याकूब मेनन को लेकर फाँसी पर बहस शुरू हुई और अब चुप रह जायेंगे।फिर इंतज़ार करेंगे ,किसी याकूब मेनन का जिसके माध्यम से फिर फाँसी पर बहस की जा सके।फाँसी की क़तार में बहुत लोग हैं।यहॉं तक कि बिना गुनाह के या छोटे-छोटे गुनाह में हज़ारों हिन्दू-मुसलमान क़ैदी वर्षो वर्ष जेल की सजा काट रहे हैं।उसके लिए कोई औबेसी या प्रशांत भूषण या वे चालीस या ढाई सौ लोग जो याकूब मेनन के लिए टेसुए बहा रहे थे,कुछ नहीं बोलेंगे।चैनल चुप पड़ा रहेगा।सरकार कान में कड़वा तेल देकर सोयी रहेगी।वे क़ैदी जेल में रहेंगे,क्योंकि वे आम लोग हैं।उनके पक्ष में तबतक नहीं बोलेंगे,जबतक वे खास न हो जायें।सरकार,चैनल और वोट के लुटेरे तो हिन्दू-मुसलमान करेंगे और हम सब भी लाठी-डंडा लेकर इनके पक्ष-विपक्ष में खड़े होंगे,लेकिन यह विरोध देश को अंधेरी सुरंग में ले जायेगा।देश को बचाना है तो अपनी खुली आँखों से समस्याओं के वास्तविक स्वरूप को देखें और देश की जनता को परिचित करायें।
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