भारतीय पिछड़ा शोषित संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष चन्द्रशेखर कुमार यादवजी ने सूरत -गुजरात में राज्य और राष्ट्रिय ओबीसी सम्मलेन की अध्यक्षता करते हुवे किये हुवे प्रबोधन में देश के संविधान विरोधी ताकतों का जिक्र करते हुवे कहा की भारत आज संकट से गुजर रहा है. देश के संसाधनों पर ओबीसी, एससी और एससी की हिस्सेदारी कम होते जा रही है.
शासन, प्रशासन, न्यायतंत्र और मिडिया में ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय की हिस्सेदारी आज भी कम ही है. एकाधिकारवादी शक्ति आज प्रभावी है और संवैधानिक सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़नेवाले नेताओ के अहम् ने हमारी शक्ति को बाँट के रख दिया है.
1990 में प्रधानमंत्री वीपीसिंह के समय में संवैधानिक सामाजिक न्याय की शक्ति एकजुट थी और वीपीसिंह ने अपरकास्ट होते हुवे भी 7 अगस्त 1990 को 54% से ज्यादा ओबीसी समुदाय को मुख्यधारा में लाने का फैसला 7 अगस्त 1990 को लिया और 27% संवैधानिक मंडल आरक्षण लागु करने की घोषणा संसद में कर दि थी.
आज 2015 में ओबीसी चहेरा नरेंद्र मोदीजी देश के प्रधानमंत्री है फिर भी पीएमओ ऑफिस के 30 अफसरों में से 1 भी अफसर ओबीसी नहीं नहीं है. क्या ओबीसी पीएम या ओबीसी सीएम का कोई मायना है?