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এই জয় সমস্ত প্রতিবাদি ছাত্র-ছাত্রীর যারা স্বপ্ন দেখে এবং স্বপ্নের জন্য লড়াই করে।

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আন্দোলন করে কি হয়?? কিছু করতে 


পারলি??

এই কথাগুলি এবার থেকে অন্য 

কাউকে 

বলবেন, আমাদের নয়।

কাল বিজয় মিছিল। দুপুর ২ টো থেকে। 

এই জয় সমস্ত প্রতিবাদি ছাত্র-ছাত্রীর 

যারা স্বপ্ন দেখে এবং স্বপ্নের জন্য লড়াই 

করে।


আপাতত কাল, আবার মহামিছিল পারে হবে। হবেই।

Ratul Swapno Niye added 2 new photos.
9 hrs · Edited · 

মানুষ ইতিহাস তৈরি করে...। এটা খুব common একটা কথা ...। কিন্তু আজ নতুন একটা ইতিহাস তৈরি হল আর তৈরি করলাম আমরা, আমরা সবাই ছাত্রছাত্রীরা...। সত্যি বলছি আজ আবার নতুন করে মানুষ হওয়ার মানে খুজে পাচ্ছি, সব্বার মাঝে নতুন করে..Aditya Sarkar Nabottama Pal Anisha Mandal Debojit Thakur Devadyouti Das Chhandak ChatterjeeBandana Mondal Amlan Agun Jole Uthuk Abaar Sumitran Subhabrata Hokkolorob Suswagata Poria Bodhisattva Kar Samik Chakraborty Amitava Mitra Amartya Jana Mrinmoy Sarkar Priyas Mita Naam Dipanjan Nandini Dhar Ipsita Pal Aritra Hokkolorob Tanima Chatterjee Su Tanaya Sulagna PalSubham Rath Soumitra Pati Soumyajit Rajak Amit Akash Rwiti Roy Soumo Mondal Soubhik Biswas Arijit Hokkolorob Aritra Majumder Chiranjit Hokreferendum Ghosh Samapti Sarkar Debashis Halder Pratik Deb Pramod Gupta Anujit Chakraborty Punyabrata Goon Anik Ityadi Biplab SarkarShounak Mukhopadhyay Sharmistha Choudhury Shraman Guha

Ratul Swapno Niye's photo.
Ratul Swapno Niye's photo.
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9 th january Shibam asustho hobar pore chokhe jol ese ge6lo,confidence kome ja66ilo tao mon sokto kore movement e thaklum,kal ratre khbr plm bohiragoto rao 12 ghonta anoson korbe ami sune agerdin rat thekei ki6u khelmna. aj sondhae JU te a6i, tkhn vc resign kore dilo. aj aro besi kore kanna pa66ilo, Jadavpur thanar samne rastae suye pore6ilm anonde. ekhno biswas h66ena 4 mas andolon er pore amra jite ge6iii
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 — with Arijit Hokkolorob and 29 others.
9 th january Shibam asustho hobar pore chokhe jol ese ge6lo,confidence kome ja66ilo tao mon sokto kore movement e thaklum,kal ratre khbr plm bohiragoto rao 12 ghonta anoson korbe ami sune agerdin rat thekei ki6u khelmna. aj sondhae JU te a6i, tkhn vc resign kore dilo. aj aro besi kore kanna pa66ilo, Jadavpur thanar samne rastae suye pore6ilm anonde.  ekhno biswas h66ena 4 mas andolon er pore amra jite ge6iii  #hok_hok_hokkolorob
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क्या हिन्दूवादी नेता पगला गये हैं? या उन्हें लग रहा है कि इस बार के बाद दिल्लीके तख्त पर फिर उन्हें फिर मौका मिलने वाला नहीं है? इसलिए जितनी आग लगानी हो, अभी लगा लो.

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क्या हिन्दूवादी नेता पगला गये हैं? या उन्हें लग रहा है कि इस बार के बाद दिल्लीके तख्त पर फिर उन्हें फिर मौका मिलने वाला नहीं है? इसलिए जितनी आग लगानी हो, अभी लगा लो. पहले घर वापसी का तमाशा. अरे भाई, घर तो घर होता है, रोटी, कपड़ा और मकान, सामान्य जीवन जीने की व्यवस्था. सम्प्रदाय किसी का घर हुआ क्या ? यदि ऐसा होता तो भूख के असह्य हो जाने पर चांडाल के घर से कुत्ते की रान चबाते हुए पकड़े जाने पर विश्वमित्र चांडाल से यह यह क्यों कहते कि तू नीच! मुझे धर्म सिखायेगा! अरे यदि मैं जीवित रहा तो धर्म की पुनर्व्याख्या कर सकता हूँ, यदि मैं ही मर गया तो यह धर्म मेरे किस काम का? 
याज्ञवल्क्य यह क्यों कहते कि पुत्र, पत्नी, धर्म-- सब कुछ अपने लिए ही प्रिय होता है. आत्मनस्तु कामाय वै सर्वं प्रियं भवति.
सच तो यह है कि इन वितंडावादियों को भी यह सब चोंचले आम जन के लिए नहीं अपनी राजनीति, या सत्ता सुख के लिए ही प्रिय हैं
दूसरा कहता है कि हिन्दू स्त्रियाँ चार बच्चे पैदा करें. जैसे औरत केवल बच्चे पैदा करने की मशीन हो. कभी लोग यह भी मानते थे, जो मुँह देता है, वह हाथ भी देता है. बर्तन मल कर भी पेट भर लेगा. अभी- अभी तो पढ़े-लिखे परिवारों में कुछ समझदारी आयी है. वे समझने लगे हैं कि बच्चे पैदा करने से पहले पैदा होने वाले बच्चे के जीने लायक जीवन की व्यवस्था की लागत की भी चिन्ता करने लगे हैं. 
जब भी मैं सरकारी या धर्मार्थ चिकित्सालयों के बाहर मरीजों की भीड़ देखता हूँ, तो उसमें मुस्लिम परिवारों की महिलाओं की संख्या अधिक दिखाई देती है, उनमें भी तपेदिक से पीडित महिलाएँ अधिक होती हैं. अस्वास्थ्यकर परिवेश, अधिक बच्चे और मुल्लाओं द्वारा अपने समाज को जड़ बनाये रखने की जिद. 
मोदी के मायावी जाल के सम्मोहन में यह पता ही नहीं चल रहा है कि यह देश को, जनोत्थान की ओर ले जा और अम्बानियों के हाथों देश को गिरवी रखने की ओर.

इतिहास बदले बदले विज्ञान हिंदुत्व की बहार हो गइल कि ओबामा रामचंद्र पधारो म्हारा देश। का पता के मनरेगा मा ताम्रपत्र मा भारी मजदूरी मिलल हो। शांतता,नरमेध चालू आहे। शांतता,बलात्कार चालू आहे। शांतता वध चालू आहे। शांतता वैदिकी हिंसा चालू आहे। पलाश विश्वास

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इतिहास बदले बदले विज्ञान

हिंदुत्व की बहार हो गइल कि ओबामा रामचंद्र पधारो म्हारा देश।

का पता के मनरेगा मा ताम्रपत्र मा भारी मजदूरी मिलल हो।

शांतता,नरमेध चालू आहे। शांतता,बलात्कार चालू आहे।

शांतता वध चालू आहे।

शांतता वैदिकी हिंसा चालू आहे।


पलाश विश्वास



जनधन वाह वाह।कैश सब्सिडी आहा आहा।


खाता खुलल हो।धिन ता धिन ता।


कैश आ घिलनता ता थई ता ता थई।


नाचै मन मयूर बै चैथू।

बै अबहीं ताम्रपत्र गाढ़े का पोरगाम लागै है,शुरु होईहिं चाहि।

का पता के मनरेगा मा ताम्रपत्र गाढ़ेका काम मिले हो।

कि इतिहास बदले कि विज्ञान बदले।

हिंदू राष्ट्र समयबै चैतू।


वो जो इंदिराम्मा ने चालू  करिकै चाहि तो बडा़ बावेला हुई गवा।


बाबर ने बाबरनामा लिखवायो।अकबर ने लिहिला आपण इतिहास।


हिटलर इतिहास बदल दियो।


इंडियन पब्लिक बुरबकै है।


सात के दशक मा ये पुण्यकर्म रोक दिहिस और इंदिराम्मा को बवाल रोके खातिर इमरजेंसी दागेके पड़ी।


अबहु हम तो अमेरिकी भयो।देश म्हारा वायब्रेंट गुजरात हुई गयो।


अबही मुसल्लों का इतिहास,गोरों का इतिहास काय को।

नयका इतिहास चाहि।

विज्ञान भी नयका चाहि।


रिवर्स गियर पुष्पक विमान चढिके मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र पधारबे भारत मा।

लंका विजय हुओ कि नाय ,ना मालूम।


रामजी ओबामा भयो कलजुग मा।शूद्र अवतार छन।


जैसन कि आपण कल्कि महाराज।

साक्षात जुड़वां बिरादर।

मेलवा मा बिछुड़ल बा।

छब्बीसे जानुवारी भरत मिलाप होई।


जइसा कि सिनेमा मा होवत हो,बिल्कुले वइसन हुई गयो रे।


गुजरात नरसंहार का हल्ला भौते हुआ एइसन कि अमेरिका बिच जा ही न सकै आपण कल्कि महाराज।कइसे पहिचानते जुड़वां भाई जुड़वा भाई को।


वो जो प्रधानमंत्री बन गइलन तो कोई कारा तिल रहे मुखवा पे जो बिजुरी जइसन चमकाल बा आउर झट से अमेरिकी रामजी ने पहिचान लिल कि यहीच तो आपन खून वानी।गला मिलेक को उतावल हुई गवा।


घोंघिया आंखि देखे न सकत,मुसनाक सूंगे ना सकै कि उनर कलेजे में पीर पिघलकर गंगा जमुना हो गइलन।वहींच गंगा परिष्कार वास्ते स्वच्छता अभियान चालू आहे।


शांतता,नरमेध चालू आहे।शांतता,बलात्कार चालू आहे।शांतता वध चालू आहे।शांतता वैदिकी हिंसा चालू आहे।


हम ना देख सकै बै वो कारा तिल।अमेरिकी ससुरे सैटेलाइट वाइट घनचक्कर चलावत हो आउर अंतरिक्ष से ताके झांके करै।चळवळ एटीएमोमाझा दृष्टि काय।


तुहार हमार नब्ज जानै है व्हाइटहाउस ,पेंटागन,वर्ल्ड बैंक,आईएमएफ,नाटो बाकीर सबै उनर संस्था सार।मोर बाप तोर बाप.मालिक मलकाइन उनर भी बापो का बाप वो अमेरिका।बायोमैट्रिक डिजिटल जो हुई गवो देश तो समझो उनर उपनिवाश वानी हम।


विकास कथे कथे बिगड़ल हो कइसे होवे सुधार,वही बताये रहिले।


मनमोहना समझ ना सकौ,झट से उतार दियो गद्दी से।



तड़ाक से बुला भेज्यो अमेरिकामा।का जलवा रहि अडानी सौजन्य से।अंबानी भी पीछे रहे हो।सारे इंडियाइंक बाग बाग गुलबहार गुलनार हो गयो रे।निसार हमरी गली खूनै क नदीबन गइलन आउर हमनी लहूलुहान आप जख्म चाटेको जिंदा वानी।


अब उनन को भारत के अयोध्या राज में ठीके से स्वागत खातिर मस्त तैयारी बाटे।


रामंदिर कोई इमारत नइखे,बुरबकै समझत नाही।

राममंदिर का मतबल हो शत प्रतिशत हिंदुत्व।

वौहे जो हिंदू साम्राज्यवाद ह।


या जो शत प्रतिशत हिंदुत्व ह,वोके खातिर सबसे पहिले इतिहास बदलना चाहि।

अभै पब्लिक का कल्चरो बदल गयो ह।


हर जेब मा डालर का हल्ला है।

डालर माई बाप।

डालर तोर बाप।

सात सात जनम का बाप हो डालर।


वही मालिक।

वोही मलकियान।

हमनी डालरे खातिर एत्तो एत्तो मचान बांधली।

राजकरण दुकानों कतो साजली।


विकास पागलदौड़ कहै जो गांधी बुड्ढो, उकर  वध कर दीहिस नाथूराम बाबा ने।

मंदिर उननका बनकै तैयार समझो।


बाबासाहेब जो संविधान बांधली,भंग रामसेतु मा उका विसर्जन भी हुई गइल।

आर्डिनेंस राज भयो।


पार्लियामेंट रोजगार दफ्तर वानी।

जो निठल्ला कुछो कर न सकै है,मस्त आराम से बतियावन खातिर हल्ला उल्ला करै वास्ते तफरी को जावत उहां।


जावेके खातिर भौते पइसा वइसा चाहि।

सो कारपोरेट फंडिंग है।

कारपोरेट जो फ्री फ्लो फारेन मनी है,कारपोरेट जो मल्टीनेशन ह।

कारपोरेट जो ब्लैको मनी रिसाइकल वानी।


माने कि जो मनी टैक्स उक्स बिना काला हुई गवा,उका दुबई,मारीशस ,हांगाकांग रस्ते देश मां बिल्डर प्रोमोटर इफ्रास्ट्रक्चर मा झोंकेके चाहि,फेर वही कालाधन विदेशी मनी डालर उलर झिनचाक सफेदो बा।


वो जो कटकटले अंधकार का कारोबारी छन,बड़का बड़का आश्रम बांधली हो,तमामे मचान बाबा बाबी हईबे करें जो बड़ो चिल्लाया केसरिया सुनामी बनावन खातिर,खुल जा खुल जा सिम सिम तर्जे।


वा सिम अब मोबाइल है।

सिंगल सिम गयो अभै डाबल सिम ट्रिपल सिम जमाना हिईगो।

सिम सिम सिम।

खुल जा सिम सिम सिम।


मोबाइलमध्ये वो खजाना हुईबे करै,जाके लूटे खातिर दुश्मन देश चीनवा से आ गइलन अलीबाबा।चालीस चोर ते तमाम प्रोजेक्ट  खुलिके बइठ गइलन।


तो जो आंदोलन वगैरह करैके बीमार पब्लिक है,काका कहि बारंबार मानवाधिकार, नागरिक अधिकार,जल जंगल जमीन,पर्यावरण,ससुरे सारे राष्ट्रद्रोही छन।


जइसे सलवा जुडुम मा आदिवासी मारे  जात या कश्मीर या यूपी या नार्थ ईस्ट मा गड़बड़ करि ते मारे देवै गोली बिना कैफियत,अइसन ही रिफारमवा चाहि त अर्थ व्यवस्था बुलेट माफिक हो जाई।करेजवा चीर कर दनादन डालर की बरसात हुई जाई।


निठल्ला करोड़पति अरबपति जमात कूं फायदा हा फायदा।

सो,कायदा कानून सार बदलत रहि।


बाबासाहेब भी अंग्रेजी राज मा मंत्री बन गइलन त तमाम कानून बनाये दियो।

वो इतिहास भी बदलना चाहि ह।


लेबर ला ,ट्रेडयूनियन कानून और का कहि मरदन का देश मा ऊ बाबासाहेब हिंदू कोड भी रच दिहिस,जइसन संविधान इर्रीलिवेंटङुई गयो,बाबा क संविधान भी कूडा जइसन हुई गयो।शिडुल फाइव शिडुल सिक्स वगैरह वगैरह लाद दियो कि विकास रथ रुक जइहें।

वो इतिहास भी बदलना चाहि ह।


डालर की बरसात न हुई,डालर न हुआ तो करोड़पति अरबपति जमात,मोर तोर बाप महतारी तो भूखों मर जाई।


तभै केकर गोड़ दबाइबो,सोच।

जनम बृथा हो जाई।हम गुलाम वानी हज्जारो बरस से।


गुलामी समनातन ह।

गुलामी खारिज तो हम का चाटिहे डेमोक्रेसा समता सामाजिक न्याय और उ का कहत क्रांति व्रांति।गुलामी हमार वजूद ह।वहीच आत्मा वहीच परमात्मा।वहीच गोता महोत्सव।


गुलामी बहाल रखेकै सोच,चैतू।



कानून बदलने खातिर,रिफार्म वास्ते,पुरकश डालर राज वास्ते,रामराज्य के लिए डालर चाहि।सो अमेरिका से परमाणु संधि हुई गयो।


अब चाहे पोलोनियम खियाके सुनंदा पुष्कर बनायदी कि परमाणु विस्फोट हो जाई कि जिनगी घटस्फोट हो जाई कि भापाल गैस त्रासदी हो जाई फिन फिन ,चाहे दंगा उंगा खूब होई रहै,आग लग जायी सगरा देश मा,राम की सौं भव्यमंदिर बनावक चाहि.वाकर कातिर ताम्रपत्र गाढ़ेके चाहिं।


इंदिराम्मा जो नाहीं कर सकत,वो कल्कि महाराज के राजकाज में होइबे करि है।अब चाहे सिखों का नरसंहार हो,चाहे असम में कत्लेआम हो जाई,चाहे घाट बाट अनाच कनाच घर दफ्तर में बलात्कार कार्निवाल हो,पूरा पहाड़ डूब में शामिल हो कि रेगिस्तान बन जाई तमाम ग्लेशियर कि सार अरण्य तबाह हुई जाये,सारे कारोबारी हो जायें बरबाद या हम खेत शेतकरी खातिर कब्रिस्तान हिंदुस्तान में हो जाये तब्दील,हमका हिंदू राज चाहि।


हिंदू राज चाहि तो मनुस्मृति बहाल बा।अछूत वानी तो ढेरों जाति नीचे बा।ङम भी उनर मुकाबले ऊंच बा।उ सभै हमार खातिर अछूत बा।


ई जात पांत जारी रहेक खातिर,मनुस्मृति बहाल रखे खातिर आउर झमाझम डालर पावस हिमपात खातिर हमका केेशरिया कारपोरेट राज चाहि।कि निठल्ले हमरे बाप महतारी,मालिक मलकियाइन सबै बहाल तबीयते हों,करोड़पति अरबपति हों आउर हम गोड़ दबात रहे हम गोड़ दबात रहे।गढ्ढा खोदेक आदत बा,खने जाव खनै जाव और उमा गहरी नींद सो जाव घोड़े बेचकर तमाम।


य अश्वमेधी राजसूय ह।

जेकर पुरोहित तमाम पढ़े लिख्के मलाईदार तबके ह।

जेकर पुरोहित तमाम विद्वतजन राजनेता ह।

जजमान फेर वही केसरिया फारेन मनी ब्लैक मनी।


यही खातिर शाहज्यू महारज उवाच,कालाधन जटिल मामला ह।


जयश्रीराम बोलो रामजाद बन जइयो सीधे सीधे।


बाकीर हरामजाद का का कहि,सबै म्लेच्छ शुद्ध हो जाइ।


उलट कलमा पढ़ाई शुरु हो गइलन।


रामजी पधारो म्हारा देश।


कल्लि अवतार राजकाज संभाले है।


ई नयका इतिहास बा।त इतिहास बदलेके बड़ा काम चालू आहे।


संघी इतिहास कौंसिल इतिहास बदलेक को तैयार बा।विज्ञान कांग्रेस मा भी परिवर्तन चाहि।वइसन जइसन सतात्तर मा लाले कृष्ण आडवाणी लौह पुरुष मीडिया भूगोल बदल दीन्ही।जित देखो तित केसरिया।रंग बिरंग केसरिया।केसरिया बोली ठोड़ ना लिहिल समथिंगवा।इतिहास विज्ञान भी वइसन चाही।


त संघ सेवक बत्रा महाराज इकलौते नइखे,अबहुं आईसीएचआर बोर्ड योजना आयोग के नीति आयोग मा कायाक्लप जइसन कायाकल्पित हुई गयो रे।


आईसीएचआर बोर्डे  संघ परिवारच्या हिस्ट्री विंगर वाइस प्रेसीडेंट  नारायण राव,आल इंडिया जनरल सेक्रेटरी ईश्वर शरण विश्वकर्म आउर केसरिया बंगाल बाटि निखिलेंदु गुहा अबहिं वैदिकी इतिहास रचेक का काम करिहैं।तमाम महाकाव्य, स्मृति, ब्राह्मण,शतपथ,पुराण ,उपनिषद आउर वेद सनातन इतिहास है।


तम युग मा अनार्यइतिहास जइसन गुम हो गइलन,हमलावर विदेशी कौमें सारी गुम हो जाइब।तभै न सौ टक्का हिंदुत्व का दर्शन होई।


अब देश त हमार तुहार नाही।


मालिक मलिकाइन जीवै लाख बरीश तो आशीष बरसै मूसलाधार त यही खातिर हम गोड़ दबावत रहि।हम मचान बांधळी रहि।


नाना आइडेंटिटि,नाना विचारधारा ,नाना अस्मिता दुकान चळवळ चलावल रहि,त बूझो वो सभै सलामत त बाकीर जनता खातिर त ङुई देख्यो बांसों का वसंत वायब्रेंट गुजरात।


बाकीर देश गुजरातो जइसन होवेक चाहि।


हमका मजदूरी मिलल जाई तो जिनगी सुधर जाई ।


बाकी जनधन और कैश सब्सिडी ह।

बाकीर उ आधार निराधार तमामो कार्ड छनछनाछन छनछनाछन आउर पुढै डालर पावस घनानघन हिमपात नैनीताल मध्ये।


डालर अइहें त क्या पत्त कि मनरेगा फिर खुल जाइ बाकीर कंस्ट्राक्शन ग्लोबल हुई गयो।का पता के मनरेगा मा ताम्रपत्र मा भारी मजदूरी मिलल हो।


बंगाल मा कोई रोजी रोटी नइखे।ट्रेनवा मा भर भरकर बंगाली सारा देश मा कंस्ट्रक्शनकरै है।बाकीर जो है उनपर बिल्डर प्रोमोटर सिंडिकेटवा की बड़ी कृपा हैगी।


मिस्टि दई आर ईलिश माछ की बहार देखो।देखो गुजराती थाली आउर चाखो चाहो तो दख लिजो मारवाड़ी थाली।


हिंदुत्व की बहार हो गइल कि ओबामा रामचंद्र पधारो म्हारा देश।

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आरएसएस के सभी अभियान धर्म की रक्षा के लिए:मोहन भागवत

खंडवा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ चालक खंडवा की भूमि से निकल रहे हैं। प्रांत और विभाग संघ चालकों के साथ विभाग कार्यवाह खंडवा से ही हैं। खंडवा से संघ का काफी पुराना रिश्ता है। संघ के आधार स्तंभ डॉ. केशवराव बलीराम हेडगेवार ने ही खंडवा में आरएसएस की पहली शाखा की स्थापना की थी। देश में संघ द्वारा चलाए जा रहे सभी अभियान धर्म की रक्षा के लिए हैं।

यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने मंगलवार शाम खंडवा रेलवे जंक्शन पर संघ के पदाधिकारियों से चर्चा में कही। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार और माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने भी खंडवा आकर स्वयंसेवकों को जोड़ा था।

श्री भागवत भागलपुर एक्सप्रेस से मुंबई से जबलपुर जा रहे थे। रेलवे स्टेशन पर श्री भागवत से मिलने के लिए विभाग संघ चालक भरत झंवर, विभाग कार्यवाह महेंद्र शुक्ला, जिला संघ चालक दीपक जोशी, नगर संघ चालक अतुल शाह पहुंचे। विदित हो कि प्रांत संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री भी खंडवा से हैं। मंगलवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी खंडवा पहुंचे हैं।

अलर्ट रही पुलिस

मोहन भागवत के खंडवा से गुजरने की सूचना संघ पदाधिकारियों के अलावा स्थानीय पुलिस तक को नहीं थी। ट्रेन के खंडवा स्टेशन पर पहुंचने से पहले रेलवे पुलिस भी अलर्ट हो गई थी। पदाधिकारियों से चर्चा के दौरान उनके इर्द-गिर्द कड़ा पहरा रहा।-निप्र

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विद्यार्थी बनाएं बलवान हिंदू राष्ट्र

On Date : 14 January, 2015, 4:11 PM

जबलपुर में हजारों बच्चों के बीच दिया उद्बोधन

जबलपुर, ब्यूरो

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज में मधुरता स्थापित करने विद्यार्थियों को तपस्वी, विवेकशील, ऊर्जावान और सदविचारों को साकार करने वाला बनना होगा। भागवत यहां मकर संक्रांति पर महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल परिसर में आयोजित समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने देश की वर्तमान हालातों की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद सत्ता जिनके हाथों में आई उनमें त्याग और तपस्वी व्यक्तियों की कमी नहीं थी, फिर भी छह दशकों में देश की कई समस्याएं बिल्कुल भी नहीं सुलझी बल्कि कुछ समस्याओं का तो स्वरुप ही कुछ और हो गया । जबकि इसके विपरीत मुठ्ठी भर लोगों का छोटा सा देश इजराइल जिसकी अपनी मूल आबादी कुछ नहीं है, उसने काफी तरक्की की है। ऐसा तब हुआ है जब स्वतंत्रता के समय भी हमारे भारतीय खजाने में करोड़ों रुपया था और इग्लैंड पर हमारी तगड़ी रिकवरी बनती थी।

डॉ. भागवत ने संघ संस्थापक डॉ. हेडेगवार के जीवन प्रसंगों और पौराणिक प्रसंगों के आधार पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लक्ष्य हमें ही तय करना है। इसके लिए विद्यार्थियों को ऊर्जावान बनना होगा। कौन क्या कह रहा है इस पर विचार करने की अधिक आवश्यकता नहीं है बल्कि जरुरत आत्मबल में वृद्धि करने की है। उन्होने मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व विद्यार्थियों को समझाते हुए इसके आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, सामाजिक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। भागवत ने विद्यार्थियों से प्रेरक उद्बोधन में भारत को परम वैभव, बल संपन्न, हिंदू राष्टÑ बनाने का आव्हान किया। इस अवसर डॉ कैलाश गुप्ता, डॉ पवन स्थापक सहित संघ के महाकोशल प्रांत के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।


शाम को सागर में होगी बड़ी बैठक

जबलपुर से दोपहर तीन बजे निकलकर संघ प्रमुख मोहन भागवत शाम को छह बजे सागर पहुंचेंगे। यहां वे सीधे सागर सरोज मेरिज गार्डन पहुंचेंगे। भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन के इस गार्डन में उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है। वे यहां चार दिनों तक रहेंगे। संघ सूत्रों की माने तो शाम को सात बजे से यहां मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक रखी गई है। इस बैठक में दोनों राज्यों में संघ द्वारा चलाये जा रहे सेवा प्रकल्पों और संघ की शाखाओं के विस्तार की रणनीति तय की जायेगी। साथ ही धर्मान्तरण और घर वापसी जैसे मसलों पर भी फोकस रहेगा। बैठक के बाद अगले दिन सुबह आरएसएस प्रमुख संघ के चार दिनों तक चलने वाले अभ्यास वर्ग का विधिवत शुभारंभ करेंगे। इस वर्ग में दोनों प्रदेशों के चुनिंद पदाधिकारियों को बुलाया गया है। इसके अलावा संघ प्रमुख अनुषांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर धर्मान्तरण पर संघ के नजरिये को बतायेंगे। 18 जनवरी को वे सागर के खेल मैदान पर विशाल एकत्रीकरण समारोह में आमजनों को संबोधित करेंगे।

http://www.pradeshtoday.com/newsdetails.php?news=Create-a-powerful-Hindu-students&nid=106892

हिंदू संगठन की मजबूती सभी समस्याओं का हल

हिंदू संगठन की मजबूती सभी समस्याओं का हल

सोनभद्र : नगर स्थित हाईडिल मैदान में रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वयं सेवक संगम कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान स्वयं सेवकों ने पूरे नगर में पथ संचलन कर शांति मार्च निकाला। इसमें जनपद के स्वयं सेवक मौजूद रहे।

पथ संचलन के दौरान आरएसएस कार्यकर्ता कदम से कदम मिलाकर देश भक्ति गीत व भारत माता की जय के जयकारे लगा रहे थे। कार्यक्रम स्थल पर मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरिश ने कहा कि हिंदू संगठन ही सभी समस्याओं का हल है। जब-जब हिंदू संस्कृति कमजोर हुई है, तब-तब देश को समस्याओं से गुजरना पड़ा है। देश का मजहब के नाम पर बंटवारा इसका उदाहरण है। संगठन मंत्री ने घर वापसी के मद्दे का पक्ष लेते हुए कहा कि यह कोई नया कार्यक्रम नहीं है। सदियों पहले भी हमारे पूर्वजों ने पूरे विश्व को आर्य बनाने की बात कही थी जिसे आज भी किया जा रहा है।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि परमेश्वर, जिला प्रचार श्रवण कुमार, जिला कार्यवाह धनंजय पाठक, धर्मवीर तिवारी, नंदलाल शुक्ला, हर्ष अग्रवाल, कीर्तन, आलोक चतुर्वेदी आदि रहे।

नन्हे स्वयं सेवक रहे आकर्षण के केंद्र

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक संगम कार्यक्रम के दौरान निकाले गए पथ संचलन में नन्हे स्वयं सेवक आकर्षण का केंद्र रहे। बड़ों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे नन्हे स्वयं सेवकों का जोश देख लोग हतप्रभ रह गए। भारत माता की जय व राष्ट्रीय गीत गाते स्वयं सेवकों ने बरबस सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रखा था।

सुरक्षा के रहे व्यापक इंतजाम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पथ संचलन के दौरान व्यापक सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल के साथ पीएससी के जवान भी पथ संचलन के दौरान आगे-आगे चल रहे थे। इसके अलावा कार्यक्रम स्थल पर भी व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तत्काल निबटा जा सके।

हाईडिल मैदान पोस्टरों से पटा

सोनभद्र : लाख कवायद के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में संघ का प्रभुत्व किस कदर हावी है उसका नजारा रविवार को नगर के हाईडिल मैदान पर देखने को मिला। पूरा मैदान पार्टी के नेताओं की होर्डिग के साथ पटा हुआ था। कुछ लोग 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी के लिए संघ पदाधिकारियों को आकर्षित करना चाहते हैं। बहरहाल जो भी हो सेवक संगम कार्यक्रम को राजनीतिक रंग देने में भाजपा के पदाधिकारियों ने कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी।

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/sonbhadra-11968868.html


  1. गौरवपूर्ण इतिहासभूल रहा हिन्दू : सिंह

  2. Rajasthan Patrika-11-Jan-2015

  3. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके क्षेत्रीय कार्यवाह हनुुमानसिंह ने कहा कि हिंदू समाज में विकृतियां आ जाने से हिन्दू अपना गौरवपूर्ण इतिहासभूलता जा रहा है। हिन्दू को अपना गौरवपूर्ण इतिहासका स्मरण कराने के लिए हिन्दू सम्मेलन ...

  4. प्रभात खबर

  5. स्वामी विवेकानंद का रूप धर सड़क पर निकले बच्चे

  6. Nai Dunia-12-Jan-2015

  7. वहीं छात्राओं ने भगिनी निवेदिता की वेशभूषा में स्वामी के यशस्वी इतिहास, समाज के प्रति योगदान को सामने लाने का प्रयास किया। ... पर राष्ट्रीयसेवा योजना आसीबाई गोलछा शाकीय आदर्श कन्या उच्चंतर माध्यमिक शाला महासमुंद कीस्वयंसेवकछात्राओं ... कार्यक्रम की शुरुआत समस्त कालेज के स्टाफ एवं छात्र संघअध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्जवल किया गया।

  8. भारत रत्‍न–चर्चा में विवेक का अभाव

  9. hastakshep-13-Jan-2015

  10. उसमें गुजरात सरकार और उस समय के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के बचाव में वाजपेयी की भूमिका को तथ्‍यों की रोशनी में उजागर किया गया है। संसद में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघके 'दर्शन' की बतौर प्रधानमंत्री प्रशंसा करने वाले वाजपेयी को ...

  11. आरएसएस ने मनाया विजय दिवस समारोह

  12. दैनिक जागरण-26-Dec-2014

  13. श्रीकृष्ण मंदिर सेक्टर 14 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघकी ओर से आयोजित विजय दिवस समारोह में देश के स्वर्णिम इतिहासपर गर्व महसूस किया गया। इस दिन 1971 को पाकिस्तानी सेना के 93000 से अधिक सैनिकों और अधिकारियों ने भारतीय ...

  14. गौरवशाली रहा है देश का सैन्य इतिहास: अरुण

  15. दैनिक जागरण-15-Dec-2014

  16. जागरण संवाददाता, गुड़गांव : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार ने कहा है कि भारत के वीर सैनिकों की शौर्य गाथा काइतिहासअद्वितीय रहा है। अपने समर्पण भाव से भारत की सेना ने दुनिया की सेना के ...

  17. गुजरात में 100 ईसाई 'हिंदू बनाए गए'

  18. बीबीसी हिन्दी-21-Dec-2014

  19. वीएचपी और आरएसएस हिंदुत्व के जरिए, और उनके संगठन फिर से इतिहासलिखकर और आर्थिक नीतियों के माध्यम से." राष्ट्रीय ... भाजपा के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघप्रमुख मोहन भागवत ने भी धर्मांतरण रोकने के लिए क़ानून की हिमायत की.

  20. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघका 'अर्थात'

  21. Webdunia Hindi-08-Oct-2014

  22. इस विजयादशमी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके दो प्रचारक देश को संबोधित कर रहे थे। ... आधुनिक भारत की राजनीति और इतिहासमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) की भूमिका और योगदान महज सांस्कृतिक नहीं रही है। उनके बारे में अलग-अलग ...

  23. कमाल का था साल यार, इज्जत बढ़ी समंदर पार

  24. आईबीएन-7-26-Dec-2014

  25. 2014 में लोकतंत्र ने भारत में इतिहासका एक नया अध्याय लिखा, इसके नायक बन कर उभरे नरेंद्र मोदी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके प्रचारक से लेकर राष्ट्र के प्रधानमंत्री तक नरेंद्र मोदी का सियासी सफर तमाम कठिन मोड़ देख चुका है। लेकिन ...

  26. कसौटी पर करिश्मा

  27. Dainiktribune-27-Dec-2014

  28. इसके साथ ही देश के लोकतांत्रिक इतिहासमें तीन दशक के बाद पहली बार किसी राजनीितक दल ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत ... मनमोहन सिंह सुधार के कार्यक्रमों को गति नहीं दे पाये, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके मुखिया मोहन भागवत का ...

  29. सेक्युलर भारत को डराते संकेत

  30. Jansatta-01-Jan-2015Share

  31. फिर चाहे आए दिन संघ सुप्रीमो द्वारा दिए जा रहे यह बयान हों कि भारत किस तरह 'हिंदु राष्ट्र' ही है क्योंकि यहां रहने ... पर तैनात किए जा रहे संघ की छाया में पले-बढ़े विद्वान हों, जो मिथक और इतिहासको आपस में घालमेल करने में माहिर हैं, ... दी गई वरीयता को खारिज करने का भी प्रस्ताव है, जिसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघऔर उसके आनुषंगिक संगठन लंबे समय से ...

Search Results

  1. अटल की राह पर चल पाएंगे मोदी?

  2. बीबीसी हिन्दी-24-Dec-2014

  3. स्वतंत्र भारत के इतिहासका सबसे महान वक्ता अब अपने जीवन के संध्याकाल में है. और इस स्थिति में ... उदाहरण के लिए अटल जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके इस विचार का कभी समर्थन नहीं किया कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. मेरा मानना है कि ...

  4. भारत के दो और 'रत्न'

  5. प्रभात खबर-24-Dec-2014

  6. Explore in depth (376 more articles)

  7. चुनावी नतीजे और संघका एजेंडा

  8. Jansatta-25-Dec-2014

  9. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघने एक हिंदू शासक द्वारा शासित स्वतंत्र और संप्रभु जम्मू-कश्मीर की उस समय वकालत की थी जब ... इतना ही नहीं, 'आॅर्गनाइजर' के नवंबर-दिसंबर, 2014 के अंकों को देखें तो जान पाएंगे कि 'इतिहासके पन्नों से' नामक ...

  10. कमल का कमाल

  11. Dainiktribune-27-Dec-2014

  12. हरियाणा के 48 साल के इतिहासमें सत्ता तो कई बार बदली है, पर इस जाते साल के बदलाव की छाप इतिहासमें भी महसूस की .... इसका अर्थ यह नहीं है कि मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा में दांवपेच नहीं चले गये, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके ...

  13. Patrika

  14. वापसी पर विवाद

  15. Rajasthan Patrika-22-Dec-2014

  16. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघप्रमुख मोहन भागवत भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का ऎलान कर रहे हैं तो विहिप नेता प्रवीण तोगडिया देश की सौ फीसदी ... बेशक धर्मान्तरण का दु:खदायी इतिहासरहा हो लेकिन इसका कोई भविष्य तो नहीं होना चाहिए।

  17. "संस्कृति की रक्षा करना ही हमारा दायित्व"

  18. Patrika-20-Dec-2014

  19. इसके पूर्व परिषद के मालवा प्रांत के महामंत्री इंदरसिंह मौर्य ने विश्व हिंदू परिषद तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघके इतिहासका संक्षिप्त वर्णन करते हुए कहा कि इन संस्थाओं ने देश में हिंदू तथा हिंदुत्व की रक्षा के लिए सतत कार्य ...

  20. मोदी के लिए 'करो या मरो' वाला वर्ष होगा '2015'

  21. पंजाब केसरी-05-Jan-2015

  22. उनके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके सेनानीगणों पर निरंकुशता का आरोप लग रहा है जिसके कारण लोकतंत्र का .... इसके अलावा केन्द्रीय विद्यालयों में जर्मन के स्थान पर संस्कृत को तीसरी भाषा बनाना और भारतीय इतिहासको नए ...

  23. संस्कृति की राजनीति और 'घर वापसी'

  24. प्रभात खबर-24-Dec-2014

  25. धर्म-परिवर्तन को 'घर-वापसी' कहना नये अर्थो के निर्माण के जरिये इतिहासमें वापसी का ही अभियान है. इस अभियान ... कुछ संगठन साहित्य और राजनीति के भेद को बड़ी चतुराई से मिटाते हैं, जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस). ऐसे संगठन ...

  26. विकास का झंडा, हिंदुत्व का एजेंडा!

  27. Webdunia Hindi-26-Dec-2014

  28. ... उस पर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघऔर उसकी कोख से जन्मे अन्य संगठनों ने अपने वाचाल बयानों और बेतुकी हरकतों से पानी फेरना शुरू कर दिया है। ... हालांकि उसने 25 सीटें जीत कर इस सूबे में अपने इतिहासकी सबसे बड़ी कामयाबी दर्ज की है।

  29. हमारा देश सदैव दुनिया का मार्गदर्शक रहा

  30. Nai Dunia-27-Dec-2014Share

  31. शीतकालीन युवा संकल्प शिविर के दूसरे दिन राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघमालवा प्रांत प्रमुख पराग अभयंकर ने दीप प्रज्वलन कर शिविर का ... श्री अभयंकर ने कहा कि आज भी इतिहासमें हमें सिर्फ यही पढ़ाया जा रहा है कि भारत हमेशा गुलाम रहा।

  32. 'सैनिक परिवारों के काम प्राथमिकता से होंगे'

  33. दैनिक जागरण-22-Dec-2014

  34. वह सोमवार को आर्य पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघके तत्वावधान में आयोजित वीर सैनिक सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम अपने इतिहासको और शहीदों को याद नहीं करते हैं तो हमारी सभी चीजें व्यर्थ है।

  35. से राष्ट्रीयचरित्र का निर्माण ...

  36. Inext Live-24-Dec-2014

  37. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने 'एकात्म मानव दर्शन' की स्वर्ण जयंती के ... का आयोजन विश्व संवाद केंद्र गोरखपुर और गोरखपुर यूनिवर्सिटी के प्राचीन इतिहासविभाग की ओर से किया गया था. पं.

  38. संघव सरकार के एजेंडे के अंतर्विरोध

  39. Dainiktribune-02-Jan-2015

  40. बिना शक संघ परिवार में यह धारणा व्याप्त है कि उसका अच्छा वक्त तब से शुरू हो गया है जब से देश के इतिहासमें पहली बार भाजपा ... यह देखना अभी बाकी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघद्वारा अपना एक हाथ पीठ के पीछे बांध देने के बावजूद किस ...

  41. PHOTOS : सूरत का मॉक ड्रिल "गुजरात मॉडल" का ...

  42. khaskhabar.comहिन्दी-01-Jan-2015

  43. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता भ़डकाने का राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघका पुरानाइतिहासहै, जिसके शिकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी हुए थे। शुएब ने कहा कि सूरत में गुजरात पुलिस ने नमाजी टोपी पहनाकर मुस्लिम समुदाय की जो ...

  44. सूरत का मॉक ड्रिल गुजरात मॉडल का घिनौना रूप ...

  45. News Track-02-Jan-2015

  46. Explore in depth (64 more articles)

  47. Sahara Samay

  48. देश के मुसलमान और ईसाई के वंशज थे हिंदू : तोगड़िया

  49. नवभारत टाइम्स-17-Dec-2014

  50. इतिहासबताता है कि मुगल सम्राटों की ओर से दी गई यातनाओं और उनकी तलवारों के बल पर कुछ लोग अपना धर्म परिवर्तन कर ... के अलीगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघसे जुड़ी धर्म जागरण समिति द्वारा क्रिसमस के दिन प्रस्तावित सामूहिक ...

  51. घाटी में भाजपा के सामने 370 व अफस्पा की खाई

  52. Jansatta-27-Dec-2014

  53. तारिगामी ने कहा-हमारी आशंकाएं वास्तविक हैं क्योंकि संघ का इतिहासहै। आज की भाजपा, भाजपा नहीं है, यह पुरानी भाजपा से अलग और शुद्ध व स्पष्ट रूप सेराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघहै। मेरी यहां राजनीतिक नेतृत्व से अपील है कि पीडीपी, ...

  54. संवाद : प्रतिवादी तर्क का औचित्य

  55. Jansatta-21-Dec-2014

  56. ... मुद्दों को भुला कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघऔर विश्व हिंदू परिषद के एजेंडे में उलझ कर रोज अपनी भद पिटवा रही है। ... राष्ट्रभक्त बताने, ताजमहल को हिंदू राजा का महल सिद्ध करने और भारतीय इतिहासअनुसंधान परिषद के अध्यक्ष द्वारा ...

  57. एनडीटीवी खबर

  58. झारखंड में स्थिर सरकार के लिए मिला ऐतिहासिक उपहार

  59. Business Standard Hindi-23-Dec-2014Share

  60. मुमकिन है कि झारखंड में पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री का इतिहासभी बने। ... आंकड़े दर्शाते हैं कि भाजपा झामुमो के संथाल परगना गढ़ में सेंध लगाने में नाकाम रही है हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध वनवासी ...

  61. कबीर पंथियों की ऐतिहासिक शोभायात्रा, लाखों की ...

  62. देशबन्धु-03-Jan-2015

  63. राजधानी के इतिहासमें इतनी तादाद में लगभग ढाई से तीन किलोमीटर लम्बी रैली इतने संतों एवं महिलाओं के कलश ... जयस्तंभ चौक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके कार्यकर्ताओं ने रैली में पधारे संत-महंतों एवं पंथश्री प्रकाशमुनि साहेब ...

  64. कूटनीति की नई परिभाषा गढ़ते जर्र्मन राजदूत स्टाइनर

  65. Business Standard Hindi-18-Dec-2014

  66. स्टाइनर ने संस्कृत शिक्षक संघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके विचारक दीनानाथ बत्रा से भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद ... उन्होंने छात्रों को जर्मनी, तकनीकी के क्षेत्र में उसके इतिहासके बारे में बताया।और उन्होंने यह भी बताया ...

  67. वाजपेयी की 'कश्मीर नीति' को उलटा घुमा रहे हैं मोदी

  68. पंजाब केसरी-22-Dec-2014

  69. भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर. ... उन्होंने आगे कहा : ''जब 1947 में जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना, तो इस्लाम के 1400 वर्षों के इतिहासमें यह पहला मौका था, जब कोई मुस्लिम भूखंड किसी सैकुलर, लोकतांत्रिक देश का अंग बना था।''

  70. मोदी के गांव में उम्मीदों को मिल रही है ठांव

  71. Business Standard Hindi-18-Dec-2014

  72. वाराणसी के एक पत्रकार ने जो राष्ट्रीय समाचार चैनल के लिए भी काम करते हैं, नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'जयापुर परंपरागत तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघका गढ़ रही है और आरएसएस के एक प्रांत प्रचारक का ताल्लुक इस गांव से है। आरएसएस ...

  73. अलविदा 2014: राजनीतिक जगत की बड़ी खबरें

  74. Shri News-30-Dec-2014

  75. जनसंघ की स्थापना से लेकर बीजेपी के अब तक के इतिहासमें यह साल सुनहरा साबित हुआ. .... बीजेपी का पैतृक संगठन माने जाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघऔर उसके अनुगामी हिंदू संगठनों ने एक के बाद एक कई धार्मिक मुद्दों को हवा दी.

  76. विशेष आलेख : कई बदलावों का गवाह बना हिंदुस्‍तान

  77. आर्यावर्त-30-Dec-2014

  78. जनसंघ सहित भाजपा के अब तक के इतिहासमें यह बीता साल 2014 उसके लिए स्वर्णिम वर्ष साबित हुआ जिसमें उसने न केवल पहली बार लोकसभा में अपने दम पर पूर्ण बहुमत पाया बल्कि एक .... बीता साल राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघके उभार वाला भी रहा ।

  79. कुछ न कुछ पका है दिल्ली में! लेकिन बंगाल दखल करने ...

  80. hastakshep-20-Dec-2014

  81. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में विश्व हिंदू परिषद के स्वर्ण ... तमाम सुधार कानून पास करने का दावा करने लगे हैं, उससे सीबीआई जांच का पुरानाइतिहासदुहराया जाता नजर आ रहा है, ...

  82. हिंदुत्वावरून 'शब्दगप्पां'मध्ये दोन तट

  83. Loksatta-10-Jan-2015

  84. बोरिवली येथे सुरू असलेल्या 'शब्दगप्पां'मध्ये 'राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघाचा अजेंडा देशाचा इतिहासआणि संस्कृती ... 'घरवापसी'चा शोध पत्रकारांना आत्ता लागला असला तरी संघपरिवारातर्फे गेली अनेक वर्षे हा उपक्रम सुरू असल्याचे ...

  85. संघके पत्र में छपे लेख से मचा बवाल

  86. देशबन्धु-25-Oct-2014

  87. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघने अपने मलयालम भाषा के मुखपत्र 'केसरीÓ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बजाय देश के प्रथम ... कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, क्या हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां संघ इतिहासफिर से लिखेगा।

  88. आरएसएस के मुखपत्र में नेहरू पर प्रकाशित लेख पर ...

  89. Zee News हिन्दी-25-Oct-2014

  90. Explore in depth (40 more articles)

  91. अमर उजाला

  92. हिंदू राष्ट्रआख़िर चीज़ क्या है?

  93. बीबीसी हिन्दी-30-Aug-2014

  94. ये वो जुमला है जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघके विचारों से सहमति न रखने वाले लोगों को परेशान करता है. ... का शब्दकोष में अर्थ है, "किसी देश या क्षेत्र में रह रहा एक बड़ा जनसमुदाय, जिनके पूर्वज, भाषा, संस्कृति या इतिहाससाझा हों." ...

  95. आईसीएचआर के लिए आरएसएस ने सूची भेजी

  96. Live हिन्दुस्तान-29-Nov-2014Share

  97. भाजपा सरकार द्वारा भारतीय इतिहासअनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के अध्यक्ष पद पर वाई सुदर्शन राव की नियुक्ति के बाद अब इसकी 27 सदस्यीय परिषद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे जुड़े संगठनों की नजर है। परिषद सदस्यों का तीन ...

व्यवसाय

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आज तक - ‎1 घंटा पहले‎
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल के कीमतों में गिरावट हो सकती है. पेट्रोल 2 रुपये तक सस्ता हो सकता है. सरकार ने नहीं, इन वजहों ने घटाए तेल के दाम. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतें गिरकर 45 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंची हैं, जिससे भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें गिरने के आसार पैदा हो गए हैं. हालांकि तेल कंपनियां अभी इसमें आनाकानी कर रही हैं क्योंकि उन्होंने ज्यादा दाम देकर कच्चा तेल खरीदा था. अगर वे अभी तुरंत दाम गिराते हैं तो उस ...
मनी कॉंट्रोल - ‎1 घंटा पहले‎
सीमित दायरे में कारोबार के बाद बाजार आज गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स और निफ्टी ने 0.25 फीसदी तक गिरावट दर्ज की है। निफ्टी आज भी 8300 के नीचे बंद हुआ है। मेटल शेयरों ने आज बाजार को सबसे ज्यादा झटका दिया। बीएसई का मेटल इंडेक्स 3.5 फीसदी लुढ़ककर बंद हुआ है। इसके अलावा फार्मा, रियल्टी और एफएमसीजी शेयर भी दबाव में नजर आए। हालांकि आईटी, टेक्नोलॉजी, ऑटो और पावर शेयरों से बाजार को सहारा मिला। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में आज बिकवाली हावी रही। बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 79 अंक यानि 0.3 फीसदी की गिरावट के साथ 27347 के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं एनएसई ...
एनडीटीवी खबर - ‎2 घंटे पहले‎
नई दिल्ली: थोक मुद्रास्फीति पिछले छह महीने के गिरावट के रुझान को तोड़ते हुए दिसंबर,2014 में नाम मात्र को बढ़कर 0.11 प्रतिशत पर पहुंच गई। ऐसा मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों की कीमत बढ़ने के कारण हुआ। थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर,14 में शून्य पर थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 5.2 प्रतिशत रही, जो पांच महीने का उच्चतम स्तर है। दालों और फल-सब्जी की मुद्रास्फीति दिसंबर में इससे पिछले महीने के मुकाबले ऊंची रही। इसके विपरीत समीक्षाधीन माह में गेहूं, दूध और अंडा, मांस एवं मछली जैसे प्रोटीनयुक्त उत्पादों में ...
प्रभात खबर - ‎5 घंटे पहले‎
नयी दिल्ली : निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज तथा इंडिगो भी किराये में कमी की दौड में शामिल हो गयी है. नों कंपनियों ने यात्रियों को भारी छूट की पेशकश की है. इससे पहले, एयर इंडिया ने इसी प्रकार की छूट की पेशकश की थी. कंपनियां ऐसे समय किराये में कमी की होड में शामिल हुई हैं जब सरकार न्यूनतम और अधिकतम किराये की सीमा तय करने पर विचार कर रही है. इसका मकसद यात्रियों से अधिक किराया वसूलने तथा एयरलाइन कंपनियों की बाजार खराब करने वाले कीमत को रोकना है. सस्ती दर पर विमानन सेवा देने वाली इंडिगो ने 90 दिन पूर्व खरीद योजना शुरू की है. इसमें दिल्ली-लखनउ क्षेत्र के लिये शुरुआती ...
Live हिन्दुस्तान - ‎4 घंटे पहले‎
कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में आज झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों आर एस रुंगटा और आर सी रुंगटा को एक विशेष अदालत द्वारा जमानत दे दी गई। दोनों निदेशक उनके खिलाफ जारी समन के तहत अदालत के समक्ष पेश हुए थे। विशेष तौर पर कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले को देख रहे सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने दोनों ही आरोपियों को एक-एक लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक मुचलके के आधार पर जमानत दे दी। न्यायाधीश ने कहा, दोनों आरोपियों को जमानत दिया जाना न्याय के हित में होगा। इसी दौरान, सीबीआई ने अदालत को बताया कि इस मामले में आरोपियों के रूप में ...
आज तक - ‎1 घंटा पहले‎
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली बीजेपी के नेताओं और बिजली कंपनियों के बीच साठगांठ का आरोप लगाया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और पार्टी नेता आशीष सूद की बिजली कंपनियों से साठगांठ है. आम आदमी पार्टी ने इससे जुड़े दस्तावेज भी पेश किए हैं और उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध कराया है. AAP ने इस लिंक पर ये दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं. https://app.box.com/s/avwcrnd2j8jnxfyryuvw/1/2947366259. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में बिजली के मीटर लगाने और बदलने वाली 6 कंपनियों के मालिक सतीश उपाध्याय हैं. ये सभी कंपनियां ...
एनडीटीवी खबर - ‎6 घंटे पहले‎
मुंबई: एशियाई बाजार में मिले-जुले रुख के बीच कोषों एवं फुटकर निवेशकों की ओर से चुनिंदा शेयरों की खरीद बढ़ाये जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज के शुरुआती कारोबार में 35 अंक मजबूत हो गया। बंबई शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक बीएसई-30 में कल 159.54 अंक की गिरावट दर्ज की गई थी, जो आज के शुरुआती कारोबार में 35.03 अंक अथवा 0.12 फीसदी सुधरकर 27,460.76 अंक पर पहुंच गया। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 भी 15.15 अंक अथवा 0.18 फीसद मजबूत होकर 8,314.55 अंक पर पहुंच गया। बाजार विश्लेषकों ने बताया कि एशियाई बाजार में मिले-जुले रुख के बीच कोषों एवं फुटकर निवेशकों की ओर से ...
नवभारत टाइम्स - ‎2 घंटे पहले‎
जेट एयरवेज के प्रमुख प्रमोटर और चेयरमैन नरेश गोयल ने इस करियर में अपनी 51 फीसदी की पूरी शेयरहोल्डिंग को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पंजाब नैशनल बैंक के पास गिरवी रखने का निर्णय किया है। इन शेयरों की कीमत 2600 करोड़ रुपये हैं। एयरलाइन द्वारा फाइल की गई एक रेग्युलेटरी में कहा गया है कि गोयल ने एयरलाइन में अपने सभी 57933665 शेयरों यानि कि 51 फीसदी हिस्सेदारी को एक नॉन डिस्पोजल अंडरटेकिंग के साथ पीएनबी के पास गिरवी रखने का निर्णय किया है, जोकि 8 जनवरी से प्रभावी हुआ है। गोयल द्वारा शेयरों को गिरवी रखे जाने के निर्णय की वजह की जानकारी नहीं दी गई है। संयुक्त अरब अमीरात की ...
Business Standard Hindi - ‎3 घंटे पहले‎
विदेशी कंपनियों ने देश में केबल टीवी नेटवर्क के जरिए ब्रॉडबैंड के लिए प्रौद्योगिकी प्रदान करने में रूचि दिखाई है। यह बात बुधवार को दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कही। प्रसाद ने कहा, 'अलीगढ़, वृंदावन एवं मथुरा में परिचालन करने वाली एक केबल टीवी कंपनी है जो अपने विदेशी भागीदार के साथ केबल टीवी नेटवर्क के जरिए ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करती है। कई विदेशी कंपनियां इससे जुडऩे की इच्छुक हैं।'मंत्री ने राजग सरकार द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को उल्लेखनीय पहल बताया है और कहा है कि ब्रॉडबैंड की इसमें प्रमुख भूमिका होगी। प्रसाद ने कहा, 'मैं यह स्वीकार करता हूं कि ...
Bhasha-PTI - ‎2 घंटे पहले‎
ललित के झा वाशिंगटन, 14 जनवरी :भाषा: विश्वबैंक का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी रफ्तार पकड़ने के लिए संघर्ष कर रही है और इस साल इसकी वृद्धि तीन प्रतिशत तक रहेगी। संगठन के अनुसार विश्व की कई विकासशील अर्थव्यवस्थाएं पहले मुकाबले कम गतिशील हैं। विश्वबैंक ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2014 में 2.6 प्रतिशत रही और 2016 में इसके 3.3 प्रतिशत और 2017 में 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अपनी टिप्पणी पोस्ट करे । नाम. ईमेल आईडी. विषय. चेक, अगर आप इस साइट पर अपना नाम प्रदर्शित नहीं करना चाहते। चेक, अगर आप इस तरह की और खबरे देखना चाहते हैं। पीटीआई-भाषा किसी भी तरह की ...
प्रभात खबर - ‎16 मिनट पहले‎
बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता अर्जुन कपूर और सोनाक्षी सिन्‍हा की फिल्‍म 'तेवर' इसी हफ्ते रिलीज हुई है. फिल्‍म ने अपने पहले वी‍केंड पर लगभग 21 करोड़ की कमाई की. वहीं सोमवार को कमाई का ग्राफ और नीचे गिर गया और फिल्‍म ने चार दिनों में मात्र 24 से 25 करोड़ की साधारण सी कमाई की. फिल्‍म में मनोज वाजपेयी भी मुख्‍य भूमिका में हैं. वहीं सोनाक्षी सिन्‍हा की साख पहले ही कमजोर हो गई थी. उनकी फिल्‍म 'एक्‍शन-जैक्‍सन' फलॉप हो गई थी. फिल्‍म में अजय देवगन उनके आपोजिट थे. इसके बाद सुपरस्‍टार रजनीकांत के साथ सोनाक्षी फिल्‍म 'लिंगा' में नजर आई, उसे भी दर्शकों ने कुछ खास रिस्‍पांस नहीं दिया.
आज तक - ‎4 घंटे पहले‎
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को एक बार फिर तिहाड़ जेल में गेस्ट हाउस मुहैया कराया गया है. जमानत की राशि (10,000 करोड़ रुपये) जुटाने के लिए सहारा ग्रुप विदेशों की प्रॉपर्टी की डील करने की तैयारी कर रहा है. मेल टुडे की खबर के मुताबिक फ्लोरिडा कंपनी की इनवेस्टमेंट स्कीम के जरिए सुब्रत रॉय की जमानत की राशि का इंतजाम जल्द हो सकता है. तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत रॉय को एक बार फिर जेल परिसर में इंटरनेट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा वाला एस कॉन्फ्रेंस हॉल मुहैया कराया गया है जिससे वो अपनी जमानत के लिए धन जुटाने के लिए बातचीत को आगे बढ़ा सकें. रॉय को ये सुविधा सुप्रीम कोर्ट के ...
Live हिन्दुस्तान - ‎1 घंटा पहले‎
पिछले साल मई में भारत में सत्ता में आई नयी सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों को लेकर उत्साहित विश्व बैंक का कहना है कि भारत 2016-17 में चीन की विकास दर के समान विकास दर हासिल कर लेगा। विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक बसु ने संवाददाताओं को बताया, हमारे आकलन के अनुसार, भारत वर्ष 2016 और 2017 में चीन के विकास के समकक्ष पहुंच जाएगा। बसु बैंक द्वारा ग्लोबल आउटलुक: डिसअपॉइन्टमेंटस, डाइवर्जेंसेज एंड एक्सपेक्टेशन्स ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्टस रिपोर्ट का हालिया अंक जारी किए जाने के बाद कल एक बैठक के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने ...
Inext Live - ‎2 घंटे पहले‎
इंडिया में ई-कामर्स बिजनेस के तौर पर सबसे बड़ी कंपनी के रूप में सामने आयी फ्लिपकार्ट इस साल एक नया प्‍लॉन लेकर तैयार है. कंपनी ने साल 2015 में 10,000 विक्रेताओं को लखपति बनाने का लक्ष्‍य रखा है. फ्लिपकार्ट के जरिये 10,000 विक्रेता इस साल बनेंगे लखपति. मिलेगा 10-10 लाख रुपये का कारोबार खबरों की मानें तो ई-कामर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने मंगलवार को एक बयान जारी किया. इस बयान के मुताबिक, फ्लिपकार्ट इस साल अपने पोर्टल के जरिये 10,000 विक्रेताओं को 10-10 लाख रुपये का कारोबार हासिल करने में मदद का टारगेट रखा है. वहीं कंपनी ने यह भी कहा कि, साल 2014 में फ्लिपकार्ट ने 2,000 से अधिक ...
Rajasthan Patrika - ‎6 घंटे पहले‎
कोलकाता। तिब्बती आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय के लिए भारत एक सुरक्षित जगह है। सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान में रहने वाले शिया मुस्लिमों के लिए भारत एक उम्मीद की किरण हो सकता है। कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान दलाई लामा ने कहा कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है लेकिन शिया वहां पर सुरक्षित नहीं हैं। लेकि न भारत में मुसलमान सुरक्षित हैं। शिया समुदाय को भारत आना चाहिए और वे यहां सुरक्षित रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमान शिया-सुन्नी के बीच भाईचारे का संदेश दे सकते हैं क्योंकि भारत में शिया सुरक्षित हैं। प्रेसिडेंसी ...
एनडीटीवी खबर - ‎4 घंटे पहले‎
मुंबई: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने आपराधिक घटनाओं पर आधारित टेलीविजन शो'क्राइम पेट्रोल' से हाथ मिलाया है, और शो ने कैलाश सत्यार्थी के संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' से दो अहम मामले लिए हैं। 'क्राइम पेट्रोल' की ये कड़ियां गणतंत्र दिवस की खास कड़ियों के रूप में 23, 24 और 25 जनवरी को प्रसारित की जाएंगी। दरअसल, 'क्राइम पेट्रोल' सत्यार्थी की कहानियों के माध्यम से अपने दर्शकों को सामाजिक चुनौतियों से रूबरू कराना चाहता है। आपको बता दें कि बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाकर कैलाश सत्यार्थी ने हज़ारों बच्चों की ज़िन्दगियां बचाई ...
प्रभात खबर - ‎13 घंटे पहले‎
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि कच्चे तेल के गिरते दाम की मदद से सरकार चालू खाते के घाटे को संतोषजनक स्तर के दायरे में लाने में कामयाब रही है और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान शुरू हो चुका है. जेटली ने कहा कि सरकार राजकोषीय अनुशासन, ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढाने और विनिर्माण क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिये प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने आज यहां अर्थशास्त्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट और सरकार के स्थिति पर सीधे गौर करने से चालू खाते का घाटा भी संतोषजनक स्तर के दायरे में है.
News18 Hindi - ‎3 घंटे पहले‎
#जयपुर #राजस्थान शिक्षा व्‍यवस्‍था को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली राज्‍य सरकारों का झूठ सामने आ गया है। उत्‍तर भारत के ज्‍यादातर राज्‍यों की पढ़ाई का स्‍तर काफी घटिया है। राजस्थान में स्कूली शिक्षा का हाल यह है कि 8वीं के 80 फीसदी बच्चे कक्षा दो का पाठ भी नहीं पढ़ सकते हैं। मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 65 फीसदी से अधिक है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी यह आंकड़ा दुखद ही है। देश के कक्षा आठवीं के 25 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ सकते हैं। ग्रामीण भारत की स्कूली शिक्षा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था प्रथम की असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) नाम से जारी 10वीं ...
नवभारत टाइम्स - ‎8 घंटे पहले‎
विस, नई दिल्ली : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विपक्ष के अलावा कई राज्य सरकारें तो तीखा विरोध कर ही रही हैं, वहीं अब आरएसएस की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच ने भी इसका विरोध किया है। मंच का मानना है कि ये किसानों के हित में नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वह इसके प्रावधानों में बदलाव करें। स्वदेशी जागरण मंच का विरोध इस बात पर है कि ऑर्डिनेंस में सामाजिक प्रभाव के आकलन और खाद्य सुरक्षा संबंधी प्रावधानों को हटा दिया गया है। यूपीए सरकार के दौरान जो भूमि अधिग्रहण कानून लाया गया था, उसमें ये प्रावधान थे। मंच के मुताबिक सामाजिक प्रभाव का ...
पंजाब केसरी - ‎1 घंटा पहले‎
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ने टाटा संस को दूरसंचार सेवा देने वाली जापानी कंपनी एन.टी.टी. डोकोमो के भारतीय संयुक्त उपक्रम टाटा टैलीसर्विसेज लिमिटेड में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दे दी है। आर.बी.आई. ने वित्त मंत्रालय को 22 दिसंबर को भेजे मेमो में कहा है कि टाटा टैलीसर्विसेज में डोकोमो की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की टाटा संस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। टाटा संयुक्त उपक्रम की हिस्सेदारी डोकोमो के कुल निवेश के आधी कीमत पर खरीद सकेगी और इसके अधिग्रहण के लिए उसे 1.1 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसमें निवेश के लिए ...

शंकरबिगहा में क्या किसी ने किसी को नहीं मारा था?

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शंकरबिगहा में क्या किसी ने किसी को नहीं मारा था?

Posted by Reyaz-ul-haque on 1/14/2015 07:09:00 PM



वरिष्ठ पत्रकार रजनीश उपाध्याय सोलह साल पहले के उस दिन को याद कर रहे हैं, जब जहानाबाद (बिहार) के शंकर बिगहा गांव में सामंती रणवीर सेना ने 23 लोगों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में दलित और अत्यंत पिछड़ी जाति के लोग थे, जिनमें अनेक महिलाएं और बच्चे शामिल थे. 13 जनवरी 2015 को जिला अदालत ने इस मामले के सभी आरोपितों को बरी कर दिया है. अदालत का यह फैसला बिहार और देश की अनेक अदालतों में दलितों के जनसंहारों के मामले में आने वाले फैसलों की ही एक और कड़ी है – जिसमें एक लंबी चली हुई थका देने वाली न्यायिक प्रक्रिया आखिरकार सभी आरोपितों को बरी छोड़ने में पूरी होती है. तर्क भी हमेशा की तरह वही - सबूत नहीं थे. लेकिन अगर अपराध हुआ है तो जांच कर के सबूत लाने की जिम्मेदारी और सजा को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी किसकी है? यह रिपोर्ट आज के प्रभात खबर में प्रकाशित हुई है.

वह 26 जनवरी की सर्द भरी सुबह थी. झंडे-पताकों से सजे स्कूलों व सरकारी भवनों में झंडोत्तोलन की तैयारी थी. लाउडस्पीकर पर देशभक्ति गीत गूंज रहे थे - ऐ मेरे वतन के लोगो...

इधर, 50वें गणतंत्र दिवस की चहल-पहल से अलहदा शंकर बिगहा की गलियों में 'गम'था, तो उससे कहीं अधिक 'गुस्सा'था. ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी (साल 1999) की रात रणवीर सेना ने दलितों और अति पिछड़ों की बहुलतावाले इस गांव के 23 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था. इस घटना की खबर देर रात पटना पहुंची थी और दूसरे दिन अहले सुबह (26 जनवरी को) पत्रकारों की अलग-अलग टोलियां इस घटना के कवरेज के लिए शंकर बिगहा के रास्ते थीं. तब सूचना और संचार के माध्यम आज की तरह अत्याधुनिक नहीं थे. टीवी चैनल भी कम थे.प्रभात खबर की ओर से कवरेज के लिए मुझे भेजा गया था. 

पटना से औरंगाबाद जानेवाली सड़क पर वलिदाद के नजदीक एक छोटी नहर के उस पार शंकर बिगहा जाने के लिए हमलोगों को कुछ दूर पैदल भी चलना पड़ा. यह गांव रणवीर सेना की सामंती क्रूरता की दुखद कहानी कह रहा था. एक झोंपड़ी में चार शव पड़े थे और उनके बीच एक नन्हीं बच्ची (करीब चार साल की) अल्युमिनियम की थकुचायी थाली में भात खा रही थी. शायद मौत के पहले रात में मां ने अपने बच्चों के लिए थाली में भात परोसा था. परिवार में कोई नहीं बचा था. यह दृश्य देख हम और हमारे साथी पत्रकार अंदर से कांप गए. डबडबायी आंखों से सब एक-दूसरे की ओर देख रहे थे, लेकिन मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था. वह बच्ची कभी कैमरे की ओर देखती, तो कभी अपनी थाली की ओर. 

इस घटना में जो 23 लोग मारे गये थे, उनमें पांच महिलाएं और सात बच्चे थे. यह वहशीपन की पराकाष्ठा थी कि 10 माह के एक बच्चे और तीन साल के उसके भाई को भी नहीं बख्शा गया. 

हम सब आगे बढ़े, तो एक जगह चार-पांच शव खटिया पर रखे हुए थे-  लाल झंडे से लिपटे हुए. भाकपा माले के नेता रामजतन शर्मा, रामेश्वर प्रसाद, संतोष, महानंद समेत कई अन्य सुबह में ही पहुंच चुके थे. मुख्यमंत्री (तत्कालीन) राबड़ी देवी और लालू प्रसाद गांव में पहुंचे, तो शवों की दूसरी तरफ खड़े लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए- रणवीर सेना मुरदाबाद. मुआवजा नहीं, हथियार दो. लालू प्रसाद ने समझाने की गरज से कुछ कहा, तो शोर और बढ़ने लगा. तब तक राबड़ी देवी ने एक महिला को बुलाया और उससे कुछ पूछना चाहा. गुस्से से तमतमायी उस महिला के शब्द अब तक मैं नहीं भूल पाया हूं. उसने कहा - हमको आपका पैसा नहीं चाहिए. हमलोगों को हथियार दीजिए, निबट लेंगे. तब तक हल्ला हुआ कि पुलिस ने बबन सिंह नामक व्यक्ति को पकड़ा है. गांव के लोग उसे सुपुर्द करने की मांग करने लगे. बोले, हम खुद सजा दे देंगे. डीएस-एसपी ने बड़ी मुश्किल से लोगों को शांत किया. मौके पर लालू प्रसाद व राबड़ी देवी ने विशेष कोर्ट का गठन कर छह माह में अपराधियों को सजा दिलाने का एलान किया था. 

गांव के एक व्यक्ति रामनाथ ने हमें बताया था कि यदि बगल के धेवई और रूपसागर बिगहा के लोगों ने गोहार (हल्ला) नहीं किया होता, तो मरनेवालों की संख्या और भी ज्यादा होती. शंकर बिगहा के पूरब में धोबी बिगहा गांव है, जहां के 21 लोग इस जनसंहार में अभियुक्त बनाये गये थे. पूरे गांव में एक को छोड़ बाकी सभी मकान कच्चे या फूस के थे, जो यह बता रहा था कि मारे गये सभी गरीब और भूमिहीन थे. आततायी ललन साव का दरवाजा नहीं तोड़ पाये, क्योंकि एकमात्र उनका ही मकान ईंट का था, जिसके दरवाजे मजबूत थे. उन्होंने पत्रकारों को बताया था - मैंने तीन बार सीटी की आवाज सुनी और फिर रणवीर बाबा की जय नारा लगाते सुना. 

घटना के बाद ऐसी चर्चा रही किशंकर बिगहा में नक्सलवादी संगठन पार्टी यूनिटी का कामकाज था, इसीलिए रणवीर सेना ने इसे निशाना बनाया. एक चर्चा यह भी थी कि यह नवल सिंह, जो मेन बरसिम्हा हत्याकांड का अभियुक्त था, की हत्या का बदला था. वह दौर मध्य बिहार के इतिहास का एक दुखद व काला अध्याय था, जिसमें राज्य ने शंकर बिगहा के पहले और बाद में भी कई जनसंहारों का दर्द झेला. दिसंबर, 1997 को लक्ष्मणपुर बाथे और नौ फरवरी, 1999 को नारायणपुर जनसंहार हुआ. इसके पहले 1996 में भोजपुर के बथानी टोला में 23 लोग मारे गये थे. सभी कांडों को अंजाम देने का आरोप रणवीर सेना पर लगा था. लेकिन, बाथे और बथानी टोला के अभियुक्तों को हाइकोर्ट ने बरी कर दिया, जबकि शंकर बिगहा कांड के आरोपित निचली अदालत से ही बरी कर दिये गये. अदालत ने माना कि आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य नहीं थे. अदालत का फैसला तो आ गया, लेकिन यह सवाल अनुत्तरित रहा कि फिर शंकर बिगहा में 25 जनवरी, 1999 की रात जिन 23 लोगों के हत्यारे कौन थे? क्या वे कभी पकड़ में आ पायेंगे? आखिर यह जवाबदेही कौन लेगा? ठीक यही सवाल बाथे और बथानी टोला जनसंहार के पीड़ित पहले पूछ चुके हैं, जिनका जवाब अब तक उन्हें नहीं मिला है.


(साथ में दी गई तस्वीरें क्रमश: शंकर बिगहा और लक्ष्मणपुर बाथे जनसंहारों की हैं.)

press note- open challenge to-baba swami shivkripanand and whole sadha jbs samaj-parivar,all trustees ye shivratri ke aapke place me aakar with proof,media,police rakshan me aapko mere ye chalish question puchhunga.media live batayegi guarat me. open debate hogi aapko sab saval ke javab dena padega... agar aap sache nikle aur mai har gaya to me jbs ka sadhak ban jaunga...nahito aapko aapki maya ashram trust sab bandh karke kahi nokri dhandhe pe lag jana padega...koi police ya court kanuni kam nahi hoga...ye vadhha raha... taiyar ho to email me- lagerahonatubhai@gmail.com jo log open debate dekhna chaye to sab ko ashram me aane dena padega... natubhai lageraho social activist. m-07802050596. mere prashna niche mujab hai.

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natubhailageraho 

open challenge to-baba swami shivkripanand and whole sadha jbs
samaj-parivar,all trustees
ye shivratri ke aapke place me aakar with proof,media,police rakshan
me aapko mere ye chalish question puchhunga.media live batayegi guarat
me.
open debate hogi aapko sab saval ke javab dena padega...
agar aap sache nikle aur mai har gaya to me jbs ka sadhak ban
jaunga...nahito aapko aapki maya ashram trust sab bandh karke kahi
nokri dhandhe pe lag jana padega...koi police ya court kanuni kam nahi
hoga...ye vadhha raha...
taiyar ho to email me- lagerahonatubhai@gmail.com
jo log open debate dekhna chaye to sab ko ashram me aane dena padega...
natubhai lageraho social activist. m-07802050596.
mere prashna niche mujab hai.
myself lagerahonatubhai,social activist,lok andolan gujarat,surat
m-07802050596,09408104759,09879290601,08460407074 email-
lagerahonatubhai@gmail.com,lokandolansurat@gmail.com,with full
responsibility and proof posting matters on
facebook,twitter,blogs,linked,etc and is social activist running
different reform movement of world through various reform movement
also work for anti corruption,female feticide- gender
balancing,democracy & human right protection etc.
my effort is to disclose wrong numbers of religious dharm
gurus,ashrams and other andh shradhha...which has wasted our youth
minds.
depressed mind,lonely people,defeated persons goes in such following
and in gujarat from other state hindi bhasi babas,bavas,sadhus,trust
has used our youth for their private mission and looting people.many
such trust has exploited many womens and misused talents and time of
yuva,youth,students,womens etc
we promised to gujarati citizens we will be watchmen against such
activities and will never let any criminals to loot gujarat by
andhshradhha.share forward and support in our mission.
Kya baba swami shivkripanand (samarpan meditation wale).... "PK" film ka
wrong number to nahi? Koi mere prashno ka jabav dene aage nahi aate
hai...aur likhte rahte hai jbs apne facebook account aage.
In service to nation an open question list to baba swami shivkrupanand
and team.. Baba swami,any family members,any sadhak,any trusty can
answer my question and make it public on
facebook,twitter,blog,website,by books,press note etc.
01. Baba swami shivkripanand ka childhood story..., is he MBA
marketing. Where he studied, what is his real name...? Was he a
marketing manager in Calcutta Company...which company? When and where?
baba swami ka 2001 pahleka history me likha hai , so called MBS degree
proof, native place reality, job details as marketing manager in
Calcutta ,original name, fathers and mothers name, where he studied,
old student, college life photo and details....kahi bhi nahi mil raha
hai... koi to batao Calcutta ki marketing company ka name, address..
from 1970 to 1980 no MBS course was run in any part of INDIA. how one
marketing manager MBA becomes Baba swami...no history available...
02. Himalaya me kaha meditation kis guru se sikha nahi mil raha hai....
03. 2001 pahleka ka history detail with proof denewale ko inam gift
prize milega meri aur se. email me-lagerahonatubhai@gmail.com ,
04. babaswami commercial pvt ltd...kya unki company thi?,
05. samarpan meditation is mixedup theory copied from different books
and marketed wisely...
06. now baba swami has cores of asset within a 13 years...how it
become possible...we all want to know?,
07. Dr Hetal acharya was paid doctor of baba swami research center,
she also been used for marketing?,
08. Shivkripanand Swami was born into a Brahmin family in India, and
is said to have displayed curiosity as a child about the existence and
nature of consciousness and God. Questioning the followers of the
numerous religions, which he saw around him, He sought to know and
find this knowledge. This search continued throughout his early life
and at that time he says that three visions regularly came to him in
meditation: one was of the Pashupatinath temple in Nepal, the second
was of a tall fair-haired ascetic and the third was of a little temple
set on a small hill. He led a normal life, completed a master's degree
in business studies and began to work as a marketing manager for a
large company in Calcutta. Then one day his work took him to the north
of India where an unexpected bank strike interrupted his business
activities. Consequently, he decided to fulfill his old desire to
visit Kathmandu. The following day after his arrival, he went to the
Pashupatinath Temple. As he arrived he says he was met by an elderly
man who approached him, addressed him by name, and said that he had
been sent to meet him by his guru and had been waiting for him for the
past three days. Shivkripanand Swami is a pioneer of Samarpan
Meditation technique. Claiming to have merged with the divine
consciousness, he is said to descend to society from the Himalayan
Mountains with his wish to make others experience and connect with the
universal consciousness. Kya kya sach hai ...
09. why baba swami says to surrender women sadhak about surrender her
body to baba swami as guru karya...if your "Samarpan" is complete,
then whatever is being done by the body/mind is as a "Madhyam" and
since the "Samarpan" is towards Guru, the body's actions are performed
as per Guru's wish and is therefore "Guru Karya". Mahila sadhako ka
sharirik shoshan tab se suru hota hai...
10. fir pol Na khule ...marriage beauro chalake setting hota
hai...baba swami kyu marriage beauro chalana Sikh Gaye meditation
karte karte... baba swami sadhako marriage karvane me form jo bharate
hai voh padho.
www.samarpanmeditation.org/SM3/News/SVivah_Form_Gujarati.pdf
11. Baba swami ke naam ka Navsari police ka warrants me kyu hajir nahi
hote hai baba swami. Kyu chhupte rahte hai...
12. baba swami ka passport kyu japt nahi huva...dushre desh me family
ke sath set ho rahe hai kya?
13. sarkari aur private jamin ka mufat me kabja kyu kar rahe hai trust
ke log?, dandi ashram pura khali kar ke baba swami ke gotale kab bahar
niklenge...
14. collector ne corruption kiya hai kya...
15. police kyu case register nahi karti...
16. dandi gaon ke log sab jante hai fir bhi chup kyu?
17. police ne complain register karne se pahle kyu case dafnane ki koshish ki...
18. police, cbi, cid...baba swami me kya kya inquiry kar rahi hai...
19. Baba swami samarpan Kendra me chal rahe scandal...ke bare me aap
hamhe Bata sakte hai aapka naam bhi declare nahi hoga...
20. sab kahte hai ki ashram aur narayan sai se jyada women
exploitation sadhak kar rahe hai.
21. What happen to case against you made by Navsari collector for land
grabbing matters of Dandi ashram.
22. baba raat kaha rahte hai...address kyu nahi milta sadhako ko...
23. baba bar bar foreign tour kyu Kate hai...kya police,cbi,cid sab
check karegi...
24. black money ka mamla khulne ki ashanka hai.
25. Samarpan dhan sibiro me mahila ka sharirik shoshan hone ke
samachar such hai kya?
26. baba swami marriage beauro me padhi likhi women ko sadhako ke sath
marriage karvane ke liye emotional black mailing kyu ho raha
hai...baba swami ke family member ki pvt ltd companies kitni
hai...baba swami ke family mi ke trust wale regular audit kyu nahi
karvate,trust ke naam mili jamin personal naam pe kyu? baba swami ke
family members baba swami ke naam pe dhandha set kare hai kya...
27. baba swami ke family members ke account me sidha donation kyu
deposit hota hai...trust ke account me kyu nahi...
28. baba swami ko marketing ke liye marathon dad me hissa lene ka kam
kyu karna padta hai.
29. baba swami ko marketing ke liye marthon daud me hissa lene ka kam
kyu karna padta hai.
30. women exploitation then they arrange marriage of such women who
has been exploted by sadhaks...
31. if you not replied satisfactorily with court or reference of clean
cheat letters sadhak will loose trust from baba swami. baba swami ke
sadhako ko vinanti hai ki hamhe bataye ki..... people want to know
more about land grabbing scandal done by baba swami and trust.
32. if any high court matter running plz write case number so we can
check in real that baba swami is not fraud, cheater or like other baba
who grab government or private land.
33. why ashram demolished news in newspaper and youtube.reply other
wise sadhak tension me hai.
34. And many other question like...why babaswami need money when he has
kundalini Shakti awaken means jagrut...hui hai to..
35. Why more and more projects,scheme they need...if they are master in
meditation then why divert peoples attension from meditation. And do
other works.
36. Without any ashram kyu baba swami sirf alag alag jagah par sibir
karke meditation sikha nahi shakte.
37. Baba swami mala ki bikri karke shadhako ko pahnene par majbur
karte hai,ye vyaktipuja ka prachar nahi hai kya.mala ki jarurat nahi
ke bhashan dene ke bavjud mala ke bikri kyu karte hai trust ke log.
38. Baba swami ke CD,DVD,books kyu sabse costly hai.
39. Baba swami ko varasdar niyukt karne ki jarurat kyu pad rahi hai..
40. Baba swami sab ashram apna nam karne ke liye karte hai aur unko
jbs sadhak parivar kyu badhana hai.
www.samarpanmeditation.org
www.samarpanmeditation.org

Invitation: Two day Consultation on Ordinance Raj, Corporate Loot and People's Movements Struggle for Land Rights- 23 Jan @(N.D Tiwari Bhawan) ; 24 Jan @(Constitution Club of India)

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AN INVITATION

Ordinance Raj, Corporate Loot and People's Movements

Struggle for Land Rights

 

Dear Friends,

Namaskar !

 

British India enacted Land Acquisition Act, 1894 and other Forest laws to legalise their loot of the natural resources and address the political challenge posed by agrarian communities both tribal & farmer cultivators. These laws were aimed at arresting the ongoing protest and revolts of the Indian people and mainly the farmer. LAA 1894 became a tool to acquire land for installing mining, industries, railway line, Roads,irrigation & power houses. The 1894 Act consolidated the concept of Eminent Domain of the colonial state, which continued even after independence and the key question of who actually own the land remained unresolved. This resulted in many agrarian struggles in Independent India till the 70's and large scale displacement and impoverishment due to massive acquisition of land in the name of public good, development and national interest. Globalization and neo-liberal reforms since 90s have only strengthened these struggles against loot of ntural resources and ensuing displacement.

 

After years of struggles by the people's movements in the country, the colonial Land Acquisition Act, 1894 was repealed and a new law titled,Right to Fair Compensation, Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act 2013 was enacted. Although, this new act did not resolve the key issue of eminent domain it did create some enabling provisions which would protect the rights of people against forcible acquisitions, minimise displacement, provide compensation and relief to livelihood loosers and not only to land owners. The inclusion of the provision of Social Impact Assessment was to address the interests of many other categories of the people beyond the land owning communities. There are many problems with the Act, and there is a scope for improvement of the Act to ensure protection of the land rights of the people and ensuring people's participation in the development planning process and making it FRA and PESA compliant.

 

However, without ever making an attempt at implementing the law, without conducting any Social Impact Assessment, under a purposeful propaganda spread by the corporations and corporate media NDA government shamelessly promulgated the Land Ordinance along with Coal, Mining and other Ordinances by surpassing the Parliamentary process . This under the garb of legalities and putting the onus on Opposition for not letting the Parliament function. The Indian State has been engaged in covering the real conflict of ownership of land and has put it as a crisis in land acquisition for development. 

 

Just before the General Elections and Assembly Elections in many of the states NDA and UPA both claimed their efforts behind the enactment of 2013 Act. But once in power NDA took this anti farmer and workers move taking away even little window within the 2013 Act address the question of people's participation in development process, protecting farm land, seeking consent of the project affected and addressing the pain of the displacement and impoverishment due to loss of land and livelihood.

 

The Ordinance in a stroke does away with the key provisions of the 2013 Act and takes away the right of a farmer to take away his / her land, it does away with the provisions to assuage the loss of livelihood and provisions which would have provided justice to millions whose land had been wrongly acquired in access or forcibly by the Colonial Land Acquisition Act, 1894. However, the Ordinance will not put an end to forcible land acquisitions and conflicts around that but increase the loot of precious natural resources and makes it even more draconian the 1894 Act. It will neither end the miseries of displacement and nor compensate the communities affected and hence our struggle for democratic development and against this corporate loot need to intensify.

 

Land acquisition and along with that the conflict is going to increase given the large number of thermal power plants, dams, nuclear power plants, special investment regions, industrial corridors, manufacturing zones, highways, ports, airports, real estate projects and other infrastructure projects planned by the governments threatening the livelihood of millions and this Ordinance is to facilitate that.

 

Along with the Land Ordinance, NDA government has brought in many other Ordinances and it seems that they are hell bent on bending all the democratic and parliamentary norms. NDA government in Centre and BJP government in many States are implementing the corporate agenda with much greater ferocity than any regimes till now. These ordinances will come up for passage during the Budget Session and a political response is needed to this from the people's movements.

 

It is in this context that we invite you to a two day consultation to discuss and debate the provisions of these ordinances, its implications for the Parliamentary Democracy and response of the People's Movements in coming times.

 

The meeting will be held on January 23-24th 2015 from 9:30 to 6:00 PM, at New Delhi.

 

January 23 :            Strategy Meeting and Discussion on Ordinances

  Venue:  N D Tiwari Bhavan 5th floor 

                                       (Deen Dayal Upadhya Marg), New Delhi

                                                                                               --------


January 24 :            Public Meeting and Dialogue with Political parties     


                                                                                   Venue:   Constitution Club of India ; Rafi Marg, Behind

                                                                                                   Reserve Bank of India, New Delhi

--------

 

We do hope you will be able to join us for this important meeting and together develop a common strategy to fight the corporate design for land and resource grab and develop a counter narrative to the dominant development and growth propaganda.

 

We look forward to be with you and do let us know, if you need more information.

 

Warm Regards,


National Alliance of People's Movements, All India Union of Forest Working People, Jan Sangharsh Samanvay Samiti, Chattisgarh Bachao Andolan, India Social Action Forum, Delhi Solidarity Group, Right to the City Campaign and many others 


for details contact : 9958797409, 9818905316, 9911528696

 

PS : if you would like to join this endeavour then do send your endorsements to napmindia@gmail.comdelhiforum@delhiforum.net    



-- 

In solidarity, 
Sanjeev Kumar

Coordinator
Delhi Forum
Address: F- 10/12, (Basement), Malviya Nagar,
New Delhi INDIA - 110017
Phones: 011-26680883 / 26680914 / +91-9958797409 (Mobile)



-- 
Ms. Roma ( Adv)
Dy. Gen Sec, All India Union of Forest Working People(AIUFWP) /
Secretary, New Trade Union Initiative (NTUI)
Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj, 
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com

Ensure Representation & space for Dalits in the mainstream media:Ten Point suggestion for Upcoming Budget session 2015 On Dalits Media !

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New Delhi

 

Hon'ble Shri Arun  Jaitley ,

Union Minister of Finance,

Ministry of Finance,

Government of India,

 

 

Subject: Deliberations with different stakeholders regarding Budget 2015-16

Ten Point suggestion for Upcoming Budget session 2015 On Dalits Media :

Ensure Representation & space for Dalits in the mainstream media

 

 

Respected Sir,

 

We understand that you are going to have fruitful deliberations with different Stakeholders before finalizing the Budget 2015-16 so that the bona fide & genuine issues  / claims of different Stakeholders are given due consideration.

 

The debate & discussion on the role of mainstream media is highly under criticism and it is general feeling that mainstream media has been drastically shifted from its role from social obligation to commercial market profit making industry. This situation has alienated major section of the society from the developmental process. 

 

Participation, representation and proper space in the mainstream media for vulnerable sections of the society is very much important for the democracy based on value of equality. 17 million people of the country known as Dalits are suffering inhuman practice of untouchability due to the Hindu caste mind set. Now the time has come that we need to debate, discuss on such discriminative attitude and mind set where mainstream media may play a vital role.

 

Therefore we appeal you to please consider some important suggestion from our side for your consideration  for Budget 2015:

 

1.    Affirmative policy for media industries to ensure Dalits representation and space of Dalit issues in the mainstream media.

 

2.    10,000 Media fellowships per year for Dalits.

 

3.    An independent channel and news paper (Similar like Loksabha/ Rajyasabha  TV channel) on national level to address / focus the issues and concerns of Dalits particular untouchability practice.

 

4.    Minimum 25% government advertisement / sponsorship to the Dalit Media.

 

5.    Special subsidy and low interest long term loan from nationalize Bank for setting up a newspaper/ magazine of news channel.

 

6.    Special provision from Special Component Plan - SCP for Dalit entrepreneur to   setting up media institute, newspaper/ magazine, news channel and to make documentary films on Dalit issues.

 

7.    "100 Excellency Award On Dalit Stories / Reporting" for media houses and journalists/ reporters.

 

8.    Sensitization & orientation course on Dalit issues to be introduce and it shell be essential for every journalists and reporters of the mainstream media.

 

9.    Every channel/ newspaper/ magazine must reserve 20% space on social issue.

 

10. A media center in each state capital to facilitate mainstream media on Dalit issues and to the journalist/ reporters from Dalit background.

 

On Behalf of

DALITS MEDIA WATCH

Peoples Media Advocacy & Resources Center-PMARC

07703047590


.Arun Khote
On behalf of
Dalits Media Watch Team
(An initiative of "Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC")

Pl visit on FACEBOOK : https://www.facebook.com/DalitsMediaWatch 

जनकवि भोला जी स्मृति दिवस

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आमंत्रण
जनकवि भोला जी स्मृति दिवस
15 जनवरी 2015, समय- 2 बजे दिन, स्थान- नवादा थाना के पास, आरा, बिहार

अभी हाल में अनिल जनविजय ने भोला जी की तस्वीर फेसबुक पर लगाई तो बहुतों को उनके चेहरे में नागार्जुन नजर आये. अभी जब पीके फिल्म की लोगों ने बड़ी तारीफ की तो मुझे अपने पीके यानी पान वाले कवि यानी भोला जी याद आये. लेकिन वे कोई एलियन नहीं थे, बल्कि इसी दुनिया के मनुष्य थे, और अपने पान की दूकान पर बैठकर न केवल निर्भीकता के साथ धर्म के नाम पर पाखंड करने वालों की खबर लेते थे, बल्कि अपनी ही स्वार्थपरता में डूबे शिक्षित वर्ग, नौकरशाह, राजनेता, मीडिया, फिल्म सबकी गडबडियों की भी तीखी आलोचना करते थे। कंधे में लाल झोला और उसमें एक हथौड़ा हमेशा उनके पास रहता था। 2013 में डाइबिटीज से उनका निधन हुआ था।
भोला जी आरा शहर और नवादा मुहल्ले की पहचान थे। अपनी पान की दूकान पर बैठकर वे जीवन भर गरीब-मेहनतकश जनता के दुख-दर्द और गुस्से को अपनी कविताओं के जरिए अभिव्यक्त करते रहे। कविता के एवज में उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा। बेबाक व्यवहार और सीधे सच कहने की उनकी अदा के कारण जहां कई लोग उनसे भड़कते थे, वहीं उसकी वजह से ही उन्हें बहुत सारे लोग चाहते भी थे। भोला कवि ने पढ़े-लिखे लोगों के स्वार्थ और समझौतापरस्ती के कारण उनकी समझदारी पर सवाल खड़े किए। साहित्य के इतिहास में उन्हें जगह मिले न मिले, लेकिन अपने जानने वालों के दिल में उनकी जगह हमेशा रहेगी। कहीं का र्इंट कहीं का रोड़ा जोड़कर धाराप्रवाह प्रवचन के जरिए जनता को ठगने और ऐयाशी का जीवन जीने वाले बाबाओं, धर्मगुरुओं और भक्तिगीत के नाम पर फ़िल्मी गीत-संगीत की भद्दी पैरोडी गाने वाले गायकों या कविता को फूहड़ हास्य-मनोरंजन बना देने वाले कवियों के विपरीत भोला जी ने कविता को आम आदमी के संघर्ष की आवाज बनाने की कोशिश की। आज जबकि कला-संस्कृति-साहित्य सारे माध्यमों से पूंजीवादी-आत्मकेंद्रित संस्कृति का प्रचार चल रहा है, जब खुदा और ईश्वर के झगड़े लगातार बढ़ाए जा रहे हैं, तब आइए मेहनतकश जनता की संस्कृति के पक्ष में मजबूती से खड़े हों। भविष्य में बहुत सारे भोला हमारी आवाज बन सकें, इसका माहौल बनाएं। भोला जी आशुकवि थे। उनकी याद में हर साल किसी न किसी जरूरी सवाल या मुद्दे पर आशु कविता पाठ के आयोजन के बारे में भी हमलोग सोच रहे हैं. 
निवेदक- जन संस्कृति मंच, आरा/ भाकपा-माले, नवादा (आरा) ब्रांच कमेटी

आमंत्रण  जनकवि भोला जी स्मृति दिवस  15 जनवरी 2015, समय- 2 बजे दिन, स्थान- नवादा थाना के पास, आरा, बिहार      अभी हाल में अनिल जनविजय ने भोला जी की तस्वीर फेसबुक पर लगाई तो बहुतों को उनके चेहरे में नागार्जुन नजर आये. अभी जब पीके फिल्म की लोगों ने बड़ी तारीफ की तो मुझे अपने  पीके यानी पान वाले कवि यानी भोला जी याद आये. लेकिन वे कोई एलियन नहीं थे, बल्कि इसी दुनिया के मनुष्य थे, और अपने पान की दूकान पर बैठकर न केवल निर्भीकता के साथ धर्म के नाम पर पाखंड करने वालों की खबर लेते थे, बल्कि अपनी ही स्वार्थपरता में डूबे शिक्षित वर्ग, नौकरशाह, राजनेता, मीडिया, फिल्म सबकी गडबडियों की भी तीखी आलोचना करते थे। कंधे में लाल झोला और उसमें एक हथौड़ा हमेशा उनके पास रहता था। 2013 में डाइबिटीज से उनका निधन हुआ था।  भोला जी आरा शहर और नवादा मुहल्ले की पहचान थे। अपनी पान की दूकान पर बैठकर वे जीवन भर गरीब-मेहनतकश जनता के दुख-दर्द और गुस्से को अपनी कविताओं के जरिए अभिव्यक्त करते रहे। कविता के एवज में उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा। बेबाक व्यवहार और सीधे सच कहने की उनकी अदा के कारण जहां कई लोग उनसे भड़कते थे, वहीं उसकी वजह से ही उन्हें बहुत सारे लोग चाहते भी थे। भोला कवि ने पढ़े-लिखे लोगों के स्वार्थ और समझौतापरस्ती के कारण उनकी समझदारी पर सवाल खड़े किए। साहित्य के इतिहास में उन्हें जगह मिले न मिले, लेकिन अपने जानने वालों के दिल में उनकी जगह हमेशा रहेगी। कहीं का र्इंट कहीं का रोड़ा जोड़कर धाराप्रवाह प्रवचन के जरिए जनता को ठगने और ऐयाशी का जीवन जीने वाले बाबाओं, धर्मगुरुओं और भक्तिगीत के नाम पर फ़िल्मी गीत-संगीत की भद्दी पैरोडी गाने वाले गायकों या कविता को फूहड़ हास्य-मनोरंजन बना देने वाले कवियों के विपरीत भोला जी ने कविता को आम आदमी के संघर्ष की आवाज बनाने की कोशिश की। आज जबकि कला-संस्कृति-साहित्य सारे माध्यमों से पूंजीवादी-आत्मकेंद्रित संस्कृति का प्रचार चल रहा है, जब खुदा और ईश्वर के झगड़े लगातार बढ़ाए जा रहे हैं, तब आइए मेहनतकश जनता की संस्कृति के पक्ष में मजबूती से खड़े हों। भविष्य में बहुत सारे भोला हमारी आवाज बन सकें, इसका माहौल बनाएं। भोला जी आशुकवि थे। उनकी याद में हर साल किसी न किसी जरूरी सवाल या मुद्दे पर आशु कविता पाठ के आयोजन के बारे में भी हमलोग सोच रहे हैं.     निवेदक- जन संस्कृति मंच, आरा/ भाकपा-माले, नवादा (आरा) ब्रांच कमेटी
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संविधान की पांचवी अनुसूचि के अनुसार देश के सभी आदिवासियों को संवैधानिक मान्यता की मांग

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संविधान की पांचवी अनुसूचि के अनुसार देश के सभी आदिवासियों को संवैधानिक मान्यता की मांग
(संविधान के अनुसार आदिवासी मान्यता, आदिवासी इतिहास, भाषा, संस्कृति को पूर्ण सरकारी मान्यता)
एवं आदिवासी समाज को 
शिक्षा, संवैधानिक अधिकार एवं संस्कृति के लिए जागरुकता एवं एकजुट करने के लिए 
जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस)
द्वारा 'बस एक उम्मीद के लिए'सेमिनार
22 फरवरी 2014, 
कार्यक्रम स्थल : इस्पात क्लब, सेक्टर - 5, भिलाई, जिला- दुर्ग (छत्तीसगढ़)
अपने अधिकार मांगिए, देशभर से आदिवासी रैली में शामिल होकर अपने अधिकार के लिए संघर्ष कीजिए
संपर्क - आशीष कुमार नेताम : 9074744002, अशोक सिदार : 9691563191
@अधिकार मांगोगे तो अधिकार मिलेगा@
निवेदक : दलित आदिवासी दुनिया
देश का प्रथम एवं एकमात्र राष्ट्रीय आदिवासी अखबार
https://www.facebook.com/DalitAdivasiDunia

संविधान की पांचवी अनुसूचि के अनुसार देश के सभी आदिवासियों को संवैधानिक मान्यता की मांग  (संविधान के अनुसार आदिवासी मान्यता, आदिवासी इतिहास, भाषा, संस्कृति को पूर्ण सरकारी मान्यता)  एवं आदिवासी समाज को   शिक्षा, संवैधानिक अधिकार एवं संस्कृति के लिए जागरुकता एवं एकजुट करने के लिए   जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस)  द्वारा 'बस एक उम्मीद के लिए'सेमिनार  22 फरवरी 2014,   कार्यक्रम स्थल : इस्पात क्लब, सेक्टर - 5, भिलाई, जिला- दुर्ग (छत्तीसगढ़)  अपने अधिकार मांगिए, देशभर से आदिवासी रैली में शामिल होकर अपने अधिकार के लिए संघर्ष कीजिए  संपर्क - आशीष कुमार नेताम : 9074744002, अशोक सिदार : 9691563191  @अधिकार मांगोगे तो अधिकार मिलेगा@  निवेदक : दलित आदिवासी दुनिया  देश का प्रथम एवं एकमात्र राष्ट्रीय आदिवासी अखबार  https://www.facebook.com/DalitAdivasiDunia

दिल्‍ली में उठी छत्‍तीसगढ़ की बीस ग्राम सभाओं की आवाज़

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दिल्‍ली में उठी छत्‍तीसगढ़ की बीस ग्राम सभाओं की आवाज़


20 ग्राम सभाओं ने किये प्रस्ताव, सरकार से आग्रह किया कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें और कोयला खदान की नीलामी अथवा आवंटन न करें




छत्तीसगढ़ के सरगुजा, कोरबा तथा रायगढ़ में स्थित घने जंगल एवं जैव-विविधता से परिपूर्ण हसदेव अरण्य तथा धरमजयगढ़ क्षेत्रों की 20 ग्राम सभाओं ने सर्व सम्मत्ति से प्रस्ताव पारित कर कहा है कि: 
  • वह अपने क्षेत्र में किसी भी खनन कार्य का विरोध करते हैं और उत्खनन की अनुमति नहीं देंगे I अतः सरकार से निवेदन करते हैं कि उनके क्षेत्र में कोई भी खदान न तो आवंटित हो और ना ही उसकी नीलामी की जाये I
  • यह क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है जिसका यहाँ के आदिवासी तथा वनवासी समुदाय सदियों से संरक्षण करते आ रहे है I यहाँ के आदिवासियों का जंगल के साथ सह-जीवी जैसा रिश्ता है और वे लोग अपनी आजीविका, पहचान तथा संस्कृति के लिए जंगल पर ही आश्रित हैं I इसलिए उन्होंने संकल्प लिया है की वे अपने जंगलों को कोई नुक्सान नहीं होने देंगे I
  • उनके आस-पास के क्षेत्रों में खनन के अनुभव विनाशकारी सिद्ध हुए हैं जहां कई लोगों को विस्थापित होना पड़ा, आजीविका पर भारी संकट आया, जंगल नष्ट हो गए तथा वहां की जल, वायु और ज़मीन प्रदूषित हो गई I
  • उनके क्षेत्र में वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया काफी कमज़ोर है और वनाधिकारों का निरंतर उल्लंघन  हो रहा है I वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया पूर्ण किये बिना किसी भी खनन परियोजना से आदिवासियों तथा वनवासियों के अधिकारों का हनन होगा I

ग्राम घाटबर्रा, ज़िला सरगुजा के जयनंदन सिंह पोर्ते ने कहा "हम निरंतर अपने जंगलों एवं घरों को बचाने के प्रयास करते आ रहे हैं परंतु सरकार तथा कॉर्पोरेट हमसे हमारे जंगल तथा घर छीन कर हमें बर्बाद करने पर आमादा हैं I बिना पूर्व स्वीकृति लिए खदानों का आवंटन अथवा नीलामी की यह नई प्रक्रिया, हम पर अपनी ज़मीन देने के लिए दबाव डालने की एक और कोशिश है, जिसका हम विरोध करते हैं I"
रायगढ़ जिले में स्थित सरसमल गाँव के कन्हाई पटेल ने बताया "उनके क्षेत्र में खदानों में सभी प्रक्रियाओं और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. स्वीकृति प्रक्रिया में गंभीर अन्नियामित्तायें थीI खदानें घर के 10 मीटर से कम की दूरी तक आ चुकी हैं I घरों को क्षति पहुंची है और वायु तथा जल-स्त्रोत गंभीर रूप से प्रदूषित हुए हैं I हमें इन गंभीर संकटों के साथ अपना जीवन – यापन करने पर मजबूर हैं I"
मंत्रियों, सरकारी अधिकारीयों तथा सांसदों से संवाद
पिछले एक हफ्ते में छत्तीसगढ़ के ग्रामवासियों का एक प्रतिनिधिमंडल, विशेष रूप से हसदेव अरण्य तथा धरमजयगढ़ क्षेत्रों से, दिल्ली आया है और उन्होंने माननीय प्रधान मंत्री, पर्यावरण एवं वन मंत्री, कोयला मंत्री तथ आदिवासी कार्य मंत्री से मिलने की अनुमति मांगी I यह प्रतिनिधिमंडल हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति तथा छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन की ओर से है I
यह प्रतिनिधिमंडल श्री प्रकाश जावड़ेकर, माननीय पर्यावरण एवं वन मंत्री तथा श्री जुएल उरांव, माननीय आदिवासी कार्य मंत्री से मिला और अपनी समस्याओं को उनके समक्ष रखा I उन्होंने माननीय मंत्रियों का ध्याम 20 ग्राम सभाओं द्वारा पारित अपने गाँव तथा आजीविका की संरक्षण के लिए कोयला खनन के विरुद्ध प्रस्तावों पर भी आकर्षित किया I यह प्रतिनिधि मंडल अन्य राजनैतिक दलों के वरिष्ट नेताओं से भी मिला I
प्रतिनिधिमंडल ने निम्न बिन्दुओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकार से विशेष आग्रह किया –
  • उनकी ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्तावों का सम्मान हो तथा उनके क्षेत्र में कोयला खदानों की नीलामी तथा आवंटन न किया जाये I
  • मौजूदा परिचालित खदानों में विभिन्न अनियमित्ताओ (जिसमें स्वीकृति सम्बन्धी अनियमित्ता शामिल हैं) को ध्यान में लिया जाए तथा उल्लंघन करने वाले दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए I जब तक इन अनियमित्ताओ को दूर न किया जाये कोयला खदान का नया आवंटन / नीलामी न की जाये  I
  • जैव-विविधता से परिपूर्ण घने जंगल के इलाके, जोकि देश के कोयला क्षेत्र के 10 प्रतिशत से भी कम हैं, का विनाश न किया जाये I
  • किसी भी खदान के आवंटन से पूर्व ही पर्यावरणीय स्वीकृति, वन डायवर्सन स्वीकृति तथा ग्राम सभा स्वीकृति ली जाये, अन्यथा यह महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं निरर्थक सिद्ध होंगी I
हरिहरपुर गाँव, सरगुजा के मंगल साय ने कहा "अगर ग्राम सभाओं के इस निर्णय की अनदेखी कर सरकार ने इन कोयला ब्लाकों  का आवंटन या नीलामी किया तो हम इसका दृढ़ता से विरोध करेंगे और अपने अधिकारों एवं हितों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करते रहेंगे I"
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुकला के अनुसार "हम सरकार की लोकतांत्रिक परामर्शी प्रक्रियाओं की अवहेलना कर महत्वपूर्ण कानूनों में संशोधन करने की इस प्रक्रिया का पूरी तरह से विरोध करते हैं जिनमें कोयला अध्यादेश, भू-अधिग्रहण अध्यादेश, माइनिंग अध्यादेश, इत्यादि शामिल हैं I इन सभी अध्यादेशों द्वारा सरकार ने कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए राष्ट्रिय एवं जन-हितों तथा पर्यावरणीय चिंताओं को ताक पर रख दिया है I
इन क्षेत्र के बारे में मुख्य जानकारी
  • छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य तथा धरमजयगढ़ के ~२००० वर्ग. की.मी. में फैला जंगल क्षेत्र घने जंगल तथा जैव-विविधता से परिपूर्ण है जिसे 2010 में माइनिंग के लिए "नो-गो"घोषित किया गया था I पर्यावरण मंत्रालय तथा कोयला मंत्रालय की संयुक्त अध्ययन के अनुसार ऐसे नो-गो क्षेत्र देश के सम्पूर्ण कोयला क्षेत्र के 8.11 प्रतिशत से भी कम हैं I
  • ये संविधान की पांचवी अनुसूची के क्षेत्र हैं जहां पेसा कानून 1996 तथा वनाधिकार कानून 2006 के प्रावधान लागू हैं I अतः यहाँ खनन से पूर्व ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य है I
  • संविधान के अनुसार पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभाओं का विशेष महत्त्व है कि वे ना केवल महत्वपूर्ण नीति नियोजन तथा निर्णयों में भागिदार रहे बल्कि उनपर आदिवासी आजीविका, संस्कृति तथा परंपरा को संरक्षित करने का भी दायित्व है I
  • इस क्षेत्र को कोयला अध्यादेश 2014 के अंतर्गत घोषित बहुत सारे कोयला ब्लाकों के आवंटन / नीलामी से खतरा है जिसके गंभीर पर्यावरणीय तथा सामाजिक दुष्प्रभाव होंगे I

संपर्क: आलोक शुकला(09977634040) / प्रियांशु गुप्ता(09999611046)छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन, सी 52 –सेक्टर -1, शंकर नगर रायपुर, छत्तीसगढ़ cbaraipur@gmail.com 

JK Rowling's terrific response to Murdoch's tweet, blaming all Muslims for Charlie Hebdo deaths

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JK Rowling's terrific response to Murdoch's tweet, blaming all Muslims for Charlie Hebdo deaths
http://medhajnews.com/article.php?id=NTUyMQ==
~ On Saturday, the media baron tweeted that "most moslems" should be held responsible for the religion's "growing jihadist cancer".
~ Harry Potter author JK Rowling successfully put Murdoch in his place with a tweet that has been retweeted over 20,000 times.
~ J.K. Rowling - I was born Christian. If that makes Rupert Murdoch my responsibility, I'll auto-excommunicate. http://ow.ly/H7Eps 
~ 23,562 RETWEETS 22,426 FAVORITES

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JK Rowling's terrific response to Murdoch's tweet, blaming all Muslims for Charlie Hebdo deaths  http://medhajnews.com/article.php?id=NTUyMQ==  ~ On Saturday, the media baron tweeted that

झूट बोलता है उत्तराखण्ड का अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू !

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झूट बोलता है उत्तराखण्ड का अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू !

समाचार पत्र में छपे अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू का बयान है कि :-

"अभी मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है । अगर इतने लंबे समय तक बजट का उपयोग नहीं हुआ है तो यह गंभीर मामला है । मामले की जानकारी की जाएगी और किसी तरह की गड़बड़ी है तो जांच की जाएगी ।"

एस० राजू द्वारा यह जनता और खबरनवीसों को बेवकूफ समझते हुए जानबूझकर बोला गया सफ़ेद झूठ है, एस० राजू को इस मामले की पुरी-पुरी जानकारी है, क्योंकि उनके द्वारा ही इस मामले में स्वास्थ विभाग द्वारा वापस की गयी 80.00 लाख रूपये की धनराशी को विभागीय खाते में जमा करने के आदेश जारी किये गए थे !

यह मामला इतना छोटा भी नही है, कि जितना समझाया जा रहा है, राज्य के समाज कल्याण विभाग में हो रहे सिलसिलेवार घोटालों की तो यह बानगी भर है, यहाँ तो करोड़ो-अरबो के घोटाले, सही जांच होने का इन्तजार में कतारबद्ध है !

लेकिन करें कौन, विभागीय मंत्री सुरेन्द्र राकेश चिकित्सा शैया पर लाचार पड़े है और मुख्यमंत्री हरीश रावत शीत निद्रा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं !

ऐसे में कौन करेगा कार्यवाही सिवाय कोर्ट के ?

झूट बोलता है उत्तराखण्ड का अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू !    समाचार पत्र में छपे अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू का बयान है कि :-    "अभी मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है । अगर इतने लंबे समय तक बजट का उपयोग नहीं हुआ है तो यह गंभीर मामला है । मामले की जानकारी की जाएगी और किसी तरह की गड़बड़ी है तो जांच की जाएगी ।"    एस० राजू द्वारा यह जनता और खबरनवीसों को बेवकूफ समझते हुए जानबूझकर बोला गया सफ़ेद झूठ है, एस० राजू को इस मामले की पुरी-पुरी जानकारी है, क्योंकि उनके द्वारा ही इस मामले में स्वास्थ विभाग द्वारा वापस की गयी 80.00 लाख रूपये की धनराशी को विभागीय खाते में जमा करने के आदेश जारी किये गए थे !    यह मामला इतना छोटा भी नही है, कि जितना समझाया जा रहा है, राज्य के समाज कल्याण विभाग में हो रहे सिलसिलेवार घोटालों की तो यह बानगी भर है, यहाँ तो करोड़ो-अरबो के घोटाले, सही जांच होने का इन्तजार में कतारबद्ध है !    लेकिन करें कौन, विभागीय मंत्री सुरेन्द्र राकेश चिकित्सा शैया पर लाचार पड़े है और मुख्यमंत्री हरीश रावत शीत निद्रा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं !    ऐसे में कौन करेगा कार्यवाही सिवाय कोर्ट के ?
झूट बोलता है उत्तराखण्ड का अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू !    समाचार पत्र में छपे अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण एस० राजू का बयान है कि :-    "अभी मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है । अगर इतने लंबे समय तक बजट का उपयोग नहीं हुआ है तो यह गंभीर मामला है । मामले की जानकारी की जाएगी और किसी तरह की गड़बड़ी है तो जांच की जाएगी ।"    एस० राजू द्वारा यह जनता और खबरनवीसों को बेवकूफ समझते हुए जानबूझकर बोला गया सफ़ेद झूठ है, एस० राजू को इस मामले की पुरी-पुरी जानकारी है, क्योंकि उनके द्वारा ही इस मामले में स्वास्थ विभाग द्वारा वापस की गयी 80.00 लाख रूपये की धनराशी को विभागीय खाते में जमा करने के आदेश जारी किये गए थे !

Important: The Economist 2015 Cover is Filled With Cryptic Symbols and Dire Predictions. The magazine The Economist published an issue named “The World in 2015″. On the cover are odd images : A mushroom cloud, the Federal Reserve in a game called “Panic” and much more.

Minister Manjul`s son Subrata who led hunger strike demanding citizenship for the East Bengal refugees gets BJP Ticket from Bangao! So Matua movement,the agrarian heritage immersed in Sangh Pariwar Hindutva thanks to Harichand Guruchand family! Palash Biswas

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Minister Manjul`s son Subrata who led hunger strike demanding citizenship for the East Bengal refugees gets BJP Ticket from Bangao!

So Matua movement,the agrarian heritage immersed in Sangh Pariwar Hindutva thanks to Harichand Guruchand family!

Palash Biswas

Minister Manjul`s son Subrata who led hunger strike demanding citizenship for the East Bengal refugees gets BJP Ticket from Bangao!The plight of the partition victim SC OBC refugees subjected to deportation has not changed a little bit and we have no information about BJP Government considering citizenship for them on the line it awarded citizenship even to those who have come from Pakistan and Afganisthan just before five months where as East Bengal refugees coming since the day,15th August,1947 and before,though resettled by the government of India seven decades ago,stranded countrywide on virtual noman`s land branded as foreigner!


I am not surprised as Bengali TV channel ABP Anand broke this news this afternoon and I hinted this being imminent in my Bengali writeups published in Hastakshep.Pl read Bangla Hastakshep for references.

তাহলে মতুয়ারা কি এবার বিজেপিতে এবং তাতে কি উদ্বাস্তুদের নাগরিকত্ব সমস্যার সমাধান হবে?

http://www.hastakshep.com/%E0%A6%AC%E0%A6%BE%E0%A6%82%E0%A6%B2%E0%A6%BE/%E0%A6%A7%E0%A6%BE%E0%A6%B0%E0%A6%A3%E0%A6%BE/2014/12/02/%E0%A6%A4%E0%A6%BE%E0%A6%B9%E0%A6%B2%E0%A7%87-%E0%A6%AE%E0%A6%A4%E0%A7%81%E0%A7%9F%E0%A6%BE%E0%A6%B0%E0%A6%BE-%E0%A6%95%E0%A6%BF-%E0%A6%8F%E0%A6%AC%E0%A6%BE%E0%A6%B0-%E0%A6%AC%E0%A6%BF%E0%A6%9C



So Matua movement,the agrarian heritage immersed in Sangh Pariwar Hindutva thanks to Harichand Guruchand family!


Mind you ,the Bahujan Samaj headed by Harichand Thakur rose against East India Company in early 18th century demanding land reforms.Harichand Thakur led squads of peasants to revolt against indigo planters during Indigo revolt.


Mind you Harichand Thakur launched the Matua Movement to break away from Hinddutva and declared his path as alternative materialist religion Matua Dharm which dismissed Brahamin as Purohit along with Hindutva rituals,introduced widow marriage much befor Bengal renaissance did it,lauched education campaign and specifically advocated women`s education even before Mata Saavitri bai Phule.


For political advantage,the Matua family led by PR Thakur,the grandson of Guruchand Thakur always opposed Dr BR Ambedkar and opted to join Congress whereas the disciples of Guruchand Thakur led by Barrister Mukund Mallick and Jogendra Nath Mallik got Babasaheb elected from the constituency claimed by PR Thakur.


Since then Matuas continued to cross fences to get elected to Loksabha,Vidhansabha and getting a berth in the state ministry.


During Left Rule,Matua family was attached with Left parties.Even late Kapil Krishna Thakur had been a loyal  supporter of the Left until the day when he got a TMC Ticket to get elected to Loksabha while his brother ,a minister in Mamata Banerjee cabinet,Manjul Krishna Thakur wanted this eat for his young son Subrata Thakur.Because Matua Mother Bina Pani Devi,the widow of PR Thakur supported Kapil Babu`s nomination,Didi got him elected.


Subrata activated all his men ,women and resources to get the seat just after the death of his uncle while her aunt,Mamata Bala,the wife of Kapil krishna and blessed by Matua Mata claimed her stake and it was understood that Mamata didi would oblige the Mata.Since Subrata opened the avenue to land in BJP demanding citizenship for Refugees for whom the Matua family did nothing since partition.


at last he reached his destination and immersed the images of Harichand Guruchand Thakur in RSS branded cent percent Hindutva.


It is a mourning day whoever happens to be the real follower of Matua religion and Matua Movement without which Bengal`s history would be incomplete.

ঠাকুরবাড়িতে লড়াই,বনগাঁ উপনির্বাচনে বিজেপি প্রার্থী হচ্ছেন মঞ্জুলকৃষ্ণ ঠাকুরের ছেলে সুব্রত


ঠাকুরবাড়ির দ্বন্দ্ব এবার বদলে যেতে চলেছে বনগাঁ দখলের লড়াইয়ে।

বনগাঁ লোকসভা কেন্দ্রে উপনির্বাচনে বিজেপি প্রার্থী হতে চলেছেন মতুয়া পরিবারের সদস্য তথা তৃণমূলের মন্ত্রী মঞ্জুলকৃষ্ণ ঠাকুরের ছেলে সুব্রত ঠাকুর। এই কেন্দ্রে তৃণমূলের সম্ভাব্য প্রার্থী সুব্রতরই জ্যেঠিমা, তথা প্রয়াত তৃণমূল সাংসদ কপিলকৃষ্ণ ঠাকুরের স্ত্রী মমতাবালা ঠাকুর।

ঠাকুর বাড়ির ঘনিষ্ঠমহলের বক্তব্য, এরকম যে হবে, সেটা বোঝা যাচ্ছিল অনেক আগে থেকেই। কারণ, কপিলকৃষ্ণ ঠাকুরের মৃত্যুর পর মতুয়া সঙ্ঘাধিপতি কে হবেন, তা নিয়ে ঠাকুরবাড়িতে কার্যত আড়াআড়ি বিভাজন তৈরি হয়। সেই টাগ অফ ওয়ারের একদিকে ছিলেন মমতাবালা ঠাকুর, অন্যদিকে সুব্রত ঠাকুর। পরিবারের সেই দ্বন্দ্ব ক্রমেই প্রকাশ্যে আসতে শুরু করে। এরই মাঝে তৃণমূলের টিকিটে জয়ী হয়েও গাইঘাটা পঞ্চায়েত সমিতির সদস্য পদ থেকে ইস্তফা দেওয়ার কথা ঘোষণা করে দেন মঞ্জুল-পুত্র সুব্রত ঠাকুর। তখন থেকেই সুব্রতর বিজেপিতে যোগদান নিয়ে জল্পনার পারদ চড়ছিল। এবার সেই সুব্রতকে বনগাঁ কেন্দ্রে উপনির্বাচনে প্রার্থী করছে বিজেপি। আগামী ৪৮ ঘণ্টার মধ্যেই বিজেপির তরফে আনুষ্ঠানিকভাবে সুব্রতর নাম ঘোষণা করা হবে। তার আগে বিজেপি শীর্ষনেতৃত্ব এব্যাপারে মুখ খুলতে চাইছেন না।

বিজেপিতে যোগদানের কথা স্বীকার করে নিয়েছেন সুব্রত। সেই সঙ্গে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় সহ জেলা তৃণমূলের নেতৃত্বের বিরুদ্ধে ক্ষোভও উগরে দিয়েছেন তিনি।

ঠাকুরবাড়ির লড়াইয়ে, মঞ্জুলকৃষ্ণ ঠাকুর সবসময় নীরবে ছেলের পাশে দাঁড়িয়েছেন। এবার ছেলের বিজেপি প্রার্থী হওয়ার সিদ্ধান্তেও তাঁর গলায় প্রচ্ছন্ন সমর্থনের সুরই ধরা পড়েছে। তিনি জানিয়েছেন,

সুব্রত বিজেপি প্রার্থী হবে, এটা তাঁর ব্যক্তিগত সিদ্ধান্ত। এব্যাপারে না আমি কিছু হস্তক্ষেপ করতে পারি, না আমি কিছু বলতে পারি।

অভিযোগ, কপিলকৃষ্ণ ঠাকুরের মৃত্যুর পর বারবার ঠোকাঠুকি লেগেছে ঠাকুরবাড়ির অন্দরে। দুই ভাইয়ের পরিবারের অদৃশ্য প্রতিযোগিতা তুঙ্গে উঠেছে লোকসভা নির্বাচনের প্রার্থীপদ নিয়ে।

ঠাকুরবাড়ির সেই ঠোকাঠুকি এবার বদলে যেতে চলেছে বনগাঁ দখলের লড়াইয়ে।

http://abpananda.abplive.in/state/2015/01/14/article476336.ece/Subrata-Thakur-will-be-the-BJP-candidate-from-Bongaon-in-By-election


Arijit Hokkolorob চলো আবার ভাসিয়ে দিই কোলকাতাকে —স্বাধীন ছাত্রী-ছাত্র আন্দোলন,এই ঐতিহাসিক জয়, ঐতিহাসিক মুহূর্ত উদযাপন করতে ১৭ই জানুয়ারী দুপুর ২টোয় আকাদেমি চত্তরে একসাথে হব আমরা।

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চলো আবার ভাসিয়ে দিই কোলকাতাকে

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১৭ই জানুয়ারী দুপুর ২টো, আকাদেমি চত্তর

A historic win . It was solely the Independent Students' Movement that by dint of its conviction ,vigor and 'never say die' spirit was able to snatch this victory after 4 long months of struggle.However it is to be borne in our minds that there are also 4 other demands that are required to be fulfilled.
So the movement will continue. Most of the students , concerned citizens participating in this movement do not adhere to any political organizations. Yet there are many who inspite of being associated with established political organizations came forward leaving the banner of their respective organizations behind. 
From the very beginning , this movement went through a lot of obstacles. 
Police crackdown, Natural calamities, lots of Malicious comments , rigidity and arrogance of the state , threatening by the chancellor , nothing absolutely nothing could prevent these rebels from forging ahead. Unified struggle endowed with various diversities , wrote history. This movement merely reflects the and reestablishes the notion , that yes people can win through their independent movements fighting till the last breath thereby being unified in situations however hostile. 
To celebrate every bit of this emphatic , historic victory , we will gather on 17th January , 2P.M. in the afternoon , at academy.Lets be a witness to history !!!

ঐতিহাসিক জয়। দীর্ঘ ্সাড়ে চার মাসেরও বেশী সময় ধরে দলীয় পতাকাবিহীন স্বাধীন স্বতন্ত্র এই আন্দোলন জয় ছিনিয়ে আনল নিজেদের জোরে। প্রসঙ্গত এই আন্দোলনের আরও চারটি দাবী জেতা এখনও বাকি, আন্দোলনও চলবে। এই আন্দোলনে যোগ দেওয়া অধিকাংশ ছাত্রী-ছাত্রই কোন রাজনৈতিক দলের সাথে যুক্ত নন, তবে এমন আনেকেও এই আন্দোলনে আছেন যারা প্রতিষ্ঠিত রাজনৈতিক দলের সদস্য বা সমর্থক, কিন্তু তারাও এসেছেন নিজেদের রাজনৈতিক পরিচয় সরিয়ে রেখে।

শুরু থেকেই নানান বাধা-বিঘ্নের মধ্যে দিয়ে গেছে এই আন্দোলন। কিন্তু পুলিশের লাঠির মার, আস্বাভাবিক প্রাকৃতিক দুর্জয়, কুৎসা, শাসক দলের হুশিয়ারী, সময়ের ব্যবধান, রাজ্যপালের হুমকি কোনও কিছুই শেষ পর্যন্ত দমিয়ে রাখতে পারেনি এই দামাল ছেলেমেয়েগুলোকে। নানান বৈচিত্রের মধ্যেও ঐক্যবদ্ধ এই আন্দোলন এক নতুন ইতিহাস রচনা করল। নিজেদের লড়াই শেষপ্ররযন্ত দাঁতে দাঁত চেপে লড়ে যাওয়া আর অবশেষে এই জয়্য নিঃসন্দেহে দেখায় যে এখনও আন্দোলন করে জেতা যায়, যদি নানান প্রতিকূলতার মধ্যেও ঐক্যবধ্য থাকা যায়।

এই ঐতিহাসিক জয়, ঐতিহাসিক মুহূর্ত উদযাপন করতে ১৭ই জানুয়ারী দুপুর ২টোয় আকাদেমি চত্তরে একসাথে হব আমরা। যাদবপুরের ছাত্রী-ছাত্র আন্দোলন ও হোককলরবের বিজয় সমা্বেশে। আসুন বন্ধুরা আরও এক ঐতিহাসিক মুহূর্তের সাক্ষী হই।

হোক হোক হোক হোককলরব


মালিকের হুকুমে মাষ্টারমশাই দের ছেলেধরা হতে হবে!!!

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মালিকের হুকুমে মাষ্টারমশাই দের ছেলেধরা হতে হবে!!!

দুর্গাপুরের BCET এবং BCETW'র শিক্ষকদের পাঁচ মাস চাকরি নেই । মালিকের লাভের জন্য মাস্টার মশাইদের বলা হয়েছিল স্টেশন এবং বাস স্ট্যান্ড থেকে গিয়ে ছেলে-মেয়ে ধরে আনতে হবে, নাহলে চাকরী থাকবে না । তারা সম্মত না হওয়ার ৯২জন মাস্টার মশাইকে স্যাক করা হয়েছে ।

এখন ছেলে ধরে আনতে বলা হয়েছে শিক্ষকদের, এরপরও প্রতিবাদ না করলে, না আসতে চাইলে বেঁধে মারতে মারতে ইঞ্জিনিয়ারিং পড়তে নিয়ে আসতে বলা হবে । সেটা বোধ হয় ঠিক হবে না ।

আমি ব্যাক্তিগত ভাবে নিজেকে একজন কলরবি মনে করি, যেমন ভাবে অন্য সব কলেজের ছাত্ররা আমাদের পাশে ছিল এই চার মাস, আমাদের এবার পাশে থাকবার পালা ।

কাল শিক্ষক-ছাত্রদের পাশে দাঁড়ান, বৃহস্পতিবার, বেলা ১২ টায়, WBUT
সকলে আসুন

Chhandak Chatterjee's photo.
Chhandak Chatterjee's photo.
Chhandak Chatterjee's photo.
Chhandak Chatterjee's photo.

Shabnam Hashmi Gujarat continues to Burn.

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Gujarat continues to Burn.
Message from a small village which was attacked today

alerting media , activists

To Human rights organisation . 
Sub regarding Human rights.

Dear sir i am from hansot is a small villege in Bharuch Gujarat India ..its poppulation is around 5000 out of this 3000 is muslim its surround 52 hindu villages are there.from last so many days the muslim of hansot people are living in tension and fear ,today in small issue all surrounding village people surround the hansot with weapons and they have atacked the muslim of hansot the police was present at same time but they dont took any action at that time also people have attacked ambulance which carry patints inside.also they have attcked farms and give fire to farm and shops economically lots of loss happend to all muslims . Hindu fundamantalist providing full support in terms of police support and political support i urge on the behalf of all muslims from hansot village to take action on police and lift out our voice. Any reply it would be highly appreciated Regards..................

Shabnam Hashmi's photo.
Shabnam Hashmi's photo.
Shabnam Hashmi's photo.

. इंतज़ार, लूट, झुंड, चकला-घर और गुरु..... ‘इंतजार’

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वाद-संवाद पत्रिका में प्रकाशित मेरी पाँच कवितायें... .... इंतज़ार, लूट, झुंड, चकला-घर और गुरु..... 'इंतजार'
हवा गर्म है,
मौसम का मिजाज़ रूखा-रूखा,
हर जर्रे में आफ़ताब की जवानी.
बचने की हिमाक़त अभी नहीं-अभी नहीं.
इस बार तो दोनों हल्के-हल्के बैठे हैं,
अरे पिछली बार, तो दो चार के बराबर थे,...
जान तो अभी बांकी है, एक चक्कर और| 
अब तो दम उखड़ने लगा है भाई...
नहीं-नहीं अब नहीं खींचा जाता भाई|
...नाटक मत करों...
साले पैसे लेने वक्त पूरे और 
नौटंकी आधे रास्ते में ही शुरू 
अरे!
ये तो सचमुच गिरा 
उफ़! ओह, आह...
ये तो जान से गया...
बटुए से छियासठ रुपये पच्चास पैसे निकालती उसकी बीवी और 
रिक्शे को फिर से नए मालिक का इंतजार 
मौसम बदल गया है 
मगर मिजाज़ फिर से रूखा-रूखा.......

'लूट' 
हम असंख्य कायरों के जन्म से 
पहले ही तुम लौट गए|
रहते तो लूट पाते,
असंख्य बरस...हमारी अस्मिता, हमारा सम्मान 
...जैसे...
लुट रहे हैं हमसे हमारे अपने
हमारा इतिहास...हमारा वर्त्तमान...

'झुंड' 
सब तहस-नहस और वीरान करता 
एक झुंड भेड़ियों का.
सभी आक्रोशित, प्रश्न की मुद्रा में
...और...
कशमकश गड्ढे से निहारता मूक-अवाक् सरदार...
कहीं ऐसा भी कोई फँसता है?
कभी ऐसे भी कोई गिरता है?
आज शायद प्राणदंड ही उचित हो
...लेकिन...
हिंसक-प्रवृति से लबालब वह झुंड दिखता तो इंसान जैसा ही था
ठीक वैसे ही जैसे आज प्रश्न करने वालों की जमात दिख रही है|
क्या सचमुच उस झुंड ने नाखून बढ़ाने की इजाज़त ली थी?
क्या सच में झुंड को पंजा मारने की तालीम सरदार ने दी थी ?
क्या वाक़ई झुंड को भेड़िया बनाने की कोई पंचवर्षीय योजना 
सरदार ने बनाई थी?
सरदार पर प्रश्न करने वालों में कईयों के नाखून बढ़े हुए थे,
पंजा चौड़ा था, सिर्फ़ शक्लें इंसान की सी थी...
प्रश्न की शोर में एक हल्की सी आवाज़ दब रही थी – और
'झुंड'के हिंसक दौर से बने गड्ढे में उसे दफ़नाया जा रहा है...|

'चकला घर' 
कुचले-पिसे व्यवसाय की भट्ठी से 
तपकर सपना देखती हूँ ,मैं चकला घर की बेटी पल-पल जीती, मरती हूँ.
साफ़-सुथरे समाज से कूड़े को मैं खरीदती हूँ,
जिंदा रहने के लिए पल-पल मौत मैं मरती हूँ.
कितनी हसीना, कितनी करिश्मा मेरी यहाँ सहेली है,
रात की सेज पे सबकी चीखें एक शोर बन जाती है.
अदम्य साहस है मेरी माँ में 
रोज कमर बलखाती है,
ढलती उमर में भी न जाने कहाँ से ग्राहक लाती है.
हाथ में मेरे चंद चमकते सिक्के देकर,
रोते-रोते कहती है,
भाग जा बेटी तू सयानी हुई
अब तेरा ग्राहक भी आता है.
दरवाजे के बाहर जाते ही गूंज उठती है कानों में,
माँ की कमर-पीठ मालिश की चिंता,
सपना छोड़ मैं लौट आती हूँ.

मैं गुरुदेव हूँ
आओ पढना सिखाता हूँ 
आओ लिखना सिखाता हूँ 
आओ जीना सिखाता हूँ 
मैं गुरुदेव हूँ
मैं सब कुछ सिखाता हूँ....
पढो व्यवस्था, लिखो व्यवस्था 
फिर जियो शान से,
यही कर्तव्य है, धर्म यही है...
सफल प्रमाण बेटे देखो- यहाँ हम हैं 
अरे, व्यवस्था से भड़क मत, इसे अपना 
मत सोच- 
बर्बाद करती किसे व्यवस्था ?
मजबूर यहाँ फांसी क्यों चढ़ा ?
है किसका झुलसता नंगा बदन ?
किसके सीने पर चढ़कर 
कौन है पीता खून निरंतर ?
ये तू मत देख, कम से कम तू मत देख...
बेटा तुम्हारा यही जोशीला वर्तमान 
हाय, था चढ़ा भूत,
भूत में कुछ लोगों पर 
अब देख भविष्य उन वीरों का 
सड़ांध मारते किसी कोने में
पड़ा होगा असंतुष्ट बेचारा 
झूठा स्वांग भर रहा होगा,
संतुष्ट का नारा रट रहा होगा.
वे हमारे हीं साथी थे बड़े कडवे गीत गाते थे,..
जरा खुद भी तो सोचो मेरे लाल -----
झुर्री भरा चेहरा लेकर
दोपहरी की धूप में 
धुल फांकते माँ-बाप तुम्हारे 
जब वक्त से पहले सोयेंगे मौत की नींद 
तब रह जाओगे तर्पण करते
अर्पण करते जल की धारा.....
क्यों देखें हम दुःख का जमघट ?
क्यों रोते रहें निरंतर ?
नाप-तौलकर बेटे सोचो 
जीता यहाँ सुख में कौन ? 
सैर करते किसके बच्चे ? 
किसके बाद कौन है पाता 
यहाँ फिर से मौज और मस्ती ?
शिष्य हो तुम मेरे प्रिय, मोह में मत फ़स जाना 
समझ ना आए मौज की नीति, मेरे पास तुम आना 
मैं हूँ आज का श्रेष्ठ विचारक 
बुद्धिजीवी और अवसर—द्रष्टा 
सिखलाऊंगा तुम्हे आज से 
नित दिन मैं वंदना व्यवस्था
नित दिन मैं वंदना व्यवस्था.....

पता:- 
संजीव कुमार (पी-एच. डी.)
गोरख पांडे छात्रावास, कक्ष संख्या.-17
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र – 442005
फोन –09767859227
ई-मेल – jha.sanjeev800@gmail.com

Majdoor Jha's photo.
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एक दिन आता है जब इन्हें बस्तियों से भी खदेड़ दिया जाता है

Story from Ground Zero Salawa Jusdum colony Assam Genocide!

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GUWAHATI: As those displaced by the December 23 carnage in Assam continue to languish in relief camps, several theories are being bandied around, as to the motives behind the five, coordinated strikes. There is a growing suspicion that the ultras carried out the attacks at the behest of some political party. What fuels this idea is the upcoming elections to Bodoland Territorial Council (BTC) in April.

Last month's terror strike was the third major attack on the Adivasis since 1996 in the restive Bodoland Territorial Areas District (BTAD), which have been held to ransom by extremists over the last two decades. The latest massacre of Adivasis happened after a gap of 18 years, but, in 2012 and 2014, Bengali-speaking Muslims were the targets of two xenophobic attacks, which left over 150 dead and rendered several lakh people homeless. The violence in 2012 broke out following the killings of four former rebels by miscreants, which soon snowballed into a full-fledged ethnic riot between the Bodos and Bengali-speaking Muslims. Over 100 people, mostly Muslims, were killed in the outrage.

In all the major civilian attacks in BTAD, militants have been involved, directly or indirectly. The government failed to bring them to justice, despite the assurances. The ruling Congress Government in the state has said the December 23 attacks were perpetrated by the Sangbijit faction of the National Democratic Front of Bodoland (NDFB). However, the Bodo and Adivasi organisations also suspect the involvement of some political parties. Their doubts stem from the fact that non-Bodos have been invariably targeted in BTAD before and after any elections in recent years. A series of attacks, weeks after the 2014 Lok Sabha elections, had claimed the lives of 46 Muslims.

Another theory doing the rounds is that the Ultras were provoked by the establishment. Just days prior to the carnage, the police had allegedly trivialised the NDFB faction. It is now being presumed that by unleashing terror and violence, the rebels wanted to show that they were a force to reckon with. Some security agencies believe that the Adivasis were targeted this time, as they lived close to Assam's borders with Bhutan and Arunachal Pradesh where the rebels operate from. By not going into the interiors of the state, the rebels ensured that they could safely return to their hideouts, after carrying out attacks of such magnitude.

But what few would, perhaps, contest is that the Bodos are increasingly terrified of losing their political clout in the BTAD, where the non-Bodo communities constitute over 70 per cent of the population. The consolidation of the non-Bodo communities against the Bodos had ensured the victory of a non-Bodo, former ULFA leader, Heera Sarania in the Kokrajhar seat that covers large areas of BTAD, in the last Lok Sabha polls.

The Bodos, who are the largest plains tribe in the North-East, know that they need greater representation and a stronger voice in Parliament to be able to achieve a separate Bodoland state. Their lone representative in Parliament is Rajya Sabha member Biswajit Daimary. The BTC is currently ruled by the Bodoland People's Front (BPF), which was formed with former rebels in 2003. The party has 11 members in the state Assembly.

The non-Bodo communities allege that they are being treated as second-class citizens in BTAD, which was formed with four Assam districts. The conflict between the Bodos and the non-Bodos first came to the fore ahead of the creation of the BTC. It intensified after nearly 600 villages, with alleged zero per cent Bodo population, were included in the BTC.

Alleged assaults, intimidation, extortions, abductions and killings by rebels made 22 influential non-Bodo organisations join hands and back Sarania in the 2014 LS polls. The BPF and the Bodoland People's Progressive Front (BPPF) hold sway in the BTAD, where the Congress and the BJP are now trying to secure a foothold.

The NIA is probing four cases pertaining to the December 23 carnage. It will be the task of the agency to find out if there was any political motive behind the killings. But what the people desperately want is action against the perpetrators. Those who survived the attacks have pleaded before NIA Director-General Sharad Kumar to hand out exemplary punishment to the militants. The people in Assam also want the perpetrators to be brought to justice. The silver lining of this tragedy has been that all stake-holders now seek an end to violence. Everyone is on the same page.

Massacre in Dec

The five, coordinated attacks on the Adivasis on December 23, in Kokrajhar and Sonitpur districts were carried out by Sangbijit faction of the National Democratic Front of Bodoland, the state government has said.

70 Adivasis, including 18 children and 23 women, were killed in the violence. Eight Bodos were killed in reprisal attacks. Three Adivasis, who were among a group of protestors in Sonitpur, were killed in police firing. The violence displaced over three lakh people -- Adivasis and Bodos. Over one lakh people are still lodged in relief camps. The Adivasi groups say the administration is badgering them to return home.

The Centre has engaged over 10,000 Army and paramilitary troopers to neutralise the assailants. Over the last fortnight, two of them have been killed, while nine were apprehended.

GUWAHATI: As those displaced by the December 23 carnage in Assam continue to languish in relief camps, several theories are being bandied around, as to the motives behind the five, coordinated strikes. There is a growing suspicion that the ultras carried out the attacks at the behest of some political party. What fuels this idea is the upcoming elections to Bodoland Territorial Council (BTC) in April.    Last month's terror strike was the third major attack on the Adivasis since 1996 in the restive Bodoland Territorial Areas District (BTAD), which have been held to ransom by extremists over the last two decades. The latest massacre of Adivasis happened after a gap of 18 years, but, in 2012 and 2014, Bengali-speaking Muslims were the targets of two xenophobic attacks, which left over 150 dead and rendered several lakh people homeless. The violence in 2012 broke out following the killings of four former rebels by miscreants, which soon snowballed into a full-fledged ethnic riot between the Bodos and Bengali-speaking Muslims. Over 100 people, mostly Muslims, were killed in the outrage.    In all the major civilian attacks in BTAD, militants have been involved, directly or indirectly. The government failed to bring them to justice, despite the assurances. The ruling Congress Government in the state has said the December 23 attacks were perpetrated by the Sangbijit faction of the National Democratic Front of Bodoland (NDFB). However, the Bodo and Adivasi organisations also suspect the involvement of some political parties. Their doubts stem from the fact that non-Bodos have been invariably targeted in BTAD before and after any elections in recent years. A series of attacks, weeks after the 2014 Lok Sabha elections, had claimed the lives of 46 Muslims.    Another theory doing the rounds is that the Ultras were provoked by the establishment. Just days prior to the carnage, the police had allegedly trivialised the NDFB faction. It is now being presumed that by unleashing terror and violence, the rebels wanted to show that they were a force to reckon with. Some security agencies believe that the Adivasis were targeted this time, as they lived close to Assam's borders with Bhutan and Arunachal Pradesh where the rebels operate from. By not going into the interiors of the state, the rebels ensured that they could safely return to their hideouts, after carrying out attacks of such magnitude.    But what few would, perhaps, contest is that the Bodos are increasingly terrified of losing their political clout in the BTAD, where the non-Bodo communities constitute over 70 per cent of the population. The consolidation of the non-Bodo communities against the Bodos had ensured the victory of a non-Bodo, former ULFA leader, Heera Sarania in the Kokrajhar seat that covers large areas of BTAD, in the last Lok Sabha polls.    The Bodos, who are the largest plains tribe in the North-East, know that they need greater representation and a stronger voice in Parliament to be able to achieve a separate Bodoland state. Their lone representative in Parliament is Rajya Sabha member Biswajit Daimary. The BTC is currently ruled by the Bodoland People's Front (BPF), which was formed with former rebels in 2003. The party has 11 members in the state Assembly.    The non-Bodo communities allege that they are being treated as second-class citizens in BTAD, which was formed with four Assam districts. The conflict between the Bodos and the non-Bodos first came to the fore ahead of the creation of the BTC. It intensified after nearly 600 villages, with alleged zero per cent Bodo population, were included in the BTC.    Alleged assaults, intimidation, extortions, abductions and killings by rebels made 22 influential non-Bodo organisations join hands and back Sarania in the 2014 LS polls. The BPF and the Bodoland People's Progressive Front (BPPF) hold sway in the BTAD, where the Congress and the BJP are now trying to secure a foothold.    The NIA is probing four cases pertaining to the December 23 carnage. It will be the task of the agency to find out if there was any political motive behind the killings. But what the people desperately want is action against the perpetrators. Those who survived the attacks have pleaded before NIA Director-General Sharad Kumar to hand out exemplary punishment to the militants. The people in Assam also want the perpetrators to be brought to justice. The silver lining of this tragedy has been that all stake-holders now seek an end to violence. Everyone is on the same page.    Massacre in Dec    The five, coordinated attacks on the Adivasis on December 23,  in Kokrajhar and Sonitpur districts were carried out by Sangbijit faction of the National Democratic Front of Bodoland, the state government has said.    70 Adivasis, including 18 children and 23 women, were killed in the violence. Eight Bodos were killed in reprisal attacks. Three Adivasis, who were among a group of protestors in Sonitpur, were killed in police firing. The violence displaced over three lakh people -- Adivasis and Bodos. Over one lakh people are still lodged in relief camps. The Adivasi groups say the administration is badgering them to return home.    The Centre has engaged over 10,000 Army and paramilitary troopers to neutralise the assailants. Over the last fortnight, two of them have been killed, while nine were apprehended.
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