हिन्दू की फ़िक्र में वे मस्जिदों को तोड़ते हैं मुस्लिमों को मारते हैं अल्पसंख्यकों पर बरसते हैं उन्ही हिन्दुओं को वे अपनी फैक्ट्रियों में निचोड़ते हैं, बूँद-बूँद झोपड़पट्टियों से खदेड़ते हैं, लाठी डंडा और बुलडोज़र से, उसी हिन्दू के खेत कुर्क कर सकते हैं चंद हज़ार खातिर , उसी हिन्दू को नपुंसक घोषित कर टांग सकते हैं फन्दों में उजाड़ सकते हैं ज़मीनो से सोख सकते हैं उसके हिस्से की नमी, डूबा सकते हैं घर-बार बड़े बांधों तले , लूट के विकास खातिर तुम ! उसी हिन्दू को खनिज खातिर, नक्सली बना गोली से उड़ा सकते हो ...
तुम हिन्दू की नही सिर्फ लुटेरी ताकतों की हिफाज़त करते हो.....!