अब गिरदा को याद करने की तैयारी.....
वैसे तो गिरदा हम से अलग ही कब हुआ था ? उसका "यार बब्बा, जब तक प्राण बचे हैं, एक टोक्याल तो छोड़नी ही हुई," कहना ही तो हमें अब भी आगे धकेल रहा है।
मगर 22 अगस्त को उसकी पांचवीं पुण्यतिथि पर उसे याद करने के लिये नैनीताल के रंगकर्मी उत्साह से जुटे हैं। कार्यक्रम दो दिनों का है, मगर ब्रजमोहन जोशी और अनिल कार्की की टीम कल से ही अपना स्लाइड शो लेकर स्कूलों का चक्कर लगाना शुरू कर देंगे।
पता नहीं अन्यत्र क्या तैयारी है।
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वैसे तो गिरदा हम से अलग ही कब हुआ था ? उसका "यार बब्बा, जब तक प्राण बचे हैं, एक टोक्याल तो छोड़नी ही हुई," कहना ही तो हमें अब भी आगे धकेल रहा है।
मगर 22 अगस्त को उसकी पांचवीं पुण्यतिथि पर उसे याद करने के लिये नैनीताल के रंगकर्मी उत्साह से जुटे हैं। कार्यक्रम दो दिनों का है, मगर ब्रजमोहन जोशी और अनिल कार्की की टीम कल से ही अपना स्लाइड शो लेकर स्कूलों का चक्कर लगाना शुरू कर देंगे।
पता नहीं अन्यत्र क्या तैयारी है।
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