রামমন্দির হাতির দাঁত,আসল লক্ষ্য সংস্কারি নরমেধ লক্ষ্যপুরণ,আখেরে আম্বেজডকরের শবযাত্রা আবার!
केसरिया मुलम्मे में लिपटा खूनी आर्थिक एजंडा
এক্সকেলিবার স্টিভেন্স বিশ্বাস
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
রামমন্দির হাতির দাঁত,আসল লক্ষ্য সংস্কারি নরমেধ লক্ষ্যপুরণ!
ভস্মাসুর বধের জন্য বিষ্ণু মোহিনী রুপ ধারণ করেছিলেন, মোহন ভাগবতে বিষ্ণু অবতারে মোহিনী রুপান্তরের প্রতীক্ষায় থাকূন এবার
ভারতবর্ষে ভারতসরকার সংবিধান ও সংসদীয় গণতন্ত্রির রীতি নীতি বিরুদ্ধে ভারতের সংসদের প্রতি বা ভারতীয় জনগণের প্রতি কোনও দাযবদ্ধাতায় এই মুক্তবাজার সময়ে বাংদা নেই
রাজনীতি বিশুদ্ধ কারপোরেট লবিইং
নীতি নির্ধারণ কারপরেট
আইন প্রণয়ণ কারপোরেট লবিইং মার্ফত কর্পোরেট কেবিনেট ফয়সলা অনুযায়ী ফের করপোরেট লবিইং মার্ফত সর্বদলীয় অনুমোদন
ভারত সরকার গভর্ণমেংট অর্ডার জারী করে উদ্বাস্তু রেজিস্ট্রেশন বন্দ্ধ করেছে 1971 সালে
ভারত সরকারের শাসমাদেশ অনুযায়ী আফপসা লাগু 1958 থেকে
করোরেট আধার প্রকল্প বিনা সংসদীযঅনুমোদনে
অন্যদেশের সঙ্গে বাণিজ্যিক,পর্তিরক্ষা দ্বিপাক্ষিক সন্ধির অনুমোদন ভারতীয সংসদের অনুমতি ছাড়া
মোদী সরকার হলে সঙ্ঘ পরিবার তাকে কতটা নিযন্ত্রিত করে দেখার চিজ
1991 সালে মনমোহন অবতারের পূর্বেই রামরথে ধর্মোন্মাদী জাতীযতাবাদী বর্ণবিদ্বেষী জাতি আধিপাত্যিক উন্মাদনায় আর্থিক সংস্কার অভিযান শুরু
বাবরি ধ্বংস হল,রামমন্দির অথৈ জলে
আবার রামমন্দির অর্থাত দ্বিতীয় দফার সংস্কারের প্রতিশ্রুতি
সংসাক্র মানে বিদেশী অবাধ পুঁজি,এফডিআই রাজ
বেনিয়া ভোটার কুল রক্ষা করতে আপাতত খুচরোয় আপত্তি,অথচ মার্কিন সমর্থনের অন্যতম শর্ত ইহাই
বুঝুন এবার ঠ্যালা
এবার এমপ্লয়মেন্ট দপ্তর লোপাড করার জাদু
কেরিযার সিন্টার কোচিং সেন্টারে চাকরির সন্ধান
প্রাইভেটাইজেশন
সংরক্ষণ বাতিল
আখেরে আম্বেজডকরের শবযাত্রা আবার
ভারতে লোকসভা নির্বাচনের শুরুর দিনই অযোধ্যায় বাবরি মসজিদের স্থানে রামমন্দির প্রতিষ্ঠার প্রতিশ্রুতি দিয়ে দিল্লিতে সোমবার বিজেপির নির্বাচনী ইশতিহার প্রকাশ করেন দলের প্রবীণ নেতা মুরলি মনোহর যোশী।
বিজেপির কট্টরপন্থী নেতা হিসাবে পরিচিত মুরলি মনোহর যোশির স্বাক্ষরিত ৫২ পৃষ্ঠার ইশতেহারে বলা হয়েছে,সাংবিধানিক নিয়মের মধ্যে থেকেই বাবরি মসজিদের স্থানে রামমিন্দর প্রতিষ্ঠা করা হবে।
ইশতিহারে দলটির পররাষ্ট্রনীতির অংশে বলা হয়েছে, ক্ষমতায় এলে প্রতিবেশী দেশগুলোর সঙ্গে বন্ধুত্বপূর্ণ সম্পর্ক বজায় রাখার প্রতিশ্রুতি দেয়া হয়েছে। তবে প্রয়োজনে কঠোর পদক্ষেপ নিতেও দ্বিধা করবে না দলটি।
এছাড়া গ্রামীণ শিক্ষা ও কর্মসংস্থানের উপরও জোর দেয়াসহ আরো কতগুলো উন্নয়নের প্রতিশ্রুতি দিয়েছে বিজেপি।
এর মধ্যে রয়েছে,বিদেশ থেকে কালো টাকা ফেরত আনার প্রতিশ্রুতি,প্রতিটি রাজ্যে এইমস তৈরির প্রস্তাব ও কর ব্যবস্থার সরলীকরণ।
অভিন্ন দেওয়ানি বিধির ক্ষেত্রেও সুর নরম করা হয়েছে।সংবিধানের ৩৭০ ধারা সরাসরি বাতিল নয়,তা নিয়ে আলোচনার দাবি জানানো হয়েছে।
ইশতাহারে আট দফা উন্নয়নের মডেল রাখা হয়েছে।নতুন মূল স্লোগান-এক ভারত,শ্রেষ্ঠ ভারত।
একইসঙ্গে রাখা হয়েছে সর্বাত্মক উন্নয়নের প্রতিশ্রুতিও।খুচরো ব্যবসায় প্রত্যক্ষ বিদেশি বিনিয়োগের অনুমতি দেওয়া হবে না বলেই জানিয়ে দেওয়া হয়েছে ইশতাহারে।তবে বিনিয়োগ টানতে কর কাঠামো সংস্কারের আশ্বাস দেওয়া হয়েছে।
ইউপিএ সরকারকে কটাক্ষ করে ইশতাহারে দেওয়া হয়েছে নীতিপঙ্গুত্ব এবং দুর্নীতি দূরীকরণ এবং শাসন ব্যবস্থায় সংস্কারের প্রতিশ্রুতি।বিচারবিভাগীয় ও নির্বাচনী ব্যবস্থায় সংস্কারের প্রতিশ্রুতিও রাখা হয়েছে।
প্রত্যাশামতোই উন্নয়নের আশ্বাস দিয়ে নির্বাচনী ইশতাহার প্রকাশ করল দেশের প্রধান বিরোধী দল বিজেপি। তবে রামমন্দিরের মতো উগ্র হিন্দুত্বের ইস্যুকে একেবারে বাতিল করে দেওয়া হয়নি। বলা হয়েছে সাংবিধানিক কাঠামোর মধ্যেই রামমন্দির প্রতিষ্ঠা করা হবে। গ্রামীন শিক্ষা ও কর্মসংস্থানে জোর দেওয়া হয়েছে। বুলেট ট্রেন চালাতে রেলে চতুর্ভুজ প্রকল্পের প্রতিশ্রুতি দেওয়া হয়েছে।
বিদেশ থেকে কালো টাকা ফেরত আনার প্রতিশ্রুতি দেওয়া হয়েছে। প্রতিটি রাজ্যে এইমস তৈরির প্রস্তাব। কর ব্যবস্তার সরলীকরণের প্রতিশ্রুতি। খুচরো ব্যবসা ছাড়া বিদেশী বিনিয়োগ স্বাগত জানানো হয়েছে।
অভিন্ন দেওয়ানি বিধির ক্ষেত্রেও সুর নরম করা হয়েছে। সংবিধানের ৩৭০ ধারা সরাসরি বাতিল নয়, তা নিয়ে আলোচনার দাবি জানানো হয়েছে। দিল্লিতে আজ বিজেপির নির্বাচনী ইশতাহার প্রকাশ করেন দলের প্রবীণ নেতা মুরলি মনোহর যোশী।
ইশতাহারে আট দফা উন্নয়নের মডেল রাখা হয়েছে। নতুন মূল স্লোগান- এক ভারত, শ্রেষ্ঠ ভারত। একইসঙ্গে রাখা হয়েছে সর্বাত্মক উন্নয়নের প্রতিশ্রুতি। খুচরো ব্যবসায় প্রত্যক্ষ বিদেশি বিনিয়োগের অনুমতি দেওয়া হবে না বলেই জানিয়ে দেওয়া হয়েছে ইশতাহারে। তবে বিনিয়োগ টানতে কর কাঠামো সংস্কারের আশ্বাস দেওয়া হয়েছে। ইউপিএ সরকারকে কটাক্ষ করে ইশতাহারে দেওয়া হয়েছে নীতিপঙ্গুত্ব এবং দুর্নীতি দূরীকরণ এবং শাসন ব্যবস্থায় সংস্কারের প্রতিশ্রুতি। বিচারবিভাগীয় ও নির্বাচনী ব্যবস্থায় সংস্কারের প্রতিশ্রুতিও রাখা হয়েছে।
Economic Times puts it straight.Just see
PURE POLITICS
BJP Manifesto Promises Reform, Development
Ram temple at Ayodhya makes a comeback
OUR POLITICAL BUREAU NEW DELHI
BJP slammed the Congress-led government on a host of issues like price rise, growing unemployment, corruption, internal and external security, and overall policy paralysis in its manifesto while promising participative and inclusive democracy and development of all through e-governance and reforms in various sectors . The much-awaited BJP manifesto released on Monday also underlines the party's longstanding commitment to building the Ram temple at Ayodhya, Uniform Civil Code and abrogation of Article 370 that gives special status to Jammu and Kashmir .
The BJP opposition to foreign direct investment in multi-brand retail while welcoming it in other sectors was the most talked about issue of the document . "Barring the multi-brand retail sector, FDI will be allowed in sectors wherever needed for job and asset creation, infrastructure and acquisition of niche technology and specialised expertise. BJP is committed to protecting the interest of small and medium retailers, SMEs and those employed by them," the party said .
In the same breath it promised to make the functioning of Foreign Investment Promotion Board (FIPB) more efficient and investor-friendly, an indication that the party is not against foreign capital in other areas . Though the party's stand on a host of issues were outlined in the manifesto, the stamp of BJP's prime ministerial candidate Narendra Modi was stamped all over it. The policies and programmes mentioned in the manifesto revolve around his views and agenda . Speaking on the occasion, Modi said, "The manifesto reflects our commitments and goals. We will move forward on two issues- good governance and development. Development should be all inclusive, it should reach everybody and should be welcomed by all." He defined good governance as one where government thinks about poor and the oppressed and hears their woes .
राम मंदिर तो बहाना है।बाकी जनता पर हर किस्म का हर्जाना है।धर्मराष्ट्र में कारपोरेट जजिया अफसाना है।सन 1991 में सुधारों के ईश्वर मनमोहन के अवतार से पहले मंडल प्रतिरोधे निकल पड़ा था रामरथ,जो लखनऊ में केसरिया और नई दिल्ली में तिरंगे की युगलबंदी के तहत बाबरी विध्वंस को कामयबा तो रहा,लेकिन न राम मंदिर बना और न रथयात्री थमी। गौर से देखें तो इस रथ के घोड़े दिग्विजयी अश्वमेधी घोड़े हैं,जिनका असली मकसद जनपदों को कुचलना है।जन गण का सफाया है।संसाधनों से बेदखली है।वर्णी नस्ली कारपोरेट एकाधिकारवादी वर्चस्व है।असल में बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अगर छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस और भाजपा के आर्थिक एजेंडे में बड़ा अंतर नहीं है। दोनों दलों ने वृद्धि को गति देने, मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने, रोजगार सृजन, कर प्रणाली में सुधार तथा निवेशक अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के अलावा राजकोषीय मुद्दों से प्रभावी तरीके से निपटने का वादा किया है।
मजे की बात तो यही है कि आर्थिक सुधार के मोर्चे पर कांग्रेस और भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में कोई मौलिक फर्क है ही नहीं। सरकार चाहे जिसकी बने,राज कारपोरेट निरंकुश होगा।आर्थिक वृद्धि दर को तेज करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने को उच्च प्राथमिकता देने का वायदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) ने कहा है कि यदि वह सत्ता में आई तो महंगाई पर लगाम लगाएगी, कर व्यवस्था में सुधार करेगी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करेगी पर मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को कारोबार की छूट नहीं दी जाएगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा आज यहां जारी पार्टी के 'चुनाव घोषणापत्र-2014Ó में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार पर 'कर आतंकवाद एवं अनिश्चितता'फैलाने तथा 10 वर्षो के रोजगारविहीन विकास की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया गया है। भाजपा ने ऊंची मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर अंकुश लगाने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना करने, राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित करने तथा बैंकों के वसूल नहीं हो रहे कर्जों (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार को आगे बढ़ाने का वायदा किया है।
नमोपा ने भाजपा को हाशिये पर रख दिया है और हिंदुत्व का कारपोरेट अवतार अवतरित है।नये पुराण,नये उपनिषद,नये वेद रचे जा रहे हैं।धर्मोन्माद नरसंहार के लिए वध्यभूमि को पवित्रता देता है क्योंकि वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पार्टी के लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर देश में सुशासन लाने का वादा किया। वहीं पार्टी ने 'ब्रांड इंडिया' का संकल्प लिया। भाजपा की ओर से जारी घोषणा-पत्र के बाद मोदी ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य मजबूत और एकीकृत भारत का निर्माण करना है, जिसे विश्व का सम्मान हासिल हो।
रामंदिर की आड़ में आक्रामक हिंदू राष्ट्र के पताकातले गिलोटिन कतारबद्ध है और खून की नदियां बहेंगी।मामला धर्मनिरपेक्षता बनाम साप्रदायिकता जबरन इरादतन बनाया जा रहा है ताकि ध्रूवीकृत जनता के जनादेश से दूसरे चरण के नरमेधी सुधारों को हरी झंडी मिल जाये।
संघ परिवार देशभक्ति का ठेकेदार है।अहिंदू तो क्या वे हिंदू भी जो आस्था में अंध नहीं हैं और दिलो दिमाग के दरवाजे खोलकर सहमति के विवेक और असहमति के साहस के साथ जीवनयापन करते हैं,नागरिक और मानवाधिकारों की बात करते हैं,धम्म और पंचशील की भारतीयता में आस्था रखते हैं,वर्णी लस्ली भेदभाव के विरुद्ध संघ परिवार के नजरिये से वे देश के गद्दार हैं।लेकिन भारतीय जनता पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में संवेदनशील रक्षा क्षेत्र को निजी और विदेशी पूंजी के लिए कोल देने की जो राष्ट्रद्रोही उदात्त घोषणा हुई है,उसका असली तात्पर्य भारत अमेरिकी परमाणु संधि का अक्षरशः क्रियान्वयन है,जो मनमोहनी नीतिगत विकलांगकता की वजह से अब भी हुआ नहीं है।
तो दूसरी ओर, बगावत के दमन और आतंक के विरुद्ध परतिबद्धता का संकल्प है और उसके साथ समान नागरिक संहिता के साथ धारा 370 के खात्मे का ऐलान।
इसका भी सीधा मतलब अमेरिका और इजराइल की अगुवाई में रणनीतिक पारमाणविक जायनी युद्धक साझे चूल्हे की आग में भारत के नागरिकों के मानवाधिकार का ओ3म नमो स्वाहा है।
सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार कानून,आतंकवाद निरोधक कानून और सलवा जुड़ुम जैसे कार्यक्रम के जरिये भारतीय जनगण के विरुद्ध अविराम युद्ध घोषणा का संकल्पत्र है यह चुनाव घोषणापत्र।
विरोधाभास सिर्फ एक है और नहीं भी है। खुदरा कारोबार के अलावा बाकी सभी हल्कों में अबाध प्रत्यक्ष निवेश की प्रतिबद्धता है नमोमय ब्रांड इंडिया की।छिनाल पूंजी अर्थव्यवस्था की धूरी है तो खुदरा कारोबार में एफडीआई रोके जाने का सवाल ही नहीं उठता।
यूपीए दो ने खुदरा कारोबार विदेशी पूंजी के लिए पहले ही खोल दिया है।भले ही अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले को उलट दिया है लेकिन अर्थ विशेषज्ञों और कारपोरेट नीति निर्धारकों के कहे पर गौर करें तो इस फैसले को राज्य सरकारें भी उलट नहीं सकतीं।जैसे भारत अमेरिका परमाणु समझौता अब रद्द नहीं हो सकता,यूं समझिये कि नमो घोषमाप्तर् का वादा छोटे कारोबारियों को मोर्चाबद्ध करके नमोसुनामी का सृजन भले कर दें,इस देश में अबाध विदेशी छिनाल पूंजी परिदृश्य में खुदरा बाजार के आजाद बने रहने के कोई आसार है ही नहीं। यह मतदाताओं के साथ सरासर धोखाधड़ी है पोजीं नेटवर्कीय राममंदिर फर्जीवाड़े की तरह ।
दरअसल राममंदिर संकल्प और खुदरा कारोबार में एफडीआई निषेध दोनों वोटबैंक साधने के यंत्र तंत्रमंत्र हैं।राममंदिर धर्मोन्मादी वर्चस्ववादी नस्ली वर्णी राष्ट्रवाद का महातिलिस्म है तो खुदरा कारोबार केसरिया वोटबैंक का प्राण भंवर।दोनों की पवित्रतापर आधारित है हिंदूराष्ट्र का हंसता हुआ वास्तु बुद्ध।लेकिन दोनों मुद्दे दरअसल हाथी के दांत हैं।दिखाने के और तो खाने के और।
जाहिरा तौर पर रामंदिर बनाने की संभावना के संवैधानिक रास्ते तलाशने की बात की गयी है।ऐसे आंतरिक सुरक्षा की फर्जी मुठभेड़ संस्कृतिकल्पे मोसाद सीआईए मददपुष्ट मानवाधिकारहनन के वास्ते रंग बिरंगे कानून और अभियान हैं,वैसे ही राम मंदिर निर्माण कल्पे संविधान का कायाकल्प भी केसरिया होना जरुरी है तो दूसरी ओर,ध्यान देने वाली बात है कि भारत सरकार संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय गणतंत्र की परंपराओं के विपरीत भारत की संसद या भारत की जनता के प्रति कतई जिम्मेदार नहीं है।
राजनीति सीधे तौर पर कारपोरेट लाबिंग का नामांतर है तो नीति निर्धारण संसद को हाशिये पर रखकर,आईसीयू में डालकर विशेषज्ञता बहाने असंवैधानिक भी है और कारपोरेट भी।
मौद्रिक नीतियां सीधे बाजार के दबाव में तथाकथित स्वायत्त रिजर्व बैंक द्वारा तय होती हैं,जिनपर भारत सरकार का कोई नियंत्रण है ही नहीं और वित्तीयनीतियां भी वित्तीय पूंजी के हिसाब से होती है।
रेटिंग एजंसियां विदेशभूमि से भारत की आर्थिक सेहत तय करती हैं।
परिभाषाएं और मनचाहे आंकड़े दिग्भ्रामक हैं।
आर्थिक सुधारों का पूरा किस्सा यही है।
कारपोरेट लाबिइंग के मार्फत कैबिनेट में फैसला और कारपोरेट लाबििंग के मार्फत ही सर्वदलीय सहमति से उनका संसदीय अनुमोदन।
तमाम अल्पमत और खिचड़ी सरकारों ने बिन विचारधारा आर्थिक सुधारों की निरंतरता जारी रखा हुआ है।जो कार्यक्रम अति संवेदनशील है,उसके लिए भारत सरकार के शासकीय आदेश से लेकर अध्यादेश तक प्रावधान हैं।
अध्यादेश का अंततः संसदीय अनुमोदन होना अनिवार्य है और अध्यादेश को अदालत में चुनौती दी भी जा सकती है।लेकिन शासकीय आदेश दशकों तक बिना संसदीय अनुमोदन के बहाल और कार्यकारी रह सकते हैं।
सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून,पूर्वी बंगाल से आने वाले शरणार्थी निषेध शासकीय आदेश 1971 इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।
फिर संसद के अनुमोदन के बिना दूसरे देशों से संधि,समझौता और अनुबंध का मामला है,जिसमें संसद की कोई भूमिका ही नहीं होती।
तमाम वाणिज्यिक समझौते भारतीयसंसद के दायरे के बाहर हैं।
वैसे भी अमेरिकी दांव खुदरा कारोबार के भारतीय बाजार पर है और मोदी इसके लिए रजामंद हैं और इसी रजामंदी के तहत उन्हें अमेरिकी समर्थन हैं।
मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी संघ परिवार।
जाहिर है कि संसदीय फ्रेम के बाहर सर्वशक्तिमान धर्मोन्मादी कारपोरेट प्रधानमंत्री अंततः संघ परिवार के भी नियंत्रण में नहीं होंगे।हमे नहीं मालूम कि संघ में ऐसे कौन विष्णु भगवान हैं जो किसी भस्मासुर को आइना दिखाने के लिए मोहिनी अवतार ले सकें।
संघी साइबार अभियान में जो करोड़ों युवा दिलोदिमाग रात दिन चौबीसों घंटे निष्णात हैं,उनके लिए रोजगार के मोर्चे पर संघी नमो चुनाव गोषमापत्र खतरे की घंटी है।रोजगार कार्यालय भारत सरकार के शरणार्थी मंत्रालय की तरह खत्म होने को हैं।
यानी सरकार की तरफ से किसी को भी नौकरी नहीं मिलने वाली है।
यानी निजीकरण और विनिवेश मार्फत सरकारी क्षेत्र का अवसान।रोजगार कार्यालयों को कैरियर सेंटर बना दिया जायेगा।
जब रिक्तियां ही खत्म हैं और आवेदनों से नौकरियां नहीं मिलनेवाली हैं,सारी नियुक्तियां ठेके पर होनी है,नियोक्ताओं की जरुरत के मुताबिक ऊंची फीस वे चुनिंदा संस्थानों में कैंपस रिक्रूटिंग के माध्यम से होनी है तो जैसे कि आम तौर पर कैरियर सेंटरों और कोचिंग सेंटरों में होता है,वहीं होना है।
इसमें संघ परिवार की ओर से मंडल से लेकर अंबेडकर के खाते पूरी तरह बंद करने के दरवाजे खुल जायेंगे और दलित असुरों का स्वर्गवास का अंजाम भी यही होगा।
स्वरोजगार और स्वपोषित रोजगार में कोई फर्क नहीं है।सत्तादल की स्वयंसेवकी ौर एनजीओ समाजकर्म भी आखिरकार स्वरोजगार है।बाकी उद्यम के लिए बड़ी एकाधिकार पूंजी के खुले बाजार में क्या भविष्य है और कितने युवा हाथों,दिलों और दिमागों के लिए वहां कितनी गुजािश बन सकेंगी,यह देखने वाली बात है।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने कहा है, "इस मुद्दे पर कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि मुझे अपने घोषणा-पत्र को दो शब्दों में परिभाषित करना पड़े, तो मैं कहूंगा- सुशासन और विकास।"
तो विकास का उनका मतलब गुजरात है।
जाहिर है किगुजरात के मुख्यमंत्री ने सच ही कहा कि वह भाजपा की तरफ से दी गई जिम्मेदारी को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वह निजी तौर पर अपने लिए कुछ नहीं करेंगे और न ही बदले की भावना से कोई काम करेंगे।
इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने घोषणा-पत्र जारी करते हुए कहा कि इसमें अर्थव्यवस्था व आधारभूत संरचना को मजबूत करने और भ्रष्टाचार मिटाने पर जोर दिया गया है। जोशी ने कहा, "हमने घोषणा-पत्र में देश के आर्थिक हालात को सुधारने की योजना बनाई है। जहां तक आधारभूत संरचना का सवाल है, विनिर्माण में सुधार महत्वपूर्ण है। साथ ही इसका निर्यातोन्मुखी होना भी जरूरी है। हमें 'ब्रांड इंडिया' बनाने की जरूरत है।"
भाजपा ने सोमवार को घोषणापत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि वह अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार तथा रोजगार सृजन के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्वागत करेगी। भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया है, बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र को छोड़कर उन सभी क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति होगी जहां रोजगार एवं संपत्ति सृजन, बुनियादी ढांचा तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं विशेषीकृत विशेषज्ञता की जरूरत है। वहीं कांग्रेस ने कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने के संप्रग के निर्णय से कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे और किसानों को बेहतर रिटर्न मिलेगा।
भविष्य की आर्थिक योजनाओं का अनावरण करते हुए भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा है, 'कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने देश को 10 वर्षो तक रोजगार विहीन वृद्धि के दौर में फंसा रखा है। भाजपा वृहद आर्थिक पुनरोद्धार के तहत रोजगार सृजन और उद्यमशीलता के लिए अवसरों के निर्माण को उच्च प्राथमिकता देगी। कृषि क्षेत्र के संदर्भ में इसमें घोषणा पत्र में 'एकल राष्ट्रीय कृषि बाजार' के सृजन और कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने का वायदा किया गया है। कर प्रणाली में सुधार के संदर्भ में पार्टी ने कहा है कि संप्रग सरकार ने देश में 'कर आतंकवाद' और 'अनिश्चितता' की स्थिति पैदा कर दी है। इससे न केवल व्यवसायी वर्ग चिंतित है बल्कि निवेश का माहौल बिगड़ गया है तथा देश की साख पर भी बट्टा लगा है।'
कर सुधार का वादा करते हुए भाजपा ने कहा है कि उसकी कर नीति में कर व्यवस्था को वैर-भाव से मुक्त व कर वातावरण को सहज बनाने पर ध्यान होगा। पार्टी कर विवाद निपटान व्यवस्था को दुरूस्त करेगी, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में सभी राज्यों को साथ लेगी और निवेश बढ़ाने के लिए कर-प्रोत्साहन देगी।
पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है, कांग्रेस ऐसे निवेश माहौल को लेकर प्रतिबद्ध है जो एफडीआई को आकषिर्त करने वाला तथा उसके अनुकूल हो। कर सुधारों के मुद्दे पर भाजपा तथा कांग्रेस वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: को क्रियान्वित करने का वादा किया है। हालांकि, भाजपा घोषणापत्र में प्रत्यक्ष कर संहिता :डीटीसी: मुद्दे पर चुप है जो आयकर कानून 1961 का स्थान लेगा।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के एक साल बाद जीएसटी के साथ-साथ डीटीसी को एक साल के भीतर क्रियान्वित करने का वादा किया है। आम सहमति के अभाव में दोनों कर सुधार विधेयक संसद में लंबित हैं। दोनों दलों ने राजकोषीय मजबूती तथा फंसे कर्ज के संदर्भ में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार का संकल्प जताया है। शहरी ढांचागत सुविधा में सुधार पर कांग्रेस ने 100 शहरी संकुल गठित करने की मांग की है वहीं भाजपा की इतनी ही संख्या में नये शहर स्थापित करने की योजना है।
असल नौटंकी तो यह है कि भाजपा के घोषणा पत्र को अपने घोषणा पत्र की कापी बताते हुए कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला किया है। पार्टी ने भाजपा पर उसके घोषणा पत्र के मुद्दों को चोरी करने का आरोप लगाया है। पार्टी मतदान के दिन घोषणा पत्र जारी करने के लिए भाजपा की शिकायत चुनाव आयोग से करेगी। घोषणा पत्र में राम मंदिर मुद्दा शामिल करने के लिए कांग्रेस आयोग में आपत्ति भी दर्ज कराएगी।
गांवों में इंटरनेट सुविधाओं, स्वास्थ्य, सबको मकान, शिक्षा, आर्थिक सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर उसके घोषणा पत्र की नकल का आरोप लगाया है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, भाजपा ने ऐसी अंधी नकल की है कि कांग्रेस घोषणा पत्र की तारीख तक नहीं बदली।
दरअसल, भाजपा के घोषणा पत्र में मुरली मनोहर जोशी ने जो प्रस्तावना लिखी है उसमें 26 मार्च की तारीख है। कांग्रेस का घोषणा पत्र इसी दिन जारी हुआ था। उन्होंने कहा, भाजपा ने हर गांव को इंटरनेट से जोड़ने और हर राज्य में एम्स बनाने की बात कही है। जबकि, संप्रग सरकार इन पर काम भी शुरू कर चुकी है। सबको मकान देने की बात भी कांग्रेस ने पहले कही है।
आर्थिक सुधारों को लेकर भी पार्टी ने जो अपने घोषणा पत्र में कहा है, भाजपा ने शब्दों को बदल कर उन्हें दोहराया भर है। बुनियादी ढांचे को लेकर कांग्रेस के विजन पत्र में जो कहा गया है भाजपा ने उसे भी कापी पेस्ट कर दिया है। हमने वादा किया था कि कांग्रेस 10 लाख की आबादी वाले शहरों में हाईस्पीड ट्रेन चलाएगी। वेस्टर्न-ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर पूरा करेगी। जलमार्ग का विस्तार किया जाएगा। भाजपा ने सिर्फ नाम बदला है और कहा है कि वह स्वर्णिम चतुर्भुज बुलेट ट्रेन लेकर आएगी।
टीम राहुल के अहम सदस्य माने जाने वाले जयराम रमेश ने भी दावा किया कि भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल कुछ योजनाएं तो 10 साल से मौजूद हैं। कांग्रेस की विधि इकाई के प्रमुख केसी मित्तल ने भाजपा पर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहले चरण का मतदान शुरू होने के बाद घोषणा पत्र जारी करने को लेकर वे आयोग से भाजपा की शिकायत करेंगे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भाजपा द्वारा उर्दू और मदरसों को सहायता देने की बात पर चुटकी लेते हुए कहा, 'मुझे खुशी है कि भाजपा जैसी पार्टी भी मदरसों को मदद की बात कर रही है, यह देश के लिए शुभ संकेत है।'
राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे मालूम था कि इन लोगों में राम के प्रति निष्ठा नहीं है। 2004 में भी इन्होंने कहा था कि विशाल मंदिर बनाया जाएगा, फिर बात करनी छोड़ दी।'
আর্থিক বৃদ্ধি ও নতুন চাকরির সুযোগ তৈরিকে সব চেয়ে বেশি গুরুত্ব দেওয়া হয়েছে বিজেপির ইস্তাহারে। মোদীর দল যে ভাবে মূল্যবৃদ্ধিকে লাগাম পরানো, কর ব্যবস্থার সরলীকরণ, বিনিয়োগের পক্ষে সহায়ক পরিবেশ গড়ে তোলার কথা বলেছে তাতে উল্লসিত শিল্পমহল। মনমোহন সিংহ সরকারের নীতিপঙ্গুত্ব নিয়ে হতাশ শিল্পমহল নরেন্দ্র মোদীর থেকে এমন ইতিবাচক বার্তা শোনারই আশা করছিল। কিন্তু প্রত্যাশার বেলুন চুপসে দিয়েছে খুচরো ব্যবসায় বিদেশি লগ্নি নিয়ে বিজেপির বিরোধিতা।
ইস্তাহারে স্পষ্ট ভাষায় জানিয়ে দেওয়া হয়েছে, আর সব ক্ষেত্রে বিদেশি লগ্নির দরজা খোলা থাকলেও, বিজেপি বহু ব্র্যান্ডের খুচরো ব্যবসায় বিদেশি লগ্নির ছাড়পত্র দেবে না। অর্থাৎ, ওয়ালমার্ট, টেসকো, ক্যারেফোর-এর মতো বিদেশি বহুজাতিক সংস্থাগুলিকে এ দেশে সুপার মার্কেট খোলার অনুমতি দেওয়া হবে না। বস্তুত বিজেপির বিরোধিতা সত্ত্বেও মনমোহন-সরকারের জমানায় এই ছাড়পত্র দেওয়া হয়েছিল। তারা সরকারে এলে সেই ছাড়পত্র প্রত্যাহার করা হবে বলে জানিয়েছে বিজেপি।
বণিকসভাগুলি আজ বিজেপি-র কাছে এই অবস্থান বদলের অনুরোধ জানিয়েছে। ফিকি-র সভাপতি সিদ্ধার্থ বিড়লা বলেন, "বহু ব্র্যান্ডের খুচরো ব্যবসায় বিদেশি লগ্নির বিরোধিতা নিয়ে বিজেপির অবস্থানে আমরা হতাশ। আশা করি, এই সিদ্ধান্ত ফের পর্যালোচনা করা হবে।"একই সুরে অ্যাসোচ্যাম-এর সভাপতি রানা কপূর বলেছেন, "আমরা বিজেপিকে এই সিদ্ধান্ত বদলের জন্য বোঝানোর চেষ্টা করব।"বিজেপি-র আপত্তির মূল বিষয় ছিল, বহুজাতিক সংস্থাগুলি এ দেশে এসে পাড়ায় পাড়ায় সুপার মার্কেট খুলে চাল-ডাল-তেল-মশলা-শাকসব্জি বিক্রি করতে শুরু করলে মুদির দোকানগুলি উঠে যাবে। এই কৃষকদেরও ক্ষতি হবে। ওই ছোট ব্যবসায়ীরা বিজেপি-র ভোটব্যাঙ্ক।
অ্যাসোচ্যাম সভাপতির দাবি, "খুচরো ব্যবসায় বিদেশি লগ্নি এলে অর্থনীতির ভালই হবে, আর তা মুদির দোকানগুলির ক্ষতি না করেই।"সিআইআই সভাপতি অজয় শ্রীরামের মত, "কৃষকরা ভাল দাম পাবেন। ক্রেতারাও লাভবান হবেন। এতে তাই সকলের লাভ।"
এমন নয় যে মনমোহন সরকারের ছাড়পত্র পেয়ে ইতিমধ্যেই এক গুচ্ছ বিদেশি সংস্থা এ দেশে নিজেদের বিপণি খুলে ফেলেছে। তা হলে বিজেপি-র সরকার গঠন হলে যদি সেই ছাড়পত্র তুলে নেওয়া হয়, তাতে সমস্যা কোথায়?
শিল্পমহলের যুক্তি, এ দেশে খুচরো ব্যবসার বাজারের পরিমাণ প্রায় ৫০ হাজার কোটি ডলার। শুধু যে বিদেশি সংস্থাগুলি ভারতে আসতে চাইছে তা নয়, এ দেশের সুপার মার্কেট সংস্থাগুলিও বিদেশি সংস্থার সঙ্গে গাঁটছড়া বাঁধতে চাইছে। এই সংস্থাগুলি সমস্যায় পড়বে। সব চেয়ে বিপদে পড়বে ব্রিটিশ সংস্থা টেসকো। ওই সংস্থা ইতিমধ্যেই টাটা গোষ্ঠীর ট্রেন্ট সংস্থার সঙ্গে বিপুল অঙ্কের চুক্তি করে ফেলেছে। সরকারি ছাড়পত্রও আদায় হয়ে গিয়েছে। আবার ফ্রান্সের ক্যারেফোর সংস্থাও এ দেশের একটি সংস্থার সঙ্গে যৌথ ব্যবসায় নামার জন্য কথাবার্তা চালাচ্ছে। বিজেপি সরকারে এসে গোটা নীতিই বদলে ফেললে এ সব লগ্নির প্রস্তাব প্রশ্নের মুখে পড়বে।
শিল্পমহল আশা করছে, এই ধরনের আর্থিক নীতিগত বিষয়ে নতুন সরকার সম্পূর্ণ উল্টো অবস্থান নিলে আখেরে যে ক্ষতিই হবে, তা নরেন্দ্র মোদীও বুঝবেন। কিছু দিন আগে ছোট ব্যবসায়ীদের মঞ্চে গিয়ে মোদী বিদেশি লগ্নির পক্ষে সওয়াল করেছিলেন। তাতেও কিছুটা আশার আলো দেখছে বণিকসভাগুলি।
মনমোহন সরকারের জমানায় কর নীতি নিয়ে আতঙ্ক ছড়িয়েছিল শিল্পমহলে। যে ভাবে ভোডাফোনের মতো পুরনো ব্যবসায়িক চুক্তিতে কর আদায় করার চেষ্টা হয়েছিল, তাতেও অস্বস্তি বাড়ে। আজ এই দু'টি বিষয়েই বিজেপির ইস্তাহার স্বস্তির বার্তা দিয়েছে। এত দিন মূলত বিজেপি শাসিত রাজ্যগুলির আপত্তিতেই পণ্য-পরিষেবা কর আটকে ছিল। কিন্তু ইস্তাহারে প্রতিশ্রুতি দেওয়া হয়েছে, ক্ষমতায় এলে বিজেপি এই কর ব্যবস্থা চালু করতে উদ্যোগী হবে। ইস্তাহারে পরমাণু নীতি পুনর্বিবেচনার কথাও বলেছে বিজেপি।
আশায় বুক বাঁধলেও শিল্পমহলের জন্য কাঁটাও আছে বিজেপির ইস্তাহারে।
বিজেপির মুখে নেই গোর্খাল্যান্ড, চাপে মোর্চা
নিজস্ব সংবাদদাতা
শিলিগুড়ি ও নয়াদিল্লি,৮ এপ্রিল, ২০১৪, ০৩:৩৩:৫৪
সকাল থেকে নজর ছিল বিজেপির ইস্তাহার প্রকাশ অনুষ্ঠানের দিকে। ইস্তাহার প্রকাশের পরে দেখা গেল, সেখানে তেলঙ্গানা-সীমান্ধ্র প্রসঙ্গ আছে। আছে ছোট রাজ্যের পক্ষে সওয়ালও। নেই শুধু গোর্খাল্যান্ড প্রসঙ্গ! আর তাতেই দিনের শেষে পাহাড়ে রীতিমতো চাপে গোর্খা জনমুক্তি মোর্চার নেতারা। দার্জিলিঙের বিষয়টি আলাদা ভাবে না থাকায় মোর্চার অন্দরেও প্রশ্ন উঠে গিয়েছে।
গোর্খাল্যান্ড-প্রসঙ্গ না থাকা নিয়ে মোর্চাকে বিঁধে পাহাড়ে বিরোধী শিবিরের অভিযোগ, মোর্চা এবং বিজেপি আরও একবার ধোঁকা দিতে চাইছে। সোমবার শিলিগুড়িতে রাজ্যের বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্রও বিজেপি এবং মোর্চাকে কটাক্ষ করেতে ছাড়েননি। তাঁর দাবি, তৃণমূলের সঙ্গে পিছনের রাস্তা দিয়ে ভোট পরবর্তী জোট গড়ার রাস্তা খোলা রাখতে চাইছে বিজেপি। তাই গোর্খাল্যান্ড প্রসঙ্গটি বাদ দিয়েছে তারা।
এই পরিস্থিতিতে শুধু মোর্চা নেতৃত্ব নন, চাপে পড়েছেন পাহাড়ে বিজেপির প্রার্থী সুরিন্দর সিংহ অহলুওয়ালিয়া নিজেও। বিরোধী-তির সামাল দিতে অহলুওয়ালিয়া বলেন, "বিষয়টি নিয়ে দলের কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের সঙ্গে কথা হয়েছে। পরবর্তীতে ইস্তাহারের সংযোজনা বার হবে। সেখানে উল্লেখ থাকবে গোর্খা, আদিবাসী, দার্জিলিং জেলা এবং ডুয়ার্সের বাসিন্দাদের দীর্ঘদিনের দাবিগুলি বিজেপি সহানুভূতির সঙ্গে খতিয়ে দেখবে এবং সেই মতো ব্যবস্থা নেবে।"মোর্চার সাধারণ সম্পাদক রোশন গিরিও বলেন, "পরবর্তী সময়ে সংযোজনা হিসাবে বিষয়টি ইস্তাহারে থাকবে বলে জানানো হয়েছে।"
কিন্তু কেন রাখা হল না গোর্খাল্যান্ড প্রসঙ্গ? বিজেপি নেতাদের যুক্তি, এর আগে যত গুলি পৃথক রাজ্য গঠন করেছে বিজেপি, তাতে রাজনৈতিক ঐকমত্য ছিল। কিন্তু গোর্খাল্যান্ডের পরিস্থিতি অন্য রকম। দলের এক নেতার রসিকতা, "গোর্খাল্যান্ডের উল্লেখ না থাকায় তো মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় খুশি হবেন!"
বিজেপির অনেকেই আবার এর মধ্যে অন্তর্কলহের গন্ধ পাচ্ছেন। গত বার গোর্খা জনমুক্তি মোর্চার সমর্থন নিয়ে যখন যশোবন্ত সিংহ পাহাড়ে প্রার্থী হয়েছিলেন, তখন কিন্তু ইস্তাহারে গোর্খাল্যান্ডের উল্লেখ ছিল। এখন সুষমা স্বরাজের ঘনিষ্ঠ নেতা সুরিন্দর সিংহ অহলুওয়ালিয়া প্রার্থী বলেই কি মোদী তাতে বাদ সাধলেন? কেন না, ইস্তাহারে এই উল্লেখ থাকলে অহলুওয়ালিয়ার সুবিধাই হতো।
মোদী শিবিরের নেতাদের অবশ্য বক্তব্য, ইস্তাহারের পরতে পরতে বলা রয়েছে, পাহাড় এলাকার উন্নয়নের জন্য মোদী কী ভাবে এগোতে চান। তার জন্য বিশেষ সহযোগিতারও আশ্বাস দেওয়া হয়েছে। সেখানকার প্রত্যাশা পূরণের কথা বলা হয়েছে। ফলে নির্দিষ্ট ভাবে দার্জিলিঙের উল্লেখ না থাকলেও কিন্তু আসলে পাহাড়ের সমস্যা নিয়ে মোদীর কী ভাবনা, তা লিপিবদ্ধ করা হয়েছে ইস্তাহারে।
যদিও তাতে চিঁড়ে ভিজছে না পাহাড়ের বিরোধীদের। দার্জিলিঙের সিপিআরএম নেতা গোবিন্দ ছেত্রী জানান, বিজেপি যে বিষয়টি নিয়ে ভাবছে না, তা স্পষ্ট। সে কারণেই তাঁরা সমর্থন দেননি। উল্লেখ্য, গত ২০ মার্চ বিজেপি প্রার্থী সুরেন্দ্র সিংহ অহলুওয়ালিয়া গোবিন্দবাবুদের সমর্থন চেয়েছিলেন। কিন্তু সিপিআরএম তাঁকে ফিরিয়ে দিয়েছে।
অখিল ভারতীয় গোর্খা লিগের সাধারণ সম্পাদক প্রতাপ খাতি বলেন, "মোর্চা এখনও পর্যন্ত মিথ্যার রাজনীতি করছে। এ বারও তারা তাই করছে। তেলঙ্গানা শব্দটি যদি বিজেপি ইস্তাহারে রাখতে পারে, তবে গোর্খাল্যান্ড কেন থাকছে না?"পাহাড়ে তৃণমূলের সাধারণ সম্পাদক এন বি খাওয়াস বলেন, "২০০৯ সালে বিজেপি মানুষকে বোকা বানিয়েছিল। আবার বানাল। এমনকী তাদের ইস্তাহারে পাহাড় নিয়ে একটি বাক্যও ব্যয় করা হয়নি।"
বাদ গিয়েছে বাংলাকে আলাদা প্যাকেজ দেওয়ার বিষয়টিও। দলের নেতাদের মোদী জানিয়েছেন, ইস্তাহারে সব রাজ্যের উন্নয়নের বিষয়ে তাঁর দৃষ্টিভঙ্গী বর্ণনা করাই ছিল লক্ষ্য। আলাদা করে কোনও রাজ্যের জন্য প্যাকেজ ঘোষণা করা ইস্তাহারের লক্ষ্য হতে পারে না। মোদী শিবিরের নেতাদের মতে, কংগ্রেসের মতো পাইয়ে দেওয়ার রাজনীতিতে তাঁরা বিশ্বাসী নন। তা সত্ত্বেও যে সব রাজ্য পিছিয়ে রয়েছে, সেই বিষয়গুলি খতিয়ে দেখার প্রতিশ্রুতি দেওয়া হয়েছে ইস্তাহারে। স্পষ্ট বলা হয়েছে, উন্নয়নের নিরিখে দেশের পশ্চিম প্রান্তের তুলনায় পূর্ব প্রান্ত অনেক পিছিয়ে রয়েছে। ফলে ক্ষমতায় এলে দেশের পূর্ব প্রান্তের উন্নয়নের উপরেই সবথেকে বেশি জোর দেওয়া হবে।
বিজেপি নেতা রবিশঙ্কর প্রসাদের বক্তব্য, "এর আগে পূর্বাঞ্চলের সমস্যাগুলিকে নিয়ে জোট বেঁধে কাজ করার চেষ্টা করেছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়, নীতীশ কুমার, নবীন পট্টনায়কের মতো মুখ্যমন্ত্রীরা। ঘটনাচক্রে এই তিন জনই এনডিএ-র পুরনো শরিক। আমাদের ইস্তাহারে বলা আছে, রাজ্যগুলিকে নিয়ে একটি আঞ্চলিক পরিষদ গঠনের কথা। বিশেষ করে যে সব রাজ্যের সমস্যাগুলি একই ধরনের।"
অবশেষে প্রকাশ করা হলো বিজেপির নির্বাচনি ইশতাহার
সাংবিধানিক, আর্থিক, সামাজিক ও হিন্দুত্ববাদের বিতর্কিত ইস্যুগুলিকে রেখেই একটা সার্বিক ভারসাম্য রাখার চেষ্টা করা হয়েছে বিজেপির নির্বাচনি ইশতাহারে৷ বিদেশি বিনিয়োগকে স্বাগত জানানো হলেও ঢালাও অনুমতি দেয়া হবে না৷
ইশতাহার প্রকাশ অনুষ্ঠানে নরেন্দ্র মোদী
অবশেষে ৭ই এপ্রিল, সোমবার প্রকাশ করা হলো প্রধান বিরোধীদল বিজেপির ৫২ পাতারনির্বাচনি ইশতাহার ২০১৪৷ বিজেপি নেতৃত্বের কাছে সবারই প্রশ্ন ছিল, ইশতাহার প্রকাশে এত দেরির কারণ কী? বিভিন্ন নেতা বিভিন্ন ব্যাখ্যা দিয়ে প্রশ্নটা এড়িয়ে যাবার চেষ্টা করেন৷ কেউ বলেন, মূল ইস্যুগুলিতে সংখ্যাগরিষ্ঠ নেতারা একমত হলেও সব নেতাদের মতে অভিন্নতা আনতে বারংবার তা স্ক্রিনিং করা হয়, পর্যালোচনা করা হয়, তাতেই এই বিলম্ব৷ বিজেপি নেতাদের কেউ কেউ বলেন, নির্বাচনি প্রচারের কাজে নেতারা ব্যস্ত থাকার দরুন এই বিলম্ব৷
সোমবার প্রথম পর্বের ভোটগ্রহণ অনুষ্ঠিত হয়েছে
কিন্তু ভেতরের খবর হলো, বিজেপির শরিক দলগুলির নেতাদের দাবি ছিল, ইশতাহার শুধু বিজেপি-কেন্দ্রিক হবে কেন? এটা কি শুধু বিজেপির ইশতাহার, নাকি বিজেপি নেতৃত্বাধীন এনডিএ জোটেরইশতাহার? যদি এনডিএ জোটের ইশতাহার হয়, তাহলে অন্যান্য দলের নীতি ও কর্মসূচিকে ব্রাত্য করা হবে কেন? জোট-সরকার গঠিত হলে শরিক দলের পছন্দ-অপছন্দের কথা তাতে কেন থাকবে না ? শরিক দলগুলির দাবি, বিজেপির গোঁড়া হিন্দুত্ববাদী ইস্যুগুলিকে উদার করতে হবে৷ এই নিয়ে মতান্তর দেখা দেয়ার ফলে এই বিলম্ব৷
অবশেষে, বিতর্কিত ও গোঁড়া হিন্দুত্ববাদী ইস্যুগুলির সঙ্গে একটা ভারসাম্য বজায় রেখে বিজেপি প্রকাশ করলো ইশতাহার৷ যেমন, সাংবিধানিক কাঠামোর মধ্যে রাম মন্দির নির্মাণ, সংবিধানের যে ধারা অনুযায়ী জম্মু-কাশ্মীর বিশেষ সুযোগ সুবিধা পায়, আলাপ আলোচনার মাধ্যমে সেই ৩৭০ নং ধারার বিলোপ, সন্ত্রাস দমন, অভিন্ন দেওয়ানি বিধি চালু করা, মাদ্রাসাগুলির আধুনিকীকরণ, গো-হত্যা নিবারণ, ওয়াকফ বোর্ডের স্বশক্তিকরণ, উর্দু ভাষার উন্নতি ইত্যাদি৷
ভারতের নির্বাচন ২০১৪
জনগণের সরকার
ভারতের সংসদের মেয়াদ পাঁচ বছর৷ পার্লামেন্টে দুটি কক্ষ রয়েছে৷ উচ্চকক্ষকে বলা হয় রাজ্যসভা আর নিম্নকক্ষ লোকসভা হিসেবে পরিচিত৷ নিম্নকক্ষে যে দল বা জোট সংখ্যাগরিষ্ঠতা পায় তারাই দেশের পরবর্তী প্রধানমন্ত্রী নির্বাচন করে৷
এছাড়া ইশতাহারকে বলা যায়, মোটামুটি চর্বিত চর্বণ৷ অর্থনৈতিক অ্যাজেন্ডায় ভরতুকি বন্ধের কথা সরাসরি বলা হয়নি৷ বলা হয়নি রাষ্ট্রায়ত্ত ক্ষেত্রের বিলগ্নীকরণ বা বেসরকারিকরণের কথা৷ পাশাপাশি কর্মসংস্থান বাড়াতে বাজার অর্থনীতিকেও পাখির চোখ করা হয়নি৷ আর্থিক সংস্কারের কথা বলা হলেও তার মধ্যে আছে 'যদি' বা 'কিন্তু'৷ বিদেশি বিনিয়োগকে স্বাগত জানানো হলেও খুচরো ব্যবসায় প্রত্যক্ষ বিদেশি লগ্নি নয়৷ গড়ে তোলা হবে অর্থনৈতিক জাতীয়তাবাদের বুনিয়াদ৷ খাদ্য সুরক্ষা আইনবহাল থাকবে, তবে তার বাস্তবায়নে যাতে দুর্নীতি ঢুকতে না পারে, তার জন্য প্রশাসনিক কঠোর পদক্ষেপ গ্রহণ করা হবে৷ শিল্প ও অবকাঠামো নির্মাণের জন্য অধিগ্রহণ করা হবে স্রেফ অ-চাষযোগ্য জমি৷ খাদ্য উৎপাদনের কথা মাথায় রেখে৷ কৃষিজীবীদের স্বার্থ সুরক্ষিত রেখে তাদের লাভজনক ক্ষতিপূরণ দিয়ে৷
কর ব্যবস্থার সরলীকরণসহ ইশতাহারে আট-দফা উন্নয়নের মডেল তুলে ধরা হয়৷ দেয়া হয় সর্বাত্মক উন্নয়নের প্রতিশ্রুতি৷ কেন্দ্রের বর্তমান মনমোহন সিং সরকারকে কটাক্ষ করে নীতি-পঙ্গুত্ব এবং দুর্নীতি দূর করার পাশাপাশি বিচার বিভাগ এবং নির্বাচন কমিশনের সংস্কারের ওপর জোর দেয়া হয়৷ ইশতাহার প্রকাশের পর বিজেপির প্রধানমন্ত্রী পদপ্রার্থী নরেন্দ্র মোদী মন্তব্য করেন, ইশতাহার প্রকাশ নিছক একটা আনুষ্ঠানিক বিষয় নয়, এটা দলের ও সরকারের লক্ষ্যও দিশা নির্দেশ, সুশাসন ও বিকাশ যার মূলমন্ত্র৷