काकोरी के शहीदों की याद में : काकोरी के शहीदों को सलाम !
साथियो,
आज ही के दिन १९ दिसंबर १९२७ को वीर क्रांतिकारियों रोशन सिंह ,अशफ़ाक़ उल्ला खां,रामप्रसाद बिस्मिल को अंग्रेजों ने फंसी दी थी | राजिन्द्र लाहिरी को दो दिन पहले ही १७ दिसंबर को गोंडा में फांसी दे दी गयी थी | राजिन्द्र लाहिरी हमारे कशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एमए. के छात्र थे | जिनकी उम्र उस समय २४ वर्ष थी | हमारे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के शोषण -उत्पीड़न से जनता की मुक्ति की लड़ाई लड़ी | और अंग्रेजों द्वारा हमारे देश से लूट कर ले जा रहे खजाने को छीना | जिसे क्रन्तिकारी पार्टी के लिए चंदे के रूप में प्रयोग किया | यही वजह थी कि अंग्रेजों ने इन लोगों को फांसी कि सजा दी |
लेकिन अपने आस-पास नजर डालकर देखिये कि क्या जनता का शोषण-उत्पीड़न बंद हो गया ? क्या प्राकृतिक खनिज सम्पदाओं की लूट ख़त्म हो गयी ? क्या जनता की मुक्ति की लड़ाई ख़त्म हो गयी ? क्या जनता पर दमन बंद हो गया ? नहीं ! कतई नहीं !वह सब आज भी जारी है |
दोस्तों ,
आज जब गोरो के साथ समझौता हो गया है | काले अंग्रेज "ईस्ट इंडिया कंपनी" के तर्ज पर विदेशों में जाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश को लूटने का न्योता दे रहे है | उसका नाम दे रहा है "मेक इन इंडिया" |
देश भर में रेलवे,बिजली,रक्षा व अन्य सभी विभागों को निजी हाथों में सौपा जा रहा है | उसमें साम्राज्यी पूंजी का निवेश किया जा रहा है | जल-जंगल-जमीन व प्राकृतिक खनिज सम्पदाओं को हथियारों के दम पर साम्राज्यवादी कंपनियों को कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है | इसमे सभी संसदीय राजनितिक पार्टिया शामिल है | जो जनता इसके खिलाफ मुक्ति की लड़ाई लड़ रही है उस पर "आपरेशन ग्रीन हंट" के तहत फौजी दमन चलाया जा रहा है | और उन्हीं पुराने कानूनों के तहत देशद्रोह का मुक़दमा लगाकर लगातार जेलों में ठूसा जा रहा है | हमारा देश और हमारा भविष्य खतरे में है | अब जब छात्रों-नौजवानो का दायित्व बढ़ गया है तब हम क्रांतिकारियों की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे !
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