याकूब, नौशाद, जलालुद्दीन का बरी होनो साबित करता है कि खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां बेगुनाहों को फंसाती हैं- रिहाई मंच
-- Rihai Manch
For Resistance Against Repression
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याकूब, नौशाद, जलालुद्दीन का बरी होनो साबित करता है कि खुफिया-सुरक्षा
एजेंसियां बेगुनाहों को फंसाती हैं- रिहाई मंच
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने का वादा सपा सरकार निभाती तो
बेगुनाह जेलों में सड़ने को मजबूर न होते
लखनऊ 10 अगस्त 2015। रिहाई मंच ने आतंकवाद के फर्जी मुकदमें में गिरफ्तार
याकूब, नौशाद और जलालुद्दीन के बरी किए जाने को साम्प्रदायिक जांच एंव
खुफिया एजेंसियों के मुंह पर तमाचा बताया है। मंच ने कहा कि यदि सपा
सरकार ने चुनाव के समय किए गए वादे को पूरा करते हुए इन बेगुनाहों को
2012 में छोड़ दिया होता तो इनकी जिन्दगी के कीमती तीन साल बच सकते थे।
रिहाई मंच के अध्यक्ष और इस मामले में वकील मुहम्मद शुऐब ने कहा कि
आरडीएक्स बरामदगी के गम्भीर आरोप से आरोपियों के बरी कर दिए जाने के बाद
पुलिस और सरकार को बताना चाहिए कि बरामद दिखाया गया साढ़े चार किलो
आरडीएक्स पुलिस को कहां से मिला था। उन्होने सवाल किया कि क्या उसे आतंकी
विस्फोटों में इस्तेमाल किया जाने वाला यह विस्फोटक किसी आतंकी संगठन ने
उपलब्ध करवाया था या वह फिर वह इनका इस्तेमाल आतंकी विस्फोट कराने में
करती हैं और उसके बाद उसमें बेगुनाह मुसलमानों को फंसा भी देती हैं?
मुहम्मद शुऐब ने इस मामले में शामिल पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अफसरों
को निलम्बित कर उनके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इन पुलिस और खुफिया
अधिकारियों ने यह षणयंत्र तत्कालीन मायावती सरकार के कहने पर किया था या
संघ परिवार और खुफिया विभाग के साम्प्रदायिक तत्वों के कहने पर।
रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि सपा सरकार ने अगर अपने चुनावी वादे के तहत
आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ दिया होता तो यह लोग
काफी पहले छूट गए होते। लेकिन सपा सरकार ने इस वादे से मुकर कर मुसलमानों
और इंसाफ पसंद लोगों को सिर्फ धोखा ही नहीं दिया बल्कि आतंक के वास्तविक
अपराधियों संघ परिवार और खुफिया एजेंसियों के साम्प्रदायिक तत्वों के
मनोबल को भी बढ़ाया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि किस तरह प्रदेश
सरकार यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए बेशर्मी की हदें
पार कर सुप्रीम कोर्ट तक जा रही है। लेकिन बेगुनाहों के छोड़ने के जिन
वादों पर वह सत्ता में आई उससे मुकर गई है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने आजमगढ़ के महीनों लापता रहने के बाद
विक्षिप्त अवस्था में वापस आने वाले जाकिर के मामले में खुफिया विभाग की
भूमिका की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग एक बार फिर
मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम फंसाने की योजना बना रहा है। जिसके तहत
आईएसआईएस के नाम पर आजमगढ़ समेत देश के अन्य भागों से गायब बताए जा रहे
मुस्लिम युवकों को बदनाम कर 15 अगस्त के आसपास फर्जी मुडभेड़ों में मारने
और गिरफ्तारियों की भूमिका तैयार कर रहा है। जबकि यह तमाम गायब बताए जा
रहे नौजवान उनके पास ही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकार अजीत डोभाल संघ परिवार के थिंकटैंक विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े
रहे हैं। उनकी देखरेख में फिर वही सब दोहराने की साजिश हो रही है जो मोदी
के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में खुफिया एजेंसियां आतंकवाद के नाम पर
कर चुकी हैं। उन्होंने कहा फिर 15 अगस्त के दौरान आतंकवादी हमले का हव्वा
मीडिया के जरिए खड़ा किया जा रहा है। इसमें सुरक्षा एजेंसियां हास्यास्पद
स्तर तक गिरते हुए हमला करने वाले आतंकियों की संख्या तक बता दे रही हैं
जो यह कथित हमला करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली में
रियाज भटकल और इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर तमाम लड़कों की तस्वीरें लगाई
जा रही हैं वह इस बात का संकेत है कि अपने हर मोर्चे पर विफल हो चुकी
मोदी सरकार इस बार 15 अगस्त के आसपास आतंकवाद के नाम पर कुछ बड़ा खेल
करना चाहती है। उन्होंने मुस्लिम और आदिवासी युवकों से स्वतंत्रता दिवस
के आस-पास शाम ढलने के बाद अकेले बाहर नहीं निकलने की अपील करते हुए कहा
कि मोदी पर हमले के षडयंत्र के आरोप में आतंकवादी या माओवादी बताकर
उन्हें गिरफ्तार किया या मारा जा सकता है, जैसा कि इससे पहले भी हो चुका
है।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)
09415254919
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Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
E-mail: rihaimanch@india.com
facebook.com/rihaimanch - twitter.com/RihaiManch
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याकूब, नौशाद, जलालुद्दीन का बरी होनो साबित करता है कि खुफिया-सुरक्षा
एजेंसियां बेगुनाहों को फंसाती हैं- रिहाई मंच
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने का वादा सपा सरकार निभाती तो
बेगुनाह जेलों में सड़ने को मजबूर न होते
लखनऊ 10 अगस्त 2015। रिहाई मंच ने आतंकवाद के फर्जी मुकदमें में गिरफ्तार
याकूब, नौशाद और जलालुद्दीन के बरी किए जाने को साम्प्रदायिक जांच एंव
खुफिया एजेंसियों के मुंह पर तमाचा बताया है। मंच ने कहा कि यदि सपा
सरकार ने चुनाव के समय किए गए वादे को पूरा करते हुए इन बेगुनाहों को
2012 में छोड़ दिया होता तो इनकी जिन्दगी के कीमती तीन साल बच सकते थे।
रिहाई मंच के अध्यक्ष और इस मामले में वकील मुहम्मद शुऐब ने कहा कि
आरडीएक्स बरामदगी के गम्भीर आरोप से आरोपियों के बरी कर दिए जाने के बाद
पुलिस और सरकार को बताना चाहिए कि बरामद दिखाया गया साढ़े चार किलो
आरडीएक्स पुलिस को कहां से मिला था। उन्होने सवाल किया कि क्या उसे आतंकी
विस्फोटों में इस्तेमाल किया जाने वाला यह विस्फोटक किसी आतंकी संगठन ने
उपलब्ध करवाया था या वह फिर वह इनका इस्तेमाल आतंकी विस्फोट कराने में
करती हैं और उसके बाद उसमें बेगुनाह मुसलमानों को फंसा भी देती हैं?
मुहम्मद शुऐब ने इस मामले में शामिल पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अफसरों
को निलम्बित कर उनके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इन पुलिस और खुफिया
अधिकारियों ने यह षणयंत्र तत्कालीन मायावती सरकार के कहने पर किया था या
संघ परिवार और खुफिया विभाग के साम्प्रदायिक तत्वों के कहने पर।
रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि सपा सरकार ने अगर अपने चुनावी वादे के तहत
आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ दिया होता तो यह लोग
काफी पहले छूट गए होते। लेकिन सपा सरकार ने इस वादे से मुकर कर मुसलमानों
और इंसाफ पसंद लोगों को सिर्फ धोखा ही नहीं दिया बल्कि आतंक के वास्तविक
अपराधियों संघ परिवार और खुफिया एजेंसियों के साम्प्रदायिक तत्वों के
मनोबल को भी बढ़ाया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि किस तरह प्रदेश
सरकार यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए बेशर्मी की हदें
पार कर सुप्रीम कोर्ट तक जा रही है। लेकिन बेगुनाहों के छोड़ने के जिन
वादों पर वह सत्ता में आई उससे मुकर गई है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने आजमगढ़ के महीनों लापता रहने के बाद
विक्षिप्त अवस्था में वापस आने वाले जाकिर के मामले में खुफिया विभाग की
भूमिका की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग एक बार फिर
मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम फंसाने की योजना बना रहा है। जिसके तहत
आईएसआईएस के नाम पर आजमगढ़ समेत देश के अन्य भागों से गायब बताए जा रहे
मुस्लिम युवकों को बदनाम कर 15 अगस्त के आसपास फर्जी मुडभेड़ों में मारने
और गिरफ्तारियों की भूमिका तैयार कर रहा है। जबकि यह तमाम गायब बताए जा
रहे नौजवान उनके पास ही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकार अजीत डोभाल संघ परिवार के थिंकटैंक विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े
रहे हैं। उनकी देखरेख में फिर वही सब दोहराने की साजिश हो रही है जो मोदी
के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में खुफिया एजेंसियां आतंकवाद के नाम पर
कर चुकी हैं। उन्होंने कहा फिर 15 अगस्त के दौरान आतंकवादी हमले का हव्वा
मीडिया के जरिए खड़ा किया जा रहा है। इसमें सुरक्षा एजेंसियां हास्यास्पद
स्तर तक गिरते हुए हमला करने वाले आतंकियों की संख्या तक बता दे रही हैं
जो यह कथित हमला करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली में
रियाज भटकल और इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर तमाम लड़कों की तस्वीरें लगाई
जा रही हैं वह इस बात का संकेत है कि अपने हर मोर्चे पर विफल हो चुकी
मोदी सरकार इस बार 15 अगस्त के आसपास आतंकवाद के नाम पर कुछ बड़ा खेल
करना चाहती है। उन्होंने मुस्लिम और आदिवासी युवकों से स्वतंत्रता दिवस
के आस-पास शाम ढलने के बाद अकेले बाहर नहीं निकलने की अपील करते हुए कहा
कि मोदी पर हमले के षडयंत्र के आरोप में आतंकवादी या माओवादी बताकर
उन्हें गिरफ्तार किया या मारा जा सकता है, जैसा कि इससे पहले भी हो चुका
है।
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शाहनवाज आलम
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