मेरा देश एक उदार भारत है – प्रियदर्शन
मेरे लिए आज़ादी अपनी सारी पहचानों को बचाते हुए अपनी भारतीयता को लगातार मानवीय अर्थों में परखने, और जो उपयुक्त न लगे, उससे पूरी तरह असहमत होने की आज़ादी है। मेरा देश एक उदार भारत है जिसमें अपनी पुरानी जड़ताओं और नई नाइंसाफियों को पहचानने और उसके पार जाने का साहस और सद्भाव दोनों है। इसी साहस ने इसे वह विलक्षण देश बनाया है जो बड़ी आसानी से सबका घर हो जाता है। दुर्भाग्य से यह देश इस वक्त खतरे में है, हमारी आज़ादी ख़तरे में है। कई लोग यह बताने वाले मिल जाते हैं कि आलोचना की इतनी आजादी आपको यहीं हासिल है- कुछ इस तरह कि जैसे यह उनकी दी हुई आजादी है हमारी अर्जित की हुई और परंपरा के जल से सिंची हुई नहीं। मैं उनको बस याद दिलाना चाहता हूं कि यह देश हमारी तरह के आलोचकों से बचा हुआ है उनकी तरह के अंधभक्तों से नहीं जो देश को एक धड़कती हुई संज्ञा नहीं, एक जड़ मूर्ति की तरह देखते हैं। जो मेरी तरह सोचते हैं उनको, और जो नहीं सोचते हैं, उनको भी, आजादी का यह दिन मुबारक।
प्रियदर्शन, टीवी पत्रकार एवम् प्रिंट के अहम टिप्पणीकारों में से हैं। इनकी कई कविताएं साहित्यिक रूप से सराही जाती रही हैं। फिलहाल वे एनडीटीवी इंडिया में कार्यरत हैं।