भारत में लोकतंत्र डूब रहा है लाभकारी सकारी संस्थानों को औने पौने दामो में निजी हाथो को बेचा जा रहा है। सांस्कृतिक व शैक्षिक संस्थाओं पर संघ समर्थक अपात्र लोगों को बैठाया जा रहा है। वित्तीय व सार्वजानिक क्षेत्र की बैंको को निजी हाथों में सौंपने की तयारी चल रही है अभी तक BJP सरकार ने जितनी योजनाओं को लागु किया है उनसे पूजीपतियों को लाभ पहुंचा है पूजी पतियों ने लगभग सभी इलेकट्रॉनिक चैनलों पर कब्ज़ा कर लिया हैस्मार्ट शहर बनाने से बिल्डरों व बड़े लोगों को लाभ होगा,मेट्रो ट्रैन माल रेस्टोरेंट ये सभी विकाश योजनाओं से वंचितो ,अति पिछड़ों व् अल्पसंख्यको कोई लाभ नहीं मिलता, निजी हाथों की महंगी शिक्षा इन तबकों की पहुँच से बहार है.गावों की सरकारी शिक्ष जिसमे बहुजनो के बच्चे पढ़ते हैं वह पंगु है तथा वहां के पढ़े बच्चे सिर्फ मजदूर बन सकते हैं. देश में हिंदुत्व वादी चरमपंथी लोगों को बढ़ावा दिय जा रहा है मानववादी लोगों को कुचला जा रहा है. चुनाव इतने महंगे कर दिए गए की वहाँतक केवल धन बली व पूँजीपति पहुँच सकते हैं देश के ८५ करोड़ लोग जिनकी प्रतिदिन की आय २० रूपए से कम है क्या वे इन मंहगे चुनावों में भाग ले सकते हैं? जहाँ साँसद की चुनाव खर्च सीमा ७० लाख व विधायक की ४०लख रूपए निर्धारित हो. दलितों पर सवर्ण आतंक हावी है दलित हत्यारों को बिन सजा दिए छोड़ दिया जाता हो, दलितों के हिस्से खुलेआम सवर्ण हड़प रहे हों। ऐसे में कोई कहे भारत में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है यह कोरी गप्प है भारत का लुंज पुंज होता लोकतंत्र वास्तव में डूबने की कगार पर है। ------बहुजन भागीदारी मोर्चा द्वार बहुजन हित में जारी