'प्रधानजी ने चुने जाने के बाद एक विदेशी चैनल को सितंबर में पहला साक्षात्कार दिया। उन्होंने कहा, ''भारत का मुसलमान देश के लिए जिएगा और मरेगा।'' खूब वाहवाही हुई। गजब। दस महीने बाद इस वाक्य का मतलब समझ में आया जब मुसलमानों को तलब किया गया।
प्रधानजी ने पहले से पूछा, ''हां भाई, देश के लिए मरेगा?'' वो बोला, ''जी जनाब। नागपुर जाएगा, हेडगंवार के सामने सिर नवाएगा, मिसाइल बनाएगा, गीता पढ़ेगा, मारेगा और मरेगा।'' ''ठीक है, गुड'', प्रधानजी बोले, ''इसे देशभक्त बना दो। भारत रत्न दो। समय आने पर बताया जाएगा इसे कब मरना है।''
दूसरे की बारी आई। प्रधानजी ने पूछा, ''बोल भाई, देश के लिए मरेगा?'' वो बोला, ''नहीं जनाब... मैं कानून का सामना करने के लिए, जिंदा रहने के लिए, अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वापस आया हूं। मुझे इस देश की अदालत पर भरोसा है।'' प्रधानजी बोले, ''बहस करता है? देशद्रोही है ये... आतंकवादी कहीं का... इसे फांसी पर लटकाओ।''
(भारत का सेकुलर इतिहास, 2025, नागपुर प्रकाशन)'