महामंदी के बाद अब महालूट का ताजा बंदोबस्त इराक।कठिन फैसले इसी बहाने होंगे और कानून भी सारे बदले जाएंगे।राजकाज होगा अब युद्धक बमवर्षक।
पलाश विश्वास
महामंदी के बाद अब महालूट का ताजा बंदोबस्त इराक।कठिन फैसले इसी बहाने होंगे और कानून भी सारे बदले जाएंगे।राजकाज होगा अब युद्धक बमवर्षक।
मुक्त बाजार का रंग अब केसरिया है।
क्योंकि सत्ता का रंग केसरिया है।
बांगाल में भले ही दीदी हरा हरा या सफेद नील कर दें,लेकिन मानसून घाटे में झुलसी रोटी के देश में इंद्रधनुष भी अब केसरिया है।
गंदी बस्तियों और भूख के महानगर में बिलियन बिलियन डालर के हवामहल की तरह रिलायंस रिलांयस है यह देश।
पूरा देश ब्राजील है।जहां फुटबाल फाइनल देखने जायेंगे अपने प्रधानमंत्री और जहां कोई भारतीय टीम नहीं है।
जैसे दीदी का केकेआर जश्न कोलकाताई,जहां केकेआर में कोलकाता का कोई खिलाड़ी नहीं।
उन्मादी कार्निवाल है।सारे लोग नंगे हैं।मुखौटे से चेहरे की तस्वीर नहीं निकलती।अड़ोस पड़ोस वालों को भी पहचानना मुश्किल कि कौन किस भूमिका में है।
सत्ता वर्ग के लिए सोने पर सुहागा समय है और आम लोगों के लिए,भारत ही नहीं इस शैतानी विश्वव्यवस्था के मातहत तीसरी दुनिया के देशों में जिंदगी अब तेलकुओं की आग है।दुनिया भर के बाजारों की नजर इराक पर टिकी है, जहां युद्ध की स्थिति बनती जा रही है। इराक ने कल पहली बार अमेरिका से आधिकारिक तौर पर मदद मांगी है। इराक ने अमेरिका से आतंकियों पर हवाई हमले करने की अपील की है। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिए हैं कि ब्याज दरें में उम्मीद से कम स्तरों तक बढ़ाई जाएंगी।
बांग्लादेश में तो बुधवार को तेलकुएं की बेदखली की खबर मिलते ही गैस सिलिंडर एक मुश्त बारह सौ रुपये महंगे हो गये।
डीजल विनियंत्रण और तेल सब्सिडी खात्मे का बजट से पहले बहाना अच्छा मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेलाइन अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कठिन फैसले के एजंडे का पहले ही खुलासा कर दिया है।
यह धार्मिक देश बेहद आस्थासंपन्न है।
बहुत अंध भक्ति है।
नाना प्रकार के कर्मकांड है।
तंत्र मंत्र यंत्र हैं।
सूचना हो या न हो,मोबाइल ऐप्स हैं और पढ़े लिखे लोग आनलाइन।
होम,यज्ञ,अभिषेक,माल्यार्पण,योगाभ्यास का यह सुसमय है।
मनमोहिनी जनसंहारी नीतियों को महामंदी की आड़ मिल गयी थी,जिसका खामियाजा हम लोग लगातार दस साल तक भुगतते रहे।
खाड़ी युद्ध और सोवियत पतन के जुड़वां प्रहार से भारत की कृषि आधारित देशज उत्पादन प्रणाली इराक और अफगानिस्तान की तरह ध्वस्त ही नहीं हो गयी,बल्कि पूरा देश अब जायनवादी युद्धक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के गुलाम उपनिवेश में तब्दील है।
नवउदारवादी युग शुरु होने के वक्त ही पहले खाड़ी युद्ध की शुरुआत और सोवियत पतन से पहले जब मैंने अमेरिका से सावधान शीर्षक से औपन्यासिक जागरुकता अभियान चालू किया,तब हमारे प्रगतिशील क्रांतिकारी मित्र सोवियत साम्राज्यवाद के खिलाफ लामबंद थे और अमेरिकी साम्राज्यवाद को कोई खतरा नहीं मान रहे थे।उस उपन्यास को कलाहल और चीत्कार बताकर खारिज भी किया जाता रहा।
अब तो वाम का आवाम से कोई वास्ता नहीं।
अब भी बेदखली के बावजूद आवाम की फिक्र नहीं,सत्ता में वापसी के समीकरण साध रहा है कांग्रेस कांग्रेस हुआ वाम।
विचारधारा गयी तेल लेने।
लाल भी केशरिया तो नीला भी।जो हरा है,उसकी गहराई में फिर वही केसरिया।
शक होता है कि रगों में जो खून है कि वह भी केसरिया हुआ जाय रे।
आदरणीय डा.अशोक मित्र और सोमनाथ चटर्जी चेहरे बदलकर वाम की बहाली चाहते हैं लेकिन बहिस्कृतों,अछूतों के हक में कोई लफ्ज नहीं है उनकी जुबान पर फिरभी।
गनीमत है कि साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया से बाहर निकल जाने की वजह से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा।
अब भी हम कोशिश में हैं कि लाल में हो कुछ नीला,नीला में हो कुछ लाल,लाल नील सम्मिलन से केसरिया सुनामी के खिलाफ पैदा हो कोई चटख लाल सुबह।
जाहिर है कि यह प्रयत्न भी अमेरिका से सावधान है।
संगीन असहाय गुलाम परिस्थितियों के खिलाफ खंड खंड खंडित केसरिया रिलायंस देश में एक मरणासण्ण चीत्कार ,बस।
अब पता चला है कि मजीठिया महिमा से पेरोल वाले मीडियाकर्मियों को,दशकों से से प्रमोशन वंचित तबके को दशकिया औसत एक हिसाब से प्रोमोशन भी मिलेगा बशर्ते कि सर्विस बुक क्लीन हो।
बास ने पहले ही बांस कर दिया हो तो मिलेगा बाबाजी का ठुल्लु।
अब रिटायर समय में हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
घर अब पचास लाख का मामला है।
गंगासागर में भी एक कट्ठा जमीन अब पांच पांच लाख रुपये का है।
मरुस्थल और रण,हिमालय के चप्पे चप्पे में प्रोमोटर बिल्डर राज है,क्या मजाल की कहीं घर बनाने लायक जमीन नसीब है।
अब तो कब्र के लिए भी दो गज जमीन मिलना मुश्किल है।
किश्तों में जो एरियर मिलेगा,उससे पुनर्वास असंभव है तो भविष्यनिधि से मिलने वाली दो हजार रुपल्ली से जीवनयापन भी मुश्किल है।
अब बचने का उपाय है कि कहीं किसी पार्टी में शामिल होकर संसद विधानसभा की चाकरी जुटा ली जाये या किसी कमिटी वौमेटी में शामिल हो लिया जाये।
सभी लोग राम विलास पासवान और उदित राज भी नहीं हो सकते।
न बंगाल के बुद्धिजीवियों कलाकारों की तरह गिरगिट बन जाना संभव है हर किसी के लिए।
दशकों बाद गांव लौटकर वहां पहले से मुश्किल में फंसे लोगों के बीच पहले पट्टीदारी उलझनें सुलझाने की विषम चुनौती है।
घर से निकलना बेहद आसान है।जाहिर है,घर में वापसी सबके नसीब में नहीं होती।फिर जो तामझाम है,उसे लिए बाना गांव जा ही नहीं सकते।उस तामझाम का स्थानांतरण भी कठिन है।
फिर इस देश के महानगरों,नगरों ,उपनगरों में लावारिश मरने या मारे जाने के अवसर अनेके हैं,रोजगार और आजीविका के हों न हों।
मनरेगा तक को इफ्रास्ट्रक्चर में खपाया जा रहा है।खाद्यसुरक्षा का भी काम तमाम।
यह ऐसा ही है कि जैसे अस्सी साल के पंगु पुरुष को युवा दुल्हन के साथ सुहागरात मनाने के लिए कमरे में बंद कर दिया जाये।फिर भी गनीमत है कि छंटनी के बाद बाकी बचे इने गिने कर्मचारियों को यह वेतनमान नसीब हो रहा है संशोधित।
अब कोई वेतनमान नहीं लगनेवाला है।
विनिवेश तेज हो रहा है।सात सार्वजनिक उपक्रमों का बंटाधार फिलहाल तय है ,जिसमें टाप पर हैं कोल इंडिया और सेल।
बैंकिंग,डाक,रेलवे,परिवहन,,शिक्षा, चिकित्सा, डाक, जीवनबीमा, विमानन,बंदरगाह,मीडिया,संचार सभी क्षेत्रों में स्थाई नियुक्तियां खत्म हो रही हैं।
हालांकि बचे हुए लोगों को करों में इफरात छूट भी मिलने की संभावना है जैसे बेसरकारीकरण के बाद तमाम कंपनियों के अफसरान के वेतन बढ़ा दिये गये।
डीजल का विनियंत्रण तेल और गैस कीमतों में अंधाधुंध वृद्धि के साथ सब्सिडी की विदाई तय है और बेदखली के लिए कारपोरेट आधार योजना भी जारी रहना है।
धारा 370 और समान नागरिकता संहिता के खात्मे पर बेमतलब बहस चालू करके धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद का आवाहन फिर किया गया है और चुपके चुपके समूची कर प्रणाली बदल दिये जाने की तैयारी है ताकि छिनाल पूंजी का कातिलाना खेल अबाध रहे और निरंकुश हो कालाधन वर्चस्व।लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है और राज्यसभा के समीकरण भी साध लिये गये।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम और खनन अधिनियम के जिन प्रावधानों पर कारपोरेट ऐतराज है, वे हटा दिये जायेंगे।
अनाज और प्याज के आयात निर्यात का पवारी खेल बदस्तूर जारी है।
प्याज हमेशा की तरह रुलाने वाली है तो आलू के बिना रहेगी रसोई।
खाद्य तेल से लेकर पेयजल ,दूध से लेकर सब्जी तक महंगी होगी।
शिक्षा और चिकित्सा आम लोगों की औकात से बाहर होगी और परिवहन बिल से लेकर मकान किराया,बिजली बिल के भारी दबाव में दम तोड़ेंगे लोग।
उर्वरकों की कीमतें रिवाइज होंगी और सारे खेत इंफ्रास्ट्राक्चर के नाम,विकास के बहाने रियल्टी में तब्दील होने को है।
सोना उछलेगा बेहिसाब।
देहात में शहरों का अतिक्रमण होगा।
प्रतिरक्षा ,मीडिया,खुदरा कारोबार से लेकर हर क्षेत्र में वित्तीय घाटा और भुगतान संतुलन के बहाने शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेस के दरवाजे खुल्ले होंगे।
किसी परियोजना के लिए पर्यावरण हरी झंडी की जरुरत नहीं होगी।
सारा खेल रिलायंस होगा।
सारे श्रम कानून बदल दिये जायेंगे।
हमारे हिसाब से ताजा इराक संकट संकट नहीं,मुनाफाखोर कारपोरेट सत्तावर्ग के लिए संकटमोचक है जैसे कि महामंदी के दौर में हम बार बार कह रहे थे कि शेयर बाजार देश की अर्थव्यवस्था का पर्याय नहीं है।
विदेशी और संश्तागत निवेशको की मुनाफावसूली के खेल में जितनी उछल कूद होगी शेयर बाजार में उतनी ही नेस्तनाबुत होती जायेगी जनता।
पूरी अर्थव्यवस्था क्रयशक्ति निर्भर सेवा क्षेत्र है या फिर पोंजी स्कीम जिसमें आम लोगों का पैसा डूबना तय है और कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।
सेबी ने जनता की गाढ़ी कमाई कारपोरेट जेबों में डालने के हर संभव उपाय कर दिये हैं।
अच्चे दिन इराक के तेलकुंओं की सर्वग्रासी आग की तरह हमें अपनी चपेट में लेने ही वाले हैं।
थोक मूल्य आधारित महंगाई दर मई में पांच महीने के उच्चस्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। अप्रैल में यह 5.20 प्रतिशत थी। महंगाई दर में यह वृद्धि खाद्य और ईंधन कीमतों में तीव्र उछाल के कारण हुई है। यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े में सामने आई है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, ईंधन और बिजली की महंगाई दर, डीजल कीमतों में 14.21 प्रतिशत वृद्धि के कारण समीक्षाधीन महीने में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले बढ़कर 10.53 प्रतिशत हो गई। पेट्रोल की कीमत 12.28 प्रतिशत बढ़ गई।
खाद्य महंगाई दर बढ़कर 9.50 प्रतिशत हो गई। आलू की कीमत में 31.44 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। फल वर्ष दर वर्ष आधार पर 19.40 प्रतिशत महंगे हो गए, जबकि दूध की कीमत में 9.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
मूडीज का आकलन, बजट से मिलेंगे भारत की साख के संकेत
भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च राजकोषीय घाटे के कारण आर्थिक झटकों के प्रति संवेदनशील है और देश की साख का दृष्टिकोण सरकार की उन पहल पर निर्भर करेगा जो वह अगले महीने पेश होने वाले बजट में खर्च घटाने और वैश्विक जिंस कीमतों के प्रति संवेदनशीलता कम करने के लिए उठाएगी। यह बात आज साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने कही। मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा 'साख निर्धारण के लिए ज्यादा प्रासंगिक यह होगा कि क्या बजट में उन पहल को शामिल किया जाएगा जो सरकार के कम राजस्व संग्रह, उच्च व्यय और जिंस कीमतों की संवेदनशीलता से निपटने के लिए उठाए गए हों।'
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत का बजट घाटा उच्च स्तर पर है और इससे व्यापक आर्थिक असंतुलन पैदा होता है इसलिए यह अर्थव्यवस्था को झटकों के लिए प्रति संवेदनशील बनाता है। मूडीज ने कहा 'राजकोषीय घाटे को कम करने की पहल के अभाव में भारत उच्च वृद्धि दर प्राप्त नहीं कर सकता जिसका अनुमान जताया गया है। जुलाई के बजट में इस बात का संकेत मिल सकता है कि आने वाले दिनों में भारतीय साख से जुड़ी राजकोषीय अड़चनें कम होंगी या नहीं।' उम्मीद की जा रही है कि आम बजट जुलाई के दूसरे सप्ताह में पेश होगा।
बाजार में जान फूंकने के लिए सेबी ने उठए कदम |
बीएस संवाददाता / मुंबई 06 19, 2014 |
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने आज प्राथमिक बाजार में जान फूंकने के उदेश्य से कई घोषणाएं की है। मुख्य तौर पर सुस्त पड़े आरंभिक सार्वजनकि निर्गम (आईपीओ) बाजार में तेजी के लिहाज से सेबी ने कुछ कदम उठाए हैं साथ ही इएसओपी और ओएफओ नियमों में भी ढील दी गई है। आईपीओ बाजार में प्रर्वकतों को आकर्षित करने केलिए बाजार नियामक ने न्यूनतम क्राइटेरिया के नियमों मे ढील दी है। इसके बाद अब कंपनियां सार्वजनिक पेशकश के जरिए न्यूनतम 25 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। इससे पहले 4000 करोड़ रुपये से कम के मूल्यांकन वाली कंपनियां ही आईपीओ के जरिए 25 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकतीं थी, जबकि बड़ी कंपनियों को सिर्फ 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दी गई थी। साथ ही अतिरिक्त 15 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए तीन साल का समय दिया गया है।
इसी तरह बाजार नियामक के दूसरे बड़े फैसलों में सार्वजनिक उपक्रमों में सार्वजनिक शेयरों का अनुपात बढ़ाकर कम से कम 25 फीसदी करने के प्रस्ताव को अनुमति दे दी है। इससे पहले सार्वजनिक उपक्रमों केलिए कम से कम 10 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी आवश्यक थी। सेबी के इस निर्णय आ असर करीब 36 सार्वजनिक उपक्रमों पर पड़ेगा, जहां फिलहाल सरकार के पास 75 फीसदी से अधिक स्वामित्व है। सेबी ने कहा कि 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी (एमपीएस) हासिल करने केलिए तीन साल का समय दे सकती है। निजी कंपनियों के लिए 25 फीसदी एमपीएस की समयसीमा जून 2013 में समाप्त हो गई है।
इसके अलाव सेबी ने शेयर बिक्री के लिए ओएफएस की सीमा का विस्तार किया है। नियामक ने कहा, शीर्ष 200 कंपनियां को ओएफएस केजरिए डिवेस्ट करने की अनुमति होगी। इससे पहले सिर्फ शीर्ष 100 कंपनियों को ही ओएफस के जरिए शेयर बिक्री की अनुमति दी गई थी। खुदरा निवेशों की मदद के लिए भी नियामक ने फैसले किए हैं। नियमाक ने कहा, ओएफएस में 10 फीसदी आरक्षण खुदरा निवेशकों को देना होगा। साथ ही खुदरा निवेशकों को छूट केे लिए डिफरेंशियल प्राइसिंग की अनुमति दी गई है।
जैसै जैसे इराक संकट गहराता जा रहा है इराक में काम कर रहे भारतीय परिवारों का दिल बैठा जा रहा है। अपनों की सलामती की दुआ कर रहा परिवार अब सरकार से अपनों को वापस देश लाने की गुहार लगा रहा है। इसी क्रम में परिवार आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलेगा। होशियारपुर, गुरदासपुर, अमृतसर से दिल्ली पहुंचा परिवार आज दोपहर 3 बजे मुलाकात करेगा।
दरअसल करीब 40 भारतीय मोसुल शहर से अगवा कर लिए गए हैं। इसके अलावा करीब 10 हजार भारतीय इराक में रहते हैं। दरअसल इराक में सरकार और आईसआईएस में जबर्दस्त लड़ाई चल रही है। मोसुल समेत कई शहरों पर आईएसआईएस का कब्जा हो चुका है। इसी बीच इराक ने अमेरिका से मदद मांगी है। इराक ने अमेरिका से हवाई हमले करने की अपील की है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ईरान को साथ ले सकता है।
इसी बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भरोसा दिलाया है कि इराक में फंसे भारतीयो की सुरक्षित वापसी की हर कोशिश की जाएगी। और इस मसले पर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। सरकार का दावा है कि वापसी के लिए हर मुमकिन कोशिश हो रही है तो विपक्षी दल भी सरकार से इस दिशा में जल्दी कोई ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि इराक में बढ़ रहे तनाव के कारण लगने वाले किसी भी बाहरी झटके से उबरने के लिए भारत तैयार है। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से आयोजित बैंकिंग एवं इकॉनॉमिक कन्क्लेव से इतर संवाददाताओं से बातचीत में राजन ने कहा है कि हमारे पास पर्याप्त अधिकोष है, चालू खाता घाटा निम्न पर है। इसलिए मैं समझता हूं कि इस बिंदु पर किसी को भी बाहरी पक्ष को लेकर बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।
इराक में तनाव बढ़ने के कारण भारतीय मुद्रा और शेयर बाजार दबाव में है। इराक भारत की जरूरत का 13 प्रतिशत तेल मुहैया कराता है। राजन ने कहा कि भारत सरकार इराक की स्थिति पर सतत निगाह रख रही है। उन्होंने कहा है कि इराक में अभी तक अनिश्चिता स्थिति बनी हुई है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हम निगाह रखे हुए हैं और सभी कुछ इराक में लड़ाई से संबंधित रहनी चाहिए।
गवर्नर ने कहा कि किसी भी विदेशी झटके उबरने के लिए भारत की वित्तीय स्थिति आज से एक वर्ष पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा है कि जहां तक बाहरी मोर्चे की बात है, हम पिछले वर्ष के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं।
महंगाई के मामले में राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक के साथ-साथ सरकार को भी इस समस्या से निपटने के लिए सतर्क होने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि सरकार और रिजर्व बैंक निगाह रखे हुए हैं और इस पर सतर्क रहने की जरूरत है।
मई में थोक महंगाई दर 6.01 फीसदी बढ़ी
नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मई में थोक महंगाई दर बढ़कर 6.01 फीसदी हो गई है। वहीं अप्रैल में थोक महंगाई दर 5.2 फीसदी रही थी। मई में थोक महंगाई दर, दिसंबर 2013 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं मार्च की थोक महंगाई दर 5.7 फीसदी से संशोधित होकर 6 फीसदी हो गई है। महीने दर महीने आधार पर मई में महंगाई दर 3.4 फीसदी से बढ़कर 3.8 फीसदी रही।
महीने दर महीने आधार पर मई में खाने-पीने की महंगाई दर 8.64 फीसदी से बढ़कर 9.5 फीसदी रही। महीने दर महीने आधार पर मई में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 7.06 फीसदी से बढ़कर 8.58 फीसदी रही। महीने दर महीने आधार पर मई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 3.15 फीसदी से बढ़कर 3.55 फीसदी रही। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है। महीने दर महीने आधार पर मई में फ्यूल-पावर की महंगाई दर 8.93 फीसदी से बढ़कर 10.53 फीसदी रही।
इंडिया रेटिंग्स के डायरेक्टर सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि थोक महंगाई दर के आंकड़े अनुमान से कहीं ज्यादा हैं और मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर बढ़ना सबसे बड़ी चिंता की बात है। अब आगे के थोक महंगाई दर, रिटेल महंगाई दर और आईआईपी के रुझान पर ही आरबीआई का निर्णय निर्भर करेगा।
इक्रा की सीनियर इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि मई में थोक महंगाई दर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान था, लेकिन जो आंकड़ा आया है वो बहुत खराब है। थोक महंगाई दर पर खाने-पीने की महंगाई दर ने दबाव बनाने का काम किया है। आगे मॉनसून की चाल पर ही खाने-पीने की महंगाई दर के बारे में राय बन पाएगी।
रेलवे में 100% एफडीआई को जल्द मंजूरी!
सरकार फैसलों की पिच पर ताबड़तोड़ चौके-छक्के लगा रही है। सीएनबीसी आवाज़ को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि उद्योग मंत्रालय ने रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई को हरी झंडी दे दी है। संबंधित मंत्रालयों को डीआईपीपी से कैबिनेट ड्राफ्ट नोट भेजा गया है। रेलवे में एफडीआई को ज्यादा उदार बनाया जाएगा। मंत्रालयों की राय आने के बाद अंतिम प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा।
साथ ही, बुलेट ट्रेन के सपने को सच करने की कोशिशें भी फास्ट ट्रैक पर है। हाईस्पीड बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में एफडीआई का प्रस्ताव है। इसके अलावा सबअर्बन रेलवे में एफडीआई का प्रस्ताव है। मेन रेल ट्रैक से प्रोडक्शन प्लांट तक ट्रैक बिछाने में एफडीआई का प्रस्ताव है। उद्योग मंत्रालय के मुताबिक रेलवे में एफडीआई आने से जीडीपी ग्रोथ 1-2 फीसदी बढ़ेगी।
टीटागढ़ वैगन्सके एमडी उमेश चौधरी का कहना है कि रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिल जाती है तो ये बेहद पॉजिटिव कदम होगा। मोदी सरकार के कदम रेलवे को सही दिशा में लेकर जा रहे हैं, इससे लग रहा है जैसे पूरे क्षेत्र में एक नई जान फूंक दी गई हो।
अगर नई सरकार के कदम अच्छी तरह से लागू हो जाते हैं तो रेलवे सेक्टर काफी अच्छी ग्रोथ दिखा सकता है और देश की जीडीपी ग्रोथ को कई फीसदी बढ़ा सकता है।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भी रेलवे में एफडीआई के संकेत दिए हैं। मनोज सिन्हा के मुताबिक परिचालन, सुरक्षा, कैटरिंग को छोड़ हर क्षेत्र में निवेश संभव है। रेलवे में एफडीआई की गुंजाइश है। रेलवे में परिचालन, सुरक्षा, कैटरिंग को छोड़ हर क्षेत्र में निवेश संभव है। कैबिनेट में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा होगी। छोटे स्टेशनों पर रेक प्वाइंट, वेयरहाउस बनेंगे और कई इलाकों में एफडीआई संभव है।
मनोज सिन्हा के मुताबिक रेलवे में निवेश के लिए निवेशक तैयार हैं। सरकार रेलवे और देश हित को देखकर एफडीआई की सीमा तय करेगी। रेलवे में एफडीआई पर नीति बनाने के बाद इस पर घोषणा की जाएगी।
नई सरकार भले ही मल्टीब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश लाने के पक्ष में नहीं है लेकिन दूसरे सेक्टर्स में एफडीआई को बढ़ावा मिल सकता है। रेल मंत्री सदानंद गौड़ा के मुताबिक उन्होंने इस मुद्दे पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन से चर्चा भी की है और जल्द ही उन्हें प्रस्ताव भी सौंपा जाएगा। अगले 2 दिन में रेलवे में विदेशी निवेश को लेकर रोडमैप साफ होगा।
जहां एक ओर विदेशी निवेश के जरिए रेलवे में संसाधनों की व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। वहीं दूसरी ओर रेल का किराया बढ़ाने पर भी विचार जारी है। मीडिया से बातचीत के दौरान रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने ये भी बताया कि 3-4 दिन में रेल के किराए को लेकर भी स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी।
इंश्योरेंस में एफडीआई सीमा बढ़ाने पर विचार
इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई पर विचार के लिए वित्त मंत्री ने बैठक बुलाई है। इस बैठक में इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने पर विचार किया जा सकता है।
बैठक में बैंकिंग सेक्रेटरी और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन भी शामिल होंगी। बैठक में इंश्योरेंस सेक्टर में निवेश बढ़ाने के दूसरे उपायों पर भी चर्चा होगी।
ईएम कैपिटल मैनेजमेंट के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर, सेठ आर फ्रीमैन का कहना है कि भारत जैसे देशों के लिए कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आना बड़ी चिंता की बात है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व रवैया बाजारों के लिए सकारात्मक है। आगे चलकर इराक संकट एक बड़ी चिंता का रूप ले सकता है।
एलारा कैपिटल के वाइस चेयरमैन राज भट्ट का कहना है कि कच्चे तेल की आपूर्ति पर ज्यादा असर नहीं होने की वजह से इराक संकट का भारतीय बाजारों पर ज्यादा असर नहीं हुआ है। हालांकि इराक में अंतर्कलह जल्द खत्म होने के आसार कम ही हैं। ऐसे में इराक की दिक्कतें बढ़कर युद्ध में तब्दील नहीं हो जाती तब तक डरने की जरूरत नहीं है।
राज भट्ट के मुताबिक एफआईआई निवेशक भारत को लेकर काफी ज्यादा बुलिश हैं। एफआईआई निवेशकों की नजर अब बजट से निकल कर आने वाले ऐलानों पर टिकी है। ऐसे में बाजार में हाल फिलहाल की आई गिरावट केवल मुनाफावसूली के चलते है। पहली तिमाही के नतीजों के बाद फिर से बाजार में अच्छी खरीदारी का दौर शुरू हो सकता है।
ओएफएस में रिटेल निवेशकों को 10% हिस्सा
सेबी ने ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) में रिटेल निवेशकों के लिए 10 फीसदी हिस्सा रिजर्व किया है। वहीं, नॉन-प्रमोटर ओएफएस में अपनी हिस्सेदारी बेच सकेंगे। नॉन-प्रमोटर कंपनी में 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा होने पर ओएफएस के जरिए शेयर बेच सकते हैं। पिछले 1 साल में मंजूर किए गए बोनस शेयर भी ओएफएस के जरिए बेचे जा सकते हैं। टॉप 100 की जगह अब टॉप 200 कंपनियां ओएफएस के जरिए शेयर बेच सकेंगी।
वहीं अब किसी भी आईपीओ में कम से कम 25 फीसदी या 400 करोड़ रुपये के शेयर बेचने होंगे। एंकर इंवेस्टर की सीमा 30 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी की है। वहीं, सभी सरकारी कंपनियों में 3 साल में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी करनी होगी। इसके अलावा ईसॉप नियमों में बदलाव किए जाएंगे। सेबी ने रिसर्च एनालिस्ट के लिए नए नियमों को मंजूरी दी है।
प्राइम डाटाबेस के एमडी पृथ्वी हल्दिया का कहना है कि सरकारी कंपनियों में हिस्सा घटाकर 75 फीसदी करने की 3 साल की समय सीमा काफी ज्यादा है। वहीं एंकर इंवेस्टर का हिस्सा बढ़ाकर 60 फीसदी किए जाने से मर्चेंट बैंकरों का जोखिम कम होगा। साथ ही इश्यू के लिए प्राइस डिस्कवरी भी बेहतर होगी। आईपीओ में न्यूनतम हिस्सेदारी 25 फीसदी या फिर 400 करोड़ रुपये किए जाने से काफी सारी कंपनियों को राहत मिलेगी।
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के फाउंडर संदीप पारेख का कहना है कि सरकारी कंपनियों में हिस्सा घटाकर 75 फीसदी करने की 3 साल की समय सीमा पर्याप्त है। वहीं 10 फीसदी डिस्काउंट दिए जाने से ओएफएस में रिटेल निवेशकों में बहुत ज्यादा उत्साह होने की उम्मीद नहीं है।
गडकरी ने दिया भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव का संकेत
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यों के साथ विचार विमर्श के बाद भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव का संकेत दिया है। इससे 60,000 करोड़ रुपये की अटकी राजमार्ग परियोजनाओं को नया जीवन मिल सकेगा। भूमि अधिग्रहण में देरी की वजह से इन परियोजनाओं में विलंब हो रहा है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हमने भूमि अधिग्रहण कानून पर राज्यों से विचार विमर्श किया है। मैंने उनके सुझावों पर विचार किया है। अब मैं इसे प्रधानमंत्री के समक्ष लेकर जाउंगा। इन संशोधनों को कब तक लाया जाएगा, इस बारे में पूछे जाने पर गडकरी ने कहा, 'संसद सत्र से 20 दिन पहले हम इस मुद्दे पर निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे। यह मुद्दा देश के भविष्य के विकास से जुड़ा है।'उन्होंने कहा कि सड़क नेटवर्क के साथ समस्या यह है कि 60,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं अटकी हुई हैं। उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय सभी जगह मामले हैं। इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं।
गडकरी ने कहा, 'एक महीने में मेरा लक्ष्य संतुलन पाने का है। हम ठेकेदारों को खत्म नहीं करना चाहते। सड़कों का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए।'उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने पहले ही 20,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की समस्याओं को हल कर लिया है। मंत्री ने कहा कि कई राजमार्ग परियोजना के पीछे रहने की वजह भूमि अधिग्रहण में विलंब है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में निर्माण, स्वामित्व व परिचालन तथा इंजीनियरिंग, खरीद व निर्माण माडल पर 7,000 किलोमीटर की परियोजनाओं के आवंटन का लक्ष्य रखा है। मंत्रालय ने 2013-14 में 9,000 किलोमीटर की परियोजनाओं के आवंटन का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह मात्र 2,000 किलोमीटर परियोजनाओं का आवंटन कर पाया।
1 साल में शुरू होगी रिलायंस की 4जी सेवा
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज की 40वीं एजीएम में बोलते हुए चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि अर्थव्यवस्था की खराब हालत के बावजूद कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया। पिछला साल कंपनी के लिए मुश्किल भरा साबित हुआ है। लेकिन देश की ग्रोथ में रिलायंस इंडस्ट्रीज की अहम भूमिका रही है। भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा टैक्स भुगतान करने वाली कंपनी है।
मुकेश अंबानी ने बताया कि अगले 3 सालों में 1,80,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है। इस निवेश का फायदा 2016-2017 से देखने को मिलेगा। वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2016 में पेटकेम, रिटेल और टेलीकॉम में निवेश पर फोकस करेंगे। अगले 3 साल रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए बदलाव का समय होगा। पिछले साल रिलायंस इंडस्ट्रीज का एक्सपोर्ट अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर रहा। आगे उत्तरी अमेरिका और खाड़ी देशों में विस्तार की योजना है।
मुकेश अंबानी के मुताबिक ज्यादा निवेश के चलते पेट्रोकेमिकल कारोबार से फायदा होगा। अगले 24 महीनों में सभी पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट्स पूरे होने की उम्मीद है। रिफाइनिंग कारोबार में ज्यादा क्षमता और यूटिलाइजेशन की गुंजाइश है। पिछले साल 6.8 करोड़ टन कच्चे तेल की प्रोसेसिंग की गई। मजबूत सिंथेटिक रबर पोर्टफोलियो डेवलप कर रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कर्मचारियों के स्किल और एजुकेशन पर हमेशा से ध्यान दिया है।
मुकेश अंबानी ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में सबसे बड़ा रिफाइनर बना रहेगा। केजी-डी6 से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए कदम उठाए गए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की अमेरिका के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने की कोशिश है। नए कोक गैसिफिकेशन प्लांट से रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार संभव है। जामनगर के कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन शुरू किया है। कोल बेड मीथेन गैस का उत्पादन वित्त वर्ष 2016 से शुरू होगा।
मुकेश अंबानी ने कहा कि गैस कीमतों में बढ़ोतरी पर उड़ाई गई अफवाहों का सच्चाई से जवाब दिया है। सोशल मीडिया पर कंपनी को अच्छा रिस्पांस मिला है। म्यांमार में 2 ब्लॉक जीती और वेनेजुएला में ग्रोथ के मौके तलाश रहे हैं। अमेरिका के बाहर भी ऑयल एंड गैस कारोबार के विस्तार पर विचार कर रहे हैं।
मुकेश अंबानी ने बताया कि पिछले साल रिलायंस रिटेल के कारोबार में 34 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। आय के लिहाज से रिलायंस रिटेल देश का सबसे बड़ा रिटेलर है। रिलायंस रिटेल के कुल 1691 स्टोर चल रहे हैं। 1 साल में रिलायंस रिटेल के 367 नए स्टोर खोले गए हैं। एमएंडएस के साथ कारोबार का विस्तार किया है और ग्लोबल ब्रांड लाने की कोशिश जारी है। कंज्यूमर कारोबार के लिए रिटेल सबसे बड़ा ट्रिगर होगा।
मुकेश अंबानी का कहना है कि देश भर में रिलायंस जियो 4जी ब्रॉडबैंड लॉन्च करेगी। रिलायंस जियो में 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। रिलायंस जियो से ढेरों नौकरियां पैदा होंगी। ब्रॉडबैंड ऑपरेशंस 2015 से चरणों में लॉन्च करेंगे। शुरुआत में रिलायंस जियो 5000 शहरों, 2.5 लाख गांवों में 4जी सेवा देगी। रिलायंस जियो सबसे ज्यादा कमाई करने वाले कारोबार में से एक होगा।
मुकेश अंबानी के मुताबिक रिलायंस जियो की ग्रोथ रिलायंस इंडस्ट्रीज को अगले 3 साल में फॉर्च्यून 50 लिस्ट में लाएगी। रिलायंस जियो के लिए नेटवर्क18 को खरीदा है। वहीं नीता अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड में शामिल किया गया है। नीता अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड में आने वाली पहली महिला हैं।
इराक के मोसुल से अगवा सभी 40 भारतीय सुरक्षित!
बगदाद। इराक में अगवा 40 भारतीयों के परिवारवालों के लिए एक अच्छी खबर है। सूत्रों के मुताबिक अगवा भारतीयों के बारे में पहली बार इराक सरकार ने भारत को जानकारी दी है। खबर है कि इराक सरकार ने कहा है कि सभी अगवा भारतीय नागरिकों का पता चल गया है और सभी सुरक्षित हैं, लेकिन उनकी सटीक संख्या और लोकेशन के बारे में अभी जानकारी नहीं है।
मोसुल इलाके में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले 40 भारतीयों का अपहरण कर लिया गया है। हालांकि विदेश मंत्रालय का कहना है कि अब तक फिरौती या किसी और मांग के लिए भारतीयों को अगवा करने वाले आतंकी संगठन ने कोई संपर्क नहीं साधा है।
गौरतलब कि इराक में भड़क रही गृहयुद्ध की आग की चपेट में अब भारतीय भी फंस गए हैं। इराक में इस वक्त 10 हजार से ज्यादा भारतीय हैं लेकिन इनमें से करीब 100 भारतीय हिंसा वाले इलाकों में हैं। मोसुल में तेल के कई कुएं हैं और ये कुर्द बहुल इलाका है। अपुष्ट खबरों के मुताबिक इस इलाके से मजदूरों को बाहर निकालते वक्त कुर्दिश मिलिशिया पेशमर्गास ने भारतीयों का अपहरण किया।
हालांकि तिकरित शहर में फंसी 46 नर्सों के सुरक्षित होने की पुष्टि की गई है। भारत सरकार के अनुरोध पर अंतराष्ट्रीय रेड क्रीसेंट ने सोमवार को नर्सों से मिलकर उनका हाल जाना था। सरकार का कहना है कि जो भी नर्स वापस आना चाहती हैं, उनकी मदद के लिए सरकार सभी विकल्पों पर गौर कर रही है।
गहराते संकट के बावजूद भारत ने साफ किया है कि इराक में स्थित उसके दूतावास बंद नहीं किए जाएंगे। प्रभावित भारतीयों के परिजनों के लिए विदेश मंत्रालय ने 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू की है। इराक में पूर्व राजदूत सुरेश रेड्डी को वापस बगदाद भेजा गया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रभावित परिवारों के संपर्क में हैं। विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए सरकार को मामले में जल्द से जल्द और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
2004 में अगवा किए तीन भारतीय ट्रक ड्राइवरों को छुड़ाने के लिए सरकार को लंबे समय तक मशक्कत करनी पड़ी थी। इस बार मामला 40 भारतीयों का है और अगर फिरौती की रकम के लिए कोई फोन ना आए तो मामला और गंभीर हो सकता है कि कहीं मकसद सिर्फ दहशत फैलाना तो नहीं।
भारत के लिए इराक़ संकट के मायने
नरेंद्र तनेजा
ऊर्जा विशेषज्ञ
बुधवार, 18 जून, 2014 को 17:53 IST तक के समाचार
तीसरी बात यह है कि इससे हमारा कारोबार प्रभावित होगा. हम मध्य पूर्व से तेल मंगाते हैं और वहां पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करते हैं.
वहां हमारी कई परियोजनाएं चल रही हैं. साथ ही उस क्षेत्र में हमारे 60-70 लाख लोग रहते हैं और काफ़ी पैसा स्वदेश भेजते हैं.
कारोबार
अगर आप इन सब चीजों को जोड़ लें तो आपको पता चलेगा कि भारत और मध्यपूर्व का क़रीब 230 अरब डॉलर यानी लगभग 138 खरब रुपए का कारोबार है.
ऐसे में अगर इराक़ में स्थिति ख़राब होती है तो यह पूरा कारोबार प्रभावित होगा जो भारत के लिए चिंता का विषय होगा.
इराक़ में अशांति होती है तो देश में तेल की क़ीमतें बढ़ जाती हैं.
सऊदी अरब के बाद इराक़ सबसे अहम तेल उत्पादक देश है. वहाँ 35 लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है, जिसमें से दो-ढाई लाख बैरल तेल भारत आता है.
दुनिया पर असर
अगर इराक़ का उत्पादन प्रभावित होता है तो इसका असर भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
इराक़ में संयुक्त राष्ट्र ज़्यादा कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि वहां की जनता का पश्चिमी देशों पर से विश्वास उठ चुका है.
मेरा मानना है कि बड़े तेल आयातक देशों जैसे भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोप को मिलकर इराक़ में शांति व्यवस्था कायम करने की पहल करनी चाहिए.
सबसे पहली कोशिश यह होनी चाहिए कि इस गृहयुद्ध को फैलने से रोका जाए ताकि यह देश के तेल उत्पादक दक्षिणी हिस्से तक न पहुँच पाए. यह सभी के हित में रहेगा.
(बीबीसी संवाददाता अशोक कुमार से बातचीत पर आधारित)
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इराक़: कार्रवाई के लिए ओबामा को 'नहीं चाहिए मंज़ूरी'
गुरुवार, 19 जून, 2014 को 10:23 IST तक के समाचार
प्रमुख रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैक मैककोनेल ने राष्ट्रपति और संसद के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद यह जानकारी दी.
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टॉपिक
इराक़ ने सुन्नी चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अमरीका से हवाई हमले करने के लिए कहा है.
इस बीच अमरीका के उप-राष्ट्रपति जो बिडेन और इराक़ी प्रधानमंत्री नूरी मलिकी ने इराक़ी बलों की सहायता करने के लिए अमरीका के "अतिरिक्त उपायों" पर चर्चा की.
व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने "आतंकवादियों की बढ़त रोकने" के उपायों पर विचार किया.
कार्रवाई
आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड अल शाम) की हाल में मिली बढ़त पर अमरीकी प्रतिक्रिया के बारे में चर्चा करने के लिए ओबामा ने बुधवार को कांग्रेस के नेताओं के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात की.
इसके बाद मैककोनेल ने कहा कि राष्ट्रपति ने "संकेत दिया है कि वह जो क़दम उठा सकते हैं, उसके बारे में उन्हें नहीं लगता कि हमारी अनुमति की ज़रूरत है."
हमारे संवाददाता ने बताया कि व्हाइट हाउस ने अभी तक इस सवाल को नज़रअंदाज़ किया है कि क्या इराक़ में किसी सैन्य कार्रवाई के लिए संसद की मंज़ूरी चाहिए या नहीं.
बीबीसी संवाददाता जोनाथन बील ने बताया कि विशेष बल "आईएसआईएस" पर कार्रवाई के लिए तैयार हैं.
बीते साल सीरिया पर संभावित हमले के लिए राष्ट्रपति ने संसद की मंज़ूरी नहीं ली थी. हालांकि जब यह साफ़ हो गया कि कांग्रेस उनके इस क़दम का समर्थन नहीं करेगी, तो उन्होंने अपना फ़ैसला वापस ले लिया.
"राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि वो जो कदम उठा सकते हैं, उसके बारे में उन्हें नहीं लगता है कि हमारी अनुमति की ज़रूरत है."
मिच मैक मैककोनेल, रिपब्लिकन सांसद
इससे पहले सांसदों ने यह कहते हुए सरकार की आलोचना की थी कि सरकार ने अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी फ़ौजी बर्गडेल की रिहाई के लिए ग्वांतानामो जेल से पांच कैदियों को रिहा करने के दौरान संसद से ज़रूरी सलाह-मशविरा नहीं किया.
चुनौती
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति इराक़ में एकतरफ़ा कार्रवाई कर सकते हैं क्योंकि वहां की सरकार ने आईएसआईएस चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अमरीका से हवाई हमले का अनुरोध किया है.
पिछले एक सप्ताह के दौरान आईएसआईएस ने इराक़ के प्रमुख शहरों पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया है.
ख़बरों के मुताबिक़ आईएसआईएस और उनके सुन्नी मुसलमान साथी दियाला और सलाहुद्दीन प्रांत में भी बढ़त बना रहे हैं. उन्होंने बगदाद के उत्तर में स्थित देश की सबसे बड़ी रिफ़ाइनरी पर भी धावा बोला है.
हालांकि अमरीकी प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक तौर से हवाई हमला करने के इराक के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बीबीसी के रक्षा संवाददाता फ्रैंक गार्डनर का कहना है कि ओबामा के पास हवाई हमले से लेकर अतिरिक्त प्रशिक्षण देने तक कई विकल्प हैं.
बुधवार को बैठक से पहले डेमोक्रेट सांसद हैरी रेड ने कहा कि वह "किसी भी सूरत में" इराक़ी "गृहयुद्ध" में अमरीकी सैनिकों को शामिल करने का समर्थन नहीं करेंगे.
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इराक पर ओबामा कर सकते हैं कार्यवाई
इराक को चपेट में लेती अल-कायदा प्रभावित हिंसा के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई पर राष्ट्रपति बराक ओबामा के फैसले का इंतजार किया जा रहा है. इराक ने सुन्नी चरमपंथियों के खिलाफ अमेरीका से हवाई हमले करने की मांग की है.
खुद राष्ट्रपति ओबामा और कांग्रेस के दूसरे कई नेताओं का मानना है कि इराक में स्थिति पर नियंत्रण के लिए तुरंत कुछ कदम उठाने होंगे. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर ओबामा वाकई कांग्रेस को दरकिनार कर इराक के मामले में कोई कदम उठाते हैं तो इससे व्हाइट हाउस और सांसदों के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है. ऐसे टकराव को टालना तब और भी मुश्किल हो जाएगा अगर ओबामा अमेरिकी सेना को सीधे सीधे इराक में हवाई हमले शुरु करने की इजाजत दे देते हैं.
ओबामा प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल हवाई हमले शुरु करने की बात पर चर्चा नहीं हो रही है लेकिन अगर खुफिया एजेंसियां इराक में आतंकवादियों के ठिकानों को साफ साफ तय कर लेती हैं तो ओबामा हवाई हमले कर उन्हें निशाना बनाने की आज्ञा दे सकते हैं.
बुधवार को ओबामा ने संसद के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ देर तक इराक मामले पर चर्चा की. बातचीत में शामिल रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककॉनेल ने बताया कि राष्ट्रपति ने "इस बात के संकेत दिए कि वे जो कदम उठाने के बारे में सोच रहे हैं उसके लिए उन्हें हमसे अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं लगती." नेताओं ने यह साफ नहीं किया कि ओबामा कौन से कदम उठाने के बारे में सोच रहे हैं.
इराक में कट्टरपंथियों से निपटने के लिए भर्ती किए गए नए वॉलंटियर
पिछले एक हफ्ते के दौरान आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड अल शाम) ने इराक के प्रमुख शहरों पर अपना कब्जा जमा लिया है और राजधानी बगदाद की ओर बढ़ रहा है. इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन ने बुधवार को बगदाद के उत्तर में स्थित देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर भी हमला किया. इनका इरादा राजधानी पर कब्जा कर राष्ट्रपति को सत्ता से हटाना और शरीया के आधार पर देश में शासन चलाना है.
पिछले साल सीरिया में हालात खराब होने पर ओबामा ने वहां हवाई हमले करने के लिए कांग्रेस से आज्ञा मांगी थी लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया. माना जाता है कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि यह साफ हो गया था कि कानून निर्माता सीरिया में कार्रवाई की समर्थन नहीं करेंगे. प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि इराक के मुद्दे पर राष्ट्रपति अपने विवेक से कोई भी कदम उठा पाएंगे क्योंकि इस बार इराक की सरकार ने अमेरिका से खुद सैन्य मदद मांगी है.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने सीरिया से तुलना की बात पर कहा, "मुझे लगता है कि यह एक बिल्कुल अलग मामला है." 2002 में इराक में सेना का इस्तेमाल किए जाने के लिए कांग्रेस ने जो आदेश जारी किए थे वह अभी तक वैध हैं.
इस बीच अमेरीका के उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने इराक के शिया प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी के अलावा वरिष्ठ सुन्नी और कुर्द नेताओं से मुलाकात कर स्थिति पर चर्चा की. इराक में कार्रवाई पर ओबामा कब फैसला लेंगे, इसके बारे में व्हाइट हाउस ने कोई समय सीमा नहीं बताई है.
आरआर/एमजे (एपी,एएफपी)
इराक़: अमरीकी हमले से क्या हासिल होगा?
जोनाथन मार्कस
बीबीसी कूटनीतिक संवाददाता
गुरुवार, 19 जून, 2014 को 14:24 IST तक के समाचार
अमरीकी दूतावास को मज़बूत करने के लिए अमरीकी सैनिक और नौसैनिकों को भेजा गया है.
इसके साथ ही ओबामा प्रशासन अगर ज़रूरी हुआ, तो हवाई हमला करने की तैयारी भी कर रहा है.
अमरीकी विमानवाहक पोत–यूएसएस जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश को खाड़ी में सामरिक मोर्चे की ओर भेजा जा चुका है.
ज़मीनी हक़ीक़त
इस विमानवाहक के साथ क्रूज़र यूएसएस फिलीपींस सी और और विध्वंसक यूएसएस ट्रक्सटन भी हैं, जो ज़मीन पर मौजूद किसी भी लक्ष्य पर क्रूज़ मिसाइल दाग सकते हैं.
अगर ज़रूरी हुआ, तो अमरीकी वायु शक्ति को पहले से इस इलाक़े में तैनात दूसरे युद्धक विमानों और सहायक विमानों की मदद मिल सकती है.
अमरीका की ये तैयारियां तो साफ़ तौर से दिखाई देती हैं, लेकिन साथ ही अमरीका ख़ुफ़िया तरीक़े से यह जानने की कोशिश भी करेगा कि वास्तव में ज़मीन पर क्या चल रहा है.
हालांकि क्लिक करेंविमानों के जरिए हस्तक्षेपकरने को लेकर कई समस्याएं भी हैं:
1. लक्ष्य पर निशाना
अगर आईएसआईएस के लड़ाके तेज़ी से बग़दाद की तरफ बढ़ते हैं, तो अमरीका की तरफ से हवाई हमले अधिक संभव होंगे. मगर आमतौर पर हल्के वाहनों पर चलने वाला आईएसआईएस का दस्ता तेज़ी से आगे बढ़ता है.
कुछ विशेष परिस्थितियों में उन्हें आम नागरिकों से अलग करना मुश्किल होगा. हो सकता है कि अमरीकी ज़मीन पर कुछ विशेष सुरक्षा बलों को तैनात करें, जो इराक़ी सैनिकों के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि लक्ष्य की पहचान की जा सके.
2. हमला कितना बड़ा?
क्लिक करेंआईएसआईएसके अपने दस्तावेज़ों के मुताबिक़ वो एक सुसंगठित और स्पष्ट ढांचे वाला गुट है. अमरीकी उसके बारे में कितना जानते हैं? हो सकता है कि वो ड्रोन के इस्तेमाल से उसके शीर्ष नेतृत्व पर हमला करना चाहे.
भौगोलिक लिहाज़ से क्या हमला केवल इराक़ी सीमा तक सीमित होगा या पेंटागन को इसकी इजाज़त दी जाएगी कि वह सीरिया के भीतर आईएसआईएस से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाए. आईएसआईएस की गतिविधियों ने दोनों देशों की सीमा को अप्रासंगिक बना दिया है.
3. राजनीतिक संदर्भ क्या?
वॉशिंगटन में माना जाता है कि इराक़ी प्रधानमंत्री नूरी मलिकी अपनी स्थिति के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने सरकार चलाने के लिए एक भ्रष्ट और सांप्रदायिक नज़रिए को आगे बढ़ाया.
अमरीका इराक़ में समावेशी राजनीति चाहता है. यह सही है कि कुछ सुन्नी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, पर आईएसआईएस का हमला देश में व्यापक बेचैनी के संकेत देता है.
इस सभी कारणों से क्लिक करेंराष्ट्रपति बराक ओबामाका झुकाव लड़ाई से परहेज़ करने की ओर हो सकता है.
अगर मलिकी अमरीकी वायु शक्ति के हस्तक्षेप के बिना आईएसआईएस को रोक सकते हैं, तो ज़्यादा बेहतर होगा.
अगर इराक़ी सेना ऐसा करने में असफल रहती है, तो व्हाइट हाउस को मजबूर होना पड़ेगा कि वो अपने युद्धक विमानों को कार्रवाई के लिए भेजे.
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इराक संकट तेल बाज़ार के लिए महंगा साबित हो रहा है?
गुरुवार, 19 जून, 2014 को 03:04 IST तक के समाचार
इस्लामी जेहादियों ने इराक़ के दो नए शहरों पर क़ब्ज़ा कर लिया है और बग़दाद पर हमले की चेतावनी दी है जिससे तेल बाज़ार में डर का माहौल है.
सुन्नी जेहादी ईरान सीमा से सटे और राजधानी बग़दाद के नज़दीक दियाला प्रांत की ओर बढ़ रहे हैं और उत्तर में दो महत्वपूर्ण शहरों मोसुल और तिकरित पर क़ब्ज़ा कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक ताज़ा हिंसा में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं.
आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड अल-शाम के लड़ाकों ने देश के शिया बहुल इलाक़ों में हमलों की चेतावनी दी है.
ताज़ा रिपोर्टों के मुताबिक जेहादियों ने इराक़ की सबसे बड़ी क्लिक करेंतेल रिफ़ायनरीपर बड़ा हमला किया है. रिपोर्टों के मुताबिक बैजी रिफ़ायनरी के कुछ हिस्सों पर जेहादियों का नियंत्रण हो गया है. यह बग़दाद से 210 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित है.
जेहादी लड़ाकों के आगे बढ़ने के कारण दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
तेल उत्पादन मुश्किल
इराक़ में ज़्यादातर लड़ाई उत्तरी इलाक़ों में हो रही है. आईएसआईएस के क़ब्ज़े में भी उत्तरी शहर ही आए हैं. इराक़ में 1999 से कार्य कर रही पेट्रेल रिसोर्सेज़ के मुख्य अधिकारी डेविड होर्गन के मुताबिक देश का सत्तर फ़ीसदी तेल उत्पादन दक्षिणी इलाक़ों होता है.
वे कहते हैं, यह कोई नई समस्या नहीं है, इराक़ का फ़लूजा जैसा शहर पहले ही क्लिक करेंआईएसआईसचरमपंथियों के हाथ में जा चुका है, लेकिन जो अब हो रहा है वह बड़ा घटनाक्रम है क्योंकि जेहादी इराक़ी सेना को पीछे धकेलने में कामयाब हुए हैं.
यह एक बुरी ख़बर है कि इससे तेल उत्पादन भले तुरंत बंद न हो लेकिन ऐसे घटनाक्रम से तेल उत्पादन मुश्किल हो जाता है. दूसरे खाड़ी युद्ध के बाद से इराक़ में तेल उत्पादन उबर नहीं पाया है और तेल के कुओं के संचालन और नए इलाक़े की तलाश के लिए ज़रूरी पैसा जुटाना भी मुश्किल हो जाता है.
डेविड कहते हैं कि इराक़ में काम करने के लिए मानव संसाधन और पैसा जुटाना बेहद मुश्किल काम है.
डर और अनिश्चिततता का माहौल
चैटहैम हाउस के प्रोफ़ैसर पॉल स्टीवंस बताते हैं कि इराक़ के कई तेल उत्पादक कुए दक्षिणी इलाक़े में हैं जहाँ तक लड़ाई अभी नहीं पहुँची है. क़ुर्द नियंत्रित इलाक़ों के बाहर के उत्तरी क्षेत्र में अधिक तेल उत्पादन नहीं हो रहा है.
वे बताते हैं कि इस क्षेत्र में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तेल भंडार हैं लेकिन युद्ध के बाद से यहाँ तेल उत्पादक कम हो रहा है और इसलिए अब ये उतना महत्वपूर्ण बाज़ार नहीं है.
जहाँ तक क्लिक करेंविदेशी निवेशका सवाल है, कंपनियों का भरोसा अब इराक़ सरकार में नहीं हैं.
वे कहते हैं, "ढाँचागत सुविधाओं और रख-रखाव के अभाव में उत्पादन प्रभावित हो रहा है."
प्रोफ़ेसर स्टीवंस बताते हैं, "तेल बाज़ार में ये आम भावना है कि यदि मध्यपूर्व में दिक़्क़तें होती हैं तो तेल के दाम बढ़ जाते हैं."
वे कहते हैं, "जब तक बग़दाद में कोई बड़ा फ़ेरबदल नहीं होता तब तक तेल के दामों पर असर नहीं होना चाहिए था लेकिन डर और अनिश्चिततता तेल के दाम बढ़ने का बड़ा कारण हैं."
प्रोफ़ेसर स्टीवंस कहते हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अगर अमरीका और ईरान के बीच कोई समझौता होता है तो इससे तेल बाज़ार को राहत मिल सकती हैं क्योंकि ईरान पर लगे व्यापारिक प्रतिबंध हट सकते हैं.
80 दिनों का ही तेल भंडारण
तेल बाज़ार का एक और सच यह है कि अंतिम रूप में इस्तेमाल होने से पहले तेल का हर एक बैरल कई बार बेचा-ख़रीदा जाता है और बाज़ार अपेक्षाओं से प्रभावित होता है.
प्रोफ़ेसर स्टीवंस कहते हैं, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्क साम्राज्य के पतन के बाद पश्चिमी देशों ने इराक़ का गठन किया था. यदि इराक़ एक बार फिर से टूटता है तो फिर बाक़ी का मध्यपूर्व भी कृत्रिम ही रह जाएगा. ऐसे में इसके बड़े प्रासंगिक परिणाम हो सकते हैं.
बचे हुए इलाक़े अपने सहयोगी तलाशेंगे. उत्तरी क्लिक करेंक़ुर्द इलाक़ासीरिया के क़ुर्दों में सहयोगी तलाशेगा और शिया बाहुल्य दक्षिणी इलाक़ा ईरान के साथ जाना चाहेगा जिससे संघर्ष और बढ़ेगा ही. इस सबसे तेल उत्पादन धीमा ही होगा.
विश्व का बड़ा हिस्सा आज भी तेल के लिए मध्यपूर्व पर ही निर्भर करता है. दुनिया में इस समय 80 दिनों तक चलने लायक तेल भंडारण ही है जो सौ दिन से ऊपर के भंडारण से काफ़ी नीचे हैं.
तेल के बड़े भंडारण मध्यपूर्व, साइबेरिया और वेनेजुएला जैसे देशों में हैं जो अंतरराष्ट्रीय अन्वेषण के लिए बंद हैं.
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देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे: मोदी
By एबीपी/एजेंसी
शनिवार, १४ जून २०१४ ०८:०७ अपराह्न
पणजी: केंद्रीय बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि कहा देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे.
हालांकि, मोदी ने अपने इस बड़े बयान से पहले 10 साल तक सत्ता में रहने वाली यूपीए सरकार को जमकर कोसा. मोदी ने कहा कि मनमोहन सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को काफी पीछे धकेल दिया.
गोवा में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते मोदी ने कहा, "आर्थिक विसंगतियों को दूर करने के लिए अगले एक-दो साल तक कड़े और मज़बूत फैसले लेने होंगे और यही कदम भारत के आत्मविश्वास को बहाल करेगा और बढ़ावा मिलेगा."
इसके साथ ही मोदी ने कहा कि गोवा से उनका खास लगाव है.
'न आंख दिखाएंगे, न आंख झुकाएंगे'
इससे पहले, नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश के सबसे बड़े, सर्वाधिक शक्तिशाली और अत्याधुनिक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य को गोवा तट पर नौसेना को समर्पित किया.
इस मौके पर उन्होंने कहा कि 'हम किसी को न आंख दिखाएंगे, न आंख झुकाएंगे, दुनिया से आंख मिला के बात करेंगे.' नौसेना के अधिकारियों और नौसैनिकों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देश विकास करे और नई ऊंचाइयों को छुए इसके लिए 'सुरक्षित भारत' की दरकार सबसे पहले है. उन्होंने कहा कि देश के चारों तरफ सुरक्षा दीवार खड़े करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़े युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने से भारत की सामुद्रिक सुरक्षा के इतिहास में नौसेना ने आज स्वर्णिम अध्याय रचा है. इस दिशा में यह पोत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
यह कहते हुए कि राष्ट्र की सामरिक शक्ति में आईएनएस विक्रमादित्य अभिवृद्धि करेगा, उन्होंने कहा, "विक्रमादित्य, जिसके नाम के साथ सूर्य जैसी तेजस्विता जुड़ी है, आप सब के जीवन में भी सूर्य की प्रखरता आए और विजयी होने का विश्वास पैदा हो."
मोदी ने देश के तटवर्ती इलाकों में नौसेना-एनसीसी का संजाल तैयार करने पर जोर दिया. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय स्तर का एक युद्ध स्मारक बनवाएगी और शीघ्र ही समान रैंक के लिए समान पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी.
युद्धपोत को नौसेना में शामिल किए जाने को देश के लिए महत्वपूर्ण दिवस बताते हुए मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि नवीनतम प्रौद्योगिकी को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, यह राष्ट्र के लिए मददगार साबित होगा. मोदी ने स्वदेश में रक्षा उपकरणों के विनिर्माण की भी वकालत की.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी सामरिक क्षमता में एक नई आस जुड़ रही है. मैं देश के नौसेना के जवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. समुद्री तट के सभी तहसीलों में नौसेना-एनसीसी का नेटवर्क बनाया जाएगा. नौसेना के लिए पीछे रहकर जानकारियां देने, मदद करने के लिए एक बहुत बड़ी ताकत उभर सकती है."
इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा है कि इस अवसर पर मोदी ने कहा, "हमें नवीनतम प्रौद्योगिकी को उच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है. इससे राष्ट्र को मदद मिलेगी." उन्होंने जोर दिया कि भारत को निश्चितरूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए और रक्षा उपकरणों का विनिर्माण करना चाहिए.
मोदी ने ट्वीट किया है, "आखिर क्यों हम रक्षा उपकरणों का आयात करें? हमें आत्मनिर्भर होना चाहिए. आखिर हम क्यों नहीं अपने रक्षा उपकरण दूसरे देशों को बेचें?"
समुद्र में 30 विमानों को ढो सकने में सक्षम युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य के चालक दल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'सलामी गारद' भी दिया. उन्होंने आईएएनएस विक्रमादित्य के चालक दल के सदस्यों से बातचीत भी की. इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर और नौसेना प्रमुख आर. के. धवन भी प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे.
आईएनएस विक्रमादित्य पर सवारी करने के दौरान मोदी एक मिग-29 लड़ाकू विमान के कॉकपिट में भी गए और नौसेना के पश्चिमी कमान बेड़े के साथ मोदी मिग-29के, सी हैरियर्स, समुद्र में गश्त करने वाले लंबी दूरी के विमान पी8 आई और टीयू 142एम, आईएल 38 एसडी, डॉर्नियर्स, कैमोव और सी किंग हेलीकॉप्टर सहित नौसेना के कई विमानों का आकाश में शक्ति प्रदर्शन देखा. मोदी के इस कार्यक्रम को 'डे एट सी' नाम दिया गया है.
रूस निर्मित 44,500 टन वजनी आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना की नवीनतम खरीदी में से एक है और यह इसकी सैन्य शक्ति का अत्यंत शक्तिशाली प्रतीक है.
आईएनएस विक्रमादित्य की लंबाई दो सौ चौरासी मीटर है. इसका आकार फुटबॉल के तीन मैदानों के बराबर है. इसमें 22 डैक हैं और इस पर सोलह सौ से अधिक कर्मचारी सवार हो सकते हैं. इस युद्धपोत में मिग-29 के, सी हैरियर, कामोव-31, कामोव-28, सी किंग, एएलएच-ध्रुव और चेतक हेलीकॉप्टरों जैसे तीस से अधिक विमानों को, वहन करने की क्षमता है.
पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने पिछले नवंबर में रूस के सेवमाश गोदी में पोत का जलावतरण किया था.
ইরাকের কিরকুক শহরে সুন্নি বিদ্রোহীদের হাতে ৬০ নির্মাণ শ্রমিক অপহৃত হয়েছেন। এদের মধ্যে রয়েছেন বেশ কয়েকজন বাংলাদেশি শ্রমিকও।
ইরাকের মোসুল শহর থেকে অপহৃত ৪০ ভারতীয়। সেখানে একটি প্রোজেক্টের কাজে গিয়েছিলেন তাঁরা। জানা গিয়েছে, সেখান থেকেই তাঁদের অপহরণ করা হয়। আশঙ্কা করা হচ্ছে অপহরণের পিছনে ইসলামিক স্টেট ইন ইরাক অ্যান্ড অল-শাম (ISIS)-এর জঙ্গিদের হাত রয়েছে। তবে কোনও গোষ্ঠীই এখনও এর দায় স্বীকার করেনি বা কোনও দাবি-দাওয়া পেশ করেনি। অন্য দিকে, তিকরিতে আটকে রয়েছেন ৪৬ জন ভারতীয় নার্স।
ইরাকের উত্তরাঞ্চলে বাইজি এলাকায় দেশটির সর্ব বৃহৎ তেল শোধনাগার দখল করেছে দেশটির সুন্নি বিদ্রোহীরা।অন্যদিকে ইরাকের শিয়া শহরগুলোর সুরক্ষা ব্যবস্থার নিশ্চয়তা দিয়েছেন ইরানের প্রেসিডেন্ট হাসান রুহানি।টেলিভিশন বক্তৃতায় প্রেসিডেন্ট হাসান দেশটির শিয়া পবিত্রস্থানগুলো রক্ষার ঘোষণা দিয়ে রেখেছেন।
সুদিন নয়, ক্ষমতায় আসার মাস পেরনোর আগেই দুর্দিনের মেঘ ঘনীভূত হচ্ছে মোদী-জমানায়৷ অর্থনৈতিক পুনরুজ্জীবন ও মূল্যবৃদ্ধি নিয়ন্ত্রণ-- মূলত যে দু'টি আশায় ভর করে দেশবাসী ভোটবাক্সে পদ্মফুলের ঝড় বইয়ে দিয়েছিলেন, সেই আশায় ছাই ঢালতে বসেছে ইরাকের জঙ্গিরা৷ দেশের মধ্যে বিরোধীদের বিলীন করে দিয়ে ক্ষমতায় এসেছেন মোদী৷ কিন্ত্ত সাদ্দাম হুসেনের দেশে ঘাঁটি গাড়া আল কায়দা জঙ্গিরাই এখন নরেন্দ্র মোদীর মাথাব্যথার সবচেয়ে বড় কারণ৷
বুধবারই আইসিস জঙ্গিরা ইরাকের বৃহত্তম তৈলকূপ এলাকা বায়জির ৭৫ শতাংশ এলাকাই নিজেদের দখলে নিয়েছে৷ ফলে চরম আতঙ্ক আর অনিশ্চয়তা তৈরি হয়েছে বিশ্ববাজারে৷ বুধবার ব্যারেল প্রতি অপরিশোধিত তেলের দর পৌঁছে যায় ১১৪ ডলারের কাছাকাছি৷ গত সপ্তাহ থেকে আন্তর্জাতিক বাজারে অপরিশোধিত তেলের দর ন'মাসের মধ্যে সর্বোচ্চ৷ বায়জির খবর প্রকাশ্যে আসার পরই ৪০০ পয়েন্ট পড়ে যায় সেনসেক্স৷ টাকার দর পৌঁছে যায় ৬০.৫৪-তে৷ পরিস্থিতি সামলাতে বাজারে হস্তক্ষেপ করে রিজার্ভ ব্যাঙ্ক৷ ইরাকের পরিস্থিতির জেরে তেলের দর বাড়ায় দাম চড়ছে নিত্যপ্রয়োজনীয় জিনিসপত্রেরও৷ এমনিতেই বাজেটে কঠোর অর্থনৈতিক সংস্কারের ইঙ্গিত দিয়ে রেখেছেন মোদী৷ তার উপর গোদের উপর বিষফোড়া হয়ে দাঁড়িয়েছে ইরাকের ঘটনা৷
সংবাদসংস্থা রয়টার্স জানিয়েছে, ১১৩-১১৪ ডলার নয়, অচিরেই ব্যারেল প্রতি অপরিশোধিত তেলের দর আন্তর্জাতিক বাজারে ১২০ ডলারে পৌঁছতে পারে৷ আগামী তিন-চার মাস তা ওই দরেই থাকবে৷ ফলে সরকারি কোষাগার থেকে বেরিয়ে যেতে চলেছে ২০ থেকে ২৫ হাজার কোটি টাকা৷ যার মাসুল দিতে চওড়া হবে আর্থিক ঘাটতি৷ সেই সঙ্গে বিদেশি বিনিয়োগ বেরিয়ে যাওয়া এবং টাকার দরে পতনের ফলে বৃদ্ধি পাবে চলতি খাতের ঘাটতি৷ সেই সঙ্গে সোনা আমদানির কড়াকড়ি শিথিল করার সম্ভাবনাও সঙ্কুচিত হবে৷
এই পরিস্থিতিতে জিনিসের দাম নিয়ন্ত্রণ করতে না পারলে যে তাঁর সরকার গোড়াতেই হোঁচট খাবে তা ভালোই বুঝতে পারছেন নরেন্দ্র মোদী৷ জরুরি ভিত্তিতে এ দিন তাই একের পর এক বৈঠক করে মূল্যবৃদ্ধি নিয়ন্ত্রণের রাশ নিজের হাতেই তুলে নিলেন প্রধানমন্ত্রী৷ এ দিন সকাল দশটায় তিনি প্রধানমন্ত্রীর অফিসের দায়িত্বপ্রাপ্ত অফিসারদের সঙ্গে মূল্যবৃদ্ধি নিয়ে আলোচনা করেন৷ দুপুর বারোটা নাগাদ ৭ রেসকোর্স রোডে বৈঠকে বসেন চারজন মন্ত্রী ও অফিসারদের সঙ্গে৷ সেই বৈঠকে ছিলেন কৃষিমন্ত্রী রাধামোহন সিং, গণবণ্টন মন্ত্রী রামবিলাস পাসোয়ান, নদী ও জল সংশোধন মন্ত্রী উমা ভারতী, রসায়ন ও সারমন্ত্রী অনন্ত কুমার, কৃষি সচিব এবং সংশ্লিষ্ট দপ্তরের অফিসাররা৷ বৈঠকে মন্ত্রী ও অফিসারদের কাছ থেকে মোদী জানতে চান, রাজ্যগুলিতে খাদ্যশস্য, ডিম ও পেঁয়াজের স্টক কতটা৷ কোন রাজ্যে কতটা বৃষ্টি হয়েছে, কোথায় বৃষ্টি কম হতে পারে, বৃষ্টি কম হলে কী ব্যবস্থা নিতে হবে, কোন রাজ্যে রেশন ব্যবস্থা ভালো এবং কোন রাজ্যে খারাপ৷ রেশন ব্যবস্থার মাধ্যমে কত মানুষের কাছে নিত্যপ্রয়োজনীয় জিনিস পৌঁছনো সম্ভব৷ এই সব প্রশ্নের জবাব নিয়ে প্রেজেন্টেশন দিতে বলা হয়েছে মন্ত্রীদের৷
এর পর বিকেল পাঁচটায় কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভার বৈঠকেও মূল্যবৃদ্ধি নিয়ে বিস্তারিত আলোচনা হয়৷ মোদী সমস্ত রাজ্যে পেঁয়াজ, আলু, ডিম, খাদ্যশস্যের জোগান বাড়ানোর নির্দেশ দিয়েছেন৷ সফল, মাদার ডেয়ারি, সরকারি স্টল, রেশন ব্যবস্থার মাধ্যমে কম দামে জিনিস দেওয়ার ব্যবস্থা করা হবে৷ প্রতিটি রাজ্যকে নিত্যপ্রয়োজনীয় জিনিস অঢেল দেওয়া হবে৷ কৃত্রিম ভাবে জিনিসের দাম বাড়ানোর ঘটনা ঘটলেই সঙ্গে সঙ্গে ব্যবস্থা নিতে হবে৷ মূল্যবৃদ্ধি নিয়ে প্রতিদিন মোদীকে রিপোর্ট দিতে হবে৷ প্রতিটি রাজ্যের সঙ্গে কেন্দ্রীয় মন্ত্রী ও সচিবরা যোগাযোগ রাখবেন৷ দরকারে রাজ্য সফরে যাবেন তাঁরা৷ সরকারি সূত্রের খবর, মূল্যবৃদ্ধি নিয়ন্ত্রণে সরকারি ব্যবস্থায় মোদী পুরোপুরি সন্ত্তষ্ট নন৷ তিনি চাইছেন, সাধারণ মানুষের কাছে নিত্যপ্রয়োজনীয় জিনিসের জোগান বাড়িয়ে দাম নিয়ন্ত্রণে রাখতে৷ প্রধানমন্ত্রীর নির্দেশের পরই দিল্লির লেফটেন্যান্ট গভর্নর নাজিব জঙ্গ নির্দেশ দিয়েছেন, অবিলম্বে দিল্লিতে ৭০টি গাড়িতে করে বিভিন্ন জায়গায় পেঁয়াজ-সহ বিভিন্ন সবজি ও খাদ্যশস্য বিক্রি করা হবে৷ সেই সঙ্গে মাদার ডেয়ারির সবজি বিক্রির স্টলেও জোগান দ্বিগুণ করা হবে৷ তিনদিনের মধ্যে আবার মন্ত্রীদের নিয়ে বৈঠক করতে পারেন প্রধানমন্ত্রী৷ সেখানে মন্ত্রীদের আরও সুসংহত পরিকল্পনার কথা জানাতে হবে৷
তেলের দামের ঊর্ধ্বগতি সামাল দিতে সরকারের কাছে এখন দু'টি পথ খোলা৷ এক, রাষ্ট্রায়ত্ত তেল বিপণনকারী সংস্থাগুলির লোকসান রুখতে সরকারকে ফের ডিজেল-কেরোসিন-এলপিজির দাম বাড়াতে হবে৷ দুই, অতিরিক্ত ভর্তুকি দিয়ে সাধারণ মানুষের পকেট বাঁচাবে সরকার৷ দ্বিতীয়টার অবকাশ নেই, কারণ আর্থিক বৃদ্ধির খাতিরে ভর্তুকির বোঝা ছাঁটতে চাইছেন মোদী৷ আর প্রথমটি হলে ফের মাথাচাড়া দেবে মূল্যবৃদ্ধি৷ ফলে সুদের হার কমার সুযোগ থাকবে না৷ ঊর্ধ্বমুখী মূল্যবৃদ্ধি, নিম্নমুখী আর্থিক বৃদ্ধির চক্রব্যূহে ফের জড়িয়ে পড়বে ভারতীয় অর্থনীতি৷ অর্থাত্, ঠিক যে জায়গায় মনমোহন সিং সরকার ব্যর্থ হয়েছিল, সেই একই জাঁতাকলে পড়ে যাবে নরেন্দ্র মোদীর সরকার৷
অর্থমন্ত্রকের এক শীর্ষ আধিকারিক বলেছেন, তিন-চার মাস ধরে যদি তেলের দর ১২০ ডলার থাকে, তা হলে ভারতের আর্থিক বৃদ্ধি এবং আর্থিক ঘাটতির উপর তা বিরূপ প্রভাব ফেলবে৷ অন্তর্বর্তী বাজেটে মোট অভ্যন্তরীণ উত্পাদনের ৪.১ শতাংশে আর্থিক ঘাটতি বাঁধা থাকবে বলে লক্ষ্যমাত্রা নিয়েছিল পূর্বতন সরকার৷ কিন্ত্ত সেই 'লক্ষ্মণরেখা'র মধ্যে হয়তো থাকা যাবে না৷ অর্থমন্ত্রক সূত্রে খবর, ইউপিএ সরকার অন্তর্বর্তী বাজেটে চলতি অর্থবর্ষে আন্তর্জাতিক বাজারে অপরিশোধিত তেলের গড় দাম ব্যারেল প্রতি ১০৫ ডলার থাকবে বলে আশা করেছিল৷ কিন্ত্ত গত সপ্তাহ থেকে তিন ডলার বেড়ে তেলের ব্যারেল প্রতি দাম থাকছে ১১৩ ডলারের উপরে৷ কেন্দ্রীয় সরকারের দাবি, প্রতি ডলার দামবৃদ্ধির জন্য সরকারের বার্ষিক খরচ সাত থেকে সাড়ে সাত হাজার কোটি টাকা বেড়ে যাচ্ছে৷ ভারত প্রতিদিন ৪০ লক্ষ ব্যারেল অপরিশোধিত তেল আমদানি করে৷ আজকের দামে তার বার্ষিক দর ১৬ হাজার ৫০০ কোটি মার্কিন ডলার৷ অর্থাত্, মোট আমদানি খরচের এক-তৃতীয়াংশ ব্যয় হয় স্রেফ তেলেই৷
আগের ত্রৈমাসিকের আন্তর্জাতিক বাজারের গড় দাম দেখে পরবর্তী ত্রৈমাসিকের ভর্তুকি স্থির হয়৷ অর্থমন্ত্রকের আধিকারিকদের দাবি, বছরের দ্বিতীয়ার্ধে সরকারের জ্বালানি-ভর্তুকি খরচ বাড়তে চলেছে৷ ফলে গোটা বছরের জ্বালানি-ভর্তুকি খরচ ২০ থেকে ২৫ হাজার কোটি টাকা পর্যন্ত বাড়বে৷ এই আশঙ্কা থেকেই এদিন শেয়ার বাজারে ভারত পেট্রোলিয়াম, হিন্দুস্তান পেট্রোলিয়াম, ইন্ডিয়ান অয়েলের শেয়ার দর ৪.৮২ শতাংশ পর্যন্ত পড়ে যায়৷ দিনের শেষে ২৭৫ পয়েন্ট পড়ে ২৫,২৪৬.২৫ পয়েন্টে বন্ধ হয় বম্বে স্টক এক্সচেঞ্জ সূচক সেনসেক্স৷ ৭৩.৫০ পয়েন্ট পড়ে ৭,৫৫৮.২০ পয়েন্টে বন্ধ হয় ন্যাশনাল স্টক এক্সচেঞ্জ সূচক নিফটি৷ সাত সপ্তাহের সর্বনিম্ন মাত্রা বা ৩৬ পয়সা পড়ে দিনের শেষে ডলারের দর হয় ৬০.৩৯ টাকা৷
ইরাকের রাজধানী বাগদাদের কেন্দ্রে বিদ্রোহীদের অবস্থান রুখতে দেশটির সরকারি বাহিনীর লড়াইয়ের মধ্যে দেশের সবচেয়ে বড় তেল শোধনাগার দখলে নিয়েছে সুন্নি বিদ্রোহীরা।
বুধবার তারা দেশটির সর্ব বৃহৎ তেল শোধনাগারটি নিজেদের আয়ত্তে নেয়।
তেল শোধনাগারের ৭৫ শতাংশই সুন্নি বিদ্রোহীদের দখলে বলে জানিয়েছেন ওই খানে কর্মরত এক শ্রমিক।
তিনি বলেন, বিদ্রোহীরা তেল শোধনাগারের নিয়ন্ত্রণ নিয়েছে। তারা তেল উৎপাদনের ইউনিটগুলোসহ প্রশাসনিক ভবন ও ৪টি নজরদারি টাওয়ার মিলিয়ে ৭৫ শতাংশের নিয়ন্ত্রণই নিয়ে নিয়েছে।
বুধবার অপহরণের বিষয়টি নিশ্চিত করেছে তুরস্কের সংবাদ মাধ্যম ডগান নিউজ এজেন্সি। তবে তারা অপহৃত শ্রমিকদের নাম পরিচয় নিশ্চিত করতে পারেনি।
প্রকাশিত সংবাদ অনুযায়ী, বিদ্রোহীদের হাতে অপহৃত হয়েছেন পাকিস্তান, বাংলাদেশ, নেপাল ও তুর্কিস্থানের ৬০ শ্রমিক। অপহৃত ওই নির্মাণ শ্রমিকদের ইরাকের কিরকুক শহরে বন্দি রাখা হয়েছে।
জানা যায়, ওই ৬০ শ্রমিককে অপহরণ করা হয়েছে তাদের কর্মস্থল থেকে। তারা সবাই একটি হাসপাতালে নির্মাণ শ্রমিক হিসেবে কাজ করছিলেন।
তবে এ ঘটনার সত্যতা সম্পর্কে দেশটির দূতাবাস কোনো বক্তব্য দেয়নি।
দেশটিতে সাম্প্রতিক অস্থিরতা বেশ তীব্র আকার নিয়েছে। এরআগে বিদ্রোহীরা তুর্কিস্থানের ৩১ ট্রাক চালককে অপহরণ করে।
ইসলামিক স্টেট অব ইরাক অ্যান্ড সিরিয়া (আইএসআইএস) বাহিনী দমনে আকাশ পথে মার্কিনি হামলার সহযোগিতা চেয়েছে ইরাক সরকার।
বুধবার ইরাকের সবচেয়ে বড় তেল শোধনাগারে হামলা চালিয়ে দখল করে নেওয়ার পর ইরাক এ সহযোগিতা চাইলো।
ইরাকে শিয়া জনগোষ্ঠী সরকার গঠন করলেও সে দেশে মুসলিম সুন্নি জনগোষ্ঠী সংখ্যা গরিষ্ঠ।
এদিকে, সুন্নি জঙ্গি গোষ্ঠী বুধবারই মসুল শহর দখল করে নেয় এবং এরপর তারা বাগদাদ অভিমুখে অভিযান শুরু করে।
অপরদিকে, ইউএস মিলিটারির জয়েন্ট চিফ অব স্টাফ জেনারেল মার্টিন ডিম্পসে জানিয়েছেন, বিদ্রোহী দমনে ইরাক সরকার আনুষ্ঠানিকভাবে মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের কাছে বিদ্রোহীদের ওপর আকাশ পথে হামলা চালানোর অনুরোধ জানিয়েছে।
ইরাকের মোসুল থেকে যখন ভারতীয়দের নিরাপদে বার করা হচ্ছিল, তখনই তাঁদের অপহরণ করা হয় বলে মনে করা হচ্ছে। প্রাকৃতিক তেলে পরিপূর্ণ মোসুল শহরে কব্জা করে সুন্নি জিহাদিরা। তবে এখানকার স্থানীয় কুর্দ মিলিসিয়া ISIS জঙ্গিদের তাড়িয়ে ওই শহর নিজেদের দখলে নিয়েছে।
এদিকে ইরাকের পরিস্থিতির খবর পাওয়ার পরই নিজের নাগরিকদের নিরাপদে দেশে ফিরিয়ে আনতে মরিয়া ভারত সরকার। ইরাকে ভারতের পূর্ব রাজদূত সুরেশ রেড্ডিকে সমঝোতার জন্য পাঠানো হয়েছে। সম্প্রতি আসিয়ান (ASEAN)-এর বিশেষ দূত নিযুক্ত করা হয়েছে রেড্ডিকে। ইরাকের সঙ্গে রেড্ডির ভালো সম্পর্ক থাকায়, তাঁকে এই দায়িত্ব দেওয়া হয়েছে।
আবার অপহৃত ভারতীয়দের দেশে ফিরিয়ে আনতে কোনও খামতি না-রাখার নির্দেশ দিয়েছেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী। সরকারি সূত্রে খবর, রাষ্ট্রীয় নিরাপত্তা উপদেষ্টা অজিত ডোওয়াল এই রেস্কিউ মিশন কো-অর্ডিনেট করছেন।
অন্য দিকে তিকরিতে ৪৬ জন ভারতীয় নার্স আটকে পড়েছেন। তাঁদের মধ্যে ১৪ জন ভারতে ফিরতে চান। তবে অন্যান্যরা জানিয়েছেন, আতঙ্কের পরিবেশ থাকলেও, তাঁরা নিরাপদে আছেন। জানা গিয়েছে, অপহৃত ৪০ জনই নির্মাণকর্মী।
উল্লেখ্য, সুন্নি সমর্থিত জিহাদিরা শিয়া সমর্থিত ইরাক সরকারের বিরুদ্ধে 'আন্দলোন'-এ নেমেছে। যার ফলে ইরাকে গৃহযুদ্ধের পরিস্থিতি সৃষ্টি হয়েছে।
আশা-নিরাশার সূক্ষ্ম সুতো আটকে রয়েছে বাকুবায়৷ ইরাকের রাজধানী বাগদাদ আর ইসলামিক স্টেট ইন ইরাক অ্যান্ড লেভান্ট (আইসিস) জঙ্গিদের মধ্যে একমাত্র বাধা এই শহরই৷ রাজধানী থেকে মাত্র ৬০ কিলোমিটার দূরের এই শহরের অধিকার নিয়েই সোমবার সারা রাত ও মঙ্গলবার দুপুরে মরণপণ সংঘর্ষ হয়েছে সেনা ও জঙ্গিদের মধ্যে৷
কেবলমাত্র দেশেই নয়, ইরাকের ভবিষ্যত্ নিয়ে জল্পনা শুরু করেছেন ইউরোপ ও আমেরিকার রাজনীতিবিদরাও৷ রাজধানীর দিকে ক্রমশ আগুয়ান জঙ্গিদের কী করে রোখা যেতে পারে আলোচনা তা নিয়েই৷ ২০০৩ থেকে ২০১১ সাল পর্যন্ত ইরাকি সেনাদের প্রশিক্ষণ দিয়েছে আমেরিকা৷ মোট খরচ ২৫০০ কোটি মার্কিন ডলার৷ পুরো টাকাটাই যে জলে পড়েছে তা নিয়ে সংশয়ের অবকাশ নেই৷ স্বায়ত্তশাসন পাওয়া ইরাকি কুর্দিস্তানের প্রধানমন্ত্রী নেচিরবান বারজানি কোনও ঢাকঢাক গুড়গুড় না করে সরাসরি জানিয়ে দিয়েছেন, মার্কিন সাহায্য ছাড়া ইরাকি সেনার পক্ষে কিছুতেই আইসিসের হাত থেকে মসুল শহর কেড়ে নেওয়া সম্ভব নয়৷
ইরাক নিয়ে মার্কিন প্রশাসন কী ভেবেছে তা এখনও স্পষ্ট নয়৷ শুক্রবার প্রেসিডেন্ট বারাক ওবামা হোয়াইট হাউসে এক সাংবাদিক বৈঠকে ঘোষণা করেছিলেন, ইরাকের সমস্যার সমাধান করতে হবে ইরাককেই৷ ওখানে আমেরিকা সাহায্য করতে রাজি থাকলেও সেনা পাঠাতে প্রস্ত্তত নয়৷ সোমবার এই ঘোষণা থেকে একেবারে ১৮০ ডিগ্রি ঘুরে বিদেশমন্ত্রী জন কেরি জানান, প্রয়োজনে বিমান আক্রমণ করতে দ্বিধা করবে না আমেরিকা৷
মঙ্গলবার, ইরাকে সেনা পাঠাল আমেরিকা৷ তবে, জঙ্গি দমনের জন্য নয়৷ বাগদাদের মার্কিন দূতাবাস রক্ষা করার জন্য বিশেষ প্রশিক্ষণপ্রাপ্ত ২৭৫ জন কম্যান্ডোর একটি বাহিনী পাঠিয়েছে হোয়াইট হাউস৷ একটি বিমানবাহী মার্কিন রণতরী ইতিমধ্যেই পারস্য উপসাগরে এসে গিয়েছে৷ তবে, বিদেশি সাহায্য প্রসঙ্গে সবচেয়ে গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ করেছে প্রতিবেশী ইরান৷ শিয়া মতাবলম্বী শাসিত এই দেশের 'রেভলিউশনারি গার্ডদের' বিশেষ বাহিনীর একটি ইউনিটের প্রধান কাসেম সুলেমান পরিস্থিতি খতিয়ে দেখতে বাগদাদ গিয়েছেন বলে জানা গিয়েছে৷
উত্তর দিকে রাজধানী বাগদাদের সবচেয়ে কাছের শহর বাকুবায় গত ২৪ ঘণ্টায় প্রবল সংঘর্ষ হয়েছে৷ প্রাথমিক ভাবে জঙ্গিরা বাকুবার কিছুটা অংশ দখল করেও নিয়েছিল৷ কিন্ত্ত শেষ পর্যন্ত ধরে রাখতে পারেনি সাফল্য৷ ইরাকি সেনার সঙ্গে জঙ্গিদের রুখে দেওয়ার কাজে হাত লাগিয়েছিল শিয়া মতাবলম্বী গণ মিলিশিয়াও৷ অসমর্থিত সূত্রে জানা গিয়েছে, আসাইব আল-হক, খেতাব হেজবোল্লা ও বদর অর্গানাইজেশনের মতো সশস্ত্র শিয়া সংগঠনগুলির কাছে যুদ্ধে অংশ নেওয়ার জন্য ডাক পাঠিয়েছে ইরাকি প্রশাসন৷ এ ছাড়া কর্মক্ষম ও সমর্থ পুরুষদের তো সেনাবিভাগে ভর্তির সুযোগ রয়েইছে৷ প্রতিদিনই বেশ কিছু যুবক সেনাবিভাগে ভর্তি হচ্ছেন বলে জানিয়েছে একাধিক আন্তর্জাতিক সংবাদমাধ্যম৷
বাকাবু শহরে সোমবার রাত থেকে যে সংঘর্ষ চলেছে তাতে প্রায় ৪৪ জনের মৃত্যু হয়েছে বলে খবর৷ এখনও পর্যন্ত আইসিস জঙ্গিরা বাকাবু দখল করতে না পারলেও তারা রাজধানী বাগদাদকে তিন দিক থেকে ঘিরে ফেলেছে৷ প্রাথমিক ভাবে আইসিস সংগঠনে তিন থেকে পাঁচ হাজার সদস্য থাকলেও যুদ্ধে সাফল্য পাওয়ার সঙ্গে সঙ্গে এই সংগঠনের সদস্যসংখ্যা বাড়তে শুরু করেছে৷ প্রাক্তন শাসক সাদ্দাম হুসেনের সমর্থক ও তাঁর বাথ পার্টির সদস্যদের অনেকেই যোগ দিয়েছেন এই জঙ্গি সংগঠনে৷
ইরাকে এক সময় মার্কিন সামরিক সফলতার প্রতীক হয়ে ওঠেছিল তাল আফার শহর। আমেরিকান সৈন্যরা এখানে তাঁদের প্রতিপক্ষকে পরাজিত করেছিল দু'বার। প্রথমবার তাঁরা পরাস্ত করেছিল সাদ্দামের সেনাবাহিনীকে এবং পরে ইসলামপন্থী জঙ্গীদের। এ জঙ্গীরা লড়াইয়ে যোগ দিয়েছিল মার্কিন সৈন্যদের বিরুদ্ধে।
এক দশকেরও কম সময় পর ঐ দুই মার্কিন প্রতিপক্ষ মিলিত হয়েছে তাল আফার আবারও তাঁদের নিয়ন্ত্রণে নেয়ার জন্য এবং আমেরিকান সৈন্যরা দেশটির নতুন প্রশাসনের নিরাপত্তার লক্ষ্যে যে সকল মেশিন গান ও সাঁজোয়া যান রেখে গিয়েছিল তাঁরা সেগুলো ব্যবহার করছে বর্তমান ইরাকী কর্তৃপক্ষকে পরাজিত করবার লক্ষ্যে। ইরাকের উত্তরাঞ্চলে ইসলামিক স্টেট অব ইরাক ও সিরিয়ার (আইএসআইএস) জঙ্গীদের উপস্থিতিতে গোষ্ঠীগত বিদ্রোহ মাথাচাড়া দিয়ে উঠেছে নতুন করে। প্রয়াত সাদ্দাম হোসেনের সমর্থকরা যুদ্ধের জন্য আবারও অস্ত্র তুলে নিয়েছে তাঁদের হাতে। সাদ্দাম সময়ের বাথ পার্টির স্থানীয় অনুসারীদের সমর্থনে আইএসআইএসের জিহাদীরা রবিবার তাল আফার দখলে নিয়েছে। এ ঘটনায় শিয়া সম্প্রদায়ের অধিকাংশ মানুষ পালিয়ে যাচ্ছে শহর ছেড়ে। তাল আফার বার্থ সমর্থকরাই শহরটি দখলে সহযোগিতা যুগিয়েছে আইাএসআইএসকে। তাঁদের উপস্থিতি বেশ জোরালো এবং খুব সুসংগঠিত বলেই দেখা যায়। এলাকায় এক শীর্ষস্থানীয় ইরাকী গোয়েন্দা কর্মকর্তা এ কথা বলেছেন। তিনি বলেন, এটা হচ্ছে, সাদ্দামের অনুসারীদের প্রত্যাবর্তন। তাল আফার থেকে ৮ মাইল দূরে সিরীয় সীমান্ত সংলগ্ন এক রণাঙ্গনে দাঁড়িয়ে কথা বলেছিল কর্মকর্তাটি।
তিনি দাঁড়িয়েছিলেন কুর্দি পেশমের্গা বাহিনীর সঙ্গে। এ বাহিনী এখন এলাকাটি রক্ষা করছে। রাইফেল ও মেশিনগানে ব্যাপকভাবে সজ্জিত অনেক পেশমের্গা সৈন্য পিকআপ ট্রাকে করে প্রতিরক্ষা দায়িত্ব পালন করছে রাস্তায়। তাঁরা তাল আফারের দিক থেকে আগত গাড়িগুলোর প্রতি সঙ্কেত দিচ্ছে থামার জন্য, আত্মঘাতী বোমা হামলাকারীদের আশঙ্কায় চালকদের দিকে তাক করছে বন্দুক, গাড়ি থামাতে ব্যর্থ হলে চাপ দেবে ট্রিগারে। আমেরিকান সৈন্যরা সাদ্দাম বাহিনীর বিরুদ্ধে লড়তে প্রথম তাল আফার পৌঁছে ২০০৪-এ। শহরটিতে মূলত তুর্কি শিয়া ও সুন্নিদের বাস। মার্কিন সৈন্যরা শহরটি তাঁদের নিয়ন্ত্রণে নিলেও তাঁদের চলে যাওয়ার পর প্রতিরক্ষা ব্যবস্থা অপ্রতুল থাকায় শহরটিতে আবারও পতন হলো সুন্নি ইসলামপন্থীদের হাতে। তাল আফারে আত্মঘাতী হামলা চলেছে দীর্ঘসময় ধরে। নিহত হয়েছে শত শত মানুষ। ধ্বংস হয়েছে, হাজার হাজার জীবন। তারপর, সুন্নি জঙ্গীরা শক্তিশালী হয়ে পার্শ্ববর্তী সিরিয়ায় আইএসআইএস বিদ্রোহ চাঙ্গা করতে গতবছর স্থানীয় লোকদের কাছে জোর করে চাঁদা আদায় করতে থাকে। এক ফার্মাসিস্ট টেলিগ্রাফকে জানান, আমার ওষুধের দোকানখোলা রাখতে দিতে তারা প্রতিমাসে আমার কাছ থেকে ২শ'ডলার চেয়েছে।
এক সাবেক ইরাকী সেনা জাফর (৩২) বলেছে, যে সকল সুন্নি বিদ্রোহীরা এখন ফিরে এসেছে তাঁদের অনেককেই আমি চিনি। আমেরিকানরা ইরাক ত্যাগের সময় এরাই হুমকি দিয়েছিল আমার পরিবারকে। তাঁরা আমার নামসহ একটি তালিকা প্রকাশ করেছে এবং আমাদের খোঁজে তল্লাশি চালিয়েছে বাড়ি বাড়ি। জাফর আমেরিকান সেনাদের পক্ষ নিয়ে লড়াই করেছিল। তাল আফার ছেড়ে পালিয়ে গেছে যে সকল শরণার্থী তারা নিশ্চিত করে টেলিগ্রাফকে বলেছে, যুক্তরাষ্ট্রের বিরুদ্ধে সেদিন যারা লড়ছে তারাই আজ লড়ছে আইএসআইএসের পক্ষ নিয়ে। তাল আফার রণাঙ্গনে এক কমান্ডিং অফিসার বলেন, বাথ সমর্থক ও আইএসআইএস সদস্যরা একই ব্যক্তি। যে বাথ সমর্থকরা আমেরিকানদের বিরুদ্ধে লড়েছে আজ তাদেরই নাম আইএসআইএস। কর্মকর্তাটি ইরাকী সেনাবাহিনীর সদস্যদের সঙ্গে বেতার সংযোগের দায়িত্বে নিয়োজিত।
বাথ সমর্থক ও আইএসআইএস উভয়ে আজ মরিয়া হয়ে উঠেছে প্রধানমন্ত্রী নূরী আল মালিকির শিয়া নেতৃত্বাধীন সরকারকে উৎখাত করতে। এ সুযোগকে কাজে লাগিয়েছেন সাদ্দাম প্রশাসনের নেতারা। স্থানীয় বাসিন্দাদের মধ্যে গুজব রয়েছে সাদ্দাম হোসেনের ডেপুটি ইজ্জত আল দুরী কয়েক বছর নির্বাসনে কাটিয়ে ইরাকের দ্বিতীয় শহর মসুলে ফিরে এসেছেন। মসুল এখন আইএসআইএসের নিয়ন্ত্রণে। সাদ্দাম হোসেনের মেয়ে রাঘাদ গত সপ্তাহে এক সাক্ষাতকার দিয়েছেন। সাক্ষাতকারে তিনি এ আন্দোলনের বিশেষ করে আংকেল ইজ্জতের কাজের প্রশংসা করেন।
সৌদি আরব বুধবার ইরাকে গৃহযুদ্ধের ঝুঁকির ব্যাপারে হুশিয়ারি উচ্চারণ করে বলেছে, বর্তমান পরিস্থিতি দেশটিকে অনিশ্চিত পরিণামের দিকে ঠেলে দিতে পারে। এএফপির এক খবরে বলা হয়, সুন্নি জঙ্গিরা শিয়া নেতৃত্বাধীন সরকারি বাহিনীর কাছ থেকে ইরাকের বড় অংশ দখল করে নেয়ার পর প্রতিবেশী দেশটি এ মন্তব্য করল।
লোহিত সাগরের তীরবর্তী জেদ্দা নগরীতে ইসলামী সহযোগিতা সংস্থার এক বৈঠকের উদ্বোধনী অধিবেশনে সৌদি আরবের পররাষ্ট্রমন্ত্রী প্রিন্স সৌদ আল-ফয়সাল বলেন, ইরাকে চলমান অস্থিরতায় দেশটিতে গৃহযুদ্ধের বিপদসংকেত নিহিত রয়েছে, যা গোটা অঞ্চলের জন্য অনিশ্চিত পরিণাম ডেকে আনতে পারে। প্রিন্স সৌদ ইরাকের বিরুদ্ধে সৌদি অভিযোগ পুনর্ব্যক্ত করে বলেন, ইরাকের সুন্নি আরব সংখ্যালঘুদের শাসন প্রক্রিয়ার বাইরে রেখে প্রধানমন্ত্রী নুরি আল মালিকি সরকারের বাস্তবায়িত বিভাজন সৃষ্টিকারী নীতিই দেশটিতে সহিংসতার জন্য দায়ী। তিনি বলেন, এর ফলে ইরাকের প্রতি অসৎ উদ্দেশ্য লালনকারী দেশগুলোর এর নিরাপত্তা, স্থিতিশীলতা, জাতীয় ঐক্য ও আরব পরিচয়ের বোধ বিনষ্ট করার চক্রান্ত নিয়ে অগ্রসর হওয়ার পথ সুগম হয়েছে। ইরানের প্রেসিডেন্ট হাসান রুহানি ইরাকের শিয়া পবিত্র স্থানগুলো সুরক্ষায় সুন্নি জঙ্গিদের বিরুদ্ধে যে ধরনের পদক্ষেপই প্রয়োজন হোক, তার দেশ সে পদক্ষেপই গ্রহণ করবে বলে মন্তব্য করার প্রেক্ষাপটে সৌদি পররাষ্ট্রমন্ত্রী এসব কথা বললেন। ইরাকের সরকার সৌদি আরবের বিরুদ্ধে জঙ্গিদের আর্থিক ও নৈতিক সহায়তা দেয়ার মাধ্যমে সন্ত্রাসবাদের পক্ষ নেয়ার অভিযোগ করেছে। ৫৭ জাতি ইসলামী সহযোগিতা সংস্থার এ বৈঠকে ইরাকের পররাষ্ট্রমন্ত্রী হোশিয়ার জেবারি তার দেশের প্রতিনিধিত্ব করছেন। তিনি একজন কুর্দি সুন্নি।
সর্ববৃহৎ তেল শোধনাগারে হামলা
সুন্নি জঙ্গিগোষ্ঠী আইএসআইএল এবার ইরাকের সবচেয়ে বড় তেল শোধনাগারে হামলা চালিয়েছে। বাগদাদে নিজেদের দূতাবাসে সেনা মোতায়েন করেছে যুক্তরাষ্ট্র। বেশকিছু দেশ দূতাবাস বন্ধ করে নিজেদের নাগরিকদের ইরাক ছাড়ার নির্দেশ দিয়েছে। প্রায় বিনা প্রতিরোধে মসুলসহ কয়েকটি শহর দখলের পর বুধবার ভোরে বাগদাদের উত্তরাঞ্চলে বাইজি তেল শোধনাগারে হামলা চালিয়েছে সন্ত্রাসবাদী সংগঠন এবং আল কায়দার শাখা ইসলামিক স্টেট অব ইরাক অ্যান্ড দ্য লিভ্যান্ট বা আইএসআইএল। বার্তা সংস্থা এএফপি জানিয়েছে, সালাহেদীন প্রদেশের এই শোধনাগার কয়েকদিন ধরে বন্ধ ছিল। কর্মীরা নিরাপত্তাহীনতার কারণে কর্মস্থল ছেড়ে যাওয়ায় শোধনাগারটি বন্ধ রাখা হয়।
৪০ ভারতীয় অপহৃত, আটক ৪৬ নার্স
ইরাকের মসুল শহর থেকে অপহৃত ৪০ ভারতীয়। সেখানে একটি প্রোজেক্টের কাজে গিয়েছিলেন তারা। জানা গেছে, সেখান থেকেই তাদের অপহরণ করা হয়। আশংকা করা হচ্ছে অপহরণের পেছনে ইসলামিক স্টেট ইন ইরাক অ্যান্ড অল-শাম (আইএসআইএস) জঙ্গিদের হাত রয়েছে। তবে কোনো গোষ্ঠীই এখনও এর দায় স্বীকার করেনি বা কোনো দাবি-দাওয়া পেশ করেনি। অন্যদিকে, তিকরিতে আটকে রয়েছেন ৪৬ জন ভারতীয় নার্স।
ইরাকের মসুল থেকে যখন ভারতীয়দের নিরাপদে বার করা হচ্ছিল, তখনই তাদের অপহরণ করা হয় বলে মনে করা হচ্ছে। প্রাকৃতিক তেলে পরিপূর্ণ মসুল শহরে কব্জা করে সুন্নি জিহাদিরা। -
ইরাকে মার্কিন ফৌজকে আহ্বান মালিকির
বাগদাদ: রাজধানী দখলের পথে আরও একধাপ এগোল আইসিস জঙ্গিরা৷ বুধবার, বাগদাদের উত্তর দিকের বায়জি খনিজ তেল শোধনাগারের দখল হাতছাড়া হয়েছে প্রশাসনের৷ তার পরই মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের কাছে সরকারি ভাবে ইরাকে জঙ্গিদের ওপর আক্রমণ করার আবেদন করেছেন প্রধানমন্ত্রী নুরি আল-মালিকি৷
আমেরিকার এক সেনাপ্রধান মার্টিন ডেম্পসি বুধবার আল-মালিকির এই আবেদনের কথা জানিয়েছেন সংবাদমাধ্যমকে৷ ইরাকে বিমানবাহিনী পাঠানোর যৌক্তিকতা নিয়ে মার্কিন পার্লামেন্টে সেনেটরদের সঙ্গে আলোচনায় বসেছেন প্রেসিডেন্ট বারাক ওবামা৷
বায়জি আক্রান্ত হওয়ার পর ইরাকের প্রশাসনিক কর্তারা প্রথমে জানিয়েছিলেন, পুরোটা নয়, বিশাল তৈল শোধনাগারের ৭৫ শতাংশ দখল করতে পেরেছে জঙ্গিরা৷ কিন্ত্ত অসমর্থিত সূত্রে খবর, বায়জির দখল এখন জঙ্গিদেরই হাতে৷
ইরাকে আমেরিকার কী ভূমিকা হওয়া উচিত তা নিয়ে মার্কিন সাংসদরা নতুন করে বিতণ্ডায় জড়িয়েছে বলে জানিয়েছে আমেরিকা প্রশাসন৷ সেনেটরদের একাংশ ইরাকে যে ভাবে জঙ্গিরা এগোচ্ছে, তাতে রীতিমতো শঙ্কা প্রকাশ করেছেন৷ আইসিসকে রুখতে একমাত্র দাওয়াই হিসেবে বেশ কয়েকজন সেনেটর জঙ্গি ঘাঁটিতে বোমাবর্ষণের প্রস্তাব দিয়েছেন৷
ইরাকে মসুল শহরের পতনের পর ইরাক আক্রমণ নিয়ে ভাবনা চিন্তা শুরু করেছিল আমেরিকা৷ কিন্ত্ত, ছায়াসঙ্গী ইংল্যান্ড সরাসরি আপত্তি জানানোর পর কিছুটা দোনোমনো করেই পিছিয়ে যায় আমেরিকাও৷ হোয়াইট হাউসে সাংবাদিক বৈঠক করে স্বয়ং প্রেসিডেন্ট বারাক ওবামা ইরাকে সেনা পাঠানোয় অনীহা প্রকাশ করেন৷ কিন্ত্ত সেনেটরদের কাছ থেকে এমন প্রস্তাব আসার পর ফের ইরাকে জঙ্গি ডেরা লক্ষ করে বিমান থেকে বোমা ফেলার কথা ভাবতে শুরু করেছে আমেরিকা, খবর এমনই৷
ইরাকে আইসিস জঙ্গিদের আগ্রগতি এখনও অব্যাহত৷ রাজধানীর উত্তর দিকের শেষ সহর বাকুবার দখল নিয়ে সেনা ও শিয়া আদর্শে বিশ্বাসী গণ মিলিশিয়ার সঙ্গে ভয়াবহ লড়াই এখনও স্তিমিত হওয়ার কোনও সম্ভাবনা দেখা যাচ্ছে না৷ তবে, মাত্র কয়েক ঘণ্টার যুদ্ধে বায়জি শোধনাগারের মতো সুরক্ষিত একটি গুরুত্বপূর্ণ এলাকা দখল করে নিয়ে ইরাকি প্রশাসনকে আরও চাপে ফেলে দিয়েছে জঙ্গিরা৷
মসুল শহরে কর্মরত ভারতীয় নির্মাণকর্মীদের অপহরণ এবং জঙ্গিদের হাতে বায়জি শোধনাগারের পতনের পর একাধিক বিদেশি খনিজ তেল সংস্থার কর্তারা নতুন করে আর ঝুঁকি নিতে চাননি৷ ইরাকের সাদার্ন অয়েল কোম্পানির প্রধান ধিয়া জাফর জানিয়েছেন, এক্সন মোবিল ও ব্রিটিশ পেট্রোলিয়াম ২০ শতাংশ কর্মীকে ইরাক থেকে উড়িয়ে নিয়ে গিয়েছে৷
বড় দু'টি তেল উত্পাদনকারী সংস্থার এই সিদ্ধান্তে ইরাকের খনিজ তেল উত্পাদন ব্যাহত হচ্ছে বলে অভিযোগ জাফরের৷ যদিও এই খনিগুলি ইরাকের একেবারে দক্ষিণ দিকে এবং শিয়া অধিকৃত এলাকায়৷ তাই, এখানে আক্রমণ হওয়ার কোনও আশঙ্কাই নেই বলে দাবি করেছেন জাফর৷ আইসিস জঙ্গিদের উদ্দেশে ইরানের প্রেসিডেন্ট হাসান রুহানি জানিয়েছেন, কারবালা, নজফ, খাদিমিয়া ও সামারার শিয়া ধর্মস্থানগুলি রক্ষা করার জন্য যে কোনও পদক্ষেপ করতে দ্বিধা করবে না ইরান৷ --- সংবাদসংস্থা
Jun 19 2014 : The Economic Times (Kolkata)
New Delhi Seeks Help of US, Israel, Iran & Turkey
DIPANJAN ROY CHAUDHURY |
NEW DELHI |
40 LABOURERS ABDUCTED IN IRAQ Former ambassador to Iraq, Suresh Reddy, despatched to coordinate with Iraqi administration to locate & evacuate Indians
India is working with various regional powers, including Israel, Iran, Turkey and the Kurdish administration, besides the United States, to locate 40 construction workers who have been abducted by jidahists in Iraq's Mosul area.
It has despatched former ambassador to Iraq, Suresh Reddy , to coordinate with the Iraqi administration to locate and evacuate Indians even as New Delhi established contact with Iraq's neighbours and other regional powers and American security and intelligence officials to locate the abducted Indians, official sources told ET on the condition of anonymity .
Iran and Israel have both been approached. It is trying to work with Israel to emulate its method to handle abduction situations, while Iran's help is being sought to establish contact with the Kurdish administration in northern Iraq to locate the abducted Indians.
Sources told ET that India is also working with the US to obtain focussed intelligence and also for release/ rescue. India is also in touch with Turkey , another regional power, on the issue. External affairs minister Sushma Swaraj held discussions with visiting Deputy PM Dmitry Rogozin on the issue.
Some reports hint the effort to evacuate 40 Indians may have been botched up, resulting in the kidnapping.
MEA spokesperson Syed Akbaruddin said, "We have not re ceived any calls of any nature from anyone who have indicated about ransom or any information that they have taken these people under their control." These workers were employed in a construction firm Tariq Al hood. The missing workers are largely from Punjab and other parts of north India, he said. Swaraj has spoken to family members of some of those abducted. The government says dozens of Indian workers are living in areas overrun by the Islamic State of Iraq and Syria (ISIS), and India is in contact with many of them, including 46 nurses.
The nurses are stranded in Tikrit, which is under militant control, with many of them holed up in the hospital where they work. Nurses said they are unable to leave the hospital premises. Humanitarian group Red Crescent has contacted the nurses and confirmed that it is not safe for them to travel by road either to other hospitals or the nearest airport, said Mr Akbaruddin.
. Norka Ready to Bear Travel Expenses of Nurses KOCHI: Non Resident Keralites' Affairs Depart ment (Norka) has agreed to bear travel expenses of nurses returning from Iraq. Norka CEO P Su deep said the department is ready to bear travel expenses of the nurses if they make such a request. He said some of the nurses working in the civil war-hit Iraq have not received salary for 2-3 months. The Norka CEO explained that the nurses could be rescued from Iraq only if they could be transported safely to the airport. The Red Cross had promised to undertake this responsibility, he added.
Jun 19 2014 : The Economic Times (Kolkata)
Fierce Battle for Iraq's Biggest Oil Refinery
BAGHDAD |
Insurgents swarm the facility at Baiji but security forces flatly deny the refinery has fallen Islamist insurgents battled Iraqi forces for control of the nation's largest oil re finery near Baiji. Local police said militants are inside the plant, while the central government said its elite troops are in control.
Army helicopters struck fighters from the Islamic State in Iraq and the Levant near Baiji after the 310,000 barrels-a-day refinery was seized, according to a statement from the Salahudin provincial police. ISIL fighters are still inside the plant and battles are continuing, it said.
The facility at Baiji is the first operating refinery to fall to the fighters of the Islamic State in Iraq and Levant, who have swept through much of northern Iraq and had surrounded the refinery in Baiji for the past week, battling with a battalion of the Iraqi Army that had been backed up by air support. The capture of the refinery would provide a potentially rich source of income for ISIS, which already profits from its control of oil resources in eastern Syria.
Military spokesman Gen. Qassim Atta, flatly denied that the Baiji refinery had fallen in a televised statement that he made hours after ISIS fighters had apparently taken over the refinery. Iraq's troops killed 40 militants and repelled their attack, he said.
"Baiji is now under control of our security forces, completely ," General Atta said, appearing on Iraqiya, the state television channel.
Reports from Baiji sharply contradicted that assessment. A refinery worker who gave only his first name, Mohammad, reached by telephone, said that the refinery had been attacked at 4 am and that workers had taken refuge in underground bunkers. In the course of the fighting, 17 gas storage tanks were set ablaze, although it was not clear by which side. After taking heavy losses, the troops guarding the facility surrendered and at least 70 were taken prisoner, he said.
Refinery workers were sent home unharmed by the extremists, Mohammad said.
A lieutenant from the battalion guarding Baiji, also reached by telephone and speaking on condition of anonymity , said he had fled his unit when it became clear that it would not be able to hold out against ISIS forces.
Eyewitnesses in the area also reported seeing ISIS checkpoints controlling access to the sprawling refinery area, and smoke rising over the complex from numerous fires.
The plant has been halted since June 15, the police said. Baiji has about 40 percent of Iraq's refining capacity , data compiled by Bloomberg show.
Kurdish oil supply With all the unease over feared oil supplies, Kurdish region may be able to gain more autonomy and increase crude exports after taking control of territory around the nation's fourthlargest oil field, analysts from Saxo Bank A/S and JBC Energy GmbH said.
Kurdish troops are protecting the Kirkuk oil field and surrounding areas after an offensive by Islamist insurgents last week prompted Iraqi central-government forces to flee.
The Kurdistan Regional Government plans to double its crude exports next month to as much as 250,000 barrels a day and has built a new pipeline that could ship Kirkuk oil to international markets, Ashti Hawrami, KRG's natural resources minister, said at a conference in London.
"The current situation could lead to a better environment for exports if the Kurdish region gets more autonomy and can ship its oil, and the south of Iraq continues to grow," David Wech, the managing director at JBC in Vienna, said by phone.
The Iraqi government in Baghdad and the Kurds have been in a dispute over oil revenue and territory for years, including disagreements about Kirkuk. Tensions increased last month when the Kurds started to export crude to Turkey through their own pipeline without approval.
Two tankers have loaded cargoes of crude from the Kurdish region on Turkey's Mediterranean coast.
Two more tankers will load oil exported from the Kurdish region at the Turkish port of Ceyhan this week, Hawrami said at the Iraq Petroleum Conference in London. The region will raise exports to 200,000 to 250,000 barrels a day in July , from 125,000 now, he said. Daily shipments may increase to 400,000 barrels by the end of the year, he said.
Commanders fired Iraqi Prime Minister Nouri al-Maliki fired at least four senior officers after the collapse of the army's northern command last week, as troops engaged Islamist militants north of Baghdad.
Maliki dismissed the three top generals who were in charge of operations in Nineveh province after an alQaeda breakaway group captured Mosul, Iraq's biggest northern city. He also fired the commander of the army's Third Infantry Division after he "fled the battle scene," accord ing to a decree read on state-sponsored Iraqiya television on Wednesday .
The startling battlefield success of the Sunni Islamic State in Iraq and the Levant is threatening to re-ignite a sectarian civil war in Iraq, OPEC's second-biggest oil producer, three years after the US withdrew its forces. It also risks snowballing into a wider conflict that could draw in the US and Iran in defense of Maliki's Shiite-led government.
US National Security Council spokeswoman Bernadette Meehan said on Tuesday night that President Barack Obama hadn't yet made a decision about military options to bolster Maliki. Treasury Secretary Jacob J. Lew said on a trip to Israel that the U.S. has increased "unmanned, unarmed" drone missions in Iraq to support counter-terrorism efforts as the crisis intensifies. Iran Vow In Shiite Iran, President Hassan Rouhani said "Iranian people" would spare no effort to protect Shiite holy sites in the Iraqi cities of Karbala, Najaf and Samarra, stateo run Mehr news agency reported.
"People are ready to defend the l. Imam's shrines and give a lesson to terrorists," Rouhani was quoted as saying.
In the statement released to Iraqiya television Maliki said his governe ment was in the process of "rebuild ing our armed forces to continue our long battle against terrorism."
Fighting between ISIL guerrillas and the armed forces has erupted across northern and central Iraq since the fall of Mosul, with both f sides claiming successes that can't be independently verified.
Oil markets, rattled by ISIL's gains last week, have steadied. Brent crude fell from the highest price in nine months amid speculation that vio lence won't spread to the main oil producing areas in the south.
"The militants' pace of advance has slowed dramatically ," Stephen Biddle, a senior fellow in defense pol icy at the Council on Foreign l Relations, told Bloomberg Radio.
"We're probably going to see this thing settling down into a long-drag ging stalemate along battle lines that aren't too far from where they are now." Agencies
Jun 19 2014 : The Economic Times (Kolkata)
Amending APMC Act a Catch-22 Situation for Modi Govt
RAKESH MOHAN CHATURVEDI |
NEW DELHI |
Government seeks to appease both consumers and traders
The government appears to be in a fix as it goes about taming the increasing food inflation which hurts its middleclass votebank but the harsh measures like amending the Agriculture Produce Market Committees (APMC) Act would affect its key support base of traders.
As prices of vegetables and fruits soared in the past week, Finance Minister Arun Jaitley held an emergency meeting and announced some measures including an advice to state governments to de-list fruits and vegetables from APMC Act. While this would help the farmers as well as the consumers, the traders and middlemen who used to buy the produce from the farmers and sell in the market would be affected.
Under the APMC Act, farmers can sell their produce only to traders and middlemen. This leaves them at the mercy of traders and middlemen who play with the prices of essential commodities and form cartels at mandis to fix prices.
An amendment to APMC Act which delists vegetables and fruits would allow farmers to sell their produce directly to retailers and the consumers. This should lead to a fall in prices of these products.
Other than manipulating prices the middlemen also hoard vegeta bles and indulge in black-market ing. This is likely this year as a subnormal monsoon has been predicted.
However, doing away with APMC would take away the source of in come of lakhs of traders and middlemen who have been loyal supporters of the BJP since its inception.
Though a section of the BJP is wary of this announcement by the government, it was hopeful that a , middle path would be found to benefit both the consumers and the traders.
"Government of India has only said that the state governments can buy outside the APMC as well.
However, when the state govern ments go about doing so they can not completely set aside the APMC," a BJP Rajya Sabha MP said, preferring anonymity .
Experts, however, feel this is not a Catch-22 situation and the government should go ahead with the s changes. "It all depends on how the government handles it. Prime s Minister Narendra Modi has been talking about tough measures."
Govt may Bury UPA's Mining Law Draft
VIKAS DHOOT NEW DELHI |
Likely to prepare a new industry-friendly law
The government could go back to the drawing board to prepare a new industry-friendly law for the mining sector, in the process effectively junking a legislation drafted by the UPA government in 2011 whose provisions were unpopular with miners and, fortuitously for them, had lapsed with the previous Lok Sabha.
The UPA government's Mines and Minerals (Development and Regulation) Bill of 2011, which aimed to set aside an outdated 1957 legislation that presently governs the sector and makes it mandatory for miners to share their profits.
With mineral output shrinking significantly in recent years due to judicial oversight of mining in key states such as Karnataka, Goa and Odisha and a policy paralysis at the Centre, the mining industry was worried about the UPA-drafted law's contentious proposals that prescribed miners sharing 26% of their net profits with local communities affected by their mining operations.
While the Narendra Modi-headed government has decided to push forward some pending and lapsed bills from the previous Lok Sabha especially in areas such as labour, it is looking at mining laws afresh, said officials. This is in sync with the prime minister's directive to all departments to review or repeal archaic laws that have outlived their utility."The Mines and Minerals (Development and Regulation) Bill of 2011 had many issues but it has lapsed.
The government is now taking a view on whether the law should be comprehensively amended or a new Bill be brought altogether. The decision is still being cogitated over and the industry will be consulted on this," said Arun Kumar, joint secretary in the mines ministry.
A decision on the mining law's fate is expected from the Min expected from the Minister of Steel, Mines and Labour, Narendra Singh Tomar, who is holding meetings with industry leaders this week. India's mining output, a key constituent in the index of industrial production, has consistently contracted for four years running. In the last financial year, it fell nancial year, it fell 1.4%. The problems afflicting the mining sector has had knock-on effects on a range of other industry sectors too and the wider economy. Industries were forced to import raw materials even when they were plentifully available in the country. Industry officials who didn't want to be identified welcomed the early thinking in the government to frame a new law. The 1957 law, they said, had little relevance in today's context and needed to go.
Jun 19 2014 : The Economic Times (Kolkata)
Onions to Spoil Modi Sarkar's Salad Days
JAYASHREE BHOSALE & SUTANUKA GHOSAL |
PUNE| KOLKATA |
TOUGH TIMES AHEAD Despite govt steps to boost supply, onion prices Rs 100 a kg by October; potato too may play spoilsport
Onion prices are poised to jump to Rs 100 per kg by Oc tober while potato rates may fall briefly but rise again despite government measures to boost supply by restricting exports, as hailstorms and unseasonal rain in the past, along with the weak start of the monsoon season has created scarcity and strong inflationary pressures.
Onions, currently retailing . 20-30 per kg for ` in different parts of the country, are particularly vulnerable despite the imposition of a minimum export price (MEP) and official estimates that 2013-14 output would rise 14% to 192 lakh tonnes.
This is because the rabi crop in Maharashtra and Madhya Pradesh has been extensively damaged by adverse weather, traders say, although there is no firm estimate of the loss. Further, the price of seeds has jumped 400% compared to the previous year as there is a big scarcity in the market. This will reduce the area under cultivation, traders said.
. 100 per "The price can rise to ` kg around October," said a leading industry official, who did not want to be quoted because of the political sensitivity of onion prices. Leading traders and an official of a government body agreed with the assessment.
Like onions, adverse weather has also hit potato output, while the demand is high.Export of potatoes to countries such as Pakistan is driving up prices, but traders said restrictions on foreign shipments would not significantly change the fundamentals of the market. Prices may briefly fall by Rs 1-2 per kg from the current level of about Rs 20, traders said, but they will rise again due to short supply . In the case of onions, traders said prices could have been calmed with a good kharif crop that is planted in May and June, and harvested by October but the crop has been delayed by about 15 days and the outlook for the monsoon for the rest of the month is not bright.
Historically, onion prices have always increased if the kharif crop is delayed or depleted.
Traders and exporters said the MEP of $300/tonne, which is the current export price, would not have an impact on the market.
"MEP has proved of no use to curtail exports in the past. Despite MEP of $1200/tonne, the exports continued last year," said Danish Shah, managing partner of Sanghar Exports and member of the National Horticulture Research and Development Foundation.
इराक संकट पर ईरान से वार्ता का विकल्प खुला है: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने संवाददाताओं को बताया, ''इराक में आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवंट) की ओर से पैदा हुए ख़तरे पर अन्य क्षेत्रीय ताकतों से हम जिस तरह वार्ता कर रहे हैं उसी तरह ईरान के साथ भी वार्ता का विकल्प खुला है.''
इराक ने अमेरिका से की विद्रोहियों पर हवाई हमले की मांग
इराक खुद अपने देश का शासन चलाना चाहता था इसलिए इस समय वहां जो हो रहा है उसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इराक की मौजूदा सरकार अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रही है. वो सुन्नी, कुर्द और शियाओं को एकसाथ लेकर नहीं चल सकी.
इराक में अगवा 40 भारतीयों से सरकार का कोई संपर्क नहीं, घरवाले परेशान
इराक के मोसुल शहर में अगवा हुए 40 भारतीय नागरिकों का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है. बड़ी बात ये है कि भारत की सरकार को भी फिलहाल इस बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है.
इराक में 40 भारतीयों का अपहरण के बाद एनआरआई सभा ने शुरू की हेल्पलाइन
इराक में 40 भारतीयों का अपहरण के बाद पंजाब एनआरआई सभा ने राज्य सरकार के निर्देश पर एक हेल्पलाइन शुरू की है. इराक में हजारों लोग हैं जिनमें से अधिकतर पंजाब के हैं.
बगदाद के करीब पहुंचे चरमपंथी, मोसुल समेत कई अहम शहरों पर किया कब्जा
इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल के अलावा चरमपंथियों ने सद्दाम हुसैन के शहर तिकरित पर भी कब्ज़ा कर लिया है.
इराक में कैसे बिगड़े हालात? क्या चाहता है आतंकवादी संगठन ISIL?
इराक इस वक्त बेहद गम्भीर संकट का सामना कर रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अगर विद्रोहियों को जल्द नहीं रोका गया, तो इराक बिखर जाएगा, टूट जाएगा या फिर बर्बाद हो जाएगा.
जानें: इराक पर हमला करने वाले ISIL क्या है?
इराक के कई अहम इलाकों पर कब्जा करने वाले चरमपंथी संगठन ISIL में करीब पंद्रह हज़ार लड़ाके हैं.
इराक में फंसे तेलंगाना के लोगों के लिए हेल्पलाइन बनाई गई
तेलंगाना की सरकार ने आज जिले के कलेक्टरों से कहा कि पता लगाएं कि राज्य का कोई व्यक्ति संकटग्रस्त इराक में तो नहीं फंसा हुआ है. ऐसे लोगों के परिजनों की सहायता के लिए एक हेल्पलाइन भी गठित की गई है.
इराक में दूतावास की सुरक्षा के लिए अमेरिका तैनात कर रहा 275 सैन्यकर्मी
युद्ध-प्रभावित इराक में तेज हो रही उग्रवादी हिंसा के मद्देनजर अमेरिका अपने नागरिकों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए वहां लगभग 275 सैन्यकर्मियों को तैनात कर रहा है.
अमेरिका ने तिकरित में 'नरसंहार'की निंदा की
विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, ''तिकरित में 1700 इराकी शिया वायुसेना रंगरूटों के नरसंहार का इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लिवेंट (आईएसआईएल) का दावा भयावह है और इन आतंकियों के खून-खराबे के इरादों की तस्वीर पेश करता है.'
इराक ने उग्रवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया
न हमलों के दौरान सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई बहुत खराब रही. वे लोग अपने वाहन, अपना स्थान और यहां तक कि अपनी वर्दी भी छोड़ कर भागे थे. हालांकि अब समय गुजरने के साथ वे उबर रहे हैं और उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में हिस्सा ले रहे हैं.
ओबामा ने इराक में कार्रवाई के लिए रखी शर्त
इस बीच पेंटागन ने कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्री चक हेगल ने पिछले 36 घंटे के दौरान वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करके जमीनी स्थिति पर चर्चा की है ताकि राष्ट्रपति के विचार के लिए विकल्प तैयार किये जा सकें.
इराक में जेहादियों ने दूसरे शहर पर कब्जा किया
इराक में जेहादियों ने मोसुल शहर भी कब्जा कर लिया है. यहां की सरकार के लिए यह बड़ा झटका है.
इराक में कुर्द लोगों के खिलाफ धमाकों और दूसरे हमलों में 40 की मौत
तुज खोरमातो शहर के मेयर शलाल अब्दुल ने कहा कि एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदा ट्रक 'पैट्रिओटिक यूनियन ऑफ कुर्दिस्तान'और पास के 'कुर्दिस्तान कम्युनिस्ट पार्टी'के कार्यालयों से पहले जांच नाके पर चढ़ा दिया.
इराकी चुनावों के बाद के सबसे भीषण हमलों में 63 लोगों की मौत!
इन हमलों से यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं इराक फिर से सांप्रदायिक हिंसा की गिरफ्त में ना आ जाए. गौरतलब है कि 2006 और 2007 में हजारों लोग मारे गए थे. देश में गठबंधन कर सरकार गठन की कोशिश के बीच ये हमले हुए हैं.
इराक की मस्जिद में विस्फोट, 19 की मौत
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी की यह हमला दोपहर में हुआ. एक आत्मघाती हमलावर ने शिया मस्जिद के पास भीड़ में खुद को बम से उड़ा लिया.
इराक में शिया श्रद्धालुओं पर हमले में 16 की मौत
आज का हमला देश में बढ़ते हमलों की श्रृंखला में नवीनतम है. इस साल अब तक पूरे देश में हुए रक्तपात में 3,600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. इन हमलों से इराक के उसी तरह के निर्मम सांप्रदायिक रक्तपात की तरफ लौटने का खतरा बढ़ गया है जिससे 2006 और 2007 में देश त्रस्त रहा था.
इराकी बलों ने फलुजा के नजदीक कार्रवाई शुरू की, 11 मारे गए
सरकार विरोधी लड़ाकों ने बगदाद से कुछ दूरी पर स्थित फलुजा पर कब्जा कर रखा है और जनवरी से वे अनबर प्रांत की राजधानी रमादी के कुछ हिस्सों की तरफ बढ़ने लगे हैं.
इराक में सीरीयल ब्लास्ट में 24 की हत्या कर लोकतंत्र को धक्का पहुंचाने का प्रयास
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आज ये हमला सदियाह के शहर में हुआ था. सदियाह बगदाद से 140 किलोमीटर उत्तरपूर्व में स्थित है.
अमेरिका के जाने के बाद पहली बार हो रहे चुनावों के बीच इराक में हुए हमले में 57 लोग मारे गए
किरकुक में एक मतदान पर हुए आत्मघाती हमले में छह पुलिसकर्मी मारे गए और नौ घायल हो गए. अन्यत्र हमले में छह अन्य की मौत हो गयी. मोसुल में छह पत्रकारों के घायल होने की खबर है.
इराक में आम चुनाव 30 अप्रैल को
पिछला आम चुनाव 7 मार्च 2010 को कराया गया था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री अयद अल्लावी नीत इराकी नेशनल मूवमेंट को आंशिक जीत मिली थी. इसे कुल 91 सीटें मिलीं और परिषद में सबसे बड़े गठबंधन के रूप में यह उभरा.
इराक में आत्मघाती हमलों में 33 लोगों की मौत, 80 से अधिक घायल
सुवायराह कस्बे में हमलावर विस्फोटों से लदी कार लेकर पुलिस चौकी में घुस गया जिसमें पांच पुलिसकर्मियों सहित कुल 12 लोगों की मौत हो गई. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि बगदाद के दक्षिण में स्थित सुवायराह में विस्फोट हुआ जिसमें 19 लोग घायल हो गये.
इराक में हिंसा में 21 की मौत, इस साल 2,500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं
इस महीने के अंत में इराक में संसदीय चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले देश बड़े पैमाने पर हिंसा का सामना कर रहा है.
इराक सीमा पर सीरिया में झड़प में 51 की मौत
सीरिया में आज विरोधी गुटों के बीच हुयी झड़पों में कम से कम 51 जिहादी और इस्लामी लड़ाके मारे गए. एक निगरानी संगठन ने यह जानकारी दी.
बगदाद और अन्य शहरों में कार ब्लास्ट में 24 लोगों की मौत
चिकित्सा अधिकारियों ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की है. सभी अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने के आधार पर यह जानकारी दी क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने का अधिकार नहीं है.
इराक में हुए हमलों में 19 की मौत, सुरक्षा बलों का 25 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा
बगदाद के दक्षिण पश्चिम में सैनिकों ने आज 25 आतंकवादियों को मार गिराया. वहीं, सुरक्षा एवं मेडिकल अधिकारियों ने बताया कि इराक में विभिन्न स्थानों पर हुई हिंसा में आज 19 लोग मारे गए.
इराक की राजधानी बगदाद में हुए बम ब्लास्ट में 26 की मौत
उसी इलाके में कुछ मिनट बाद दूसरे बम धमाके में सात लोग मर गए तथा 27घायल हो गए. आमिरिया जिले में धमाके में तीन तथा दक्षिण पश्चिम बगदाद में एक अन्य विस्फोट में चार लोग मारे गए.
इराक में आत्मघाती हमला, 42 लोगों की मौत
दक्षिणी इराक में एक जांच चौकी पर आज एक भीषण आत्मघाती हमले में 42 लोगों की मौत हो गयी. आत्माघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी अपनी गाड़ी में धमाका किया.
शिया बहुसंख्यक इलाके में दो बम ब्लास्ट से इराक में 37 लोगों की मौत
प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी ने पड़ोसी देशों पर इराक में जिहादियों को समर्थन देने का आरोप लगाया है.
ईरान-इराक हथियार सौदे की खबरों पर अमेरिका ने जतायी चिंता
ईरान से हथियार खरीदने का सौदा करने संबंधी मीडिया खबरों के मद्देनजर अमेरिका ने इराक के शीर्ष स्तर से अपनी चिंता जाहिर की है.