मुंबई में पास हुई तो उत्तराखंड में फिर फेल हुई मैगी, कई और उत्पाद भी खाने-पीने योग्य नहीं
मैगी में आर्टिफिशियल फ्लेवर और कलर पाए गए। सैंपल फेल होने पर खाद्य विभाग ने उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है। फूड इंस्पेक्टर कैलाश चंद्र के मुताबिक हल्द्वानी से लिए गए सभी नौ सैंपल जांच के लिए राजकीय खाद्य एवं औषधीय परीक्षण प्रयोगशाला रुद्रपुर भेजे गए थे।
लैब की रिपोर्ट चौंकाने वाली है नौ में छह सैंपल फेल हो गए हैं। कैलाश चंद्र के मुताबिक कालाढूंगी रोड मुखानी स्थित ईजी-डे से नेस्ले की मैगी का सैंपल लिया था। मैगी में आर्टिफिशियल कलर और फ्लेवर मिला है, जिसका उल्लेख मैगी की पैकिंग में नहीं है। हालांकि, मैगी में लेड की मात्रा नहीं मिली है। दूध के दो सैंपल भी फेल हुए हैं।
इनमें मुखानी स्थित संतोष डेयरी से लिए सैंपल में डिटर्जेंट पाउडर और स्कीमड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की मिलावट मिली, जबकि दूसरा सैंपल डोर टू डोर दूध बांटने वाले दूधिये से लिया था, जिसमें पानी की अत्यधिक मिलावट मिली है।
बरेली रोड अलकनंदा कॉलोनी स्थित नमकीन फैक्ट्री से लिए दो सैंपल भी फेल हो गए हैं। फूड इंस्पेक्टर कैलाश चंद्र के मुताबिक नमकीन के दो सैंपल लिए थे। दोनों सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए।
पैकिंग में एक्सपायरी डेट तक अंकित नहीं थी। नैनीताल रोड स्थित ईजी-डे से लिया गया पनीर का काठी रोल का सैंपल भी फेल हो गया। इसमें भी एक्सपायरी डेट अंकित नहीं थी और यह खराब था। खाद्य विभाग ने उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है।-
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