उख कूड़ उजड़्यां छन , इख संस्था बंद पड़ीं छन त फेसबुक मा ग्रुप सुनसान पड़्यां छन
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
गढवळि प्रवासी ह्वाओ या कुमाऊंनी प्रवासी , पिथौरागढ़ कु प्रवासी ह्वावो या प्रतापनगर टीरी प्रवासी ह्वावो वु खुदेड़ हूंद , प्रवास मा वै तै अपण गांवकी, मैत की अपण पुंगडुं खुद भगवती नंदा देवी से बि अधिक खुद लगदी। कख्याक बि प्रवासी ह्वावो वु ड्यार जाण मा असमर्थ हूंद अर गढ़वाल , का कुमाऊं बारा मा वै तै जू बि खबर सार , रंत रैबार , समाचार मिल्दन वु इ जाणिक बड़ो भावुक ह्वे जांद कि गाँव मा कूड़ उजड़ना छन , पुंगड़ बांज पड़ना छन , स्कूल बच्चा बिहीन हूणा छन तो वु बड़ो व्यथित ह्वे जांद , बड़ो दुखी ह्वे जांद , चिंता से वु बेहोस ह्वे जांद। सामाजिक वैदराज , अंजुमन हकीम सोसल डाक्टर इन व्यथित , खिन्न , उदास भावुक प्राणी तै सलाह दींदन बल इख शहर मा एक सामाजिक संस्था खोल जांसे उख गढ़वाल मा कूड़ आबाद ह्वे जावन , कूड़ मा मूसुं जगा मनिख रौण लग जावन अर पुंगड़ु मा मळसु फुळणो मरसु फुळण लग जावन। बिचारा खुदेड़ प्रवासी जानवर गढवळि गांवुं मा घट घर्र घर्र करवाणो बान , छनि -गौशाला मा स्याळु जगा गौड़ी बाँधणो बान , जंगळु मा लैन्टिना की जगा बांज -बुरांश उगाणो बान शहर मा संस्था खोली दींदु। संस्था तो गढवळि प्राणी को ही च तो वु पैल पैल शहर मा तूफ़ान , औडळ -बीडळ अर गाड -गदनो तरां बाढ़ लै जांद। संस्था का बरसाती गदन वळ कार्यों से प्रवास्युं तै लगद बल या प्रवासी संस्था अवश्य ही गढ़वाल का कायापलट कर द्याली । किन्तु रघुकुल रीति सदा चल आई , गढ़वळि संस्था तूफ़ान , झंझावत, ज्वार की तरां आन्दि अर भ्युंचळ , भाटा कु तरां कुछ हफ्तों मा सुन्न पड़ जांद। उख जनि एक कूड़ उजड़दो ,इख एक संस्था खड़ी हूंदी। उख एक पुंगड़ बांज पड़द त इख एक संस्था बांज पड़द।
इनि हाल इंटरनेट मा बि च। याहू या गूगल मा गढवळि कुमाउन्यूं का प्रदेश स्तर , जिलास्तर, गाँव स्तर , शहर स्तर पर दसियों ईमेल ग्रुप बणिन। पैल पैल यि ग्रुप पहाड़ , पहाड़ी संस्कृति , पहाड़ी भाषाओं बान जोर से ऐक्टिवेट हून्दन अर अंत मा बरसाती गढवळि गाड गदनुं तरां असूज आंद आंद सूखी जांदन।
फेसबुक जन सोसल माध्यम मा त बिंडी बिजोग पड़्यूं च। रोज एक नै ग्रुप खुल्दो अर ग्रुप मा वी उजड़्या कूड़ूं रूण ,सड़्यां पर्यो फोटो , खपटणा हुयां फुल्ट्यूं फोटो , म्वरदी गढवळि भाषा को हिंदी मा रूण आदि हून्दन। पैल पैल ग्रुप क्रियेटर फेसबुक मा इन तूफ़ान मचांदो कि उत्तराखंड का भाजपाई अर कॉंग्रेसी नेता बि झसक जांदन कि कखि यु फेसबुक ग्रुप क्रियेटर चुनाव इ नि लड़ जावो। पर अंत मा कुछ दिन या मैना बाद फेसबुक का ग्रुप बि मड़घट जोग ह्वे जांद। गांव या शहर मा क्वी लावारिश आदिम मर जावो तो सरकार ले अंत्येस्टी कर लेंदी पर फेसबुक मा इन लावारिस ग्रुपुं अंत्येष्टि बि नि हूंदी। फेसबुक मा पुराणो ग्रुप बेडुपाको का इ हाल छन , यु सतरा -अठारा हजार सदस्यों वळ ग्रुप श्मशान जोग हुयूं च , क्वी एक सैं -गुसैं नी च , बांज पड़्यूं च। इनि पौड़ी गढ़वाल ग्रुप का बि हाल छन - क्वी दिखण वाळ इ नी च।
हम कखि बि रौंवा चाहे ऑफ़लाइन मा सोसल वर्क करला या सोसल साइटुँ मा सोसल ग्रुप बणौवां हमर हाल सब जगा एकी च। पैल पैल हम जोर से औंदा अर फिर द्वी चार दिनुं बाद तींदु पटाखा तरां फुस्स ह्वे जांदवां।
क्या या स्थिति बदलली ? आपक क्या बुलण च ?