चोरी और सीनाजोरी
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प्रदेश की शिवराज सरकार व्यापमं घोटाले में पूरी तरह घिरती जा रही है इसके बावजूद सरकार में बैठे लोग चोरी और सीनाजोरी की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं । बेशर्मी इस हद तक है कि एक चोर अपने दूसरे चोर भाई को क्लीन चिट देते हुए पीठ थपथपा रहा है । जब मामला उच्चतम न्यायालय के द्वारा सीबीआई को जांच के लिए सौंपा जा चुका है तब क्लीन चिट जारी करने का गंदा खेल बंद होना जरूरी है । लोकतंत्र में विरोध के स्वरों को दबाना सरासर गलत है । आज 16 जुलाई को प्रदेशव्यापी शांतिपूर्ण बंद का विरोध सरकार में बैठे लोग जिस निर्लज्जता से कर रहे हैं उससे लोकतंत्र कलंकित हुआ है । शासन-प्रशासन का काम कानून व्यवस्था की निगरानी करना है न कि बंद को विफल बनाने के लिए पूरे प्रदेश को पुलिस छावनी बनाकर दहशतगर्दी पैदा करना । व्यापमं घोटाले में सफाई देने की तथ्यात्मक स्थिति में नहीं होने के कारण अब मुख्यमंत्री चौहान कहते फिर रहे हैं कि मामले का खुलासा उन्होने किया था । सवाल यह है कि सरकार के नाक के नीचे का घोटाला फिर लम्बे समय तक कैसे दबा रहा । दरअसल घोटाले का खुलासा होने पर सीबीआई जांच को रोकने के लिए एसटीएफ को शिवराज सरकार ने आगे किया । वहीं अब भाजपा सरकार के द्वारा कांग्रेस शासनकाल के समय के मामले उछालकर अपना बचाव करना चाहा है जो सही जवाब नहीं है । शिवराज सरकार ने शुरू से ही व्यापमं घोटाले को लेकर सीबीआई जांच की मांग को नजरअंदाज किया था । लेकिन जब सीबीआई जांच की मांग की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी तो हवा का रुख भांपते हुए शिवराज सिंह चौहान ने पलटी मारते हुए कहा कि उन्हें उक्त जांच पर कोई आपत्ति नहीं है । व्यापमं घोटाला काफी बड़ा है और इसका प्रभाव क्षेत्र कई राज्यों तक है लेकिन इसके बाद भी राज्य स्तरीय जांच एजेंसी एसटीएफ को सक्षम बताकर लम्बे समय तक गुमराह किया जाता रहा । आखिरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा सारी जांच सीबीआई को सौंपे जाने से यह बात साफ हुई कि जांच एजेंसियों एसटीएफ और सीबीआई की कार्यप्रणाली में भी बहुत फर्क होता है । लोकतंत्र को सफल तभी माना जाएगा जब सत्ता के साथ व्यवस्था भी बदले । व्यक्ति विशेष को महिमामंडित करने वाली किसी भी शासन व्यवस्था से लोकतंत्र नहीं तानाशाही आती है । वैसे भी लम्बे समय तक किसी व्यक्ति का खासतौर से कोई बड़े पद विशेष पर बने रहना लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है ।(समाजवादी जनपरिषद के नेता साथी अजय खरे की वाल से )
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प्रदेश की शिवराज सरकार व्यापमं घोटाले में पूरी तरह घिरती जा रही है इसके बावजूद सरकार में बैठे लोग चोरी और सीनाजोरी की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं । बेशर्मी इस हद तक है कि एक चोर अपने दूसरे चोर भाई को क्लीन चिट देते हुए पीठ थपथपा रहा है । जब मामला उच्चतम न्यायालय के द्वारा सीबीआई को जांच के लिए सौंपा जा चुका है तब क्लीन चिट जारी करने का गंदा खेल बंद होना जरूरी है । लोकतंत्र में विरोध के स्वरों को दबाना सरासर गलत है । आज 16 जुलाई को प्रदेशव्यापी शांतिपूर्ण बंद का विरोध सरकार में बैठे लोग जिस निर्लज्जता से कर रहे हैं उससे लोकतंत्र कलंकित हुआ है । शासन-प्रशासन का काम कानून व्यवस्था की निगरानी करना है न कि बंद को विफल बनाने के लिए पूरे प्रदेश को पुलिस छावनी बनाकर दहशतगर्दी पैदा करना । व्यापमं घोटाले में सफाई देने की तथ्यात्मक स्थिति में नहीं होने के कारण अब मुख्यमंत्री चौहान कहते फिर रहे हैं कि मामले का खुलासा उन्होने किया था । सवाल यह है कि सरकार के नाक के नीचे का घोटाला फिर लम्बे समय तक कैसे दबा रहा । दरअसल घोटाले का खुलासा होने पर सीबीआई जांच को रोकने के लिए एसटीएफ को शिवराज सरकार ने आगे किया । वहीं अब भाजपा सरकार के द्वारा कांग्रेस शासनकाल के समय के मामले उछालकर अपना बचाव करना चाहा है जो सही जवाब नहीं है । शिवराज सरकार ने शुरू से ही व्यापमं घोटाले को लेकर सीबीआई जांच की मांग को नजरअंदाज किया था । लेकिन जब सीबीआई जांच की मांग की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी तो हवा का रुख भांपते हुए शिवराज सिंह चौहान ने पलटी मारते हुए कहा कि उन्हें उक्त जांच पर कोई आपत्ति नहीं है । व्यापमं घोटाला काफी बड़ा है और इसका प्रभाव क्षेत्र कई राज्यों तक है लेकिन इसके बाद भी राज्य स्तरीय जांच एजेंसी एसटीएफ को सक्षम बताकर लम्बे समय तक गुमराह किया जाता रहा । आखिरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा सारी जांच सीबीआई को सौंपे जाने से यह बात साफ हुई कि जांच एजेंसियों एसटीएफ और सीबीआई की कार्यप्रणाली में भी बहुत फर्क होता है । लोकतंत्र को सफल तभी माना जाएगा जब सत्ता के साथ व्यवस्था भी बदले । व्यक्ति विशेष को महिमामंडित करने वाली किसी भी शासन व्यवस्था से लोकतंत्र नहीं तानाशाही आती है । वैसे भी लम्बे समय तक किसी व्यक्ति का खासतौर से कोई बड़े पद विशेष पर बने रहना लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है ।(समाजवादी जनपरिषद के नेता साथी अजय खरे की वाल से )
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