कुणाल घोष और सुदीप्त मर जायें तो शारदा राज का खुलासा करना रब के लिए भी नामुमकिन।
एक्सकैलिबर स्टीवेस विश्वास
इसे कायदे से समझ लें कि कुणाल घोष और सुदीप्त मर जायें तो शारदा राज का खुलासा करना रब के लिए भी नामुमकिन।चिटफंड घोटला का जो देशव्यापी पोंजी नेटवर्क है,जिसमें सत्ता की राजनीति और वोटबैंक समीकरण का रसायन घनघोर है,उस रहस्य पर पर्दा उठना बी नामुमकिन होगा।इसे इसतरह भी समझें कि वाश शासन के पहले दौर में संचयिता को लेकर भी कुछ इसी तरह बवाल मचा था और उस कंपनी के निदेशक मालिक की रहस्यमयमृत्यु के बाद मामला वही खत्म हो गया था।
बहरहाल तब कुछ रिकवरी भी हो गयी थी और निवेशकों को कुछ पैसा वापस भी मिला था।जिससे हुआ यह कि लोग उस हादसे को भूल गये।उत्तरभारत में तमाम आइकनों की ओर से प्रायोजित अपेस इंडिया और दूसरी कंपनियों में निवेशकों ने बड़ी संख्या में अपनी जमा पूंजी फंसा दी थी।लेकिन बाद में उन कंपनियों ने अपनी अपनी दुकानें बढ़ा दी।आइकनों ने हाथ खड़े कर दिये और मामला रफा दफा हो गया।
पहलीबार ऐसा हुआ है कि बंगाल ही नहीं,ओड़ीशा,बंगाल बिहार और दूसरे राज्यों के प्रभावशाली लोगों की संदिग्ध भूमिका के बारे में सीबीआई जांच बाकायदा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है और बंगाल में तो इस सिलसिले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,उनके परिजन,सत्तादल और विपक्ष के भी रंग बिरंगे महारथी,जिनमें मंत्री,सांसद और विधायक से लेकर पार्टी के मूर्धन्य नेता भी सीधे कटघरे में है।
पहलीबार ऐसा हुआ है कि देशभर में सैकड़ों पोंजी कंपनियों और पोंजी अर्तव्यवस्था का इतने व्यापक पैमाने में खुलासा हो रहा है।
पहलीबार ऐसा हुआ है कि पुलिस प्रशासनिक अफसरान से लेकर सेबी,रिजर्व बैंक और ईडी के लोग भी सीबीआई के जाल में फंसते नजर आ रहे हैं।
लेकिन दरअसल मीडिया ट्राय़ल और वोटबैंक समीकरण साधने के अलावा किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत हमेशा की तरह हासिल अब भी नही हुए हैं।
इस मामले में जो भी तथ्य विश्वव्यापी घोटाले के सिलसिले में आ रहे हैं,वे सुदीप्त सेन और कुमाल घोष के हवाले से आ रहे हैं।उनकी गवाही के बिना सीबीआई,अदालत,भारत सरकार के लिए यह कतई असंभव है कि असली अपराधियों को सजी दिलायी जा सकें या आम जनता को उनकी जमा पूंजी वापस दिलायी जा सकें।
असल में कुमाल घोष अपनी जेल डायरी में कापी कुछ खुलासा कर चुके हैं लेकिन सीबीआई जांच की प्रगति से उन्हें निराशा हो रही है तो सुदीप्त सेन का जो राजनीतिक इस्तेमाल होता रहा है,उसके बाद लुटे पिटे ुनकी हालत भी कोई बेहतर है नहीं।
कुमाल घोष ने तीन दिनों का अल्टीमेटम असली अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए दिया था।समयसीमा पूरी होने से पहले डाक्टरों के मुताबिक कल आधी रात के बाद उनने 58 नींद की गोलियां खा लीं और उनकी हालत अब भी संगीन बनी हुई है।वे इतनी गोलियां खाने के बावजूद बच गये,गनीमत यही है।
सवाल यह उठता है कि कुमाल की धमकियों को नजरअंदाज क्यों किया गया जबकि इस मामले में तहकीकात का कोई नतीजा उनके बिना लग ह नहीं सकता।
सवाल यह है कि जेल में कुणाल ने चुरपके से 58 गोलियां कैसे जमा कर ली और कैसे उनके अल्टीमेटम के बावजूद उनके पास आत्महत्या करने के कोई उपाय है या नहीं,इसकी जांच नहीं की गयी।
बहरहाल,खबरों के मुताबिक शारदा चिटफंड घोटाले में आरोपी तृणमूल से निलंबित सांसद कुणाल घोष ने शुक्रवार को कोलकाता की प्रेसिडेंसी जेल में कथित रूप से खुदकुशी की कोशिश की। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि घोष ने ओपन कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक, घोष ने 58 नींद की गोलियां खा ली थीं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद ओपन कोर्ट में सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों को दी, जिसके बाद उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, उनके पेट की सफाई कर दी गई है और वे अब खतरे से बाहर हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हुआ है कि जेल में बंद घोष तक नींद की दवाएं पहुंचीं कैसे?
कहा, नहीं चाहता और जीना
सोमवार को घोष ने सीबीआई पर आरोप लगाते हुए ओपन कोर्ट में धमकी दी थी कि कुछ बड़े लोगों को बचाने के लिए उन्हें फंसाया जा रहा है और असली मुजरिम अभी भी खुले घूम रहे हैं, इसीलिए वे ज्यादा जीना नहीं चाहते। गौरतलब है कि घोष शारदा चिटफंड घोटाले में मुख्य आरोपी हैं। सीबीआई उनके खिलाफ अक्टूबर 2014 में चार्जशीट भी पेश कर चुकी है। कोलकाता सेशन कोर्ट में दायर चार्जशीट में घोष के अलावा शारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन, उनकी नजदीकी एसोसिएट देबजानी मुखर्जी के नाम भी शामिल हैं।
ममता ने निलंबित किए तीन अफसर
कोलकाता प्रेसीडेंसी जेल में हुई इस लापरवाही पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जीने विधानसभा को बताया है कि जेल अधीक्षक नाबिन साहा, घोष का ध्यान रखने वाले डॉ.गौतम दासगुप्ता और सेल के वार्डन को डयूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही मामले की जांच के लिए गृह सचिव बासुदेव बनर्जी के नेतृत्व में एक जांच आयोग का गठन किया गया है।