चुंचूड़ा में जिसतरह प्रातःभ्रमण पर गयी अस्सी साल की वृद्धा वृंदा दास की हत्या हो गयी,वह खतरे की चेतावनी है।बंगाल में चुनाव के वक्त वैसे भी राजनीतिक संघर्ष आम है और पुलिस प्रशासन इससे निपटने को ज्यादा तरजीह दैते हैं,क्योंकि फरियादी और अभियुक्त राजनीतिक पक्ष विपक्ष होते हैं।सवाल है कि आम नागरिकों की जान माल के बारे में क्या इंतजामात हैं।कानून और व्यवस्था के लिए यह भारी चुनौती है।कानून और व्यवस्था कोी राजनीतिक मामला तो है नहीं,जिसे राजनीतिक तौर पर निपटाया जाये।यह विशुद्ध प्रशासनिक मामला है,जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप जितना कम हो,उतने ही अफसरों के हाथ मजबूत होंगे।मुस्किल है कि रोजमर्रे की जिंदगी में राजनीतिक घुसपैट इतनी ज्यादा है कि उसका कानून व्यवस्था के हालात पर असर होना लाजिमी है।
गौरतलब है कि बेहतर समन्वय और सुरक्षा के लिए बंगाल पुलिस के विभिन्न विभागों को एक छत के नीचे लाया गया है। फरवरी में ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल पुलिस के नए निदेशालय का भवानीभवन में उद्घाटन किया।लेकिन इसके सकारात्मक असर सामने आने से पहले ही लोकसभा चुनाव आ गया।
गौरतलब है कि तब मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा था कि कोलकाता पुलिस का अपना (लालबाजार) मुख्यालय है। परंतु, बंगाल पुलिस का मुख्यालय नहीं था। लंबे समय से बंगाल पुलिस उपेक्षित रही है। इसीलिए बंगाल पुलिस के कई महत्वपूर्ण उप विभागों को एक छत के नीचे लाया गया है, ताकि बेहतर तालमेल के साथ कार्य हो सके। अब तक भवानी भवन को सीआइडी मुख्यालय के रूप में जाना जाता था। हालांकि, इस भवन में कई और विभागों के दफ्तर है। जिसमें मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, इंफोसर्ममेंट ब्रांच आदि। परंतु, अब इस बंगाल पुलिस की खुफिया विभाग व अन्य संगठनों का भी निदेशालय होगा। यहां राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीएमपी रेड्डी का भी दफ्तर होगा जो कुछ समय यहां बैठेंगे। मुख्यमंत्री से यह पूछे जाने पर कि दक्षिण कोलकाता में बंगाल पुलिस का मुख्यालय प्रस्तावित है, उसका क्या हुआ? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल भवानी भवन बंगाल पुलिस का निदेशालय होगा और मुख्यालय बनाने में कुछ वक्त लगेगा।