हम अपनी अपनी अस्मिता के नस्लभेदी वर्णवर्चस्वी झंडेवरदार हैं,भारत देश का नागरिक कोई नहीं। वरना मुट्ठीभर दुश्चरित्र धनपशु बाहुबली सांढ़ों की क्या मजाल की भारतमां की अस्मत से खेलें! इस देश में राष्ट्रद्रोही जो तबका है,देशभक्ति उनका सबसे बड़ा कारोबर है।मुनाफाखोर जो पूंजी है,छनछनाता विकास बूंद बूंद आखिरी शख्स तक पहुंचाने का ठेका उसीका है। संविधान खत्म है।लोक गणराज्य लापता है।न लोक है और न लोक गणराज्य। सिर्फ परलोक है और परलोक का धर्म कर्म।न कानून का राज है और न लोकतंत्र है। राष्ट्र और राष्ट्रतंत्र का फर्क खत्म है कर दिया है उन्होंने।राष्ट्र की हत्या करके लाश गायब कर दी है।जो बचा है वह फासिस्ट राष्ट्रतंत्र है और इसका विरोध जो करें,वे ही राष्ट्रद्रोही। पलाश विश्वास
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