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विष्णु खरे जबरन विवाद को बढ़ा रहे हैं यह किसी लेखक की स्वतन्त्रता है कि वह किस क्षण कोई फैसला ले. उदय ने पुरस्कार तब लौटाया जब देख लिया लेखकों की हत्या लगातार बढ़ रही है. यह ह्त्या जिन कारणों से हुई वह भी सामने है, वो लोग भी पकडे गये जिन्होंने हत्या श्रीराम सेना की विचारधारा क्या है ये बात हम सभी जानते हैं. कोई भी संस्था जो लेखकों से जुडी हैं उन्हें अपने समामानित लेखकों की हत्या पर विरोध करना नैतिक दायित्व है. अगर ऐसा नहीं होता तो ये संस्थाएं भी व्ही काम कर रही हैं जो हत्यारे कर रहे हैं. संस्थाओं का चुप रहना हत्या करने वालों के पक्ष में उन्हें खड़ा करती है ऐसे में अगर उदय ने पुरस्कार लौटाया है तो क्या गलत किया? विष्णु खरे किसी पूर्वाग्रह से ये बातें कह रहे हैं. जोकि लेखकों के बीच गलत असर दाल सकती हैं ऐसे समय में सच्चे और जनवादी लेखक की पहचान करना जनता का दायित्व है. |
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