प्रधान मंत्री जन धन योजना यानी बैंकों का सत्यानाश
योगेश यादव
वित्तीय समावेशन financial inclusion कांग्रेस सरकार के समय की पुरानी योजना है जिसके तहत सारी वस्तुओं पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर सब्सिडी का पैसा सीधे आधार से जुड़े हुए बैंक अकाउंट में भेजने की योजना है। भाजपा "आधार" का तो विरोध करती है, लेकिन अपने तरह के राष्ट्रवादी कार्ड का समर्थन करती है। इस लिए नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की योजना में थोड़ा बदलाव किया है और इसके लिए जरूरी ढेर सारे बैंक अकाउंट खोलने का अभियान शुरू किया है और इसे फ्री का नाम दे दिया है। बाकी योजना पहले से ही है।
असल कहानी इसके आगे है। सारे बैंको ने प्राइवेट कम्पनियो को बैंक की शाखाएँ और एटीएम ( व्हाइट लेबल एटीएम का नाम दिया है ) के लिए अधिकृत किया है
अब सब बैंक ( सरकारी भी ) नई शाखाएँ नहीं खोलेंगे। इसके लिए इन्होने निजी कंपनी के जरिये banking correspondent का चयन का फैसला किया है। अब कोई भी financial inclusion के लिए अधिकृत किसी भी कंपनी से मिल कर बैंक की शाखा और एटीएम खोल सकता है। किसी बैंक की एटीएम खोलने के लिए करीब तीन लाख रूपये ( जो एटीएम मशीन और नेटवर्क कनेक्टिविटी ) के देकर एटीएम और banking correspondent बन सकता है।. उस एटीएम से अगर एक बार पैसा निकला जायेगा तो 10 रूपये और बैलेंस चेक किया जायेगा तो 2 रूपये एटीएम खोलने वाले को मिलेंगे। अब जो आढ़तिए थे और बिचौलिए थे वो बैंकर बनेंगे… और देश में क्रांति आ जाएगी ?