यह हिंदी साहित्य का प्लैटिनम काल है।
सवेरे-सवेरे टाइम्स ऑफ इंडिया के पेज नंबर 30 पर ''हैप्पी रेजि़डेंट''माननीय रवींद्र और ममता कालिया जी की तस्वीर अंसल एपीआइ के रियल एस्टेट विज्ञापन में देखकर बता नहीं सकता कि कितनी खुशी हुई। कौन कहता है कि हिंदी का लेखक अंडर मार्केट है???