৎ​সা নিতে রাজধানীতে এসে হোটেলকক্ষে ধর্ষণের শিকার হয়েছেন এক গৃহবধূ (২৬)৷ গত রোববার গভীর রাতে মগবাজারের এক অাবাসিক হোটেলে পাশের কক্ষে স্বামীকে বেঁধে রেখে তাঁকে ধর্ষণ করা হয়৷ ধর্ষণের অভিযোগে পুলিশ ওই কক্ষ থেকে মহানগর ছাত্রলীগের এক নেতা ও তাঁর এক সহযোগীকে ছুরিসহ গ্রেপ্তার করেছে৷...
    • বাংলাদেশীকে দিয়ে অন্তঃসত্ত্বা স্ত্রীকে ধর্ষণ!

    • mzamin.com/details.php?mzamin=Mzk3ODM=&s=Mg==
    • 1 দিন আগে - তবে পত্রিকাটি স্বামী ও স্ত্রীর জাতীয়তা বা তাদের পরিচয় প্রকাশ করেনি। ঘটনাটিকে মালয়েশিয়া দণ্ডবিধির ৩৭৬ ধারার আওতায় ধর্ষণ হিসেবে বর্ণনা করা হয়েছে। প্রতিবেদনে বলা হয়, পেতালিং জয়ার গোমবাক ওসিপিডি সহকারী কমিশনার আলি আহমাদ মঙ্গলবার বলেন, মহিলার বয়স ২৭। তিনি অন্তঃসত্বা। গত রোববার রাত সাড়ে দশটা হবে।
    • ভাইয়ের অপরাধে শাস্তি হিসেবে বোনকে ধর্ষণ - BBC Bangla - খবর

    • www.bbc.co.uk/bengali/news/2014/07/140711_mh_india_rape.shtml
    • ১১ জুলাই, ২০১৪ - ভারতের ঝাড়খন্ড রাজ্যে এক ১৪ বছরের কিশোরীকে তার বড় ভাইয়ের কথিত অপরাধের শাস্তি হিসাবে ধর্ষণ করা হয়েছে বলে অভিযোগ উঠেছে।

    যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ে ছাত্রী নিগ্রহের ঘটনায় তদম্ত কমিটি, উপাচার্যের কাছে বাবা

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    গৌতম চক্রবর্তী: বিশ্ববিদ্যালয় মঞ্জুরি কমিশনের (ইউ জি সি) গাইড লাইন মেনে এবং শিক্ষামন্ত্রীর নির্দেশে শ্লীলতাহানির অভিযোগ খতিয়ে দেখতে তদম্ত কমিটি গড়ল যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়৷‌ এদিকে বুধবার বিকেলে বিশ্ববিদ্যালয়ের উপাচার্য অভিজিৎ চক্রবর্তীর সঙ্গে দেখা করে লিখিত অভিযোগ জমা দিলেন নিগৃহীতা ছাত্রীর বাবা৷‌ প্রসঙ্গত, ছেলেদের হস্টেলে তাকে ডেকে নিয়ে গিয়ে মারধর ও শ্লীলতাহানি করা হয়েছে বলে মঙ্গলবারই বিশ্ববিদ্যালয়ের ইতিহাস বিভাগের দ্বিতীয়বর্ষের ওই ছাত্রী যাদবপুর থানায় অভিযোগ দায়ের করে৷‌ যে ১০ জন ছাত্রের বিরুদ্ধে অভিযোগ করা হয়েছে তারা মূলত ইঞ্জিনিয়ারিং বিভাগের ছাত্র বলেই জানা গেছে৷‌ বিশ্ববিদ্যালয় সূত্রে খবর, ঘটনার পর ছাত্রীটি বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষের কাছে মৌখিক অভিযোগ জানায়৷‌ অভিযোগ উপাচার্য নাকি অভিযোগকারিণী ও অভিযুক্তদের বিষয়টি মিটিয়ে ফেলতে বলেন৷‌ যদিও এ বিষয়ে এদিনও মুখ খোলেননি বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ৷‌ উপাচার্য এই বিষয় নিয়ে কোনও কথা বলতে চাননি৷‌ সাংবাদিকদের প্রশ্নের সামনে তিনি মৌন থেকেছেন৷‌ শুধু একটা কথাই তাঁর মুখে শোনা গেছে 'নো কমেন্টস'৷‌ স্বাভাবিকভাবেই সোমবার অভিযোগ জানানোর পরেও কর্তৃপক্ষ এখনও কেন কোনও ব্যবস্হা নিতে পারেননি সেই প্রশ্নও উঠছে৷‌ যদিও বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ এদিনই কমিটি করে ঘটনার তদম্ত করার সিদ্ধাম্ত নিয়েছেন বলে জানা গেছে৷‌ ইউ জি সি-র নিয়ম অনুসারে এই কমিটি অভিযুক্ত ছাত্রদের সঙ্গে এবং অভিযোগকারিণী ছাত্রীর সঙ্গে কথা বলে রিপোর্ট দেবে৷‌ তার পরই বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ ছাত্রদের বিরুদ্ধে ব্যবস্হা নেবে৷‌ এ প্রসঙ্গে বুধবার শিক্ষামন্ত্রী পার্থ চ্যাটার্জি বলেন, যাদবপুরের ঘটনায় উপাচার্যকে তদম্ত কমিটি করতে বলেছিলাম৷‌ উনি আমাকে জানিয়েছেন তদম্ত কমিটি করা হয়েছে৷‌ দোষী প্রমাণিত হলে কঠোর শাস্তি দেওয়া হবে৷‌ একই সঙ্গে তাঁকে হস্টেলগুলোকে নজরদারি বাড়ানোর কথাও বলেছি৷‌ এই প্রসঙ্গে বিশ্ববিদ্যালয়ের রেজিস্ট্রার প্রদীপ ঘোষ বলেন, বিষয়টি ইন্টারনাল কমপ্লেন সেলে পাঠানো হয়েছে৷‌ তারাই বিষয়টি তদম্ত করে দেখবে৷‌ অভিযোগকারী ছাত্রীর বাবা উপাচার্যের সঙ্গে দেখা করে বেরিয়ে বলেন, লিখিত অভিযোগ করে উপাচার্যকে এ কথাই বলেছি যে, আমার মেয়ের সঙ্গে যা ঘটেছে তার উপযুক্ত ব্যবস্হা নিতে৷‌ আর ভবিষ্যতে এরকম ঘটনা যেন বিশ্ববিদ্যালয়ের আর কোনও ছাত্রীর সঙ্গে না ঘটে তা দেখতে৷‌ এই ধরনের ঘটনার পুনরাবৃত্তি যেন না হয়৷‌ উপাচার্য আশ্বাস দিয়েছেন ব্যবস্হা গ্রহণ করার৷‌ আমরা আশাবাদী৷‌ অন্য দিকে এদিন বিশ্ববিদ্যালয়ের একদল ছাত্র এই বিষয় নিয়ে নিজেদের মধ্যে সভা করেন৷‌ ছাত্ররাও অবশ্য তাঁদের মতামত জানাতে চাননি৷‌ যাদবপুর থানার পুলিস ইতিমধ্যেই বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষের সঙ্গে যোগাযোগ করে অভিযুক্তদের বিষয়ে খোঁজখবর নিয়েছে৷‌ পুলিস সূত্রে জানা গেছে, ছাত্রী যাদের বিরুদ্ধে অভিযোগ করেছেন, তাদের মধ্যে একজনকে ভালভাবেই চেনেন ওই ছাত্রী৷‌ মূলত ওই ছাত্রই দ্বিতীয় বর্ষের ওই ছাত্রীকে হস্টেলে নিয়ে যায়৷‌ আরও জানা গেছে ওই ছাত্রীর বিরুদ্ধে আগেও একটি অভিযোগ রয়েছে৷‌ সেই ঘটনারও তদম্ত চলছে৷‌
    আজকালের প্রতিবেদন: বাড়িতে মদের আসর বসিয়ে পরিচারিকাকে গণধর্ষণের অভিযোগ উঠল! রিজেন্ট পার্কের ঘটনা৷‌ অভিযোগ, বাড়ির মালিক দীর্ঘদিন ধরে ওই পরিচারিকাকে আটকে রেখে ধর্ষণ করেছে৷‌ ভয় দেখানোর জন্য তুলে রাখা হয় ভিডিও ফুটেজও৷‌ বাড়িতে বন্ধুরা এলে মদের আসর বসিয়ে গণধর্ষণ করা হয়েছে বলে জানিয়েছেন নির্যাতিতা৷‌ এমনকি অভিযুক্ত ব্যক্তির ভাইও তাঁকে ধর্ষণ করে৷‌ তাঁকে বাঙ্গুর হাসপাতালে মেডিক্যাল টেস্টের জন্য পাঠানো হয়েছে৷‌ পুলিস সূত্রে জানা গেছে, বিহারের বাসিন্দা সুভাষ মণ্ডল রিজেন্ট পার্কের বাঁশদ্রোণীর শ্রীকানন পল্লীতে থাকে৷‌ কয়েক বছর আগে এখানে ভাড়া আসে সে৷‌ স্ত্রী-র সঙ্গে থাকত৷‌ পরে স্ত্রীকে বিহারে রেখে আসে অভিযুক্ত৷‌ কলকাতায় কুরিয়ার সংস্হায় কাজ করে সুভাষ৷‌ নির্যাতিতা সুন্দরবনের বাসিন্দা৷‌ সুভাষের বাড়িতে ২০১৩ সাল থেকে পরিচারিকার কাজ করেন৷‌ এখানেই থাকতেন৷‌ থাকা-খাওয়া দিত সুভাষ৷‌ কয়েক মাস যাওয়ার পরে নির্যাতন শুরু হয়৷‌ প্রথমে অশ্লীল ভিডিও ফুটেজ তুলে তাঁকে ভয় দেখানো হয়৷‌ অভিযুক্ত বলে, এই ছবি এম এম এস এবং সিডি করে বাজারে ছড়িয়ে দেওয়া হবে৷‌ পরের দিকে বাড়িতে সুভাষ মদের আসর বসাত৷‌ সেখানে তাঁকে গণধর্ষণ করে অত্যাচার করা হত৷‌ এই ঘটনা যাতে বাইরের কেউ জানতে না পারে, তার জন্য ওই পরিচারিকাকে প্রাণনাশের হুমকিও দেওয়া হয়৷‌ বুধবার সাহস করে প্রতিবেশী বিষ্ণুপদ বণিক ও সঞ্জয় ঘোষকে বিষয়টি জানান নির্যাতিতা৷‌ থানায় গিয়ে গণধর্ষণের অভিযোগ দায়ের করেন ওই পরিচারিকা৷‌ এদিন সন্ধেয় অভিযুক্ত বাড়িতে এলে গ্রেপ্তার করে পুলিস৷‌ বাকিদের খোঁজে তল্লাশি চলছে৷‌

    রাজ্যপালের কাছে নৈরাজ্যের নালিশ জানালেন মহিলারা, বাম বিধায়কেরাও

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    আজকালের প্রতিবেদন: রাজ্যে ক্রমবর্ধমান নারী নির্যাতন ও ধর্ষণ নিয়ে নতুন রাজ্যপালের দ্বারস্হ হল চার বাম মহিলা সংগঠন-সহ ১৮ নারী সংগঠনের যৌথ মঞ্চ 'নারী স্বাধীকার সমন্বয়'৷‌ একই সঙ্গে বুধবার বিকেলে ধর্ষণ ও শাসক দলের সন্ত্রাসের বিরুদ্ধে ব্যবস্হা নেওয়ার দাবি জানিয়ে রাজ্যপালের সঙ্গে দেখা করলেন বিধানসভার বাম পরিষদীয় দলের সদস্যরা৷‌ রাজ্যপাল তাঁদের বলেছেন, পশ্চিমবঙ্গের বিভিন্ন ঘটনা সম্পর্কে তিনি যথেষ্ট ওয়াকিবহাল৷‌ প্রতি মুহূর্তে তাঁর অফিস সমস্ত ঘটনা সম্পর্কে তথ্য সংগ্রহ করছে৷‌ প্রতিনিধি দলের সদস্যদের দাবি, রাজ্যপাল তাঁদের কথা দিয়েছেন, রাজ্যের ডি জি, আই জি ও মুখ্য সচিবের কাছ থেকে তিনি এই সব ঘটনার রিপোর্ট চাইবেন৷‌ দরকারে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জির সঙ্গেও কথা বলবেন৷‌ এদিন বিকেলে নারী স্বাধিকার সমন্বয়ের প্রতিনিধি দলে নেতৃত্ব দেন অধ্যাপিকা মালিনী ভট্টাচার্য৷‌ বাম পরিষদীয় দলের নেতৃত্বে ছিলেন আনিসুর রহমান৷‌ মালিনী ভট্টাচার্য সাংবাদিকদের বলেন, আমরা মাননীয় রাজ্যপাল কেশরীনাথ ত্রিপাঠীর কাছে লিখিতভাবে সমস্ত নারী নির্যাতন ও ধর্ষণের ঘটনার কথা জানিয়েছি৷‌ ধূপগুড়ির ঘটনা চিঠিতে না থাকলেও, মৌখিকভাবে জানিয়েছি৷‌ আমরা বলেছি, সুনিয়া থেকে শুরু করে কামদুনি, মধ্যমগ্রাম বা ধূপগুড়িতে ধর্ষণ করে খুনের মতো মারাত্মক ঘটনা ঘটেছে৷‌ পুলিস ধর্ষণকারীদের বিরুদ্ধে তো কোনও ব্যবস্হাই নেয়নি, উল্টে শাসক দল এই নির্যাতিতাদের পরিবারের লোকজনের ওপর হুমকি, শাসানি, অত্যাচার চালাচ্ছে৷‌ সে ক্ষেত্রেও নীরবতা রয়েছে পুলিসের৷‌ আমাদের অনুমান, পুলিস এই সমস্ত ঘটনায় মামলা এমনভাবে সাজাচ্ছে, যাতে ধর্ষণকারী ও খুনিরা পার পেয়ে যায়৷‌ এভাবে চলতে থাকলে রাজ্য চূড়াম্ত নৈরাজ্যের দিকে চলে যাবে৷‌ এখনই নিয়ন্ত্রণ করা উচিত৷‌ বাম পরিষদীয় দলে এদিন ছিলেন আনিসুর রহমান, সুভাষ নস্কর, গৌরাঙ্গ চ্যাটার্জি, প্রবোধ সিন‍্হা, অরুণ মহাপাত্র, বিরাম মান্ডি, বিজয় বাগদী, ইদ মহম্মদ ও আবদুর রহমান ব'৷‌ বিরোধী দলের ডেপুটি লিডার সুভাষ নস্কর বলেন, আমরা রাজ্যপালের কাছে এই অবস্হার সুরাহা চেয়েছি৷‌ এই সরকার ক্ষমতায় আসার পর থেকে রাজ্য জুড়ে বামপম্হীদের পার্টি অফিস ভেঙে, বামপম্হীদের বাড়ি, সম্পত্তির দখল নিয়ে অত্যাচার শুরু করে দিয়েছে৷‌ এ পর্যম্ত বামপম্হী সমর্থকদের তাঁদের নিজেদের বাড়িতে থাকার জন্য প্রায় ৬০ কোটি টাকা জরিমানা বা তোলা দিতে হয়েছে৷‌ ১৫৯০ জন বামপম্হীকে খুন হতে হয়েছে শাসক দলের কর্মীদের হাতে৷‌ পুলিস নির্বিকার৷‌ উল্টে আক্রাম্তদের নামে মিথ্যে মামলা দিতে শুরু করেছে৷‌ পাশাপাশি এ রাজ্যে এখন মহিলারা আর নিরাপদ থাকতে পারছেন না৷‌ রোজই কোথাও না কোথাও ধর্ষণ, শ্লীলতাহানির ঘটনা ঘটছে৷‌ সেখানেও পুলিস আক্রাম্তদের ছেড়ে অপরাধীদের নিরাপত্তা দিতে ব্যস্ত৷‌ এভাবে চললে পুলিস ও প্রশাসনের ওপর থেকে সাধারণ মানুষের ভরসা পুরোপুরি উঠে যাবে৷‌ চূড়াম্ত নৈরাজ্যের দিকে চলে যাবে রাজ্য৷‌ আনিসুর রহমান বলেন, আমরা রাজ্যপাল মহোদয়কে বলেছি, আপনি সাংবিধানিক প্রধান৷‌ আপনি সরকারের সঙ্গে কথা বলে ব্যবস্হা নিন৷‌ প্রতিনিধি দলের দাবি, রাজ্যপাল তাঁদের কথা দিয়েছেন সংবিধানের মধ্যে থেকে যা করা যায় তা তিনি করবেন৷‌ সরকারের সঙ্গে কথা বলবেন৷‌

    থানায় এসে অভিযোগ বিশ্বভারতীর নির্যাতিতার

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    চন্দ্রনাথ বন্দ্যোপাধ্যায়: শাম্তিনিকেতন, ৩ সেপ্টেম্বর– বিশ্বভারতীর কলাভবনের নির্যাতিতা শাম্তিনিকেতনে ফিরে এলেন৷‌ বুধবার তিনি নিজেই পুলিসের কাছে অভিযুক্তদের বিরুদ্ধে এফ আই আর দায়ের করেছেন৷‌ বোলপুরের এস ডি পি ও সূর্যপ্রতাপ যাদব ছাত্রী ও তাঁর বাবাকে বারবার জিজ্ঞাসা করেন বিশ্বভারতীর বিরুদ্ধে কোনও অভিযোগ আছে কি না৷‌ তাঁরা জানিয়ে দেন পরে ভাবনাচিম্তা করে বলবেন৷‌ এস ডি পি ও সাংবাদিকদের এ কথা জানিয়ে বলেন, আগামী কাল ছাত্রীটির আদালতে ১৬৪ ধারায় গোপন জবানবন্দী নেওয়া হবে৷‌ অন্যদিকে, বিশ্বভারতীর অভিযোগের ভিত্তিতে ধৃত তিন ছাত্রকে আজ আদালতে হাজির করানো হয়৷‌ তদম্তের স্বার্থে ধৃতদের আরও পাঁচ দিনের পুলিস হেফাজত হয়৷‌ আজ সকালে বাবার সঙ্গে ওই ছাত্রী ফেরেন শাম্তিনিকেতনে৷‌ কার্যত বোলপুর স্টেশন থেকে পাহাড়ী এলাকার ছাত্রছাত্রীরা তাঁদের ঘিরে নিয়ে আসেন শাম্তিনিকেতনের পুলিস তদম্ত কেন্দ্রে৷‌ এক মহিলা পুলিস অফিসারের কাছে ছাত্রীটি বয়ান লিপিবদ্ধ করেন৷‌ বিকেলে পুলিস কেন্দ্র ছাড়ার সময় ছাত্রীটির বাবা ভবানী প্রধান সন্ধ্যায় গৌর প্রাঙ্গণে সাংবাদিকদের ডাকেন৷‌ জানিয়েছেন, তাঁর মেয়ের বিশ্বভারতীতে পড়া না-পড়ার ব্যাপারটা এখন গৌণ, মুখ্য হল বিচার৷‌ এর জন্য তাঁকে যতদূর যেতে হয় তিনি যাবেন৷‌ এখানকার অনেক ছাত্র-শিক্ষক যেমন তাঁকে সহযোগিতা করেছেন, আবার অনেকে অসহযোগিতাও করেছেন৷‌ অন্যদিকে, প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি অধীররঞ্জন চৌধুরি আজ এই ঘটনার প্রতিবাদ জানাতে শাম্তিনিকেতনে প্রতিবাদ সভা করেন৷‌ তাঁর নেতৃত্বে কংগ্রেস নেতা সুশোভন বন্দ্যোপাধ্যায়, তপন সাহা, জেলা কংগ্রেসের সভাপতি সৈয়দ জিম্মি-সহ কংগ্রেসের এক প্রতিনিধি দল উপাচার্য সুশাম্ত দত্তগুপ্তের সঙ্গে দেখা করেন৷‌ বেরিয়ে এসে সাংবাদিকদের বলেন, বিশ্বভারতী কর্তৃপক্ষ পদক্ষেপ নিতে বিলম্ব কেন করলেন, তা নিয়ে উপাচার্যর সঙ্গে কথা হয়েছে৷‌ এদিকে, বিশ্বভারতী কর্তৃপক্ষ এদিন এক প্রেস বিজ্ঞপ্তি দিয়ে জানিয়েছেন, উপাচার্যের আমন্ত্রণে বিশ্বভারতী ও মুর্শিদাবাদের উন্নয়ন নিয়ে আলোচনার জন্য কংগ্রেস সাংসদ অধীর চৌধুরি এসেছিলেন৷‌ তবে তিনি সম্প্রতি কলাভবনের ঘটনায় বিশ্বভারতীর নেওয়া পদক্ষেপের জন্য উপাচার্যের কাছে সম্তোষ প্রকাশ করেছেন৷‌

    অনুব্রতের হুমকির সঙ্গে সাগর-হত্যার যোগ মেলেনি, কোর্টে জানালেন ডিজি

    অনুব্রত মণ্ডলের হুমকি দেওয়ার সঙ্গে সাগর ঘোষের খুনের ঘটনার সরাসরি কোনও যোগসূত্র পায়নি বিশেষ তদন্তকারী দল (সিট)। সেই কারণে অনুব্রবাবুকে এখনও গ্রেফতার করা হয়নি বা তাঁর বিরুদ্ধে চার্জশিট পেশ করা হয়নি। পাড়ুই-হত্যা মামলায় কলকাতা হাইকোর্টের বিচারপতি হরিশ টন্ডনের এজলাসে হাজির হয়ে রাজ্য পুলিশের ডিজি জিএমপি রাজাশেখর রেড্ডি এ কথাই জানিয়েছেন। বিচারপতি প্রশ্ন করেন, ডিজি-র কি কখনও মনে হয়েছিল যে অনুব্রতবাবুকে গ্রেফতার করা দরকার? এই প্রশ্নের জবাবে ডিজি বলেন, এটি একটি অন্য বিষয়। তিনি পুলিশ সুপারকে দ্রুত তদন্ত শেষ করতে বলেছেন। বিচারপতি প্রশ্ন করেন, ডিজি কি মনে করেন না যে দু'টি ঘটনার মধ্যে কোনও যোগসূত্র আছে?

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ভারতে শাখা খুলছে আল-কায়দা, জানালেন জাওয়াহিরি

    আল-কায়দার ভারতীয় শাখা স্থাপনের কথা ঘোষণা করলেন জঙ্গি সংগঠনের বর্তমান প্রধান আমন আল জাওয়াহিরি। বুধবার ৫৫ মিনিটের এক ভিডিও বার্তায় তিনি জানান, ভারতীয় উপমহাদেশ জুড়ে 'জিহাদের পতাকা'তুলে ধরতেই এই শাখার সূচনা। একই সঙ্গে আফগানিস্তানের পলাতক তালিবান নেতা মোল্লা ওমরের প্রতি তাঁর বিশ্বস্ততা বজায় থাকবে বলেও জানিয়েছেন জাওয়াহিরি।

    সংবাদ সংস্থা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    সদানন্দ গৌড়ার ছেলের বিরুদ্ধে গ্রেফতারি পরোয়ানা

    ধর্ষণ, প্রতারণা ও অপহরণের অভিযোগে এ বার গ্রেফতারি পরোয়ানা জারি হল কেন্দ্রীয় মন্ত্রী সদানন্দ গৌড়ার ছেলে কার্তিক গৌড়ার বিরুদ্ধে। বৃহস্পতিবার তাঁর বিরুদ্ধে এই পরোয়ানা জারি করে বেঙ্গালুরুর একটি আদালত। কার্তিকের বিরুদ্ধে বিয়ের নাম করে প্রতারণার অভিযোগ তুলেছিলেন কর্নাটকের এক মডেল তথা উঠতি অভিনেত্রী।

    সংবাদ সংস্থা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    বেলুড়ে লাইন পেরোতে গিয়ে ট্রেনের ধাক্কায় মৃত ছাত্রী

    কলেজ নেই তাই শুধু টিউশান সেরেই তাড়াতাড়ি বাড়ি ফিরে আসবে বলে বেরিয়েছিল একুশ বছরের তরুণীটি। কিন্তু আধ ঘন্টার মধ্যেই তাঁর পরিবারের লোকজন পরিচিতদের ফোনে জানতে পারলেন হাসপাতালে পড়ে রয়েছে ওই তরুণীর নিথর দেহ। রেল লাইন পেরতে গিয়ে ট্রেনের ধাক্কায় তাঁর মৃত্যু হয়েছে। যদিও কয়েক জন প্রত্যক্ষদর্শীর দাবি কানে হেড ফোন লাগানো থাকায় ট্রেনের আওয়াজ শুনতে না পাওয়াতেই এই দুর্ঘটনা ঘটেছে।

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    যুক্তরাষ্ট্র ওপেনের ফাইনালে সানিয়া

    জীবনের তৃতীয় গ্র্যান্ড স্ল্যাম খেতাব জয়ের থেকে আর মাত্র এক ম্যাচ দুরে সানিয়া মির্জা। বুধবার গভীর রাতে ব্রাজিলীয় পার্টনার ব্রুনো সোরেসকে সঙ্গী করে যুক্তরাষ্ট্র ওপেনের ফাইনালে পৌঁছলেন তিনি। তবে সেমিফাইনালে শীর্ষবাছাই ইন্দো-ব্রাজিলিয়ান জুটিকে তাইপে-জার্মানির অবাছাই জুটিকে হারাতে বেশ বেগ পেতে হয়। দেড় ঘণ্টার বেশি চলা ম্যাচে ৭-৫, ৪-৬, ১০-৭ ফলে জেতেন সানিয়ারা। ফাইনালে তাঁদের সামনে মার্কিন-মেক্সিকোর অবাছাই জুটি।

    সংবাদ সংস্থা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ভবানীপুরে ২৭ ক্লাবে কোটি টাকা সারদার

    টাকা তো নয়, যেন খোলামকুচি! দু'সপ্তাহের মধ্যে কলকাতার ২৭টি ক্লাবকে প্রায় এক কোটি টাকা দিয়েছিলেন সারদা-কর্তা সুদীপ্ত সেন। সারদা কেলেঙ্কারির তদন্তে নেমে এই তথ্য হাতে এসেছে সিবিআইয়ের। তার চেয়েও বড় কথা হল, যে সময়ে এবং যে এলাকার ক্লাবকে ওই টাকা দেওয়া হয়েছিল, সেটা থেকেই বড় রহস্যের গন্ধ পাচ্ছেন কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থার তদন্তকারীরা। তাঁদের একাংশের ধারণা, ওই টাকা বিলোনোর পিছনে রীতিমতো রাজনৈতিক অঙ্ক ছিল।

    শুভাশিস ঘটক
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    মুকুলের মন্তব্যের নাগপাশে জড়াচ্ছে তৃণমূল

    শুরু করেছিলেন ছেলে। এ বার সুর ধরলেন বাবা! ধাপে ধাপে তবে কি বৃহত্তর কোনও পরিকল্পনার দিকে এগোচ্ছেন রায়-বাহিনী? তৃণমূলের অন্দর মহল ফুটছে এমনই জল্পনায়! রেল-সারদা যোগাযোগ নিয়ে দলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়ের মন্তব্য শাসক দলে তোলপাড় ফেলে দিয়েছে।

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ব্যাঙ্কে সিবিআই হানা, নাম মিলল প্রভাবশালীদের

    সারদার ব্যাঙ্ক-নথি থেকেও এ বার প্রভাবশালী ব্যক্তিদের নাম পেল সিবিআই। কারা সেই প্রভাবশালী ব্যক্তি, তা অবশ্য খোলসা করে বলেননি তদন্তকারীরা। তবে বেশ কয়েক জন প্রভাবশালীর সঙ্গে সারদার সম্পর্ক নিয়ে যে তথ্য ইতিমধ্যেই সিবিআইয়ের হাতে এসেছে, তার সঙ্গে এই ব্যাঙ্ক থেকে পাওয়া নথি মিলিয়ে দেখা হবে বলে গোয়েন্দা সূত্রে জানা গিয়েছে।

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ঝক্কি এড়াতেই সারদার কিছু বন্দির জেল বদল

    শুধু আলিপুর সেন্ট্রাল জেলেই সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক কেলেঙ্কারির ছ'জন তাবড় বন্দির ভিড় হয়ে গিয়েছিল। অচিরেই ওই ঘটনায় আরও কয়েক জনকে সেখানে পাঠানোর সম্ভাবনা আছে। সারদা কাণ্ডের মতো মামলার এত অভিযুক্তকে একই জেলে বেশি দিন রাখাটা তাঁদের নিরাপত্তার দিক থেকে ঝুঁকি হয়ে যাবে বলে মনে করছে কারা দফতর। সেই জন্য ওই অভিযুক্তদের কলকাতা এবং পার্শ্ববর্তী কয়েকটি কারাগারে ছড়িয়ে দেওয়া হচ্ছে।

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    সিন্ডিকেটে রক্ষা নেই, জরিমানার বিষফোড়া

    প্রায় কোটি টাকা দিয়ে কেনা আধ একর জমির উপরে এত দিনে ছ'তলা বাড়ি তৈরি হয়ে যাওয়ার কথা। রয়্যাল ব্যাঙ্ক অব স্কটল্যান্ড, বার্কলেজ, ব্যাঙ্ক অব আমেরিকার মতো প্রথম সারির ব্যাঙ্কগুলির কাজ নিয়ে দিনরাত ব্যস্ত থাকার কথা ৪০০ অ্যানালিস্টের। কিন্তু জমি নেওয়ার সাত বছর পরে সব মিলিয়ে সাড়ে তিন কোটি টাকা লগ্নি করেও অফিস চালু করে উঠতে পারেননি কলকাতায় ছোটবেলা কাটিয়ে ইংল্যান্ডে থিতু হওয়া এক ব্যবসায়ী। সিন্ডিকেটের দাপট আর হিডকো-র আইনি চোখরাঙানিতে নিজের শিকড়ে ফেরার স্বপ্ন এখন দুঃস্বপ্ন বলে মনে হয় তাঁর। জোড়া চাপে এতটাই সন্ত্রস্ত তিনি, যে নিজের বা সংস্থার নামটুকু পর্যন্ত প্রকাশ্যে আনতে রাজি নন।

    গার্গী গুহঠাকুরতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    এত উদ্বৃত্ত, তবু কেন আরও চার জলবিদ্যুৎ প্রকল্প

    তাঁর উত্তরবঙ্গ সফরের মধ্যে তিস্তা এবং রাম্মাম নদীর উপরে চারটি জলবিদ্যুৎ প্রকল্প গড়ার কথা ঘোষণা করেছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। মোট ৩০০ মেগাওয়াট ক্ষমতাসম্পন্ন প্রকল্পগুলি নির্মাণের কথা রাষ্ট্রায়ত্ত সংস্থা এনএইচপিসি-র।

    পিনাকী বন্দ্যোপাধ্যায়
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    লেপচা বোর্ডের অনুষ্ঠানেই সরকারি প্রকল্পের উদ্বোধন, অসন্তোষ পাহাড়ে

    লেপচা উন্নয়ন পর্ষদের অনুষ্ঠানে গিয়ে তাঁদের কাজের প্রশংসা করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। কিন্তু তারপরে বুধবার ওই অনুষ্ঠানের মঞ্চ থেকেই মুখ্যমন্ত্রী রাজ্য সরকারের একাধিক প্রকল্পেরও উদ্বোধন করায় পাহাড়ে লেপচাদের একাংশ ক্ষুব্ধ। তাঁদের বক্তব্য, এই অনুষ্ঠান সরকারি মঞ্চ হিসেবেও ব্যবহৃত হওয়ায় পর্ষদের স্বাতন্ত্র্য নিয়েই প্রশ্ন উঠতে পারে।

    কিশোর সাহা ও রেজা প্রধান
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    'ইকবাল'-এর বোন মধুচক্রে, হতবাক ফিল্মি দুনিয়া

    জাতীয় পুরস্কারের মঞ্চে ছোট্ট মেয়েটি। ২০০২ সালে 'মাকড়ি'ছবিতে যমজ বোন চুন্নি ও মুন্নির চরিত্রে অসাধারণ অভিনয়ের জন্য। কাট... ২০১৪। হায়দরাবাদের বানজারা হিলসের একটি নামিদামি হোটেলের মধুচক্রের আসর থেকে পুলিশ টেনে বার করছে সেই মেয়েটিকেই! 'মর্দানি'ছবিতে শিবানী শিবাজী রায়-রূপী রানি মুখোপাধ্যায় যখন নারীপাচারকারীদের ধোলাই দিয়ে নিষিদ্ধপল্লি থেকে মেয়েদের উদ্ধার করে সারা দেশের প্রশংসা কুড়োচ্ছেন, তখন রবিবার মধুচক্রের আসর থেকে বছর তেইশের শ্বেতা বসু প্রসাদের গ্রেফতার হওয়ার ঘটনায় হতবাক চলচ্চিত্র মহল।

    প্রিয়াঙ্কা দাশগুপ্ত
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    বেল বাজিয়ে বাড়িতে হামলা, রক্ষা দিল্লির বিধায়কের

    ভোর বেলা একাধিক বার বেলের শব্দ শুনে দরজা খুলেছিলেন বিধায়ক। অজ্ঞাতপরিচয় এক ব্যক্তি তখন জানিয়েছিল চাকরির ইন্টারভিউয়ের জন্য কিছু কাগজে সই লাগবে তাঁর। এর পর সই করার জন্য বাড়ির ভিতরে ঢুকতে গেলে সটান পিস্তল বার করে গুলি ছুড়তে থাকে ওই অজ্ঞাতপরিচয় ব্যক্তি। কোনও মতে দুষ্কৃতীর নাগাল ছাড়িয়ে প্রাণে বেঁচেছেন দিল্লির শাহদারা কেন্দ্রের বিজেপি বিধায়ক জিতেন্দ্র সিংহ শান্টি।

    সংবাদ সংস্থা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    বিশ্বভারতী-কাণ্ডে রাষ্ট্রপতির কাছে চিঠি কমিশনের

    বিশ্বভারতীতে পর পর উঠছে যৌন নিগ্রহের অভিযোগ। বিশেষত ভিন্‌-রাজ্যের ছাত্রীকে যৌন নির্যাতনে অভিযুক্তদের আড়াল করার অভিযোগও উঠেছে কর্তৃপক্ষের বিরুদ্ধে। তারই প্রেক্ষিতে বুধবার রাষ্ট্রপতি প্রণব মুখোপাধ্যায়ের কাছে চিঠি পাঠিয়ে ক্ষোভ জানালো রাজ্য মহিলা কমিশন। রাষ্ট্রপতির কাছে উপাচার্য সুশান্ত দত্তগুপ্ত এবং কলাভবনের অধ্যক্ষ শিশির সাহানার বিরুদ্ধে ব্যবস্থা নেওয়ার সুপারিশও করেছে তারা।

    নিজস্ব প্রতিবেদন
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    'শ্লীলতাহানি'র রিপোর্ট দেবে কমিটি

    হস্টেলের ঘরে বন্ধ করে ছাত্রীর শ্লীলতাহানির অভিযোগ খতিয়ে দেখার দায়িত্ব বিশ্ববিদ্যালয়ের অভ্যন্তরীণ অভিযোগ কমিটি আইসিসি-কে দিলেন যাদবপুর-কর্তৃপক্ষ। বিশ্ববিদ্যালয়ের রেজিস্ট্রার প্রদীপ ঘোষ বুধবার এ কথা জানান। যত দ্রুত সম্ভব অভিযোগ খতিয়ে দেখে কর্তৃপক্ষের কাছে রিপোর্ট জমা দিতে হবে ওই কমিটিকে।

    নিজস্ব সংবাদদাতা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ইংল্যান্ড পরীক্ষায় ফেলল কোথায়, তাচ্ছিল্য ধোনির

    ইংল্যান্ডের বিরুদ্ধে মহেন্দ্র সিংহ ধোনিদের একপেশে ওয়ান ডে সিরিজ জয় নিয়ে যখন তুমুল হইচই চলছে, ২০১৫ ক্রিকেট বিশ্বকাপে ভারত ফেভারিট কি না তা নিয়ে যখন আলোচনা চলছে, তখন ভারত অধিনায়ক ঠারেঠোরে বলে দিলেন যে, ইংল্যান্ডের বিরুদ্ধে পরীক্ষাটাই হল না! ওয়ান ডে সিরিজে ভারতকে ন্যূনতম ঝামেলাতেও ফেলতে পারেনি অ্যালিস্টার কুকের টিম।

    সংবাদ সংস্থা
    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    নেইমার বনাম জুনিগা ছাপিয়ে শুরু বিশ্ব বনাম ব্রাজিল

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    ক্লাবের কথা ভেবে দেশের জার্সিতে আপাতত নেই মেসি

    10-1

    মেজাজে বালোতেলি হয়ে বাগানে নতুন যন্ত্রণা বোয়া

    5-1

    নাটকীয় চড়াই-উতরাইয়ের কোর্টে সানিয়ার 'মর্দানি'



    দেশ

    বিতর্ক সঙ্গী করে রাজ্যপাল সদাশিবম

    সুপ্রিম কোর্টের প্রাক্তন প্রধান বিচারপতি পালানিস্বামী সদাশিবমকে কেরলের রাজ্যপাল পদে নিয়োগ করল নরেন্দ্র মোদী সরকার। পঁয়ষট্টি বছর বয়সি সদাশিবম এ বছরেরই এপ্রিলে অবসর নিয়েছিলেন।

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    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    রাজ্য

    শঙ্কুদের রাশ টানতে

    টিএমসিপি-তে উপদেষ্টা কমিটি

    অবশেষে মাথার উপরে একটি উপদেষ্টা কমিটি বসিয়ে শঙ্কুদেব পণ্ডা এবং তাঁর টিএমসিপিকে লাগাম পরানোর চেষ্টায় নামলেন তৃণমূল নেতৃত্ব। এর আগে শিক্ষামন্ত্রী একাধিক বার সতর্ক করে সংযত হতে বলেছেন।

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    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    জীবজগৎ ও পরিবেশ

    দু'শো বছরেও কি সাফ

    হবে গঙ্গা: সুপ্রিম কোর্ট

    যে ভাবে কাজ চলছে তাতে আগামী ২০০ বছরেও গঙ্গা সাফ হবে কি না, বুধবার সেই প্রশ্ন তুলল সুপ্রিম কোর্ট। লোকসভা ভোটের আগে নরেন্দ্র মোদীর অন্যতম প্রতিশ্রুতি ছিল, গঙ্গা দূষণ নিয়ন্ত্রণ।

    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    কলকাতা

    ভাঙা পথে বেপরোয়া বাস,

    সল্টলেকে বলি স্কুলশিক্ষিকা

    সল্টলেকে একের পর এক দুর্ঘটনার পরে প্রশাসন নানা প্রতিশ্রুতি দিচ্ছে। কিন্তু রাস্তা মেরামতি, ট্রাফিক পুলিশ মোতায়েন, গাড়িচালকদের কর্মশালাই সার। বিরাম নেই দুর্ঘটনা ও মৃত্যুর। বুধবার সকালেই ফের সল্টলেকে পথ দুর্ঘটনায় মৃত্যু হল বছর পঞ্চাশের এক স্কুলশিক্ষিকার।

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    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    কলকাতা

    কমিটি গড়লেই আগুন

    রোখা যায় না: সুব্রত

    শহরের অগ্নি-সুরক্ষায় কোনও কমিটির সুপারিশই যে ঠিকমতো কার্যকর হয়নি, তা প্রমাণিত। মঙ্গলবার চ্যাটার্জি ইন্টারন্যাশনালে অগ্নিকাণ্ডের পরে এ বার এই ভাবে কমিটি গড়ার যৌক্তিকতা নিয়েই প্রশ্ন তুলে দিলেন কলকাতার প্রাক্তন মেয়র তথা রাজ্যের বর্তমান মন্ত্রী সুব্রত মুখোপাধ্যায়।

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    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    রাজ্য

    ঝর্নার দাবি 'নাক গলাইনি',

    উল্টো বলছে আরামবাগ

    আরামবাগ এলাকায় মানুষের 'ব্যক্তিজীবনে'নাক গলানোই 'কাল'হয়েছিল সিপিএমের। লোকসভা নির্বাচনে ভরাডুবির পরে হারের কারণ বিশ্লেষণে বসে দলের আরামবাগ-গোঘাট এলাকার নেতাদের সামনে এমনই তথ্য উঠে এসেছিল।

    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    নদিয়া-মুর্শিদাবাদ

    গোল বাঁচাতেন, ছাত্র

    গড়তেন হুইলার সাহেব

    তিনিই ছিলেন কলেজ টিমের গোলকিপার। আবার ছাত্রদের কারও মাথায় যন্ত্রণা হলে মাথা টিপে দিতেন তিনি। আবার কোনও ক্লাসে অধ্যাপক না এলে তিনিই ক্লাস নিতেন। বহরমপুর কৃষ্ণনাথ কলেজের কিংবদন্তি অধ্যক্ষ রেভারেন্ড এডওয়ার্ড মন্টেগো হুইলার এমনই ব্যতিক্রমী শিক্ষক ছিলেন।

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    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    বিদেশ

    সাংবাদিক হত্যায় পাল্টা

    জবাব ওবামারও

    জেমস ফোলির পর স্টিভেন সটলফ। চোদ্দো দিনের ব্যবধানে ইন্টারনেটে ফের এক মার্কিন সাংবাদিকের মুণ্ডচ্ছেদের ভিডিও। যার শিরোনাম 'আমেরিকার কাছে দ্বিতীয় বার্তা।'আইএসের (ইসলামিক স্টেট) পোস্ট করা গত কালের ভিডিওটির সত্যতা আজই স্বীকার করেছে আমেরিকা।

    ০৪ সেপ্টেম্বর, ২০১৪
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    ধর্ষণ

    উইকিপিডিয়া, মুক্ত বিশ্বকোষ থেকে
    ধর্ষণ একপ্রকার যৌন অত্যাচার। সঙ্গী বা সঙ্গিনীর ইচ্ছার বিরুদ্ধে বা অনুমতি ব্যতিরেকে যৌনাঙ্গের মিলন ঘটিয়ে বা না ঘটিয়েযৌন সংগমেলিপ্ত হওয়াকে ধর্ষণ বলা হয়।
    ধর্ষণের সংবাদ প্রকাশ, বিচার ও অভিযুক্তের শাস্তিপ্রদানের হার বিভিন্ন বিচার ব্যবস্থায় বিভিন্ন প্রকার। মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র বিচার পরিসংখ্যান ব্যুরো-র (১৯৯৯) হিসেব অনুসারে সেদেশের ধর্ষিতদের মধ্যে ৯১% মহিলা ও ৯% পুরুষ এবং ৯৯% ক্ষেত্রেই অপরাধী পুরুষ।[১]মহিলাদের একটি সমীক্ষা অনুযায়ী, যাঁরা তাঁদের উপর যৌন অত্যাচারের কথা স্বীকার করেন, তাঁদের মাত্র দুই শতাংশ বলেন যে তাঁরা কোনো অপরিচিত ব্যক্তির দ্বারা ধর্ষিত হয়েছেন।[২]পুরুষদের ক্ষেত্রে কারাগারে পুরুষ কর্তৃক পুরুষের ধর্ষণএকটি গুরুতর সমস্যা। একাধিক গবেষণা থাকে জানা যায়, পুরুষ-পুরুষ বন্দী ধর্ষণ ধর্ষণের সর্বাধিক পরিচিত একটি ধরন। অথচ এই ধর্ষণের সংবাদই সবচেয়ে কম প্রকাশ্যে আসে। কয়েকটি গবেষণা থেকে আরও জানা যায় যে এই ধরনের ধর্ষণের সংখ্যা সাধারণ জনসংখ্যায় পুরুষ-নারী ধর্ষণের মাথাপিছু ও আনুমানিক সংখ্যার চেয়েও বেশি।[৩][৪][৫]
    ধর্ষণ ও যৌন ক্রীতদাসত্ববহুপরিচিত ও বহু-অনুশীলিত অভ্যাস হলেও এটি মানবতার বিরুদ্ধে সংঘটিত অপরাধযুদ্ধাপরাধহিসেবেই গণ্য করা হয়। এছাড়াও ধর্ষণ গণহত্যাঅপরাধের একটি উপাদান; বিশেষত যখন কোনো জাতিগোষ্ঠীকে সম্পূর্ণত বা আংশিকভাবে ধ্বংস করার উদ্দেশ্যে গণহত্যা ঘটানো হয়ে থাকে।

    পাদটীকা[সম্পাদনা]

    আরও পড়ুন[সম্পাদনা]

    • Smith, Merril D. (2004)। Encyclopedia of rape। Westport, Conn: Greenwood Press। আইএসবিএন0-313-32687-8
    • King, Michael B.; Mezey, Gillian C. (2000)। Male victims of sexual assault। Oxford [Oxfordshire]: Oxford University Press।আইএসবিএন0-19-262932-8
    • Marnie E., PHD. Rice; Lalumiere, Martin L.; Vernon L., PHD. Quinsey (2005)। The Causes Of Rape: Understanding Individual Differences In Male Propensity For Sexual Aggression (The Law and Public Policy.)। American Psychological Association (APA)। আইএসবিএন1-59147-186-9
    • Palmer, Craig; Thornhill, Randy (2000)। A natural history of rape biological bases of sexual coercion। Cambridge, Mass: MIT Press। আইএসবিএন0-585-08200-6
    • Denov, Myriam S. (2004)। Perspectives on female sex offending: a culture of denial। Aldershot, Hants, England: Ashgate। আইএসবিএন0-7546-3565-1
    • Bergen, Raquel Kennedy (1996)। Wife rape: understanding the response of survivors and service providers। Thousand Oaks: Sage Publications। আইএসবিএন0-8039-7240-7
    • Groth, Nicholas A. (1979)। Men Who Rape: The Psychology of the Offender। New York, NY: Plenum Press। পৃ: 227।আইএসবিএন0-738-20624-5
    • Shapcott, David (1988)। 'The Face of the Rapist। Auckland, NZ: Penguin Books। পৃ: 234। আইএসবিএন0-14009-335-4
    • Lee, Ellis (1989)। Theories of Rape: Inquiries Into the Causes of Rape। Taylor & Francis। পৃ: 185। আইএসবিএন0-89116-172-4
    • McKibbin, W.F., Shackelford, T.K., Goetz, A.T., & Starratt, V.G. (2008). Why do men rape? An evolutionary psychological perspective. Review of General Psychology, 12, 86-97. Full text

    বহিঃসংযোগ[সম্পাদনা]

    डिजिटल देश की नालेज इकोनामी में नवजागरण के अवसान के मध्य स्थाई शाखा बंदोबस्त और नाबालिग बलात्कार को वैधता पलाश विश्वास

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    डिजिटल देश की नालेज इकोनामी में नवजागरण के अवसान के मध्य स्थाई शाखा बंदोबस्त और नाबालिग बलात्कार को वैधता


    पलाश विश्वास


    लोकतंत्र हमारे लिए बस मताधिकार है।


    चूंकि राजकाज में आम जनता की हिस्सेदारी और राजकाज पर जनता का नियंत्रण समता और न्याय के सिद्धांतों के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व की मांग से हमारे लोकतंत्र को भारी खतरा हो जाता है।नकसलियों से निपटने के नये सलवा जुड़ुम मोसाद की जरुरत पड़ जाती है और राष्ट्रद्रोह के मामले में फसने से बेहतर खामोशी भली है।


    पर्यावरण और प्रकृति इस लोकतंत्र के निशाने पर हैं तो नागिरकता,नागरिक और मावाधिकार सिरे से गैरप्रासंगिक है और इसीलिए हम आंतरिक सुरक्षा के नाम पर विधर्मियों और दिगर नस्लों ,जातियों और समूहों के कत्लेआम से लोकतांत्रिक तौर तरीके सा गा गा ग्लाड थैंक यू मिस्टर ग्लाड हो जाते है।


    इसीलिए कश्मीर,पूर्वोत्तर,मध्यभारत,समूचे आदिवासी भूगोल और तमिलनाडु से हमारे देलोदिमाग के तार किसी भी स्तर पर नहीं जुड़ते।


    धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के आवह संगीत में किसी वध्य निर्दोष की चीखें हम तक नहीं पहुंचतीं।


    तेल कुओं में खाक होती मनुष्यता और गाजापट्टी में निरंकुश नरसंहार के जश्न के तहत हम गायपट्टी को गाजापट्टी में तब्दील करके लोकतंत्र का उत्सव मनाते हैं।


    त्योहारी माहौल में बाजार सजे हैं।


    नेट पर धमाल है तो टीवी पर ब्रांडेड धारावाहिक महिषमर्दिनी है।


    अनार्य जो तमाम असुर दैत्य दानव दस्यु किन्नर,राक्षस,प्रेत प्रजातियां है चिन्हित सहस्राब्दियों से ,उनके बध के पुरातन इतिहास को दोहराने का यह ग्लोबल समय है।सारे मिथक नये सिरे से गढ़े जा रहे हैं।जैस मोहंजोदोड़ो हड़प्पा का पौराणिक वैदिकी इतिहास।


    सारे वेद पुराण उपनिषद महाकाव्यस्मृतियां ब्राह्मण नये सिरे से गढ़े जा रहे हैं।


    क्षेपकों की बहार है।


    पश्चिमी साहित्य में वह मासलता है ही नहीं,जो संस्कृति साहित्य में हैं जहां स्त्री देह का चात्कारिक वैभव कालिदास है और देव देवियों, ऋषि मुनियों के उन्मुक्त संबंध हैंं।नीली संस्कृति की ग्लोबल दुनिया की नींव दरअसल वही है।


    रामराज्य में निशाने पर फिर वहीं स्त्रियां।


    ईश्वरचंद्र विद्यासागर और राजा राममोहन राय के नवजागरण से हिंदुत्व का म्लेच्छीकरण का शुद्धिकरण का समय है यह।


    दिल्ली में अदालती फैसला बाल विवाह को वैधता देने का नामांतर है।


    नाबालिग विवाहिता का पतिसंगे सहवास बलात्कार नहीं है,सिद्धातंतः गौरीदान की प्राचीन परंपराओं का पुनर्वास है तो रामराज्य में मनुस्मृति अनुशासन लागू करने की ऐतिहासिक पहल भी यह है।


    वैसे ही धर्मगुरुओं का विचार है कि इस्लाम की तरह मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर बनवाते हुए कारसेवा के मध्य एक स्त्री एक पुरुष के जन्म जन्मातर के बंधन का परित्याग का समय है यह और हिंदु पुरुषों को भी बहुविवाह की इजाजत होनी चाहिए।

    बापुओं और स्वामियों के मुक्ताबाजारी समय का चरमोत्कर्ष है यह।


    बाल विवाह को वैधता की पहल, बहुविवाह की धर्मपीठ से वकालत और सती प्रथा के पक्ष में संपादकीय,हिंदुत्व पुनरुत्थान और हिंदू राष्ट्र के लिए नवजागरण के कफन पर कीले ठोंकने के लिए अब हर स्त्री को नगरवधू आम्रपाली बन जाने या फिर शाश्वत वैधव्य का अनुशासित संयमित उपवासी विकल्प अपनाने का विकल्प चुनने के लिए बाध्य करने के ग्लोबल पुरुषतांत्रिक उपक्रम की ही गुंजाइश बाकी है।


    नीतिगत विकलांगकता के अंत और लक्ष्यपूर्ति की सुनियोजित सर्जरी के मध्य अब भारत ही नहीं,आतंक के विरुद्ध अमेरिका के नये युद्ध के मध्य जापान सहयोगे इजराइल के बिना शर्त समर्थने अब नहीं बना अखंड हिंदू साम्राज्य तो फिर कभी नहीं।कभी नहीं।


    विवाह मार्फते नाबालिग से बलात्कार को वैधता देने वाले इस अदालती फैसले से यूरोप,अमेरिका,मध्यपूर्व से लेकर  बांग्लादेश पाकिस्तान के मीडिया में सुनामी आ जाने के बावजूद भारतीय मीडिया की पचनशील पाचन प्रक्रिया में किसी पत्थर का शोर भी नहीं है।कहीं कोई पत्ता भी नहीं खड़का है।


    पश्चिम बंगीय मीडिया में उल्लेख भी नहीं है नवजागरण के अंत का तो बांग्लादेश में बाकायदा जश्न का माहौल है क्योंकि स्त्री सशक्तीकरण के उस नवजागरण के असर को मिटाने के लिए ही रक्तपात उपक्रम है बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का,क्योंकि भारत मुक्त बाजार है तो इस्लामी राष्ट्र बांग्लादेश में अब भी बौद्धमय भारत के अवशेष मौजूद है।


    और भारत के साथ बाल विवाह निषेध के ब्रिटिश कानून का 1929 का संस्करण बंग्लादेश में भी लागू है जो नाबालिग कन्याओं के साथ निरंकुश यौनाचार का निषेध करता है।


    विरोधाभास विचित्र किंतु सत्य है कि हिंदू राष्ट्र का यह सिद्धांत हिंदुत्व के घोषित दुश्मन इस्लामी जिहादियों को सबसे ज्यादा आह्लादित कर रहा है।लेकिन भारत में धर्मनिरपेक्षता और स्त्री की देहमुक्ति के मंचों से अभी किसी तूफान का कोई अंदेशा है नहीं।सबको केसरिया कारपोरेट राज का गाजर भाने लगा है और बगुला भगत चोले का शबाबी हुस्न बहकाने लगी है।


    गौरतलब है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत कारोबार के नियंत्रक जो राथचाइल्टस और राकफेलर परिवार रहे हैं,भारत में आर्थिक सुधारों के लिए अश्वमेध अभियान की कमान भी फिर उन्हीं हाथों में हैं।


    उन्हींके किराये के जो हाथ फोर्ट विलियम बनाकर ला्रड हेस्टिंग्स के सांढ़ को छुट्टा छोड़ रहे थे ,वे ही हाथ अफ्रीकी देशों की तरह अखंड भारत के गर्भ से अश्वेत प्रजातियों के स्त्री पुरुष गुलामों को अमेरिका और लातिन अमेरिका भेज रहे थे ।


    और उन्हीं गुलामों के उत्तराधिकारी उत्तर आधुनिक अनिवासी भारतवंशी हैं।जिनके पुरखों को जानवरों की तरह बाड़ों में बंद रखा जाता था और सस्ते या मुप्त और बंधुआ श्रमिकों के लिए उनके पुरखे माताओं पिताओं से ब्रीडिंग करायी जाती थी।


    ऐसी ब्रीडिंग नस्ल के ही हैं मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक हुसैन ओबामा।भारत में भी सनातल जगत सेठों के वंशधरों के ही हवाले है राजकाज केसरिया कारपोरेट।


    इसी संदर्भ ओ प्रसंगे सविनय निवेदन है कि संजोग से जापानी पूंजी को न्योता देने गये भारत के मुख्य स्वयंसेवक ने जापानी उद्योग को भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम और कायदे कानून में पूंजी हित में जरूरी संशोधन का वादा किया है।


    राष्ट्रव्यापी संबोधन में फिर उन्होंने पचास करोड़ के करीब युवाओं के समक्ष जापानी फासीवाद और नाजी परंपराओं का लगातार महिमामंडन किया है।


    मामला बस इतना ही नहीं है।


    प्रधान स्वयंसेवक के राजकाज में प्रकृति पर्यावरण नागरिक मानवाधिकार की आवाज उठा रहे गैरसरकारी गैरसंघी स्वयंसेवी संगठनों , उन एनजीओ समूहों को नाथने का स्थाई बंदोबस्त भी कर लिया है जिनकी वजह से लाखों करोड़ की विदेशी पूंजी लंबित परियोजनाओं में फंसी हुई है।


    उन लाखों करोड़ की बहुराष्ट्रीय लंबित परियोजनाओं का वृद्धि दर में बाधक और वित्तीयघाटा का अहम कारक बताया जा रहै है,जिन्हें हरी झंडी देने का कार्यभार किसी और को नहीं,माननीय कारपोरेट एकमुश्त रक्षा वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी नहीं,बल्कि नागपुर मुख्यालय के ध्वजावाहक प्रकाश जावड़ेकर को सौंपा गया है।

    उन्हीं एनजीओ समुदाय को विदेशी फंडिंग से वंचित करने की राजनयिक तत्परता के साथ साथ सीधे पीएमओ मंत्रालय के माध्यम से प्रोजेक्ट मार्फत ग्राउंड वर्क के लिए फंडिंग बजरिये समांतर केशरिया नेटवर्क बनाना शुरु कर दिया है।इ


    इस पर हमने पहले भी विस्तार से लिखा है।


    जो लोग मानवसंसाधन विकास हेतु शिक्षामंत्री की योग्यता की खिल्ली उड़ाने में वक्त जाया कर रहे हैं,उनसे निवेदन है कि उनकी नागपुर संबद्ध निर्णायक भूमिका को आंकिये कम नहीं।सीरियल की बहू यूं ही देश की शिक्षा मंत्री बनी नहीं हैं।वे कोई व्यक्ति नहीं,संस्था है।जिसका संचालन भी संस्थागत है।इस समझिये।


    प्रधान स्वयंसेवक ने जो मेधा वर्ग से शैक्षिक संस्थानों में पीरियड निःशुल्क लेकर स्वयंसेवी शिक्षकों का नया वर्ग खड़ा करने का उपक्रम शुरु कर दिया है,उसके गुणात्मक परिणाम पर भी फुरसत में  सोचिये।यह भी संघी संस्थागत उपक्रम है।


    डिजिटल देश की नालेज इकोनामी में संघप्रतिबद्ध स्वयंसेवक इन नवशिक्षकों के माध्यमे मैकाले की शिक्षा व्यवस्था के अंत हेतु हिंदुत्व की दीक्षा और तदुपरांत दीक्षांत का स्थाई बंदबस्त है यह अति संस्थागत।


    हर शैक्षिक संस्थान में नियमित शाखा लगाने का स्थाई बंदोबस्त है यह दरअसल।


    मतलब यह कि तकनीक समृद्ध डिजिटल बायोमैट्रिक नई पीढ़ी नीली उपभोग संस्कृति के तहत मुक्त बाजार के धारक वाहक तो होंगे ही,उसके साथ ही वे हिंदू राष्ट्र के सिपाहसालार बनाये भी जायेंगे,ऐसा स्थाई संस्थागत बंदोबस्त हो गया।


    कांग्रेस के तदर्थ प्रबंधन के मुकाबले ये संस्थागत परिवर्तन दीर्घ स्थाई होने को हैं।इसीलिए पहले चरण का मुलम्मा उतरने का साथ ही मनमोहन की विदाई और द्वितीय चरण के सुधारों का कार्यभर यह संघसमय।


    नवजागरण के अवसान के मध्य स्थाई शाखा बंदोबस्त के इस आयोजन का असर क्या होना है,इसे अब आप समझते रहिये।


    दास प्रथा के तहत ब्रीडिंग की पद्धति तो बहुचर्चित सेवाक्षेत्र में लागू कर ही दी गया है, जहां लगातार 72 घंटे से भी अधिक काम के लिए बंधुआ मजदूरों की दैहिक आवश्यकताओं का ख्याल रखते हुए रैव पार्टी,डेटिंग से लेकर फ्रीसेक्स तक के लिए भुगतान का बहुराष्ट्रीय इंतजाम है,जो दरअसल सनातन हिदुंत्व अधर्म का उत्तर आधुनिक मनुस्मृति मूल्यबोध है।


    वैदिकी साहित्य में पन्ना दर पन्ना ऐसे अभिज्ञान शंकुतलम  उदाहरण प्रचुर हैं। नियोग अपरंपार है और अप्सराओं का मुकम्मल सौंदर्यशास्त्र है जो इस धरा पर देवदासी प्रथा है।


    पीएफ पेंशन को बाजार में झोंके जाने पर जो सन्नाटा है,उसके मद्देनजर संघपरिवार के संस्थागत राजकाज के स्थाई भाव के उपभोक्ता बाजार में कौन सी सोने की छड़ी से लोगों की नींद में अततः खलल डाल सकते हैं हम,बस अब उसकी ही खोज करनी होगी।


    अभिषेक श्रीवास्तव का यह क्षेपक भी विचारणीय हैः


    रहे होंगे कभी प्रेरणा के स्रोत ये शिक्षक, लेकिन हम लोगों की पीढ़ी इतने बरबाद दौर में पैदा हुई जब ऐसे शिक्षक बनने बंद हो गए थे। मेरे तमाम शिक्षक एक से एक कलाकार किस्‍म के थे। एक हिंदी के थे जो बात-बेबात अगले जनम में मूस बन जाने का शाप देते फिरते थे। एक अंग्रेज़ी के थे, ईसाई थे, लेकिन पान दबाकर बनारसी में वर्ड्सवर्थ पढ़ाते थे। एक साइंस के थे जो डस्‍टर से सिर पर मारते थे। एक अनुशासन गुरु थे जो लंबे से डंडे के आगे ब्‍लेड लगाकर घूमते थे और उसे मैजिक स्टिक कहते थे। एक सब्‍सटिट्यूशन गुरु थे, टीचर के अनुपस्थित रहने पर क्‍लास में आते थे। उनका नाम रखा गया था कैंसर। एक पीटी वाला था जिसे मो. शाहिद दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी लगते थे। एक फिजि़क्‍स पढ़ाता था- सवाल नहीं हल कर पाता तो बोलता था कि सवाल ही गलत है। सब के सब मौलिक किस्‍म के हरामी।


    एक गणित के थे, मेरे सबसे स्‍पेशल, जिन्‍हें हम लोग पीठ पीछे भेडि़या कहते थे क्‍योंकि क्‍लास में उनका आना रोज़ नई ख़बर होता था। बीएचयू में डॉक्‍टरेट करते वक्‍त किसी ने उनकी थीसिस चुरा ली थी जिससे वे पीएचडी होते-होते रह गए थे। उसी का गुस्‍सा आजीवन बच्‍चों पर निकालते रहे। झउवा भर पान बंधवा कर विक्‍की से स्‍कूल आते थे और हम लोगों से क्‍लास के बीच में पान मंगवाते थे। एकाध बार उनकी विक्‍की को पंचर भी किया गया कि वे सुधरें, पासा उलटा पड़ गया। भरी असेंबली हम लोग बेज्‍जत हो गए। एक बार वे क्‍लास में राजनीति बतिया रहे थे। राष्‍ट्रवाद के बनारसी माहौल के बीच भाजपा को गाली दे रहे थे। मैंने नादानी में पूछ दिया कि सर आप कम्‍युनिस्‍ट हैं क्‍या। तब से ऐसे बिगड़े कि इंटर पास करने तक 100 में 45 से ऊपर कभी नंबर दिए ही नहीं।


    युनिवर्सिटी में ज्‍यादा बड़े कलाकार मिले। बीस साल पुराने पीले नोट्स से पढ़ाने वाले प्रोफेसर। सब ठरकी। बुरा लगे तो माफ़ कीजिएगा लेकिन आज अगर हमारी पीढ़ी को पिछली पीढ़ी किन्‍हीं कारणों से गाली देती है तो उसके जिम्‍मेदार वे तमाम शिक्षक हैं जिनके हाथ इस देश की तीन पीढि़यों के मासूम खून से रंगे हुए हैं।


    अब दैनिक जागरण की यह रपट देखेंः

    15 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: हाईकोर्ट



    15 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: हाईकोर्ट

    नई दिल्ली, [पवन कुमार]। प्यार अंधा होता है। नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है, लेकिन कोई नाबालिग किसी से विवाह कर लेती है और वह विवाह बंधन को बनाए रखना चाहती है तो ऐसी लड़की से उसके पति द्वारा बनाए गए शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म की संज्ञा नहीं दी जा सकती।

    यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया। खंडपीठ ने आरोपी को राहत प्रदान करते हुए निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी।

    खंडपीठ ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित वर्मा द्वारा दी गई उस दलील को भी सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुभाग 2 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। जिस समय यह घटना हुई थी उस समय लड़की की उम्र 15 साल चार महीने थी। ऐसे में आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मामले के मुताबिक, एक महिला ने वसंत कुंज थाने में पांच मार्च, 2013 को नाबालिग बेटी के अपहरण का मामला दर्ज कराया था। उसका कहना था कि उसकी बेटी घर से 26 फरवरी को सामान लेने के लिए बाजार गई थी, लेकिन लौटी नहीं।

    पुलिस ने छह मार्च को लड़की को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से बरामद कर आरोपी सुमन दास को गिरफ्तार किया था। नाबालिग ने पुलिस के समक्ष बताया था कि वह दास के साथ कोलकाता के चंडीपुर क्षेत्र में गई थी। वहां दोनों ने शादी कर ली। उन्होंने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने दास पर दुष्कर्म का मामला भी दर्ज किया था।



    15 साल की पत्नी की मर्जी से संबंध दुष्कर्म नहीं

    Rajasthan Patrika - ‎Sep 3, 2014‎

    "नाबालिग से संबंध बनाना कानून जुर्म है लेकिन अगर कोई नाबालिग किसी से शादी कर ले और पत्नी की रजामंदी से संब ंध बनाए तो वो दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।" दिल्ली हाइकोर्ट के जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने ये अहम फैसलासुनाया। कोर्ट ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को ये फैसला सुनाया। बेंच ने दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया। दिल्ली पुलिस ने आरोपी को निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। जानकारी के अनुसार एक महिला ने बसंत कुंज थाने में 5 मार्च 2013 को नाबालिग ...

    नाबालिगपत्नी से पति का शारीरिक संबंध रेप नहीं : हाई कोर्ट

    Sahara Samay - ‎Sep 3, 2014‎

    लेकिन कोई नाबालिग किसी से विवाह कर लेती है और वह विवाह बंधन को बनाए रखना चाहती है तो ऐसी लड़की से उसके पति के बनाए गए शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म की संज्ञा नहीं दी जा सकती है. यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया. दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज. खंडपीठ ने आरोपी को राहत प्रदान करते हुए निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी. खंडपीठ ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित वर्मा द्वारा ...

    15 साल की पत्नी से विवाह के बाद शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: हाईकोर्ट

    Oneindia Hindi - ‎Sep 3, 2014‎

    न्यायालय ने शारीरिक संबंध के पहलू पर एक नए फैसले को अंजाम तक पहुंचाया है। आम तौर पर नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है पर यदि कोई नाबालिग किसी से विवाह कर लेती है और वह विवाह बंधन को बनाए रखना चाहती है तो इसे दुष्कर्म की संज्ञा नहीं दी जा सकती। बालिका वधु से शारीरिक सम्बंध को मत कहना 'रेप'. सम्बंध‍ित मामले में यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में एतिहासिकफैसला सुनाया। इस मसले पर खंडपीठ ने आरोपी को राहत प्रदान करते हुए निचली अदालत ...

    नाबालिगा मानती है शादी तो नहीं बनता रेप का केस

    पंजाब केसरी - ‎Sep 3, 2014‎

    नई दिल्ली(मनीषा खत्री): अगर कोई नाबालिगा अपने प्रेमी के साथ भागकर शादी कर लेती है और वह उस शादी को निभाना चाहती है तो ऐसे में उससे संबंध बनाने वाले उसके प्रेमी पति पर दुष्कर्म का मामला नहीं बनता है। न ही इन संबंधों को दुष्कर्म की संज्ञा दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें एक नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी को बरी कर दिया गया था। न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामले में पुलिस की तरफ से दायर अपील को खारिज कर दिया है। खंडपीठ ने अपने इस अहम फैसले में ...

    15 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: HC

    Worldnow - ‎Sep 3, 2014‎

    दिल्ली हाइकोर्ट ने शारीरिक संबंध के पहलू पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आम तौर पर नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है पर नाबालिग पत्नी की रजामंदी से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते है। दिल्ली हाइकोर्ट के जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने ये अहम फैसला सुनाया कि, "नाबालिग से संबंध बनाना कानून जुर्म है लेकिन अगर कोई नाबालिग किसी से शादी कर ले और पत्नी की रजामंदी से संब ंध बनाए तो वो दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।"यह टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में की है। कोर्ट ने 15 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को ये फैसला सुनाया। बेंच ने दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया। दिल्ली पुलिस ने आरोपी को निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। खंडपीठ ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित वर्मा द्वारा दी गई उस दलील को भी सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुभाग 2 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।


    1. नाबालिगसे रेप करने के मामले में उम्रकैद

    2. नवभारत टाइम्स-04-09-2014

    3. नाबालिग के साथ रेप मामले में आरोपी की उम्रकैद की सजा को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि आरोपी ने शिकारी की तरह काम किया और बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता अनवार उल हक की अर्जी खारिज ...

    4. नाबालिगछात्रा का अपहर्ता दिल्ली में गिरफ्तार

    5. दैनिक जागरण-14 घंटे पहले

    6. शामली : नगर से नाबालिग छात्रा का अपहरण करने का आरोपी बदमाश दिल्ली में पिस्टल समेत गिरफ्तार हो गया। उसके कब्जे से अपहृत छात्रा बरामद हुई है। शामली पुलिस छात्रा को लेकर लौट आई और उसे मेडिकल टेस्ट के लिए भेज दिया है। आरोपी ...

    7. अपहरण व बलात्कार का आरोपी गिरफ्तार

    8. Nai Dunia-13 घंटे पहले

    9. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (2 और लेख)

    10. Rajasthan Patrika

    11. ''बादल के आने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा''

    12. पंजाब केसरी-4 घंटे पहले

    13. हिसार: हरियाणा के हिसार जिले में एक नाबालिग लड़की को चाकू दिखाकर रेप करने का मामला सामना आया है। जानकारी के अनुसार अदालत में चले अभियोग के अनुसार 6 सितंबर 2013 को एक नाबालिग लड़की के साथ रेप करने तथा अन्य धाराओं के तहत ...

    14. नाबालिग से रेप के अभियुक्त को 7 साल कैद

    15. Rajasthan Patrika-20 घंटे पहले

    16. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (2 और लेख)

    17. नाबालिगको बंधक बनाकर दुष्कर्म

    18. दैनिक जागरण-13 घंटे पहले

    19. जागरण संवाददाता, रोहतक : चार माह पहले संदिग्ध हालात में गुम हुई एक नाबालिग लड़की वापस लौट आई है। उसने महिला समेत पांच लोगों पर बंधक बनाकर रखने व एक युवक पर दुष्कर्म करने का मामला दर्ज कराया है। पुलिस आरोपी युवक को हिरासत में ...

    20. भाई से झगड़ा, नाबालिगलड़की ने निगला जहर

    21. दैनिक जागरण-6 घंटे पहले

    22. काला बकरा से सटे गांव जल्लोवाल में शुक्रवार को एक नाबालिग लड़की ने भाई के साथ हुए झगड़े के बाद जहरीला पदार्थ निगल लिया। फिलहाल जालंधर सिविल अस्पताल में दाखिल इस लड़की की पहचान 16 वर्षीय अमन पुत्री सुरिंदर सिंह निवासी ...

    23. ढाई माह से गायब नाबालिगबरामद, आरोपी भी गिरफ्तार

    24. Nai Dunia-14 घंटे पहले

    25. शाजापुर। सुंदरसी थाना क्षेत्र से ढ़ाई माह पहले अपहृत नाबालिग इंदौर के मालवीय से बरामद की गई है। पुलिस ने आरोपी युवक को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों कई दिनों से किराए के मकान में रह रहे थे। मामले में पुलिस मे आरोपी युवक ...

    26. बिहार में चार नाबालिगलड़कियों की डूबने से मौत

    27. नवभारत टाइम्स-18 घंटे पहले

    28. बिहार के पटना जिले के एक गांव में आज पोखर में डूबकर चार लड़कियों की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि जयनन्दनपुर गांव में चार लड़कियों- आरती (13साल), रिंकी (12साल), नीतू (12 साल) और सिंटी(10साल) की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ, जब वे ...

    29. बिहार में चार नाबालिग लडकियों की डूबने से मौत

    30. प्रभात खबर-21 घंटे पहले

    31. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (11 और लेख)

    32. नाबालिगके धर्मातरण मामले में दो गिरफ्तार

    33. दैनिक जागरण-17 घंटे पहलेसाझा करें

    34. संस, हजारीबाग : पेलावल ओपी के रोमी गांव में नाबालिग का धर्मातरण और अपरहण मामले में पुलिस ने रांची के मांडर थाने से दो लोगों को गिरफ्तार कर हजारीबाग लाया है। गिरफ्तार व्यक्तियों में एक महिला व एक पुरुष हैं। गिरफ्तारी को ...


    1. भिंड में नाबालिगसमेत दो युवतियों की अस्मत लुटी

    2. Rajasthan Patrika-04-09-2014

    3. मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में अलग-अलग इलाकों में एक नाबालिग सहित दो युवतियों के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस ने दोनों मामलों में आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस के ...

    4. नाबालिगसे रेप का आरोपी गिरफ्तार

    5. नवभारत टाइम्स-02-09-2014

    6. वरिष्ठ संवाददाता, गुड़गांव : नाबालिग से रेप करने के आरोप में पुलिस ने मंगलवार शाम एक युवक को गांव चकरपुर एरिया से गिरफ्तार किया है। आरोपी के खिलाफ सोमवार शाम पीड़िता की शिकायत पर रेप व पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया ...

    7. सहारनपुर: पड़ोसी युवक पर नाबालिग के साथ रेप का आरोप

    8. दैनिक भास्कर-03-09-2014

    9. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (3 और लेख)

    10. दरिंदों के निशाने पर नाबालिग

    11. Rajasthan Patrika-02-09-2014

    12. उसने नाबालिग पीडिता को पकड़ा और नदजीक के खंडहर में दुष्कर्म किया। किसी को जानकारी देने पर सार्वजनिक तौर पर निर्वस्त्र करने फिर जान से मारने की धमकी भी दी। लगभग पखवाड़ेभर पहलेनाबालिग पीडिता ने बातचीत में सहेली को घटना ...

    13. नाबालिगअपराधी को स्कूल में झाड़ू लगाने का आदेश

    14. दैनिक जागरण-04-09-2014

    15. जागरण संवाददाता, शेखपुरा : एक अनूठे निर्णय में कोर्ट ने नाबालिग छात्र को दो महीने तक अपने स्कूल में झाड़ू लगाने तथा स्कूल में बागवानी का काम करने की सजा दी है। यह निर्णय गुरुवार को शेखपुरा किशोर न्यायालय ने सुनाया। इसकी ...

    16. असम: पेड़ से लटके मिले 2 नाबालिगलड़कियों के शव

    17. p7news-4 घंटे पहले

    18. बदायूं में दो बहनों की पेड़ पर टंगी लाश ने पूरे देश को झकझोरा था। लेकिन आबरू को फांसी चढ़ाने वाले दरिंदे बाकी जगहों पर भी हैं। असम के करीमगंज में भी इस तरह की वारदात सामने आई है। असम के निलामबाज़ार इलाके में दो स्कूली ...

    19. Shiv Sena leader arrested for rape after class 9 student delivers a ...

    20. Patrika-1 घंटे पहले

    21. नाबालिग छात्रा ने दिया बच्चे को जन्म, शिवसेना नेता दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार. Shiv Sena ... एक नाबालिग लड़की से सात महीने तक दुष्कर्म करने के आरोप में शिवसेना नेता वासुदेव नांबियार को गिरफ्तार किया गया है। मामले को ...

    22. नाबालिगको मुक्त कराया

    23. नवभारत टाइम्स-30-08-2014

    24. शादी का झांसा देकर एक नाबालिग से घरेलू काम करवाने वाले युवक को वेस्ट बंगाल व गुड़गांव पुलिस की संयुक्त टीम ने शनिवार सुबह सेक्टर 47 एरिया से अरेस्ट कर लिया। नाबालिग को मुक्त करवाकर पुलिस टीम अपने साथ वेस्ट बंगाल लेकर गई।

    25. नाबालिगको भी जेल भेज रही पुलिस

    26. दैनिक जागरण-03-09-2014साझा करें

    27. नाबालिग और व्यस्क अपराधियों को जिले की पुलिस एक ही साथ रख रही है। व्यस्क के साथ-साथनाबालिग भी जेल भेजे जा रहे हैं, जबकि नाबालिग के लिए सरकार की ओर से अलग बच्चा जेल (किशोर सुधार गृह) हैं। पुलिस के इस रवैये पर नाबालिग के ...

    28. Rajasthan Patrika

    29. नाबालिगलड़की से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: HC

    30. पंजाब केसरी-03-09-2014

    31. नई दिल्ली: दिल्ली हाइकोर्ट ने शारीरिक संबंध पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।नाबालिग पत्नी की रजामंदी से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते है। यह टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप ...

    32. 15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध ...

    33. दैनिक जागरण-03-09-2014

    34. 15 साल की पत्नी की मर्जी से संबंध दुष्कर्म नहीं

    35. Rajasthan Patrika-03-09-2014

    36. 15 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं: HC

    37. Worldnow-03-09-2014

    38. 15 साल की पत्नी से विवाह के बाद शारीरिक संबंध ...

    39. Oneindia Hindi-03-09-2014

    40. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (13 और लेख)

    41. दिल्ली गैंगरेप: नाबालिगआरोपी घंटों अपने कमरे ...

    42. पंजाब केसरी-03-09-2014

    43. नई दिल्ली: गत वर्ष दिल्ली में चलती बस में एक छात्रा से 6 लड़को ने गैंगरेप किया था, जिनमें से एकनाबालिग था। इस गैंगरेप के बाद जहां पूरे देश में लोगों का गुस्सा भड़क उठा था, वही भारत में महिलाओं की सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा बन ...

    44. दो महिलाओं ने नाबालिगका अपहरण कर बेचा

    45. khaskhabar.comहिन्दी-18 घंटे पहले

    46. अलीगढ़। शहर के शाहजमाल तेलीप़ाडा क्षेत्र से अपह्वत की गई बच्ची को सात हजार रूपये में खरीदने वाला बिहार का युवक है। देहलीगेट पुलिस के सामने यह खुलासा बच्ची का अपहरण कर उसे बेचने की बात स्वीकारने वाली दो महिलाओं ने किया है।

    47. नाबालिगपत्नी से पति का शारीरिक संबंध रेप नहीं ...

    48. Sahara Samay-03-09-2014

    49. नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है. लेकिन कोई नाबालिगकिसी से विवाह कर लेती है और वह विवाह बंधन को बनाए रखना चाहती है तो ऐसी लड़की से उसके पति के बनाए गए शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म की संज्ञा नहीं दी ...

    50. नाबालिगलड़की के साथ रेप

    51. ABP News-04-09-2014

    52. बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में 22 साल के युवक ने एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर रेप किया. छपरौली थाना प्रभारी राजेश कुमार वर्मा ने आज बताया कि 16 साल की किशोरी कल शाम अपने घर पर अकेली थी. उसी समय युवक आया और उसे ...

    53. 22 साल के युवक ने किया नाबालिग से दुराचार

    54. पंजाब केसरी-04-09-2014

    55. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (4 और लेख)

    56. यूपी के मुजफ्फरनगर में गैगरेप के बदले गैंगरेप ...

    57. Zee News हिन्दी-02-09-2014

    58. मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मिर्जा टीला गांव में एक 16 वर्षीय नाबालिग किशोरी के साथ पांच लोगों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया। पुलिस ने आज बताया कि यह मामला 25 अगस्त को हुई एक बलात्कार के घटना की ...

    59. मुंबई में नाबालिगलड़की से रेप करने के आरोप में एक ...

    60. ABP News-02-09-2014

    61. मुंबई: उपनगरीय कांदिवली में फुटपाथ पर रहने वाली पांच वर्ष की एक नाबालिगबच्ची के साथ रेप करने के आरोप में एक 25 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बताया कि यह घटना 21 अगस्त की सुबह हुई जब लड़की अपनी मां और परिवार के ...

    62. मासूम बच्ची से उसके नाबालिगदोस्त ने किया रेप

    63. Rajasthan Patrika-03-09-2014

    64. पिछले सात दिनों में ऎसी कई घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं जिनमें नाबालिगआरोपियों ने रेप को अंजाम दिया है। एक ऎसा ही चौंका देने वाला मामला गाजियाबाद मसूरी थाना क्षेत्र में सामने आया है। मसूरी क्षेत्र में रहने वाली चौथी ...

    65. नाबालिगजोड़ा फरार, हिन्दू संगठनों ने दी आंदोलन ...

    66. Nai Dunia-02-09-2014

    67. सतना। शहर के कोलगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत बांसनाका इलाके से एक अंतर्जातीयनाबालिग जोड़ा बीती रात फरार हो गया। इसके बाद हिंदु संगठनों ने प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग की। मंगलवार सुबह विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल के ...

    68. पंचायत ने नाबालिगको थूक चाटने पर मजबूर किया, फिर ...

    69. Oneindia Hindi-03-09-2014

    70. जलपाईगुड़ी। एक युवती को इतनी यातनाएं दी कि उसकी कहानी सुनकर आफकी रूह भी कांपने लगेगी। पश्चिम बंगाल में किशोरी के पिता की ओऱ से खेती मेें किराए पर लिया गया टिलर मशीन का किराया नहीं चुका पाने को लेकर पंचायत ने पिता को ...

    71. नाबालिगको लेकर फरार

    72. नवभारत टाइम्स-30-08-2014

    73. वस, गुड़गांव : थाना शहर पुलिस ने एक युवक पर नाबालिग को शादी का झांसा देकर बहला फुसला कर ले जाने का केस दर्ज किया है। इस बारे में युवती के पिता ने पुलिस को शिकायत दी है। यह केस थाना शहर पुलिस ने दर्ज किया है। मामले की जांच कर ...

    74. दिल्ली गैंग रेप का सबसे खूंखार नाबालिगरेपिस्ट ...

    75. Oneindia Hindi-03-09-2014

    76. नयी दिल्ली। दिल्ली में 20 महीने पहले हुई गैंगरेप का दर्द अभी भी लोगों के जहन में बनी हुई है। दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ 6 दरिंदों ने जो हैवानियत दिखाई उसने पूरे देश को झगझोर दिया। इस गैंग रेप से ...

    77. भिलाई के बोरसी में नाबालिगसे गैंग रेप, दो आरोपी ...

    78. Nai Dunia-04-09-2014

    79. भिलाई। बोरसी भाटा और टगड़ा नहर के बीच सोमवार को एक नाबालिग अनाचार की शिकार हो गई। इस मामले में भिलाई नगर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल भेज दिया। घटना सोमवार दोपहर की है। लेकिन पुलिस ने बुधवार को ...

    80. Oneindia Hindi

    81. गाजियाबाद में चौथी कक्षा की बच्ची के साथ ...

    82. एनडीटीवी खबर-03-09-2014

    83. गाजियाबाद में चौथी कक्षा की बच्ची के साथ नाबालिग सहपाठी ने किया कथित रेप ... टैग्स:गाजियाबाद में रेप, नाबालिग से रेप, स्कूली छात्रा से दुष्कर्म, Ghaziabad rape, minor raped, School girl raped ... दिल्ली में कार में नाबालिग से गैंगरेप.

    84. 14 वर्षीय नाबालिग सहपाठी ने आठ साल की बच्ची से ...

    85. Palpalindia-02-09-2014

    86. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (13 और लेख)

    87. नाबालिगछात्रा को अगवा कर गैंगरेप

    88. देशबन्धु-03-09-2014

    89. अम्बिकापुर ! रिश्ते की बहन के घर से नावागढ खैरबार जा रही किशोरी को मोटर सायकल सवार दो युवकों द्वारा अगवा कर पर्राडांड स्थित एक निर्माणाधीन मकान में ले जाकर उसके साथ सामूहिक रूप से दुष्कर्म करने का मामला ्रउस वक्त प्रकाश ...

    90. बोरसी में नाबालिगसे गैंग रेप

    91. Nai Dunia-03-09-2014

    92. भिलाई। बोरसी भाटा और टगड़ा नहर के बीच सोमवार को एक नाबालिग अनाचार की शिकार हो गई। इस मामले में भिलाई नगर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल भेज दिया। घटना सोमवार दोपहर की है। लेकिन पुलिस ने बुधवार को ...

    93. शो के दौरान सिनेमाघर में नाबालिगसे रेप

    94. अमर उजाला-01-09-2014

    95. फ‌िल्म शो के दौरान क‌िया रेप. देश में बलात्कार की अपने किस्म की शायद पहली घटना सोमवार को पश्चिम बंगाल में घटी। यहां एक सिनेमाहाल में शो चलने के दौरान ही एक नाबालिग युवती के साथ बलात्कार हुआ। पुलिस ने सिनेमाहाल को सील कर ...

    96. मानसिक तौर पर बीमार नाबालिगसे रेप

    97. नवभारत टाइम्स-01-09-2014

    98. ईस्ट दिल्ली पुलिस ने रेप के आरोप में एक ऑटो ड्राइवर को अरेस्ट किया है। ड्राइवर ने 15 साल की एकनाबालिग के साथ रेप किया है, जिसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। फिलहाल वह पुलिस को बयान नहीं दे पा रही है। गाजीपुर फ्लाईओवर के पास ...

    99. नाबालिगका रेप और हत्या करने वाले बेटे को बाप ने ...

    100. नवभारत टाइम्स-30-08-2014

    101. 8 साल की बच्ची का रेप करने के बाद उसकी हत्या करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की गिरफ्तारी में अहम भूमिका किसी और ने नहीं, बल्कि खुद आरोपी के पिता ने निभाई है। मामला यूपी के सहारनपुर के एक गांव का है।

    102. नाबालिगबालिका भगाई

    103. दैनिक जागरण-03-09-2014साझा करें

    104. सिद्धार्थनगर : स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम पतिला में एक नाबालिग बालिका को बहला फुसला कर भगा ले जाने का मामला प्रकाश में आया है। बालिका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। पुलिस को दिए ...

    105. नाबालिग का अपहरण, नौ साल की मिली सजा

    106. Nai Dunia-03-09-2014

    107. विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (3 और लेख)

    108. नाबालिगसे छह दिन तक दुष्कर्म करने के पांच आरोपी ...

    109. दैनिक जागरण-04-09-2014

    110. 27 अगस्त को शहर के बस स्टैंड इलाके से नाबालिग लड़की का अपहरण करने के बाद होटल में ले जाकर छह दिन तक सामूहिक दुष्कर्म करने के आरोपियों के खिलाफ थाना माडल टाउन पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पीड़िता को सिर्फ राजू नामक युवक ...

    111. नाबालिगसे रेप, केस दर्ज

    112. नवभारत टाइम्स-02-09-2014

    113. एक नाबालिग से शादी का झांसा देकर, उससे रेप करने का मामला सामने आया है। आरोपी युवक पहले से शादीशुदा है। पीड़िता 10वीं क्लास की स्टूडेंट है। युवक पर उससे मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का भी आरोप है। नाबालिग ने तंग आकर ...

    114. नाबालिगसहित चार लापता, मामला दर्ज

    115. दैनिक जागरण-03-09-2014

    116. जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अलग-अलग थाना क्षेत्र से एक नाबालिग सहित तीन युवतियां व एक व्यक्ति लापता हो गया। परिजनों ने उनकी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया है। पुलिस नेनाबालिग के मामले में दो युवक को नामजद करते हुए ...

    117. गांधी मैदान ब्लास्ट- रिमांड होम में बंद नाबालिग...

    118. Patrika-04-09-2014

    119. पटना । गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट से जुड़े एक मामले में रांची के रिमांड होम में बंद एक नाबालिग अभियुक्त को मुक्त करने क े लिए पटना एनआईए की अदालत में एक आवेदन दायर किया गया है। नाबालिग के वकील मो0 रफी अहमद ने बताया कि ...

    120. नाबालिगबच्चों ने 50 हजार रुपए पार किये

    121. Pressnote.in-4 घंटे पहले

    122. टिब्बी | दोना नाबालिग बच्चों ने यहां की एसबीबीजे शाखा में आए एक ग्राहक के 50 हजार रुपए पार कर लिए। जानकारी के अनुसार कस्बे के स्वर्ण आभूषण व्यापारी जसवीरसिंह सोनी बुधवार को स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर में खाते से डेढ़ ...

    123. नाबाल‌िगने ‌क‌िया बच्चे से दुष्कर्म, मरा समझकर छोड़ा

    124. अमर उजाला-03-09-2014

    125. नाबाल‌िग ने ‌क‌िया बच्चे से दुष्कर्म, मरा समझकर छोड़ा. ब्यूरो. बुधवार, 3 सितंबर 2014. अमर उजाला, हरिद्वार. Updated @ 10:03 PM IST. पेड़ की जड़ पर पटककर मारना चाहा. हरिद्वार में मौसी के घर आए एक किशोर ने गांव के ही एक छह वर्षीय बालक के साथ दुष्कर्म कर ...

    126. चचेरे भाई ने किया नाबालिगसे दुष्कर्म

    127. दैनिक जागरण-02-09-2014

    128. संवाद सहयोगी, रिवालसर : बल्ह क्षेत्र की हल्यातर पंचायत निवासी एक चचेरे भाई के खिलाफ नाबालिगबहन के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज किय गया है। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। आरोपी की उम्र से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध न ...

    129. नाबालिगबरामद

    130. नवभारत टाइम्स-04-09-2014

    131. एक संवाददाता, नूंह : गांव नीमका में एक नाबालिग को गांव का ही एक युवक बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया। इसे लेकर लोगों में तनाव का माहौल है। पुलिस ने लड़की को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। थाना प्रभारी देवेन्द्र सिंह ने ...

    132. घर से गायब नाबालिगबरामद

    133. नवभारत टाइम्स-04-09-2014

    134. वजीरपुर गांव से दो अगस्त को घर से लापता एक नाबालिग एक दिन बाद पुलिस को मिल गई। उसे मेन गुरुद्वारा के सामने से बरामद किया गया। उसने अपनी मर्जी से अपने एक दोस्त के साथ जाने की बात मैजिस्ट्रेट के सामने कही। गांव वजीरपुर निवासी ...

    135. नाबालिगअपराधियों के कानून में बदलाव कितना सही?

    136. बीबीसी हिन्दी-09-08-2014साझा करें

    137. साथ ही प्रस्ताव में ये भी प्रावधान डाला गया है कि अगर 16 साल से ऊपर का नाबालिग कोई संगीन अपराध करता है, तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ये तय करेगा कि नाबालिग अभियुक्तों के ख़िलाफ़ नियमित अदालत में मुक़दमा चले या नहीं. इंडिया ...



    ISIS, Oil Politics and Peaking of Islamophobia Ram Puniyani

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    ISIS, Oil Politics and Peaking of Islamophobia

     

    Ram Puniyani

     

     

     

    Just a month ago (August 2014) a group of Muslim activists-scholars organized press meets in various cities. They issued a statement condemning the brutal violence being committed by ISIS. There statement carried a visual saying Islam Means Peace. The statement said "Indian Muslims Condemn the Brutal Atrocities by ISIS against Minorities in Iraq and Syria; denounce religious intolerance, persecution and violence in the name of Islam" I circulated the statement to many lists. One of the members on the list wrote back that "'Islam means Peace' is the biggest joke of the century". Simultaneously in India, the propaganda about love Jihad is being spread like wild fire by communal elements. Irrespective of the fact that in such a propaganda few cases of marriage-conversion, the girls changing their version the boundary line between love and imposition being regularly breached, have been picked up as an example of Muslim men on a path to Jihad for conversion to Islam, by marrying Hindu girls by deceit. A friend demanded whether I can cite even 100 cases where Muslim girls have married Hindu men. To my good fortune I could locate a list longer than that of 100 and also a Google search of Hindu Men Muslim wife gave good many beautiful stories (https://www.facebook.com/R3alityofPorkistan/posts/613266692020533 ) of such 'love jihad' in reverse! To add to the already existing atmosphere Al Jawahiri of Al Qaeda issued a Video declaring its plan to expand the activities in India.

     

    The 'social common sense' is so heavily weighted against Islam and Muslims that to talk of reason in understanding religion and its abuse for political goals seems to be a very difficult exercise. The current ghastly acts are being described to be due to Islam and in turn Muslim community is blamed for the violence. The understanding that religions are for 'morality and peace' is accepted for other religions but not for Islam in popular perception. Many a processes of 'Manufacturing Consent' are today fusing to create a picture of Muslims which is neither true nor of any good to the peace in the World. All Muslims are being presented in homogenous-uniform image and the selective examples of the criminal Muslims and intolerant version of Islam is being projected as 'the Islam' feeding into the massive prejudices which have intensified during last several decades.

     

    While the ISIS is an offshoot of AL Qaeda, which was trained by USA-ISI through Madrasa's set up in Pakistan. There are enough good resources to tell us about the scheme of US in the West Asia to control the oil wealth. The US dictum for this area has been 'Oil is too precious a commodity to be left to control of natives'. While one has burnt midnightoil to unravel the trajectory of US policy through books with solid scholarship, the job of understanding this has become easy with a small video clip of Hillary Clinton. Very smartly and briskly she tells us that it was US which created Al Qaeda by indoctrinating the Muslim youth. (http://www.youtube.com/watch?v=nLhRKj6633w). A peep into the history of the region tells us that this indoctrination was done by using the distorted version of Islam, Wahabbism to be more precise.

     

    This force, Al Qaeda was created, richly funded and armed to the teeth by US, to fight the Soviet occupation of Afghanistan. With the brutality of Al Qaeda being manifest, US media presented its demonic image by coining the word 'Islamic terrorism' after 9/11 2001. Before this 9/11 episode, the acts of terror were not linked to religion, though people coming from different religions have resorted to such acts. From killer of Mahatama Gandhi, Indira Gandhi, Rajiv Gandhi, to Buddhist monks resorting to terror acts in Thailand, Mynmar, Sri Lanka to Anders Berling Brevik of Norway, people coming from different religious stocks have indulged in acts of terror for diverse political reasons. After 9/11 the acts of terror was associated exclusively with Islam. 

      

    Interestingly the version of Islam picked up by US to create Al Qaeda, to indoctrinate Mujahideen in to terror trails, was formulated by Abd al-Wahhab, who had started rigidifying Islam; imposing his exclusive version in the projection of Islam. He pontificates that "any doubt or hesitation" on the part of a believer in respect to his or her acknowledging this (Wahab's) particular interpretation of Islam should "deprive a man of immunity of his property and his life." This was the version of Islam which was one amongst many. Why did it become more dominant? Mostly because this version got the sanction form the political masters as this version got patronage of the rulers of Saudi Arabia. "One of the main tenets of Abd al-Wahhab's doctrine is takfir. As per this doctrine fellow Muslims are called infidels if they engage in activities that in any way could be said to encroach on the sovereignty of the absolute Authority (that is, the King)." Those who would not conform to this view should be killed, their wives and daughters violated, and their possessions confiscated, he wrote." (http://www.huffingtonpost.com/alastair-crooke/isis-wahhabism-saudi-arabia_b_5717157.html )

     

    This version suited the Saudi rulers in keeping their control over oil resources and the same version suited the US designs, where the meaning of Kafir (One who hides the truth) is changed to the non Muslim, the 'other'. This is the version where the word Jihad is made synonymous with killing the non believer. As such scholars of repute tell us that Jihad stands for striving to your utmost for good deeds. The same Islam, which says 'to me my din (faith) to you yours' is changed over to killing those who disagree with you. The same Islam which tells us that 'killing of even a single innocent human being tantamount to killing the whole humanity' (Koran, chapter 5 verse 32) was manipulated to kill innocent human beings. This interpretation of Islam was the perfect recipe for those who wanted to fight Russian army through proxy! The indoctrination of this variety cannot be undone once the goals are achieved. The Al Qaeda elements after collaborating in defeating Russian army; retain the distorted version of Islam and the dangerous weapons supplied by US. What do they do now with Wahabi Islam in head and armaments received courtesy the United States, in hands? So ISIS comes up in due course, and the illusion that they can now rule the World, they will install Khalifa, and all the insanity follows!

     

    As such US has been out to play 'divide and rule' like the earlier colonial powers. In India colonial powers sowed the seeds of communal politics. In West Asia, during last few decades after the demise of Soviet Union; US imperialism is aiming to create smaller states along ethnic-sectarian divides and feeding into the divides and clashes along Shia-Sunni-Kurd lines. 'Divide-et-empera' (divide and rule) is at its peak but is also at the same time demonizing the Muslims Worldwide through the Islam phobia which is constructed around the evil deeds of the likes of Al Qaeda or ISIS.

    How can we bring in reason in 'social thinking' in the face of powerful vested interests who want to use and abuse religion for their political goals, demonize a religious community is a question not easy to resolve. Challenging the prevalence of ideas of the dominant sections, dominant social powers; is a tall order, which has to be taken up in all seriousness if we want peace and progress in our society.

     

    (Response only to ram.puniyani@gmail.com)

    What Is The Truth About ISIS? By Peter Chamberlin

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    What Is The Truth About ISIS?

    By Peter Chamberlin

    04 September, 2014
    Countercurrents.org

    A detainee appears before the Multinational Forces Review Committee. This is one of Camp Bucca's programs that help detainees to reintegrate into Iraqi society. (Department of Defense photo/Pfc. Amie J. McMillan)

    An instructor provides a mathematical lesson to detainees at the theater internment facility in Camp Bucca, Iraq. The class is part of the educational opportunities available to the detainees to help them get a better job and serve as an example for their community upon their release. (Department of Defense photo/Pfc. Amie J. McMillan)

    What is the truth about ISIS?

    Is it an ISIS/ISIS a pseudo-gang, working for the CIA, or is it merely a bi-product of the US/Saudi strategic union? There has not yet been another serious explanation put forth, other than this, to explain their meteoric rise to sudden terror stardom in 2014, when they were "being kept on life support" in mid-2012. Despite the non-serious explanations offered by some serious mis-informers to the contrary (State Dept, Al-Arabiya), "bank robberies, extortion and kidnapping" do not explain the sudden mobility, or capability to mount continual operations, by a small army of thousands of men, with an apparently limitless supply of modern weaponry, spread-out over 2-1/2 states (still working on Lebanon). Such an army could NOT exist without a state sponsor.

    In trying to use the Internet as primary (only) source, we first learn that there are many questions that are nearly impossible to answer effectively there, because of the constant "scrubbing" (deleting) of information that is embarrassing to the owner of the Internet (USA), or to its minions. It is not even necessary to delete articles there to hide them, a simple extra space or extra letter in the title link will nullify all further links made back to the article of embarrassment.

    In addition, researchers must rely upon Google Translate to unlock all articles in the foreign press, effectively turning most translations into gibberish. For an English researcher wanting to locate specific articles in Arabic, or other tongues, there is also that annoying foreigner habit of adding their own letters to words (words with multiple spellings), thus making a nearly impossible task even harder.

    Nonetheless, I continue to pursue the origins of the "Islamic State" or the history of its leaders, looking for the smoking guns to tie the movable "false flag" to its state benefactors. From the evidence that still remains on the Web, I soon discovered that the ISIL leadership (photos and history below) has links to Iraqi internment Camp Bucca…but, this is a story with many holes.

    By my own "guesstimate," ISIS is the result of a failed US Army behavioral modification program at Camp Bucca, Umm Qasr, Iraq, between 2007 and its closure in 2009.

    If it is true that alleged ISIS leader "Abu Bakr al-Baghdadi" was ever in Camp Bucca then he went through the Camp 134 Process, subjecting him to a "behavior modification" process, part of a "proactive counterinsurgency strategy" for detention operations (according to Detention Operations, Behavior Modification, and Counterinsurgency, from the US ARMY COMBINED ARMS CENTER). If al-Baghdadi or other ISIS members were at Bucca, they were herded through a dividing process, which identified the "unreconcilable" insurgents, in order to sequester them away from the general population. "Moderates or former extremists moving toward moderation" were separated for special treatment intended turn them away from extremist beliefs, before "releas[ing] them to return to their homes as "moderate missiles of the mind." The mission at Bucca was to "modify the behavior of detainees so that when they reenter Iraqi society, they are no longer threats to the Iraqi government and coalition forces but rather agents of change for the future of Iraq."

    Before pursuing the question of the truth about ISIS, we must ask whether this behavior modification process successful, or did it have an unanticipated opposite result? It seems pretty obvious from our perspective that graduates of the ISIS program went on to become the world's most notorious terrorist army, a grave threat to world peace? Was this the result of a failed overt detainee/prisoner strategy, or was this the intended result? Was the US Army training terrorists at Bucca, or did its proactive counterinsurgency strategy for detention operations" to turn the prison system into "a legitimate
    arena for counterinsurgency actions" backfire miserably, producing a generation of terrorist-jihadis like the world has never seen?

    Consider what follows to be "hole-filler" in that storyline, hopefully helping readers to link the terrorists back to their state sponsors.

     

    ISIS: Who is former Imam Abu Omar Al Baghdadi and the top ISIS leaders?

    Saudi Al-Arabiya provided the graphic answer below (making the text automatically suspicious). Click on the photo or the Arabiya link to view readable text.�


    1- Abu Bakr al-Baghdadi―-BUCCA
    2- Abu Ayman al-Iraqi―-BUCCA
    3- Abu Ahmad al-Alwani
    4- Abu Abdulrahman al-Bilawi―-BUCCA
    5- Haji Bakr―-BUCCA
    6- Abu Fatima al-Jaheishi

    What is significant about Camp Bucca?

    It was the primary site for an experimental US Army behavioral modification program, Task Force 134, "Detention Operations Process," which got into detainees home and their lives, as well as reconditioning their heads.

    DR AMI M. Angell�rehabilitation programme leader at Camp Bucca.

    "I think our efforts were successful. In fact, so successful that three previous Al Qaeda operatives [see confirmation by Dr. Angell] went through all the programs, were released, and then returned to work the programs as civilians." (1)

    "They were guided by a psychiatrist and art instructor nick
    named Picasso � once an Al-Qaeda operative and a detainee at Camp Bucca." (2b)�["They discussed issues such as violence and Iraq's future, before expressing their feelings in art." ]

    FURTHER TESTIMONY FROM DR. ANGELL�

    "The spare time led some to start radical religious classes so some moderate detainees were converted into extremists. 'When we came up with rehab programmes as a solution, the American military was very against it,…They didn't understand why we are spending money on rehab when we are going to leave the country eventually.'�"The Art of Rehabilitating Terrorists" (2)

    "The rehab programme won the support of US Marine Major-General Douglas Stone. Initial funding was enough for 'religious rehabilitation' for only 30 detainees. She brought in well-respected imams to teach them about the Quran. 'We saw a thirst for education as the other detainees all wanted to know what the 30 learnt,' said Dr Angell.�[confirmation comes from former Bucca detainee Adel Jasim Mohammed.via Al Jazeera (below)--ed.] 'Because many of them were uneducated, those who went for the classes were shocked to learn that what they had thought of Islam was flawed. 'They didn't question what people told them and didn't even understand the reasons for many things, from washing hands and feet before prayers to why they pray.' (2a)

    "They discussed issues such as violence and Iraq's future, before expressing their feelings in art. They were guided by a psychiatrist and art instructor nick named Picasso � once an Al-Qaeda operative and a detainee at Camp Bucca." (2b)

    Through Dr. Angell's program, a "moderate" Imam was brought in to teach religious classes at "Bucca Freedom School." He was given a list of religiously inclined detainees and allowed to pick 10-12 to mentor closely, with allegedly moderate ideas. Those special students were allowed to hold religion classes for hundreds of students. For all we know, that list of religious trainees formed the basis for the "Islamic State." Again, intentional, or the biggest "cluster-fuck" of all time?

    US Iraq jail an 'al-Qaeda school'�"Former inmates of Camp Bucca say military prison was training ground for extremism.

    Adel Jasim Mohammed, a former detainee of Camp Bucca near Umm Qasr, said that US officials did nothing to stop radicals from indoctrinating young detainees at the camp.

    "Extremists had freedom to educate the young detainees. I saw them giving courses using classroom boards on how to use explosives, weapons and how to become suicide bombers," Mohammed said.

    "For the Americans we felt it was normal. They did not stop them [the radicals]."

    …In 2005, an extremist was sent to our camp. At first, Sunnis and Shias rejected his teachings. But we were told that he was imposed by the prison authority," he said.

    "He stayed for a week and recruited 25 of the 34 detainees � they became extremists like him."

    Was this visiting scholar of radical Islam the same man who now calls himself Emir of the self-declared "Caliphate"?

    Abu Bakr Baghdadi allegedly took the helm of "Al Qaida In Iraq," after the death of the terrorist leader known as Abu Musab al-Zarqawi in June 2006

    The combined real and fake histories of Abu Bakr Baghdadi paint a portrait of an Iraqi from Ramadi in Anbar Province, who was allegedly a scholar of Islam with a master's degree and a PhD in Islamic studies from University of Islamic Sciences in Baghdad. He was allegedly captured by American forces sometime in 2003, before allegedly being released to the Iraqis in 2004. All articles repeating the claim that Baghdadi was held at Camp Bucca until its closure, can be traced back to this article from The Daily Beast. There is no information to be found on the Internet to fill in the gaps about his his time with the Iraqis, revealing where (or even if) he was held, but we know for certain that the only known photo of the man whom the Western media call "al-Baghdadi" came from the Iraq Min. of Interior. We cannot know for certain that the man held and released by American forces back then is the same man who now calls himself "Caliph Ibrahim."

    How ten months at US run Camp Bucca in 2004 transformed Abu Bakr al-Baghdadi into a ruthless foe

    "Many of us at Camp Bucca were concerned that instead of just holding detainees, we had created a pressure cooker for extremism."�James Skylar Gerrond, a former compound commander at Camp Bucca in 2006 and 2007

    Critics of the facility say it had in effect become a terror training institute, run by resentful inmates under a strict interpretation of Islamic law.

    "It is al-Qa'ida central down there," said Sheikh Ali Hatem Suleiman, a tribal leader from Anbar province. "What better way to teach everyone how to become fanatical than put them all together for scant reason, then deprive them?"

    [SEE: Behind the Scenes: Walking amid 2,000 al Qaeda suspects ]

     

    The Battle Behind the Wire�Rand Corp].

    Reform School for Radicals, Marisa L. Porges
    July 1, 2011

    To varying degrees, these initiatives also include religious education, from one-on-one meetings with local religious leaders who discuss ideological sources of radicalization to group sessions that review the Quran and Islamic law. In Iraq, the "Countering Extremism with Enlightenment", or Tanweer program, was modeled after early efforts in Saudi Arabia. Clerics and social workers led a religious dialogue to advance moderate views of Islam while promoting civic duties associated with Iraqi democracy.

    US risks fanning violence as it opens gates of Iraqi detention camps�April 19, 2009

    On Aug. 19, 2009, a series of massive car-bombs announced the rebirth of Al-Qaeda in Iraq (AQI)�Scores dead as Baghdad rocked by series of massive explosions

     

    Sept. 17, 2009, Camp Bucca Detention Center Closes in Iraq…thousands of inmates are set free in southern Iraq, near the Kuwaiti border.

    "An Air Force C-17 carrying the last group of 180 detainees lifted off from the Basra airport headed to Camp Cropper."

    AL-QAIDA IN IRAQ ON THE ROPE

    The following is also taken from the July 22, 2008 al�Qa`ida's Road In and Out of Iraq. Analysis from West Point expert on Iraq, Dr. Michael Knights�

    " AQI is a wounded organization….foreign fighters are now trying to leave the country."

    That was Dr. Knights' opinion on AQI in July 2008, the following is his assessment on July 31, 2012--

    "The Sunni insurgencies (plural) are being kept on life support."

    "It is clear that AQI has benefited from an unprecedented infusion of trained terrorist manpower. Many of the released persons spent time planning inside detention facilities like Camp Bucca and Camp Cropper, specifically so they could launch a smarter, stronger insurgent effort one day."

    In this testimony by Dr. Knights before the House Foreign Affairs Committee on December 12, 2013 (SEE: The Resurgence of Al-Qaeda in Iraq), he referred to a previous article that he had written on February 24, 2012 for the West Point Center for Combating Terrorism (which has apparently been erased from the Internet, for some reason), called "Back with a vengeance: Al-Qaeda in Iraq rebounds." This article is cited frequently by researchers who search for the roots of "Islamic State." It described a spent organization, headed for the great dust bin of history, far different from the supercharged terrorist organization that is tearing across Iraq and Syria, as described in Knights' August 27, 2014 testimony (SEE: ISIL's Political-Military Power in Iraq).

    The following excerpts come from that erased assessment�

    "By the middle of 2010, Al-Qaeda in Iraq was dead on its feet. The organization suffered critical setbacks in late 2006 and early 2007 as Sunni Arab tribal militias � the Sahwa (Awakening) � turned against Al-Qaeda. In parallel the U.S.-led military effort protected the Sahwa and executed high-tempo remorseless counter-terrorism operations that ripped Al-Qaeda in Iraq to pieces. The group's foreign volunteers and money started to dry up. Al-Qaeda cells began to process of disintegrating into local criminal franchises that now kidnapped and extorted to pay their salaries rather than fund insurgency. In April 2010 Al-Qaeda in Iraq lost its two most senior leaders � AQI emir Abu Omar al-Baghdadi and war minister Abu Ayyub al-Masri � and stood in the verge of "disintegration" according to the US commander in Iraq, General Ray Odierno. In a press conference on June 4, 2010, Odierno noted: "Over the last 90 days or so, we've either picked up or killed 34 out of the top 42 Al-Qaeda in Iraq leaders."

    "By early 2012 it was clear that the deaths of AQI's senior leaders were a watershed event that unfolded just as the movement sought to find a new way to operate in Iraq. Numerous processes have unfolded since Al-Qaeda's defeat in 2006-2009, including the release of large numbers of experienced militants from U.S. detention facilities, changes in the balance of foreign and Iraqi fighters within the movement, the withdrawal of U.S. forces, and determined attempts by Al-Qaeda in Iraq to learn from its mistakes. These changes crystallized in the year after the deaths of Abu Omar al-Baghdadi and Abu Ayyub al-Masri, culminating in a successful re-launch of the movement in April 2011 and a significant recovery of operational space within Iraq's Sunni Arab communities. The movement appears to have rationalized its near-term objectives and synchronized its propaganda with the mounting concerns of Iraq's Sunni Arabs."

    THE SAUDI CONNECTION�

    Members of the Islamic State of Iraq terrorist group and the Levant (EIIL) affiliated to Al-Qaeda, captured in Iraq, confessed to having direct links with the government of Saudi Arabia.

    ABDULLAH AZZAM BRIGADES

    Majid al-Majid was Saudi chief of the Ab.Azzam Brigades in Lebanon until his arrest and death in custody of Lebanon's Army.

    "Funding for the Sunni insurgency comes from private individuals within
    Saudi Arabia and the Gulf States."�Iraq Study Group Report

    al - Qa`ida's Road In and Out of Iraq,

    "Saudi Arabia, Syria, and Egypt were the source of most of the foreign fighters detained in Camp Bucca, Iraq….As of April 7, 2008, the United States was holding 251 foreign fighters at Camp Bucca, Iraq. Egypt, Saudi Arabia, and Syria each contributed 19 percent of those fighters. Libyans comprise only 3 percent."
    "Foreign Fighters contributed approximately 75 Percent of suicide bombers between August 2006 and August 2007."
    "The plurality of suicide bombers entering Iraq between August 2006 and August 2007 were Saudi."]

    "Sheikh Abdullah Rashid al-Baghdadi" was installed as head of Mujahideen Shura Council, the precursor of "Islamic State" in January of 2006. Was this the same man as Abu Bakr Baghdadi, even though he was supposedly incarcerated at Bucca at the time? Abdullah Azzam Brigades was spun-off from AQI in the process. A precursor to Al Nusra Front, "Al Nusra wal Jihad fi Bilad al Sham" split-off from AbAzzam in 2005, taking initial credit for the assassination of Rafik Hariri.

    Lebanese officials say Beirut suicide bomber, his accomplice are Saudi citizens

    Atrash Investigation: Two Saudi Suicide Bombers on the Loose

    CONCLUSION�

    Why is it that no researchers have asked the question "How did AQI suddenly acquire enough money and equipment to turn a failing terrorist entity into an "Islamic Caliphate" overnight?" Even if they did bully the Free Syrian Army and take their weapons,pull-off a "string of bank robberies," kidnappings and extortion, AQI could never have come up with enough cash to run an army, or to buy a fleet of shiny new Toyota trucks, or to become one of the best-paying employers in the Middle East, without being on some state's payroll.

    peter.chamberlin@hotmail.com


     


    Winners And Losers In Gaza: On Victory And False Victory By Ramzy Baroud

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    Winners And Losers In Gaza: On Victory And False Victory

    By Ramzy Baroud

    04 September, 2014
    Countercurrents.org

    In the rush to analyze the outcome of Israel's 51-day war in Gaza, dubbed Operation Protective Edge, some may have neglected an important factor: this was not a war by traditional definitions of warfare, thus the conventional analyses of victory and defeat is simply not applicable.

    That being the case, how can we explain Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu's triumphant statement on 28 August, and the massive celebrations on the streets of Gaza regarding the resistance 'victory' over Israel? To be truly fathomed, they must be understood in context.

    Soon after the ceasefire declaration on 26 August, ending Israel's most destructive war on Gaza yet, Netanyahu seemed to have disappeared from the scene. Some Israeli media began predicting the end of his political reign. Although this notion was a bit hasty, one can understand why. Much of the man's political career was predicated on his 'anti-terror' stance and Israeli security agenda.

    He served as prime minister from 1996 to 1999, with the decided aim of defeating the Oslo 'peace process.' He argued it compromised Israel's security. Then as a finance minister in Sharon's government (2003-05), he was troubled by Ariel Sharon's intentions regarding re-deploying out of Gaza. In fact, it was the Gaza 'disengagement plan' that ended the Netanyahu-Sharon alliance.

    It took Netanyahu a few years to fight his way back from the seeming oblivion in Israel's complicated political landscape. He fought a grueling political battle, but managed to redeem only some of the rightwing Likud party's past glory through fractious alliances. He served as prime minister from 2009-2013, and for a third term (a rarity in Israeli history) from 2013 to the present.

    Not only was Netanyahu the king of Israel, but its kingmaker as well. He did keep his friends close and enemies closer, and cleverly balanced out seemingly impossible coalition odds. He succeeded, not simply because he is a shrewd politician, but also because he managed to unite Israel around one goal: security. This he did by fighting "Palestinian terror," a reference to various Palestinian resistance groups, including Hamas, and building Israeli defenses. He had such command over that political discourse that no one came even close , surly not the newcomer centralist politician Yair Lapid, or even rightwing and far-right hawks Avigdor Liberman and Neftali Bennet.

    But then, Gaza happened, a war that could possibly become Netanyahu's biggest miscalculation , and perhaps the reason for his downfall. Aside from the collapse in his approval ratings , down from 82% on 23 July, to less than 38% shortly after the ceasefire announcement, the man's own language in his post-ceasefire press conference is telling enough.

    He seemed desperate and defensive, arguing that Hamas failed to achieve its war objective, although it was Israel, not Hamas, that instigated the war with a list of objectives - none of which were achieved anyway. Hamas responded by mocking his statement as the group didn't start the war, nor had any demands then, a group official told Al Jazeera. The demands were made in the subsequent ceasefire talks in Egypt, and some of them were in fact achieved.

    Netanyahu is twisting language and stretching the truth in a despondent attempt to score a political victory, or to simply save face. But few are convinced.

    Writing in Foreign Policy on 20 July 20 , Ariel Ilan Roth came to an early conclusion about the Gaza war, which has proven to be only partly true. "No matter how and when the conflict between Hamas and Israel ends, two things are certain. The first is that Israel will be able to claim a tactical victory. The second is that it will have suffered a strategic defeat."

    Wrong. Even the tactical victory was denied this time around, unlike previous wars, most notably the so-called Operation Cast Lead (2008-09). The Gaza resistance must have learned from its past mistakes, managing to withstand a 51-day war with a destructive outcome unprecedented in all past Gaza conflicts. When the Egypt-mediated ceasefire was announced, every Israeli soldier was pushed behind Gaza's borders.

    Almost immediately after the agreement, a Hamas official from Gaza read a statement in which he called on Israelis living in the many evacuated border towns to return to their homes, in a statement of defiance also unprecedented. Shortly after, hundreds of fighters representing all factions, Fatah included, stood at the ruins of the Shejaiya, neighbourhood in Gaza city. "There is no room amongst us for that defeated, weak Arab," the military leader of the Gaza resistance Abu Ubaydah declared, as throngs of people showered the fighters with kisses.

    He too declared some kind of victory. But is his "victory" statement any different from that of Netanyahu's?

    "Israel has a history of claiming victory when in fact it has suffered defeat; the October 1973 war is the best example," wrote Roth in Foreign Policy. The difference back then is that many in Israel accepted false victories. This time around they refuse to do so, as various opinion polls by Haaretz, Channel 2 and others are showing. Furthermore, the chasm in Israel's political class is wider than it has been in many years.

    Irrespective of this, 'victory' of the resistance cannot be understood within the same context of Israel's own definition of victory, or false victory. Surely the resistance "was able to establish deterrence, displaying an incredible level of resilience and strength, even when equipped with primitive weapons," as argued by Samah Sabawi . The very idea that powerful Israel, and the likes of Netanyahu, can use Palestinians as a testing ground for weapons or to enhance approval ratings seems to be over. The Sharon old wisdom that the Arabs and Palestinians "must be hit hard" and "must be beaten," as a precondition for calm, or peace, was challenged like never before in the history of Arab-Israeli wars.

    Gaza's ceasefire "celebrations" were not the kind of celebrations that would follow a football match win. To comprehend it as an expression of mere joy is a mistake, and reflects a lack of understanding of Gaza society. It was more of a collective statement by people who lost 2,143 people, mostly civilians, and have over 11,000 wounded and maimed to care for. Let alone the total or partial destruction of 18,000 homes, 75 schools, many hospitals, mosques, and hundreds of factories and shops.

    No, it was not a statement of defiance in the symbolic sense either. It was a message to Israel that the resistance has matured and that Israel's complete dominance over when wars start and how they end is over.

    Only the future could prove how accurate such an assessment is and how consequential it will be for the West Bank and East Jerusalem, which are under military occupation. Interestingly, "liberating Jerusalem," was in fact a dominant theme among jubilant Palestinians in Gaza. Another theme was the insistence of national unity among all Palestinians. After all, this was the real reason why Netanyahu had launched his war on Gaza in the first place.

    Resistance discourse, al-Muqawama , is now the most dominant in Palestine, and it goes beyond factional divides, or the tired discussion about useless 'peace talks' that garnered nothing for Palestinians but territorial loss, political division and much humiliation. That sentiment is already reverberating in the West Bank. But how it will be translated in the future is yet to be seen, considering the fact that the Palestinian Authority (PA) there is weak in its dealings with Israel, and very intolerant of any political dissent.

    Israeli pressure on PA President Mahmoud Abbas will continue. In his first press conference after the ceasefire Netanyahu repeated the same ultimatum. Abbas "needs to choose what side he is on," he said.

    After failing to end the Gaza resistance, Netanyahu is left with nothing other than pressuring Abbas, 79, whose choice, after Gaza's war, means so little to begin with.

    Ramzy Baroud is a PhD scholar in People's History at the University of Exeter. He is the Managing Editor of Middle East Eye. Baroud is an internationally-syndicated columnist, a media consultant, an author and the founder of PalestineChronicle.com. His latest book is My Father Was a Freedom Fighter: Gaza's Untold Story (Pluto Press, London).

    Elections In Kashmir: A Mockery Of Democracy By Rayees Rasool

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    Elections In Kashmir: A Mockery Of Democracy

    By Rayees Rasool

    04 September, 2014
    Countercurrents.org

    Kashmir always has witnessed a political drama during elections. The blame game and accusation game of Pro-establishment political parties against each other is not something different from other parts of the world. A fresh election, old drums are beaten, revocation of AFSPA, PSA etc. Elections in Kashmir derive the gradual attention of all Indian National Media and Indian Political Parties.

    The only "election" that stormed Kashmiries out of their houses to get their nails painted blue was the epoch of Muslim United Front (MUF) in 1987. Farooq Abdullah was declared the winner. The Muslim United Front (MUF) accused that the elections had been rigged and the fact is well acknowledged by Indian and International media as well resulting in a wide outrage and disillusionment.

    The insurgency in the valley increased in momentum from this point on, given the consistent failure of democracy. The MUF candidate Mohammad Yousuf Shah not only fakely impostered in the alleged rigged elections, but also imprisoned giving birth to Syed Salahuddin, chief of militant outfit Hizb-ul-Mujahedin, Currently heading United Jehad Council. His election aides being the HAJY group - Abdul Hamid Shaikh, Ashfaq Majid Wani, Javed Ahmed Mir and Mohammed Yasin Malik formed JKLF.

    MUF was a cluster of all socio, political and religious organizations who wanted to resolve the dispute by peaceful means. But Indian Government did not allow the moment to flourish in fact it lead the moment directionless by caging its leaders and activists. This is for those Indian Journalists and political leaders who question the credibility of the Kashmiri Pro-Freedom leaders and ask them to contest election to show there representative character. 1987 is the best example for them to get acquainted to the political situation in Kashmir.

    The rigging of 1987 elections stands a testimony to the fact that Kashmiris have tried every peaceful measure to get the dispute resolved. Rigging the elections and caging the leaders as discussed earlier left a wave irrefutably vagrant, left masses dejected. The fateful rigging gave birth to an armed struggle. Kashmir witnessed worst kind of atrocities in 90's. Fake encounters, custodial deaths, rapes, torture, enforced disappearances, massacres, burning of villages and what not. On the name of collateral damage thousands of houses and business establishments destroyed.

    Had Indian state been sincere in their efforts and had helped free and fair elections in 87, we have strong reasons to believe that the political scenario in Kashmir would have been different.

    Commencing with participation in elections to peaceful demonstrations, Kashmir has tried to get out of the dispute. The people of Kashmir will continue this struggle till it reaches the logical goal.

    No human on earth supports violence unless and unless he's pushed to.

    After the armed struggle for almost two decades, after sacrificing one generation, there was a complete transition with people of Kashmir opting for non-violent, peaceful demos in 2008, 2009 and 2010, but state behaved routinely murdering more than 200 un armed youth which pushed some more youth to resume the armed struggle. As the election nears, a high drama Is expected to unfold. Though the election under the supervision of Indian government doesn't hold any mandate over the political dispute of Jammu Kashmir. Still Indian Corporate media projects it as a legitimate mandate to India.

    Now I would like to conclude it here by addressing to our pro freedom factions. It is high time for all to chalk out joint strategy, as elections are approaching Jammu Kashmir, Indian political parties are trying to divide people on communal lines. BJP is all set to go for making our legitimate struggle for right to self-determination a communal fight. With the help of groups like NC, PDP and other regional parties Delhi has always created confusion and wedge between the people of Jammu, Kashmir, Ladakh. Time and again these people change stands and divert issues for their petty interests.

    We all should act against a united force that has taken a hardline stance on Kashmir rejecting its own stands on Kashmir.

    Rayees Rasool
    Project Coordinator
    Criminal Justice Initiative 
    Human Rights Law Network
    New Delhi

    Websites: www.hrln.org, www.combatlaw.org, www.iptindia.org

     

    Vanishing Airliners, “ISIS”, and 9/11. “Timing is Crucial in Politics” By Jason Kissner

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    Vanishing Airliners, "ISIS", and 9/11. "Timing is Crucial in Politics"

    Global Research, September 04, 2014

    Timing is crucial in politics.
    Therefore, when events transpire, they can often be as important as what transpires. This article discusses reasons as to why the timing of certain very recent events pertaining to vanishing aircraft and ISIS is highly suspicious.
    The very trustworthy MSM has just informed us that 11 commercial jet airliners vanished two weeks ago from an airport in Tripoli, Libya. Evidently, U.S. intelligence has just gotten around to informing citizens of the event. A couple of observations should be made before we get to the discussion of timing. It is a fact that nanosatellite technology with "night vision" capability has been available, and even publicly discussed, since as early as 1997. Furthermore, the National Reconnaissance Office, which spawns these devices, recently assigned a mission patch proclaiming that "Nothing is Beyond Our Reach" to a 2013 payload containing "Government Experimental Multi-Satellite" objects.
    In addition, it is almost certainly the case that the skies of Libya, in particular Tripoli, are almost certainly blanketed with drones. In view of the preceding, it is reasonable to suppose that the United States Government almost certainly knows where the aircraft are, but chooses to act as though it doesn't.
    Why?
    Now to matters of timing.
    After sitting on the supposed vanishings for two weeks, information seeped into the mainstream media only after the release of a second ISIS beheading video (if that is in fact what it was). Are we supposed to believe USG (us government) lost the planes for two weeks, looked for them and couldn't find them, and only now decided it's time to sound the alarm to the general public?
    That's possible, but consider also that the news of the vanishings arrived in tandem with news of the second "beheading." And, we're also told that the second beheading video may have been released early by accident?
    A second "beheading" has more effect if followed by more news of vanishing aircraft a bit later–so why would USG, after two weeks, have come out with news of the vanishing aircraft only immediately subsequent to an "accidental" release of the second beheading video–unless it was trying to maximize propaganda value regarding potential events it must have at least some degree of control over since it almost certainly knows where those aircraft are?
    Of course, the 11 vanishings could just be illusory and unadulterated propaganda; the game move could be pretty much the same regardless.
    So where does this leave us?
    On August 1this author wrote with respect to MH 17, MH 370, Air France 447, and, in particular, AH 5017 (all aircraft that vanished from contact), that:
    Matters are so compromised with respect to the status of bodily evidence [regarding AH 5017] that France now thinks it could take from three to five months for forensic processes to produce the first identifications.
    And then we have the facts that it took hours for airline and government officials to make AH 5017's disappearance public, there were 51 French passengers, and France, declaring victory, had very recently terminated Operation Serval (a counterterrorism adventure in Mali).
    Finally, we have the pending performance on a France/Russia deal whereby Russia is to received delivery of two Mistral warships. Maybe certain elitist elements would rather see France breach the contract?
    As implicitly predicted, we now have news that France has, at least temporarily, cancelled the contract with Russia. So here's what may well happen next: Obama's response so far has been tepid; a couple hundred troops to Iraq and the declaration that "ISIS" is "manageable" by the "international community." That is not going to be enough for people who want much more aggressive action against Russia and in the Middle East. Therefore, in coming days, we'll have another, more intense round of chicken; France has seen the writing on the wall and chickened out already in view of even more vanished aircraft. It's now 9/3, giving us 8 days to 9/11. The next scene probably happens tomorrow; it could be something like a group of "beheadings." Whatever it is, it will be noticeably scaled up.
    For news cycle type reasons, I doubt much will happen over the weekend other than noises here and there. If something does happen over the weekend, it will have to be pretty big in order to garner attention. Once we get to next week, we're on a collision course. If Obama still hasn't acted aggressively, on eitherMonday or Tuesday a pretty big event is likely to happen, but probably not in the U.S. A U.S. event is reserved for next Thursday and will only be engaged if Obama has still not acted in ways deemed sufficient.
    Dr. Jason Kissner is associate professor of criminology at California State University, Fresno. You can reach him at [email protected].
    Copyright © 2014 Global Research

    घर के अंदरमहल में भी अब चहारदीवारी है और संवाद निषेध है। फिरभी गनीमत है कि कैंसर से जूझते वीरेनदा अब भी कविता लिख रहे हैं।

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    घर के अंदरमहल में भी अब चहारदीवारी है और संवाद निषेध है।

    फिरभी गनीमत है कि कैंसर से जूझते वीरेनदा अब भी कविता लिख रहे हैं।


    पलाश विश्वास

    आज सही मायने में दिलोदिमाग का हाल अच्छा नहीं है।कल से पीठ में अजब सा दर्द हो रहा है।देर रात तक काम करने के बाद सुबह ही एक बेहद जरुरी बैठक में रहा दिनभर। अब एकदम पस्त हूं।सोने की कोशिश की तो सो नहीं पाया।तो बेहतर है जो लिखने का मन है,वह लिख दिया जाये।


    कल शाम अचानक दिल्ली से अपने फिल्मकार राजीव कुमार का फोन आया।फोन पकड़ते ही बोले ही बोला,लो वीरेन दा से बात करो।वीरेनदा ने तुमपर कविता लिखी है।बात करना चाहते हैं।


    वीरेनदा को बात करने में बेहद तकलीफ होती है।इधर वे फेसबुक पर भी सक्रिय दीखते हैं।मुझे मालूम है कि मैं जो कुछ लिखता हूं,उस पर मेरे गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी की तरह वीरेनदा की भी पैनी निगाह होती है। लिखते वक्त जैसे मेरे पांव करीब चार दशक से पीछे छूटे गांव बसंतीपुर में अपनी खेतों की कीचड़ में धंसे होते हैं तो लिखते हुए मैं दिवंगत गिरदा, गुरुजी और वीरेनदा का हाथ अपनी पीठ पर महसूस करता हूं।फिरभी मैं उन्हें फोन नहीं करता।


    वीरेनदा ने फोन पकड़ा तो बोलते ही रहे।बतें निकली तो निकली ही रहीं।


    बोले कविता लिखी है और तुझे सुनाउंगा।अब कहीं और रखा है।


    मैंने कहा कि जरुरत नहीं है क्योंकि मैं जानता हूं कि आप क्या लिख सकते हैं।


    वे बोले नैनीताल की खूब नराई लग रही है ,वहां जाने का खूब मन हो रहा है।


    अभी कुछ दिन पहले आनंद स्वरूप वर्मा से जब बातें हुई तो उन्होंने भी कहा था कि बहुत दिनों से नैनीताल नहीं गया।


    हम लोग 14 सितंबर को नैनीताल रवाना हो रहे हैं और लौटते हुए दिल्ली में उनसे मिलकर आयेंगे,मैंने उनसे कहा तो वीरेनदा बच्चों की तरह ही खुशी से किलक उठे।


    कवियों में अजब जीवट होता है।


    नवारुण दा ने भी केंसर से बेहद बहादुरी से पंजा लड़ाया और वीरेन दा ने अभी हार नहीं मानी है।


    मेरे पिता की मृत्यु रीढ़ में कैंसर से हुई लेकिन वे भी जब तक गिरे नहीं,दौड़ते रहे।


    कैंसर की आहट मैं भी साफ साफ सुन पाता हूं और मुझे मालूम नहींं कि इनमे से किसी की तरह या कमसकम अनुराधा की तरह लड़ पाउंगा या नहीं।


    आखिरकार अरसे बाद  वीरेनदा से ढेरों बातें हुुईं।यह बहुत बड़ी राहत की बात है। वे सकुशल हैं और अब भी कविता लिक रहे हैं,यह बहुत बड़ी राहत की बात है।


    वीरेनदा से बात करने के बाद अचानक जनसत्ता से दो साल पहले रिटायर हुए कोलकाता के मुख्य संवाददाता कृष्ण कुमार साह से बात करने की कोशिश की तो उनके भतीजे ने फोन उठाया।


    बोले, कृष्णाजी तो कोलकाता अस्पताल के आईसीयू में हैं।एकदम पस्त हो गये हैं। हफ्तेभर से किसी हरकत में नहीं हैं।किसी को पहचान नहीं रहे हैं और न खा पी रहे हैं।


    हम आसमान से गिरे।एक साथ तईस साल काम किया है हमने।अचानक रिटायर जीवन में उनके वेकल होने की खबर से डर गये और ज्यादा डरें क्योंकि अस्पताल में उनका सारा परिवार,पूरा कुनबा जमा था।


    आज दिनभर की व्यस्तता की वजह से बात नहीं हो पायी लेकिन शाम से कोशिस करता रहा कि उनके घरवालों से बात करूं।


    कुछ दर पहले बातें हुई भाभी जी से।बोलीं, ठीक हैं अब।


    मैंने कहा कि उसे फोन दीजिये।उसके फोन पकड़ते ही कड़क डांट पिलायी कि क्या नर्क मचाये हो।उसने फटाक से पहचान लिया।यह भी बड़ी राहत की बात है।


    दिन में जो बैठक हो रही थी,उसमें कई राज्यों और कई सेक्टरों के लोग थे।कर्नल साहेब के घर पर।


    उनका फोन आफ था।दोपहर को नासिक से भाभी जी का फोन मेरे फोन पर आया,जो चालू था।हमने उनकी बात करा दी।फिर हम विचार मंथन में लग गये।


    उस फोन के बाद भी कर्नल साहेब ने हम सबको बिरयानी खुद रेस्तरां से लाकर खिलाया और बैठक के बाद हमें रोककर समीक्षा भी की।


    चाय बनवाकर सबको विदा करने से पहले उन्होंने सूचना दी कि नासिक से फोन आया था कि उनके बहनोई का निधन हो गया।


    मेैंने लौटकर फोन पर उनसे पूछा,आप कब जा रहे हैं,तो उन्होंने कहा कि अंत्येष्टि तो हो गयी है और अब बाद में जाउंगा।


    आज की बैठक में शरदिंदु अपने छठीं में पढ़ने वाले बेटे उद्दीपन को लेकर आया।


    मुझे तत्काल अपने पिता का स्मरण हो आया जो मुझे हर सभा में ले जाते थे और किसी भी बड़े आदमी से बात करते हुए मुझे साथ रखना भूलते न थे।


    गांवों की परंपरा याद हो आय़ी कि कैसे हमारे पुरखे अपने बच्चों को आधी पानी में झंक देकर वक्त और हालात का मुकाबला करने की सीख और अभिज्ञता देते थे।


    आज हम अपने बच्चों को संबोधित ही नहीं कर रहे हैं।


    न उनके शिक्षकों के साथ उनका वह अंतरंग संबंध है जो हमारे शिक्षकों का हमसे था।


    गौतम बुद्ध ने धम्म के प्रचार में भिक्षुओं को हिदायत दी थी कि पंच शील के अनुशीलन और तात्विक बातों को सबसे पहले शिशुओं से साझा करें,जो निष्पाप और सही मायने में निरपेक्ष हैं.जो चीजों को उसकी हर बारीकी से पकड़ सकते हैं।


    गौतम बुद्ध ने धम्म के प्रचार में भिक्षुओं को हिदायत दी थी कि पंच शील के अनुशीलन और तात्विक बातों को  बच्चों के बाद फिर वृद्धों से साझा करें,जो संसार के सारे कष्ट झेल चुके हैं।क्योकि अभिज्ञता की पूंजी के आधार पर उनका दिशानिर्देश ही समाज को बदलेगा।


    गौतम बुद्ध ने धम्म के प्रचार में भिक्षुओं को हिदायत दी थी कि पंच शील के अनुशीलन और तात्विक बातों को बच्चों और वृद्धों को संबोधित कर लेने के बाद बाकी लोगों को।

    ताकि बदलाव के लिए पूरा समाज सक्रिय हो जाये।


    आज शरदिंदु का छठीं में पढ़ने वाला बेटा जिस गंभीरता से सुबह ग्यारह बजे से लेकर पांच बजे तक एक जगह बैठकर अत्यंत गंभीर विचारमंथन में शामिल रहा,उससे  तो यही लगता है कि बच्चे आज भी भविष्य के अग्रदूत हैं और हम हैं जो सिरे से बदल गये हैं।


    आज की बैठक में जो निष्कर्ष सबसे अहम है ,वह लोक में वापसी का मुद्दा है।


    हमारी सभ्यता का इतिहास उत्पादन संबंधों की नीव पर रहा है।उत्पादन संबंधों की नींव पर ही सामाजिक राजनीति व्यवस्था बनी है।


    संगठनात्मक गतिविधियों की शुरुआत उन्हीं उत्पादन संबंधों की बहाली और वर्गीय ध्रूवीकरण से ही संभव है।


    सिर्फ मुद्दे या सिर्फ विचारधारा से हम लोगों को एकताबद्ध नहीं कर सकते।


    जितना जरुरी है अस्मिताओं को ध्वस्त करना,उससे ज्यादा जरुरी है लोगों की आजीविका से हमारी लड़ाई को जोड़ना।


    उत्पादन प्रणाली में जो उत्पादक वर्ग है,उनके श्रम के बिना तकनीकी क्रांति का यह तामझाम और मुक्त बाजार का सारा बंदोबस्त बेकार है।


    उत्पादन के लिए जो कच्चा माल है,ऴह भी इसी वर्ग के सहयोग बिना मिलना असंभव है।उत्पादों को अंतिम रुप देना और बाजार के लिए पैकेजिंग की व्यवस्था भी उन्हींके हवाले।लेकिन बाजार पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।


    वे बाजार से बेदखल हैं।क्रय शक्ति से बेदखल हैं। और अपने ही उत्पाद के उपभोग के भी वे अधिकारी नहीं हैं।मुक्त बाजार का पूरा तिलिस्म इसी असमता और अन्याय के समीकरण पर टिका है।क्रयसक्ति की ट्रिंकलिंग से सत्तावर्ग का आधिपात्य श्रमजीवी वर्ग पर है और यही आर्थिक सुधारों,ग्लोबीकरण और मुक्तबाजार का पारस पाथर है।


    बुनियादी मसला यही है कि हम अपने संसाधनों के मालिक क्यों नहीं हैं और बाजार हमें बहिस्कृत कैसे कर रहा है।


    इस मसले को सुलझाये बिना मुक्तबाजार के प्रतिरोध की कोई संभवना नहीं है।


    हमने बचपन में अपने गांवों में जो लोकतांत्रिक व्यवस्था देखी है,वह सिरे से गायब है।


    गांव जो अनंत संवाद का मंच हुआ करता था,अब ग्लोबल विलेज के ब्लैक होल में गायब है।तकनीक ने दूरियां घटाने की बजाय अलंघ्य दीवारे पैदा कर दी हैं।


    घर के अंदरमहल में भी अब चहारदीवारी है और संवाद निषेध है।


    उत्पादन संबंधों के अभूतपूर्व संकट ही इसके लिए जिम्मेदार है।


    जाति और पहचान पुराने पारंपारिक गांवों में रिश्तों को बिगाड़ने का काम उसतरह नहीं कर रही थीं जो आज राजनीति जाति और अस्मित में तब्दील हो जाने से हो रहा है।



    सारे साझे चूल्हे तोड़ दिये गये हैं।



    दंगों की आग जो शहरों को घेरे हुए थी,आज गांवों को लील रही है।कहां तो हम गांवों के जरिये शहरों को घेरने चले थे ,विडंबना यह है कि अब मुक्तबाजारी गांवो को शहरों ने घेर लिया है और गांव तेजी से खत्म हो रहे हैं।अभूतपूर्व हिंसा के समय पर ङम जमीन पर नहीं,आग पर चल रहे हैं और रस्मोरिवाज के मुताबिक आंच महसूस होती नहीं है।


    साझा खेती,साझा श्रम की परंपरा खत्म है तो उत्पादन संबंधों में अनिवार्य विमर्श भी खत्म है।उत्पादन प्रणाली भी खत्म है।


    हमने चौपाल में,रसोई घर में किसानों को बीज,बुवाई,निराई ,कटाई के फैसले करते देखे हैं।अब हम मनसेंटों की हमारी उपज का फैसला करते देखने को अभिशप्त हैं।


    खेती के तमाम फैसले ,सिंचाई के बंदोबस्त कारपोरेट बंदोबस्त के तहत है और भारतीय कृषि व्यवस्था दम तोड़ चुकी है।


    आज तमाम विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री यह चरम सत्य भूल रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था अनिवार्यतः कृषि व्यवस्था है।


    कृषि खत्म तो अर्थव्यवस्था का कोई वजूद ही नहीं है।


    सेवाक्षेत्र और अंधाधुध शहरीकरण,विनिवेश,विदेशी पूंजी,विनियंत्रण,विनियमन से अर्थव्यवस्था की उस स्थाई समस्या का समाधान नहीं होता जिससे बहुसंख्य अपढ़ अधपढ़ अदक्ष श्रमशक्ति को नैसर्गिक रोजगार का इंतजाम किया जा सकें।


    आटोमेशन और रोबोटिक्स से रोजगार पैदा नहीं होते।न रोजगार नालेज इकनामी की उपज है और न आईटी और आउटसोर्सिंग से हर युवा हाथ को काम मिला है।


    नैसर्गिक रोजगार,अदक्ष अशिक्षितों को रोजगार और स्थानीय रोजगार के बदले हम सांस्कृतिक से लेकर धार्मिक महाविनाश का पीपीपी माडल अपना रहे हैं और यह अधर्म धर्म के धर्मोन्मादी पनरूत्थान के नाम पर हो रहा है।विकास दर के नाम पर हो रहा है।


    कैपिटल गुड्स,शेयर सूचकांक,उपभोक्ता बाजार,विदेशी पूंजी निवेश  और सेवा क्षेत्र के विस्तार के आकड़ों से जो विकास दर का प्रोजेक्शन है,वह हालीवूडी वैज्ञानिक संक्रमण से समाजवास्तव से दूर भारतीय फिल्मों के रैंप शो में बदल जाने की कथा है,जिसमें न जीवन कोई है और न कथा कोई।सिर्फ स्टार हैं ,कलाकार कोई नहीं।शवेत श्याम कुछ भी नहीं,सबकुछ रंगीन है।दृष्टि कोई नहीं है और न कोई जीवन दर्शन है,सिर्फ प्रोमो है।


    हिंदी हिंदू हिदुस्तान के नारों के बीच जो विकासगाथा है,उसमें बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं का विलोप हो रहा है।


    लोक के विज्ञापन की भाषा बदल जाने से हमें तकलीफ कोई होती नहीं है।


    विदेशी अबाध पूंजी से हमारे पेट में दर्द होता नहीं है।


    डालर और येन के लिए देशभर में बेदखली और सैन्यतंत्र सैन्य शासन के विस्तार से हमारी नींद हराम होती नहीं है।


    विधाओं के समाजवास्तव से कटकर देह उत्सव और भोग में बदल जाने से भी हमारे अतंःस्थल से कुछ रिसता नहीं है।


    देश बेचने के राजकाज के खिलाफ हमारी भाषा और अभिव्यक्ति बांझ है तो निंरतर मनुस्मृति राज के जरिये स्त्री आखेट और प्रकृति से जुड़े समुदायों और प्रकृति पर्यावरण के सर्वनाश के आपदा प्रबंधन से हम स्वदेशी जागरण करने चले हैं।


    और न हमें उत्पादन प्रणाली की कोई परवाह है और न उत्पादन संबंधों की।


    लेकिन बिन पंचशील बिना धम्म हम गौतम बुद्ध के बाजारु अवतारों की दृष्टि से क्रांति और परिवर्तन का दिवास्वप्न देख रहे हैं ।


    दसों दिशाओं में घनघोर अंधेरी रात है और अंधेरी रात के चौराहे पर खड़े हम कातिलों का बेसब्र इंतजार कर रहे हैं।


    नवारुण दा जैसे गुरिल्ला युद्ध के कवि हमारे बीच अब नहीं है,न कहीं कबीरा खड़ा है न रैदास,न निराला हैं न मुक्तिबोध या सुकांत,न हमारे पास कोई गिरदा है अब।


    फिरभी गनीमत है कि कैंसर से जूझते वीरेनदा अब भी कविता लिख रहे हैं।



    कविता कंडोम से बदलेंगे नहीं हालात लेकिन पलाश विश्वास

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    कविता कंडोम से बदलेंगे नहीं हालात लेकिन

    पलाश विश्वास


    अस्थिकेशवसाकीर्णं शोणितौघपरिप्लुतं।

    शरीरैर्वहुसाहस्रैविनिकीर्णं समंततः।।


    महाभारत का सीरियल जोधा अकबर है इन दिनों लाइव,जो मुक्तबाजारी महापर्व से पहले तकनीकी क्रांति के सूचनाकाल से लेकर अब कयामत समय तक निरंतर जारी है।


    उसी महाभारत के धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे युद्धोपरांत यह दृश्यबंध है।


    उस धर्मक्षत्रे अस्थि,केश,चर्बी से लाबालब खून का सागर यह।एक अर्यूद सेना, अठारह अक्षौहिणी मनुष्यों का कर्मफल सिद्धांते नियतिबद्ध मृत्युउत्सव का यह शास्त्रीय,महाकाव्यिक विवरणश्लोक।


    गजारोही,अश्वारोही,रथारूढ़,राजा महाराजा, सामंत, सेनापति, राजपरिजन,श्रेष्ठी अभिजन और सामान्य युद्धक पैदल सेनाओं के सामूहिक महाविनाश का यह प्रेक्षापट है।जो सुदूर अतीत भी नहीं है,समाज वास्तव का सांप्रतिक इतिहास है और डालर येन भवितव्य भी।


    मालिकों को खोने वाले पालतू जीव जंतुओं और युद्ध में मारे गये पिता,पुत्र,भ्राता,पति के शोक में विलाप में स्त्रियां का प्रलयंकारी शोक का यह स्थाईभाव है।नरभक्षियों के महाभोज का चरमोत्कर्ष है यह।


    यह है वह शास्त्रीय उन्मुक्त मुक्तबाजार का धर्मक्षेत्र जिसे कुरुवंश के उत्तराधिकारी भरतवंशी देख तो रहे हैं रात दिन चौबीसो घंटे लाइव लेकिन सत्ताविमर्श में निष्णात इतने कि महसूस नहीं रहे हैं क्योंकि धर्मोन्मादी दिलदिमाग कोमा में है।आईसीयू में लाइव सेविंग वेंटीलेशन में है।कृतिम जीवन में है,जीवन में नहीं हैं।


    अब उत्तरआधुनिक राजसूय अश्वमेध धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे तेलयुद्ध विकास कामसूत्र मध्ये अखंड भारतखंडे की पृष्ठभूमि भी वही महाकाव्यिक।नियति भी वही।मृत्यु उपत्यका शाश्वत वही।


    मैं अस्पृश्य,बहिस्कृत,बेनागरिक सामान्य किसान का बेटा हूं और मैं दुस्साहस कर रहा हूं यह कहने का कि उत्तरआधुनिक मक्तबाजार में जो मृत्युघोषणा का अमोघ पाठ है,वह किसी दूसरी विधा के लिए सच हो या न हो कविता के लिए निर्विवाद सत्य है।


    मैं कुलीन मेधासर्वस्व नस्ली आधिपात्य के सत्तावर्चस्व का प्रतिनिधि नहीं हूं और मेरी देह से लथपथ खेतों की कीचड़ अभी धुली नहीं है,हम श्रमजीवी श्रम निर्भर कुजात कुनस्ल के लोग हैं।इसलिए किसी समीकरण के बनने बगड़ने से मेरा कुछ उखड़ता नहीं है।


    मेरे पास त्यागने के लिए कुछ भी नहीं है और इसलिए मेरी यह सार्वजनिक घोषणा है कि कविता की मृत्यु हो चुकी है और यह घोषणा मुक्त बाजार के मंच से नहीं है।


    मेरे कवि मित्र माफ करें मुझे कृतघ्नता के अपराध के लिए।शिखर कवियों से लेकर अब तक आम कवियों के समर्थन के दम पर साहित्य संसकृति क्षेत्रे मेरा निरंतर अनधिकार अतिक्रमण का दुस्साहस है यह,लेकिन मुझे कहना ही होगा कि इस देश के समस्त कवियों की असमय अप्राकृतिक मृत्यु हो चुकी है।


    धर्मक्षेत्रे महाभारतीय परिदृश्य में जिनकी संवेदनाएं मृत हैं,उन्हें जीवित कैसे कहा जा सकता है,बताइये प्लीज।


    वे हद से हद बहुराष्ट्रीय गिफ्ट,ओहदा,पुरस्कार, सम्मान बटोरने वाले शब्द कारोबारी हैं और कारोबारियों की तरह मुक्तबाजार के सेनसेक्स निफ्टी में मुनाफा वसूली कर रहे हैं और उनका सारा दांव वहीं लगा है।


    कविता अगर जीवित होती और किसी अंधेरे कोने में भी बचा होता कोई कवि तो इस मृत्युउपत्यका की सो रही पीढ़ियों को डंडा करके उठा देता और आग लगा देता इस जनविरोधी तिलस्म के हर ईंट में,सत्तास्थापत्य के इस पिंजर को तोड़ कर किरचों में बिखेर देता।


    दरअसल उभयलिंगियों का पांख नहीं होते और वे सदैव विमानयात्री होते हैं।पांख के पाखंड में लेकिन आग कोई होती नहीं है।विचारधारा और प्रतिबद्धताओं की अस्मितामध्ये किसी अग्निपाखी का जन्म भी असंभव है।कविता अंतत- वह अग्निपाखी है और कुछ भी नहीं और बिना आग कविता या तो निखालिस रंडी, स्त्रियों के लिए अक्सर दी जाने वाली यह गाली किसी स्त्री का चरित्र है नहीं और दरअसल यह उपमा उभयलिंगी है जो सत्ता के लिए किराये की कोख भी है।


    जो कविता परोसी जा रही है कविता के नाम पर वे मरी हुई सड़ी मछलियों की तरह मुक्तबाजारी धारीदार सुगंधित कंडोम की तरह मह मह महक रही हैं अवश्य,लेकिन  कविता कंडोम से हालात बदलने वाले नहीं है।यह काउच पर,सोफे पर,किचन में ,बाथरूम में, बिच पर,राजमार्गे,कर्मक्षेत्रे मस्ती का पारपत्र जरुर है,कविता हरगिज नहीं।


    सच तो  यह भी है कि इस धर्मक्षेत्रे महाभारते  कविता के बिना कोई लड़ाई भी होनी नही है क्योंकि कविता के बिना सत्ता दीवारों की किलेबंदी को ध्वस्त करने की बारुदी सुरंगें या मिसाइली परमाणु प्रक्षेपास्त्र भी कुुरुक्षेत्र की दिलोदमाग से अलहदा लाशें हैं।


    लोक की नस नस में बसी होती है कविता।

    हनवाओं की सुगंध में रची होती है कविता।


    बिन बंधी नदियां होती हैं कविता।उत्तुंग हिमाद्रिशिखरों की कोख में जनमी ग्लेशियरों के उल्लास में होती है कविता।


    निर्दोष प्रकृति और पर्यावरण की गोद में होती है कविता।

    कविता महारण्य के हर वनस्पति में होती है और समुंदर की हर लहर में होती है कविता।


    मेहनतकशों के हर पसीना बूंद में होती है कविता।

    खेतों और खलिहानों की पकी फसल में होती है कविता।


    वह कविता अब सिरे से अनुपस्थित है क्योंकि लोक परलोक में है अब और प्रकृति और पर्यावरण को बाट लग गयी है।


    पसीना अब खून में तब्दील है।


    हवाएं अब बिकाऊ है।


    कोई नदी बची नहीं अनबंधी।


    सारे के सारे ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और उत्तुंग हिमाद्रिशिखरों का अस्तित्व ही खतरें में है। हिमालयअब आफसा है।आपदा है।


    खामोश हो गयी हैं समुंदर की मौजें और महाअरण्य अब बेदखल  बहुराष्ट्रीय रिसार्ट,माइंनिंग है,परियोजना हैं ह या विकास सूत्र का निरंकुश महोत्सव है या सलवा जुड़ुम या सैन्य अभियान है।


    वातानुकूलित सत्ता दलदल में धंसी जो कविता है कुलीन,उसमें शबाब भी है,शराब भी है,देह भी है कामाग्नि की तरह,लेकिन न उस कविता की कोई दृष्टि है और न उस निष्प्राण जिंगल सर्वस्व स्पांसर में संवेदना का कोई रेशां है।


    अलख बिना,जीवनदीप बिना,वह कविता यौन कारोबार का रैंप शो के अलावा कुछ नहीं है और महाकवि जो सिद्धहस्त हैं भाषिक कौशल में दक्ष,शब्द संयोजन बिंब व्याकरण में पारंगत वे दरअसल मुक्तबाजार के दल्ला हैं या फिर सुपरमाडल।


    चाहें तो सारे कवि मिलकर मुझे शुली पर चढ़ा दें लेकिन कवियों का अपराध चूंकि सबसे बड़ा है,समाज सचेतन कला कर्म का विश्वासघातचूंक सबसे संगीन है,मैं चुप नहीं रहने वाला।


    हालात जिस तेजी से बदल रहे हैं, जो कयामती हालात हैं,जो देश बोचो निरंकुश अश्वमेध है,उसके प्रतिरोध की प्रेरणा समसामयिक उत्तरआधुनिक किस कविता में है, जरा उसे पेश कीजिये।


    जो समय को दिशा बदलने को मजबूर कर दें,पत्थर के सीने से झरना निकाल दें और सत्ता चालाकियों का रेशां रेशां बेनकाब कर दें, जो मुकम्मल एक युदध हो जनता के हक हकूक के लिए,ऐसी कोई कविता लिखी जा रही हो तो बताइये।


    उस कवि का पता भी दीजिये जो मुक्तबाजारी कार्निवाल से अलग थलग है किंतु और जनता की हर तकलीफ,हर मुश्किल में उसके साथ खड़ा है।जिसका हर शब्द बदलाव के लिए  गुरिल्ला युद्ध है।


    उस कविता को दीवालों पर टांग दीजिये प्लीज,जो सारी अस्मिताओं के बंधन तोड़कर मेहनतकश जमात को एक कर दें।


    ऐसा कर सकें तो वही मेरी इस बदतमीजी का जवाब होगा।


    चिटफंड कंपनियों की संपत्ति पर बस्ती वालों को बसाने का ऐलान और वाम वापसी का आखिरी मौका एक्स कैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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    चिटफंड कंपनियों की संपत्ति पर बस्ती वालों को बसाने का ऐलान और वाम वापसी का आखिरी मौका

    एक्स कैलिबर स्टीवेंस विश्वास

    भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन निर्मायक मोड़ पर है।जनांदोलनों से बेदखल वाम का जनाधार भी खिसक गया है और देशभर में केसरिया कारपोरेट राज के समामने उसकी जन प्रतिबद्ध विचारधारा अपनी धार खो चुकी है।करीब चार दशक तक संसदीय राजनीति के दलदल में फंसी वाम राजनीति अब अवसान की ओर तेजी से बढ़ती नजर आ रही है।जिस बंगाल में केन्द्रित रही है पिछले चार दशकों की वाम राजनीति,वहां उसकी साख खत्म है।लेकिन अब शारदा फर्जीवाड़े के बाद परिवर्तन के तहत विपुल जनसमर्थन के साथ ममता बनर्जी के नेतृत्व में मां माटी सरकार के भ्रष्ट चेहरे के बेनकाब हो जाने के बाद बंगाल में एकदफा फिर वाम की वापसी की सरगर्मी तेज होने लगी है।जो देश के लिए अहम भी है।


    बंगाल में जिस तेजी से सारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं,नेताओं और समर्थकों का केसरिया कायाकल्प हुआ है,उससे पैतीस साल के वामजमाने में बंगाली राष्ट्रवाद में तब्दील वम राजनीति का सबसे बड़ा हाथ है।समाचार माध्यमों से लेकर साहित्य और संस्कृति जगत में जो तंत्र मंत्र यंत्र और धार्मिक क्रियाकर्म की राजनीति का वर्चस्व बना है,उसी जमीन से पद्म प्रलय की नींव बनी है।


    जाहिर है कि बंगाल की जागीर मुफ्त में हासिल करने की पूरी तैयारी में हैं अमित साह।तो इसी बीच ममता बनर्जी ने अदृश्य आत्मसमर्पण कर दिया है।


    वोट बैंक समीकरण को छेड़े बिना राज्यसभा में भाजपा सरकार को समर्थन देकर और बंगाल में पीपीपी माडल लागू करके अघोषित तौर पर ममता बनर्जी,उनकी सरकार और उनकी पार्टी अपने दागी चेहरों को बचाने की फिराक में हैं,जबकि अगली विधानसभा चुनाव में बंगाल दखलकी उज्ज्वल संभावनाओं के मद्देनजर संघ परिवार दीदी के बचाव का कोई फतवा जारी करेगा,नागपुर से ऐसे संकेत अब तक न मिले हैं और न सीबीआई जांच में कोई ढील दी जा रही है।यह वाम की वापसी का सबसे बेहतरीन मौका है।


    पैतीस साल के सत्ताभोग और सत्ता से बेदखली के तीन वर्ष बाद माकपा की ओर से आपरेशन बर्गा के तहत जोतदारों की जमीन दखल की तर्ज पर चिटफंड कंपनियों की संपत्ति दखल अभियान आगामी 11 सितंबर से शुरु करने का ऐलान करके माकपा ने फिर 1977 से पहले की वाम राजनीति की वापसी की याद दिला दी है।


    वाम नेता गौतम देब ने विचित्र अंगभंगी सबहकारे शारदा फर्जीवाड़े मामले में अमित शाह की शाही रणनीति के खुलासे के बाद चिटफंड कंपनियों की इमारतों में रेलवे लाइन,नदीकिनारे,नालों के आरपार और झील क्षेत्रों में किसी तरह गुजर बसर करने वाले लाखों लोगों को बसाने का ऐलान करके सनसनी फैला दी है।


    वाम राजनीति ने आपरेशन वर्गा से भी पहले भारत विभाजन के बाद बंगाल भर में पूर्वी बंगाल से आये शरणार्थियों का जबर दखल कालोनियां थोकदरों पर बसायी थीं।


    दरअसल कामरेड तो यह भूल ही गये ते कि आपरेशन वर्गा और शरणार्थी कालोनियां वाम कैडरकी प्रजनन भूमि रही है।


    बेहतर होता कि यह ऐलान पोलित ब्यूरो का कोई नेता,या राज्यमाकपा सचिव या फिर सूर्य कांत मिश्र स्वयं करते क्योंकि प्रेस कांफ्रेस में जंगी वाम आंदोलन की इस नई शुरुआत का आगाज गौतम देव ने अपनी जिस विशिष्ट शैली में किया,उससे उसकी प्रमाणिकता कम होती है।टीवी पर लाइव यह प्रेसकांफ्रेस देखना उनकी अंगभंगिमाओं की वजह से काफी कष्टकर रहा।लेकिन इससे इसका महत्व कम नहीं हो जाता।


    A senior CPI(M) leader today threatened "active resistance" against the Trinamool Congress and chit fund companies inWest Bengal while claiming that the ruling party should not misconstrue time given to it to work by the Left as its weakness.


    "We will launch active resistance against Trinamool Congress and the chit fund companies in order to highlight the nexus between the two," party Central Committee member Goutam Deb told newspersons at Barasat district party office here.


    "Chit fund companies have flourished under this regime and public money has been misused by these," he claimed.


    "As a responsible opposition, we had given the Trinamool Congress time to work and see what it does for public good, but now we will take to the streets to protest against its misrule and conduct," he said.


    Regarding the CBI investigation into the Saradha chit fund scam, Deb said, "I feel that the way investigation is advancing, it will reach a logical conclusion."


    Talking about BJP's prospects at Basirhat South Assembly constituency bye-election in North 24-Parganas district, of which he is the party district president, Deb said "though they had garnered a percentage of votes in the Lok Sabha elections from here, it will be a different ball game in the Assembly polls."


    Bye-elections are scheduled on September 13 at Basirhat South and Chowringhee Assembly seats.


    माकपा नेता गौतम देव ने भी दावा किया है कि इमरान जेआईबी का सक्रिय सदस्य है। संगठन प्रमुख मतिउर रहमान निजामी से इमरान के करीबी संबंध हैं।


    देव ने कहा कि वर्ष 2011 में ही उन्होंने यह खुलासा किया था। उस समय उनकी बात को कोई महत्व नहीं दिया गया था। देव ने कहा कि सारधा घोटाले की जांच अगर सही ढंग से हुई तो तृणमूल के सभी नेता जेल जाएंगे।


    तृणमूल कांग्रेस ने जब इमरान को राज्यसभा सदस्य के लिए चयनित किया गया था, उस समय भी मीडिया में इमरान के बांग्लादेश के कटरपंथी संगठनों से संबंध होने की खबर आई थी। लेकिन, तृणमूल कांग्रेस ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया था।


    वामदलों को दो करोड़ वोट बंगाल में विधानसभा चुनाव में मिले हैं।लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के वोट काफी घटे हैं।


    हालत यह कि पालतू अखबारों और टीवी चैनलों कि चिटफंड प्रायोजित जब्रदस्त प्रकाशन और प्रसारण के बावजूद,दीदी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में सत्ताइस क्लबों को सुदीप्त सेन की ओर से करोड़ों की खैरात बाटने के बावजूद भाजपा को बढ़त मिल गयी।


    कांग्रेसी और तृणमूली कैडरों के फेंस के आर पार जाने की यह प्रक्रिया विधानसभा चुनावों में और तेज हो ,अमितसाह और बंगाल में उनके सिपाहसालार जाहिर है कि इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगे।


    दीदी की साख तेजी से खत्म होती जा रही है और बंगाल में गायपट्टी के पापुलर चरित्र हननकारी नारे गूंजने लगे हैं।रोज नये खुलासे में तृणमूली संगठन के लोग फंसे जा रहे हैं तो कांग्रेस साइन बोर्ड में तब्दील है।


    जनांदलन की पहल जाहिर है कि वाम को ही करना होगा और जनांदोलन के रास्ते ही बंगाल में केसरिया बढ़त रोकी जा सकती है।लगता है,पार्टी संगठन और नेतृत्व में परिवर्तन से सिरे से इंकार कर रहे नेतृत्व ने बचाव का यह आखिरी आक्रामक रणनीति अपनायी है।


    बंगाल में अगर वाम आंदोलन नये सिरे से शुरु हो जाने के हालात बनते हैं और उसे जनता का व्यापक समर्थन मिलता है तो गठबंधन और सौदे की राजनीति से शायद ज्यादा कारगर हो सकती है यह रणनीति और निर्णायक तरीके से महज बंगाल में नहीं,बाकी देश में भी ऴाम वापसी की संभावना बन सकती है,बशर्ते कि संघ परिवार की तरह माकपा संगठन में जरुरी फेरबदल हो जाये और नेतृत्व में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व मिले।


    अब देखना है कि ऐसा किस हद तक हो पाता है।दूसरी ओर,करोड़ों रुपये के शारदा  चिटफंड घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती देख तृणमूल कांग्रेस बेचैन हो रही है।


    गौरतलब है कि मामले की जांच कर रही सीबीआई ने ममता बनर्जी के रेलमंत्री रहते इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और सारधा समूह के बीच तार जुड़े होने का खुलासा किया है। इसके बाद विरोधी दल माकपा, कांग्रेस व भाजपा बंगाल मुख्यमंत्री पर हमलावर हो गए हैं।

    सीबीआई के खुलासे के बाद मंगलवार को तृणमूल ने कहा कि केंद्र जांच एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय ने कहा कि सीबीआई एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करती है। इसके अलावा मामले में ममता के परिवहन मंत्री मदन मित्र को भी सीबीआई द्वारा तलब किए जाने की उम्मीद में विपक्ष खुश है और बंगाल सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।

    चिटफंड कंपनी शारदा  समूह की काली कमाई का एक मोटा हिस्सा बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमायत-ए-इस्लामी बांग्लादेश (जेआईबी) को जाता था। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद हसन इमरान के मार्फत भारतीय नोट बांग्लादेशी मुद्रा में तब्दील कर सीमा पार भेजे जाते थे।


    सीबीआई को सोमवार को शारदा  चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष से पूछताछ में यह सनसनीखेज जानकारी हाथ लगी है।


    दो दिन पहले ही कुणाल घोष ने तृणमूल सुप्रीमो व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सारधा समूह से सर्वाधिक लाभान्वित शख्स बताया था। कुणाल घोष के इस नए खुलासे से आरोप को लेकर पहले से ही सकते में आई तृणमूल कांग्रेस की परेशानी और बढ़ गई है। इस संबंध में अब तक तृणमूल की ओर से कोई बयान नहीं आया है।


    सीबीआई सूत्रों के अनुसार कुणाल ने बताया कि सारधा समूह के चेयरमैन सुदीप्त सेन के उर्दू दैनिक के संपादक इमरान का इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इंडिया (सिमी) से करीबी संबंध है। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए इमरान सुदीप्त सेन से पैसे लेकर जेआईबी को भेजते थे।


    इमरान के कहे अनुसार एम्बुलेंस में नकदी भर कर बांग्लादेश सीमा से सटे शारदा  समूह के कलेक्शन सेन्टर पर भेजा जाता था। वहां कोलकाता का एक व्यवसायी भारतीय मुद्रा को बांग्लादेशी एवं अन्य यूरोपीय देशों की मुद्रा में बदल देता था। फिर जेआईबी की सशस्त्र वाहिनी की निगरानी में उसे सीमा पार ले जाया जाता था।


    सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि कुणाल के इस आरोप की जांच की जा रही है। अगर यह साबित होता हो तो इस मामले में जुड़े सभी लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला चलेगा।


    शारदा घोटाले की जांच में जुटे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी ने बताया कि इमरान से पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उर्दू दैनिक कलम को इमरान ने सुदीप्त सेन को कितने रूपए में बेचा था। वो रकम कहां गई।



    गौरतलब है कि करोड़ों रुपये के शारदा  चिटफंड घोटाले के आरोपी व तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारधा से सबसे ज्यादा लाभ उठाया। उसने दावा कि सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन व मुख्यमंत्री के सामने मुझसे पूछताछ की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी।


    शनिवार को अदालत में पेशी के दौरान कुणाल के विस्फोटक बयान से बंगाल का राजनीतिक माहौल गर्मा उठा।


    आईआरसीटीसी व शारदा के बीच करार की जानकारी के लिए कुणाल को 12 सितंबर तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है।

    कुणाल के बयान को सही ठहराते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता व सांसद मुहम्मद सलीम ने कहा कि एक समय ममता, कुणाल व सुदीप्त एकसाथ थे, कुणाल का आरोप सही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री व सुदीप्त सेन के साथ कुणाल से पूछताछ की जानी चाहिए। भाजपा नेता तथागत राय ने कहा कि मुख्यमंत्री का नाम सामने आया है तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए।

    मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि कुणाल घोष सजा के डर से ममता बनर्जी का नाम ले रहे हैं। उन्होंने मीडिया द्वारा मुख्यमंत्री को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया संस्थानों द्वारा विज्ञापन के नाम पर चिटफंड कंपनियों से लिए गए पैसों की भी जांच होगी।



    गौरतलब है कि इसी बीच भाजपा के लिए जमीन विस्तार का लक्ष्य लेकर पश्चिम बंगाल पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर निशाना साधा। करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम आने के बाद उनकी चुप्पी पर शाह ने सवाल उठाए। कहा, घोटाले में अपने लोगों को फंसता देख दीदी ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने चुनौती के अंदाज में कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा के लिए बंगाल का रास्ता छोड़ दें। ऐसा नहीं किया तो अगले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें खुद रास्ते से हटा देगी। घुसपैठ के मुद्दे पर कहा कि दीदी को प्रदेशवासियों से ज्यादा बांग्लादेशियों की चिंता है।


    दैनिक जागरण के मुताबिक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि वह राज्य को नहीं चला पा रही हैं तो रास्ता छोड़ दें, भाजपा बंगाल में सुशासन देगी। अगर दीदी जगह नहीं छोड़ती है तो राज्य की जनता उन्हें 2016 में हटा देगी। साह ने रविवार को बहूबाजार में विधानसभा उप चुनाव में चौरंगी से पार्टी उम्मीदवार रितेश तिवारी के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए यह बातें कही।


    उन्होंने कहा कि माकपा ने 30 वषरें से अधिक समय के शासन में बंगाल को नुकसान पहुंचाया। बंगाल की जनता ने सिंगुर और नंदीग्राम में किसानों की जमीन के लिए परिवर्तन के नाम पर ममता बनर्जी को जिताया लेकिन सही मायने में यहां कोई परिवर्तन नहीं हुआ। माकपा और तृणमूल कांग्रेस मौसेरी बहनें है। एक की जगह दूसरी चली आयी लेकिन राज्य की जनता की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। गुंडागर्दी, बेरोजगारी और उद्योगों के उजड़ने में कोई कमी नहीं आई। दीदी राजनीति करने में व्यस्त रहीं। उन्हें राज्यवासियों की नहीं बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये की चिंता है। ममता के तीन वर्षों के शासन में बांग्लादेशी घुसपैठिये की संख्या में पांच गुणा वृद्धि हुई है।


    शाह ने कहा कि सिंगुर और नंदीग्राम में 2 हजार लोगों की जमीन के लिए ममता ने अनशन किया था लेकिन सारधा घोटाला में राज्य के 17 लाख लोगों का पैसा डूबा है। 17 लाख लोगों के पैसा के लिए ममता सड़क पर नहीं उतरी। इसलिए कि घोटाले में उन्हीं के चेले चपाटे लिप्त हैं। घोटाले में जो दोषी हैं सभी जेल में डाले जाएंगे।


    शाह ने ममता सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को सबके साथ समान समान व्यवहार करना चाहिए तभी जाकर बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्य में शांति आ सकती है। निर्दोष लोगों पर तृणमूल कांग्रेस के लोग जो हमले कर रहे हैं वह तुरंत बंद होना चाहिए।


    भाजपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में दो सीटें जिताने के लिए राज्य की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया और विधानसभा उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को जिताने का आह्वान किया।


    उन्होंने कहा कि अगले साल कलकत्ता कार्पोरेशन का चुनाव तथा 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत होगी। साह ने बंगाल की जनता से एक बार भाजपा को मौका देने की अपील की।

    शाह ने केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिनों की उपलब्धियां गिनायी।


    उन्होंने कहा कि देश का औद्योगिक विकास, कृषि विकास तथा गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गयी है। महंगाई पर नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं। 100 दिनों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता का भरोसा जीता है। प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रित कर साफ कर दिया गया कि भारत पड़ोसी देशों के साथ चलना चाहता है। भारत की पहल पर पाकिस्तान के साथ सचिव स्तर की वार्ता शुरू हुई। लेकिन पाकिस्तान ने जब अलगाववादियों से बातचीत शुरू की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कह दिया कि दोनों एक साथ नहीं चल सकता। मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा दिया कि या तो पाकिस्तान अलगावदियों के साथ ही बातचीत करे या सरकार से करे। लंबे समय के बाद देश में इस तरह की मजबूत विदेश नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनायी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि देश की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं है। भारत सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं कर सकता है।

    TMC Chief Knows Where the "LOST" Money has Gone: Gautam Deb

    'Mamata Banerjee knows very well where the "lost" money of the Saradha Scam has gone', remarked Gautam Deb, Central Committee member of the CPI (M) and North 24 Parganas District Secretary, at a press conference on 10thMay, 2014. He said that the CM Mamata Banerjee held a secret meeting with Sudipto Sen, the chief accused, at the Delo Bungalow of Kalimpong. She even met Gautam Kundu, owner of another chit fund, Rose Valley, at the same bungalow. He questioned why government money was spent to save TV channels owned by chit funds; why the channel owned by Sudipto Sen changed hands illegally while he was in prison; how could she deny selling her painting whiach she publicly announced as auctioned off; why the amount it was auctioned at is shown as 3 crores somewhere and 10 crores somewhere else; where did the 16 lakhs allotted to each candidate in the last Assembly elections come from; Why are Srinjoy Basu, Kunal Ghosh, KD Singh, Ahmed Hossain (Imran) who all are openly involved in the Chit Funds, were selected as TMC candidates and why the Chit Fund owned magazine "Kalam" was purchased with public funds.

    Gautam Deb said that the TMC led terror in North 24 Parganas has been reigned in to a certain extent. The election commission has been informed of high-risk booths. He also lodged a complaint about sending EVM machines in the custody of armed home guards and not with state police or central forces. He also elaborated about the measures that the party has planned in the North 24 Parganas to resist rigging, including spy cameras and vigilance on waterways.

    Gautam Deb sent out a clear message to the people at large that the Left Front will not give up on the struggle to defend the rights of the people to exercise their democratic will. The Left Front in all the constituencies will stand up and resist any attempt to thwart the election process and will fight against it.

    May 10, 2014


    একবারও মনে হয়নি তক রক্ত,কত ঘাম,কাত হাসি কত কান্নার সঙ্গে জড়ানো মানুষের টাকা,আত্মসাতী আত্মঘাতী এই রাজনীতি মানুষের লাগে কোন কাজে? নিজের আমলেই মমতাকে হাজতে যেতে হতে পারে- মন্তব্য বিরোধী দলনেতার। সত্যিই কি রাস্তায় নামার দম আছে বামেদের? CPI-M leader threatens active resistance against TMC পলাশ বিশ্বাস

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    একবারও মনে হয়নি তক রক্ত,কত ঘাম,কাত হাসি কত কান্নার সঙ্গে জড়ানো মানুষের টাকা,আত্মসাতী আত্মঘাতী এই রাজনীতি মানুষের লাগে কোন কাজে?

    নিজের আমলেই মমতাকে হাজতে যেতে হতে পারে- মন্তব্য বিরোধী দলনেতার।

    সত্যিই কি রাস্তায় নামার দম আছে বামেদের?

    CPI-M leader threatens active resistance against TMC


    পলাশ বিশ্বাস

    সত্যিই কি রাস্তায় নামার দম আছে বামেদের?এখনো? গৌতম দেবের অঙ্গভঙ্গিমা ঘন্টা খানেক বর্দাশ্ত করার পর যে এক্টিভ রেজিস্টান্সের ঘোষণা হল সেই মোতাবেক অপারেশন বর্গা বা ভারত বিভাজন পরবর্তীকালে বাংলার দিকে দিকে উদ্বাস্তু কলোনীর জন্য জমি দখলের সেই জঙ্গী আন্দোলনের কথাই বলেছেন গৌতম না অন্য কিছু?

    এরগারোই সেপ্টেম্বারের মাঝে আজ আর কাল,পুজো শেষ হবে নভেম্বারের পয়লা হপ্তায়,তারপর?

    বাম আন্দোলনের যে দীপশিখা নিভে গেছে 1977 এ ক্ষমতা গখলের সংশোধনবাদে,সেই আন্দোলনে কি দিশা খুঁজে পাবে বাম এবং সারা দেশে আবার প্রতিরোধে আটকে যাবে শসণের গণসংহার অশ্বমেধী সৈন্য সামন্ত,থমকে যাবে করপোরেট রাজ?

    না সারদা কেলেন্কারির পদ্মপ্রলয়ের মতোই সাময়িক চমকের অঙ্গভঙ্গীর থ্যাটার হয়ে মনে রইবে গৌতম দেবের এই এক্টিভ রেসেজিস্ট্যান্স?

    মেহনতী মানুষের দুনিয়া প্রতীক্ষায় রইল বসে,কবে এই পৃথীবী আবার আগের মতো হবে,কবে কে ফেরাবে সেই অরণ্য আবার?

    দৈনিক আজকালে লিখেছেন সোহম সেনগুপ্ত: তৃণমূল কংগ্রেসের বিরুদ্ধে আবার সরব হলেন সি পি এম নেতা গৌতম দেব৷‌ বসিরহাট দক্ষিণ বিধানসভা কেন্দ্রে উপনির্বাচনে শাসক দল ভোট-দখলের পরিকল্পনা করছে বলেও অভিযোগ তুলছেন তিনি৷‌ রাজ্যের চিট ফান্ড বিতর্ক প্রসঙ্গে তাঁর হুমকি, সারদা-রোজভ্যালি-এম পি এসের অফিস দখল করে গরিব মানুষের হাতে তুলে দেওয়া হবে৷‌ এম পি এসের যে ক'টা বাড়ি আছে তাতেও রেল কলোনির বাসিন্দাদের ঢুকিয়ে দেওয়া হবে৷‌ আগামী ১১ সেপ্টেম্বরের পর থেকেই এই আন্দোলন চলবে৷‌সোমবার বারাসতে উত্তর ২৪ পরগনা জেলা সি পি এমের অফিসে বসে এক সাংবাদিক সম্মেলনে এ কথা জানান পার্টির জেলা সম্পাদক গৌতম দেব৷‌ তিনি বলেন, চিটফান্ডের টাকা সারদার অ্যাম্বুলেন্সে করে মন্ত্রীদের কনভয়ের মধ্যে ঢুকিয়ে পাচার হত৷‌ কালিম্পঙে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের সভার পর রোজভ্যালির মালিক গৌতম কুণ্ডুর সঙ্গেও সভা করেন মুখ্যমন্ত্রী৷‌ তিনি বলেন, গত বিধানসভা নির্বাচনের আগে প্রত্যেক তৃণমূল প্রার্থীকে সারদার ৩২ কোটি টাকা ভাগ করে দেওয়া হয়েছিল৷‌ একমাত্র উপেন বিশ্বাস সেই টাকা নেননি৷‌ মুকুল রায়কে আক্রমণ করে গৌতম দেব বলেন, আমার সঙ্গে মামলায় ১৯ দিন হাজিরা দেননি৷‌ তিনি বলেন, সিঙ্গাপুর গিয়ে শিল্পের কোনও লাভ হবে না৷‌ একই সঙ্গে তিনি মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জির কড়া সমালোচনাও করেছেন৷‌ তিনি জানান, সি বি আইয়ের তদম্তে তাঁরা আস্হাশীল৷‌ বসিরহাট দক্ষিণের নির্বাচন নিয়ে গৌতম দেব বলেন, সন্ত্রাস করে বসিরহাট দক্ষিণ কেন্দ্রে জেতার চেষ্টা করছে তৃণমূল৷‌ ওরা বাইরে থেকে তিন হাজার লোক ঢোকালে তাঁরাও চার হাজার লোক সেখানে ঢোকাবেন বলে জানান গৌতম দেব৷‌ আগামী ১১ থেকে ১৫ সেপ্টেম্বর প্রাথমিকভাবে জেলার ১৫টি জায়গায় আইন অমান্য করবে বামফ্রন্ট৷‌ তিনি বলেন, আইন অমান্য করার জন্য বামফ্রন্ট কর্মীরা জেলে যেতেও প্রস্তুত৷‌ আগামী ৬ ডিসেম্বর কলকাতায় ৩ লক্ষ মানুষ নিয়ে তাঁরা যাবেন বলেও এদিন জানান গৌতম দেব৷‌ তিনি বলেন, কলকাতার পুলিস কমিশনার তাঁদের ভিক্টোরিয়া হাউসের সামনে সভা করার অনুমতি দেননি৷‌ তাই তাঁরা হাইকোর্টে ভিক্টোরিয়া হাউসের সামনে সভা করার জন্য মামলা করবেন৷‌ ২১ জুলাই তৃণমূল শহিদ দিবস করতে পারলে তাঁদেরকে কেন সভা করতে দেওয়া হবে না তা তাঁরা জানতে চাইবেন আদালতের কাছে৷‌


    A senior CPI(M) leader today threatened "active resistance" against the Trinamool Congress and chit fund companies in West Bengal while claiming that the ruling party should not misconstrue time given to it to work by the Left as its weakness.

    "We will launch active resistance against Trinamool Congress and the chit fund companies in order to highlight the nexus between the two," party Central Committee member Goutam Deb told newspersons at Barasat district party office here.

    "Chit fund companies have flourished under this regime and public money has been misused by these," he claimed.

    "As a responsible opposition, we had given the Trinamool Congress time to work and see what it does for public good, but now we will take to the streets to protest against its misrule and conduct," he said.

    Regarding the CBI investigation into the Saradha chit fund scam, Deb said, "I feel that the way investigation is advancing, it will reach a logical conclusion."

    Talking about BJP's prospects at Basirhat South Assembly constituency bye-election in North 24-Parganas district, of which he is the party district president, Deb said "though they had garnered a percentage of votes in the Lok Sabha elections from here, it will be a different ball game in the Assembly polls."

    Bye-elections are scheduled on September 13 at Basirhat South and Chowringhee Assembly seats.


    সারদা: মমতা সব জানতেন! তোপ গৌতম দেবের

    ওয়েব ডেস্ক, এবিপি আনন্দ

    Monday, 08 September 2014 07:15 PM

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    কলকাতা: সারদাকে হাতিয়ার করে এবার সরাসরি মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে আক্রমণ গৌতম দেবের। বাদ দিলেন না মুকুল রায়কেও। তাঁর দাবি, মমতা-মুকুল সব জানেন।

    অন্দরমহল থেকে ইতিমধ্যেই ধেয়ে এসেছে আক্রমণ। সারদাকাণ্ডে এবার বিরোধীদেরও সরাসরি নিশানায় মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। সারদা কেলেঙ্কারির তদন্তে ইতিমধ্যেই সিবিআই ও ইডি তৃণমূলের একাধিক নেতা-মন্ত্রী-সাংসদকে জেরা করেছে। কিন্তু প্রথমবার সরাসরি মুখ্যমন্ত্রী তথা তৃণমূল নেত্রীকে নিশানা করেন একদা তাঁর ছায়াসঙ্গী, বর্তমানে জেলবন্দী সাংসদ কুণাল। শনিবার তিনি বিস্ফোরক দাবি করেন, সারদা মিডিয়ার প্রত্যক্ষ ও পরোক্ষ সুবিধা যদি কারও কাছে পৌঁছে থাকে, তিনি মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়!

    কুণাল সারদা তদন্তে মুখ্যমন্ত্রীর নাম জড়িয়ে দেওয়ার পর, তৃণমূল যাঁকে 'সততার প্রতীক'-হিসাবে প্রচার করে, সেই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে কোমর বেঁধে আক্রমণে নেমে পড়েছে বিরোধীরা। সিপিএম রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য গৌতম দেব বলেন, মমতা সব জানতেন!

    কুণাল ঘোষ এক চাঞ্চল্যকর বিবৃতিতে দাবি করেছেন, ডেলোতে সারদা কর্তা সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের গোপন বৈঠক হয়েছিল। সেই একই সুরে আক্রমণ শানান গৌতম দেব।

    রবিবারই রাজ্যে এসে সারদা কেলেঙ্কারিতে সরাসরি মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে চ্যালেঞ্জ ছুঁড়ে দিয়েছেন বিজেপি সভাপতি অমিত শাহ। বুঝিয়ে দিয়েছেন, সারদা কেলেঙ্কারি যেমন তাঁদের প্রধান হাতিয়ার হতে চলেছে,  তেমনই আক্রমণের মূল লক্ষ্য হচ্ছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। রাজনৈতিক মহলের একাংশের ব্যাখ্যা, সোমবার গৌতম দেবের কথা থেকেও স্পষ্ট, বিজেপির মতোই সিপিএমেরও এখন অস্ত্র সারদা, লক্ষ্য মমতা।

    মমতা-মুকুলকে এ বার 'দুষ্কৃতী'বলে তোপ দাগলেন গৌতম


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    বারাসতে সিপিএম পার্টি অফিসে উত্তেজিত গৌতম দেব। ছবি: সুদীপ ঘোষ

    রাজ্যপাট পরিবর্তনের আগেই তৃণমূলের বিরুদ্ধে দুর্নীতির অভিযোগ তুলে সরব হয়েছিলেন তিনি। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ক্ষমতায় আসার পরেও তোপ অব্যাহত রেখেছিলেন। তৃণমূল নেতৃত্ব তাঁকে কখনও তাচ্ছিল্য করেছেন, কখনও মানহানির মামলা ঠুকেছেন। নিজের দলেও প্রবল সমালোচনার মুখে পড়তে হয়েছে। এ বার সারদা-কাণ্ডে সিবিআই তদন্তের ফাঁস তৃণমূলের উপরে চেপে বসতে শুরু করায় ফের মুখ খুললেন গৌতম দেব। এবং মমতা ও তৃণমূলে তাঁর দক্ষিণ হস্ত মুকুল রায়কে 'দুষ্কৃতী'আখ্যা দিলেন সিপিএমের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর এই সদস্য।

    কালিম্পঙের কাছে ডেলো বাংলোয় মুখ্যমন্ত্রী তথা তৃণমূল নেত্রী মমতা যে সারদা-কর্তা সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে বৈঠক করেছিলেন, সারদা-কাণ্ড প্রকাশ্যে আসার পরে প্রথম জনসমক্ষে সেই কথা বলেছিলেন গৌতমবাবুই। বরাহনগরে গত বছরের একটি জনসভায় তাঁর সেই মন্তব্যের জন্য তৃণমূলের রোষের মুখে পড়তে হয়েছিল তাঁকে। এখন জেলবন্দি তৃণমূলের সাসপেন্ডেড সাংসদ কুণাল ঘোষের ডায়েরিতেই ডেলো পাহাড়ে মমতা-সুদীপ্তের সেই বৈঠকের কথা বলা হয়েছে। পরিস্থিতি বিচার করেই ফের আসরে নেমেছেন গৌতমবাবু। তাঁর বিরুদ্ধে মানহানির মামলা করেও মুকুল কেন এক বারও আদালতে হাজির হননি, তুলে দিয়েছেন সেই প্রশ্নও। তাঁর তোলা অভিযোগের কোনও জবাব দেওয়া হয়নি তৃণমূলের তরফে। বরং গৌতমবাবুর শারীরিক অসুস্থতা নিয়েই ফের কটাক্ষ করেছেন তৃণমূল নেতৃত্ব।

    দলের জেলা সম্পাদক গৌতমবাবু সোমবার তোপ দাগেন, "মমতা ও মুকুল দু'জনেই দুষ্কৃতী (ক্রিমিনাল)! যারা লক্ষ লক্ষ মানুষের টাকা আত্মসাৎ করেছে, সেই সারদা-কর্তা সুদীপ্ত সেন আর রোজভ্যালির গৌতম কুণ্ডুকে পাহাড়ে ডেকে নিয়ে ওঁরা

    রাত ১২টার সময় বৈঠক করেছেন!"গৌতমবাবুর ব্যাখ্যা, "আসলে মমতা-মুকুল 'ক্রিমিনাল টাইপ অব পার্সোন্যালিটি! এঁরা মানসিক ভাবেও অপরাধপ্রবণ। ক্রিমিনাল পার্টি হিসেবেই তৃণমূল ইতিহাস হয়ে যাবে!"স্বভাবসিদ্ধ ভঙ্গিতে প্রাক্তন এই মন্ত্রীর আরও মন্তব্য, "মমতা যদি আগে আমার কথা শুনতেন, তা হলে আজ ওঁকে এই দিন দেখতে হতো না! নেতারা লাইন দিয়ে যাচ্ছে, ৭-৮ ঘণ্টা করে জেরা করছে সিবিআই। মদন-ফদন কিস্যু না! সব মমতা জানেন! মুকুল জানেন!"

    লোকসভা ভোটের সময় তৃণমূল নেত্রীর পরিবারের লোকজনের অল্প সময়ে ফুলেফেঁপে ওঠা নিয়ে প্রশ্ন তুলেছিলেন গৌতমবাবু। আলিমুদ্দিনে সেই সাংবাদিক বৈঠকের পরেই রাতে তাঁর সল্টলেকের বাড়িতে পুলিশ পাঠিয়েছিল তৃণমূলের সরকার। এ বারও তো তাঁর বিরুদ্ধে ব্যবস্থা নিতে পারে শাসক দল? গৌতমবাবুর বক্তব্য, "আমাকে ওরা জেলে পুরতে চেয়েছিল। পারেনি। আমি তো বলেছি, হয় মুকুল জেলে যাবেন, নয়তো আমি! মমতা জেলে যাবেন! মুকুলও যাবেন।"পুরনো প্রসঙ্গ উল্লেখ করেই গৌতমবাবু মনে করিয়ে দিয়েছেন, "মুকুল রায় ৩২ কোটি টাকা নগদ নিয়ে (বিধানসভা ভোটের আগে) বসেছিলেন। উপেন বিশ্বাস বাদে প্রায় সবাই সেই টাকার ভাগ নিয়েছেন। এ কথা বলায় মুকুল আমার নামে মানহানির মামলা করেছেন। আদালতে ১৯ বার আমি হাজিরা দিলেও মুকুল যাননি।"

    মুকুলবাবু এই নিয়ে কোনও মন্তব্য করেননি। তবে গৌতমবাবুর অসুস্থতার প্রতি ইঙ্গিত করে তৃণমূলের মহাসচিব পার্থ চট্টোপাধ্যায় মন্তব্য করেছেন, "পাগলা গারদ কোথায় আছে, গানটা মনে পড়ে গেল! প্রতিবার নির্বাচন আসে, আর প্রতিবারই এই নৃত্য দেখতে হয়! কেন অসুস্থ লোকটাকে টেনে আনে সিপিএম?"

    শুধু গৌতমবাবুই নন, অন্য বিরোধীরাও মুখ্যমন্ত্রী ও শাসক দলের শীর্ষ নেতৃত্বকে সমানে বিঁধেছেন। কলকাতায় এ দিন বিজেপি-র সহ-সভাপতি মুখতার আব্বাস নকভি কটাক্ষ করেছেন, "মমতাকে সারা দেশ বিদ্রোহের কন্যা বলে জানত। কোথাও কোনও অন্যায়, দুর্নীতি দেখলেই তিনি প্রতিবাদে সরব হতেন। অথচ ক্ষমতায় আসার মাত্র তিন বছরের মধ্যে তিনি পরিণত হলেন দুর্নীতির রানিতে!"প্রদেশ কংগ্রেস নেতা মানস ভুঁইয়াও প্রশ্ন তুলেছেন, "এত কিছু হয়ে যাচ্ছে, সরকারি দলের জবাব কোথায়? কেমন যেন গলা শুকিয়ে যাচ্ছে, ঘাবড়ে যাচ্ছেন!"

    আর গৌতমবাবু বারেবারেই বিঁধেছেন মমতা-মুকুলকে। অভিযোগ করেছেন, "তৃণমূলের মন্ত্রী, এমনকী, মুখ্যমন্ত্রীর কনভয়ের পিছনে সরকারি অ্যাম্বুল্যান্সে করে সারদার টাকা বস্তায় ভরে মেদিনীপুর থেকে কলকাতা আসত। রাত ১টার সময় নিউ টাউনের রাস্তায় মমতা ফোন করে কুণাল ঘোষকে ডেকে পাঠাতেন। অত রাতে তো অপরাধীরা রাস্তায় থাকে!"ডেলোর বৈঠক প্রসঙ্গে দাবি করেছেন, "ওই বৈঠকে আরও কথা হয়েছে। সব কথা, ছবি সময়মতো প্রকাশ হবে!"

    কৌশলে তৃণমূল নেতাদের মধ্যে বিভাজনের চেষ্টা চালিয়ে গৌতমবাবু বলেছেন, "সুব্রত মুখোপাধ্যায়, সৌগত রায়, গোবিন্দ নস্কর, এঁরা এ ধরনের মানুষ নন।"পথে নামার হুঁশিয়ারি দিয়ে তাঁর মন্তব্য, "বামফ্রন্ট শেষ হয়ে গিয়েছে কি না, ১১ সেপ্টেম্বরের পরে কিছুটা আর বাকিটা পুজোর পর থেকে তৃণমূল বুঝতে পারবে!"গৌতমবাবুর কথায়, ১১ তারিখ থেকে তাঁদের কর্মী-সমর্থকেরা সারদা, রোজভ্যালি এবং এমপিএসের বিভিন্ন অফিস-বাড়িতে হানা দেবেন। কলকাতায় এমপিএসের ১৭টা বাড়ি আছে। সেগুলি বিক্রি করে মানুষকে টাকা ফেরত দেওয়ার দাবি জানানো হবে। তা না হলে রেললাইন, ঝুপড়ি, বস্তি থেকে মানুষ (যাঁরা মূলত অর্থলগ্নি সংস্থায় আমানত করেছেন) এনে সেই সব বাড়িতে ঢুকিয়ে দেবেন বলেও হুমকি দিয়েছেন গৌতমবাবু।

    http://www.anandabazar.com/state/goutam-deb-describes-mamata-bandyopadhyay-and-mukul-roy-as-criminals-1.67156




    সারদাকাণ্ড: আজ খোলা হতে পারে প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার রহস্যজনক লকার

    Last Updated: Tuesday, September 9, 2014 - 12:36

    সারদাকাণ্ড: আজ খোলা হতে পারে প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার রহস্যজনক লকার

    কলকাতা: বিধাননগর আদালতে আজ সিবিআইয়ের তদন্তাধীন সারদা কেলেঙ্কারির প্রথম মামলার শুনানি। বিধাননগর উত্তর থানায় দায়ের মল্লিকা চ্যাটার্জি নামে এক আমানতকারীর অভিযোগের ভিত্তিতে মামলাটি দায়ের করেছিল রাজ্য পুলিসের সিট। মামলার কেস নম্বর একশো দুই। সুপ্রিম কোর্টে সারদায় সিবিআই সংক্রান্ত শুনানি চলাকালীন এই মামলাটিকেই মডেল মামলা বলে হলফনামা দিয়েছিল রাজ্য সরকার।

    এদিকে, সল্টলেকে সিবিআই অফিসে আজও ফের জেরা করা হচ্ছে সারদা কেলেঙ্কারিতে অন্যতম অভিযুক্ত কুণাল ঘোষকে।

    সারদা কেলেঙ্কারি তদন্তে কলম পত্রিকার প্রাক্তন সাংসদ আহমেদ হাসান ইমরানকে আজ ফের জেরা করছে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট। সারদাকে কলম পত্রিকা বিক্রির চুক্তিপত্রে অসঙ্গতি পেয়েছেন ইডির তদন্তকারীরা।  চুক্তিপত্রে টাকার অঙ্কের জায়গাটি ফাঁকা রাখা হয়েছিল। তদন্তকারীদের প্রশ্ন, টাকার অঙ্ক স্থির না হয়ে কী করে একটি পত্রিকার মালিকানা হস্তান্তর হল?

    সারদাকাণ্ডে আজ প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তা পল্টু দাসের রহস্যজনক লকার খুলতে পারে সিবিআই। গত ২৮  অগাস্ট সীতারাম ঘোষ স্ট্রিটে  প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার বাড়িতে তল্লাসি চালিয়ে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ কাগজপত্রের সঙ্গে পাওয়া গিয়েছিল একটি চাবিও। তদন্তে জানা যায়, সেটি একটি রাষ্ট্রায়ত্ত ব্যাঙ্কের কলেজ স্ট্রিট শাখার লকারের চাবি। লকার নম্বর একশো সাত। সেটি পল্টু দাসের এক ঘনিষ্ঠ আত্মীয়ের নামে রয়েছে। কিন্তু তা ব্যবহার করতেন দেবব্রত সরকার। জেরায় নিজেও একথা স্বীকার করে নিয়েছেন তিনি।

    দেবব্রত সরকারকে জেরা করেই জানা গেছে, সেবির সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের সমঝোতা করিয়ে দেওয়ার ব্যাপারে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথিপত্র ওই লকারে রাখা আছে। সিবিআইয়ের সন্দেহ, সুদীপ্ত সেনের দেওয়া কয়েকটি চেকও সেখানে পাওয়া যেতে পারে।    

    সাংবাদিকদের থেকে কুণাল ঘোষকে আড়াল করতে অতি তত্‍পর পুলিস

    সাংবাদিকদের থেকে কুণাল ঘোষকে আড়াল করতে অতি তত্‍পর পুলিস

    ওয়েব ডেস্ক: সাংবাদিকদের থেকে কুণাল ঘোষকে আড়াল করতে আজ অতি তত্পর ভূমিকায় দেখা গেল পুলিসকে। সকালে থানা থেকে সিবিআই অফিসে আনার সময় সাংবাদিকদের সঙ্গে কথা বলার চেষ্টা করেন কুণাল ঘোষ। কিন্তু, কর্তব্যরত পুলিসকর্মীরা তাঁকে জোর করে ভেতরে নিয়ে যাওয়ার চেষ্টা করলে ধস্তাধস্তি শুরু হয়ে যায়। পড়ে যান কুণাল ঘোষ। তাঁর কাঁধে ও মাথায় আঘাত লাগে।

    তড়িঘড়ি বিধাননগর মহকুমা হাসপাতাল থেকে পৌছয় চিকিত্সক দল। তাঁর প্রাথমিক চিকিতসার ব্যবস্থা করা হয়। এরপরই গোটা সিজিও কমপ্লেক্স চত্বর নিশ্চিদ্র পুলিসি নিরাপত্তা মুড়ে ফেলা হয়। যদিও, ইডি ও সিবিআই কর্তৃপক্ষের দাবি তাঁরা অতিরিক্ত কোনও নিরাপত্তার আবেদন করেননি।

    এদিকে, সারদাকাণ্ডে আজ বেশ কয়েকজন প্রভাবশালী রাজনৈতিক ব্যক্তির ঘনিষ্ঠদের জেরা করছে সিবিআই। সকালে সল্টলেকে সিজিও কমপ্লেক্সে পৌছে যান মন্ত্রী মদন মিত্রের ছায়াসঙ্গী বলে পরিচিত প্রশান্ত প্রামাণিক। প্রাক্তন তৃণমূল কংগ্রেস নেতা আসিফ খানকেও জেরা করছেন সিবিআই গোয়েন্দারা।

    এছাড়াও জিজ্ঞাসাবাদ করা হচ্ছে কংগ্রেস নেতা সোমেন মিত্রের আপ্ত সহায়ক বাদল ভট্টাচার্যকেও। সিবিআই সূত্রে খবর, গোয়েন্দারা এবার সারদাকাণ্ডের যারা মাথা, অর্থাত্‍ মূল চক্রীদের খোঁজ শুরু করেছেন। সন্দেহভাজনদের ঘনিষ্ঠদের ডেকে পাঠানো সেই তদন্তেরই অঙ্গ। সুদীপ্ত সেন এবং কুণাল ঘোষকে জেরা করে যে নামগুলি উঠে এসেছে, তা খতিয়ে দেখা হচ্ছে এদের জেরার মাধ্যমে। সিবিআই সূত্রে খবর, প্রয়োজনে তাঁদের কুণাল ঘোষের সামনে বসিয়ে কিংবা সবাইকে একসঙ্গেও জেরা করা হতে পারে।   

    এদিকে, সারদাকাণ্ডে আজ প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তা পল্টু দাসের রহস্যজনক লকার খুলতে পারে সিবিআই। গত আঠাশে অগাস্ট সীতারাম ঘোষ স্ট্রিটে  প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার বাড়িতে তল্লাসি চালিয়ে বেশকিছু গুরুত্বপূর্ণ কাগজপত্রের সঙ্গে পাওয়া গিয়েছিল একটি চাবিও।

    তদন্তে জানা যায়, সেটি একটি রাষ্ট্রায়ত্ত্ব ব্যাঙ্কের কলেজ স্ট্রিট ব্রাঞ্চের লকারের চাবি। লকার নম্বর একশো সাত। সেটি পল্টু দাসের এক ঘনিষ্ঠ আত্মীয়ের নামে রয়েছে। কিন্তু তা ব্যবহার করতেন দেবব্রত সরকার। জেরায় নিজেও একথা স্বীকার করে নিয়েছেন তিনি। দেবব্রত সরকারকে জেরা করেই জানা গেছে, সেবির সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের সমঝোতা করিয়ে দেওয়ার ব্যাপারে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথিপত্র ওই লকারে রাখা আছে।সিবিআইয়ের সন্দেহ, সুদীপ্ত সেনের দেওয়া কয়েকটি চেকও সেখানে পাওয়া যেতে পারে।  

    সারদা কেলেঙ্কারির সিবিআইয়ের প্রথম মামলার শুনানি আজ

    সারদা কেলেঙ্কারির সিবিআইয়ের প্রথম মামলার শুনানি আজ

    বিধাননগর আদালতে আজ সিবিআইয়ের তদন্তাধীন সারদা কেলেঙ্কারির প্রথম মামলার শুনানি। বিধাননগর উত্তর থানায় দায়ের মল্লিকা চ্যাটার্জি নামে এক আমানতকারীর অভিযোগের ভিত্তিতে মামলাটি দায়ের করেছিল রাজ্য পুলিসের সিট।

    মামলার কেস নম্বর একশো দুই। সুপ্রিম কোর্টে সারদায় সিবিআই সংক্রান্ত শুনানি চলাকালীন এই মামলাটিকেই মডেল মামলা বলে হলফনামা দিয়েছিল রাজ্য সরকার। এদিকে, সল্টলেকে সিবিআই অফিসে আজও ফের জেরা করা হচ্ছে সারদা কেলেঙ্কারিতে অন্যতম অভিযুক্ত কুণাল ঘোষকে। সারদা কেলেঙ্কারি তদন্তে কলম পত্রিকার প্রাক্তন সাংসদ আহমেদ হাসান ইমরানকে আজ ফের জেরা করছে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট। সারদাকে কলম পত্রিকা বিক্রির চুক্তিপত্রে অসঙ্গতি পেয়েছেন ইডির তদন্তকারীরা। চুক্তিপত্রে টাকার অঙ্কের জায়গাটি ফাঁকা রাখা হয়েছিল। তদন্তকারীদের প্রশ্ন, টাকার অঙ্ক স্থির না হয়ে কী করে একটি পত্রিকার মালিকানা হস্তান্তর হল?সারদাকাণ্ডে আজ প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তা পল্টু দাসের রহস্যজনক লকার খুলতে পারে সিবিআই। গত আঠাশে অগাস্ট সীতারাম ঘোষ স্ট্রিটে  প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার বাড়িতে তল্লাসি চালিয়ে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ কাগজপত্রের সঙ্গে পাওয়া গিয়েছিল একটি চাবিও। তদন্তে জানা যায়, সেটি একটি রাষ্ট্রায়ত্ত ব্যাঙ্কের কলেজ স্ট্রিট শাখার লকারের চাবি।

    লকার নম্বর একশো সাত। সেটি পল্টু দাসের এক ঘনিষ্ঠ আত্মীয়ের নামে রয়েছে। কিন্তু তা ব্যবহার করতেন দেবব্রত সরকার। জেরায় নিজেও একথা স্বীকার করে নিয়েছেন তিনি। দেবব্রত সরকারকে জেরা করেই জানা গেছে, সেবির সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের সমঝোতা করিয়ে দেওয়ার ব্যাপারে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথিপত্র ওই লকারে রাখা আছে। সিবিআইয়ের সন্দেহ, সুদীপ্ত সেনের দেওয়া কয়েকটি চেকও সেখানে পাওয়া যেতে পারে।    

    সারদাকাণ্ডে জেরা করা হচ্ছে প্রভাবশালী রাজনৈতিক ব্যক্তিদের ঘনিষ্ঠদের

    ওয়েব ডেস্ক: সারদাকাণ্ডে আজ বেশ কয়েকজন প্রভাবশালী রাজনৈতিক ব্যক্তির ঘনিষ্ঠদের জেরা করছে সিবিআই। সকালে সল্টলেকে সিজিও কমপ্লেক্সে পৌছে যান মন্ত্রী মদন মিত্রের ছায়াসঙ্গী বলে পরিচিত প্রশান্ত প্রামাণিক। প্রাক্তন তৃণমূল কংগ্রেস নেতা আসিফ খানকেও জেরা করছেন সিবিআই গোয়েন্দারা।

    এছাড়াও জিজ্ঞাসাবাদ করা হচ্ছে কংগ্রেস নেতা সোমেন মিত্রের আপ্ত সহায়ক বাদল ভট্টাচার্যকেও। সিবিআই সূত্রে খবর, গোয়েন্দারা এবার সারদাকাণ্ডের যারা মাথা, অর্থাত্‍ মূল চক্রীদের খোঁজ শুরু করেছেন। সন্দেহভাজনদের ঘনিষ্ঠদের ডেকে পাঠানো সেই তদন্তেরই অঙ্গ। সুদীপ্ত সেন এবং কুণাল ঘোষকে জেরা করে যে নামগুলি উঠে এসেছে, তা খতিয়ে দেখা হচ্ছে এদের জেরার মাধ্যমে। সিবিআই সূত্রে খবর, প্রয়োজনে তাঁদের কুণাল ঘোষের সামনে বসিয়ে কিংবা সবাইকে একসঙ্গেও জেরা করা হতে পারে।   

    এদিকে, সারদাকাণ্ডে আজ প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তা পল্টু দাসের রহস্যজনক লকার খুলতে পারে সিবিআই। গত আঠাশে অগাস্ট সীতারাম ঘোষ স্ট্রিটে  প্রয়াত ইস্টবেঙ্গল কর্তার বাড়িতে তল্লাসি চালিয়ে বেশকিছু গুরুত্বপূর্ণ কাগজপত্রের সঙ্গে পাওয়া গিয়েছিল একটি চাবিও।

    তদন্তে জানা যায়, সেটি একটি রাষ্ট্রায়ত্ত্ব ব্যাঙ্কের কলেজ স্ট্রিট ব্রাঞ্চের লকারের চাবি। লকার নম্বর একশো সাত। সেটি পল্টু দাসের এক ঘনিষ্ঠ আত্মীয়ের নামে রয়েছে। কিন্তু তা ব্যবহার করতেন দেবব্রত সরকার। জেরায় নিজেও একথা স্বীকার করে নিয়েছেন তিনি। দেবব্রত সরকারকে জেরা করেই জানা গেছে, সেবির সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের সমঝোতা করিয়ে দেওয়ার ব্যাপারে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথিপত্র ওই লকারে রাখা আছে।সিবিআইয়ের সন্দেহ, সুদীপ্ত সেনের দেওয়া কয়েকটি চেকও সেখানে পাওয়া যেতে পারে।       

    জেলে বসে কুণাল ঘোষের লেখা, মমতা ব্যানার্জি'র আঁকা ছবি ও সারদা প্রসঙ্গ  

    ১। ছবি বিক্রি করে টাকা তোলা ঘোষিত। এতে কোনও অন্যায় নেই। ২। বিভিন্ন শিল্পগোষ্ঠী ও শিল্পপতিও এই ক্রেতার তালিকায়, এটাই তাৎপর্যপূর্ণ। ৩। এর মধ্যে বিস্তারিত যাচ্ছি না সারদা প্রসঙ্গে ঠিক যেটুকু জানি: সুদীপ্ত সেন ছবি  ...  আরও»

    জাগো বাংলার টাকার উৎসও প্রশ্নের মুখে

    নিজে ছবি এঁকে দলের জন্য তহবিল সংগ্রহের কথা বারবার বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বলেছেন ছবি বিক্রির টাকায় তাঁর দলীয় মুখপত্র চালানোর কথাও। সারদা-তদন্তের শিকড় গভীরে যাওয়ার সঙ্গে সঙ্গে সেই সব টাকার উৎসও এ বার প্রশ্নের মুখে। রেলমন্ত্রী থাকাকালীনই নিজের আঁকা ছবির প্রদর্শনী শুরু করেন মমতা। মুখ্যমন্ত্রী হয়েও করেছেন।


    জাগো বাংলার টাকার উৎসও প্রশ্নের মুখে  

    নিজে ছবি এঁকে দলের জন্য তহবিল সংগ্রহের কথা বারবার বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বলেছেন ছবি বিক্রির টাকায় তাঁর দলীয় মুখপত্র চালানোর কথাও। সারদা-তদন্তের শিকড় গভীরে যাওয়ার সঙ্গে সঙ্গে সেই সব টাকার উৎসও  ...  আরও


    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    মমতা ব্যানার্জি'র আঁকা ছবি ও সারদা প্রসঙ্গ

    ১। ছবি বিক্রি করে টাকা তোলা ঘোষিত। এতে কোনও অন্যায় নেই। ২। বিভিন্ন শিল্পগোষ্ঠী ও শিল্পপতিও এই ক্রেতার তালিকায়, এটাই তাৎপর্যপূর্ণ। ৩। এর মধ্যে বিস্তারিত যাচ্ছি না সারদা প্রসঙ্গে ঠিক যেটুকু জানি: সুদীপ্ত সেন ছবি কিনেছেন, এটা যেমন ঠিক, সুদীপ্ত সেন ছবি কেনেননি, কৌশলী বিবৃতিতে সেটাও ঠিক হতে পারে।

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    মমতা-মুকুলকে এ বার 'দুষ্কৃতী'বলে তোপ দাগলেন গৌতম

    রাজ্যপাট পরিবর্তনের আগেই তৃণমূলের বিরুদ্ধে দুর্নীতির অভিযোগ তুলে সরব হয়েছিলেন তিনি। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ক্ষমতায় আসার পরেও তোপ অব্যাহত রেখেছিলেন। তৃণমূল নেতৃত্ব তাঁকে কখনও তাচ্ছিল্য করেছেন, কখনও মানহানির মামলা ঠুকেছেন। নিজের দলেও প্রবল সমালোচনার মুখে পড়তে হয়েছে। এ বার সারদা-কাণ্ডে সিবিআই তদন্তের ফাঁস তৃণমূলের উপরে চেপে বসতে শুরু করায় ফের মুখ খুললেন গৌতম দেব। এবং মমতা ও তৃণমূলে তাঁর দক্ষিণ হস্ত মুকুল রায়কে 'দুষ্কৃতী'আখ্যা দিলেন সিপিএমের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর এই সদস্য।

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    পাছে মুখ খোলেন কুণাল, ধাক্কা-ধস্তাধস্তি

    সাংবাদিকদের দেখে মুখ খুলতেই পিছন থেকে এক ধাক্কা। সিবিআই দফতরের সিঁড়িতে হুমড়ি খেয়ে পড়লেন কুণাল ঘোষ। সোমবার সেই অবস্থাতেই তাঁকে টেনে তুলে নিয়ে দফতরের ভিতরে চলে গেল পুলিশের একটা দল। যার নেতৃত্বে বিধাননগর দক্ষিণ থানার ওসি। সিবিআই সূত্রের খবর, পড়ে গিয়ে কপালে, হাতে, কোমরে চোট পেয়েছেন কুণাল।

    কলকাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    সব বলে দিয়েছি, দাবি আসিফের

    শাসক দলের সঙ্গে সারদার সম্পর্ক নিয়ে মুখ খুললেন তৃণমূলের একদা ঘনিষ্ঠ আরও এক জন। সোমবার প্রাক্তন তৃণমূল নেতা আসিফ খানকে জেরা করে সিবিআই। কুণাল ও আসিফকে মুখোমুখি জেরা করা হয় বলে সিবিআই সূত্রের খবর। এ দিন বেলা পৌনে এগারোটা নাগাদ সল্টলেকের সিজিও কমপ্লেক্সে সিবিআই সদর দফতরে হাজির হন আসিফ। প্রায় সাড়ে সাত ঘণ্টা জেরা শেষে সন্ধে পৌনে সাতটা নাগাদ বেরিয়ে সংবাদমাধ্যমের মুখোমুখি হন তিনি। আসিফ বলেন, "২০০৮ থেকে ২০১৩ সাল পর্যন্ত দলের নেতাদের সঙ্গে নানা জায়গায় ঘুরেছি। যা দেখেছি, যা শুনেছি, যা বুঝেছি সবই সিবিআইকে বলেছি।"

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    অমিত আক্রমণ মোকাবিলায় ভাইপোই অস্ত্র তৃণমূল নেত্রীর

    এক প্রৌঢ়কে চ্যালেঞ্জ জানালেন এক যুবা! মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ভাবমূর্তিতে কালি লাগানোর চেষ্টা করলে অমিত শাহরা পশ্চিমবঙ্গে পা রাখার জমি খুঁজে পাবেন না। বিজেপি সভাপতির হুঁশিয়ারির ২৪ ঘণ্টার মধ্যেই তাঁকে পাল্টা চ্যালেঞ্জ ছুঁড়লেন তৃণমূল নেত্রীর ভাইপো এবং 'যুবা'র সর্বভারতীয় সভাপতি ও সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়।

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    আবার সেই আজকালে দীপঙ্কর নন্দীর খবরঃ


    মুকুল রায় ছাড়া তৃণমূলের প্রথম সারির প্রায় সব নেতাই সোমবার চৌরঙ্গিতে প্রচার করলেন৷‌ এদিন বিকেলে মুকুল নবান্নতে গিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জির সঙ্গে দীর্ঘক্ষণ বৈঠক করেন৷‌ জানা গেছে, বিভিন্ন বিষয় নিয়ে খুবই গুরুত্বপূর্ণ আলোচনা হয়েছে৷‌ চৌরঙ্গি উপনির্বাচন উপলক্ষে এদিন বৌবাজারের ব্যাঙ্ক অফ ইন্ডিয়ার সামনে প্রার্থী নয়না দাসের সমর্থনে সৌগত রায়, পার্থ চ্যাটার্জি, সুদীপ ব্যানার্জি, সুব্রত বক্সি, সাধন পান্ডে, ফিরহাদ হাকিম, অভিষেক ব্যানার্জি, বৈশ্বানর চট্টোপাধ্যায় বক্তব্য পেশ করেন৷‌ সভায় ভিড় ছিল লক্ষ্য করার মতো৷‌ প্রত্যেক নেতাই বি জে পি-কে তুমুল আক্রমণ করেন৷‌ সন্ধ্যায় ব্যাঙ্ক অফ ইন্ডিয়ার সামনে যাওয়ার আগে পার্থ তৃণমূল ভবনে সাংবাদিক বৈঠক করেন৷‌ তিনি সি পি এম নেতা গৌতম দেবকে কটাক্ষ করে বলেন, তিনি পাগলের প্রলাপ বকছেন৷‌ এ সব ছেঁদো কথায় চৌরঙ্গির জয় আটকাবে না৷‌ বি জে পি-র সর্বভারতীয় সভাপতি অমিত শাহ কলকাতায় এসে দিল্লিতে গিয়ে বুঝতে পারলেন, চৌরঙ্গিতে তাঁদের পক্ষে জেতা সম্ভব নয়৷‌ আস্তিন গুটিয়ে বি জে পি নেতারা চৌরঙ্গিতে এসে বড় বড় কথা বলে গেলেন৷‌ অসংলগ্ন কথা বললেন৷‌ পরাজয় নিশ্চিত বুঝে দিল্লির নেতারা এখন অন্য কথা বলছেন৷‌ লোকসভা নির্বাচনে হাজার হাজার কোটি টাকার বিজ্ঞাপন খরচ করেছিল বি জে পি৷‌ বাংলার মানুষ বি জে পি-কে প্রত্যাখ্যান করে মমতার হাতে ৩৪টি আসন তুলে দিয়েছিলেন৷‌ স্বাধীনতার পর কোনও দল এককভাবে এত আসন পায়নি৷‌ পার্থর অভিযোগ, টিভিতে সেজেগুজে কয়েকজন নেতা তৃণমূলের বিরুদ্ধে কুৎসা, অপপ্রচার করছেন৷‌ তিনি দাবি করেন, বাংলায় অবাধে ভোট হয়৷‌ এখানে গত তিন বছর ধরে প্রতিটি নির্বাচনে সুষ্ঠুভাবে ভোট দিয়েছেন মানুষ৷‌ বি জে পি-তে সম্প্রতি যোগ দেওয়া কংগ্রেসের জয়প্রকাশ মজুমদারকে কটাক্ষ করে পার্থ বলেন, আজ টিভিতে অন্য দলের হয়ে বলছেন৷‌ কাল আবার আরেকটি দলের হয়ে মতামত দেবেন৷‌ আয়ারাম-গয়ারাম চলছে৷‌ পার্থ বলেন, এক মাস টিভি চ্যানেলে কয়েকজন নেতাকে না ডাকা হলে তাঁদের নাম মানুষ ভুলে যাবেন৷‌ বাতিল হওয়া কিছু নেতা এখন চ্যানেলে গিয়ে মুখ দেখাচ্ছেন৷‌ সংবাদমাধ্যম সম্পর্কে পার্থর বক্তব্য, লেবু বেশি কচলাবেন না৷‌ মমতার পাশেই বাংলার মানুষ রয়েছেন৷‌ ব্যাঙ্ক অফ ইন্ডিয়ার সামনে এদিন সন্ধ্যায় ভিড় ছিল লক্ষ্য করার মতো৷‌ মঞ্চে উপস্হিত ছিলেন প্রার্থী নয়না দাস৷‌ তৃণমূল যুবার ডাকে এদিনের প্রচারসভা করা হয়৷‌ যুবার সভাপতি অভিষেক বলেন, বি জে পি নেতা অমিত শাহ বাংলার ইতিহাস জানেন না৷‌ মমতার সংগ্রাম সম্পর্কে ওঁর কোনও ধারণা নেই৷‌ বাংলায় এসেছেন বাজার গরম করতে৷‌ সারদা নিয়ে অভিষেক বলেন, সারদা-কেলেঙ্কারির সঙ্গে যাঁরা যুক্ত, তাঁদের কাশ্মীর থেকে ধরা হয়েছে৷‌ প্রশাসন সব রকম ব্যবস্হা নিয়েছে৷‌ তা সত্ত্বেও মমতার সততা নিয়ে অনেকেই প্রশ্ন তুলছেন৷‌ আমরা মনে করি, সাধারণ মানুষের টাকা ফিরিয়ে দেওয়ার জন্য মুখ্যমন্ত্রী যে উদ্যোগ নিয়েছেন, তা সত্যিই প্রশংসনীয়৷‌ মমতা চান, সকলেই টাকা ফেরত পাক৷‌ তিনি বলেন, রাজনৈতিক উদ্দেশ্যপ্রণোদিতভাবে সি বি আই তদম্ত করছে৷‌ আমরা চাই নিরপেক্ষভাবে তদম্ত হোক৷‌ তাহলে কেউ যদি দোষী প্রমাণিত হয় তার পাশে মমতা ব্যানার্জির দল ও সরকার থাকবে না৷‌ অভিষেক বলেন, মোদির ১০০ দিনের কাজের সঙ্গে মমতার ১০০ দিনের কাজের তুলনা করা উচিত৷‌ বোঝা যাবে, মমতার উন্নয়ন কোথায় গিয়ে পৌঁছেছে৷‌ তা সত্ত্বেও কুৎসা, অপপ্রচার ও ষড়যন্ত্র চলছে৷‌ বি জে পি-র সঙ্গে কাঁধে কাঁধ মিলিয়ে সি পি এম, কংগ্রেস এই ষড়যন্ত্রে সামিল হয়েছে৷‌ সৌগত রায়, সুদীপ ব্যানার্জি, সুব্রত বক্সি, ফিরহাদ হাকিম– সকলেই বি জে পি-কে কড়া আক্রমণ করেন৷‌ পাশাপাশি তাঁরা সি পি এম, কংগ্রেসকেও একহাত নেন৷‌ কেউ কেউ বলেন, সি পি এম বাংলা থেকে নিশ্চিহ্ন হওয়ার পথে৷‌ কংগ্রেসের সাইনবোর্ড খুলে পড়েছে৷‌ এঁরা প্রত্যেকেই প্রার্থী নয়না দাসকে ভোট দেওয়ার জন্য আবেদন জানান৷‌ অন্য দিকে আজ চৌরঙ্গি উপনির্বাচনকে কেন্দ্র করে তৃণমূল ছাত্রপরিষদ কলকাতায় মহামিছিলের ডাক দিয়েছে৷‌ থাকবেন তৃণমূল ছাত্রপরিষদের সভাপতি শঙ্কুদেব পন্ডা৷‌ দুপুরে কলেজ স্কোয়্যার থেকে মিছিল যাবে ধর্মতলার ডোরিনা ক্রসিং পর্যম্ত৷‌ চৌরঙ্গি নিয়ে রাজ্য নেতাদের মমতা নির্দেশ দিয়েছেন, প্রতিটি বাড়িতে গিয়ে বি জে পি-র বিরুদ্ধে বলতে হবে৷‌ এ-ও বলতে হবে, বাংলায় বি জে পি অশাম্তি লাগানোর চেষ্টা করছে৷‌ সাম্প্রদায়িক সম্প্রীতি নষ্ট করার জন্য বিভিন্নভাবে ষড়যন্ত্র শুরু হয়েছে৷‌ এর বিরুদ্ধে রুখে দাঁড়াতে হবে৷‌ এ সব বন্ধ করার জন্য ভোট দিতে হবে তৃণমূলকে৷‌ অন্য দিকে বসিরহাট দক্ষিণ বিধানসভা কেন্দ্রের দায়িত্বে রয়েছেন দলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়৷‌ তিনি মাঝে মধ্যেই প্রার্থী দীপেন্দু বিশ্বাসের সমর্থনে বসিরহাটে গিয়ে প্রচার করে আসছেন৷‌ প্রচারে আছেন তৃণমূল সাংসদ ইদ্রিশ আলিও৷‌






    আজকালের প্রতিবেদন: সি বি আই জেরা করেই তথ্য পাওয়ার চেষ্টায় আপাতত৷‌ সোমবার দফায় দফায় জেরা চলে আসিফ খান, বাদল ভট্টাচার্য ও প্রশাম্ত প্রামাণিককে৷‌ জেরা করা হয় কুণাল ঘোষকেও৷‌ পরিস্হিতি যা, সারদা-কাণ্ডের তদম্তে সি বি আই তিন মাস সময় কাটিয়ে দিলেও দু'জনকে গ্রেপ্তার এবং তল্লাশি ও জেরা করা ছাড়া আর কিছু করে উঠতে পারেনি৷‌ 'লার্জার কনস্পিরেসি'কীভাবে, ও কারা জড়িত– সুপ্রিম কোর্টের এই নির্দেশের প্রেক্ষিতে তদম্তে সেদিকটি এখনও স্পষ্ট হয়নি৷‌ জড়িত অনেক নাম৷‌ কিন্তু প্রমাণ, যা আদালতে গ্রহণযোগ্য, সেই সূত্র সন্ধানেই আপাতত ব্যস্ত সি বি আই৷‌ দু'দফায় বড় তল্লাশি এবং দশজনের বেশি লোকজনকে জেরা করার পরেও সারদা-কাণ্ডের 'চক্রাম্ত'কীভাবে, সেই সারসত্য খুঁজতেই দিন কাবার৷‌ সোমবার কুণাল ঘোষকে সি জি ও কমপ্লেক্সে আনার সময়, পুলিস তাড়াহুড়ো করে সিঁড়ি দিয়ে তুলতে গিয়ে বিপত্তি বাধায়৷‌ টাল সামলাতে না পেরে সিঁড়িতে পড়ে যান কুণাল ঘোষ৷‌ তাঁর হাতে, পায়ে চোট লাগে৷‌ ঘাড়েও অল্পবিস্তর ধাক্কা লাগে৷‌ পুলিসের এত তাড়াহুড়ো সি বি আই ভালভাবে নেয়নি৷‌ সি বি আইয়ের তদম্তকারী অফিসার কুণাল ঘোষের প্রহরায় থাকা পুলিসকর্মীদের ভর্ৎসনা করে বলেছেন, সি বি আই হেফাজতে থাকার সময় এমন ঘটনা যেন আর না ঘটে৷‌ আসিফ খানকে সকাল থেকে দফায় দফায় জেরা করা হয়৷‌ সন্ধে ৭টা নাগাদ তাঁকে ছেড়ে দেওয়া হয়৷‌ সাংবাদিকদের কয়েকটি প্রশ্নের উত্তর দেন আসিফ খান৷‌ তাঁকে আবার জেরা করা হতে পারে বলে সি বি আই সূত্রের খবর৷‌ আসিফ খান বলেছেন, ২০০১ থেকে ২০১৩ সাল পর্যম্ত দলের নানা নেতৃবর্গের সঙ্গে বিভিন্ন জায়গায় গেছি৷‌ তখন যা দেখেছি, যা শুনেছি, যা বুঝেছি– সবই সি বি আই-কে জানিয়েছি৷‌ যতটা আমি মনে করতে পেরেছি, সবই বলেছি৷‌ তৃণমূলের সক্রিয় কর্মী ছিলাম৷‌ তাই নেতৃত্বের যা কিছু আমার জানা আছে, সবই বলার চেষ্টা করেছি৷‌ এক প্রশ্নের উত্তরে আসিফ খান জানান, সি বি আই তদম্তের স্বার্থে যাকে ডাকবে, তাকে তো আসতেই হবে, না হলে সে ক্লিনচিট পাবে কী করে? তদম্তের স্বার্থে বাইরে সব কিছু বলতে পারব না৷‌ সি বি আই তো এই তদম্তের চার্জশিট দেবে, তখন যদি আমি দোষী হই, তা হলে আমার নামও থাকবে৷‌ তদম্তের জন্য যতবার ডাকবে, আমি আসব৷‌ সি জি ও কমপ্লেক্সে কুণাল ঘোষ সাংবাদিকদের বলেন, চিটফান্ড ইস্যুতে দল অত সাংবাদিক বৈঠক না করে, এই ঘটনায় নিজেদের অবস্হান স্পষ্ট করুক৷‌ দলে অভ্যম্তরীণ তদম্ত হোক৷‌ নিজের দলে তদম্ত করে দোষীদের চিহ্নিত করুক৷‌ না হলে দলের কর্মীদের কাছে ভুল বার্তা যাবে৷‌ তাঁরা মানুষের কাছে কিছু লুকোচ্ছেন, এই বার্তা যাচ্ছে৷‌ সোমবার আসিফ খানের থেকে সি বি আই সারদা গোষ্ঠীর সঙ্গে চুক্তির বিষয়টি জেনে নেয়৷‌ বুধবার ডাকা হয়েছে আহমেদ হাসান ইমরানকেও৷‌ বাদল ভট্টাচার্য এবং প্রশাম্ত প্রামাণিক, দু'জনেই দুই প্রভাবশালীর খুব কাছের৷‌ তাই তাঁরা সারদা গোষ্ঠীর সম্পর্কে কিছু জানেন কি না, তা জানতে চায় সি বি আই৷‌ সুদীপ্ত ও দেবযানীর ফের জেল হেফাজত হয়েছে৷‌ এদিকে, ই ডি সেপ্টেম্বরের শেষেই চার্জশিট দিতে চলেছে বলে খবর৷‌ যদিও, বহু টাকা কোথায় গেল, সে ব্যাপারে এখনও স্পষ্ট তথ্য হাতে নেই৷‌ প্রথম পর্বে ৩৫০ কোটি টাকার সম্পত্তি নথিভুক্ত করেছিল৷‌ পরবর্তী সময়ে আরও ১৫০ কোটির সম্পত্তির খোঁজ পাওয়া গেছে বলে সূত্রের খবর৷‌ যদিও সে সমস্ত সম্পত্তির সত্যাসত্য যাচাইয়ের কাজ চলছে৷‌ অবশ্য টাকার অনেক অঙ্কই মেলেনি৷‌ তবে তদম্ত-প্রক্রিয়া চলবে বলে জানা গেছে৷‌



    সি পি এম-এর আত্মসমালোচনা

    প্রচেত গুপ্ত

    যুবরা পার্টির 'ভলান্টিয়ার বাহিনী', ছাত্রদের বানানো হয়েছে 'তল্পিবাহক'৷‌ এর ফলে দলের যুবফ্রন্ট এবং ছাত্রফ্রন্ট ক্ষতিগ্রস্ত হচ্ছে৷‌ যুবরা হচ্ছেন বিভ্রাম্ত, ছাত্ররা হারাচ্ছে উৎসাহ৷‌ এই অবস্হা থেকে বেরিয়ে আসতে হবে৷‌ দলের গণফ্রন্টের কড়া আত্মসমালোচনা করে সি পি এম এই মত প্রকাশ করেছে৷‌ দলের পক্ষ থেকে এই মত বিভিন্ন ফ্রন্ট নেতাদের জানিয়ে দেওয়া হয়েছে৷‌ সতর্ক করা হয়েছে পার্টি সদস্য, নেতাদের৷‌ সম্প্রতি দলের উচ্চ পর্যায়ে বিভিন্ন গণফ্রন্ট নিয়ে বিস্তারিত আলোচনা হয়েছে৷‌ চুলচেরা বিচার করা হয়েছে তাদের কাজ নিয়ে, আলোচনা হয়েছে সমস্যা, দুর্বলতা নিয়ে৷‌ আগামী দিনের কর্মসূচি সম্পর্কে তৈরি হয়েছে গাইডলাইন৷‌ ছাত্রফ্রন্ট সম্পর্কে দলের মনোভাব অত্যম্ত কড়া৷‌ ছাত্র-ছাত্রীদের কেরিয়ার সর্বস্বতা, চাওয়া-পাওয়ার ঝোঁক, অভিভাবকদের চাপ, প্রাইভেটে পড়ার জন্য কলেজে কম উপস্হিতি সংগঠনের ওপর ব্যাপক বিরূপ প্রতিক্রিয়া তৈরি করেছে বলে নেতারা মনে করছেন৷‌ সভায় উপস্হিতি কমছে৷‌ সদস্য সংগ্রহে দেখা দিচ্ছে ঘাটতি৷‌ নেতারা মনে করছেন দোষ আছে পার্টিরও৷‌ রাজনৈতিক-সাংগঠনিক পরিচর্চার অভাবে ছাত্র-ছাত্রীদের পার্টিতে আনার কাজ উপেক্ষিত থেকে গেছে৷‌ যাদের ওপর দায়িত্ব ছিল তারা নজরদারি করেননি৷‌ আবার কিছু জায়গায় নজরদারির নামে এক কথায়'অত্যাচার'হয়েছে৷‌ ছাত্রফ্রন্টের নিচুতলায় কর্মীদের স্বাধীন ভাবে কাজ করতে না দিয়ে তাদের 'তল্পিবাহক'বানানোর চেষ্টা হয়েছে৷‌ পার্টি ও ছাত্রফ্রন্ট এর ফলে দুর্বল হয়েছে৷‌ নেতারা জানিয়েছেন এই প্রবণতা এখনও চলছে৷‌ ছাত্র-ছাত্রীরা উৎসাহ হারিয়েছে ও হারাচ্ছে৷‌ লোকসভা নির্বাচনের পরে খুব স্বাভাবিক ভাবেই নতুন করে ছাত্রফ্রন্টের সদস্যরা উৎসাহ হারিয়ে ফেলেছেন৷‌ এই অবস্হায় জরুরি ভিত্তিতে কতগুলি কর্মসূচি নেওয়ার প্রয়োজন আছে৷‌ নেতাদের নির্দেশ ছাত্রফ্রন্ট, ছাত্র সংগঠক, কর্মীদের সহায়তা করবার জন্য সর্বস্তরের পার্টি কর্মীদের অনেক বেশি দায়িত্বশীল ভূমিকা পালন করতে হবে৷‌ অন্য দিকে যুবফ্রন্টের সমালোচনা করে নেতারা বলেছেন, কোনও রকম পরিবর্তন ছাড়াই নেতারা নিজেদের মতো সংগঠন পরিচালনা করছেন৷‌ লোকসভা নির্বাচনের পর সমস্যা আরও তীব্র হয়েছে৷‌ সম্মেলন ছাড়া যুবফ্রন্ট সম্পর্কে পার্টির আলাদা কোনও উৎসাহ নেই৷‌ কাজও এক৷‌ গণসংগঠনের থেকে পার্টির কাজ করতে সদস্যরা বেশি উৎসাহী৷‌ যুবফ্রন্ট অনেক সময় পার্টির 'ভলান্টিয়ার বাহিনী'-তে পরিণত হয়েছে৷‌ এতে বিভ্রাম্তি বাড়ছে৷‌ সর্বক্ষণের কর্মীর অভাব দেখা দিয়েছে৷‌ নেতারা বলেছেন, যুব এবং ছাত্রদের সামনে শাসকদলের 'সন্ত্রাস'মারাত্মক আকার নিয়েছে৷‌ ভয়, হুমকি, সন্ত্রাস, প্রলোভনের মাধ্যমে তাদের নতিস্বীকারে বাধ্য করাচ্ছে৷‌ সেই সঙ্গে বিভিন্ন শিক্ষা প্রতিষ্ঠানে বি জে পি-র প্রভাব পড়েছে৷‌ তারাও গণসংগঠন গড়ে তুলছে৷‌ নতুন বিপদ মাথা চাড়া দিয়েছে৷‌ এই অবস্হায় 'কর্তব্য'স্হির করে নিজেদের আন্দোলন, সংগ্রাম গড়ে তুলতে হবে বলে পার্টির নেতারা মত দিয়েছেন৷‌



    তৃণমূলের দেউলিয়াপনা প্রকট হচ্ছে, বললেন রাহুল সিন্‌হা

    নিজস্ব প্রতিনিধি: কলকাতা, ৫ই সেপ্টেম্বর—''সংবাদ মাধ্যমের ওপর নির্ভর করেই তৃণমূল কংগ্রেস নেত্রী এরাজ্যে মুখ্যমন্ত্রী হয়েছেন। এখন সেই তিনিই উঠতে বসতে সংবাদ মাধ্যমকে গাল পাড়ছেন। এক সময় এই নেত্রীই কথায় কথায় রাজনৈতিক বিরোধী শক্তির বিরুদ্ধে সি বি আই তদন্ত চাইতেন, এখন সেই সি বি আই তাঁর চোখের বালিতে পরিণত হয়েছে। এটাই পরিহাস।''শুক্রবার কলকাতায় বি জে পি-র কার্যালয়ে এক অনুষ্ঠানকে কেন্দ্র করে দলের রাজ্য সভাপতি রাহুল সিন্‌হা সংবাদমাধ্যমের বিরুদ্ধে তৃণমূল নেত্রী ও রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রীর লাগাতার আক্রমণাত্মক বক্তব্য নিয়ে প্রতিক্রিয়া জানাতে গিয়ে এই কথা বলেন। সাংবাদিকেরা তাঁর কাছে জানতে চেয়েছিলেন, যে সংবাদমাধ্যম তৃণমূল নেত্রীর নিত্যদিনের বিশ্বস্ত সঙ্গী ছিল আজ কেন তারা হঠাৎ শত্রু হয়ে গেল ?


    এই প্রশ্নের উত্তর দিতে গিয়েই রাহুল সিন্‌হা বলেন, এটাই হলো তৃণমূল কংগ্রেসের রাজনীতির দেউলিয়াপনা। যত দিন যাচ্ছে ততই রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী বুঝছেন মানুষ তাঁকে এবং তাঁর দলকে প্রত্যাখ্যন করতে চাইছে। এই সত্যের একটা প্রতিফলন হবে সামনের দিনে বিধানসভার দুটি আসনের উপনির্বাচনে। উত্তর চব্বিশ পরগনার বসিরহাট দক্ষিণ এবং কলকাতার চৌরঙ্গী বিধানসভা কেন্দ্রের নির্বাচকেরা চাইছেন তাঁরা যাতে নিজেদের ভোট নিজেরা দিতে পারেন—সেই পরিবেশ। গত লোকসভা নির্বাচনে ব্যাপক ভোট লুট ও রাজ্যের শাসকদলের আস্ফালন ও গুন্ডামির ঘটনায় সন্নিগ্ধ নির্বাচকদের এই মনোভাবের কথা বি জে পি প্রতিনিধিদল গত বৃহস্পতিবার রাজ্যপালকে জানিয়ে এসেছে বলে জানান দলের রাজ্য সভাপতি।


    তিনি এও জানান, গত সপ্তাহে পশ্চিম মেদিনীপুর জেলার কোতোয়ালি থানা এলাকায় বি জে পি-র পূর্ব ঘোষিত মিছিলের কর্মসূচীকে বানচাল করতে পুলিস অনুমতি দিয়েও তা ফিরিয়ে নেয়। অথচ ঠিক পরের দিন তৃণমূল কংগ্রেসকে প্রশাসন মিছিলের অনুমতি দেয়। জেলা পুলিস প্রশাসনের এই দ্বিচারিতা নিয়ে শুক্রবার কলকাতা হাইকোর্টে বি জে পি মামলা রুজু করেছে বলেও জানান রাহুল। জেলার পুলিস সুপারিনটেন্ডেন্ট ও কোতোয়ালি থানার ও সি-র বিরুদ্ধে দায়ের করা হয়েছে মামলা।


    রাহুল সিন্‌হা এদিন সাংবাদিক বৈঠকে তৃণমূল কংগেসের বিরুদ্ধে অভিযোগ করেন যে, এই দল রাজ্যের রাজনৈতিক সংস্কৃতিকে নোংরামিতে ভরিয়ে দিয়েছে। 'ধর্ষণ'-এর মতো পৈশাচিকতাকে এই দল অস্ত্র হিসাবে ব্যবহার করে জনমানসে ত্রাস তৈরি করে চলেছে। তৃণমূল কংগ্রেস দল মনে করছে এইভাবে মানুষকে ত্রস্ত করে দলের প্রতি মানুষকে বশ্যতা মানাতে বাধ্য করবে। এই নারকীয়তা এদেশের রাজনীতিতে বিরল।


    উল্লেখ্য, এদিন রাহুল সিন্‌হা সাংবাদিক বৈঠকের আগে নরেন্দ্র মোদীর রাজনৈতিক জীবন ও তাঁর প্রধানমন্ত্রী হয়ে ওঠা নিয়ে একটি বাংলা বই প্রকাশ করেন। 'স্বপ্নের ফেরিওয়ালা'নামে এই বইটির লেখক দুই সাংবাদিক সুজিত রায় ও রাজ মিত্র। প্রকাশক সংস্থা 'দে পাবলিকেশনস'। এরপরে রাহুল সিন্‌হা ৬ ও ৭ ই সেপ্টেম্বর কলকাতায় দলের রাজ্য কমিটির দুই দিনের অধিবেশনের কর্মসূচী জানান। জানান ৭ তারিখে বিকালে বৌবাজার এলাকায় চৌরঙ্গী বিধানসভার উপনির্বাচন উপলক্ষে দলীয় প্রার্থীর সমর্থনে এক জনসভায় হাজির থাকবেন দলের সর্বভারতীয় নেতা অমিত শাহ।

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    ভাবমূর্তি সঙ্কটে মমতা

    কলকাতা প্রতিনিধি,  বিডিনিউজ টোয়েন্টিফোর ডটকম

    Published: 2014-09-07 13:38:52.0 BdST Updated: 2014-09-07 18:34:51.0 BdST

    • ২০১২ সালে রাজ্যসভা নির্বাচনে তৃণমুল কংগ্রেসের প্রার্থী ঘোষণা অনুষ্ঠানে দলনেত্রী মমতা বন্দোপাধ্যায় এবং সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়ের মাঝখানে কুণাল ঘোষ। ছবি টেলিগ্রাফ।

    • ২০১২ সালে রাজ্যসভা নির্বাচনে তৃণমুল কংগ্রেসের প্রার্থী ঘোষণা অনুষ্ঠানে দলনেত্রী মমতা বন্দোপাধ্যায় এবং সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়ের মাঝখানে কুণাল ঘোষ। ছবি টেলিগ্রাফ।

    হাজার কোটি রূপির সারদা কেলেংকারি নিয়ে আদালতে নিজের দলের নেতা ও এক সময়ের ঘনিষ্টজন কুণাল ঘোষের বিস্ফোরক বক্তব্যে সঙ্কটে পড়েছে পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ভাবমূর্তি।

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    তৃণমূলের বরখাস্ত হওয়া সাংসদ কুণাল শনিবার কলকাতার সিবিআই আদালতে হাজিরা শেষে বেরিয়ে যাওয়ার সময় স্থানীয় সাংবাদিকদের বলেন, "সারদা মিডিয়ার প্রত্যক্ষ ও পরোক্ষ সুবিধা যদি সবচেয়ে বেশি কেউ পেয়ে থাকেন, তার নাম মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।"

    তার আগে বিচারকের সামনে দাঁড়িয়ে তিনি সরাসরিই দাবি তোলেন, তার আর সারদা প্রধান সুদীপ্ত সেনের মুখোমুখি করে রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রীকে জিজ্ঞাসাবাদ করা হোক।

    ২০১৩ সালের এপ্রিলে সারদা কেলেংকারির খবর প্রকাশ হওয়ার পর এই প্রথম সরাসরি মমতার দিকে আঙুল উঠল, যাকে 'সততার প্রতীক'হিসাবে দেখিয়ে আসছিল পশ্চিমবঙ্গে ক্ষমতাসীন তৃণমূল কংগ্রেস।

    মাত্র একদিন আগেই মমতা অভিযোগ করেন, সংবাদমাধ্যমগুলো তার এবং তার দলের বিরুদ্ধে ষড়যন্ত্রমূলক অপপ্রচার শুরু করেছে। দলের ভেতর 'পচা আম'থাকলে তাদের বাদ দেয়া হবে বলেও অনুসারীদের শাসিয়ে দেন 'দিদি'।     

    গত বছর বাংলা নববর্ষের দিন পশ্চিমবঙ্গের তারা নিউজ, তারা মিউজিক ও সাউথ এশিয়া টেলিভিশন বন্ধ হয়ে গেলে এর মালিক প্রতিষ্ঠান সারদা গ্রুপের কেলেংকারির খবর একে একে বেরিয়ে আসতে থাকে।

    জানা যায়, এই গ্রুপের এমএলএম  কোম্পানি 'সারদা সম্পদ'অল্প সময়ে বেশি লাভের লোভ দেখিয়ে বেআইনিভাবে আমানত সংগ্রহের মাধ্যমে পশ্চিমবঙ্গের হাজার হাজার মানুষের কাছ থেকে কোটি কোটি রুপি হাতিয়ে নিয়েছে।

    এ নিয়ে শোরগোলের মধ্যে সারদা গ্রুপের চেয়ারম্যান সুদীপ্ত সেন ভারতের কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থাকে একটি চিঠি লিখে লাপাত্তা হয়ে যান, যে চিঠিতে তৃণমূলের সংসদ সদস্য কুণাল ঘোষ এবং সংবাদ প্রতিদিনের সম্পাদক সঞ্জয় বসুর নাম আসে।

    পরে তদন্তে দেখা যায়, বিভিন্ন প্রকল্পের মাধ্যমে সারদার আরেক সংস্থা সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্রাভেলস বাজার থেকে ১ হাজার ২৫৯ কোটিরও বেশি রুপি আমানত হিসাবে তোলে এবং পরে তা স্থানান্তর করা হয় গণমাধ্যম ব্যবসায়। আর ওই কাজে সাবেক সাংবাদিক কুণাল ছিলেন সুদীপ্তর অন্যতম সঙ্গী।

    পরে ব্যাপক লোকসানের কথা বলে সারদা মিডিয়ার সবগুলো টিভি চ্যানেল ও সংবাদপত্র বন্ধের ঘোষণা দেন সুদীপ্ত সেন।

    শনিবার কলকাতার জনাকীর্ণ আদালতে দাঁড়িয়ে বিচারক অরবিন্দ মিশ্রর কাছে আত্মপক্ষ সমর্থণের সুযোগ চান কুণাল ঘোষ। সেই সুযোগ পেয়ে এক দমে প্রায় ১৫ মিনিট বলে যান তিনি।

    এক সময় মমতার ডানহাত হিসাবে পরিচিত কুণাল বলেন, তিনি জামিন চান না। বরং মনে করেন, তার এবং সারদার সিইও সুদীপ্ত সেনের সামনে এনে মুখ্যমন্ত্রী মমতাকে জিজ্ঞাসাবাদ করা উচিৎ।

    আর সুদীপ্ত নিজেকে সারদার 'বেতনভুক্ত কর্মচারী'উল্লেখ করে আদালতে বলেন, তহবিল স্থানান্তরের বিষয়ে তিনি কিছুই জানেন না।

    এদিকে আদালতে কুণালের ওই বক্তব্য মমতাবিরোধীদের হাতে মোক্ষম অস্ত্র তুলে দিয়েছে।

    পশ্চিমবঙ্গের বিরোধী দলীয় নেতা সূর্যকান্ত মিশ্র বলেছেন, "মুখ্যমন্ত্রীর সৎ সাহস থাকলে তিনি কুণালের প্রস্তাবে রাজি হবেন। কিন্তু উনি সেই সাহস দেখাবেন কি?"

    পশ্চিমবঙ্গ বিজেপির সভাপতি রাহুল সিংও কথা বলেছেন একই সুরে। তার ভাষায়, মুখ্যমন্ত্রীর এখন কুণালের 'চ্যালেঞ্জ'গ্রহণ করা উচিৎ।

    রাজ্য কংগ্রেসের সভাপতি অধীর চৌধুরী বলেন, "কুণাল ঘোষের প্রস্তাবকে আমরা স্বাগত জানাই। মুখ্যমন্ত্রীকে প্রমাণ করতে হবে যে তিনি আসলেই পরিষ্কার। সিবিআইযের উচিৎ মুখ্যমন্ত্রীকে কুণাল আর সুদীপ্তর মুখোমুখি করা।"

    সারদা কেলেংকারি নিয়ে 'যা যা জানেন'তা সিবিআইকে বলতে মমতার প্রতি আহ্বান জানিয়েছেন সিপিএম নেতা মো. সালিম।

    বিরোধীদের এই আক্রমণের মুখে নেত্রীর পক্ষে মুখ খুলেছেন তৃণমূল নেতারাও।

    দলের মহাসচিব ও পশ্চিমবঙ্গের শিক্ষামন্ত্রী পার্থ চট্টোপাধ্যায় অভিযোগ করেন, "কুণাল বুঝতে পেরেছেন যে শাস্তি হবেই। তাই খড়কুটোর মতো মুখ্যমন্ত্রীকে সামনে রেখে বাঁচার চেষ্টা করছেন।"

    আর নগর উন্নয়নমন্ত্রী ফিরহাদ হাকিম বলেছেন, "যে ওই কথা বলছে, সে নিজেই সারদা কেলেংকারির প্রধান আসামি। তার কথায় আমি গুরুত্ব দিচ্ছি না।"





    একবারও মনে হয়নি তক রক্ত,কত ঘাম,কাত হাসি কত কান্নার সঙ্গে জড়ানো মানুষের টাকা,আত্মসাতী আত্মঘাতী এই রাজনীতি মানুষের লাগে কোন কাজে?

    নিজের আমলেই মমতাকে হাজতে যেতে হতে পারে- মন্তব্য বিরোধী দলনেতার।


    " কেন এইভাবে কুনালের নাম টানা হচ্ছে ? সে ওখানে শুধু মিডিয়ার চাকরি করেছে । তাকে কট লক্ষ টাকা মাইনে দেওয়া হয়েছে তা তো মালিক ও কর্মীদের ভিতরের বিষয়। আমি যতদুর জেনেছি , তাকে চেক মারফৎ বেতন দেওয়া হত । তাই যদি হয় , তাহলে সেই বেতন যত লক্ষ টাকাই হোক - সেটা অবৈধ টাকা বলা যাবে না । কুনাল কে একা শিখণ্ডী খাড়া করে সরকারের নামে কুৎসা রটাচ্ছে কেউ কেউ । "


    [ -- মমতা ব্যানার্জী -- ২০ মে , ২০১৩ ]

    বাম নেতাদের দাবিঃ

    সারদা নিয়ে বামফ্রণ্ট কিছু বলতে গেলেই নেমে এসেছে প্রচন্ড আক্রমণ। বিধানসভাও বাদ যায় নি। কিন্তু এখন সবাই বুঝতে পারছে সারদা কান্ডে তৃণমূলের মাথা থেকে পা পর্যন্ত সবাই জড়িত। এবার দোষীদের কান ধরে টানা শুরু হোক, মাথা এমনিই চলে আসবে।





    সারদা কেলেঙ্কারি: সিবিআইয়ের ফের জেরা আসিফ খানকে, তৃণমূল সাংসদ ইমরানকে তলব ইডি-র  

    ...  আরও»

    জমিতে পার্টি অফিস করতে বাধা, আইসিডিএস কর্মীর পরিবারকে মারধর করে গ্রামছাড়া করার অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে  

    পূর্ব মেদিনীপুরের খেজুরি ১ নম্বর ব্লকের বেনেচট্টা গ্রামের ঘটনা। অভিযোগ, আইসিডিএস কর্মী এবং তাঁর বাবাকে পার্টি অফিসে নিয়ে গিয়ে মারধর করেন তৃণমূল কর্মীরা। ...  আরও»


    বন্ধ ডেল্টা জুট মিল, কর্মহীন ৩৫০০ কর্মী  

    ভোট হলে হারার প্রবল সম্ভাবনা তৃণমূলের শ্রমিক ইউনিয়নের৷ সেইজন্যই কর্তৃপক্ষের সঙ্গে সমঝোতা করে মিল বন্ধ করা হয়েছে, দাবি বিরোধী শ্রমিক ইউনিয়নগুলির৷ ...  আরও»





    সবার শেষে আবার আনন্দবাজার

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    আজ থেকে আলু ব্যবসায় কর্মবিরতি, সঙ্কটের আশঙ্কা

    নিজস্ব প্রতিবেদন

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    উর্দিতে নাচ, সিপি-কে ডাকার দাবি কমিটিতে

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    ২১শে-র স্থলে সভা নয়, কোর্টে যাবে সিপিএম

    কলকাতা

    ধর্মতলায় ভিক্টোরিয়া হাউসের সামনে তৃণমূল সভা করতে পারবে, অথচ তাঁরা পারবেন না এই বৈষম্যের বিরুদ্ধে আদালতের দ্বারস্থ হওয়ার হুঁশিয়ারি দিলেন সিপিএমের উত্তর ২৪ পরগনার জেলা সম্পাদক গৌতম দেব। তৃণমূল যেখানে প্রতি বছর ২১ জুলাইয়ের শহিদ সমাবেশ করে, সেই একই জায়গায় আগামী ৬ ডিসেম্বর সভার অনুমতি চেয়ে কয়েক দিন আগে পুলিশ কমিশনারের কাছে গিয়েছিলেন উত্তর ২৪ পরগনার সিপিএম নেতৃত্ব।

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    থানার কাছেই দিন কাটালেন অধরা সুদীপ্ত

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    বিশ্বভারতীর বিরুদ্ধে এসপি-র কাছে নালিশ নির্যাতিতার বাবার

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    ব্লক বাছাই করার কাজ সারল রাজ্য

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    কোন ১২৪টি ব্লকে অংশগ্রহণভিত্তিক নিবিড় পরিকল্পনা রচনা পদ্ধতি (ইনটেনসিভ পার্টিসিপেটরি প্ল্যানিং এক্সারসাইজ) মেনে ১০০ দিনের প্রকল্পে কাজ হবে, কেন্দ্রের নির্দেশ মেনে সে তালিকা তৈরি করে ফেলল রাজ্য সরকার। শুধু তা-ই নয়, ২০১৫-১৬ আর্থিক বছর থেকে ব্লকগুলোতে প্রকল্প রূপায়ণে রাজ্য পর্যায়ে আধিকারিক নির্বাচন করে তাঁদের প্রশিক্ষণও দেওয়া হয়েছে।

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    আন্দোলনের হুমকি রেশন দোকানিদের

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    তারা ঘোষিত ভাবে রাজ্য সরকারেরই সমর্থক। কিন্তু এ বার সেই সরকারেরই বিরুদ্ধে হয়রানির অভিযোগ তুলল রেশন দোকানের মালিকদের তৃণমূল কংগ্রেস প্রভাবিত তিনটি সংগঠন। শুধু অভিযোগ তুলেই ক্ষান্ত হয়নি তারা। সমস্যার সুরাহা না-হলে আন্দোলনে নামা এবং আইনি পথে যাওয়ার হুমকিও দেওয়া হয়েছে।

    ০৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    সংঘর্ষ সেনা গড়ে পরিবর্তনের ডাক

    রোশনী মুখোপাধ্যায়

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    ধাক্কা মেরে কুণালকে গাড়িতে তুলল ৩০ পুলিশের দল

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    সিঙ্গুর উপমা, সারদা-অস্ত্রে মমতাকে নিশানা অমিতের

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    অভিযুক্তের গুণ গাইলেন অনুব্রতও

    নিজস্ব প্রতিবেদন

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    জেলে বসে কুণাল ঘোষের লেখা

    মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের বৈঠক হয় কালিম্পংয়ের ডেলোতে হিল কাউন্সিল/জিটিএ বাংলোয়। ওখানেই মুখ্যমন্ত্রী থাকছিলেন। পরপর ২ দিন ২টি বৈঠক হয়। প্রথমটি রোজভ্যালির কর্ণধার গৌতম কুণ্ডুর সঙ্গে। দ্বিতীয়টি সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে। ২টি বৈঠকেই ছিলেন মমতা ব্যানার্জি/মুকুল রায়। গৌতম কুণ্ডুদের সঙ্গে বৈঠক কালিম্পং-এ কেন, আজও সেটা অজানা।

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    ইডি-তদন্তের শেষ পর্যায়েও অর্ধেক টাকার হদিস নেই

    সুনন্দ ঘোষ

    প্রায় অর্ধেকটাই নিরুদ্দেশ! সারদা-কেলেঙ্কারির তদন্তে নেমে কেন্দ্রীয় এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট (ইডি) বুঝে উঠতে পারছে না, ১১০০ কোটি টাকা কী ভাবে খরচ হয়েছে। ঝাঁপ গুটানোর আগে পর্যন্ত সারদা বাজার থেকে অন্তত ২৪০০ কোটি টাকা তুলেছিল। দিন কয়েক আগে দিল্লি থেকে ইডি-র এক কর্তা জানিয়েছেন, তাঁদের তদন্ত শেষ পর্যায়ে পৌঁছে গিয়েছে। কিন্তু ওই ১১০০ কোটির হিসেব এখনও অজানা।

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    সুদীপ্ত-মমতা গোপন কথার সাক্ষী সাংসদ

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    সেই বাড়িছাড়াই হল নিহত ছাত্রীর পরিবার

    নিজস্ব প্রতিবেদন

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    জাল পাসপোর্টেই অভিবাসন পেরিয়ে বিমানের দরজায়

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    জামাকাপড় ময়লা। সঙ্গের কাপড়ের তৈরি হাতব্যাগও বেশ পুরনো। হাবভাব মোটেই বিজনেস শ্রেণির বিমানযাত্রীর মতো নয়। হাতে কিন্তু ৬০ হাজারেরও বেশি টাকার বিজনেস শ্রেণির টিকিট। অথচ কলকাতা থেকে দুবাই যাওয়ার জন্য সাধারণ শ্রেণির টিকিট পাওয়া যায় ৩০ হাজার টাকাতেই। সাধারণত বিজনেস শ্রেণির যাত্রীদের 'প্রোফাইল'যেমনটা হয়, দুই যুবক যাত্রীর পোশাক, হাতের ব্যাগ আর হাবভাব তার সঙ্গে মিলছিল না।

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    আলুর ট্রাক আটকে মার ব্যবসায়ীকে, অভিযুক্ত পুলিশ

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    বিপাকে তৃণমূল, ফায়দার আশায় ফব আন্দোলনে

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    সারদা-কাণ্ড থেকে শুরু করে একের পর ধর্ষণ এবং নির্যাতনের অভিযোগ, নানা ঘটনায় শাসক দল এখন কিছুটা কোণঠাসা। এই পরিস্থিতির সুযোগ নিতে এ বার রাস্তায় নামার সিদ্ধান্ত নিল বাম শরিক ফব। ৭ দফা দাবিকে সামনে রেখে রাজ্যের বিরুদ্ধে সম্মুখ সমরেই যাচ্ছে তারা। ১৯ সেপ্টেম্বর উত্তরবঙ্গের ৭টি জেলা জুড়ে অবস্থান, ধর্নার কর্মসূচি দিয়ে এই রাস্তায় নামা পর্বের সূচনা হচ্ছে।

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    নানা অভিযোগে জেরবার জেলে কর্মীরাও এ বার সিসিটিভি-র নজরবন্দি

    অত্রি মিত্র

    এত দিন বিভিন্ন জেলে সিসিটিভি নজরদারি চালাত বন্দিদের গতিবিধির উপরে। এ বার কারাকর্মীদের কাজকর্মের উপরে লক্ষ রাখতে তাঁদেরও সিসিটিভি-র আওতায় আনতে চলেছে কারা দফতর। এক শ্রেণির কারাকর্মীর বিরুদ্ধে বারবার অভিযোগ পেয়ে জেরবার কারা দফতর এই সিদ্ধান্ত নিয়েছে। জেলের মধ্যে অপরাধমূলক কাজকর্মের অভিযোগ নতুন নয়।

    ০৮ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    আদালতে বিস্ফোরক কুণাল

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৭ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    প্রভাবশালী-সারদা যোগ খুঁজতে তলব প্রশান্ত-বাদলকেও

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৭ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    শাসকের শাসনে গুটিয়ে পুলিশ, উদ্বেগে কর্তারা

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৭ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    বরাত মিলতেই বিক্ষোভ, বন্ধ টিটাগড় ওয়াগনস

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ০৭ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    আজাদ কাণ্ডে জড়াল অনুব্রতর ঘনিষ্ঠদের নাম

    নিজস্ব প্রতিবেদন

    ০৭ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    दूर द्वीपवासिनी हुई फिरोजा बेगम की याद के प्रसंग में काजी नजरुल इस्लाम और लव जिहाद पलाश विश्वास

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    दूर द्वीपवासिनी हुई फिरोजा बेगम की याद के प्रसंग में काजी नजरुल इस्लाम और लव जिहाद

    पलाश विश्वास

    अभी तो खिला ही नहीं हूं,महारण्य के अंधेरे में हूं अभी अकेला दिशा खोज रहा।

    अभी तो खेल ही शुरु हुआ नहीं है,न दर्शक दीर्घा में कोई है,न कहीं रेफरी कोई।

    वक्त लेकिन मुट्ठी बंद रेत के किले की तरह रिसने लगा है अविराम।


    हिंदी में फिरोजा बेगम के निधन और उनकी गायकी संबंधी जानकारी न मिलने की वजह से अंग्रेजी और बांग्ला संदर्भ सूचनाें दे रहा हूं। हिंदी योद्धो बोद्धागण माफ करें।



    After seven decades ruling the hearts of music lovers, Nazrul Sangeet legend Firoza Begum has died at the age of 84.






    She passed away at Apollo Hospitals, Dhaka, around 8:30pm Tuesday under intensive care.


    Khairul Anam Shakil, a Chhayanaut organiser, said, "She had been suffering from kidney complications and a heart problem. Some time ago, I learned that she has left us."


    Family members and musicians Hamin and Shafin Ahmed, Firoza's sons, were present at the hospital at this time.


    President Abdul Hamid and Prime Minister Sheikh Hasina have expressed their grief at her death. BNP Chairperson Khaleda Zia, Finance Minister AMA Muhith also mourned her death in statements.


    Hamin Ahmed said his mother's remains would be preserved at the hospital for the night. She will be taken to her Indira Road home in the morning.


    From there she will be taken to the Central Shaheed Minar at 2pm Wednesday for people to pay their respects until 4pm.


    A Namaj-e-Janaza will be held in the afternoon at the Azad Mosque in Gulshan and Firoza Begum will be laid to rest at the Banani graveyard.


    Firoza Begum was admitted to the hospital on Monday morning with kidney complications.


    The artiste was born in Gopalganj on July 28, 1930 to the zamindars of Ratail Ghonaparha. Her father was Khan Bahadur Mohammad Ismail, mother Begum Kaokabunnesa.


    At that time it was almost unthinkable for a Bengali Muslim girl to be allowed to train in music. But even before she was ten, National Poet Nazrul Islam was impressed by her vocal talent. They met when Firoza was auditioning at the HMV, at the encouragement of All India Radio's Sunil Bose.


    Nazrul was then the chief trainer of HMV. Even when she was in class VI, she set her place in the hearts of Bengali audience by singing two Nazrul songs in the All India Radio. Her first record was published in 1942 from HMV when she was 12.


    She was the artist with whom Nazrul began his single long play records.


    In the illustrious career that followed, Firoza sang Rabindra Sangeet, "Adhunik Bangla" songs, Gazhal, Kawali and Bhajan for her audience. She performed around 300 solo concerts.


    In 1949, Firoza and Talat Mahmud were the voices that inaugurated the Dhaka Shortwave Radio. She was also the first chairman of Nazrul Institute.

    In 1956, Firoza married Kamal Dasgupta, who had been a composer for at least a third of the national poet's songs.


    Firoza has been the winner of the Independence Day Award, among numerous other honours.


    After Kamal Dasgupta passed away in 1974, she married musician Mansur Ahmed.


    Firoza left behind her three sons Tahsin, Hamin and Shafin.



    फिरोजा बेगम की गायकी और परंपरा पर लिखने की सोहबत मेरी नहीं रही है।बेहद बेसुरा हूं न कान है संगीत बूझने लायक और न छंद ताल राग अनुराग की तमीज है।

    बचपन में घर में संगीत शिक्षक होने के बावजूद सारेगामा में मेरा मन संयमित अनुसासित न हो सका तो अब भी संगीत प्रेमी नहीं हूं किसी भी तरह।हालांकि मरी बहनें,भाई सुभाष और पत्नी सविता संगीत के रवींद्र नजरुल घरोने के सान्निध्य में हैं।


    इसके बावजूद दूर द्वीप वासिनी फिरोजा के 84 साल की उम्र में चले जाने का सदमा इतना जोर का लगा है कि बिना लिखे मुक्ति भी नहीं है।


    कल दिनभर शारदा फर्जीवाड़े के अपडेट्स में लगा रहा।सत्ता समीकरण,शक्ति संतुलन और भ्रष्टाचार के सौदर्यशास्त्र में मेरी कोई रुचि, जाहिर है कि नहीं है।लेकिन राजनीति और सत्ता की परत दर परत मुक्तबाजार में किस तरीके से जनविध्वंसी बारुदी सुरंगों में तब्दील है,उसकी तपिश शारदा फर्जीवाड़े के खुलासे के साथ साथ महसूस की जा सकती है।बशर्ते कि महसूस करने लायक दिलोदिमाग में खून पसीने की कमाई की फिरक्र हो।


    मुक्त बाजार के तंत्र यंत्र मंत्र और न्यूनतम सरकार और विनियंत्रित बाजार में कानून,न्याय प्रणाली, प्रशासन, रिजर्व बैंक,सेबी, ईडी,आयकर विभाग की नाकोंतले उन्हीं के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संरक्षण में दो लाख छियासी हजार एजंटों के जरिये मेहनत कश दस लाख परिवारों का सर्वस्वहरण करके जो बीस हजार करोड़ रुपये की लूट और बंदरबांट हुई है और ऐसी ही जो सौकड़ों लिस्टेड अनलिस्टेड देशी विदेशी  कंपनियां नाना प्रकार से भारतीय जनगण का रोजाना श्राद्धकर्म कर रही हैं मोक्षइंतजाम सहकारे,उसे समझने का आसान मौका उनके लिए भी है जो अर्थशास्त्र और राजनीति नहीं समझते।


    आज सुबह शारदा समूह के ही एक संगीत चैनल पर एपार बांग्ला ओपार बांग्ला का साझा स्मरण का मौका था फिरोजा बेगम का।लिलि इस्लाम गीतों के जरिये तो सुतपा कविताओं के जरिए नजरुल रावींद्रिक विरासत की गंगा यमुना में बह रही थीं।किनारा तोड़तीं यह विरासत नदी मुझे भी किंचित बहने के मोड मं डाल गयी है।


    वैसे साफ साफ कहना जरुरी है कि मैं कोलाहल के कवि नजरुल को जितना आत्मसात करता रहा हूं,उतना रावींद्रीिक कभी नहीं रहा।


    रवींद्र के गीतांजलि से आवृत्ति के दो चार अवसरों के अलावा मेरे शिशुमन में कोई रवींद्र स्पर्श नहीं रहा है कभी,जिसमें अक्षरज्ञान के साथ ही हमेशा अग्निवीणा के तार झनझनाते रहे हैं।


    अधंरे में लालटेन की रस्सी और मिट्टी तेल की गंध में कीचड़सने झोपड़ियों के मध्य हम कोलाहली कवि नजरुल के साथ अंधेरा चचीरने के अभ्यस्त रहे हैं।


    हिमाद्रिशिखर हमारे स्पर्श में था आजन्म और इसलिए हिमाद्रिशिखर को चुनौती देने वाले विद्रोही के मुकाबले अंतरतम का आध्यात्म हमारे लिए कोई तात्पर्य रखे,ऐसा कोई रसायन हमारे लिए था ही नहीं चूंकि तराई के जंगल मध्ये अस्पृश्य बहिस्कृत  शरणार्थी कृषि उपनिवेशे जंगली फूल की तरह बिना महक के खिलने के संस्कार चूंकि बंगीय अभिजन विरासत के मुताबिक थी ही नहीं।


    उसी काजी नजरुल इस्लाम के गीतों की पहचान,उनके गानेर पाखी के अवसान पर दिलोदिमाग से इतना मजबूर हूं कि सुर ताल छंद राग गायकी के इस मायावी संसार में अनधिकार प्रवेश कर रहा हूं।


    काजी नजरुल धर्म के आर पार थे तो फीरोजा ने भी विवाह एक हिंदू कमल दासगुप्त के साथ किया था,जो अखंड बंगाल के किंवदन्ती संगीतकार है और जिन्हें इस्लामी बांग्लादेश पलक पांवड़े पर बिठाये हुए है अब भी और बंगाल में उनका नामोल्लेख फिरोजा बेगम के अवसान के बाद हो रहा है।


    हम संगीते के बारे में इतने अहमक हैं कि केएल सहगल,मान्नाडे,बेगम अख्तर,नूरजहां जैसे विशिष्ट स्वरों को छोड़कर अल अलग कंठ की पहचान नहीं कर सकते।किशोर कुमार और मोहम्मद रफी तो क्या लता और आशा को अलग अलग चीन्ह नहीं सकते।हालत इतनी जटिल है कि लता और आशा की तस्वीरों को अलग करने में भी भूल हो जाती है।


    लेकिन बचपन की स्मृतियों का कमाल है कि नजरुल के गीतों के मामले में फिरोजा बेगम से लेकर लिलि इस्लाम और रिजवाना वन्या तक को स्पर्श कर लेता हूं।


    नजरुल संगीते आसीना दूरद्वीपवासिनी होने के अलावा फिरोजा बेगम उस वक्त को याद करने का बहाना है,जहां लव जिहाद का उल्लेख नहीं हुआ कभी।


    सही मायने में नजरुल उस संस्कृति के वाहक धारक भी हैं जो इस महाद्वीप की अखंड संस्कृति,उसकी साझा विरासत,उसका साझा भूगोल,साझा इतिहास है।


    राजनीतिक सीमाएं,धर्मभेद,उपासना पद्धतिया धर्मोन्माद के ध्रूवीकरण से जिन्हें मिटाया नहीं जा सकता।


    मसलन कश्मीर में आय़ी बाढ़ ने बाकी देश से कश्मीर को जैसे जोड़ा है,वह अभूतपूर्व इसलिए है कि सबकुछ उलट पुलट कर देने वाली प्रकृति के विरुद्ध खड़ी यह सीमेंट की सभ्यता है,जिसमें मनुष्यता की संधान असंभव है।


    जैसे आपदाओं में दोनों कश्मीर एकाकार है,जैसे आपदाओं में भारत नेपाल, भारत बांग्लादेश और यहां तक कि भारत पाकिस्तान एकाकार हैं,उसी तरह संस्कृति, विरासत, इतिहास भूगोल में राजनीतिक सीमाओं के आर पार हम लोग अब भी एकाकर हैं जैसे हिमालय के ग्लेशियरों से निकलकर  बंधी अनबंधी नदियां सारी राजनीतिक सीमाओं को तोड़कर समुंदर में जा मिलती हैं,वैसा ही महामानवसागर यह।


    जोहरा सहगल के बाद फिरोजा बेगम के महाप्रयाण के अवसर पर उस साम्प्रतिक अतीत के आइने में अपने धर्मोन्मादी चेहरे को देखना भी जरुरी है,इसीलिए बेगम फिरोजा का यह अनधिकार स्मरण।












    जोहरा, फिरोजा, नजरुल की मनुष्यता धर्मोन्मादी राष्ट्रीयता और पहचान पर भारी है।

    स्वतंत्र बांग्लादेश बनेने के बाद नजरुल ठाका चले गये तो फिरोज और उनके पति कमल दासगुप्त तो बांग्लादेश बनने से पहले ही पूर्वी पाकिस्तान जा बसे थे।


    दोनों राष्ट्रों का राष्ट्रीय गीत रवींद्रनाथ के जन गण मन और आमार सोनार बांग्ला जरुर है,रवींद्रनाथ को इस विभाजन की त्रासदी को सहना झेलना नहीं पड़ा।लेकिन इस विभाजन की त्रासदी में जीवंत टोबा टेकसिंह थे काजी नजरुल इस्लाम और शायद उनके गानेर पाखी के वजूद भी।


    नजरुल विक्षिप्त हो गये थे,संक्षिप्त रचनाकर्म के बाद लेकिन सीमाओं के आर पार फिरोजा बेगम के कंठ में एकसाथ ध्वनित हो रहे थे रवींद्र और नजरुल संगीत।


    फिरोजा जैसे सीमाओं के आर पार समान रुप में जीती रहीं,जैसे जीती रहीं जोहरा सहगल,वैसा लेकिन बेगम अख्तर,गिरिजा देवी या नूरजहां के साथ नहीं हो सका क्योंकि पाकिस्तान जन्मलग्न से शत्रूदेश है।


    लव जिहाद उसी शत्रूदेश का रसायन है जो देश के बीतर गाजापट्टियों का निर्माण कर रहा है।दूसरी तरप गंगा जमुनी तहजीब का प्रेमकथा यह भी कि नजरुल जोहरा फिरोजा नर्गिस मधुबाला शर्मिला टैगोर जैसी अनगिनत नारियां हैं,जिन्होंने कला,संगीत और अप्रतिम सौंदर्य के साथ धर्म और धर्मोन्माद को सिरे से गैर प्रासंगिक बना दिया है।


    असंगीतीय कारण से फिरोजा बेगम कोयाद कर लेना हमारे दिलो दिमाग के मुक्त बाजार को समाज वास्तव के धरातल पर खडा़ करने के लिए बेहद जरुरी है,इसीलिए यह दुस्साहस।अभिजन संगीत प्रेमी संगीतज्ञ जनता विद्वतजन माफ करेंगे।


    काजी नजरुल और फिरोजा का यह प्रसंग हाल में लिखे मेरे कविता विधा केंद्रित रोजनामचे को समझने के लिए भी प्रासंगिक है।


    हम मानते हैं कि शास्त्रीयता,व्याकरण और सौंद्रयशास्त्र कला साहित्य और संगीत के निर्णायक प्रतिमान हो नहीं सकते,जबतक कि संबद्ध रचनाकर्म के लिए शिल्पी  समाजवास्तव,लोक परंपरा सांस्कृतिक विरासत,इतिहास बोध और वैज्ञानिक दृष्टि की बाधा दौड़ को पार न कर चुका हो।


    आपको याद दिलाने के लिए फिर उस रोजनामचे के दोहराव की इजाजत चाहूंगा।


    अस्थिकेशवसाकीर्णं शोणितौघपरिप्लुतं।

    शरीरैर्वहुसाहस्रैविनिकीर्णं समंततः।।


    महाभारत का सीरियल जोधा अकबर है इन दिनों लाइव,जो मुक्तबाजारी महापर्व से पहले तकनीकी क्रांति के सूचनाकाल से लेकर अब कयामत समय तक निरंतर जारी है।


    उसी महाभारत के धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे युद्धोपरांत यह दृश्यबंध है।


    उस धर्मक्षत्रे अस्थि,केश,चर्बी से लाबालब खून का सागर यह।एक अर्यूद सेना, अठारह अक्षौहिणी मनुष्यों का कर्मफल सिद्धांते नियतिबद्ध मृत्युउत्सव का यह शास्त्रीय,महाकाव्यिक विवरणश्लोक।


    गजारोही,अश्वारोही,रथारूढ़,राजा महाराजा, सामंत, सेनापति, राजपरिजन,श्रेष्ठी अभिजन और सामान्य युद्धक पैदल सेनाओं के सामूहिक महाविनाश का यह प्रेक्षापट है।जो सुदूर अतीत भी नहीं है,समाज वास्तव का सांप्रतिक इतिहास है और डालर येन भवितव्य भी।


    मालिकों को खोने वाले पालतू जीव जंतुओं और युद्ध में मारे गये पिता,पुत्र,भ्राता,पति के शोक में विलाप में स्त्रियां का प्रलयंकारी शोक का यह स्थाईभाव है।नरभक्षियों के महाभोज का चरमोत्कर्ष है यह।


    यह है वह शास्त्रीय उन्मुक्त मुक्तबाजार का धर्मक्षेत्र जिसे कुरुवंश के उत्तराधिकारी भरतवंशी देख तो रहे हैं रात दिन चौबीसो घंटे लाइव लेकिन सत्ताविमर्श में निष्णात इतने कि महसूस नहीं रहे हैं क्योंकि धर्मोन्मादी दिलदिमाग कोमा में है।आईसीयू में लाइव सेविंग वेंटीलेशन में है।कृतिम जीवन में है,जीवन में नहीं हैं।


    अब उत्तरआधुनिक राजसूय अश्वमेध धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे तेलयुद्ध विकास कामसूत्र मध्ये अखंड भारतखंडे की पृष्ठभूमि भी वही महाकाव्यिक।नियति भी वही।मृत्यु उपत्यका शाश्वत वही।


    मैं अस्पृश्य,बहिस्कृत,बेनागरिक सामान्य किसान का बेटा हूं और मैं दुस्साहस कर रहा हूं यह कहने का कि उत्तरआधुनिक मक्तबाजार में जो मृत्युघोषणा का अमोघ पाठ है,वह किसी दूसरी विधा के लिए सच हो या न हो कविता के लिए निर्विवाद सत्य है।


    मैं कुलीन मेधासर्वस्व नस्ली आधिपात्य के सत्तावर्चस्व का प्रतिनिधि नहीं हूं और मेरी देह से लथपथ खेतों की कीचड़ अभी धुली नहीं है,हम श्रमजीवी श्रम निर्भर कुजात कुनस्ल के लोग हैं।इसलिए किसी समीकरण के बनने बगड़ने से मेरा कुछ उखड़ता नहीं है।


    मेरे पास त्यागने के लिए कुछ भी नहीं है और इसलिए मेरी यह सार्वजनिक घोषणा है कि कविता की मृत्यु हो चुकी है और यह घोषणा मुक्त बाजार के मंच से नहीं है।


    मेरे कवि मित्र माफ करें मुझे कृतघ्नता के अपराध के लिए।शिखर कवियों से लेकर अब तक आम कवियों के समर्थन के दम पर साहित्य संसकृति क्षेत्रे मेरा निरंतर अनधिकार अतिक्रमण का दुस्साहस है यह,लेकिन मुझे कहना ही होगा कि इस देश के समस्त कवियों की असमय अप्राकृतिक मृत्यु हो चुकी है।


    धर्मक्षेत्रे महाभारतीय परिदृश्य में जिनकी संवेदनाएं मृत हैं,उन्हें जीवित कैसे कहा जा सकता है,बताइये प्लीज।


    वे हद से हद बहुराष्ट्रीय गिफ्ट,ओहदा,पुरस्कार, सम्मान बटोरने वाले शब्द कारोबारी हैं और कारोबारियों की तरह मुक्तबाजार के सेनसेक्स निफ्टी में मुनाफा वसूली कर रहे हैं और उनका सारा दांव वहीं लगा है।


    कविता अगर जीवित होती और किसी अंधेरे कोने में भी बचा होता कोई कवि तो इस मृत्युउपत्यका की सो रही पीढ़ियों को डंडा करके उठा देता और आग लगा देता इस जनविरोधी तिलस्म के हर ईंट में,सत्तास्थापत्य के इस पिंजर को तोड़ कर किरचों में बिखेर देता।


    दरअसल उभयलिंगियों का पांख नहीं होते और वे सदैव विमानयात्री होते हैं।पांख के पाखंड में लेकिन आग कोई होती नहीं है।विचारधारा और प्रतिबद्धताओं की अस्मितामध्ये किसी अग्निपाखी का जन्म भी असंभव है।कविता अंतत- वह अग्निपाखी है और कुछ भी नहीं और बिना आग कविता या तो निखालिस रंडी, स्त्रियों के लिए अक्सर दी जाने वाली यह गाली किसी स्त्री का चरित्र है नहीं और दरअसल यह उपमा उभयलिंगी है जो सत्ता के लिए किराये की कोख भी है।


    जो कविता परोसी जा रही है कविता के नाम पर वे मरी हुई सड़ी मछलियों की तरह मुक्तबाजारी धारीदार सुगंधित कंडोम की तरह मह मह महक रही हैं अवश्य,लेकिन  कविता कंडोम से हालात बदलने वाले नहीं है।यह काउच पर,सोफे पर,किचन में ,बाथरूम में, बिच पर,राजमार्गे,कर्मक्षेत्रे मस्ती का पारपत्र जरुर है,कविता हरगिज नहीं।


    सच तो  यह भी है कि इस धर्मक्षेत्रे महाभारते  कविता के बिना कोई लड़ाई भी होनी नही है क्योंकि कविता के बिना सत्ता दीवारों की किलेबंदी को ध्वस्त करने की बारुदी सुरंगें या मिसाइली परमाणु प्रक्षेपास्त्र भी कुुरुक्षेत्र की दिलोदमाग से अलहदा लाशें हैं।


    लोक की नस नस में बसी होती है कविता।

    हनवाओं की सुगंध में रची होती है कविता।


    बिन बंधी नदियां होती हैं कविता।उत्तुंग हिमाद्रिशिखरों की कोख में जनमी ग्लेशियरों के उल्लास में होती है कविता।


    निर्दोष प्रकृति और पर्यावरण की गोद में होती है कविता।

    कविता महारण्य के हर वनस्पति में होती है और समुंदर की हर लहर में होती है कविता।


    मेहनतकशों के हर पसीना बूंद में होती है कविता।

    खेतों और खलिहानों की पकी फसल में होती है कविता।


    वह कविता अब सिरे से अनुपस्थित है क्योंकि लोक परलोक में है अब और प्रकृति और पर्यावरण को बाट लग गयी है।


    पसीना अब खून में तब्दील है।


    हवाएं अब बिकाऊ है।


    कोई नदी बची नहीं अनबंधी।


    सारे के सारे ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और उत्तुंग हिमाद्रिशिखरों का अस्तित्व ही खतरें में है। हिमालयअब आफसा है।आपदा है।


    खामोश हो गयी हैं समुंदर की मौजें और महाअरण्य अब बेदखल  बहुराष्ट्रीय रिसार्ट,माइंनिंग है,परियोजना हैं ह या विकास सूत्र का निरंकुश महोत्सव है या सलवा जुड़ुम या सैन्य अभियान है।


    वातानुकूलित सत्ता दलदल में धंसी जो कविता है कुलीन,उसमें शबाब भी है,शराब भी है,देह भी है कामाग्नि की तरह,लेकिन न उस कविता की कोई दृष्टि है और न उस निष्प्राण जिंगल सर्वस्व स्पांसर में संवेदना का कोई रेशां है।


    अलख बिना,जीवनदीप बिना,वह कविता यौन कारोबार का रैंप शो के अलावा कुछ नहीं है और महाकवि जो सिद्धहस्त हैं भाषिक कौशल में दक्ष,शब्द संयोजन बिंब व्याकरण में पारंगत वे दरअसल मुक्तबाजार के दल्ला हैं या फिर सुपरमाडल।


    चाहें तो सारे कवि मिलकर मुझे शुली पर चढ़ा दें लेकिन कवियों का अपराध चूंकि सबसे बड़ा है,समाज सचेतन कला कर्म का विश्वासघातचूंक सबसे संगीन है,मैं चुप नहीं रहने वाला।


    हालात जिस तेजी से बदल रहे हैं, जो कयामती हालात हैं,जो देश बोचो निरंकुश अश्वमेध है,उसके प्रतिरोध की प्रेरणा समसामयिक उत्तरआधुनिक किस कविता में है, जरा उसे पेश कीजिये।


    जो समय को दिशा बदलने को मजबूर कर दें,पत्थर के सीने से झरना निकाल दें और सत्ता चालाकियों का रेशां रेशां बेनकाब कर दें, जो मुकम्मल एक युदध हो जनता के हक हकूक के लिए,ऐसी कोई कविता लिखी जा रही हो तो बताइये।


    उस कवि का पता भी दीजिये जो मुक्तबाजारी कार्निवाल से अलग थलग है किंतु और जनता की हर तकलीफ,हर मुश्किल में उसके साथ खड़ा है।जिसका हर शब्द बदलाव के लिए  गुरिल्ला युद्ध है।


    उस कविता को दीवालों पर टांग दीजिये प्लीज,जो सारी अस्मिताओं के बंधन तोड़कर मेहनतकश जमात को एक कर दें।


    ऐसा कर सकें तो वही मेरी इस बदतमीजी का जवाब होगा।


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    1. Firoza Begum (singer) - Wikipedia, the free encyclopedia

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  • www.youtube.com/watch?v=CJOxS43TUDE

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  • Ei Ki Go Shes Daan-2. Nazrul Geeti by Firoza Begum...

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  • Nazrul Geeti by Firoza Begum. Some self-proclaimed pundits think they know everything. In fact they know ...

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  • Nazrul singer Firoza dies - Prothom Alo

  • en.prothom-alo.comBangladesh

  • 15 hours ago - Firoza Renowned Nazrul singer Firoza Begum has died of her old-age complications while undergoing treatment at Apollo Hospital in Dhaka.

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  • Ghazal maestro Firoza Begum passes away - News Oneindia

  • news.oneindia.inNewsInternational

  • 2 hours ago - Dhaka, Sept 10: Eminent Ghazal and Nazrul Sangeet vocalist Firoza Begum passed away at the age of 84 on Tuesday at 8:30 pm in Dhaka.


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    1. Feroza Begum Hit Songs: Feroza Begum Albums Top Songs‎

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    Pallavi Sengupta writes:


    Ghazal maestro Firoza Begum passes away

    Dhaka, Sept 10: Eminent Ghazal and Nazrul Sangeet vocalist Firoza Begum passed away at the age of 84 on Tuesday at 8:30 pm in Dhaka. Admitted at the Apollo hospitals here, she complained of kidney problems and heart complications. Her sons and musicians Hamin and Shafin Ahmed were with her at the hospital at the time of death.


    Winner of the Independence Day Award and Chairman of the Nazrul institute Begum had started her career at a ripe age of 12. She immediately claimed to fame, impressing her Guru Nazrul himself.


    Being a Muslim girl, her entry into the world of music was an inspiration for many women from her community. She has worked with some of the most popular artists of her time including Talat Mahmud and also lent her voice to HMV.


    Firoza married Kamal Dasgupta in 1956, who composed almost a third of the national poet's songs. However, after he passed away in 1974, she married musician Mansur Ahmed.


    Born in Gopalganj on July 28, 1930 to the zamindars of Ratail Ghonaparha, she was also known for her Rabindra sangeet and Adhunik renderings.  Her son claims that her remains would be taken to her Indira Road home from where she will be shifted  to the Central Shaheed Minar at 2pm todayfor people to pay their respects until 4pm. A Namaj-e-Janaza will be held in the afternoon at the Azad Mosque in Gulshan and Firoza Begum will be laid to rest at the Banani graveyard. OneIndia News


    Read more at: http://news.oneindia.in/international/artist-singer-firoza-begum-passed-away-1518692.html



    রতরে দূরে চলে গেলেন ফিরোজাবেগম - Prothom Alo

    www.prothom-alo.comবাংলাদেশবিবিধ

    নজরুলসংগীতশিল্পী ফিরোজা বেগম আর নেই। আজ মঙ্গলবার রাত ৮টা ২৮ মিনিটে রাজধানীর অ্যাপোলো হাসপাতালে তিনি ইন্তেকাল করেন (ইন্না লিল্লাহি ওয়া ইন্না ইলাইহি রাজিউন)। এর আগে বিকেলে চিকিৎসকেরা জানিয়েছিলেন, ফিরোজা বেগমেরহৃদযন্ত্র ও কিডনি স্বাভাবিকভাবে কাজ করছে না। পাশাপাশি তাঁর শরীরে জন্ডিস ধরা পড়েছে। জানা গেছে, তাঁকে ...

    ফিরোজা বেগমেরঅবস্থা সংকটাপন্ন - Prothom Alo

    www.prothom-alo.comবাংলাদেশবিবিধ

    বিশিষ্ট নজরুলসংগীতশিল্পী ফিরোজা বেগমেরঅবস্থা সংকটাপন্ন। তিনি রাজধানীর অ্যাপোলো হাসপাতালে চিকিত্সাধীন আছেন। চিকিত্সকদের মতে, তাঁর হূদযন্ত্র ও কিডনি স্বাভাবিকভাবে কাজ করছে না। পাশাপাশি তাঁর শরীরে জন্ডিস ধরা পড়েছে। ফিরোজা বেগমকে সুস্থ করে তোলার জন্য তাঁরা সব ধরনের চেষ্টাই চালিয়ে...

    ফিরোজা বেগমেরমরদেহ ইন্দিরা রোডের বাসভবনে - Bangla News 24

    www.banglanews24.com/beta/fullnews/bn/322599.html

    ৬ ঘন্টা আগে - ঢাকা: উপমহাদেশের কিংবদন্তি নজরুলসংগীত শিল্পী ফিরোজা বেগমেরমরদেহ ইন্দিরা রোডের বাসায় নিয়ে যাওয়া হয়েছে। বুধবার সকালে রাজধানীর অ্যাপোলো হাসপাতাল থেকে শিল্পীর ‍মরদেহ ইন্দিরা রোডে তার নিজ বাসায় নিয়ে যাওয়া হয়। সেখান থেকে দুপুর সাড়ে ১২টা নাগাদ শহীদ মিনারে সর্বস্তরের মানুষের শ্রদ্ধার নিবেদনের জন্য ...

    ফিরোজা বেগমেরসাক্ষাৎকার - BBC Bangla - মাল্টিমিডিয়া

    www.bbc.co.uk/bengali/.../09/140909_mb_firoza_begum_archive.shtml

    ১৬ ঘন্টা আগে - ফিরোজা বেগমেরসাক্ষাৎকার. 00:13:22. নজরুল সঙ্গীতের প্রবাদপ্রতিম শিল্পী ঢাকার অ্যাপোলো হাসপাতালে শেষ নিঃশ্বাস ত্যাগ করেছেন। হাসপাতালের আইসিইউতে চিকিৎসাধীন অবস্থায় রাতের দিকে মৃত্যু হয় অসংখ্য সম্মাননায় ভূষিত ৮৪ বছর বয়সী এই শিল্পীর। এই শিল্পীর সঙ্গে বিবিসি বাংলার পুরনো একটি সাক্ষাৎকার- বিবিসি ...

    ফিরোজাবেগম - উইকিপিডিয়া

    bn.wikipedia.org/wiki/ফিরোজা_বেগম

    ফিরোজা বেগমেরজন্ম ১৯৩০ সালের ২৮ জুলাই ফরিদপুরের গোপালগঞ্জ মহকুমার (বর্তমান জেলা) রাতইল ঘোনাপাড়া গ্রামের এক সম্ভ্রান্ত জমিদার পরিবারে। তাঁর বাবার নাম খান বাহাদুর মোহাম্মদ ইসমাইল এবং মায়ের নাম বেগম কওকাবুন্নেসা। ১৯৫৫ সালে বিরলপ্রজ সুরকার কমল দাশগুপ্তের সঙ্গে তাঁর বিয়ে হয়। তাঁর তিন সন্তান - তাহসিন, হামীন ও শাফীন।

    ১ জন্ম ও পারিবারিক জীবন - ‎২ কর্মজীবন - ‎৩ সংগীত জীবন - ‎৪ পুরস্কার ও সম্মাননা

    ফিরোজা বেগমেরমরদেহ শহীদ মিনারে নেওয়া হচ্ছে

    uttaranews24.com/2014/09/10/ফিরোজা-বেগমের-মরদেহ-শহীদ/

    ৩ ঘন্টা আগে - স্টাফ করেসপন্ডেন্ট উত্তরানিউজটোয়েন্টিফোর.কম ঢাকা : 'শাওনো রাতে যদি- স্মরণে আসে মোরে, বাহিরে ঝড়ও বহে, নয়নে বারি ঝরে' নজরুলের গানের পাখিখ্যাত দেশবরেণ্য সংগীতশিল্পী ফিরোজা বেগমেরকণ্ঠে আর শোনা যাবেনা বিখ্যাত এসব গান।কিন্তু তারপরও সারা জীবন মানুষের মণিকোঠায় স্মরণীয় ও বরণীয় হয়ে থাকবেন তিনি।

    ফিরোজা বেগমেরমৃত্যুতে প্রধানমন্ত্রীর শোক - bdnews24.com

    bangla.bdnews24.com/bangladesh/article849263.bdnews

    ১৮ ঘন্টা আগে - নজরুল সংগীতের কিংবদন্তি শিল্পী ফিরোজা বেগমেরমৃত্যুতে গভীর শোক প্রকাশ করে প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনা বলেছেন, তার মৃত্যু বাংলাদেশের সংগীত জগতের 'অপূরণীয় ক্ষতি'।

    ফিরোজা বেগমেরঅবস্থা সংকটাপন্ন - bdnews24.com

    bangla.bdnews24.com/glitz/article848460.bdnews

    ২ দিন আগে - নজরুল সংগীতশিল্পী ফিরোজাবেগম কিডনির সমস্যা প্রকট হয়ে ওঠায় তাকে হাসপাতালে নেওয়া হয়েছে। চিকিৎসকরা বলছেন, তার অবস্থা সংকটাপন্ন।

    Feroza Begum - United Kingdom | LinkedIn

    uk.linkedin.com/pub/feroza-begum/b/1ab/a22

    অনুবাদিত: Ferozaবেগম - যুক্তরাজ্য | লিঙ্কডইন

    View Feroza Begum's (United Kingdom) professional profile on LinkedIn. LinkedIn is the world's largest business network, helping professionals like Feroza ...

    ফিরোজা বেগমেরমরদেহ শহীদ মিনারে | জাতীয় | কালের কণ্ঠ

    www.kalerkantho.com/online/national/2014/09/10/127042

    1 ঘন্টা আগে - সর্বস্তরের মানুষের শ্রদ্ধা নিবেদনের জন্য কিংবদন্তি নজরুলসংগীত শিল্পী ফিরোজা বেগমেরমরদেহ শহীদ মিনারে আনা হয়েছে। আজ বুধবার দুপুর দেড়টায় শিল্পীর মরদেহ ইন্দিরা রোডের বাসভবন শহীদ মিনারে আনা হয়। এদিকে কিংবদন্তি এ শিল্পীকে শ্রদ্ধা জানাতে আগে থেকেই প্রস্তুত শহীদ মিনার। সম্মিলিত সাংস্কৃতিক জোটের পক্ষ থেকে ...


    চলে গেলেন নজরুলের গানের পাখি

    নিজস্ব প্রতিবেদক,  বিডিনিউজ টোয়েন্টিফোর ডটকম

    Published: 2014-09-09 20:59:58.0 BdST Updated: 2014-09-09 23:48:08.0 BdST

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    নজরুলের সুর আর বাণী কণ্ঠে ধরে সাত দশক ভক্তহৃদয়ে রাজত্ব করে চিরতরে দূরে চলে গেলেন কিংবদন্তি শিল্পী ফিরোজা বেগম।

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    ঢাকার অ্যাপোলো হাসপাতালে চিকিৎসাধীন অবস্থায় মঙ্গলবার রাত সাড়ে ৮টার দিকে মৃত্যু হয় ৮৪ বছর বয়সী এই শিল্পীর।

    নজরুল সংগীতশিল্পী ও ছায়ানটের অন্যতম সংগঠক খায়রুল আনাম শাকিল বিডিনিউজ টোয়েন্টিফোর ডটকমকে বলেন, "তিনি (ফিরোজা বেগম) কিডনি জটিলতায় ভুগছিলেন। হৃদযন্ত্রেও জটিলতা ছিল। কিছুক্ষণ আগে জানলাম, তিনি আমাদের ছেড়ে চলে গেছেন।"

    তার মৃত্যুর খবরে দেশের সাংস্কৃতিক অঙ্গনে নেমে আসে শোকের ছায়া। রাষ্ট্রপতি মো. আবদুল হামিদ ও প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনাও এই শিল্পীর মৃত্যুতে গভীর শোকপ্রকাশ করেন।

    বিএনপি চেয়ারপার্সন খালেদা জিয়া ও অর্থমন্ত্রী আবুল মাল আবদুল মুহিতও এই শিল্পীর মৃত্যুতে শোকপ্রকাশ করে বিবৃতি দিয়েছেন।

    শিল্পীর ছেলে হামিন আহমেদ জানান, তার মায়ের মরদেহ রাতে হাসপাতালের হিমঘরে রেখে সকালে নিয়ে যাওয়া হবে ইন্দিরা রোডের বাসায়। বেলা ২টা থেকে বিকাল ৪টা পর্যন্ত সবার শ্রদ্ধা নিবেদনের জন্য কফিন রাখা হবে কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে।

    বিকালে গুলশানের আজাদ মসজিদে জানাজা শেষে বনানী কবরস্থানে দাফন করা হবে শিল্পীকে।  

    ১৯৩০ সালের ২৮ জুলাই গোপালগঞ্জ জেলার রাতইল ঘোনাপাড়া গ্রামের এক জমিদার পরিবারে ফিরোজা বেগমের জন্ম। বাবা খান বাহাদুর মোহাম্মদ ইসমাইল ছিলেন আইনজীবী। মা কওকাবন্নেসা বেগমও ছিলেন সংগীতের অনুরাগী।

    ফিরোজা যখন গানের জগতে প্রবেশ করেন তখনকার বাঙালি মুসলমান সমাজে মেয়েদের সংগীতের তালিম নেয়া সহজ বিষয় ছিল না। কিন্তু বয়স দশ বছর পেরুনোর আগেই তার কণ্ঠে নিজের গান শুনে মুগ্ধ হন খোদ কবি নরুল ইসলাম।   

    অল ইন্ডিয়া রেডিওর সুনীল বোসের উৎসাহে মামার সঙ্গে নামজাদা গ্রামোফোন কোম্পানি এইচএমভিতে অডিশন দিতে গিয়ে কবির সঙ্গে প্রথম সাক্ষাৎ ফিরোজার।  নজরুল তখন এইচএমভির প্রধান প্রশিক্ষক।

    ফিরোজার কণ্ঠে 'যদি পরানে না জাগে আকুল পিয়াসা শুধু চোখে দেখা দিতে এস না'শুনে নজরুল সেদিন বলেছিলেন- এই মেয়ে অনেক ভালো শিল্পী হবে।

    ষষ্ঠ শ্রেণীতে পড়ার সময়েই অল ইন্ডিয়া রেডিওতে ফিরোজার কণ্ঠে নজরুলের গান দুই বাংলায় সাড়া ফেলে দেয়। ১৯৪২ সালে মাত্র ১২ বছর বয়সে এইচএমভি থেকে তার প্রথম রেকর্ড বের হয়।

    শৈশবের সেই দিনগুলোতে নজরুলের কাছ থেকেই তার কয়েকটি গানের তালিম পেয়েছিলেন ফিরোজা বেগম। তার কণ্ঠের গান দিয়েই শুরু হয় নজরুলসংগীতের একক লং প্লে প্রকাশ।

    ১৯৫৫ সালে সুরকার কমল দাশগুপ্তের সঙ্গে বিয়ে হয় ফিরোজার। নজরুলের সরাসরি সংস্পর্শে আসা কমল বিদ্রোহী কবির প্রায় এক-তৃতীয়াংশ গানে সুর দিয়েছেন। ফিরোজা নিজেও পরে নজরুলের গানের স্বরলিপি তৈরি করেন; সুর সংরক্ষণে ভূমিকা রাখেন।

    নজরুলসংগীত ছাড়াও ফিরোজার কণ্ঠ থেকে ভক্তরা শুনেছে রবীন্দ্রসংগীত, আধুনিক গান, গজল, কাওয়ালি ও ভজন। বিভিন্ন দেশে তিন শতাধিক একক অনুষ্ঠানে গান করেছেন তিনি।

    ১৯৪৯ সালে ফিরোজা আর তালাত মাহমুদের গাওয়া গানেই ঢাকা শর্ট ওয়েভ রেডিওর যাত্রা শুরু হয়। ঢাকা নজরুল ইনস্টিটিউটের প্রথম চেয়ারম্যান ছিলেন ফিরোজা বেগম।

    সংগীতে অসামান্য অবদানের স্বীকৃতিস্বরূপ ১৯৭৯ সালে স্বাধীনতা পদকসহ দেশে-বিদেশে নানা পুরস্কারে ভূষিত হয়েছেন তিনি।

    এর মধ্যে রয়েছে শিল্পকলা একাডেমি পুরস্কার, শ্রেষ্ঠ টিভি শিল্পী পুরস্কার, নাসিরউদ্দিন স্বর্ণপদক, স্যার সলিমুল্লাহ স্বর্ণপদক, দীননাথ সেন স্বর্ণপদক, সত্যজিৎ রায় স্বর্ণপদক, বাচসাস পুরস্কার ও নজরুল আকাদেমি পদক।

    ফিরোজার প্রথম স্বামী কমল দাশগুপ্তের মৃত্যু হয় ১৯৭৪ সালে। পরে আরেক সংগীতজ্ঞ মনসুর আহমেদের সঙ্গে সংসার করেন তিনি।

    তিন ছেলে তাহসিন, হামীন ও শাফীন আহমেদ এবং অসংখ্য ভক্ত ও গুণগ্রাহী রেখে গেছেন শিল্পী ফিরোজা বেগম।

    'চিরতরে চলে গেলেন নজরুলসঙ্গীত সম্রাজ্ঞী ফিরোজা বেগম

    স্টাফ রিপোর্টার ॥ সুরের মোহময় স্রোতের টানে অনেকেই জড়িয়ে পড়েন গানের সঙ্গে। তবে সাধনাময় সঙ্গীতের পথে নিজেকে সমর্পণ করেন না সবাই। তিনি তেমনটাই করেছিলেন। কি এক মায়ার বাঁধনে শৈশবেই সুরেলা ভুবনে নিমজ্জিত করেন নিজেকে। আর পরিণত বয়সে তাল-লয়ের সঙ্গে মিলিয়ে নিয়েছিলেন আপন জীবনের ধ্যানজ্ঞানকে। এভাবেই সঙ্গীতচর্চার শাণিত পথপরিক্রমায় উপমহাদেশের বরেণ্য নজরুলসঙ্গীত শিল্পীর পরিচয়কে ধারণ করেছিলেন ফিরোজা বেগম। থেমে গেল কাজী নজরুল ইসলামের সান্নিধ্যপ্রাপ্ত এই সুরসম্রাজ্ঞীর সুরের পথভ্রমণ। নজরুলের গানের সুর ধরেই যেন চিরতরে দূরে চলে গেলেন অগণন শ্রোতার হৃদয় উদ্দীপ্ত করা এই শিল্পী। সুর ও সঙ্গীতে সাত দশকেরও বেশি সময় কাটানো এই কণ্ঠশিল্পী মঙ্গলবার রাত ৮টা ২৮ মিনিটে রাজধানীর এ্যাপোলো হাসপাতালে চিকিৎসাধীন অবস্থায় শেষ নিঃশ্বাস ত্যাগ করেন (ইন্নালিল্লাহি...রাজিউন)। মৃত্যুকালে তাঁর বয়স হয়েছিল ৮৪ বছর। তিনি তিন ছেলে তাহসিন আহমেদ, হামিন আহমেদ ও শাফিন আহমেদসহ অসংখ্য সঙ্গীত শিক্ষার্থী এবং ভক্ত-অনুরাগী ও গুণগ্রাহী রেখে গেছেন।

    ফিরোজা বেগমের বড় ছেলে সঙ্গীতশিল্পী হামিন আহমেদ জানান, রাতে হাসপাতালের হিমঘরে রাখা হবে মরদেহ। আজ বুধবার সকালে শিল্পীর শবদেহ নিয়ে যাওয়া হবে ইন্দিরা রোডের বাসায়। এরপর সম্মিলিত সাংস্কৃতিক জোটের তত্ত্বাবধানে বেলা ২টা থেকে চারটা পর্যন্ত কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে সর্বসাধারণের শ্রদ্ধা নিবেদন করা হবে। বাদ আছর গুলশানের আজাদ মসজিদে তাঁর জানাজা অনুষ্ঠিত হবে। জানাজা শেষে বনানী কবরস্থানে সমাহিত করা হবে নজরুলের গানের পাখি ফিরোজা বেগমকে।

    ফিরোজা বেগমের মৃত্যুর খবরে বিষণ্ণ শোকের আবহ নেমে আসে সংস্কৃতি অঙ্গনে। স্বাধীনতা পুরস্কারপ্রাপ্ত এ শিল্পীর মৃত্যুতে গভীর শোক প্রকাশ করেছেন রাষ্ট্রপতি মোঃ আবদুল হামিদ, প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনা, বিরোধীদলীয় নেতা রওশন এরশাদ, জাতীয় সংসদের স্পিকার শিরিন শারমিন চৌধুরী, অর্থমন্ত্রী আবুল মাল আবদুল মুহিত, বৈদেশিক কর্মসংস্থান ও প্রবাসী কল্যাণমন্ত্রী খন্দকার মোশাররফ হোসেন, বিএনপি চেয়ারপারসন খালেদা জিয়াসহ বিশিষ্ট ব্যক্তিবর্গ ও বিভিন্ন প্রতিষ্ঠান। মৃত্যুর সংবাদ পাওয়ার আগেই তাঁকে দেখতে যাওয়ার জন্য হাসপাতালে পৌঁছে সংস্কৃতিমন্ত্রী আসাদুজ্জামান নূর জানতে পারেন শিল্পী পাড়ি জমিয়েছেন না-ফেরার দেশে। এছাড়াও শিল্পীর চিরবিদায়ের সংবাদে হাসপাতালে ছুটে যান সংস্কৃতি সচিব রণজিৎ কুমার বিশ্বাস, গণমাধ্যম ব্যক্তিত্ব ফরিদুর রেজা সাগর এবং তাঁর স্বজন ও শুভাকাক্সক্ষীরা।

    শোকবাণীতে প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনা বলেন, কিংবদন্তির এই শিল্পীর মৃত্যুতে দেশের সঙ্গীতাঙ্গনে অপূরণীয় ক্ষতি হলো। নজরুলসঙ্গীত চর্চা ও গবেষণায় তাঁর অসামান্য অবদান জাতি আজীবন স্মরণ করবে।

    আসাদুজ্জামান নূর বলেন, ফিরোজা বেগম নজরুলসঙ্গীতকে এমন এক উচ্চতায় নিয়ে গিয়েছিলেন যে তাঁর অনুপস্থিতিতে সেই জায়গাটি কে পূরণ করবে তা বলা মুশকিল। তাঁর মতো মহান শিল্পীর মৃত্যু দেশের সর্বস্তরের মানুষের জন্য দুঃসংবাদ।

    শিল্পীর আরেক ছেলে শাফিন আহমেদ জানান, ফিরোজা বেগম দীর্ঘদিন হৃদযন্ত্র ও কিডনিজনিত সমস্যায় ভুগছিলেন। নিয়মিতভাবে কিডনি ডায়ালিসিসও করা হতো। কিডনির সমস্যা প্রকট হয়ে ওঠায় সোমবার সকালে ফিরোজা বেগমকে এ্যাপোলো হাসপাতালে ভর্তি করা হয়। একইসঙ্গে তাঁর হৃৎপি-ও স্বাভাবিকভাবে কাজ করছিল না। তাঁর হৃদযন্ত্রে পেসমেকার বসানোর পাশাপাশি মঙ্গলবার কিডনি ডায়ালিসিস করা হয়। সঙ্গে ধরা দিয়েছিল ডায়াবেটিস। তিনি নেফ্রোলজি ও কিডনি ট্রান্সপ্ল্যান্টেশন বিভাগের কো-অর্ডিনেটর ও সিনিয়র কনসালট্যান্ট কৃষ্ণ মোহন সাহুর তত্ত্বাবধানে চিকিৎসাধীন ছিলেন।

    শিল্পীর জীবনপঞ্জি : ১৯৩০ সালের ২৮ জুলাই ফরিদপুরের গোপালগঞ্জ মহকুমার (বর্তমান জেলা) রাতইল ঘোনাপাড়ার গ্রামের এক সম্ভ্রান্ত পরিবারে জন্ম গ্রহণ করেন ফিরোজা বেগম। আইনজীবী পিতা খান বাহাদুর মোহাম্মদ ইসমাইল ও সঙ্গীতানুরাগী মা কওকাবুন্নেসার সন্তান ফিরোজাকে ছোটবেলা থেকেই পেয়ে বসে সুরের নেশা। তিন ভাই ও চার বোনের মধ্যে তিনি তৃতীয়। ষষ্ঠ শ্রেণীতে পড়ার সময়ই অল ইন্ডিয়া রেডিওতে গান গেয়ে শ্রোতার হদয়ে সাড়া জাগান ফিরোজা। আর মাত্র ১২ বছর বয়সে নামজাদা গ্রামোফোন কোম্পানি এইচএমভি থেকে রেকর্ড প্রকাশের মাধ্যমে তাক লাগিয়ে দেন সঙ্গীত ভুবনে। পেয়েছিলেন কবি কাজী নজরুল ইসলামের দুর্লভ সান্নিধ্য। স্বয়ং জাতীয় কবির কাছ থেকে গানের তালিম নিয়েছেন। মুগ্ধ করেছেন গান শুনিয়েও।

    নজরুলসঙ্গীতকে বিশ্বদরবারে পৌঁছে দেয়ার পেছনে রয়েছে তাঁর অসামান্য অবদান। বিদ্রোহী কবির গানকে 'নজরুলসঙ্গীত'নামকরণের পেছনে রেখেছেন অনন্য ভূমিকা। তাঁর গান দিয়েই প্রথম নজরুলসঙ্গীতের একক লং প্লে¬ প্রকাশ শুরু হয়। কবি নজরুল অসুস্থ হওয়ার পর ফিরোজা বেগমই নজরুলসঙ্গীতের প্রথম স্বরলিপিকার। নজরুলসঙ্গীতের শুদ্ধ স্বরলিপি ও সুর সংরক্ষণের জন্য তাঁকে করতে হয়েছে কঠিন সংগ্রাম। নজরুল ইনস্টিটিউট তৈরি হয়েছিল তাঁরই ভাবনায়, যদিও শেষ পর্যন্ত সেই ইনস্টিটিউটে জায়গা হয়নি তাঁর।

    পৃথিবীর বিভিন্ন দেশে এ পর্যন্ত ৩৮০টির বেশি একক অনুষ্ঠানে গান করেছেন তিনি। নজরুলসঙ্গীত ছাড়াও তিনি গেয়েছেন আধুনিক গান, গীত, গজল, কাওয়ালি, ভজন, হামদ ও নাত। এ পর্যন্ত তাঁর ১২টি এলপি, চারটি ইপি, ছয়টি সিডি ও ২০টির বেশি অডিও ক্যাসেট বেরিয়েছে। নজরুলসঙ্গীতে অসামান্য অবদানের স্বীকৃতিস্বরূপ দেশে-বিদেশে পেয়েছেন নানা পুরস্কার। এর মধ্যে রয়েছে স্বাধীনতা পদক (১৯৭৯), বাংলাদেশ শিল্পকলা একাডেমি স্বর্ণপদক, সেরা নজরুলসঙ্গীতশিল্পী পুরস্কার (টানা কয়েকবার), সত্যজিৎ রায় পুরস্কার, নাসিরউদ্দীন স্বর্ণপদক, নেতাজি সুভাষ চন্দ্র পুরস্কার, নজরুল আকাদেমি পদক ইত্যাদি। এছাড়াও জাপানের অডিও প্রযোজনা প্রতিষ্ঠান সিবিএস থেকে পেয়েছেন গোল্ড ডিস্ক। ২০১২ সালের পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের কাছ থেকে গ্রহণ করেন বঙ্গ সম্মান পুরস্কার।

    সুরের ভুবনে এক কিংবদন্তির নাম ফিরোজা বেগম । নজরুলসঙ্গীত আর ফিরোজা বেগম শব্দ দুটি এখন যেন সমার্থক। 'আমি চিরতরে দূরে চলে যাবো, 'নূরজাহান', 'চাঁদ সুলতানা', 'মোর প্রিয়া হবে এসো রাণী', 'নয়ন ভরা জল গো তোমার', 'তুমি সুন্দর তাই চেয়ে থাকি'-নজরুলের এমন অজস্র কালজয়ী গানের মাঝে অমর ও অক্ষয় হয়ে থাকবেন তিনি।

    ১৯৫৫ সালে বিখ্যাত সুরকার কমল দাশগুপ্তের সঙ্গে তাঁর বিবাহবন্ধনে আবদ্ধ হন। ১৯৭৪ সালে তাঁর মৃত্যুর পর বিয়ে করেন আরেক সঙ্গীতজ্ঞ মনসুর আহমেদকে। তিনিও সম্প্রতি মৃত্যুবরণ করেছেন। শিল্পীর তিন ছেলে তাহসিন, হামীন ও শাফীন আহমেদ। হামীন ও শাফিন আহমেদ ভ্রাতৃদ্বয় দেশের ব্যান্ড সঙ্গীতের উজ্জ্বল নক্ষত্র।

    http://allbanglanewspapers.com/janakantha/

    ফিরোজা বেগমের প্রতি শ্রদ্ধা নিবেদন চলছে

    সম্মিলিত সাংস্কৃতিক জোটের উদ্যোগে কিংবদন্তি শিল্পী ফিরোজা বেগমের প্রতি শেষ শ্রদ্ধা জানাতে আজ বুধবার দুপুরে তাঁর মরদেহ কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে নিয়ে আসা হয়। ছবি: মনিরুল আলমসম্মিলিত সাংস্কৃতিক জোটের উদ্যোগে কিংবদন্তি শিল্পী ফিরোজা বেগমের প্রতি শেষ শ্রদ্ধা জানাতে আজ বুধবার দুপুরে তাঁর মরদেহ কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে নিয়ে আসা হয়।ছবি: মনিরুল আলমনজরুলসংগীতের মুকুটহীন সম্রাজ্ঞী ফিরোজা বেগমের মরদেহে সর্বস্তরের মানুষ শ্রদ্ধা নিবেদন করছেন। আজ বুধবার বেলা দুইটা থেকে কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে শুরু হয়েছে এ অনুষ্ঠান।

    প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনার পক্ষে মরহুমার কফিনে শ্রদ্ধা নিবেদন করেন সংস্কৃতিবিষয়ক মন্ত্রী আসাদুজ্জামান নূর। এ সময় প্রধানমন্ত্রীর কার্যালয়ের কয়েকজন কর্মকর্তা উপস্থিত ছিলেন।

    বিএনপির চেয়ারপারসন খালেদা জিয়ার পক্ষে ফুল দেন দলের স্থায়ী কমিটির সদস্য আবদুল মঈন খানসহ কেন্দ্রীয় কয়েকজন নেতা।

    শহীদ মিনার থেকে প্রথম আলোর বিশেষ প্রতিনিধি জানিয়েছেন, সেখানে সর্বস্তরের মানুষের শ্রদ্ধা নিবেদন চলছে। ইতিমধ্যে শ্রদ্ধা নিবেদন করেছেন বেসামরিক বিমান পরিবহন ও পর্যটনমন্ত্রী রাশেদ খান মেনন, তথ্যমন্ত্রী হাসানুল হক ইনু, মহিলা ও শিশুবিষয়ক প্রতিমন্ত্রী মেহের আফরোজ চুমকি প্রমুখ। বিশিষ্ট নাগরিকদের মধ্যে শ্রদ্ধা নিবেদন করেছেন ব্যারিস্টার রফিক উল হক, শিক্ষাবিদ আনিসুজ্জামান, কাজী নজরুল ইসলামের নাতনি খিলখিল কাজী প্রমুখ। এ ছাড়া বাংলা একাডেমি, নজরুল একাডেমি, ছায়ানটসহ বিভিন্ন সংগঠনের পক্ষ থেকে শ্রদ্ধা নিবেদন করা হয়েছে।

    এর আগে সকাল আটটায় হাসপাতালের হিমঘর থেকে ফিরোজা বেগমের মরদেহ ইন্দিরা রোডের বাসভবনে নেওয়া হয়। সেখানে গণমাধ্যমের অসংখ্য কর্মীসহ মরহুমার ভক্ত ও শুভাকাঙ্ক্ষীরা ভিড় করেন। সেখান থেকে মরদেহ নেওয়া হয় কেন্দ্রীয় শহীদ মিনারে। সর্বসাধারণের শ্রদ্ধা নিবেদনের পর বাদ আসর গুলশান আজাদ মসজিদে জানাজা অনুষ্ঠিত হবে। এরপর মরদেহ দাফন করা হবে বনানী কবরস্থানে।

    গতকাল মঙ্গলবার রাত সাড়ে আটটায় রাজধানীর অ্যাপোলো হাসপাতালে ৮৪ বছর বয়সে ইন্তেকাল করেন ফিরোজা বেগম। তাঁর মৃত্যুর খবরে শোকের ছায়া নেমে এসেছে গোটা সাংস্কৃতিক অঙ্গনসহ বিভিন্ন শ্রেণি ও পেশার মানুষের মধ্যে।

    Firoza Begum (singer)

    From Wikipedia, the free encyclopedia
    Firoza Begum
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    BornJuly 28, 1930.
    FaridpurBritish Raj (nowBangladesh).
    Died9 September 2014 (aged 84)
    NationalityBangladeshi
    Occupationsinger
    Years active1940-2014
    Spouse(s)Kamal Dasgupta (m. 1955–1974;)
    ChildrenTahsin Ahmed
    Hamin Ahmed
    Shafin Ahmed
    ParentsMohammad Ismail
    Begum Kowkabunnesa[1]
    AwardsIndependence Day Award(1979)[2]
    Sheltech Award (2000)[3]

    Firoza Begum (July 28, 1930 - September 9 2014) was one of the most prominent Bangladeshi Nazrul Sangeet singer.[1] She is considered an icon in the indian subcontinent for the generations that followed hers in the world ofBengali music[4]

    Career[edit]

    Firoza started her career in 1940s.[5] She first sang in All India Radio while studying in sixth grade. She meet with poet Kazi Nazrul Islam at the age of 10. She was a direct student of Kazi Nazrul. In 1942, she recorded her first Islamic song by the gramophone record company HMV in 78 rpm disk format.[1] Since than 12 LP, 4 EP, 6 CD and more than 20 audio casset records of Firoza have been realeased. [6] She lived in Kolkata from 1954 until she moved to Dhaka in 1967.[1]

    Personal life[edit]

    Firoza was born in a Muslim family in Faridpur district. She became drawn to music in her childhood.[7] In 1956, Firoza married to Kamal Dasgupta, a singer, composer and lyricist. Kamal died on July 20, 1974.[1] Her sons Hamin Ahmedand Shafin Ahmed are also musicians. They are currently the members of rock band Miles.

    Death[edit]

    Firoza Begum died on 9 September 2014 around 8:28 pm due to heart and kidney problems.[8]

    Awards[edit]

    References[edit]

    1. Jump up to:a b c d e "ফিরোজা বেগম". Retrieved 2012-11-26.
    2. Jump up to:a b "স্বাধীনতা পুরস্কারপ্রাপ্ত ব্যক্তি/প্রতিষ্ঠানের তালিকা". Retrieved 2012-11-26.
    3. Jump up^ "Dr Zafar Iqbal wins Sheltech Award"The Daily Star. 31 December 2003. Retrieved 13 April 2011.
    4. Jump up^ http://www.thedailystar.net/online/legendary-nazrul-singer-feroza-begum-passes-away-40920
    5. Jump up^ Kamol, Ershad. "Interview". YouTube. Retrieved 10 Jun 2012.
    6. Jump up^ Daily Prothom Alo. September 10, 2014, Special Feature Page, 7
    7. Jump up^ http://www.thedailystar.net/online/legendary-nazrul-singer-feroza-begum-passes-away-40920
    8. Jump up^ http://www.thedailystar.net/online/legendary-nazrul-singer-feroza-begum-passes-away-40920
    9. Jump up^ "Runa, Sabina nominated for Sheltech Award"Financial Express. Retrieved 13 April 2011.


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    स्मृति कोलाज मुक्तिबोध बनाम मस्तिष्काघात धर्मोन्मादी अब भारतीय संविधान और भारतीय लोकत्ंत्र भी स्मृति मात्र हैं और उनका तेजी से विलोप हो रहा है।अदालती फैसले भी मनुस्मृति का हवाला देकर होने लगे हैं। पलाश विश्वास

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    स्मृति कोलाज मुक्तिबोध बनाम मस्तिष्काघात

    धर्मोन्मादी

    अब भारतीय संविधान और भारतीय लोकत्ंत्र भी स्मृति मात्र हैं और उनका तेजी से विलोप हो रहा है।अदालती फैसले भी मनुस्मृति का हवाला देकर होने लगे हैं।


    पलाश विश्वास


    आज मुक्तिबोध की 50वीं पुण्यतिथि है.. मैं जन्मतिथि और पुण्यतिथि मनाने में यकीन नहीं रखता।हमारे कृषिजीवी समाज में जन्मदिन मरणदिन कामकाजी दिनों में इतने एकाकार होते हैं कि जन्म मृत्यु गैरप्रासंगिक।एक धारा में बहकर प्रवेश तो दूसरी धारा में बहते हुए चले जाना।


    धर्ममते देहमुक्ति हेतु अंतिमसंस्कार धर्मांतरे स्मृतियों में अस्तित्व विलीन हो जाने की प्रथा है,जहां दःख शोक ताप एकाकार है।


    सही मायने में मुझे अपने माता पिता की पुण्यतिथि माने का भी कोई औचित्य नजर नहीं आता।कोई किसी को यद करें या नहीं,मृत्योपरांत इससे कुछ भी बदलता नहीं है।


    स्मृतियों की प्रांसगिकता अगर समाज जीवन में न हो तो वे स्मृतियां भी कागज के नावों में सवार सुनामी के मुकाबला करने का अभ्यास है और कुछ भी नहीं।


    हमारी लोकपरंपराओं में जो स्मृतियां जीवन को और समाज को और राष्ट्रतंत्र को भी बदलने के संदर्भ में अतिशय प्रासंगिक हैं,उन्हें हम भुलाते रहे हैं।


    जैसे बौद्धमय भारत की,पंचशील अनुशीलन की स्मृतियां,जैसे सामंती मध्ययुग में दैवीय राजकाज के विरुध्द हाड़ मांस रक्त से लबालब मनुष्यता के विद्रोहात्मक जयघोष के सूफी संतों के साहित्यिक आंदोलन की स्मृतियां और साम्राज्यवाद के खिलाफ सहस्राब्दियों से जारी जनविद्रोह के अनंत सिलिसिले की अटूट स्मृतियां।


    जैस बहिस्कृत अस्पृश्य अश्वेत जनसमुदायों का प्रकृति से अद्वैत संबंध से जुड़े उत्पादन संबंधों की जटिल स्मृतियां और सभ्यता के विकास के रास्ते आहिस्ते आहिस्ते उन स्मृतियों का विलोप।उसकी स्मृतियां भी।


    मोक्ष स्मृतियों से अलहदा हो जाने का नामांतर है।


    इहकाल भूलकर परकाल की लालसा,जिसे हमारे पुरखे चार्वाक ने सिरे से खारिज करते हुए मार्क्सवादी विचारधारा के अभ्युदय से पहले ही उदात्त कंठ से कहा था-ऋणम् कृत्वा घृतम् पीवेत।


    मनुष्य के अस्तित्व के बाहर किसी ईश्वर और धर्म का अस्तित्व नहीं है,बंगाल की धर्मनिरपेक्ष बाउल परंपरा में देहतत्व का सार यही है।


    मुक्त बाजार में मोक्ष का आध्यात्म लेकिन ओशो के संभोग से समाधि का ही अनंत पथ है और उपभोक्ता समाज की स्मृतियां समाप्त होना इसके लिए अनिवार्य शर्त है।


    स्मृति लोप हुआ तो इतिहास भूगोल बेमायने और इतिहास बोध न हुआ तो वैज्ञानिक दृष्टि असंभव और ये नहीं हुए तो साह्ति्य संस्कृति राजनीति अर्थशास्त्र सबकुछ मनुष्यता के विरुद्ध ही मोर्चाबंद।


    स्मृतियां सरल नहीं होती।


    स्मृतियां तरल होती हैं तो हों स्मृतियां गरल होती हैं तो,कुहासे के मानिंद उत्तुंग शिखरों पर या नीली झील की सतह पर तिरती बर्फ या झरने की गहराइयों की गूंज या किसी मनुष्य के शोक में एकाकी विलाप या इन सबके मध्यउत्पादन प्रणाली में चालू हाथ पांव के मध्य कोई अभिव्यक्ति के अलग अलग रुपों में आ सकती हैं,जा सकती है स्मृतियां।


    स्मृतियों के बिना न जीवन है।

    स्मृतियों के बिना कोई संबंध नही।न स्मडति बिना मनुष्यता संभव है।


    स्मृति हीन सभ्यता मनुष्यता और प्रकृति के विरुध्द नरसंहार संस्कृति अवशेषे।मुक्तबाजारे।इति सिद्धम।


    मुझे निजी तौर पर जैसे कामायनी पर पुनर्विचार के मुक्तिबोध के तेवर हैं,जैसी उनकी लंबी कविता अंधेरे में है,या फिर ब्रह्मराक्षस का जो भविष्य के प्रति और अतीत के प्रति दायबद्ध कार्यभार है,वहां लोकस्मृतियों के कोलाज के अलावा कुछ और नजर नहीं आता।


    मेरे लिए मुक्तिबोध से तात्पर्य मुक्तकामी जनता का पक्ष जितना नजर आता है,उससे कहीं जनस्मृतियों का कोलाज नजर आता है उनका सारा रचना संसार।


    मैं जब भी मुक्तिबोध को पढ़ता हूं या उनकी अमोघ पंक्तियां उद्धृत करता हूं,बार बार उन स्मृतिसमूहों के कोलाज में मुक्तिकामी जनता की छटफटाहट को स्पर्श करता हूं और उसी स्पर्श में बसती है कविता की संवेदनाएं,जो पोर पोर में प्रवेश करके अस्तित्व को ही ज्वालामुखी बनाने का काम कर जाती हैं।


    जनस्मृतियों की कोख में ही चूंकि संस्कृति और कलाओं की विरासत है,तो वह विज्ञापनी जिंगल तो हो ही नहीं सकती।


    खालिस माटी की सौंदी महक के बजाय भाषिक कौशल उसकी संरचना तो हो ही नहीं सकती।स्मृतिमुक्त संस्कृति लेकिन जनसंस्कृति नहीं हो सकती।


    इतिहास और सांप्रतिक इतिहास से मुंह चुराने का सबसे अहम तरीका धर्मोन्माद है।


    मध्य युद में देशे देशे हमने सामंती और राजतंत्रीय राज्यव्यवस्था में आम जनता को कुचलने वाले इस धर्मोन्माद को देखा है और अकेले यूरोप का इतिहास पढ़ना इसके लिए पर्याप्त है।इसी धर्मोन्माद के मध्य औद्योगीकरण के रास्ते पूंजीवाद का विजयदध्वजा लहराता रहा।


    तो मुक्तबाजारी तकनीकी क्रांति में भी उसी धर्मोन्माद का जयघोष।


    आज मुक्तिबोध के जन्मदिन पर गुजरात विशेषज्ञ भाजपा के संघी प्रधान का लंबा चौड़ा साक्षात्कार छपा है अंग्रेजी अखबारों में, जिसमें केसरिया राज्यतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्थि लवजिहाद मध्ये कारपरेट कार्निवाल बताया गया है।


    इसी के मध्य ओएनजीसी,कोलइंडिया और एनएचपीसी को बेचकर 45 हजार करोड़ रुपये की कमाई का ब्यौरा है तो भारत में बोफोर्स तोपों की नया जन्मवृत्तांत भी है और शारदा पोंजी अर्थव्यवस्था का तमाझाम भी है।


    मैंने इन मुद्दों पर अंग्रेजी और बांग्ला में विस्तार से लिखा है,जो मेरे ब्लागों पर उपलब्ध है। हम इस अश्वमेध की बारीकियों पर फिलहाल इस आलेख में नहीं लिख रहे हैं।


    प्रबल स्मृति निर्भर मुक्तिबोध का साहित्यजनसाहित्यभी इसीलिए है कि वह स्मृतियों का कोलाज है।


    स्मृति लोप से तात्पर्य मस्तिष्काघात है।

    धर्मोन्मादी राष्ट्रीयता स्मृतिलोप का सबसे बड़ा विपर्यय है।

    इसका तात्पर्य समाज और जनता को मस्तिष्काघात का शिकार बनाकर मुक्त बाजार।


    2008 में बामसेफ के जयपुर राष्ट्रीय सम्मलेन के मौके पर जयपुर हाईकोर्ट के परिसर में मनुमहाराज की मूर्ति की तस्वीरें खींचकर लाये थे अनेक कार्यकर्ता।मुझे आज भी मालूम नहीं है कि वहां वास्तव में मनुमहाराज की कोई मूर्ति है या नहीं।


    अब भारतीय संविधान और भारतीय लोकत्ंत्र भी स्मृति मात्र हैं और उनका तेजी से विलोप हो रहा है।अदालती फैसले भी मनुस्मृति का हवाला देकर होने लगे हैं।


    अब इस खबर को गौर से पढ़ेंः


    हार्इ कोर्ट का फैसला: पति कहीं भी रहे पत्नी की देखभाल जरूरी जिम्मेदारी

    बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि पत्नी को सीआरपीसी की धारा 125(1) के तहत दिए गए भरण-पोषण के आदेश को एक्जीक्यूशन में चुनौती नहीं दी जा सकती। आदेश रद्द भी नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने पत्नी की क्रिमिनल रिवीजन को मंजूर करते हुए पति को दो माह के भीतर एरियर्स की पूरी राशि जमा करने का आदेश दिया है। कोर्ट के मुताबिक, पति कहीं भी रहे, पत्नी की देख-भाल करना उसकी जिम्मेदारी है।


    जस्टिस संजय के. अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मनुस्मृति का हवाला देते हुए कहा है कि पति नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर रहे या विदेश जाए, पत्नी की देख-भाल उसकी जिम्मेदारी होती है। रायगढ़ में रहने वाली संतोषी जायसवाल ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल कर फैमिली कोर्ट द्वारा उसके व बच्चों के पक्ष में हर माह एक हजार रुपए भरण-पोषण के आदेश को रद्द करने को चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट ने उसके पक्ष में 17 जनवरी 2006 को आदेश दिया था। पति राकेश जायसवाल ने इसके खिलाफ फैमिली कोर्ट में ही अर्जी लगाकर कहा कि कोर्ट ने पत्नी को साथ रहने का आदेश दिया था। उसने इसका पालन नहीं किया, लिहाजा वह भरण-पोषण की पात्र नहीं है। फैमिली कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए 30 नवंबर 2007 को अपने ही आदेश को रद्द कर दिया। पत्नी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल की। इसमें आदेश के बाद से भरण-पोषण के तौर पर एक हजार रुपए और एरियर्स के रूप में 40 हजार रुपए की मांग की गई। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125(1) के तहत जारी आदेश को क्रियान्वयन कार्रवाई में चुनौती नहीं दी जा सकती, न रद्द किया जा सकता है। पति को दो माह के भीतर भरण-पोषण की पूरी राशि जमा करवाने का आदेश दिया है।






    Sep 11 2014 : The Times of India (Ahmedabad)

    Sell-off in CIL, ONGC, NHPC may fetch record Rs 45,000cr


    New Delhi

    TIMES NEWS NETWORK

    

    

    CIL Alone Could Match Previous Best Yr's Mop-Up

    The government on Wednesday kicked off the most ambitious disinvestment programme, targeting to mop up a record Rs 45,000 crore by selling shares in blue chips public sector companies -Coal India, ONGC and National Hydroelectric Power Corporation (NHPC).

    While the exact dates are yet to be finalized, SAIL's disinvestment, which was cleared earlier, is likely later this month, with a 10% stake sale in Coal India expected around Diwali. The energy behemoth will help the government raise around Rs 23,600 crore based on its current share price. If prices hold, this sale alone is going to match the best ever disinvestment receipts of Rs 23,957 crore in 2012-13, when the government had sold shares of NTPC and NMDC, among others.

    ONGC, where the government can garner close to Rs 19,000 crore via a 5% sale, is expected later in the year as the government is awaiting clarity on gas prices before the issue, sources in the government told TOI. Somewhere during the course of the year, it will also sell 11.3% in NHPC which, going by current price, will help generate around Rs 3,000 crore. Apart from helping improve the government's fiscal health, the issues come with the additional attraction of a higher quota for retail investors as 20% of the sale in case of offer-for-sale, or auction through stock exchanges, will be set aside for small investors. Now, market regulator Sebi has provided additional flexibility for these issues.

    There are several other companies, such as BHEL, Power Finance Corporation and REC, which are also on the disinvestment department's radar but stake sale has not been cleared by the cabinet committee on economic affairs (CCEA).

    Then, there is Axis Bank, where the government is looking to sell shares held by the Specified Undertaking of the erstwhile UTI, although ITC and L&T, two other prominent stocks are being retained. Then there is Axis Bank, where the government is looking to sell shares held by the Specified Undertaking of the erstwhile UTI, although ITC and L&T, two other prominent stocks are being retained.

    The government holds these shares after it cleared all liabilities of UTI. Further, the Centre is looking to offload its remaining shares in Hindustan Zinc and Balco, which had been sold to Anil Agarwal's Sterlite Industries, during the Atal Bihari Vajpayee government's term.

    All put together, finance minister Arun Jaitley -who attended Wednesday's cabinet meeting within hours of being discharged from hospital -has budgeted for disinvestment receipts of over Rs 58,000 crore during the current financial year. Going by current trends, he appears to be on course to meet the target, which will substantially reduce the pressure on government finances. Except for 1991-92, 1994-95 and 1998-99, the government has never met its annual disinvestment target.

    While Jaitley had budgeted for a fiscal deficit of 4.1% of GDP for this year, it was seen as an ambitious goal given his over-reliance on tax collections, which is projected to rise by close to 17%.

    Sources said road shows for investors are expected to commence shortly

    Balco stake sale: Govt may use SME platform

    New Delhi: The government may use Sebi's institutional trading platform (ITP) -meant for easier fund raising by SMEs and start-ups -to sell its remaining stake in Balco, where it had divested its majority stake to Anil Agarwal's Sterlite Industries over a decade ago.

    The platform was created a few years ago to facilitate the exit of venture funds and private equity funds and allowed listing of companies without an IPO. TNN

    1. मुक्तिबोध | Sahapedia

    2. sahapedia.org/मुक्तिबोध/

  • 13-03-2014 - 'अंधेरे में' और 'ब्रह्मराक्षस' मुक्तिबोधकी सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण रचनायें मानी जाती हैं. 'ब्रह्मराक्षस' कविता में कवि ने 'ब्रह्मराक्षस' के मिथक के जरिये बुद्धिजीवी वर्ग के द्वंद्व और आम जनता से उसके अलगाव की व्‍यथा का मार्मिक ...


  • Muktibodh (वीडियो अनुवाद) द्वारा अंधेरे में - यूट्यूब

  • मुक्तिबोध अंधेरे में के लिए वीडियो► 4:45► 4:45

  • www.youtube.com/watch?v=qUv75pWil8c

  • 15-02-2011 - Devashish Prasoon द्वारा अपलोड किया गया

  • "अंधेरे में"महान हिंदी कवि गजानन माधव द्वारा एक प्रसिद्ध कविता हैMuktibodh ... यह अपने हिस्से में से कुछ की एक वीडियो अनुवाद है. फिल्म द्वारा किया गया ...

  • Muktibodhसे अंधेरे में (वीडियो अनुवाद ... - Firstpost

  • मुक्तिबोध अंधेरे में के लिए वीडियो

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  • "अंधेरे में"महान हिंदी कवि गजानन माधव द्वारा एक प्रसिद्ध कविता हैMuktibodh ... यह अपने हिस्से में से कुछ की एक वीडियो अनुवाद है. फिल्म द्वारा किया गया ...


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  • 26-04-2012 - मुखपृष्ठ»रचनाकारों की सूची»गजानन माधव मुक्तिबोध»संग्रह: चांद का मुँह टेढ़ा है /.अंधेरे में / भाग 1 / गजानन माधव मुक्तिबोध· अंधेरे में / भाग 2 / गजानन माधव मुक्तिबोध· अंधेरे में / भाग 3 / गजानन माधव मुक्तिबोध· अंधेरे में / भाग 4 ...

  • मुक्तिबोधकी कविता 'अंधेरे में' के पचास साल ...

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  • 'अंधंरे में' मुक्तिबोधकी प्रसिद्ध कविता है। इस रचना के पचास साल पूरे हो रहे हैं। यह कविता परम अभिव्यक्ति की खोज मेंजिस तरह की फैंटेसी बुनती है तथा इसमें जिस तरह की बहुस्तरीयता व संकेतोंमेंविविधता है, इसे लेकर हिन्दी के विद्वान ...

  • अंधेरे में (मुक्तिबोध) | कविता

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  • मंने मुक्‍ति‍बोधको जानना शुरू कि‍या तब मेरी उम्र 17 साल की थी और जब मेरी उम्र 23 साल की थी तोमुक्‍ति‍बोधकी मृत्‍यु हो गई। मेरा उनसे परि‍चय मात्र 6 साल का था। मुक्‍ति‍बोधकी 'अंधेरे में' कवि‍ता को यूरोप में टीएस इलि‍यट की जो 'वेस्‍ट लैण्‍ड' ...

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  • 15-05-2013 - मुक्तिबोध: 'अंधेरे' के उस महाकवि से बहुत कुछ सीखना बाकी है: रामजी राय. (रचनाओं से अधिक लेखकों की चर्चा करने वाला समाज सही अर्थों मेंसाहित्यिक समाज नहीं कहा जा सकता . लेखक के प्रभा -मंडल का रचनाओं के प्रकाश – वृत्त से अधिक ...


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    मुक्तिबोध स्मृति-1 : एक दोपहर 'अंधेरे में'

    First Published:06-09-14 07:42 PM

    Last Updated:07-09-14 10:34 AM

    imageloadingई-मेल Image Loadingप्रिंट  टिप्पणियॉ:(0)अ+अ-

    ग्यारह सितंबर को गजानन माधव मुक्तिबोध की पचासवीं पुण्यतिथि है। उनकी मृत्यु के कुछ ही दिन बाद उनकी महान कविता 'अंधेरे में'कल्पना पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। सितंबर माह के सभी शब्द पृष्ठ हम मुक्तिबोध की स्मृति को समर्पित कर रहे हैं। वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी उन चंद सौभाग्यशाली लोगों में से हैं, जिन्होंने खुद मुक्तिबोध से इस कविता का पहला और संभवत: अंतिम भी पाठ सुना था। यहां वे अपनी स्मृति को साझा कर रहे हैं।



    उस समय उस लम्बी कविता का कोई शीर्षक नहीं था: यह कहना भी कठिन है कि पूरी हो गई थी या नहीं। वह शायद उसका पहला प्रारूप था जिसे मुक्तिबोध हमारे आग्रह पर साथ ले आए थे। वे उन दिनों राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय में अध्यापक थे और उस नाते सागर विश्वविद्यालय की कोर्ट में उन्हें महाविद्यालय से नामजद किया गया था। कोर्ट की बैठक साल में एक बार होती थी और वे उसमें भाग लेने आते थे। यह 1959 की बात है: मेरा बीए का अंतिम वर्ष था। हमने उनसे दो आग्रह किए थे कि वे हमारी संस्था 'रचना'में नई कविता पर एक व्याख्यान दें और वे 'नई कविता का आत्मसंघर्ष'शीर्षक से लिखकर आए थे। व्याख्यान के अगले दिन उन्होंने अपनी लम्बी कविता का हम कुछ मित्रों के सामने, जिसमें रमेशदत्त दुबे, आग्नेय, जितेन्द्र कुमार और प्रबोध कुमार शामिल थे, पढ़ा। एक ठंडे दिन की बरदाई दोपहर थी। प्रबोध कुमार के पैतृक मकान का एक कमरा था जिसमें उन दिनों नामवर सिंह किराए से रह रहे थे: उस समय वे कलकत्ते में एक परिसंवाद में भाग लेने गए हुए थे। यह याद आता है कि उन्हीं दिनों के आसपास मैंने फ्रेंच कवि से ज्यां पर्स की कुछ लम्बी कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद टी.एस. ईलियट की भूमिका के साथ पढ़े थे। पर हिन्दी नई कविता में लम्बी कविताएं कम ही थीं और इतनी लम्बी कविता सुनने का हम सबका पहला ही अनुभव था।


    मुक्तिबोध ने उस समय, आने से पहले, ऐसा जिक्र अपने पत्र में किया था कि वे एक लम्बी कविता को रिटच कर रहे हैं और मैंने अपने 16 नवम्बर 1959 के पत्र में उनसे इस कविता को साथ लाने का अनुरोध किया था। यों तो मुक्तिबोध, छोटी कविताओं के उस युग में, प्राय: हमेशा ही लम्बी कविताएं लिख रहे थे। उनमें से कुछ प्रकाशित भी हुई थीं। पर उनके मन में अपनी कविताओं को लेकर बड़ा संकोच भी रहता था: लम्बापन उनकी विवशता थी क्योंकि यथार्थ, समय, आत्म और समाज के जितने व्यापक फलक और उनमें गुंथी अनुभव की जटिलताओं को वे कविता में लाना चाहते थे, उसके लिए लम्बा रूपाकार अनिवार्य था। उनकी मृत्यु के बाद जब अज्ञेय ने उन्हें 'परिणति का नहीं प्रक्रिया का कवि'अभिहित किया तो इसमें सचाई थी। मुक्तिबोध ने प्रक्रिया को ही अपना लक्ष्य बनाया। मुक्तिबोध का पाठ उस अंतरंग गोष्ठी में लम्बा चला। हमें उस वक्त यह कतई अंदाज नहीं हो सकता था कि यह उनके द्वारा इस कविता का पहला और संभवत: अंतिम पाठ होने जा रहा था। चूंकि वे जीवन और कविता दोनों में गहरे आत्मसंशय से ग्रस्त रहते थे।


    लगभग एक घंटे कविता पढ़ने के बाद उन्होंने कहा कि 'पार्टनर बोर हो रहे हों तो बंद करते हैं, चलिए चाय पी ली जाए'। दूसरी तरफ, हम सभी हतप्रभ थे- हमने ऐसी विचलित करनेवाली लम्बी कविता इससे पहले न तो सुनी थी, न ही पढ़ी। उसमें नियमित छन्द नहीं था, पर उसकी संरचना में लय के कई रूप थे और वे कई अप्रत्याशित मोड़ों पर आकर चकित करते थे। हमारे समय का अंधेरा मानों उस दोपहर उस कविता के माध्यम से उस कमरे में छा गया था और कविता उसे हमारे सामने रोशन कर रही थी। हमें तब यह पता तक न था कि हमारे समय का एक क्लैसिक हमारे सामने पढ़ा जा रहा था। पाठ खत्म होने तक मुक्तिबोध के पास रखी एक तश्तरी बीड़ियों के अधपिए हिस्सों से भर गई थी। इतना जरूर याद है कि तब लगा था कि कविता हमारे समय और समाज को, उनमें व्यक्ति की यातना को कैसे चरितार्थ कर सकती है। कविता का शिल्प अनूठा था: उसके प्रवाहवृत्त में इतने सारे मोड़ आते हैं। मुक्तिबोध कविता के उस प्रारूप से संतुष्ट नहीं थे और उस पर आगे और काम करने का जिक्र उन्होंने किया था।

    मैंने बाद में 10 फरवरी 1960 को उन्हें एक पत्र लिखा- 'मैं सच कहता हूं (मैंने भरसक अपने को झूठ या झूठ-जैसा कुछ कहने से अलग रखा है) वह कविता नई कविता की महत्तम उपलब्धि है और समूचे आधुनिक हिन्दी काव्य की गौरवनिधियों में से एक। मैं नहीं जानता कि अब तक एक दूसरा 'निराला'हो सकता है या नहीं (या कि उसे होना चाहिए या नहीं), पर कहने को विवश हूं (हां, उस कविता की गरिमा और सघनता विवश ही करती है) कि मैं मुक्तिबोध को, अब, दूसरा 'निराला'मानता हूं, यह अतिशयोक्ति या भावुक कथन नहीं है : ..अगर दि वेस्ट लैंड यूरोप की आधुनिक सर्वश्रेष्ठ कृति है तो नि:सन्देह आपकी यह प्रदीर्घ कविता हिन्दी के लिए उतनी ही गुरु और महत्वपूर्ण रचना है।'


    मुक्तिबोध इस कविता पर उसके बाद बरसों काम करते रहे और मार्च 1964 में, उनके पक्षाघात होने के बाद पोलिश विदुषी अग्नेश्का राजनांदगांव से लौटते हुए अपने साथ 'आशंका के द्वीप: अंधेरे में'शीर्षक से इस कविता को अपने साथ लाईं। उन दिनों भारतीय ज्ञानपीठ के दरियागंज दिल्ली स्थित कार्यालय में हम कुछ लेखक मिलकर एक गोष्ठी चलाते थे। तब 1 मार्च को यह कविता उसमें पढ़ी गई। 3 मार्च 1964 को मैंने मुक्तिबोध को भेजे अपने पत्र में उन्हें सूचित किया: 'आशंका के द्वीप'कविता परसों की गोष्ठी में पढ़ी गई: पढ़ने का काम थोड़ा श्रीकांत जी ने और ज्यादातर मैंने किया। सभी लेखक-मित्रों ने उसकी प्रशंसा की और एक बहुत इंटेंस कविता बताया। वस्तु-संगठन की दृष्टि से भी हम सबको वह बड़ी कॉम्पैक्ट जान पड़ी। सभी को लगा कि समकालीनता का इतना ज्वलंत बोध और सच्चे राजनैतिक अनुभव को प्रामाणिक बनाकर प्रतिबिम्बित करने का इतना सफल प्रयत्न अन्यत्र कहीं नहीं है। साथ ही कविता की विवशता का कन्सीडरेशन उसकी वस्तुगत सघनता को और भी समृद्ध बनाता है। ..श्री ब्रदीविशाल पित्ती निकट भविष्य में यहां आ रहे हैं और हम लोगों को आशा है कि इतनी महत्वपूर्ण कविता को उसकी लम्बाई के बावजूद छापने को तैयार हो जाएंगे।


    कविता 'कल्पना'में छपी, पर तब जब मुक्तिबोध उसे देखने के लिए अपने भौतिक शरीर में जीवित नहीं थे। इस वर्ष जैसे मुक्तिबोध के दुखद निधन के वैसे ही 'अंधेरे में'कविता के प्रकाशन के पचास वर्ष हो रहे हैं। 'अंधेरे में'की याद हममें से कइयों को आपातकाल के दौरान आई थी। मेरे अनुरोध पर उस दौरान हुए एक आयोजन के अवसर पर भोपाल के दो युवा चित्रकारों सच्चिदा नागदेव और सुरेश चौधरी ने 'अंधेरे में'पर आधारित एक चित्र-श्रृंखला बनाई थी, जिसकी भोपाल में मध्य प्रदेश कला परिषद की कला वीथिका में प्रदर्शनी लगी थी। उस अवसर पर प्रकाशित एक पुस्तिका में कविता से यह उद्धरण था:

    सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक

    चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं

    उनके खयाल से यह सब गप है

    पात्र किंवदन्ती।


    कुछ वर्षों बाद मुझे प्रीतिकर आश्चर्य हुआ जब कान से लौटकर: जहां हम मुक्तिबोध को लेकर बनाई मणि कौल की फिल्म 'सतह से उठता आदमी'विशेष अनुरोध पर दिखाने गए थे, पेरिस रुके तब वहां बरसों से बसे चित्रकार सैयद रजा ने बताया कि उन्होंने इसी कविता से एक पंक्ति अपने एक बड़े चित्र में ली है: 'इस तम-शून्य में तैरती है जगत-समीक्षा। मुक्तिबोध ने इसी कविता में ऐसे 'जरूरी दोस्तों'और 'नए-नए सहचर'खोजने-पाने की बात की थी जो 'सकर्मक सत-चित वेदना-भास्कर'हों। 'अंधेरे में'कविता की लम्बी यात्रा अपने आप में 'वेदना-भास्कर'रही है। उसके कालजयी होने का इससे अधिक और प्रमाण क्या चाहिए। हमारा वर्तमान समय जिस तरह की सकर्मकता की मांग करता है उसका एक प्रारूप इस कविता में है और अधसदी के बाद भी धुंधला या अप्रासंगिक नहीं हुआ है।

    http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tayaarinews/article1-Long-poem-title-say-hard-67-67-449627.html


    50वीं पुण्यतिथि पर: यादों के झुरमुट में मुक्तिबोध

    गुरुवार, 11 सितंबर 2014

    कनक तिवारी

    Updated @ 1:24 PM IST

    gajanan_muktibodh_50th death anniversary

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    मुक्तिबोध को 1958 में साइंस कॉलेज रायपुर के प्रथम वर्ष के छात्र के रूप में देखा सुना था। वे राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय में आ गए थे। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. करने के दौरान मुझे कई बार उनसे मिलने का अवसर तलाशना पड़ा।


    पांच वर्ष बाद मैं दिग्विजय महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त होकर उनका सहकर्मी बना। तब तक मुक्तिबोध की सुपात्रित वह ख्याति नहीं थी, जिसका बवंडर उनकी मृत्यु के बाद अचानक उठा।


    ब्रह्मराक्षस, ओरांग उटांग, क्लॉड ईथर्ली जैसे बीसियों अटपटे नामों की विकृतियों की भी सुसंगतता निर्धारित कर यह कवि उन्हें अभिव्यक्ति की धमनभट्टी में गलाकर कविता के उत्पाद में बदल देने की वैज्ञानिक वृत्ति का प्रयोगधर्मी रहा है। उनके प्रतीकों में अंधेरा, काला जल, सर्प, पत्थर, मृत्यु, चीत्कार वगैरह की परछाइयां नहीं, झाइयां कविता के चेहरे पर इस तरह उगी हैं कि इन्सानी विकृतियों में काव्यात्मकता बूझने की समझ विकसित है।


    मुक्तिबोध में समय के आगे के इतिहास को बूझने की शक्ति थी। उसकी वैज्ञानिक अभिव्यक्ति उन्होंने खुद से जद्दोजहद करती तराशी हुई भाषा में परवर्ती पीढ़ियों की विश्व बिरादरी के लिए परोसने की कोशिश की।


    उनके साहित्य का दुनिया की तमाम भाषाओं में अनुकूलता की समझ के साथ अनुवाद हुआ है। मुक्तिबोध भौगोलिक सीमा में बंधे केवल भारतीय कवि नहीं हैं। उन्हें विश्व कविता की समझ के एक प्रयोगशील हस्ताक्षर की तरह समझा जाना चाहिए। सड़क पर चलते 'एक साहित्यिक की डायरी' के टूटते जुड़ते विवरण रास्ते भर मुझे किसी दूसरी दुनिया में भेजते। मुक्तिबोध की मृत्यु-पूर्व अचेतन अवस्था ने सिद्ध किया कि उनके काव्य-बिंब बेहद असामान्य मानसिक स्थितियों में उपचेतन के कोलाज़ की तरह उभरते होते थे। साधारण जुमला है कि निराला ने व्यवहारगत एब्नॉर्मल होने के बावजूद नॉर्मल कविताएं लिखीं।


    अपने व्यवहार में बेहद अनुशासित और करुणामय होने के बावजूद मुक्तिबोध की कविता का बड़ा अंश एब्नॉर्मेलिटी के लिबास में मनुष्यता का जनस्वीकृत हलफनामा है।

    दिग्विजय महाविद्यालय से सटे बूढ़ासागर की पथरीली पटरियों पर बैठकर 'आशंका के द्वीपः अंधेरे में' का एकल श्रोता बनना मेरे नसीब में आया। वह कविता युवा श्रोता-शिष्य में घबराहट, कोलाहल, आक्रोश और जुगुप्सा भरती गई।


    मुक्तिबोध का अविस्मरणीय काव्यपाठ चलता रहा, जब तक सूरज पूरी तरह बूढ़ासागर में डूब नहीं गया। एक अमर कविता के अनावृत्त होने के रहस्य को देखना कालजयी क्षण जीना था। मैं हतप्रभ, आतंकित और भौंचक था। पहली बार लगा था कि कविता हमारे अस्तित्व को न केवल झकझोर सकती है, बल्कि वंशानुगत और पूर्वग्रहित धारणाओं तक की सभी मनःस्थितियों से बेदखल भी कर सकती है।


    पाठक या श्रोता का व्यापक मनुष्य समाज में गहरा विश्वास हो जाए और खुद उसमें किसी अणु के विस्फोट का संसार बन जाए-यह मुक्तिबोध की उस कविता का बाह्यांतरिक भूचाल है। 'अंधेरे में' आंतरिक उजास की कविता है। वह भारतीय जनता का लोकतांत्रिक घोषणापत्र है। यह आंशिक और अपूर्ण, लेकिन आत्मिक-लयबद्धता का ऐलान है। मुक्तिबोध संभावित जनविद्रोह की निस्सारता से बेखबर नहीं थे।


    इसलिए इस महान कविता में लाचारी का अरण्यरोदन नहीं, उसकी हताशा की कलात्मक अनुभूति है। पराजित, पीड़ित और नेस्तनाबूद हो जाने पर भी आस्था और उद्दाम संभावनाओं की उर्वरता के यौगिक बिखेर देना कविता की रचनात्मक जिम्मेदारी होती है। यह तयशुदा पाठ इस विद्रोही का ऐसा ऐलान है, जिसे जनसमर्थन तो चाहिए लेकिन जनआकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के लिए वह प्रतीक्षा करने की स्थिति में नहीं है। 'अंधेरे में' की दृश्यसंभावनाओं, नाटकीयता और अतिरेक लगती संभाव्यता में मुक्तिबोध की कलम की बहुआयामिता का अनोखा और अकाट्य साक्ष्य गूंजता रहता है।

    एक कविता कहती है, 'पता नहीं कब कौन कहां किस ओर मिले।' कोई पचास बरस बाद मैं उन्हें नहीं, शायद मुक्तिबोध मुझे खोज रहे हैं। इस कवि से मेरा निजता का रिश्ता रहा है, लेकिन शायद कविता से उतना नहीं। मुक्तिबोध की कविताओं में स्वप्न का जटिल बिम्ब विधान अनायास है। जीवन का यथार्थ उनके सपनों से भी झरता था। बाद में यह प्रामाणिक सिद्ध हुआ कि उनके सपनों में भी कविता ही तो रही है।


    हमें अक्सर लगता कि वे बातें करते-करते अपनी कविता में खो जाते। वे निश्च्छल भाषा के जरिए कविता को बहुआयामी बना देने के समर्थ शब्द-कारीगर भी लगते। वह विद्रोह का जनदस्तावेज इस तरह भी रचते, जिसके लिए टकसाल में गढ़ी किसी समकालीन या अंतर्राष्ट्रीय भाषा के विन्यास के लिए सायास उत्प्रेरण नहीं करना हो। मुक्तिबोध सदैव मनुष्य बने रहे। उनके मन में जो कुछ छूट जाता, वही चकरघिन्नी की तरह घूमता रहता। फिर कविता के गर्भगृह में तब्दील होता।


    वार्तालाप-निपुण मुक्तिबोध की आंखों से सम्मोहन जैसा कुछ झरता रहता था। मैं कविता के बाल प्राइमर की पाठशाला में था। मुक्तिबोध उसका खुला विश्वविद्यालय थे। लगता उनमें सांसों का जो उतार चढ़ाव प्रवहमान है, वही कविता है। मुझे कवि से ज्यादा कवि होने की पृष्ठभूमि पर भरोसा रहता। भ्रम होता कि कविता को समझाने के अय्यार बने वे अपनी वैयक्तिकता को मेरी आंखों में ठूंस तो नहीं रहे हैं।


    उनकी विनम्रता में सबसे पहले और सबसे ज्यादा समाज-सार्थक व्यंग्य आज भी दिखाई पड़ता है। मुक्तिबोध की दृढ़ हनु का फलितार्थ तब समझ नहीं आया था। अपनी निस्संगता महसूस करते मुक्तिबोध हर वक्त रचनात्मक उर्वरता की स्थिति में जीते। व्यापक भारतीय जीवन के कोलाहल की जो ध्वनि हहराती थी, उसे भी उन्होंने अपनी कविता की सिम्फनी बना दिया। वे शास्त्रीय संगीत के आदिम ध्रुपद राग की तरह के बेलौस गायक थे। ज्ञानेन्द्रियां ही तो उनकी कविता को समझने का माध्यम हैं।�������

    http://www.amarujala.com/news/samachar/national/gajanan-muktibodh-50th-death-anniversary-hindi-news-ss/


    শেষ পর্যন্ত কিঅশ্বডিম্ব প্রসব হবে,সেটাই দেখতব্য, সহযোগিতা করছে না রাজ্য সরকার, সুপ্রিম কোর্টের দ্বারস্থ হতে পারে সিবিআই সিবিআই অফিসের সামনে তৃণমূলের ধর্ণা, সুপ্রিম কোর্টে যাচ্ছে না কেন, প্রশ্ন আইনজীবীদের টাকা ফেরত ও দোষীদের শাস্তির দাবিতে প্রতারিতদের মিছিলে জনজোয়ার পলাশ বিশ্বাস

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    পলাশ বিশ্বাস


    সারদা কেলেন্কারিতে কার কি আসে যায়,তা কিন্তু গুরুত্বপূর্ণ নয়,ভারতবর্ষের রাজনীতি,অর্থব্যবস্থা মুক্তবাজারে কম সে কম সরকারের জমানায় ঠিক কোন খাতে বইছে,তা বুঝতেই নিয়মিত সারদা আপডেট রাখতে হচ্ছে


    অপরাধিদের মাথা কান টেনে লম্বা করে দিলেও ধরা পড়ে কি না তাহাও গুরুত্বপূর্ণ নয়,দেশে আইনের শাসন নামক কোনো বস্তু আছে কি নেই,তা নিয়ে মোদো মাতালেও মন্তব্য করতে পারে না,শেষ পর্যন্ত কিঅশ্বডিম্ব প্রসব হবে,সেটাই দেখতব্য


    রাজ্য সরকার সহযোগিতা করছে কি করছে না বা কেন্দ্র সরকার বঙ্গদখলের রাজনীতি করছে কি না,আমার নজরে তারও বিশেষ গুরুত্ব নেই


    প্রতারিতদের মিছিল বের করে চিটফান্ড কম্পানির বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণায় বামেরা আবার ক্ষমতায় ফিরবে কিনা,সেটাও বড় প্রশ্ন নয়


    রজত মজুদারের বক্তব্যে জলের মত পরিস্কার এখনো কোথাকার জল কোথায় গড়ায় দেখে যেতে হবে


    তবে চোখ কান খোলা রাখলে মগের মুলুকে রাজকার্যে সাধারণ মানুষের যো সর্বনাশ হচ্ছে প্রতিক্ষণ,তা প্রমাণিত করার আর প্রয়োজন হচ্ছে না


    সারা ভারতবর্ষে শত শত চিটফান্ডের রমরমা ব্যবসা চলছে এখনো অবাধ


    শেযারবাজারে লিস্টেড আনলিস্টেড কম্পানী দিনে ডাকাতি করে জনগণের জান মাল খতম করছে সেবি,ইডি,রিজার্ভ ব্যান্কের নাকের ডগায়,রাজনৈতিক নেতৃত্বের সততার প্রশ্ন বাদই দিলাম


    24 ঘন্টার স্রবশেষ রিপোর্টঃ সারদাকাণ্ডের তদন্তে রাজ্য সরকারের অসহযোগিতার আশঙ্কা করছে সিবিআই। ইতিমধ্যেই এনিয়ে দিল্লির শীর্ষকর্তাদের রিপোর্টও পাঠানো হয়েছে । সূত্রের খবর, এই ব্যাপারে সুপ্রিম কোর্টের দ্বারস্থ হওয়ার চিন্তাভাবনা করছে কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থা। অন্যদিকে, সারদা তদন্তে সিবিআইকে কোনওরকম সহযোগিতা না করবেন না বলে  জানিয়ে দিয়েছেন ধৃত প্রাক্তন পুলিস কর্তা রজত মজুমদার।

    সারদাকাণ্ডে তদন্ত শুরুর পর থেকেই সিবিআইয়ের বিরুদ্ধে রাজনৈতিক উদ্দেশ্যপ্রণোদিতভাবে কাজ করার অভিযোগে সরব তৃণমূল কংগ্রেস। বৃহস্পতিবার আরও একধাপ এগিয়ে সরাসরি সিবিআইয়ের বিরুদ্ধেই আন্দোলনে নেমেছে দলের মহিলা শাখা।

    সিবিআইকে কোনওরকম সহযোগিতা না করার কথা জানিয়ে দিয়েছেন  ধৃত তৃণমূল নেতা তথা প্রাক্তন পুলিস কর্তা রজত মজুমদার।

    আদালতে দাঁড়িয়ে প্রাক্তন পুলিস কর্তা সিবিআইকেই পাল্টা চ্যালেঞ্জ ছুঁড়েছেন।

    যা বলেছেন রজত মজুমদার-

    --------------

    আপনারা ভাল রাজনীতি করেন। যদি হিম্মত থাকে প্রমাণ করে দেখান। আমাকে পেটাতে পারবেন না।

    সবাই বলছে ১০ কোটি নিয়েছি। বঙ্গ সম্মেলনের জন্য কত নিয়েছি জানেন? ১ কোটি ৭৫ লাখ।

    বৃহত্তর ষড়যন্ত্র বলা হচ্ছে। মমতা-মুকুলকে টাকা দিয়েছি? ৭ দিন কেন ৭০ দিনেও প্রমাণ করতে পারবেন না।

    সব মিলিয়ে পরিস্থিতি যেদিকে গড়াচ্ছে তাতে রাজ্যের তরফে  সারদা তদন্তে কোনওরকম সাহায্য পাওয়া যাবেনা, এমনই আশঙ্কা করছেন  সিবিআই আধিকারিকরা।  ইতিমধ্যেই  দিল্লিতে সিবিআইয়ের সদর দফতরের এনিয়ে রিপোর্টও পাঠিয়েছেন তাঁরা।  রিপোর্টে বলা হয়েছে, রাজ্য সরকারের কাছ থেকে আগেও তদন্তে কোনও সহযোগিতা পাননি তাঁরা। এখন পরিস্থিতি আরও জটিল। এই পরিস্থিতিতে সুপ্রিম কোর্টের দ্বারস্থ হওয়ার কথা চিন্তাভাবনা করছেন কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থার আধিকারিকরা।


    অস্বস্তি ঢাকার বিক্ষোভে ধরনায় তৃণমূলের মহিলা ব্রিগেড

    ওয়েব ডেস্ক: সারদা কাণ্ডে সিবিআই জেরায় অস্বস্তিতে তৃণমূল কংগ্রেস। সিবিআইয়ের মোকাবিলায় এবার রাজনৈতিকভাবেই পথে নামল শাসকদল। রাজনৈতিক প্রতিহিংসা নিয়ে কাজ করছে সিবিআই। এই অভিযোগে সিবিআই দফতরের সামনে ধরনায় বসেছিল তৃণমূলের মহিলা ব্রিগেড।

    সারদাকাণ্ডে সিবিআই দায়িত্ব নেওয়ার পর থেকেই তৃণমূলের অস্বস্তি ক্রমশ বেড়েছে। তৃণমূলের সহ সভাপতি রজত মজুমদার গ্রেফতার হওয়ায় শাসকদলের বিরুদ্ধে আক্রমণ তীব্র করেছে বিরোধীরা। সবমিলিয়ে সারদা ইস্যুতে দলের ভাবমুর্তি রক্ষাই বড় চ্যালেঞ্জ হয়ে দাঁড়িয়েছে তৃণমূলের কাছে। এই পরিস্থিতিতে সিবিআইয়ের বিরুদ্ধে রাস্তায় নেমে  রাজনৈতিক আন্দোলন শুরু করল তৃণমূল। বৃহস্পতিবার সল্টলেকে সিবিআই দফতরের সামনে ধর্নায় বসে তৃণমূলের মহিলা ব্রিগেড।

    বুধবার সারদা কেলেঙ্কারিতে সমীর ওরফে বুয়া চক্রবর্তীকে জেরা করে সিবিআই। প্রতিবাদে এদিন ধরনায় সামিল হয়েছিলেন তার স্ত্রী বিধানগর পুরসভার চেয়ারপার্সন কৃষ্ণা চক্রবর্তী।

    ক্ষমতায় আসার পর থেকেই নানা ইস্যুতে সিবিআই তদন্তের বিরোধিতা করে এসেছে শাসক দল তৃণমূল। কিন্তু সরাসরি রাস্তায় নেমে কেন্দ্রীয় সরকারের অধীন গোয়েন্দা সংস্থার বিরুদ্ধে রাজনৈতিক আন্দোলন এই প্রথম।


    এবিপি আনন্দঃসারদা কেলেঙ্কারির ঘটনায় বিরোধীদের প্রশ্নের মুখে খোদ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

    শুধুমাত্র তৃণমূল নয়, সারদাকাণ্ডের আঁচ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় পর্যন্ত পৌঁছে দিয়েছেন তাঁর দলেরই সাসপেন্ডেড সাংসদ কুণাল ঘোষ। আর তাই এখন মুখ্যমন্ত্রী তথা তৃণমূল নেত্রীর দিকেই নানা প্রশ্ন ছুঁড়ে দিচ্ছে বিরোধীরা।

    কুণাল ঘোষ অভিযোগ করেছেন, কালিম্পংয়ের ডেলোতে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়, মুকুল রায়ের সঙ্গে বৈঠক করেছিলেন সুদীপ্ত সেন। বিরোধীদের প্রশ্ন,ডেলোতে সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে বৈঠক করেছিলেন কি না, করলে কেন করেছিলেন সেই প্রশ্নের উত্তর কেন দিচ্ছেন না মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়?এই প্রশ্ন তুলেছেন সিপিএমের রাজ্য সম্পাদক বিমান বসু।

    বিরোধীদের আরও প্রশ্ন, তিনি রেলমন্ত্রী থাকাকালীন কী কারণে সারদার সঙ্গে আইআরসিটিসি-র চুক্তি হয়েছিল, সে বিষয়েই বা কেন প্রকাশ্যে মুখ খুলছেন না মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়?

    কেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় রেলমন্ত্রী থাকাকালীন সিকিউরিটি ডিপোজিট বাবদ এক পয়সা না দিয়েও আইআরসিটিসি-র সঙ্গে চুক্তির সুযোগ পেয়েছিল সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্রাভেলস?  

    মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের দাবি, তিনি ২০১৩-র ১ বৈশাখের আগে সারদা সম্পর্কে কিছু জানতেন না। বিরোধীদের প্রশ্ন, তাহলে কী করে, সরকারি গ্রন্থাগারে কোন কোন সংবাদপত্র রাখা হবে, তার যে তালিকা মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের অধীনস্থ তথ্য সংস্কৃতি দফতর ঠিক করে দিয়েছিল, তার মধ্যে সারদা গোষ্ঠীরই একাধিক সংবাদপত্র ছিল? এই প্রশ্ন তুলেছেন সুপ্রিম কোর্টের অবসরপ্রাপ্ত বিচারপতি অশোক গঙ্গোপাধ্যায়ও।

    মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় কবে প্রকাশ্যে এই প্রশ্নগুলির উত্তর দেন, সেদিকেই তাকিয়ে রাজনৈতিক মহল।

    টাকা ফেরত ও দোষীদের শাস্তির দাবিতে প্রতারিতদের মিছিলে জনজোয়ার

    অর্ণব মুখোপাধ্যায় ও হিন্দোল দে, এবিপি আনন্দ

    Thursday, 11 September 2014 09:37 PM

    সারদাকাণ্ডে ষড়যন্ত্রের শিকড়-সন্ধানে তৎপর সিবিআই। জেরার মুখে তৃণমূলের একের পর এক প্রভাবশালী নেতা। এই পরিস্থিতিতে সেই প্রভাবশালীদের কঠোর শাস্তি ও টাকা ফেরতের দাবিতে একজোট হয়ে গর্জে উঠল প্রতারিত আমানতকারী ও এজেন্টরা। সুবিচারের দাবিতে রাজপথে জনজোয়ার।

    বৃহস্পতিবার বেআইনি আর্থিক প্রতিষ্ঠান কেলেঙ্কারিতে অভিযুক্তদের গ্রেফতারি ও টাকা ফেরতের দাবিতে এক মিছিলের আয়োজন করে প্রতারিতদের সংগঠন 'চিটফান্ড সাফারার্স ইউনিটি ফোরাম'।

    বৃহস্পতিবার সকালে কলেজ স্কোয়ার থেকে মিছিল শুরু হয়। সেখান থেকে রফি আহমেদ কিদোয়াই রোড, এস এন ব্যানার্জি রোড হয়ে মিছিল শেষ হয় রানি রাসমণি অ্যাভিনিউয়ে। সেখানেই আয়োজন করা হয় সমাবেশের।

    অরাজনৈতিক মিছিল হলেও প্রতারিত আমানতকারীদের সঙ্গে অভিযুক্তদের গ্রেফতারির দাবিতে এদিন সোচ্চার হন বিরোধী দলের নেতারা। মুখ্যমন্ত্রীর কড়া সমালোচনা করেন প্রাক্তন তৃণমূল বিধায়ক শিখা মিত্র।

    সম্প্রতি জেলে বসে লেখা ৯১ পাতার বিবৃতিতে সাসপেন্ডেড তৃণমূল সাংসদ কুণাল ঘোষ চাঞ্চল্যকর দাবি করেছেন, ডেলোয় সারদা কর্ণধারের সঙ্গে গোপন বৈঠক করেছিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এবং মুকুল রায়। এদিনের সমাবেশ থেকে সেই প্রসঙ্গ তুলে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে আক্রমণ করেছেন সিপিএম নেতা সুজন চক্রবর্তী।

    সরকার বিরোধী কড়া সুর শোনা গিয়েছে কংগ্রেস নেতা আব্দুল মান্নানের গলাতেও।

    সারদা-তদন্তের মাঝে তৃণমূল সরাসরি সিবিআইকে আক্রমণের রাস্তায় হাঁটলেও, প্রতারিত আমানতকারীরা যে এখনও সেই সিবিআইয়ের ওপরই ভরসা রাখছেন, তা ফের একবার স্পষ্ট হয়ে গিয়েছে বৃহস্পতিবারের মিছিলে। এদিন সারদা ছাড়া অন্যান্য বেআইনি আর্থিক প্রতিষ্ঠানে প্রতারিত আমানতকারী এজেন্টদের হাতেও দেখা গিয়েছে সিবিআই তদন্তের দাবিতে প্ল্যাকার্ড।


    মুখ্যমন্ত্রীর আলোচনার আশ্বাসে আলু ব্যবসায়ীদের ধর্মঘট প্রত্যাহার  

    প্রগতিশীল আলু ব্যবসায়ী সমিতির সঙ্গে আলোচনায় বসতে রাজি মুখ্যমন্ত্রী। এই সিদ্ধান্ত শোনার পরেই শুক্রবার সকাল থেকে কর্মবিরতি প্রত্যাহার করে নিচ্ছেন ব্যবসায়ীরা। ...  আরও»

    আদালতে হম্বিতম্বি, মুখে নিলেন মমতা-মুকুলের নাম, অস্বস্তিতে তৃণমূল, রজতের কৌশল ঘিরে জল্পনা  

    প্রকাশ্য আদালতে মুখ্যমন্ত্রীর নাম তুলে তিনি যেমন ঘুরিয়ে তৃণমূল ও রাজ্য সরকারকে আরও বেকায়দায় ফেলার চেষ্টা করলেন, তেমনই তৃণমূলের শীর্ষ নেতৃত্বের একাংশ এখন তাঁর সঙ্গে দলের দূরত্ব তৈরির চেষ্টা করছে, তখন তারও জবাবও  ...  আরও»

    তাপস মামলায় কৌশল, সিআইডি তদন্তে রাজি হলেও একাধিক শর্ত রাজ্যের  

    আইনজীবী মহলের একাংশের মতে, রাজ্যের এই শর্তের অর্থই হল, সিআইডি তার নিজস্ব গতিপ্রকৃতি ছেড়ে একেবারে পুলিশি কায়দায় তদন্ত করবে। ...  আরও»

    সন্ধির-দেবব্রতর জামিনের আর্জি খারিজ, রজত মজুমদার হাসপাতালেই  

    সারদাকাণ্ডে ধৃত তৃণমূল নেতা রজত মজুমদার হাসপাতাল থেকে ছাড়া পেলেই তাঁকে আদালতে পেশ করবে সিবিআই। ...  আরও»

    তাপস মামলা: 'সিআইডি তদন্ত অযৌক্তিক?'প্রশ্ন বিচারপতির  

    তাপস মামলার তদন্তভার সিআইডিকে দেওয়া কি অযৌক্তিক? শুনানিতে পুলিশের ভূমিকার সমালোচনা করে মন্তব্য বিচারপতি নিশীথা মাত্রের। তিনি বলেন, অভিযোগ দায়ের এবং হাইকোর্টে মামলা দায়েরের মাঝে পুলিশ কিছুই করেনি। ...  আরও»

    তাপস মামলা: 'সিআইডি তদন্ত অযৌক্তিক?'প্রশ্ন বিচারপতির  

    তাপস মামলার তদন্তভার সিআইডিকে দেওয়া কি অযৌক্তিক? শুনানিতে পুলিশের ভূমিকার সমালোচনা করে মন্তব্য বিচারপতি নিশীথা মাত্রের। তিনি বলেন, অভিযোগ দায়ের এবং হাইকোর্টে মামলা দায়েরের মাঝে পুলিশ কিছুই করেনি। ...  আরও»

    মমতা বেলুড়ে

    প্রিয়দর্শী বন্দ্যোপাধ্যায়: দিনের ব্যস্ত সময়ে বেলুড় মঠে স্বামী বিবেকানন্দের আবাসগৃহ-লাগোয়া গঙ্গার ঘাটে প্রায় আধ ঘণ্টা বসে রইলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি৷‌ বুধবার দুপুর ১টা ৪০ মিনিটে মুখ্যমন্ত্রী বেলুড় মঠে আসেন৷‌ তাঁর সঙ্গে ছিলেন পুরমন্ত্রী ফিরহাদ হাকিম, কলকাতার মেয়র শোভন চ্যাটার্জি, হাওড়ার মেয়র ডাঃ রথীন চক্রবর্তী, মুখ্য সচিব সঞ্জয় মিত্র, রাজ্য পুলিসের ডিজি জি এম পি রেড্ডি, কবি সুবোধ সরকার, গায়ক ইন্দ্রনীল সেন ও চলচ্চিত্র প্রযোজক শ্রীকাম্ত মেহতা-সহ আরও অনেকে৷‌ প্রথমে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি ও তাঁর সঙ্গীরা বেলুড় মঠের বিদেশি পর্যটকদের জন্য নির্ধারিত অতিথি নিবাসে যান৷‌ সেখানে বসেই তিনি বেলুড় মঠের দুপুরের প্রসাদী 'ভোগ'খান৷‌ এর পর তিনি বেলুড় মঠের ভেতরে স্বামী বিবেকানন্দের আবাসগৃহের সামনে 'স্বামীজির ঘাট'-এ প্রায় ৩০ মিনিট বসে ছিলেন৷‌ সেখান থেকে উঠে এসে বিকেল ৩টে নাগাদ গাড়িতে বেলুড় মঠ থেকে চলে যান মমতা৷‌ মুখ্যমন্ত্রীর সফরকে ঘিরে কড়া নিরাপত্তার বলয়ে মুড়ে ফেলা হয়েছিল বেলুড় মঠ চত্বর৷‌ তবে মুখ্যমন্ত্রীর বেলুড় মঠ সফরের সময় রামকৃষ্ণ পরমহংসদেবের মূল মন্দির-সহ সমস্ত মন্দির বন্ধ থাকায় কোনও মন্দিরেই ঢোকেননি তিনি৷‌ পাশাপাশি দুপুরে রামকৃষ্ণ মঠ ও মিশনের অধ্যক্ষ স্বামী আত্মস্হানন্দজি মহারাজ বিশ্রামে থাকার কারণে এদিন তাঁর সঙ্গেও মমতার সাক্ষাৎ হয়নি৷‌ তবে বেলুড় মঠের তরফে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে সাক্ষাৎ করেন রামকৃষ্ণ মঠ ও মিশনের সম্পাদক সুহিতানন্দ মহারাজ, সহ-সম্পাদক স্বামী সুবীরানন্দ মহারাজ-সহ অন্য মহারাজরা৷‌ বেলুড় মঠ সূত্রে জানানো হয়েছে, এদিন নিছকই 'ব্যক্তিগত'সফরে বেলুড় মঠে এসেছিলেন মুখ্যমন্ত্রী৷‌ মূলত বেলুড় মঠের ভোগ খাওয়ার উদ্দেশ্যেই তিনি এদিন এসেছিলেন৷‌ অনেক দিন ধরেই বেলুড় মঠে ভোগ খেতে আসার ইচ্ছে প্রকাশ করছিলেন তিনি৷‌ এদিন সেই ভোগ খেতেই বেলুড় মঠে এসেছিলেন মুখ্যমন্ত্রী৷‌ তবে সংবাদমাধ্যমের সঙ্গে তিনি কোনও কথা বলেননি৷‌

    আনন্দবাজারেঃ

    হাসপাতাল থেকে ছাড়া পাওয়া রজতকে হেফাজতে নিল সিবিআই

    নীলরতন সরকার মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতাল থেকে বৃহস্পতিবার দুপুরে ছুটি নিতে হল রজত মজুমদারকে। বুধবার রাতভর শারীরিক অসুস্থতা আরও বেড়েছে বলে দাবি করেছিলেন তিনি। এ দিন সকালেও ডাক্তারদের উদ্দেশে তাঁর কাতর অনুরোধ ছিল, "আমার শরীর খুব খারাপ। আমাকে দয়া করে ছুটি দেবেন না।"

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ১১ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    তাপস পাল মামলায় সিআইডি তদন্তে রাজি, হাইকোর্টে জানাল রাজ্য

    এত দিন রাজ্য সরকারের হয়ে আদালতে তিনি তৃণমূল সাংসদ তাপস পালের হয়েই সওয়াল করছিলেন। বৃহস্পতিবার ওই মামলার সরকারি আইনজীবী কল্যাণ বন্দ্যোপাধ্যায় নিজেই বিচারপতি নিশীথা মাত্রের আদালতে প্রস্তাব দিলেন, তাপস পালের উস্কানিমূলক বক্তব্য নিয়ে সিআইডি অনুসন্ধানে রাজ্য সরকার রাজি।

    নিজস্ব সংবাদদাতা

    ১১ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    এক পয়সা গ্যারান্টি ছাড়াই রেলের এজেন্ট

    সিকিওরিটি ডিপোজিট বা ব্যাঙ্ক গ্যারান্টি একটি পয়সাও লাগেনি! সারদার ভ্রমণ সংস্থা কোনও রকম আর্থিক জামানত ছাড়াই রেলওয়ে ক্যাটারিং অ্যান্ড ট্যুরিজম কর্পোরেশন (আইআরসিটিসি)-এর এজেন্ট হয়ে বসেছিল বলে তদন্তে জানতে পেরেছে সিবিআই। তদন্তকারীদের দাবি, সংস্থার ব্যালান্স শিটে গ্যারান্টি বাবদ খরচের কোনও উল্লেখই নেই! এবং কী ভাবে সেটা সম্ভব হল, তার হদিস পেতে তদন্তকারীরা এ বার সারদা-কর্ণধার সুদীপ্ত সেনকে জেরা করার কথা ভাবছেন।

    শান্তনু ঘোষ

    ১১ সেপ্টেম্বর, ২০১৪

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    জেলে বসে কুণালের লেখা

    নিজস্ব সংবাদদাতা


    সুদীপ্তর অজ্ঞাতবাস ও অসঙ্গতি

    সুদীপ্ত সেনের শেষদিকটা পুরো মিথ্যাচার, রহস্য, গোপনীয়তা অসঙ্গতিতে ভরা।

    ১।মিডিয়া ব্যবসা যে বড় লগ্নির/প্রথম ক'বছর ক্ষতির সারা পৃথিবী জানে। তবু তিনি মিডিয়াতে এলেন কেন? আর এলেনই যদি, এত সংখ্যায় করলেন কেন? বারণ করলেও কমাননি কেন?  এর সঙ্গেই প্রশ্ন : যখন অর্থসঙ্কট, চালাতে পারছেন না, দু'তিন মাস আগে বললেন না কেন? কেন প্রকৃত অবস্থা গোপন রেখে শেষমুহূর্তে বন্ধের কথা বলে কর্মীদের বিপদে ফেললেন? কেন সময় থাকতে বিকল্প ব্যবস্থা করে মিডিয়াগুলিকে বেঁচে থাকার সুযোগ দিলেন না?

    ২।বিপদ দেখে যখন সরকারের হস্তক্ষেপ চেয়েছি, সিএম-কে বলেছি, তখন মুকুল রায় নিজাম প্যালেসে বৈঠক ডাকল। (৫ এপ্রিল, ২০১৩??) সুদীপ্ত এলেন। গোটাটাই অস্বাভাবিক। রজত মজুমদারকে রেখেছিল মুকুল। আমি, সোমনাথদা (দত্ত, সারদার সিইও) ছিলাম। অত গুরুত্বপূর্ণ পরিস্থিতি। কোনও আলোচনা হল না। সুদীপ্ত বললেন, দেরি হয়ে গেল, আমি যাই। মুকুল বলল, ঠিক আছে। রজতদা বলল, আপনার অফিসে গিয়ে কথা বলে নেব।

    আমার সন্দেহ হয়েছে। গট আপ কিছু চলছে না তো?

    ৩।রজত মজুমদার এরপর সেন-এর অফিসে যান। কিন্তু মুকুল আমাকে বিন্দুবিসর্গ জানায়নি। এটাও রহস্য।

    ৪।শুনেছি, সেন-রজত দীর্ঘ বৈঠক হয়। কিছু মিডিয়া হাতবদলের আনুষ্ঠানিক কাগজ হয়। রজত ব্যাঙ্ক ড্রাফ্ট (১৫০০০ টাকা) নিয়ে গেছিলেন 'কলম'কাগজের জন্য। আরও বিস্তারিত বহু কথা হয়। এই কথা নাকি ক'দিন ধরেই চলছিল। নিজাম প্যালেস বৈঠক আমাদের সামনে শুধু নাটক।

    ৫।ঘটনাচক্রে, এই সময়ই সিবিআই-কে লেখা সেন-এর চিঠি। আমি প্রথম থেকে বলে আসছি, চিঠিটা স্বাভাবিক না। কোনও 'প্লি/প্লট আছে। হয় সেন নিজে লেখেনি। নইলে কেউ বসে লিখিয়েছে।

    এতদিন পর সেন মিডিয়ার সামনে বলল, সিবিআই-কে লেখা চিঠি ওর নয়। এর মানে কী? নাটক হচ্ছে?

    ৬।সেন উধাও হল। পালিয়েছে? বিশ্বাস করি না। কলকাতা-র তিনটে মোবাইল অন রেখে কেউ পালায়? ওকে ক'দিন দূরে থাকতে বলা হয়েছিল।

    মুকুলকে বললাম, পুলিশকে বল খুঁজে দিতে। কিছু ঘটছে। গুরুত্বই দিল না। বলল, নিশ্চিন্ত থাকো।

    সোমনাথ দত্তর মাধ্যমে আইপিএস ভারতী ঘোষকে বললাম, খুঁজে দিন। ভারতী ঘোষ আন-অফিসিয়ালি করলেন। পরপর ক'দিন। সেনউত্তরপ্রদেশ, দিল্লি, উত্তরপ্রদেশ, আরও উত্তরে।

    মুকুলকে এটা বলা যাচ্ছে না। আলাদা চাপ দিচ্ছি। নিষ্ক্রিয়। আর ক'দিন পর রাতে নিজাম প্যালেসে তারা টিভি-র ক'জন আর আমিমুকুল তখন ফোনে আইপিএস রাজীব কুমারকে বলল সেন-এর মোবাইল ট্র্যাক করতে।

    অঙ্কন: সুমন চৌধুরী।

    ৭।সেন উধাও। ১৮ এপ্রিল, ২০১৩, দিল্লি ১৮ সাউথ অ্যাভিনিউ। মুকুলের বাড়ি। কে ডি সিং (রাজ্যসভার তৃণমূল সাংসদ), আসিফ-রা। জরুরি বৈঠক। সে দিন মুকুল আমাকে সেন-এর সিবিআইকে লেখা চিঠি দেখাল। বলল, সিবিআই থেকে এনে দিয়েছে প্রিয়াঙ্কা ইংটির বর। এটাও অস্বাভাবিক। সে দিন মুকুল নিজে চিঠিটা মিডিয়াকে দিল।

    ৮।আমার বিশ্বাস সুদীপ্তর এই প্লট মুকুলদের অনুমোদনে।

    সুদীপ্ত চিঠি লিখে চলে যাবে। মিডিয়া ইউনিট এর বদনাম। আমার সর্বনাশ। আমার ক্ষতি। দলে কোণঠাসা।

    মিডিয়া ইউনিটগুলো নিয়ে মুকুলরা চালাবে। যার জন্য বন্ধের আগে বিকল্প ব্যবস্থা করতে দেয়নি সেন। জানত, গট আপ খেলা। ক'দিন বন্ধ। তার পর কাগজ-কলমে হাতবদল চালু)।

    সেন ফিরলে তখন তাঁর যেটুকু টাকা দরকার বলে প্রচার, মুকুলরা দিয়ে দেবে।

    সুদীপ্ত ভেবেছিল, টিএমসি-র এতো উপকার করেছে, সব পরিকল্পনামত চলবে। মুকুল/রজতদের উপর নির্ভর করেছিল।

    কিন্তু অর্পিতা ঘোষকে দিয়ে থানায় এফআইআর করিয়ে পরিস্থিতি ঘুরিয়ে দিল টিএমসি। মানুষের কাছে ভালো সাজার খেলা।

    সুদীপ্ত প্রথমে ওদের কথায় স্বেচ্ছায় চলেছে। পরে বাধ্য হয়ে। কিন্তু ঠিক কোন অংশে সেন প্রথম ধাক্কা খেল, জানার কৌতূহল আছে। আলিপুর কোর্ট, আলিপুর জেলে জিজ্ঞেস করেছিলাম। বলেনি।

    শুধু বলল, 'ওরা আমাকে শেষ করে দিল'।

    মমতা এবং পার্টি সারদার কিছু মিডিয়ার উপর নির্ভরশীল হয়ে পড়েছিল প্রচারে। যে তৎপরতায় এখনও এগুলি চলছে, রাজ্যে কোনও চা বাগান বা কারখানা বন্ধ হলে, শাসকদল কর্মী স্বার্থে এই তৎপরতা দেখায় না।

    আমাকেও ফেলা দরকার ছিল। সারদা প্লট-এ সেনকে কনফিডেন্সে নিয়ে আমাকে শেষ করার চেষ্টা হয়। মূর্খ, উপরচালাক সেন এদের বিশ্বাস করে এখন আফসোস করছে। কিন্তু ওর এখন ওদের মুঠো থেকে বেরনোর উপায় নেই।

    সুদীপ্তর কাছ থেকে প্রত্যক্ষ/পরোক্ষ সবরকম সুবিধা নেওয়ার পর এখন মুছে ফেলার খেলা চলছে। যাদের ক্যাশ দিয়েছে সেন, প্রমাণ নেই বোধহয়, এখন বলতেও পারছে না। কিছু কিছু কথায় যা আন্দাজ করছি, সেন-এর বেশ কিছু টাকা কয়েক জনের কাছে আছে। সেন না পারছে তাদের বিরোধিতা করতে, না পারছে পরিস্থিতিটা গিলতে।

    সেনকে বলা হয়েছিল সিবিআইকে এটা লিখে তুমি দূরে থাকো। আমরা দেখছি। এখন যেটুকু টাকা দরকার, দিয়ে দেওয়া হবে। মিডিয়া আমরা চালাব (এর আগে এবং পরের ঘটনাক্রম মুকুল, রজত, সুদীপ্ত সেন বলতে পারবে)।

    বিপর্যয় যখন নিশ্চিত, সারদা মিডিয়া বন্ধের মুখে, সুদীপ্ত উধাও হওয়ার আগে বিকল্প পদ্ধতিতে মিডিয়া বাঁচিয়ে রাখার মরিয়া চেষ্টা হয়েছিল। সুদীপ্ত তাতে নিজে থেকে কথা এগোন। কিন্তু শেষ পর্যন্ত রহস্যজনক কারণে অসহযোগিতা করেন। চ্যানেল-টেন, তারা ২টি ক্ষেত্রেই একথা প্রযোজ্য। বিকল্প অর্থ সূত্রের সঙ্গে প্রক্রিয়া এগিয়েও বন্ধ করেন আচমকা। এতে কর্মিস্বার্থ বিপন্ন হয়।

    (বানান অপরিবর্তিত)


    আসিফ-রজত আবার কে! সব চরিত্রই কাল্পনিক

    নিজস্ব সংবাদদাতা


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    ছবির পর্দায় প্রশ্নকর্তা নিজের পরিচয় দিয়েছিলেন ডক্টর হাজরা রূপে। বিস্মিত মুকুলকে ভরসা দিতে বলা হয়েছিল 'হাজার হাজার ডক্টর হাজরা'র স্তোকবাক্য!

    'সোনার কেল্লা'র বালক মুকুল ছিল জাতিস্মর। কখন সে এ জন্মে থাকে, কখন আবার আগের জন্মে ফিরে যায় সে সব নাকি তাল রাখা যেত না। বাস্তবের মুকুলের দল কড়া সত্যের মুখোমুখি দাঁড়িয়ে। তবু মাথার উপরে মাঝেমধ্যেই দুলে উঠছে আকাশ! কে রজত মজুমদার, কে আসিফ খান চিনতে পারছেন না তৃণমূল নেতারা! সিবিআইয়ের ঠেলায় সব গুলিয়ে যাচ্ছে!

    ছায়াছবির 'দুষ্টু লোকে'র দল মজেছিল সোনার কেল্লার কল্পিত গুপ্তধনের স্বপ্নে। বাস্তবের মুকুলের দল বিপাকে সারদা নামক স্বর্ণমৃগের হাতছানিতে! তাই কি এমন স্মৃতিভ্রম? বিরোধীরা যাকে বলছেন, 'সিলেক্টিভ অ্যামনেসিয়া'! প্রশ্ন তুলছেন, রাজ্যের শিল্পায়ন নিয়ে রতন টাটার সমালোচনাকে অর্থমন্ত্রী অমিত মিত্র যদি 'মতিভ্রম'বলতে পারেন, বিপদের সময়ে তাঁর দলের এই স্মৃতিভ্রমও কি আসলে মতিভ্রম নয়!

    সারদা-কাণ্ড নিয়ে কুণাল ঘোষ, রজত, আসিফদের পালা করে জেরা করছে সিবিআই। কুণাল আগেই জেল-হাজতে। সদ্য গ্রেফতার হয়েছেন রজত। আসিফ সিবিআই-কে সহযোগিতার কথা বলে তৃণমূলের সঙ্গে সব সম্পর্ক ছেদের ঘোষণা করেছেন। তাতেই উদ্বেগ বেড়েছে তৃণমূল নেতৃত্বের। বাঁধনহীন হয়ে তিনি কী না কী বলে বসেন সিবিআই-কে! এখন কী করা? তৃণমূল নেতৃত্ব তাঁর পরিচয়ই বেমালুম ভুলে গিয়েছেন! তৃণমূলের মহাসচিব পার্থ চট্টোপাধ্যায় বুধবার বলে দিয়েছেন, "আসিফ খান বলে কাউকে চিনি না!"

    আসিফ ছিলেন তৃণমূলের উত্তরপ্রদেশের পর্যবেক্ষক। ঠিক যেমন রজত ছিলেন বীরভূম জেলার পর্যবেক্ষক। তৃণমূলে যোগদানের সময় সহ-সভাপতির সম্মানও দেওয়া হয়েছিল তাঁকে। অথচ বুধবার তৃণমূলের লোকসভার দলনেতা সুদীপ বন্দ্যোপাধ্যায় বলে বসেছেন, "উনি (রজতবাবু) যে তৃণমূল করতেন, আমি জানতাম না! এখন জানছি!"তার কিছু ক্ষণের মধ্যেই তৃণমূল ভবনে পার্থবাবুর ব্যাখ্যা, "রজত তৃণমূলের সদস্য নন। সহযোগী।"দলের একাংশের প্রশ্ন, সদস্য না-হলে রজতবাবু পর্যবেক্ষক হয়েছিলেন কী ভাবে?

    রজত-আসিফদের চিনতে না-পারলেও তৃণমূল কিন্তু সিবিআইয়ের 'রাজনৈতিক উদ্দেশ্য'চিনতে কোনও ভুল করছে না! তাই অভূতপূর্ব সিদ্ধান্ত আজ, বৃহস্পতিবার বেলা ১১টা থেকে সল্টলেকে সিবিআই দফতরের সামনে অনির্দিষ্ট কাল ধর্না-অবস্থানে বসবেন তৃণমূলের মহিলা কর্মীরা! মহিলা তৃণমূলের রাজ্য সভানেত্রী এবং রাজ্যের আইন প্রতিমন্ত্রী চন্দ্রিমা ভট্টাচার্যের বক্তব্য, "লাগাতার ধর্না চলবে, না রাতে বিরতি নেওয়া হবে, আমরা বিবেচনা করে দেখব।"চন্দ্রিমার ব্যাখ্যা, সিবিআই রাজনৈতিক উদ্দেশ্যে কাজ করছে এবং তদন্তের অভিমুখ ঘুরিয়ে দেওয়ার চেষ্টা হচ্ছে। সারদা-বিড়ম্বনা সামাল দিতে সিবিআইয়ের বিরুদ্ধে আন্দোলনকে চরম আকার দেওয়া হতে পারে বলে তৃণমূল সূত্রের খবর।

    চন্দ্রিমা ধর্নার কথা ঘোষণা করার কয়েক ঘণ্টা আগেই রাজ্যের আর এক মন্ত্রী তথা বর্ষীয়ান নেতা সুব্রত মুখোপাধ্যায় বলেছিলেন, "সিবিআই রাজনৈতিক দল হলে রাজনৈতিক প্রতিবাদ-আন্দোলন করতে পারতাম। কিন্তু এটা অসম লড়াই হচ্ছে! কারণ, সিবিআই একটা সরকারি সংস্থা।"তবে একই সঙ্গে সিবিআই-কে 'দানব'আখ্যা দিয়ে তিনি এ-ও বলেছিলেন, "প্রয়োজনে রাজনীতি দিয়েও মোকাবিলা করতে হবে!"

    বস্তুত প্রতি পদক্ষেপেই এখন তৃণমূল নেতৃত্বের বিভ্রান্তি প্রকট! সিবিআইয়ের 'রাজনৈতিক প্রতিহিংসা'এবং সংবাদমাধ্যমের 'অপপ্রচারে'র জবাব দিতে নতুন নতুন মুখকে সামনে ঠেলতে হচ্ছে তৃণমূলকে। এবং দলের অন্দরের খবর, সে কাজও সহজে  হচ্ছে না! যে তৃণমূলে ক্যামেরার সামনে ছবি তোলার জন্য বড়-মেজ-ছোট নেতাদের হুড়োহুড়ি পড়ে যায়, সেই দলেই এখন কেউ সংবাদমাধ্যমের মুখোমুখি হতে চাইছেন না! উপনির্বাচনে 'কঠিন লড়াই'য়ের দোহাই দিয়ে বেশির ভাগ নেতারা এখন চলে যাচ্ছেন বসিরহাট! পার্থবাবুই যেমন মঙ্গলবার চলে গিয়েছিলেন। আর সুব্রতবাবু অন্য কাজে 'ব্যস্ত'ছিলেন! দলনেত্রীর চাপে এ দিন আর সে সব সম্ভব হয়নি। দু'জনেই মুখোমুখি হয়েছিলেন সংবাদমাধ্যমের। পার্থবাবু আসিফ-মন্তব্য ছাড়া এমন কিছু বলেননি, যা আগে বলেননি। আর সুব্রতবাবু অভিযোগ করেছেন, "সরকারের স্থিতিশীলতা নষ্ট করার চেষ্টা হচ্ছে। যে ভাবে মুখ্যমন্ত্রীকে কালিমালিপ্ত করার চেষ্টা চলছে, তাকে তীব্র ধিক্কার জানাই। এটার নিন্দা করতেই এসেছি।"

    তৃণমূল নেতারা যত দায় এড়ানোর চেষ্টা করছেন, তত জালে জড়াচ্ছেন! বিরোধীরা তো বটেই, দলের বিক্ষুব্ধ নেতারাও অস্বস্তিকর প্রশ্ন তুলছেন! পার্থবাবুর মন্তব্যের প্রতিক্রিয়ায় আসিফ যেমন পাল্টা বলেছেন, "আমাকে দলে নিযুক্ত করেছিলেন মমতাদি, মুকুলদা। আমি জাতীয় রাজনীতিতে থাকতাম। পার্থদা আমার নেতা নন। সহকর্মী।"আবার সাসপেন্ডেড সাংসদ কুণাল লিখিত বিবৃতিতে আবেদন জানিয়েছেন, 'তৃণমূলের কর্মী-সমর্থকদের কাছে অনুরোধ, নিজেদের আড়াল করার স্বার্থে কিছু নেতা প্ররোচনা দিয়ে আপনাদের রাস্তায় নামতে বলছেন। আপনাদের ঢাল বানাচ্ছেন! এঁদের প্ররোচনায় পা দেবেন না'!

    বিরোধীরা স্বভাবতই এই অবস্থার সুযোগ নিতে তৎপর। তৃণমূল নেত্রীকে 'কুইন পিন'আখ্যা দিয়ে প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি অধীর চৌধুরী যেমন বলেছেন, "তৃণমূল দলে এখন ছুঁচোর কেত্তন চলছে! যে কোনও দিন ভেঙে পড়তে পারে!"সুদীপবাবুর উদ্দেশে তাঁর মন্তব্য, "ওঁর পক্ষে তাল রাখা মুশকিল! উনি এ দল-ও দল করেন তো! কখনও কংগ্রেস, কখনও তৃণমূলে থাকেন। তবে কুখ্যাত পুলিশ অফিসার রজত মজুমদারকে চেনেন না?"বিজেপি-র রাজ্য সভাপতি রাহুল সিংহ রাজ্যপালের সঙ্গে দেখা করার পরে দাবি করেছেন, মুখ্যমন্ত্রী অবিলম্বে শ্বেতপত্র প্রকাশ করে সারদার সঙ্গে তাঁর দলের সম্পর্ক স্পষ্ট করুন।

    আর স্মৃতিভ্রমের প্রসঙ্গ তুলে সিপিএম সাংসদ মহম্মদ সেলিমের খোঁচা, "উন্নয়নের জোয়ারে ভাসিয়ে দলে দলে লোকের হাতে তৃণমূলের ঝান্ডা ধরাচ্ছিলেন মুকুল রায়। আসিফ, রজতেরা সব তাঁর লোক! অন্যেরা হয়তো তাই চিনতে পারছেন না!"তিনি যোগ করেন, "মুকুল কার লোক, প্রশ্ন করলে কী হবে কে জানে!"

    কে কার লোক, সব গুলিয়ে যাচ্ছে! সব চরিত্রই যেন কাল্পনিক!


    "সাত দিন কেন, ৭০ দিন রাখুন, আমার মুখ দিয়ে কিছু বলাতে পারবেন না", আদালতে সিবিআইকে চ্যালেঞ্জ ছুঁড়ে বললেন রজত মজুমদার

    Last Updated: Thursday, September 11, 2014 - 18:15

    "সাত দিন কেন, ৭০ দিন রাখুন, আমার মুখ দিয়ে কিছু বলাতে পারবেন না", আদালতে সিবিআইকে চ্যালেঞ্জ ছুঁড়ে বললেন রজত মজুমদার

    ওয়েব ডেস্ক: আদালতে দাঁড়িয়ে সিবিআইকে চ্যালেঞ্জ জানালেন প্রাক্তন পুলিসকর্তা রজত মজুমদার। রজত মজুমদারকে আজ সাতদিন হেফাজতে নেওয়ার আর্জি জানায় সিবিআই। জবাবে নিজের সওয়াল নিজেই করেন প্রাক্তন পুলিসকর্তা। শুরুতেই তিনি সুদীপ্ত সেনকে বলেন, তুমি কুণালকে বলেছ আমার হাত দিয়ে মুকুল-মমতাকে টাকা পাঠাতে? চালাকির একটা সীমা থাকা উচিত।  

    তারপর সিবিআইয়ের উদ্দেশে রজত মজুমদার বলেন, "সাত দিন কেন, ৭০ দিন রাখুন। কিন্তু, আমার মুখ দিয়ে কিছুই বলাতে পারবেন না। আমার হাত দিয়ে মমতা-মুকুলকে টাকা পাঠানোর কথা প্রমাণ করতে পারবেন না। আমাকে পেটাতেও পারবেন না। সাত দিন পরে বললেন আমি মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে চিনি। বলবেন আমি মুকুল রায়কে চিনি। কিন্তু কিছুই প্রমাণ করতে পারবেন না। বলা হচ্ছে আমি ১০ কোটি টাকা নিতাম। আমি নিয়েছি ১ কোটি ৭৫ লক্ষ টাকা। বলা হচ্ছে সুদীপ্ত সেন টাকা দিত।"

    ভোটের আগে সেই টাকা আমি মমতা-মুকুলের কাছে পৌছে দিয়েছি। কিচ্ছু প্রমাণ করতে পারবেন না। আমাকে রাজনৈতিক কারণে ধরা হয়েছে। যাতে বড় লোকেদের ধরা যায়। বৃহত্তর ষড়যন্ত্রের কথা বলা হচ্ছে। আমি দেখব দশ দিনে কী বলাতে পারেন। ২০১২ সালে কাজ ছেড়েছি। ১৩ মাস কনসালট্যান্ট ছিলাম। আমাকে অ্যারেস্ট করতে হলে ফক্স অ্যান্ড মন্ডলসের লিগাল অ্যাডভাইসার দেবাঞ্জন মণ্ডলকেও অ্যারেস্ট করতে হবে।   

    সিবিআই অফিসের সামনে তৃণমূলের ধর্ণা, সুপ্রিম কোর্টে যাচ্ছে না কেন, প্রশ্ন আইনজীবীদের

    ওয়েব ডেস্ক,এবিপি আনন্দ

    Thursday, 11 September 2014 01:21 PM


    বিরোধী নেত্রী থাকাকালীন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় নানা ইস্যুতে সিবিআই তদন্তের দাবিতে সরব হতেন। আর মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় মুখ্যমন্ত্রী হওয়ার পর তাঁর দলেরই মহিলা সংগঠনকে সিবিআই তদন্তের বিরোধিতায় পথে নামতে হল! যা দেখে বিরোধীরা কটাক্ষ করে বলছে, একেই বলে এক ব্যক্তির দুই চেহেরা। সল্টলেকে সিবিআইয়ের অফিস যেখানে সেই সিজিও কমপ্লেক্সের সামনে বৃহস্পতিবার বিক্ষোভ দেখায় মহিলা তৃণমূল কংগ্রেস। নেতৃত্বে খোদ রাজ্যের আইনমন্ত্রী চন্দ্রিমা ভট্টাচার্য। দলের শীর্ষ নেতৃত্বের সুরে তাঁর গলাতেও সিবিইয়ের বিরুদ্ধে সেই রাজনৈতিক চক্রান্তের তত্ত্ব।

    সিজিও কমপ্লেক্সের বাইরে এ দিনের বিক্ষোভ দেখান বিধাননগর পুরসভার চেয়ারপার্সন কৃষ্ণা চক্রবর্তীও। সেই কৃষ্ণা চক্রবর্তী, যাঁর স্বামী তথা তৃণমূল নেতা সমীর চক্রবর্তীকে ২৪ ঘণ্টা আগেই জেরা করেছে সিবিআই। আর এই প্রেক্ষিতেই তৃণমূলের মহিলা সংগঠনের সিবিআই বিরোধী আন্দোলনকে কটাক্ষ করছে বিরোধীরা।

    কংগ্রেস নেত্রী শিখা মিত্র বলেছেন, আমি জানি ওরা কত নিচে নামতে পারে।

    সিপিএম নেতা শ্যামল চক্রবর্তী বলেছেন,ধর্ষণের শিকারদের সময় দেখা যায় না, এখন আন্দোলন করছে তৃণমূলের মহিলা সংগঠন।

    রাজনৈতিক পর্যবেক্ষকদের একাংশের মত, সারদা তদন্তে সিবিআই যতই জাল গোটাচ্ছে, ততই বিড়ম্বনা বাড়ছে তৃণমূলের। খোদ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের দিকে আঙুল তুলেছেন কুণাল ঘোষ। বিরোধীরাও মুখ্যমন্ত্রীর পদত্যাগের দাবিতে সরব। এদিকে শনিবারই রাজ্যর ২টি কেন্দ্রে বিধানসভা উপনির্বাচন। তার আগে সারদা অস্বস্তি কাটাতেই কি শেষমেশ চাপে পড়েই পথে নামতে বাধ্য হল তৃণমূল?

    সারদার লক্ষ লক্ষ আমানতকারীর টাকা যে প্রভাবশালীদের পকেটে গিয়েছে, তাঁদের বাঁচাতেই তৃণমূল মরিয়া হয়ে সিবিআইয়ের বিরুদ্ধে আন্দোলনে নেমেছে বলে দাবি বিরোধীদের। এই প্রেক্ষাপটেই আইনজীবী মহলের একাংশও তৃণমূলের সিবিআই-বিরোধী আন্দোলনের যৌক্তিকতা নিয়ে প্রশ্ন তুলছে। তারা বলছে, সুপ্রিম কোর্ট দেশের সর্বোচ্চ আইনি প্রতিষ্ঠান। সেই সর্বোচ্চ আদালতই সারদাকাণ্ডের সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দিয়েছে। কিন্তু, তৃণমূল দাবি করছে, সিবিআই রাজনৈতিক উদ্দেশ্যপ্রণোদিত হয়ে তদন্ত করছে। আর তাই যদি হয়, তাহলে সুপ্রিম কোর্টে কেন আর্জি জানাচ্ছে না তৃণমূল? আইনজীবীদের একাংশের বক্তব্য, যদি তৃণমূলের সত্যিই মনে হয় সিবিআই রাজনৈতিক উদ্দেশ্যপ্রণোদিত হয়ে তদন্ত করছে, তাহলে তৃণমূল এর বিরুদ্ধে সুপ্রিম কোর্টে আর্জি জানিয়ে আবেদন করতেই পারে, সর্বোচ্চ আদালতের নজরদারিতে সারদাকাণ্ডের তদন্ত হোক। যেমনটা কয়লা কেলেঙ্কারির ক্ষেত্রে হয়েছে। কিন্তু, তা না করে সিবিআই-এর বিরুদ্ধে আন্দোলনে নেমেছে তৃণমূল। আর তাৎপর্যপূর্ণ বিষয় হল, এই আন্দোলনের নেতৃত্ব দিচ্ছেন চন্দ্রিমা ভট্টাচার্য। যিনি নিজে পেশায় একজন আইনজীবী এবং আইনমন্ত্রীও। কিন্তু, খোদ আইনমন্ত্রীই কেন আইনি পথে না হেঁটে আন্দোলনের পথ নিলেন তা নিয়ে প্রশ্ন রাজনৈতিক মহলের একাংশেও। বিরোধীদের দাবি, তৃণমূল যেভাবে সিবিআই তদন্তের পথে বাধা তৈরির চেষ্টা করছে, তা কার্যত সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশ অমান্য করার সামিল। আদালত গেলে মিথ্যার মুখোশ খুলে যাবে, তাই তৃণমূল সে পথে না হেঁটে রাজনৈতিক আন্দোলন করে সারদাকাণ্ডের অস্বস্তি আড়াল করার চেষ্টা করছে বলেও দাবি বিরোধীদের।


    আজকালের প্রতিবেদন: সারদা-কাণ্ড নিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জির বিবৃতি দাবি করল বি জে পি৷‌ একই সঙ্গে সারদা-কাণ্ড নিয়ে রাজ্য সরকারের কাছে শ্বেতপত্র প্রকাশের দাবি জানাল তারা৷‌ বুধবার বি জে পি রাজ্য সভাপতি রাহুল সিন‍্হা সাংবাদিকদের মুখোমুখি হন৷‌ তাঁর দাবি, রাজ্যের মানুষ মুখ্যমন্ত্রীর বিবৃতি শুনতে চাইছেন৷‌ তাপস পাল-কাণ্ড নিয়ে হাইকোর্টের মম্তব্যকে শাসক দলের কাছে বড় ধাক্কা বলে বর্ণনা করেন তিনি৷‌ অবিলম্বে বিতর্কিত তৃণমূল সাংসদ তাপস পালকে গ্রেপ্তারের দাবি করেছেন তিনি৷‌ তাঁর মতে, সারদা-কাণ্ডের পর এটি গোদের ওপর বিষফোড়া৷‌ এদিন বি জে পি রাজ্য দপ্তরে সাংবাদিক বৈঠকে তিনি বলেন, সারদা-দুর্নীতিতে তৃণমূলের অনেকের নাম জড়িয়ে যাচ্ছে৷‌ মুখ্যমন্ত্রী নীরবতা পালন করছেন কেন? তাঁর উচিত শ্বেতপত্র প্রকাশ করা৷‌ আমরা এখনও পর্যম্ত কোনও কোনও মন্ত্রীর বিবৃতি পেয়েছি৷‌ এত বড় ঘটনায় তৃণমূলের অনেকের নামে অভিযোগ উঠছে৷‌ মুখ্যমন্ত্রী চুপ করে বসে আছেন৷‌ মুখ্যমন্ত্রীর উচিত বিবৃতি দেওয়া৷‌ সারদায় তৃণমূলের মুখ পুড়েছে৷‌ এই সরকার প্রকাশ্যে মিথ্যাচার করতে পারে, মানুষ ঠকাতে পারে৷‌ তৃণমূলের সাসপেন্ড হওয়া সাংসদ কুণাল ঘোষ তৃণমূলের মহাসচিব পার্থ চ্যাটার্জিকে একটি চিঠি দিয়েছেন বলে খবর৷‌ কুণালবাবু চিঠিতে দাবি করেছেন, সারদা নিয়ে দলে তদম্ত কমিশন গঠন করা হোক৷‌ এ নিয়ে রাহুলবাবুর প্রতিক্রিয়া, দলের সর্বোচ্চ নেতা-নেত্রীরা জড়িয়ে৷‌ কোনও কাজ হবে বলে মনে করি না৷‌ তাপস-কাণ্ডে কলকাতা হাইকোর্টের মম্তব্য, শাসক দলের সাংসদ বলেই কি ছাড় পাচ্ছেন তিনি? এই ঘটনাকে গোদের ওপর বিষফোড়া বলে রাহুলবাবুর সংযোজন, রাজ্যের সংস্কৃতি বদলে গেছে৷‌ তৃণমূল নেতারা তাপস পালের ভাষাতেই কথা বলছেন৷‌ পুলিসের উচিত তাপস পালকে গ্রেপ্তার করা৷‌ তিনি আইন ভেঙেছেন৷‌ এদিন কংগ্রেসের মালা ব্যানার্জি যোগ দেন বি জে পি-তে৷‌


    রাজ্যপালের কাছে বি জে পি


    দুই বিধানসভা কেন্দ্রের উপনির্বাচন অবাধ, শাম্তিপূর্ণ করার দাবিতে রাজ্যপাল কেশরীনাথ ত্রিপাঠীর দ্বারস্হ হল বি জে পি৷‌ বুধবার বি জে পি-র এক প্রতিনিধি দল রাজভবনে রাজ্যপালের সঙ্গে দেখা করে৷‌ রাজ্যপালের কাছে স্মারকলিপি জমা দেয়৷‌ রাহুলবাবুর অভিযোগ, দুই কেন্দ্রে বহিরাগত, দুষ্কৃতী জড়ো করেছে তৃণমূল৷‌ অবাধ ভোট যাতে না হয় সেজন্য সব ধরনের চেষ্টা করছে তৃণমূল৷‌ নির্বাচন কমিশনে অবাধ ভোটের দাবি জানিয়েছি৷‌ রাজ্যপাল আমাদের সব দাবি খতিয়ে দেখার আশ্বাস দিয়েছেন৷‌

    সুব্রত, পার্থ বললেন, বি জে পি-সি বি আই অশুভ চক্র



    দীপঙ্কর নন্দী

    সি বি আইয়ের বিরুদ্ধে আক্রমণের সুর চড়িয়ে দিল তৃণমূল৷‌ বুধবার তৃণমূল ভবনে সাংবাদিক বৈঠক করেন দুই মন্ত্রী পার্থ চ্যাটার্জি ও সুব্রত মুখার্জি৷‌ পার্থ এদিন সাংবাদিকদের বলেন, বি জে পি-সি বি আই এক অশুভ চক্র৷‌ সুব্রত বলেন, সি বি আই-কে রাজনৈতিকভাবে ব্যবহার করা হচ্ছে৷‌ ভিড়ে ঠাসা সাংবাদিক বৈঠকে দুই মন্ত্রী অভিযোগ করেন, মমতার ভাবমূর্তিকে কালিমালিপ্ত করার চেষ্টা করা হচ্ছে৷‌ পার্থ বলেন, সততার প্রতীক মমতা৷‌ তাঁকে হেয় করার জন্য সি পি এম, কংগ্রেস, বি জে পি– এক সঙ্গে নেমে পড়েছে৷‌ সুব্রত বলেন, মমতার মতো সৎ মহিলাকে সরাসরি আক্রমণ করছে বিরোধী দলগুলি৷‌ আমরা এর তীব্র প্রতিবাদ জানাই৷‌ সুব্রত এ-ও বলেন, তৃণমূলের বিরুদ্ধে এখন আর কোনও বিরোধী দল লড়াইয়ের ময়দানে নেই৷‌ লড়াইয়ের ময়দানে রয়েছে কিছু প্রতিষ্ঠান ও কয়েকটি সংবাদমাধ্যম৷‌ এরাই এখন তৃণমূলের বিরুদ্ধে লড়াইয়ে নেমেছে৷‌ পার্থ এদিন বলেন, বি জে পি এবং সি বি আই চক্রাম্ত করছে৷‌ দুই মন্ত্রী এদিন জোরের সঙ্গে বলেন, চৌরঙ্গি ও বসিরহাট উপনির্বাচনে তৃণমূল জিতবে৷‌ কুণাল ঘোষ তদম্ত কমিশন চেয়ে যে চিঠি পার্থবাবুকে দিয়েছেন, সে সম্পর্কে সুব্রত বলেন, কমিশন দক্ষিণপম্হী দলে হয় না৷‌ বামদলগুলি কমিশন বসায়৷‌ আমরা তো আর কাউকে শাস্তি দিতে পারব না! তাই আমাদের এ ধরনের চিঠি দিয়ে কী লাভ! পার্থ বলেন, জেল-কয়েদি কুণাল সম্পর্কে কোনও মম্তব্য করব না৷‌ জেল হওয়ার সাড়ে ১০ মাস আগে তিনি এই ধরনের দাবি করেননি কেন? এখন তাঁর কথার কোনও উত্তর দিতে আমরা রাজি নই৷‌ বি জে পি-র সর্বভারতীয় নেতা সিদ্ধার্থনাথ সিং মঙ্গলবার অভিষেক ব্যানার্জি সম্পর্কে যে মম্তব্য করেছেন, তাকে অশালীন বলে উল্লেখ করেন পার্থ৷‌ তিনি বলেন, একজন সাংসদ সম্পর্কে এই ভাষায় কথা বলা যায় না৷‌ আসলে বি জে পি নেতারা বাংলার সংস্কৃতি জানেন না৷‌ শিশুদের নিয়ে লেখা সুকাম্ত ভট্টাচার্যের কবিতা ওঁরা পড়ে নিলেই পারেন৷‌ সুব্রত বলেন, প্রতি নির্বাচন এলেই নানা রকমের গোলমাল শুরু হয়ে যায়৷‌ এখন বি জে পি, সি পি এম এবং কংগ্রেস একসঙ্গে বাংলায় অশাম্তি বাধাতে চাইছে৷‌ পার্থ বলেন, রাজ্যে বি জে পি-র কোনও অস্তিত্ব নেই৷‌ চিত্রনাট্য তৈরি করছে সি বি আই৷‌ সুব্রত বলেন, সি বি আইয়ের নিরপেক্ষতা নিয়ে প্রশ্ন উঠে গেছে৷‌ নতুন করে রাজনৈতিক খেলা সি বি আই শুরু করেছে বলে অভিযোগ করেন পার্থ৷‌ এদিকে, আজ সল্টলেকের সি বি আই দপ্তরের সামনে সকাল ১১টা থেকে তৃণমূল মহিলা কংগ্রেস বিক্ষোভ-অবস্হানের কর্মসূচি নিয়েছে৷‌ এদিন প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি অধীর চৌধুরি বলেন, শাক দিয়ে আর মাছ ঢাকতে পারবেন না মুখ্যমন্ত্রী৷‌ সারদা নিয়ে সব কেলেঙ্কারি ফাঁস হয়ে যাচ্ছে৷‌ চোরের মায়ের বড় গলা! সুদীপ্ত সেন মমতার আঁকা ছবি কিনেছেন কি না তা সবই প্রকাশ পেয়ে যাচ্ছে৷‌ অধীরের অভিযোগ, তৃণমূলের সমস্ত নেতা ও নেত্রী সারদা-কাণ্ডের সঙ্গে যুক্ত৷‌ সারদার ছায়া পড়েছে তৃণমূলের ওপর৷‌ এভাবেই তিলে তিলে ধ্বংস হয়ে যাবে তৃণমূল৷‌ অধীর এদিন বলেন, বাংলায় আইনশৃঙ্খলা বলে কিছু নেই৷‌ খুন, তোলাবাজি ছাড়া আর কিছু হচ্ছে না৷‌ তাপস পালের মতো নেতাকে কীভাবে দল ছেড়ে দেয়, তা সত্যিই অবাক করার মতোই৷‌ হাইকোর্ট আজ তাপস পাল সম্পর্কে ২০০ শতাংশ ঠিক বলেছে৷‌ আমরা তো মনে করি, ওঁকে গ্রেপ্তার করা উচিত৷‌




    আমরণ অনশনের হুঁশিয়ারি বাঁকুড়া ডিভিসি শ্রমিকদেরআমরণ অনশনের হুঁশিয়ারি বাঁকুড়া ডিভিসি শ্রমিকদের

    প্রশাসনের ডাকা ত্রিপাক্ষিক বৈঠকেও মিলল না সমাধানসূত্র। ফলে বাঁকুড়ার বড়জোড়ায় ডিভিসির এমটা কয়লাখনি নিয়ে জটিলতা অব্যাহত। গত অগাস্ট মাস থেকে খনি সংলগ্ন বাগুলিয়া গ্রামের বাসিন্দারা নানা দাবিতে আন্দোলন চালিয়ে যাচ্ছেন।

    আজাদকে চিনতেন অনুব্রত, এমনই অভিযোগ করলেন ভাই অঞ্জন মুন্সিআজাদকে চিনতেন অনুব্রত, এমনই অভিযোগ করলেন ভাই অঞ্জন মুন্সি

    মঙ্গলকোটে খুন হওয়া তৃণমূল কর্মী আজাদ মুন্সিকে চিনতেন অনুব্রত মণ্ডল। এমনটাই দাবি তাঁর ভাই অঞ্জন মুন্সির। যদিও নিহত তৃণমূল কর্মীর সঙ্গে তাঁর কোনও পরিচয় নেই বলে দাবি করেছেন বীরভূমের তৃণমূলের জেলা সভাপতি অনুব্রত মণ্ডল। কিন্তু অঞ্জন মুন্সির বক্তব্য, খুন হওয়ার আগে চব্বিশ দিন ধরে বোলপুরে তৃণমূলের অফিসেই ছিলেন আজাদ। CCTV ফুটেজেও তার প্রমাণ পাওয়া যাবে বলে দাবি করেছেন তিনি।

    নবান্নেই ধরনায় বসলেন বাম প্রতিনিধিরানবান্নেই ধরনায় বসলেন বাম প্রতিনিধিরা

    কৃষিমন্ত্রীকে ডেপুটেশন দেওয়ার পর প্রেস কর্নারে সাংবাদিকদের মুখোমুখি হতে না দেওয়ায় নবান্নেই ধরনায় বসলেন বাম প্রতিনিধিরা। আজ আনিসুর রহমানের নেতৃত্বে সাতজনের বাম প্রতিনিধি দল নবান্নে দেখা করেন কৃষিমন্ত্রীর সঙ্গে। চাষিরা পাটের সহাযক মূল্য পাচ্ছেন না বলে কৃষিমন্ত্রীর কাছে অভিযোগ জানান তাঁরা। এরপরে বেরিয়ে এসে প্রেস কর্নারে সাংবাদিকদের মুখোমুখি হতে যান প্রতিনিধিদলের সদস্যরা। কিন্তু পুলিস তাঁদের সাংবাদিকদের মুখোমুখি হওয়ার অনুমতি দেয়নি।

    ছাত্রীর অস্বাভাবিক মৃত্যুতে চাঞ্চল্য

    ছাত্রীর অস্বাভাবিক মৃত্যুর ঘটনায় চাঞ্চল্য ছড়াল শাসন থানা এলাকার ভাতুড়িয়ায়। মৃতার নাম অদিতি সিন্হা। শাসন থানার রাজারহাট শিক্ষা নিকেতন স্কুলের একাদশ শ্রেণির বাণিজ্য বিভাগের ছাত্রী ছিলেন অদিতি। গতকাল দুপুরে স্কুল থেকে আটজন ছাত্র এবং চার ছাত্রী গলসিয়ার শান্তি ইট ভাটার পিছনের ঝিলে বেড়াতে যায়।

    ৩৪ নম্বর জাতীয় সড়কের বেহাল দশা, মা কী ভাবে শহরে পৌঁছবেন? ৩৪ নম্বর জাতীয় সড়কের বেহাল দশা, মা কী ভাবে শহরে পৌঁছবেন?

    পুজোর বাকি আর মাত্র কটা দিন। তারমধ্যে শেষ করতে হবে প্রতিমা কিন্তু, তার থেকেও বড় সমস্যা কীভাবে কলকাতা আর হাওড়ার মণ্ডপে পৌছে দেওয়া যাবে প্রতিমা? কারণ বেহাল দশা চৌত্রিশ নম্ব জাতীয় সড়কের। আর তাই চিন্তায় কৃষ্ণনগরের শিল্পীরা।

    একসময়ের মাওবাদী এখন জীবনের মূল স্রোতে একসময়ের মাওবাদী এখন জীবনের মূল স্রোতে

    বাঁকুড়ায় হাতির তাণ্ডব ঠেকাতে গিয়ে আহত ৪বাঁকুড়ায় হাতির তাণ্ডব ঠেকাতে গিয়ে আহত ৪

    ফসল নষ্ট হওয়ার আশঙ্কায় শতাধিক হাতির একটি দলকে তাড়াতে উদ্যোগী হয়েছিলেন বাঁকুড়ার পুরুষোত্তমপুরের বাসিন্দারা। কিন্তু তাড়া খেয়ে একটি হাতি পাল্টা ধেয়ে আসে গ্রামবাসীদের দিকেই। চার যুবককে পিষে ফেলতে চেষ্টা করে  হাতিটি। শেষ পর্যন্ত হাতিটিকে তাড়াতে সক্ষম হন গ্রামবাসীরা। ওই চার যুবক আশঙ্কাজনক অবস্থায় হাসপাতালে ভর্তি।

    অন্ধ ঘোড়া নিয়ে বিপাকে নওদা গ্রামঅন্ধ ঘোড়া নিয়ে বিপাকে নওদা গ্রাম

    চোখে দেখে না। তাই তার কোনও কদর নেই। খোলা আকাশের নিচে আপন মনে সে ঘুরে বেড়ায়। বৃষ্টি এলে চুপ করে দাঁড়িয়ে সে ভেজে। কারণ সে একেবারে একা। আর এই দৃষ্টিহীন ঘোড়াকে নিয়ে চরম বিপাকে পড়েছেন বর্ধমানের নওদা

    এইডস আক্রান্ত দম্পতিকে মারধর, অভিযুক্তের শাস্তির দাবি অন্য আক্রান্তদের এইডস আক্রান্ত দম্পতিকে মারধর, অভিযুক্তের শাস্তির দাবি অন্য আক্রান্তদের

    এইডস আক্রান্ত দম্পতিকে মারধরে অভিযুক্তের শাস্তির দাবি তুলল এইডস আক্রান্তরাই। ঘোলার আক্রান্ত ওই দুই দম্পতিকে নিয়ে সোমবার জেলাশাসক ও পুলিস কমিশনারের সঙ্গে দেখা করে এইডস রোগীদের একটি সংগঠন।

    ছাতনায় মরণোত্তর চক্ষুদানে অঙ্গীকারবদ্ধ হলেন সব পুলিসকর্মী

    বাঁকুড়া: এক সঙ্গে মরণোত্তর চক্ষুদানে অঙ্গীকারবদ্ধ হলেন বাঁকুড়ার ছাতনার সব পুলিসকর্মী। বাদ গেলেন না জেলার পুলিস সুপার, অতিরিক্ত পুলিস সুপারও। এমন নজিরবিহীন ঘটনায় উচ্ছ্বসিত গোটা ছাতনা।  

    বিশ্বভারতীর উপাচার্যের বিরুদ্ধে জেলা পুলিস সুপারের কাছে অভিযোগ দায়ের নিগৃহীতা ছাত্রীর বাবাবিশ্বভারতীর উপাচার্যের বিরুদ্ধে জেলা পুলিস সুপারের কাছে অভিযোগ দায়ের নিগৃহীতা ছাত্রীর বাবা

    বিশ্বভারতীর উপাচার্যের বিরুদ্ধে জেলা পুলিস সুপারের কাছে অভিযোগ দায়ের করলেন সিকিমের নিগৃহীতা ছাত্রীর বাবা। আজ জেলা পুলিস সুপারের দফতরে গিয়ে অভিযোগ দায়ের করেন তিনি। অভিযোগ দায়ের করেন কলাভবনের অধ্যক্ষের বিরুদ্ধেও। তাঁর অভিযোগ, তাঁর মেয়ে যেভাবে নির্যাতন ও হেনস্থার শিকার হয়েছে, তার ন্যায়বিচার পাচ্ছেন না তিনি। মেয়েকে আর বিশ্বভারতীতে রাখতে চান না বলেও জানিয়েছেন তিনি।

    নারী ও শিশুসুরক্ষা জোরদার করতে রাজ্যের নয়া গাইডলাইননারী ও শিশুসুরক্ষা জোরদার করতে রাজ্যের নয়া গাইডলাইন

    নারী ও শিশুদের ওপর অত্যাচার নিয়ে উদ্বিগ্ন সরকার। ধর্ষণ, শ্লীলতাহানি ও মানব পাচার পাচার রুখতে এবার তাই নারী ও শিশুসুরক্ষা গাইডলাইন তৈরি করল রাজ্য। নারী ও শিশুকল্যাণ মন্ত্রী শশী পাঁজা জানিয়েছেন, এলাকায় এলাকায় নজরদারি বাড়াতে ব্লকস্তরে কমিটি গঠন করা হবে।   

    বাপের বাড়িতে ডেকে নিয়ে গিয়ে স্বামীকে গুলি করে খুন করল স্ত্রীবাপের বাড়িতে ডেকে নিয়ে গিয়ে স্বামীকে গুলি করে খুন করল স্ত্রী

    বাপের বাড়িতে ডেকে নিয়ে গিয়ে স্বামীকে গুলি করে খুন করার অভিযোগ উঠল স্ত্রীর বিরুদ্ধে। গতকাল রাতে বালুরঘাট থানার খড়াইল গ্রামে খুন করা হয় বিষ্ণু মার্ডিকে। দুবছর আগে বিষ্ণু মার্ডির সঙ্গে বিয়ে হয় প্রিয়াঙ্কা টুডুর। বনিবনা না হওয়ায় বিয়ের পর থেকেই আলাদা থাকতেন দুজনে। অভিযোগ, গতকাল নিজের বাড়িতে স্বামীকে আসতে বলেন স্ত্রী।

    কুমারগঞ্জে পঞ্চম শ্রেণীর ছাত্রীকে ধর্ষণের অভিযোগ কুমারগঞ্জে পঞ্চম শ্রেণীর ছাত্রীকে ধর্ষণের অভিযোগ

    দক্ষিণ দিনাজপুরের কুমারগঞ্জে ১১ বছরের কিশোরীকে ধর্ষণের অভিযোগ উঠল। পঞ্চম শ্রেণির ছাত্রী ওই কিশোরীর মা কর্মসূত্রে বাইরে থাকেন। গতকাল সন্ধ্যায় প্রতিবেশী আজিজুর রহমানের বাড়িতে গিয়েছিল কিশোরী। তখই তাকে ধর্ষণ করা হয় বলে অভিযোগ। প্রথমে বলাহার প্রাথমিক স্বাস্থ্য কেন্দ্রে চিকিত্সা হয় ওই কিশোরীর।


    Most of the people in Delhi does not understand the real situation in the North and East of Sri Lanka! Palash Biswas

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    Most of the people in Delhi does not understand the real situation in the North and East of Sri Lanka!

    Palash Biswas

    Thanks the nature as the natural calamity in Kashmir connected us,the citizens of rest of India have been connected to Kashmir,the people of Kashmir and isolated the political class which brings forth the problem epicentre Kashmir.


    Unfortunately,the humanitarian cause is a phenomenon which never goes beyond the calamity and I am afraid,as soon as the calamity is over,we have to witness the plight of suffering bleeding masses, victims of suicidal politics.


    It is not very old story as we have seen this to happen with Tamilnadu which was connected to rest of India just because of Tsunami.It happened once again with the Himalayas which ecently exploded with the Kedar tsunami.


    Nature unites us but we divide ourselves unnaturally.Deviation from nature is all about the politics.


    The history of Tamil empire beyond this geopolitics,right into the heart of southeast Asia all over is something which should be treated as the ultimate pan Indian geography as well as the history.


    Blind nationalism has taken over the helms of governance in the open market economic hegemony,but the nationalism is delinked from Kashmir,the Himalayas,the north East,ironically.The latest brands of rulers identify themselves with desi and multi national corporates as the Hindutva nation Gujarat expert ruling party president boasts that good days landed from the eden as the corporates are happy.


    It is very relevant to understand the tragedy of the suspended, excluded demography of the untouchable India including Tamilnadu and Kashmir,entire northeast,the Himalayan range and central India subjected to racial apartheid, constant repression,non stopped war and civil war,human and civic rights voilation and finally ethnic cleansing.

    I had not to write this at this juncture.But I am writing this in response to my fresh linkedin connection, Mr Kumarathasan Rasingam who complains that  Most of the people in Delhi does not understand the real situation in the North and East of Sri Lanka.

    Dear Rasingam,I may hear the echoes of you voice in every corner of northeast,Himalayas and Central India where from New Delhi is nothing less the Pentagon in Washington,which is the residence of the rulers without any heart and mind.


    I visited Tamilnadu from Chennai to Rameshwaram, Kanyakumari, Tiruchi, Madurai and Coimbtore,but miserably failed to connect the Tamil masses as my limited knowledge does not consist Tamil,the language which has the continuous History of the this geopolitical unit for seven thousand years skipping all the sets of dark ages so called.


    My great teachers taught me the essential lesson so that I may track my roots in Tamilnadu as a descendent of Harappa and Mohan jo doro.


    I tried to visit Tanjavur,the ancienT Tamil library,I could not.

    I also visited Tiruneveli,I could not connect anyone because of linguistic distance.


    i wanted to visit Tamil refugee camps as I belong to the refugee community myself,but I could not locate any.


    The ruling hegemony has not to care as it is all about corporate interest.The Hindu nation does overlook Tamil and even the ancient Tamil empire which touched last limits of Asia  and which could be the ultimate pan Indian geography and history.


    The initiative should be a start up on your side,on the people`s side any where in India or beyond to connect the rest of the geopolitics or the nation.


    I would be happy to update myself with live streams from every part of this geopolitics including kashmir,northeast, the Himalayas and essentilly Tamilnadu.

    via Kumarathasan Rasingam

    Annual event to commemorate Tamil civilian deaths during the war has...

    Annual event to commemorate Tamil civilian deaths during the war...

    tbcuk.net

    Sencholai-MassacreThe police stopped an annual event in Batticaloa which was organised by the local Tamil community to commemorate the relatives who were civilians killed in May 2009 by the Sri Lankan Army. The commemoration was...

    15h ago

    • Kumarathasan Rasingam

    • Kumarathasan Rasingam

    • Kumarathasan Rasingam thank you very much Sir, It is very unfortunate most of the people in Delhi does not understand the real situation in the North and East of Sri Lanka. The Hindu Tamils are treated as Slaves to the military. The military in the North and East [The traditional and Historical homeland of the HINDU TAMILS] is at the ratio of for every seven civilians there is one soldier [07 : 01] the ratio of civilian to soldier.The DRACONIAN PTA laws gives wide powers to the military and they escape from the crimes because of the provision provided for immunity for soldiers serving the North and East. So, it is a very dangerous situation for women, girls and even children living in the North and East. less14h ago

    Just see the nature of media updates:

    1. Abhishek Bachchan expresses eagerness to work in a Tamil film

    2. IBNLive-4 hours ago

    3. Chennai: Bollywood actor Abhishek Bachchan today expressed his eagerness to work in a Tamil film as he recalled his 'old bond' with this city.

    4. 'TN is ready and hungry for ISL'

    5. The Hindu-14 hours ago

    6. Explore in depth (16 more articles)

    7. Bollywood kept me away from Tamil industry: Prabhudheva

    8. Indian Express-1 hour ago

    9. Actor-filmmaker Prabhudheva says his busy career in Bollywood has kept him away from Tamil filmdom. But he says he plans to direct aTamil ...

    10. Tamil actresses involved in prostitution rackets!

    11. Times of India-21 hours ago

    12. After Shwetha Basu Prasad's prostitution case came on the radar, here is looking at instances where actresses from the Tamil film industry have hit the headlines ...

    13. With Amit Shah's help, BJP hopes to do a UP in Tamil Nadu

    14. Economic Times-2 hours ago

    15. CHENNAI: Call it the Amit Shah effect if you may, Tamilisai Soundararajan, the BJP state president in Tamil Nadu, has begun talking strategies ...

    16. Spying cuffs on Lankan Tamil

    17. Calcutta Telegraph-10 hours ago

    18. Chennai, Sept. 11: A Sri Lankan Tamil allegedly working at the behest of a Pakistani handler in Colombo to plot terror attacks in the state was ...

    19. Economic Times

    20. Titan commissions new plant in Tamil Nadu for its watch division

    21. Times of India-11 hours ago

    22. NEW DELHI: Tata group firm Titan Company said it has commissioned a new manufacturing plant in Tamil Nadu for its watch division with an ...

    23. Jayalalithaa urges Modi to secure release of 78 Tamil Nadu ...

    24. Times of India-22 hours ago

    25. CHENNAI: The Tamil Nadu government on Thursday urged the Centre to take immediate steps to release 78 fishermen and 72 boats currently ...

    26. Tamil party threatens agitation

    27. The Hindu-10-Sep-2014

    28. Explore in depth (79 more articles)

    29. Tamil Nadu likely to get two offshore windfarms soon

    30. Times of India-11 hours ago

    31. CHENNAI: In an attempt to harness more wind energy and bail out power-starved states, the ministry of new and renewable energy is gearing ...

    32. Ramesh Aravind keen to direct more Tamil films

    33. The Hindu-07-Sep-2014

    34. Actor-filmmaker Ramesh Aravind, who is awaiting the release of hisTamil directorial debut 'Uttama Villain', says he would like to make more ...

    35. Tamil Nadu to learn Haryana's skilling model

    36. Times of India-15 hours ago

    37. CHANDIGARH: A team of UNICEF and Tamil Nadu School Education Department on Thursday made a visit to Haryana Education Department ...


    निराधार जनता और पवनपुत्र को आधार,युवाजनों को बाक्स के अंधेरे में विकास सूत्र भोग रोजगार আড়াইশো টাকায় ‘কমপ্লিট প্রাইভেসি’। বক্সে ঢুকছেন কলেজের যুবক-যুবতী पलाश विश्वास

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    निराधार जनता और पवनपुत्र को आधार,युवाजनों को बाक्स के अंधेरे में विकास सूत्र भोग रोजगार

    আড়াইশো টাকায় 'কমপ্লিট প্রাইভেসি'। বক্সে ঢুকছেন কলেজের যুবক-যুবতী


    पलाश विश्वास


    आज सुबह के आनंदबाजार पत्रिका को पढ़ने पर मेरे ज्ञानचक्षु खुल गये कि हमारी पीढ़ी तो अब भी नाबालिग है लेकिन अब शिशुओं का बालिग बनाने के अंधेरे बाक्स का विकाससूत्र इंतजाम कितना चाकचौबंद है।


    यह अंधेरा जितना घना होगा,सामने जितनी तेज चकाचौंध होगी और चितनी उन्नत होगी तकनीकी क्रांति कारपोरेटसमय का हुंदुत्व पद्म प्रलय उतना ही तेज होगा।


    अच्छे दिनों का मतलब कारपोरेट की खुशी है तो उल्लास बहुआयामी युवाजनों के लिए है।


    ब्लू फिलमों पर रोक लगा नहीं सकती सरकार,लेकिन सिनेमाघरों से लेकर दफ्तरों को चकलाघर बनाकर रोजगार सृजन का अंधकार चमत्कार है।


    खबर यह कि साठ रुपये की बलकनी टिकट के बदले सिनेमा के एक शो में तीन दफा की शिफ्ट पर प्लाईवूड के कापल बाक्स में ढाई सौ रुपये के टिकट पर एक घंटे से लेकर तीन घंटे तक के फ्री सेक्स का इंतजाम है और टिकट के साथ धारीदार सुगंधित विकाससूत्र भी फ्री है।


    हाल में बंगाल के अति संवेदन शील राजनीतिक युद्धक्षेत्र आरामबाग में बंद कलासरूम में नौवीं और दसवीं के छात्र छात्राओं के ग्रुप सेक्स का मामला आया था।


    अभिनेत्रियों के देहव्यापार की कथाएं भी अनंत है।


    रैव पार्टी फैशन है।


    दफ्तरों में लगातार दो ती दिनरात की ड्यूटी में फ्रीसेक्स के इंतजाम की कहानी भी पुरानी हो गयी है।


    अब प्रगतिशील ज्योतिष तंत्र मंत्र आच्छादित केसरिया हो रहे बंगाल में जापानी तेल, सौंदर्यकारोबार,वियाग्रा ,प्लेब्वाय,वेब पत्रकारिता के पिनअप समय और साढ़ संस्कृति के पद्मप्रलय का चरमोत्कर्ष लेकिन कालेजों और विद्यालयों से सीधे स्कूल यूनिफार्म में सिनेमाहाल के अंधेरे में दाखिल होकर नाबालिगों के बालिग बनने का यह कारोबार शारदा फर्जीवाड़ा से कम पोंजी नहीं है।


    जो वायरल फीवर की तरह बढ़ रहा है।कोचिंग केंद्रों में जो होता है,वह भी छुपा नहीं है।स्त्री को गुलाम बनाये रखकर उसको देहमुक्ति के बहाने बाजार में झोंकने का तंत्र आदिगन्त है।स्कूल से पकडडी जा रही है कन्याें ,जिसे मानवतस्करी कारोबार को भी खतरा पैदा होने लगा है और यौन व्यवसाय के बेरोजगार हो जाने के आसार है।


    अखबार ने उन तमाम हालों का और उनमें शिफ्ट,कपड़े बदलने से लेकर कंडोम तक के इंतजाम के बारे में जो खुलासा किया है,उससे कोलकाता के सारे उपनगरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुक्तबाजार का बुलेट विकास सेनसेक्सी हिंदुत्व का खुलासा हो गया है।


    शिक्षा के कायाकल्प के संघी एजंडे में यह देहव्यापार भी सम्मिलित है या नहीं,बाबाओं और स्वामियों की अरम्पार महिमा के बावजूद कहना बेहद मुश्किल है।


    हम मुल खबरें इस टिप्पणी के साथ सचित्र पेश कर रहे हैं सूची समेत,देखते हैं कि हिंदुत्व की जिस्म में कोई फर्क पड़ता है या नहीं क्योंकि हिंदू राष्ट्र के एजेंडा में जो मनुस्मृति शासन का घोषित लक्ष्य है,वह आम्रपाली नगरवधू उत्सव के साथ साथ चितिरलेखा वृतांत भी प्रासंगिक हैं।


    दूसरी ओर नागरिकों की गोपनीयता की धज्जियां उड़ाकर जिस बायोमेट्रिक डिजिटल नागरिकता की संघी परियोजना यूपीए की विकलांगता के बाद नये मलम्मे के प्रधान स्वयंसेवक  की लालकिले की प्राचीर से हुए दहाड़ के मुताबिक  आर्थिक सशक्तीकरण का लांच पैड है,सब्सिडी खत्म करने का बहाना है और खुफिया निगरानी चौबीसो घंटे का इंतजाम भी है,जिसे हम लगातार संप्रभुता,निजता और गोपनीयता की हत्या बताते हुए निराधार नागरिकों के हक हकूक की खुली लूट बता रहे थे,उसका कायाकल्प बजरंगी भी हो रहा है।


    युनिक जो आइडेंडिटी है,जिसके लिए आंखों की पुतलियों की तस्वीर के साथ उंगलियों की छाप भी जरुरी है,बजरंगी वली ने अह आधार बनवाकर विशुद्ध मनुस्मृति शासन का संदेश जारी कर दिया है।


    हिंदू राष्ट्र के सूत्रधारों और संघ परिवार के लिए वाह क्या आनंद है,परिवेश है क्योंकि पवनपुत्र हनुमान का आधारकार्ड बन गया है।


    मर्यादा पुरुषोत्तम राम मंदिर के निर्माण और युद्ध सहयोगी रणनीतिक बेडपार्टनरों अमेरिका और इजरायल के यरूशलम दखल के लिए भी यह कारनाम बेहद खास साबित हो सकता है धार्मिक ध्रूवीकरण के तहत,लेकिन आधार प्रकल्प की प्रामाणिकता को तो बाट लग ही गयी है।

    दोनों खबरों को एकसाथ नत्थी करने का मकसद यह बताना है कि धर्म के नाम पर अधर्म का तंत्र मंत्र यंत्र कितना फ्री सेनसेक्स है।संस्कृति  के नाम पर नागरिकता हनन और बेदखली के परिवेश में न्यूनतम सरकार विनियंत्रकित विनियमित बाजार में क्या हो रहा है।


    जयपुर: आधार कार्ड भले ही देश की सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक हो, लेकिन उस पर काम कर रहे सरकारी कर्मचारी किस तरह आंखें मूंदकर कार्ड बनाते और छापते हैं, इसका जीता-जागता नायाब नमूना राजस्थान के सीकर में सामने आया, जहां रामभक्त भगवान हनुमान का आधार कार्ड जारी कर दिया गया।

    हनुमान जी के इस आधार कार्ड पर न सिर्फ पंजीयन क्रमांक - 1018 / 18252 / 01821 - और कार्ड नंबर - 2094 7051 9541 - दर्ज हैं, बल्कि बाकायदा 'बजरंग बली' की तस्वीर भी छपी हुई है, और पवनपुत्र कहलाने वाले हनुमान जी के पिता के नाम वाले कॉलम में 'पवन जी' भी लिखा हुआ है।

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    देखें विशेष वीडियो रिपोर्ट : भगवान हनुमान का भी बन गया आधार कार्ड

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    भगवान हनुमान के नाम पर जारी किए गए इस कार्ड को लेकर अब सबसे ज़्यादा परेशानी शहर के डाकिये को हो रही है, जो इस बात से परेशान है कि आखिर यह कार्ड कहां पहुंचाया जाए। दरअसल, यह कार्ड तीन दिन पहले सीकर के दातारामगढ़ कस्बे के पोस्ट ऑफिस में पहुंचा, जिसमें वार्ड नंबर छह, दातारामगढ़ का पता लिखा है।

    जब यह पता ठीक न होने पर पोस्ट ऑफिस स्टॉफ ने लिफाफे को खोला, तो उसमें हनुमान जी के नाम का आधार कार्ड मिला। वे इस आधार कार्ड पर पंजीयन क्रमांक और कार्ड नंबर के साथ-साथ मोबाइल फोन नंबर भी देखकर हैरान रह गए। जब उस मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, तो पता चला कि वह नंबर विकास नामक एक युवक का है।

    विकास के अनुसार, दो साल पहले तक वह आधार कार्ड बनाने वाली कंपनी में ही सुपरवाइजर के पद पर तैनात था, और उसी समय उसने भी आधार कार्ड के लिए एप्लाई किया था, लेकिन किसी कारणवश कार्ड नहीं बन पाया। अब उसने लगभग 10-15 दिन पहले भी अपने दोस्तों के साथ जाकर दोबारा एप्लाई किया था, इस बार भी फिंगर प्रिंट की समस्या के कारण कार्ड नहीं बन पाया। विकास का कहना है, मैं नहीं जानता कि हनुमान जी के नाम से जारी आधार कार्ड पर मेरा फोन नंबर कैसे आया।

    http://khabar.ndtv.com/news/zara-hatke/aadhar-card-of-hanuman-ji-662317

    বাংলা সিনেমার নিভৃত 'বক্স'

    দোহাই, ভুল করবেন না! এই বক্স মানে বক্স অফিস নয়। এটা একান্তই 'কাপল'দের জন্য। কাঠের পার্টিশন দেওয়া। শহরতলির অনেক হলে অন্ধকারে দু'মাথা এক হয়ে যাওয়া বক্সের এখন রমরমা। দেখে এলেন ইন্দ্রনীল রায়

    ১২ সেপ্টেম্বর, ২০১৪, ০০:০২:০৯


    1

    আড়াইশো টাকায় 'কমপ্লিট প্রাইভেসি'। বক্সে ঢুকছেন কলেজের যুবক-যুবতী

    বুধবার। সকাল ১১টা ২০। বারাসত।

    লালী সিনেমার সামনের কোল্ড ড্রিঙ্কসের দোকান থেকে তখন একে একে ছেলে-মেয়ে এসে কোল্ড ড্রিঙ্কস আর চিপস কিনে নিজেদের ব্যাগে ঢোকাচ্ছে।

    পড়ল বেল। এ বার শুরু হবে শো।  চলছে 'হারকিউলিস'।

    ঘড়িতে ১১-২৫। দর্শক বলতে সবাই 'কাপল'। বেশির ভাগই কলেজের। তিন-চার জন মধ্যবয়স্ক ।

    কাউন্টারে টিকিট কেনা হল। কাপল টিকিট ২৫০ টাকা।

    আমি আর আমার সহকর্মী অরিজিৎ চক্রবর্তী 'অড ম্যান আউট'। লাইনে আমারাই দু'জন পুরুষ। ঢোকার মুখেই আটকানো হল আমাদের।

    "এই টিকিট কেন কেটেছেন আপনারা। এটা তো 'বক্স'য়ের। ওটা শুধু ছেলে-মেয়েদের জন্য। আপনারা ওখানে ঢুকতে পারবেন না। ব্যালকনিতে অন্য জায়গায় বসুন।"

    জানতাম এ রকম একটা পরিস্থিতির সম্মুখীন হতে পারি, তাই তর্ক না করে মেনে নিলাম।

    ঢুকলাম ব্যালকনিতে। সামনের রো আর পাঁচটা সিনেমা হলে যেমন হয় তেমন। উপরের দিকটা দেখলাম পুরোটাই ঘেরা। সামনে দরজা।

    উঁকি মেরে দেখলাম, সব ক'টা 'টুইন সিট'। দেখলাম বাইরে যারা কোল্ড ড্রিঙ্কস আর চিপস কিনছিল, সেই 'কাপল'রা বসে আছে। দু'টো টুইন সিটের পরে একটি প্লাইউডের পার্টিশন। বসলে পাশের 'কাপল'দের শুধু মাথাটা দেখা যাবে। বাকিটা 'প্রাইভেসি'।

    সিনেমা তখনও শুরু হয়নি। হাল্কা লাইটের আবছায়ায় লাউডস্পিকারে গান চলছে, 'প্রাণ ভরিয়ে, তৃষা হরিয়ে... মোরে আরও আরও আরও...'

    নিভল আলো। ঘুটঘুটে অন্ধকার। এমনকী মোবাইলেও ছবি তোলা সম্ভব নয়। পিছন ফিরে দেখলাম, ধীরে ধীরে বক্সে বসা মাথাগুলো এক হয়ে যাচ্ছে।

    সিনেমা চলছে সিনেমার মতো, কেউ বোধ হয় দেখছে না একটাও সিন। টুইন সিটের 'কাপল'রা ছাড়া আর কেউ নেই হল-এ। লাইটম্যান বাইরে টুলে বসে ঝিমোচ্ছেন।

    ২৫০ টাকায় হালকা এসির দাপটে এ যেন শহরতলির প্রাইভেসি।

    কমপ্লিট প্রাইভেসি।

    বাংলা ছবির 'নিভৃত'বক্স অফিস।

    একটা দর্শকও সিনেমার জন্য ঢুকছে না, সবাই বক্সের লোভে

    বহু দিন ধরেই শুনেছিলাম শহরতলি আর জেলার কিছু কিছু হলে নাকি এক নতুন কনসেপ্ট শুরু হয়েছে। 'বক্স সিট'।

    তবে বিভিন্ন জায়গায় 'বক্স সিট'য়ের বিভিন্ন নাম। কেউ বলে, 'কাপল সিট'। কেউ বা 'টুইন সিট'। কারও আছে 'সোফা সিট উইথ কুশন'।

    এমনিতে যেখানে ব্যালকনি টিকিটের দাম ৪০ টাকা সেখানে এই বক্সের টিকিটের দাম কোথাও ১২০ টাকা কোথাও বা ১৮০।

    এবং আশ্চর্যের ঘটনা, জেলার হলগুলো আজ দাঁড়িয়ে আছে এই 'বক্স'য়ের সাফল্যের উপর। যে সব হলে বক্স রয়েছে, সেই হলগুলোর বিক্রি মারাত্মক। শোনা যাচ্ছে, এই মুহূর্তে পশ্চিমবঙ্গের প্রায় ১০০র উপর হলে হইহই করে চলছে এই 'বক্স'য়ের দাপট।

    কাঠের পার্টিশন দেওয়া সেই সব 'বক্স'

    "এমনিতে একটা হল থেকে যদি কালেকশন হত সপ্তাহে ২৫ হাজার টাকা, তা হলে বক্স লাগানোর পর সেখানে বিক্রি হচ্ছে এক লাখ টাকা। একটা দর্শকও সিনেমা দেখার জন্য ঢুকছে না। সবাই বক্সের লোভে,"বলছেন টালিগঞ্জের প্রোডাকশন-ডিস্ট্রিবিউশনের সঙ্গে বহু দিন ধরে যুক্ত, শ্যামল দত্ত।

    ব্যাপারটা এমন পর্যায়ে পৌঁছেছে যে বক্সের এই ডিম্যান্ড দেখে পশ্চিমবঙ্গের 'সায়লেন্ট সেক্স রেভলিউশন'য়ের একটা বৃহত্তর ছবিও দেখতে পাচ্ছেন অনেকে।

    "আমাকে একজন মধ্যবয়স্ক মহিলা একদিন তিন বার ফোন করেছিলেন। নানা ভাবে জানতে চাইছিলেন আমার হলে কোনও বক্স আছে কি না। ডেসপারেশনটা এমনই যে, শেষ পর্যন্ত আমি বাধ্য হয়েই বললাম, 'মা, আমাদের হলে এ সব হয় না।'উনি রেগে ফোনটা নামিয়ে রাখলেন,"বলছিলেন উত্তর কলকাতার মিত্রা সিনেমা হলের দীপেন মিত্র।

    বক্সে ধর্ষণ

    মফস্সলে বক্সের মাহাত্ম্য এতটাই বেড়ে গিয়েছে যে প্রায় সবাই সমস্বরে বলছেন, এই বক্সগুলো 'প্রস্টিটিউশন সেন্টার'য়ে পরিণত হচ্ছে।

    ব্যাপারটা যে কতটা গোলমেলে তা চন্দ্রকোনার পূজা সিনেমা হলের দিকে তাকালেই বোঝা যাবে।

    এই সিনেমা হলের মালিক রূপকুমার গোস্বামী যাঁকে ইন্ডাস্ট্রি 'ঠাকুরমশাই'বলে চেনেন।

    'ঠাকুরমশাই'য়ের হলে এই মাসের শুরুতে একজন যুবক একটি মেয়ের সঙ্গে বক্সের টিকিট কেটে সিনেমা হলে ঢোকে। সেখানে মেয়েটিকে ধর্ষণ করে। পরে হাসপাতালে অতিরিক্ত রক্তক্ষরণে মেয়েটির মৃত্যুও হয়। ঘাটাল হাসপাতালে মৃত্যুশয্যায় মেয়েটি সিনেমা হলে এই 'বক্স'কীর্তি পুলিশ ও প্রশাসনকে জানায়। এবং তার পরিণতি আজ সেই হলটি বন্ধ।

    এই প্রসঙ্গে, পশ্চিম মেদিনীপুরের জেলা পুলিশ সুপার ভারতী ঘোষ বলেন, "পূজা নামে চন্দ্রকোনার ওই সিনেমা হলটি বন্ধ করে দেওয়া হয়েছে। গ্রেফতার করা হয়েছে হলের মালিককেও। জেলা জুড়ে যে সমস্ত সিনেমা হলে বক্স ব্যবস্থা রয়েছে, সেখানে আমরা তল্লাশি চালাচ্ছি। অপ্রীতিকর ঘটনার খবর পেলেই আমরা সেই হল বন্ধ করে দেব।"

    হল তো নয়, সব সাবসিডাইজ্ড গেস্ট হাউজ

    চন্দ্রকোনার পূজা সিনেমার ঘটনা নাড়িয়ে দিয়েছে কলকাতার হল মালিকদেরও।

    "চন্দ্রকোনার পূজা সিনেমা হলের এই ঘটনা চোখে আঙুল দিয়ে দেখিয়ে দিচ্ছে কী সাঙ্ঘাতিক পর্যায়ে গিয়েছে এই বক্স কালচার। ইম্পার মিটিংয়ে আমি এর প্রতিবাদ করেছিলাম। কিন্তু সেই সব হল মালিক, যাদের হলে বক্স আছে তারা আমাকে গলার জোরে থামিয়ে দেয়। এগুলো সব 'সাবসিডাইজ্ড গেস্ট হাউজ'য়ে পরিণত হয়েছে। এটা বন্ধ না হলে কিন্তু বাংলা ছবির আরও ক্ষতি হবে।

    আর কোনও ফ্যামিলি হলগুলোতে আসবে না। এই সব হলের লাইসেন্স ইমিডিয়েটলি ক্যানসেল করে দেওয়া উচিত,"বলছেন কলকাতার নবীনা সিনেমা হলের মালিক নবীন চৌখানি।

    এই বিষয়ে কথা হচ্ছিল টালিগঞ্জের আরও কিছু 'ফিল্ম বুকার'য়ের সঙ্গে যাঁরা শহরতলির নানা হলের জন্য ফিল্মের বুকিং করেন।

    তাঁরা জানালেন, বক্সের টিকিটের এতটাই রমরমা যে কয়েক জায়গায় এক ঘণ্টার জন্যও টিকিট বিক্রি হচ্ছে।

    "ধরুন একটা সিনেমা তিন ঘণ্টার। সেখানে পাবলিকের প্রেশার এতটাই বেশি যে পার শো এক্সিবিটররা তিন বার করে একই বক্স আলাদা আলাদা কাপলের জন্য তিন জোড়া টিকিট বিক্রি করছেন। এতে সেই হল মালিকের লাভ হচ্ছে কারণ তাঁরা খাতায় শুধুমাত্র দু'টো টিকিট বিক্রির কথাই লিখছেন। বাকি চারটে টিকিটের দাম নিজের পকেটে পুরছেন,"বলছিলেন এক বুকার।

    লালী সিনেমা, বারাসত

    অমলা সিনেমা, ব্যারাকপুর

    স্কুলের মেয়েরা বাথরুমে ড্রেস চেঞ্জ করে নিচ্ছে

    এমনটাও অভিযোগ কয়েকটা জায়গায় হল মালিকরাও  দর্শকদের জন্য 'সেক্স ওয়ার্কার'দের সাপ্লাই করছেন যাতে তার হলে বিক্রি ভাল হয়।

    "হল মালিকরা হলের বাইরে দাঁড়িয়ে মেয়েদের ঢুকিয়ে দিচ্ছে। কেউ কেউ কন্ডোম সাপ্লাইয়ের ব্যবস্থা করছেন। বক্সের নামে যাচ্ছেতাই হচ্ছে,"বলছিলেন ইন্ডাস্ট্রির এক বড়কর্তা।

    পুরো ব্যাপারটার মধ্যেই সামাজিক অবক্ষয় নজরে আসছে সবার। শহরতলির এই হলগুলোতে ক্লাস এইটের ছেলে-মেয়েরাও অবাধে ঢুকছে।

    "শুধু ঢুকছে না। স্কুল ইউনিফর্মটা ছেলে-মেয়েরা সিনেমা হলের বাথরুমে  পাল্টে নিচ্ছে। ব্যাপারটা এতটাই সহজ হয়ে গিয়েছে যে, একই ছেলে-মেয়ে দু'-তিন বার করে আসছে। তাদের কেউ আটকাচ্ছেও না,"বলছিলেন এক হল মালিক যাঁর হলে 'বক্স'আছে। প্রসঙ্গত, সেই হল মালিককে জানানো হয়নি এই নিয়ে স্টোরি হচ্ছে, শুধু আড্ডা মারার ছলেই তিনি কথাগুলো বলেছিলেন।

    এমনকী এই নিয়ে সরব প্রিয়া এন্টারটেনমেন্টের অরিজিৎ দত্ত-ও। তাঁর বক্তব্য প্রশাসনের উচিত এক্ষুনি এই হলগুলোর বিরুদ্ধে পদক্ষেপ নেওয়া।

    "অ্যাডমিন্সট্রেশন কী করছে? একটা সময় হলে ব্লু ফিল্ম চলত। কিছু সময় পরে লোকে আর সেটা দেখতেও আসছিল না। এখন শুরু হয়েছে এই'বক্স কালচার'। আমি হাত জোড় করে বলছি, এই 'বক্স'ওয়ালা সিনেমা হলের বিরুদ্ধে যেন প্রশাসন পদক্ষেপ নেয়। না নিলে বাংলা ইন্ডাস্ট্রি শেষ হয়ে যাবে,"সাফ বলছেন অরিজিৎ দত্ত।

    এই বিষয়ে প্রশ্ন করা হয়েছিল ইম্পার প্রোডিউসর বিভাগের ডেপুটি চেয়ারম্যান পার্থ সারথি দাঁ-র কাছে।

    তিনি নিজেও এই 'বক্স'কালচারের বাড়বাড়ন্ত দেখে স্তম্ভিত। "দাদা, আমাদের লজ্জায় মাথা হেঁট হয়ে যাচ্ছে। আমাদেরই কিছু বন্ধু হল মালিক এটা চালাচ্ছে। বক্স তো আগেও ছিল, কিন্তু সেটা ফ্যামিলির জন্য। এ রকম নোংরামির জন্য নয়,"বলছিলেন ৭০ বছরের পুরনো শেওড়াফুলির উদয়ন সিনেমার পার্থবাবু।

    মা-বাবারা পাইরেটেড ডিভিডি কিনছে, ছেলে-মেয়েকে হলে আনছে না

    কিন্তু যে বলছে ক্ষতি হয়ে যাচ্ছে ইন্ডাস্ট্রির, সেটা কী ভাবে?

    এই বক্সের দৌলতে তো টিকিট বিক্রি হচ্ছে। সিনেমা হলগুলো  দারুণ চলছেও। তাদের রক্ষণাবেক্ষণও হচ্ছে। তা হলে?

    "হ্যাঁ, হলগুলো চলছে ঠিকই কিন্তু ক্ষতি হচ্ছে লং টার্ম,"বলেন হাবড়ার রূপকথা হলের নিখিল পাল।

    "প্রথমে ইন্ডাস্ট্রির ক্ষতির কথা বলি। এই হলগুলোতে ফ্যামিলি আসা বন্ধ করে দিয়েছে। বাচ্চারা যখন সিনেমা  যাবে বলে বায়না করছে, বাবা-মা স্বাভাবিক ভাবেই তাদের ডিসকারেজ করছেন। তাঁরা জানেন এই হলগুলোয় কী হয়। তাই তাঁরা বাচ্চাদের জন্য এবং নিজেদের জন্য প্রায় বাধ্য হয়েই নতুন সিনেমার পাইরেটেড ডিভিডি কিনছেন। নেট থেকে ডাউনলোড করছেন। কিন্তু কিছুতেই হলমুখী হচ্ছেন না। এটা বিরাট আর্থিক ক্ষতি। আর তা ছাড়া ক্লাস এইট-নাইনের ছেলে-মেয়েরাও বক্সে ঢুকছে। এর থেকে বড় সামাজিক ক্ষতি আর কী হতে পারে?"প্রশ্ন করছেন নিখিলবাবু।

    এই 'বক্স'কালচারের বিরুদ্ধে যথেষ্ট সোচ্চার কপূরচাঁদ পিকচার্সের সুনিত সিংহও। "এই নোংরামিটা এক্ষুনি বন্ধ হওয়া উচিত,"সাফ বলছেন তিনি। সব মিলিয়ে যা পরিস্থিতি, 'বক্স সিট'য়ের এই রমরমাই এই মুহূর্তে টালিগঞ্জের 'ওয়ার্স্ট কেপ্ট সিক্রেট'। সবচেয়ে খোলসা থাকা গোপন রহস্য।

    এক দিকে, এই 'বক্স'য়ের দৌলতে ধুঁকতে থাকা শহরতলির হলগুলো টাকা পাচ্ছে। অন্য দিকে রয়েছে সামাজিক অবক্ষয়ের দীর্ঘছায়া।

    ভবিষ্যতে এই 'টুইন সিট'বা 'বক্স সিট'য়ের পরিণতি কী হবে, সেটা  ভবিষ্যতই বলবে।

    কিন্তু দুঃখের ব্যাপার এটাই, আজ টালিগঞ্জের সবচেয়ে বড় 'বক্স অফিস'সাফল্য লুকিয়ে আছে এই 'বক্স সিট'য়েই।

    ২৫০ টাকা। হাল্কা এসি।

    ঘুটঘুটে অন্ধকার।

    কমপ্লিট প্রাইভেসি।

    দু'টো মাথা।

    সরি, একটা মাথা।

    'বক্স'য়ের রমরমা যেখানে

    • বনগাঁ- বনশ্রী

    • ব্যারাকপুর- অমলা

    • হাবড়া- কালিকা

    • অশোকনগর- নটরাজ

    • মছলন্দপুর- জ্যোতি, পূর্বাশা

    • রানাঘাট- সুরেন্দ্র, রানাঘাট টকিজ

    • মেমারি- আনন্দম

    • আরামবাগ- সুধা নীল

    • সোদপুর- পদ্মা

    • কন্টাই- শ্রীরূপা

    • মহিষাদল- গীতা

    • বারাসাত- লালী

    • কৃষ্ণনগর- সঙ্গীতা

    ছবি: ইন্দ্রনীল রায়, কৌশিক সরকার (মোবাইল ক্যামেরায় তোলা)

    http://www.anandabazar.com/supplementary/anandaplus/%E0%A6%AC-%E0%A6%B2-%E0%A6%B8-%E0%A6%A8-%E0%A6%AE-%E0%A6%B0-%E0%A6%A8-%E0%A6%AD-%E0%A6%A4-%E0%A6%AC%E0%A6%95-%E0%A6%B8-1.67981


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