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हजार केजरीवाल बखूब खिलें देशभर में, प्रधानमंत्रित्व की दौड़ में दीदी की बढ़त जारी!

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हजार केजरीवाल बखूब खिलें देशभर में, प्रधानमंत्रित्व की दौड़ में दीदी की बढ़त जारी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


हजार केजरीवाल बखूब खिले देशभर में,प्रधानमंत्रित्व की दौड़ में दीदी की बढ़त जारी है।लोकलुबावन राजनीति में देशभर में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कोई सानी नहीं है।आम जनता की नब्ज जानने में उनकी महारत अपदस्थ लालू प्रसाद से ही की जा सकती है।लालू देशज मुहावरों में जनता को संबोधित करने की कला में सिद्धहस्त है तो आशुकवि ममता बनर्जी की न सिर्फ कविता पुस्तकें बेस्ट सेलर हैं,बल्कि तुकबंदी में बंधे उनके भाषण और तृणमूल स्तर तक उनकी अविराम मैराथन दौड़ का कोई जवाब नहीं है।दीदी की दौड़ के मुकाबले पीटी उषा भी नहीं हैं।तृणमूल सरकार और पार्टी का जो हाल हो,वह है लेकिन खास बात नोट करने लायक है कि बाजार की प्रबंधकीय दक्षता के मामले में नरेंद्र मोदी,राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के मुकाबले वे अकेली जननेता है और राजकाज में वे जबर्दस्त ढंग से तकनीक का इस्तेमाल कर रही है जो पिछली वाम सरकरा कभी नहीं कर पायी।


संवाददाता सम्मेलनों के जरिये नहीं,दीदी सीधे सड़कों और मैदानों में,पहाड़ और जंगल में,खेतों और कलकारखानों में अपनी जनता को संबोधित करती हैं।इस मायने में प्रधानमंत्रित्व के दावेदारों में वे सबसे आगे हैं।ईमानदारी और सादगी नहीं,जनाधार से लगातार जुड़े रहने की उनकी यह अद्वितीयदक्षता उन्हें बाकी प्रतिद्वंद्वियों से मीलों आगे ऱखती है।इसके साथ ही वे शायद पहली मुख्यमंत्री हैं जो नीतिगत घोषणाएं फेसबुक के जरिये करती हैं। आप ने अपने मंत्रियो की सूची उपराज्यपाल की विज्ञप्ति से जारी की है तो दीदी ने आज होने वाले मंत्रिमंडल में फेरबदल का ब्यौरा और नये मंत्रियों के नाम पार्टी के वेबसाइट पर जारी कर दिये।'मां, माटी और मानुष' का नारा देने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीका दबदबा फेसबुक पर भी है. जी हां, ममता बनर्जी के फेसबुक पेज पर पांच लाख से अधिक 'लाइक' पूरे हो गए हैं।केजरीवाल ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, माणिक सरकार व मनोहर पार्रिकर का अनुकरण किया है जिन्होंने साफ सुथरे शासन के लिए सादा जीवन को आधार बनाया है। केजरीवाल 26 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीएम पद की शपथ लेंगे।


मुक्त बाजार की प्रबंधकीय दक्षता बतौर ममता बनर्जी ने जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही साबित करने के लिए इधर एक के बाद एक चामत्कारिक तकनीकी पदक्षेप किये हैं,जिसका कोई राजनीतिक तोड़ नहीं है। सरकारी महकमों में कामकाज की समयसीमा बांध दी गयी है और तदानुसार पुरस्कार और जुर्माना भी तय है। सरकारी परियोजनाओं और कामकाज का समयबद्ध कैलेंडर सार्वजनिक कर दिया गया है ताकि जनहित के काम लटकने पर जवाबदेही तय की जा सके और प्रतिषेधात्मक कदम उठाये जा सकें। मंत्रियों और मंत्रालयों के कामकाज का मूल्यांकन शुरु हो गया है।पहले दौर के मूल्यांकन में पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी अव्वल नंबर पर हैं।इसके अलावा दीदी लोकसभी चुनाव से पहले मां माटी मानुष सरकार के कामकाज पर श्वेत पत्र जारी करके उसीके तहत अपना प्रधानमंत्रित्व का दावा पेश करने जा रही हैं।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर आधिकारिक पेज बनाने के डेढ़ साल के भीतर ही पांच लाख प्रशंसक पा लिए हैं। हालांकि फेसबुक पर प्रशंसकों के मामले में अभी भी वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पीछे हैं| नरेंद्र मोदी जहां 72 लाख प्रशंसकों के साथ पहले नंबर पर हैं तो वहीँ अरविन्द केजरीवाल के 18 लाख प्रशंसक फेसबुक पर हैं| जबकि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के 11 लाख फेसबुक प्रशंसक हैं|


ममता बनर्जी ने फेसबुक का प्रयोग न केवल केंद्र सरकार की नीतियों पर असहमति जताने, विपक्ष पर अपनी भड़ास निकालने के लिए किया, बल्कि राज्य के विकास की घोषणा करने के लिए भी किया। उन्होंने वेबसाइट पर हाल ही में रंगभेद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि भी दी। ममता का यह ऑनलाइन सफर 15 जून, 2012 को शुरू हुआ था। उन्होंने अपने अकाउंट पर 2013 कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सहित सम्मेलनों, बैठकों और पर्वो में अपनी मौजूदगी की तस्वीरें भी पोस्ट कीं।


फिर चाहे वह विजय दिवस हो, ईद, क्रिसमस या वसंत पंचमी हो, उनके पोस्ट ने बधाइयां पहुंचा ही दीं। अपने फेसबुक अकाउंट पर अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर सरीखी बड़ी हस्तियों की भावपूर्ण तारीफ करने वाली ममता ने अंतिम बार दिवंगत गायक मन्ना डे और हेमंत मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी।


अरविंद केजरीवाल आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं ,वहा अकादमिक परिसर में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की ताजपोशी को लेकर हलचल मच रही है।बाकी देश में दिल्ली के प्रयोग का खासकर शहरी क्षेत्रों में भारी असर होने लगा है।इससे सबसे ज्यादा नुकसान नरेंद्र मोदी को होने जा रहा है कि अब शहर केंद्रित धर्मोनमादी राजनीति से मतों का ध्रूवीकरण उतना आसान नहीं है।कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत दिल्ली नहीं,बल्कि अरविंद केजरीवाल टीम के राष्ट्रीय विस्तार के लिए ही दिल्ली में आप को समर्थन दिया है।अगले लोकसभा चुनाव तक अगर दिल्ली में आप की सरकार अपने वायदे के मुताबिक आंशिक तौर पर ही सही,कुछ परिवर्तन कर दिखाने में कामयाब होती ही तो सामाजिक शक्तियों खासकर युवा छात्र और महिलाओं,कामकाजी तबके के समर्थन से मतदाताओं का एक तीसरा वर्ग भी देशभर में कमोबेश तैयार होने के आसार है और हर महानगर नगर के अपने अरविंद केजरीवाल होंगे,जिनकी वजह से नमोमय भारत बनना असंभव होगा और आगामी लोकसभा त्रिशंकु होगी।इस हाल में आखिरी बाजी जीतने वाला खिलाड़ी निश्चय ही नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी नहीं होंगे।कारपोरेट और अकादमिक समर्थन से जहां अरविंद केजरीवाल बेहद मजबूत हालत में पहुंच सकते हैं तो जमीनी पकड़ की वजह से और तकनीकी प्रबंधकीय दक्षता में बराबर की टक्कर देने की हालत बना रही दीदी की बढ़त हर हाल में जारी रहनी है।दीदी के पक्ष में खास बात यह है कि बाकी देश में चाहे जो हो,बंगाल में न नमो अभियान का कोई असर होना है और न यहां किसी अरविंद केजरीवाल के खिलने की गुंजाइश है।2014 में केंद्र सरकार का भाग्य कांग्रेस या वामपंथी नहीं बल्कि मां माटी मानुष की नेत्री ममता बनर्जी तय करेंगी। यह मेरी नहीं देश की क्षेत्रीय पार्टियों की आवाज है। यह कहना है टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव सह पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय का।


बंगाल में विपक्ष का काम तमाम है। दीदी जिस प्रबंधकीय दक्षता के सहारे राजकाज को पारदर्शी बनाने का काम करने लगी हैं,उसका असर यह होगा कि प्रधानमंत्रित्व के दावे के मद्देनजर वे बयालीस की बयालीस सीटें भी जीत लें तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।दो तीन सीटें अगर बाहर से मिल जायें तो दीदी को चालीस लोकसभा सदस्य तक मिल सकते हैं। इस आंकड़े तक बाकी क्षत्रपों के पहुंचने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।एकमात्र आप का विकल्प ही खुला है,वह कहां तक पहुंचेगा बताना मुश्किल है।लेकिन आप को पच्चीस तीस सीटें बी मिल गयीं तो सरकार न कांग्रेस की होगी और न भाजपा की।इन दलों की सीटे भी मत विभाजन की वजह से घटेंगी जबकि दीदी पर किसी समीकरण का कोई असर नहीं होना है।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल में दो नए मंत्रियों को शामिल किया और एक राज्यमंत्री का दर्जा बढ़ाकर उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। उत्तर बंगाल के कूच बिहार जिले के मठबंगा विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनय कृष्ण बर्मन अब वन मंत्री बनाए गए हैं। वह हितेन बर्मन के स्थान पर मंत्री बने हैं जिन्होंने खराब स्वास्थ्य के कारण इस्तीफा दिया है।


बहरहाल, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सही ढंग से काम नहीं कर पाने के कारण हितेन को हटाया गया है। कोलकाता के श्यामपुकुर से विधायक शशि पांजा को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा दिया गया है। उन्हें महिला और बाल कल्याण विभाग दिया गया है। कुटीर और लघु उद्योग मंत्री स्वपन देबनाथ को स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। उन्हें इसके साथ ही पशुपालन विभाग का भी दायित्व सौंपा गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इन तीनों को राजभवन में राज्यपाल एम.के.नारायणन ने शपथ दिलाई। इस मौके पर वरिष्ठ मंत्री और प्रमुख नौकरशाह भी उपस्थित थे। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुं ग ने भी गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के मुख्य कार्यकारी की शपथ ली। गोरखालैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चलाने के दौरान गुरुं ग ने स्वायत्त पहाड़ी परिषद के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था।


मुकुल राय के मुताबिक राज्य सरकार को बदनाम करने वाली माकपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद माकपा तो विलुप्त हो जाएगी। इसके नेता खोजने पर भी नहीं मिलेंगे। कांग्रेस पर वार करते हुए उन्होने कहा कि जिस पार्टी ने जमीन और आसमान तक को घोटालों में बेच डाला उसे भ्रष्टाचार की बात करने का कोई हक नहीं। माकपा और कांग्रेस इन दिनों मिलकर अग्रसर हो रही बंगाल सरकार को बदनाम करने में लगी हैं। नारी अत्याचार, आत्महत्या, शिशु मृत्यु, एसजेडीए और सारधा चिटफंड घोटाले की बातें कहीं जा रही है।नेशनल क्राइम रिकार्ड बताता है कि ज्योति बसु के शासनकाल में 1426 तथा बुद्धदेव भट्टाचार्य के शासनकाल में 990 किसानों ने आत्महत्या की। वामो के शासनकाल में 95 हजार कल-कारखाने बंद हुए। वामो के शासनकाल में 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौतें हुई। टीएमसी के शासनकाल में एक भी व्यक्ति अनाहार से नहीं मरा। एक ओर दार्जिलिंग जल रहा था तो दूसरी ओर जंगल महल। वहां जाने की कोई हिम्मत नहीं जुटा रहा था। कोलकाता और सिलीगुड़ी में जुलूस निकाल ऑखें तरेरी जा रही थीं। वर्ष 2011 में ममता ने सत्ता संभाली। उन्होंने 26 बार जंगल महल का दौरा किया और 24 बार पहाड़ का। जो काम ज्योति बसु और इंदिरा गांधी नहीं कर सकी उसे ममता ने पहाड़ पर जाकर कर दिखाया। जब कांग्रेस को लगने लगा कि टीएमसी को मदद दी गई तो राज्य में यह मजबूत हो जाएगी तो उन्होंने सहायता नहीं दी। मालूम हो कि वामो से जब टीएमसी ने सत्ता ली तो 2लाख तीन हजार करोड़ का बकाया था। प्रति वर्ष बतौर ब्याज 21 हजार करोड़ रुपया देना पड़ता है। इस ऋण से मुक्ति नहीं मिल पाई। इसकी परवाह नहीं करते हुए ममता बनर्जी ने कन्याश्री प्रकल्प, युवा श्री प्रकल्प का शुभारंभ किया। रोजी रोजगार से युवाओं को जोड़ना शुरु किया।


चिटफंड की चर्चा करते हुए मुकुल राय ने कहा है कि केंद्र में कांग्रेस ने घोटालों की बाढ़ ला दी है। ममता बनर्जी ने सारधा चिटफंड में मामला दर्ज कर जांच के लिए कमीशन बनाया और दो लाख 33 हजार लोगों को पैसा वापस किया। महंगाई पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। इसके लिए पांच राज्यों में कांग्रेस को अपने से दूर कर दी है और आने वाले दिनों में देश से दूर कर देगी।



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