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कभी पी है गाँव के रास्ते में चाय की दूकान में गिलास की " चा"...चूल्हे के धुंवे के फ्लेवर वाली...!
अद्भुत..स्वाद और इस ' चा' की खूबी ये है की जितनी ज्यादा थकान होती है..उतना ज्यादा जायका देती है...और अगर "छूंयी- बात" का ठुंगार हो तो क्या कहने...!
(अद्वाणी-पौड़ी के रास्ते में बाइक यात्रा के दौरान)