बाराबंकी पुलिस भयभीत
उत्तर प्रदेश में हजारों मुसलमानों की गिरफ्तारी जानबूझ कर की जा रही है जबकि उनके द्वारा किये गए अपराध का विचारण प्रदेश के न्यायालयों में लंबित है. उसके बावजूद बगैर उनको दोषी करार दिए गए उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम में जेल भेजा जा रहा है. इस छोटे अपराध में उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम का प्रयोग कर छोटे-छोटे गरीब लोगों को प्रदेश की जेलों में निरुद्ध किया जा रहा है . इस सम्बन्ध मे सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 2 में खंड (ख)में उपखंड १५ के पश्चात कई खान बढ़ा दिए हैं . जिसके खंड 17 में गौ वध निवारण अधिनियम और पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम के उपबंधों के उल्लंघन में मवेशियों के अवैध परिवहन और / तस्करी के कार्यों में संलिप्तता किओ शामिल किया गया है.
पशु अतिचार अधिनियम की अधिकांश धाराएं जमानतीय हैं या गौ वध के छोटे छोटे मामलों में जमानत पा चुके लोगों को इस अधिनियम के तहत यह लिख कर जेल भेजा जा रहा है कि इनके बाहर रहने से समाज में भय का वातावरण कायम हो रहा है. गवाह गवाही देने से कतरा रहे हैं इसलिए 3 (1) उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत वाद दर्ज कर गिरफ्तार किया जा रहा है, जबकि दिलचस्प बात यह है कि थाना मसौली जनपद बाराबंकी के रहने वाले पीर गुलाम को कुछ दिन पूर्व गौ वध निवारण अधिनियम में जेल भेजा गया था वह जमानत प्राप्त कर एक आटा चक्की पर मजदूरी का काम कलर जीवन यापन कर रहा था कि थाना अध्यक्ष राय सिंह यादव ने उसके खिलाफ गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम का प्रयोग करते हुए रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को भेजी कि इसके बाहर रहने से गवाहों में भय व्याप्त है, गवाह गवाही देने से मुकर सकते हैं जबकि गौ वध निवारण अधिनियम में थाना अध्यक्ष राय सिंह यादव व दो अन्य दरोगा व कुछ सिपाही गवाह हैं . पीर गुलाम के बाहर रहने से यह पुलिस के अधिकारी, कर्मचारी भयभीत हैं और गवाही देने से मुकर सकते हैं. उसके बाद पीर गुलाम को घर से बुला कर जेल भेज दिया गया.
सपा सरकार हर वक्त अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व रक्षा करने की बात करती है वहीँ, गौ वध निवारण अधिनियम, पशु क्रूरता अधिनियम जो गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियमके तहत नहीं आते थे. उन अपराधों को इस अधिनियम के माध्यम से काफी समय से जेल में निरुद्ध किया जा रहा है. इस तरह से पूरे प्रदेश में कई हजार लोगों की गिरफ्तारियां अभियान चला कर की जा चुकी हैं और अभी लाखों लोगों को बगैर किसी अपराध के फर्जी कहानियां गढ़ कर जेलों में निरुद्ध किया जायेगा. सपा सरकार की मंशा है कि वह वोट भी ले और वोट लेने के बाद उन्ही लोगों को जेल में निरुद्ध रखे.पशु अतिचार अधिनियम की अधिकांश धाराएं जमानतीय हैं या गौ वध के छोटे छोटे मामलों में जमानत पा चुके लोगों को इस अधिनियम के तहत यह लिख कर जेल भेजा जा रहा है कि इनके बाहर रहने से समाज में भय का वातावरण कायम हो रहा है. गवाह गवाही देने से कतरा रहे हैं इसलिए 3 (1) उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत वाद दर्ज कर गिरफ्तार किया जा रहा है, जबकि दिलचस्प बात यह है कि थाना मसौली जनपद बाराबंकी के रहने वाले पीर गुलाम को कुछ दिन पूर्व गौ वध निवारण अधिनियम में जेल भेजा गया था वह जमानत प्राप्त कर एक आटा चक्की पर मजदूरी का काम कलर जीवन यापन कर रहा था कि थाना अध्यक्ष राय सिंह यादव ने उसके खिलाफ गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम का प्रयोग करते हुए रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को भेजी कि इसके बाहर रहने से गवाहों में भय व्याप्त है, गवाह गवाही देने से मुकर सकते हैं जबकि गौ वध निवारण अधिनियम में थाना अध्यक्ष राय सिंह यादव व दो अन्य दरोगा व कुछ सिपाही गवाह हैं . पीर गुलाम के बाहर रहने से यह पुलिस के अधिकारी, कर्मचारी भयभीत हैं और गवाही देने से मुकर सकते हैं. उसके बाद पीर गुलाम को घर से बुला कर जेल भेज दिया गया.
सुमन
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