इंसानियत के भूगोल इतिहास की भी परवाह करें!
नेपाल में हिंदू राष्ट्र को लेकर बहस तेज: प्रचंड का यह साक्षात्कार जरुर पढ़ें।
अमन चैन और जान ओ माल फासिज्म के राजकाज के हवाले,जब चाहे वसूल ले बिन मुआवजा के!
पलाश विश्वास
अमन चैन और जान ओ माल फासिज्म के राजकाज के हवाले,जब चाहे वसूल ले बिन मुआवजा के।
यकीन न आवै तो उन चेकों पर जरुर गौर करें जो हिंदुत्व के राजकाज के तहत हरियाणा के किसानों को दो दो रुपये,तीन तीन रुपये,सात सात रुपये या दस दस रुपये विकास और मेकिंग इन के नाम जमीन दे देने के बदले मिले हैं,जो राष्ट्रीय ध्वज की तरह टीवी के परदे पर लहरा रहे हैं।
डिजिटल इंडिया का कमाल है कि गैस बुक कराने के लिए टेलीफोन पर शून्यदबाने को कहा जा रहा है और वैसा करते ही तुरंत गैस सब्सिडी खत्म।
पेंशन,पीएफ,बीमा वगैरह बाजार में डालने के लिए इस धोखाधड़ी की जरुरत भी नहीं है जैसे संपूर्ण निजीकरण,संपूर्ण बेदखली के लिए,संपूर्ण एफडीआई विनिवेश,संपूर्ण विनियंत्रण,संपूर्ण विनियमन के तहत अमन चैन और जान ओ माल बाजार के हवाले करने को न जनता की,न संसद या विधानसभी की किसी इजाजत की जरुरत है क्योंकि हम सत्ता उस महाजिन्न को सौंप दी है जो दरअसल बिररिंची बाबा है।
आउटलुक में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड का साक्षात्कार छपा है।हमारे आदरणीय मित्र आनंद तेलतुंबड़े का आग्रह है कि इसे तुरंत लगा दिया जाये।
हमारे लिए दरअसल यह मामला नेपाल का मामला है ही नहीं।यह इंसानियत के भूगोल का मामला है और इस कायनात की फिजां का मामला है जिस सबसे बड़ा खतरा विदेशी महाजनी पूंजी के कंडोम आस्था कारोबार से है।
जो लोग भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को हिंदुत्व की सुनामी से लथपथ है,वे हाल में समूची अरब दुनिया में और अमेरिका में भी,यूरोप में और दुनिया के दूसरे हिस्सों में फासिज्म की मुक्तबाजारी दस्तक के साथ धर्मोन्माद की वजह से मचे तहलका और बेगुनाह आवाम पर बरपाये गये कहर से शायद अनजान हैं।
लातिन अमेरिका बुहत दूर है।सोवियत विखंडन के बाद उसके हर टुकड़े का क्या क्या अंजाम हुआ और उन किरचियों पर आबाद इंसानियत का क्या हश्र हुआ जाहिर है कि विचारधारा और इतिहास के अंत की घोषणा के बाद हमें उसकी कोई खबर नहीं होनी है और हम पूंजी को ही अंतिम नियति मान चुके हैं जो दरअसल मृत्युनिदान है।
अमेरिका के गिरते हुए ट्विन टावर के साथ साथ इंसानियत के भूगोल का्ंत हो गया है और दुनियाबर में जिहादी कंडोम कारोबार मुक्त बाजार का खुल्ला खेल फर्रूखाबादी है।
इस्लामी जिहाद का नाम अगर अफगानिस्तान, इराक, ईरान, मिश्र, सीरिया, जार्डन, सूडान, सोमालिया,वगैरह वगैरह है तो ग्लोबल हिंदुत्व का अकंड साम्राज्य भारत है और तबाही का मंजर फिजां में हर तरह की,हर रंग की कयामत है।
नेपाल कल तक हिंदू राष्ट्र था जहां राजतंत्र था।उस राजतंत्र के अवसान की लड़ाई में भारत शामिल रहा है तो हिंदू राष्ट्र को लोकतांत्रिक बनाने में भी भारत की लोकतांत्रिक ताकतों की बड़ी भूमिका है।
विडंबना यह है कि अखंड हिंदुत्व की महासुनामी उस लोकतांत्रिक नेपाल के आखेट के लिए बेचैन हैं और हिंदुत्व का यहसाम्राज्यवादी एजंडा बेहद तेजी से भारत को इस्लामी जिहाद के अंजाम तक पहुंचाने में लगा है।
नेपाल हमारे लिए समझने का मसला है कि जिस हिंदू राष्ट्र के लिए हम गुले गुल बहार है,उससे निजात पाने के लिए नेपाल को कितना बड़ा संग्राम करना पड़ा और विडंबना यह कि धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत नेपाल में फिर हिंदू राष्ट्र और राजतंत्र की बहाली के लिए सबसे सक्रिय है।
गौर करें नेपाल में इन दिनों हिंदू राष्ट्र पर बहस चल रही है और जाहिर है कि हिंदू राष्ट्र से लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष नेपाल की लड़ाई जिन ताकतों ने नेपाल की जनता को गोलबंद करके ,राष्ट्र की सैन्यशक्ति के साथ विदेशी ताकतों और खासतौर पर ग्लोबल हिंदुत्व और अविराम भारतीय हस्तक्षेप राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र का अवसान कर दिया,वे हिंदुत्व की इस नई सुनामी के खिलाफ भी हैं।
सबसे गड़बड़ यह है कि आजादी की लड़ाई में जो लोग साथ साथ थे,वे सत्ता की लड़ाई में अब अलग अलग हैं।
मधेशी और बहुजन जनसमुदाय को नेपाल में जो प्रतिनिधित्व पहलीबर मिला है,हिंदुत्व के पुनरूत्थान के जरिये उसे फर मनुस्मृति शासन में निष्णात कर देने के लिए ग्लोबल हिंदुत्व बेहद सक्रिय है और नेपाल में हुए हाल के महाभूकंप की त्रासदी के दौरान वे ताकतें सिरे से नंगी भी हो गयीं और नेपाल की जनता का गुस्सा भी फूट पड़ा।हम उसका एक एक ब्यौरा आपको देते रहे हैं।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर-प्रचंड माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड इन दिनों भारत में हैं। नेपाल की एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के मुखिया प्रचंड भारत सरकार से नेपाल के साथ रिश्तों, खासतौर से नेपाल के संविधान निर्माण में भारत के सहयोग संबंधी कई स्तरों की चर्चा करने के लिए आए हुए हैं। उन्होंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अौर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है। इसके बाद वह गुजरात के भुज में भूकंप के बाद के पुनर्वास को देखने जाएंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब नेपाल गए थे, तो प्रचंड और मोदी ने जिस तरह से एक दूसरे की तारीफ की थी, उस पर गरमा-गरम चर्चा रही थी।
दिल्ली में 16 जुलाई को समकालीन तीसरी दुनिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रचंड ने दोहराया कि उन्हें मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें है। नेपाल में क्रांति के भविष्य, प्रंचड के हस्तक्षेप, नेपाल के हिंदू राष्ट्र बनने जैसे तमाम ज्वलंत सवालों पर आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह ने उनसे विस्तृत बात की।
समकालीन तीसरी दुनिया हर महीने एकबार निकलता है लेकिन हम नेपाल महाभूकंप के बाद पूरे दक्षिण एशिया और भारत के कोने कोने से जनसुनवाई के मंच बतौर हस्तक्षेप को गढ़ने के काम में लगे हुए हैं और आपसे लगातार गुजारिश कर रहे हैं कि जनपक्षधर मीडिया के मोर्चे पर आप हमारे साथ जरुर खड़े हों।
हम लगातार इसकी जानकारी देते रहे हैं।हमारे अग्रज आनंद स्वरुप वर्मा के नेतृत्व में हम नेपाल की जनता के हक हकूक की लड़ाई में हमेशा उनके साथ रहे हैं और हमारी कोशिश रही है कि भारत और नेपाल समेत पूरे एशिया में अमन चैन का माहौल कायम रहे और फिजां मुहब्बत से लबालब हो।फिर कहीं नफरत का कारोबार न हो।
नेपाल में हिंदू राष्ट्र को लेकर बहस तेज: प्रचंड
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर-प्रचंड माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड इन दिनों भारत में हैं। नेपाल की एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के मुखिया प्रचंड भारत सरकार से नेपाल के साथ रिश्तों, खासतौर से नेपाल के संविधान निर्माण में भारत के सहयोग संबंधी कई स्तरों की चर्चा करने के लिए आए हुए हैं। उन्होंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अौर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है। इसके बाद वह गुजरात के भुज में भूकंप के बाद के पुनर्वास को देखने जाएंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब नेपाल गए थे, तो प्रचंड और मोदी ने जिस तरह से एक दूसरे की तारीफ की थी, उस पर गरमा-गरम चर्चा रही थी।
दिल्ली में 16 जुलाई को समकालीन तीसरी दुनिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रचंड ने दोहराया कि उन्हें मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें है। नेपाल में क्रांति के भविष्य, प्रंचड के हस्तक्षेप, नेपाल के हिंदू राष्ट्र बनने जैसे तमाम ज्वलंत सवालों पर आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह ने उनसे विस्तृत बात की। पेश हैं उसके अंश:
नेपाल में माओवादी आंदोलन की इतनी बड़ी जीत, जिसमें आपने वहां से राजसत्ता को उखाड़ फेंका, उसके बाद आपकी पार्टी को गहरा धक्का लगा। आप अपना जनाधार खो बैठे, विपक्ष में चले गए। अब आगे का क्या रास्ता सोच रहे हैं?
आपकी बात तो सच है। हमने गलतियां की और उसका परिणाम सामने हैं। अब चुनौती फिर से खड़े होने और नेपाल की जनता के सामने एक मजबूत विकल्प देने की है। इसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं। हमारी रणनीति में परिवर्तन आया है। यह बेहद जरूरी था। नेपाल में बुर्जुआ लोकतांत्रिक क्रांति का दौर राजशाही की समाप्ति के बाद से खत्म हो गया है। अब हमें समाजवादी क्रांति की तैयारी करनी है। इसके लिए वामपंथ के तमाम धड़ों को साथ लेने की कोशिश करनी है। हम इसकी तैयारी कर रहे हैं। अलग-अलग धड़ों में बंटे वामपंथ की मारक शक्ति कमजोर होगी।
समाजवादी क्रांति को किस तरह से व्याख्यित करते हैं, प्रधान शत्रु कौन है?
अब नेपाल में न तो उस तरह की राजसत्ता है और न ही उस तरह का सामंतवाद। हमारी पार्टी के नेतृत्व में चले 10 साल लंबे जनयुद्ध में भूमि संबंधों में बहुत परिवर्तन आया। बहुत बड़े जमींदार पहले भी नेपाल में नहीं थे, जो थे भी, उनका खात्मा हो गया। नेपाल में पहाड़ी क्षेत्र में 3-4 हेक्टेयर जमीन और तराई में 10 बीघा से अधिक जमीन कोई नहीं रख सकता है। हम इसे संविधान में भी रख रहे हैं।
भारत नेपाल मैत्री समझौते को खत्म करने की मांग बहुत पुरानी है, इस बार भी क्या आप भारतीय पक्ष से इस बाबत बात करेंगे?
यह समझौता पूरी तरह से एकतरफा है। यह 1950 में राणा के काल में हुआ था। हम इसे खत्म करना चाहते है। पर भारत कहता है कि इसे हम अपनी तरफ से खत्म कर दें, यह सही नहीं है। दोनों पक्षों को मिलकर खत्म करना चाहिए। इस पर हमारी बात जारी है।
नेपाल पर हिंदू राष्ट्र बनने का खतरा कितना तगड़ा है ?
यह नेपाल का सबसे संवेदनशील मुद्दा है। इसे लेकर पूरे नेपाल में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। प्रलोभन देकर, डरा-धमका कर लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के हम भी खिलाफ हैं। इस बारे में हमने संविधान में प्रावधान भी रखा है कि इस तरह कराए जाने वाला धर्म-परिवर्तन अपराध घोषित होना चाहिए।
यानी आप हिंदू राष्ट्र के समर्थकों की प्रमुख मांग को स्वीकार करते हैं। वे तो संविधान में इस प्रावधान से बहुत खुश हैं?
देखिए, नेपाल में में हिंदू आबादी ज्यादा है। नेपाल में ईसाइयत का बढ़ना हमारे लिए खतरा है। हमारा एक पड़ोसी चीन है, तो दूसरा भारत। दोनों देश नेपाल की आबादी की संरचना बदलने से परेशान होंगे। चीन के लिए तो यह पश्चिमी शक्तियों का प्रभाव है। हमारे राष्ट्रीय हित में भी नहीं है। लेकिन साथ ही यह भी तय है कि हम नेपाल को हिंदू राष्ट्र नहीं बनाना चाहते। हमारी पूरी कोशिश है कि यह धर्मनिरपेक्ष देश बना रहे। हालांकि नेपाली कांग्रेस सहित कुछ अन्य पार्टियां हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं।
नेपाल में संविधान निर्माण की प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल हो गई है। आप भी सत्ता से बाहर है, कैसे नेपाल का संविधान गरीब और हाशिये पर खड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व करेगा?
हमने तय किया है कि हम सरकार में रहकर, सदन में रहकर, सड़क पर रह कर संघर्ष करेंगे। नेपाल हमारा है, हमने इसे बनाया है और आगे भी इसे बेहतर बनाएंगे। संविधान में बहुत अच्छे सकारात्मक प्रयोग हमने किए हैं। किसी भी तरह की राजशाही का निषेध किया है। समानुपातिक प्रतिनिधित्व की बात कही है। महिलाओं, दलितों, समुदायों की बराबर की हिस्सेदारी की बात कही है। हम संसदीय प्रणाली के खिलाफ है। इससे कभी अराजकता खत्म नहीं होगी।
क्या दोबारा सशस्त्र क्रांति की जरूरत महसूस होती है ?
अभी तो नहीं। अभी शांतिपूर्ण संघर्ष का दौर है। क्रांतिकारी आंदोलन में अलग-अलग चरण होता है रणनीति का। समाजवादी क्रांति के लिए जब स्थितियां परिपक्व होंगी तो बिना बल प्रयोग के सत्ता हस्तांतरण नहीं संभव।
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