Quantcast
Channel: My story Troubled Galaxy Destroyed dreams
Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

14 मई को नवलगढ़ के ग्रामीणों की जमीने जबरदस्ती कब्ज़ा कर कम्पनियों को सौपने की तैयारी

Previous: News From Bangladesh shared Mohammad Munshi'spost. Mohammad Munshi's photo. Mohammad Munshi's photo. Mohammad Munshi's photo. Mohammad Munshi added 3 new photos. A huge disinformation campaign has started on the murder of atheist blogger Ananta Bijoy Das. The objective of this killing appears to be to establish that AQIS is present in Bangladesh and working through Ansarullah Bangla 8 (which seems to be a fake organization as a similar outfit claimed responsibility for the murder of Rajshahi University teacher AKM Shafiul Islam but this was found to be completely unsubstantiated and without foundation) as a pretext for external intervention in the country ... Many news agencies are assuming a link between Ansarullah Bangla 8 and Ansarullah Bangla Team but this may also be jumping to unwarranted conclusions. তৈরি করা স্ক্রিপ্ট অনুযায়ী সব ঘটনা ঘটাচ্ছে সরকার; যৌন নিপীড়নের ঘটনা চাপা দিতেই ব্লগার খুন Amar Bangladesh - May 12, 2015 শাহবাগে প্রতিবাদ সমাবেশে বক্তারা: বিশেষ প্রতিনিধি: দেশে এক
$
0
0

14 मई को नवलगढ़ के ग्रामीणों की जमीने जबरदस्ती कब्ज़ा कर कम्पनियों को सौपने की तैयारी

Posted by संघर्ष संवाद on बुधवार, मई 13, 2015 | 0 टिप्पणियाँ
नवलगढ़ में सीमेंट फैक्ट्री की तैयारी

झुंझुनूं। जिले के नवलगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए रीको की ओर से भूमि अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है। मंगलवार को रीको के अधिकारियों ने नवलगढ़ क्षेत्र का दौरा कर सीमेंट फैक्ट्री के प्लांट के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का जायजा लिया। 
नवलगढ़ क्षेत्र के गांव गोठड़ा में श्री सीमेंट फैक्ट्री का प्लांट प्रस्तावित है। प्लांट के लिए गोठड़ा में 142.16 हैक्टर भूमि चिह्नित की गई है। उक्त भूमि का नामांतरण रीको के नाम पहले ही हो चुका है और कागजों में कब्जा भी मिल चुका है, लेकिन अब धरातल तक कब्जा लेने की तैयारी की जा रही है। 
संभावना जताई जा रही है कि इसके लिए प्रशासन के सहयोग से रीको की ओर से 14 मई से कार्रवाई शुरू की जाएगी। उक्त भूमि का 27 करोड़, 25 लाख 35 हजार 800 रूपए का अवार्ड छह अगस्त 2010 को पारित हुआ था। यह राशि रीको की ओर से जिला न्यायालय में जमा करवा दी गई थी। रीको के अधिकारियों के मुताबिक उक्त राशि में से कई किसान अपनी भूमि का मुआवजा ले चुके हैं। 
श्री सीमेंट ने जमा कराए थे 30 करोड़ 
श्री सीमेंट कंपनी की ओर से प्लांट के लिए चिह्नित की गई 142.16 हैक्टर भूमि के लिए सर्विस टैक्स व अन्य सभी कर समेत करीब 30 करोड़ रूपए अगस्त 2010 में रीको में जमा करवाए गए थे। इसके बाद भूमि की अवार्ड राशि जिला न्यायालय में जमा करवाई गई थी। 
इनका कहना है... 
श्री सीमेंट फैक्ट्री के प्लांट के लिए चिह्नित की गई भूमि को अपने कब्जे में लेने के लिए मंगलवार को नवलगढ़ क्षेत्र के गोठड़ा व अन्य गांवों का दौरा कर मौका स्थिति देखी गई। 14 मई से भूमि को कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। 
जीएल गांधीवाल, वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक, रीको झुंझुनूं 

लोकतंत्र में जो होना चाहिए वह अभी नहीं हो रहा है। सरकार जबदस्ती किसानों से उपजाऊ जमीन हड़प कर निजी सीमेंट कंपनियों के मालिकों को दे रही है। नया अध्यादेश भी किसान विरोधी है। सरकार तनाशाही पर उतर आई है। किसानों से पूछने की भी जहमत नहीं उठाई गई। इस कार्रवाई में कोई कानूनी प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया है। अधिग्रहण की कार्रवाई का विरोध किया जाएगा।-दीपसिंह शेखावत, संयोजक, भूमि अधिग्रहण विरोधी संघष समिति, नवलगढ़ 

रीको की ओर से भूमि का कब्जा पहले ही लिया जा चुका है। अब मौके पर जाकर कब्जे में लेने की कार्रवाई की जाएगी। 
एसएस सोहता, जिला कलक्टर, झुंझुनूं 

किसानों की मर्जी के खिलाफ भूमि अवाप्त नहीं करने दी जाएगी। इसके विरोध में आंदोलन किया जाएगा। किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।डॉ. राजकुमार शर्मा, विधायक, नवलगढ़
साभार: राजस्थान पत्रिका
आज के राजस्थान पत्रिका में खबर छपी है कि राजस्थान के नवलगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित सीमेंट प्लाटों के लिए सरकार 14 मई को ग्रामीणों की जमीने जबरदस्ती कब्ज़ा कर कम्पनियों को सौपेगी. ज्ञात रहे कि किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए लगातार 1710 दिनों से धरने पर बैठे है। इन किसानों की 72 हजार बिघा ज़मीन  प्रस्तावित 3 सीमेंट प्लांटों में जा रही है। कई बार बंद, प्रदर्शन, रैली और धरने जैसे आयोजन कर सरकार को चेतावनी दे चुके किसानों का कहना है कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकन किसी भी सूरत में अपनी जमीन कंपनियों को नहीं देंगे। पेश है आंदोलन की संक्षिप्त रिपोर्ट;

राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में झुंझुनु जिले का नवलगढ़ कस्बा हवेलियों की चित्रकारी के लिए प्रसिद है। हवेलियों के सौंदर्य में भित्ति चित्रकारी चार चाँद लगा देती है। यूँ तो इस इलाके में चित्रकारी की परंपरा छतरियों, दीवारों, मंदिरों, बावड़ियों, किलों पर जहां-तहां बिखरी है। वहीं कलात्मक मीनारों वाले कुयें, आकर्षक छतरियां, विशालकाय बावड़ियां, नयनाभिराम जोहड़ व तालाब, ऐतिहासिक किले, स्मारक तथा ग्रामीण पर्यटन केन्द्र पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। परंतु जल्दी ही इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली है क्योंकि सरकार ने इस हरे भरे क्षेत्र के लिए जो योजना बनायी है वह इस क्षेत्र को रेगिस्तान में बदल देगी।

नवलगढ़ की धरती पर बिड़ला, बाँगड़ और आइसीएल समूह ने सीमेंट प्लांट, खनन एवं पॉवर प्लांट लगाने का प्रपोजल राजस्थान सरकार को 2007 के 'रीसर्जेण्ट राजस्थान पार्टनरशिप सम्मिट'में दिया था क्योंकि इस इलाके में तकरीबन 207.26 मिलियन टन चूने के पत्थर का भंडार है। किसानों ने साफ तौर पर कहा कि यह जमीन अत्यधिक उपजाऊ है, हम यह जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। पिछले करीब 240 दिन से उनका धरना चल रहा है। तहसील, जिला तथा विधान सभा तक पर प्रदर्शन तथा सर्वदलीय सभायें करके किसान अपना मंतव्य व्यक्त कर चुके हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक दमनात्मक रूख ही अपना रखा है। आंदोलन की एकता तथा सफलता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक छोटी सी रैली या प्रदर्शन करना हो तो 7-8 हजार किसान स्वतः स्फूर्त ढंग से अपने आप आ जाते हैं।

नवलगढ़ से मात्र 6 से 10 कि.मी. की परिधि में तीन बड़ी सीमेंट कम्पनियों के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण के कारण 6 ग्राम पंचायतों के 18 गांवों व ढाणियों के लगभग 65 हजार लोग, लाखों जानवर विस्थापित होगे और लाखों पेड़ नष्ट हो जायेंगे, खेजड़ी का वृक्ष जो यहाँ के लोक जीवन में रचा बसा है एक विलुप्त प्रजाति हो जायेगा।

अल्ट्राटेक सीमेंट कम्पनी की 2100 करोड़ का निवेश करके बसावा एवं तुर्काणी जोहड़ी के पास सीमेंट प्लांट लगाने की योजना है। कम्पनी सीमेंट प्लांट व टाउनशिप निर्माण के लिए 250 हैक्टेयर (2250 बीघा), प्रथम चरण में खनन के लिए खिरोड, केमरों की ढाणी, मोहनवाड़ी, तथा सीकर जिले के बेरी की 3461.2 हैक्टेयर (31151 बीघा) भूमि, दूसरे चरण के खनन के लिए बसावा एवं सुण्डों की ढाणी की 1153.4 हैक्टेयर (10381 बीघा) भूमि तथा रेल कॉरिडोर के लिए सीकर जिले के बेरी व कोलीडा की 75 हैक्टेयर (675 बीघा) भूमि का अधिग्रहण करना चाह रही है। कम्पनी की योजना के अनुसार कुल 4939.6 हैक्टेयर (44457 बीघा) भूमि पर 7 करोड़ मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता का प्लांट, 75 मैगावाट का थर्मल पावर प्लांट तथा 12 मैगावाट का डीजल जनरेटर आधारित ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना है। इसके अलावा कम्पनी अपने प्लांट के लिए प्रति दिन 4000 क्युबिक मीटर भूजल का उपयोग करेगी तथा कम्पनी का दावा है कि 700 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।

श्री सीमेंट कम्पनी की योजना है 718 करोड़ का निवेश करके गोठड़ा गांव में 3 करोड़ मीट्रिक टन की क्षमता का प्लांट लगाने की । कम्पनी सीमेंट प्लांट के लिए 150 हैक्टेयर (1350 बीघा) तथा खनन के लिए देवगांव, चोढाणी व खेरावा की ढाणी की 624 हैक्टेयर (5616 बीघा) भूमि अधिग्रहण करना चाह रही है। श्री सीमेंट के अनुसार 774 हैक्टेयर (6966 बीघा) भूमि पर प्लांट, खनन तथा 36 मैगावाट का थर्मल पावर प्लांट व 10 मैगावाट का डीजल जनरेटर लगेगा। इसके अलावा कम्पनी को प्रति दिन 1200 किलो लीटर भूजल की जरूरत होगी।

आईसीएल कम्पनी 2 करोड़ मीट्रिक टन की क्षमता का प्लांट लगाने के लिए खोजावास, बसावा, देवगांव व भोजनगर की 670.24 हैक्टेयर (6032 बीघा) जमीन पर नजर जमाए हुए है। इन तीनों कम्पनियों के लिए करीब 72 हजार बीघा भूमि का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है।

किसानों के संघर्ष की अगुवाई करने वाली भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के दीपसिंह शेखावत बताते हैं कि श्री सीमेंट के प्लांट एरिया के लिए गोठड़ा गांव की 143 हैक्टेयर भूमि का अवार्ड पारित हो चुका है। अवार्ड भूमि के 27 करोड़ 25 लाख रूपये के चेक पारित हुए हैं। जब रीकॉ (राजस्थान स्टेट इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट एण्ड इनवेस्टमेण्ट कारपोरेशन) के अधिकारी मुआवजों के चेक वितरित करने आये तो किसानों ने मुआवजे के चेक लेने से मना कर दिया।

वे आगे कहते हैं कि इन कम्पनियों ने नए-नए तरीके अपना कर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश भी की है। हरेक जाति के कुछ लोगों को लालच देकर जातिगत बिखराव करके आंदोलन तोड़ने का कुचक्र भी रचा जा रहा है। मगर सवाल लोगों की रोजी-रोटी और अस्तित्व का है। अतः कम्पनियों के मंसूबे सफल नहीं हो पा रहे हैं तथा किसान एकजुट हैं।

इन कारखानों के लिए जरूरी पावर प्लांट भी लगाये जायेंगे जो और भी कहर बरपायेंगे। 75 मैगावाट एवं 36 मैगावाट के इन थर्मल पावर प्लांटों को चलाने के लिए हर रोज 24,000 कुंतल कोयला जलाया जायेगा। इसी प्रकार 10-10 मैगावाट के दो डीजल जनरेटर को चलाने के लिए प्रतिघंटा 14 टन डीजल जलाया जायेगा। इससे वायुमंडल में अत्यधिक जहरीली गैसें तथा धूल फैलेंगी। गैसों व धूल से स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा तथा कैंसर, सांस के रोग, टी.बी., चर्मरोग, एलर्जी व अन्य बीमारियां फैलेगी। पशुओं के स्वास्थ्य व खेती पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण, पानी की कमी तथा कृषि भूमि के बंजर हो जाने से भूमि की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी।

इससे भी अहम बात यह होगी कि थर्मल प्लांट को ठंडा करने के लिए लाखों गैलन पानी की आवश्यकता पड़ेगी, बड़े-बड़े बोर वेल्स से दिन-रात पानी निकाला जायेगा। यहां पर यदि ग्रासिम कम्पनी की बात करें तो उसे 4000 क्युबिक मीटर भूजल चाहिए। इतना पानी निकालने के लिए कम से कम 8 से 10 बोर करने पडे़गे। किसान संघर्ष समिति के दीपसिंह शेखावत बताते हैं कि आश्चर्य यह है कि एक तरफ तो इसी झुंझुनू जिले को सरकार ने डार्क जोन घोषित कर रखा है यानी कोई भी किसान अपने खेत में कुआं नहीं खोद सकता। वहीं दूसरी तरफ इसी जिले में सरकार इन सीमेंट प्लांटों को हर रोज लाखों गैलन भू-जल का दोहन करने की अनुमति दे रही है। इतना पानी निकालने के पश्चात हमारे क्षेत्र के पानी के सभी स्रोत सूख जायेंगे। हमारा हरा-भरा क्षेत्र रेगिस्तान बन जायेगा।

लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो इन खतरों की गंभीरता को नजर अंदाज कर रहे हैं। मोरारका फाउंडेशन नवलगढ़ में रूरल टुरिज्म पर काम कर रहे विजय दीप सिंह इन परियोजनाओं से काफी उत्साहित हैं वे विनाश से भी मुनाफा कमाने का एक नायाब नुस्खा पेश करते हैं कि सीमेंट प्लांटों के आने से रूरल टुरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लोहार्गल तक ट्रेकिंग रूट शुरू करने की हमारी योजना है।

इस संघर्ष में रातों-दिन तत्पर राजस्थान बिजली किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव श्रीचंद सिंह डूडी कहते हैं कि इस क्षेत्र को बंजर बनाये जाने की सुनियोजित योजना पर कार्य किया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र को मानव आबादी से मुक्त कर लिया जाय क्योंकि इससे सटे हुए सीकर जिले के केरपुरा- तिवारी का बास, रोहिल, घाटेश्वर, रघुनाथगढ़, नरसिंह पुरी- हुर्रा की ढ़ाणी, पचलांगी इलाके में युरेनियम माइनिंग की योजना पर वर्ष 2005-06 से ही पहल की जा रही है। ज्ञातव्य है कि माइनिंग के लिए प्रस्तावित जमीन वन विभाग की है, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे हरी झण्डी दे दी है और राज्य सरकार को भी कोई आपत्ति नहीं है। अभी 1150 हैक्टेयर (10350 बीघा) जमीन पर युरेनियम माइनिंग की बात कही जा रही है। एटामिक मिनरल्स डायरेक्टरेट फार इक्सप्लोरेशन एण्ड रिसर्च (ए.एम.डी.ई.आर.) ने पांचवी दशाब्दी के आखिरी सालों में इस क्षेत्र में युरेनियम की मौजूदगी की खोज कर ली थी। वर्ष 2009 में यह आशा व्यक्त की गयी थी कि यह परियोजना दो वर्ष में पूरी हो जायेगी। जियोग्राफिकल सर्वे आफ इण्डिया भी सीकर जिले के इस इलाके का सर्वे कर चुकी है। युरेनियम की इस प्राप्ति की संभावना से उत्साहित ए.एम.डी.ई.आर. के अधिकारियों का कहना है कि सिंहभूम (झारखण्ड), मेहाडक (मेघालय) एवं कुडप्पा (आंध्र प्रदेश) के बाद सीकर जिले में युरेनियम मिलने से देश में चल रहे एवं प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के लिए परमाणु ईंधन की पूर्ति हेतु युरेनियम आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी।

फिलहाल भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति आंदोलन में डटी है। प्रभावित होने वाले गांवों में किसानों को एकजुट करने में लगी है। वहीं कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों, विश्वस्तों के व्यक्तिगत नाम से जमीन खरीदने की साजिश में लगी हैं। कुछ किसान इस साजिश के शिकार भी हुए हैं। अल्ट्राटेक कम्पनी अपने स्तर पर भूमि की खरीद में जुटी है। भूमि अधिग्रहण के मामले में आइसीएल कम्पनी अन्य दोनों कम्पनियों से पीछे चल रही है। इसकी तरफ से न तो जमीन की खरीद की जा रही है और न ही अधिग्रहण की कार्यवाही आगे बढ़ी है।

- See more at: http://www.sangharshsamvad.org/2015/05/14.html#sthash.IY4jNOek.dpuf


Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

Trending Articles