Jayantibhai Manani shared his post.
ब्रिटिश शासन में ब्राह्मण जातिवाद के सम्बन्ध में जाने माने समाजशास्त्री रजनी कोठारी ने अपनी पुस्तक "भारतीय राजनीति में जातिवाद"में लिखा है कि, -
"क्योकि ब्राह्मण शिक्षा परिसरों, व्यवसायों में प्रविष्ठ हो चुके थे इसीलिए सभी स्थानों पर उन्होंने अपने गिरोह बना लिए थे. इनसे गेर-ब्राह्मणों को बाहर रखा गया. 1892 से 1904 के बीच भारतीय सिविल सेवाओ में सफलता पानेवाले 16 प्रतियाशियो में 15 ब्राह्मण थे. 1914 में 128 जिलाधिकारियों में से 93 ब्राह्मण थे."
बात कडवी है लेकिन प्रत्येक भारतीय नागरिक को चिंतन करने और शेयर के लायक है. दुसरे प्राणियों की तरह ही इश्वर या कुदरत ने सिर्फ इन्शान या मानव बनाया है. गॉड, इश्वर, अल्लाह या भगवन ने न ब्राह्मण, न क्षत्रिय, न वैश्य, न शुद्र, न कुर्मी, न भंगी बनाया है. अगर कुदरत ने ब्राह्मण या भंगी बनाया होता तो कुदरत ने बनाये कुत्ते में ब्राह्मण कुत्ता, क्षत्रिय कुत्ता, वैश्य कुत्ता, शुद्र कुत्ता या भंगी कुत्ता क्यों नहीं है ?