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‘राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ.बी.आर अंबेडकर’ को नहीं पढ़ाएगी गुजरात सरकार

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'राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ.बी.आर अंबेडकर'को नहीं पढ़ाएगी गुजरात सरकार

अहमदाबाद।गुजरात सरकार ने संविधान निर्माता डॉ बी आर अंबेडकर पर लिखी उस किताब को वापस ले लिया है जिसमें कथित तौर पर हिंदू विरोधी कंटेंट था।यह किताब क्लास 6 से आठ तक के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाई जानी थी।यह किताब डॉ अंबेडकर की 125वीं सालगिरह पर स्कूलों में बांटी गई थी। सरकार ने इसे उस वक्त वापस लेने का फैसला किया, जब उसे पता चला कि पब्लिशर ने इसमें अंबेडकर की उन '22 कसमों'को भी शामिल किया है,जो 

उन्होंने 1956 में बड़े पैमाने पर हुए धर्मांतरण के दौरान कही थीं। इस धर्मांतरण में उनके हजारों समर्थकों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।15 अक्टूबर 1956 को नागपुर में हुए इस धर्मांतरण कार्यक्रम में अंबेडकर ने 22 कसमों का जिक्र किया था।इनमें अंबेडकर ने कहा था कि हिंदू धर्म 'असमानता पर आधारित'है।उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों की आलोचना भी की थी।किताब का नाम राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ बी आर अंबेडकर है।इसे गुजराती में दलित स्कॉलर पीए परमार ने लिखा है।इस किताब को बच्चों को पढ़ाए जाने का फैसला राज्य सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड एमपावरमेंट ने लिया था। अब इसी विभाग ने इसे वापस लेने का फैसला किया है। किताब को बच्चों में इसलिए बांटा गया था ताकि वे राज्य स्तर के क्विज कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले सकें।सूत्रों के मुताबि, अहमदाबाद के पब्लिशर सूर्य प्रकाशन ने ये किताबें जिला मुख्यालयों को पहले ही पहुंचा दी थीं। जब इन्हें वापस लेने का फैसला लिया गया तब तक इन्हें बच्चों में बांटा जा चुका था।सरकार ने इसकी चार लाख से ज्यादा कॉपीज छपवाई हैं जिनमें से अधिकतर बांटी जा चुकी हैं।अधिकारियों का कहना है कि पब्लिशर ने किताब में कुछ ऐसा भी जोड़ दिया, जिससे प्राइमरी के बच्चों के बीच गलत संदेश जा सकता है।इसलिए इन्हें वापस लेने का फैसला किया गया।वहीं किताब के लेखक परमार ने कहा कि उनकी किताब में इन 22 कसमों का जिक्र नहीं था।पब्लिशर ने इसे जोड़ने से पहले उनकी राय नहीं ली।


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