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मजदूरी मांगने पर एक दलित को गेहूँ निकालने वाले थ्रेसर में पीस दिया

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मजदूरी मांगने पर एक दलित को गेहूँ निकालने वाले थ्रेसर में पीस दिया!

BeyondHeadlines News Desk

यह घटना बिहार राज्य के जिला लक्खीसराय गांव खररा की है. जब मन्नू तांती नामक एक दलित मजदूर अपने पिछले चार दिनों की मजदूरी मांगने गया तो उसे गांव के दबंग लोगों ने गेहूं निकालने वाली थ्रेसर में जिन्दा पीस दिया.

हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना को इस देश के किसी मीडिया ने कोई तवज्जो नहीं दी.

इस पूरे घटनाक्रम पर दलित मीडिया वाच टीम से जुड़े अरूण खोटे का कहना है कि इतनी बेरहमी और जघन्य तरीके से की गयी नृशंस हत्या पर मीडिया की चुप्पी शर्मनाक है. जिस मीडिया ने हेमामालिनी की गाड़ी से हुई दुर्घटना को जितनी हाइप दी, वही मीडिया उसका सौवाँ भाग भी इस जघन्य और अमानवीय घटना को नहीं दी. अगर सोशल मीडिया पर 2-4 लोगों ने इस घटना के बारे में शेयर न किया होता तो किसी तक इसकी ख़बर पहुंचती भी नहीं.

उन्होंने सवाल करते हुए कहा -'हम  कैसे अमानवीय असभ्य और बर्बर समाज में रह रहे हैं? दलित होने के कारण कितने जंगली व्यवहार को सहन कर रहे हैं. यह हम दलित ही जानते हैं. जहाँ अपने मजदूरी के पैसे मांगने पर जिन्दा थ्रेसर में ठूँस दिया जाता हो या गोली मार दी जाती हो. उस समाज की असभ्यता के आचरण को सहन करना इंसान के बस की बात नहीं है.'

आगे उन्होंने कहा कि यह भी अमानवीय है, क्योंकि कोई भी इंसान किसी ऐसे अन्याय को सहन नहीं कर सकता. यह केवल दलित ही हैं जो सहन कर रहे हैं, इसका एकमात्र कारण है इंसान होने का एहसास न होना क्योंकि एक हमारे जैसा ही हाड़मांस का इंसान हमें इंसान से कमतर जीवन जीने को बाध्य करता है, जबकि वह हमसे ज्यादा मेहनत नहीं कर सकता. अगर दलित ठान ले कि मैं सामने वाले को एक ही बार में ढेर कर दूंगा तो कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता, मगर अफसोस हम बात करने की बजाय गिड़गिड़ाते हैं. इसी कारण दुष्टों का दुस्साहस बढ़ जाता है और वह रोंद देते हैं, कुचल देते हैं.

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि इस जघन्य हत्याकांड पर सरकार तो कानूनी खानापूर्ति कर लेगी मगर ‪‎समाज कैसे कलंक को छुड़ा पायेगा? क्या दलित को समाज में मजदूरी नहीं मांगनी चाहिए? क्या उसका और उसके बच्चों का पेट नहीं है? क्या उस वक्त समाज में उस दलित को बचा सकने वाले इंसान नहीं थे क्या तमाशबीन थे सभी? सिर्फ उसके हत्यारे ही नहीं बल्कि ऐसे जघन्य हत्याकांड के तमाशबीन भी हत्यारे ही हैं, जो मूकदर्शक बने रहते हैं. क्या उन तमाशबीनों का दिल ऐसे हत्याकांडों पर इंसानियत के लिए नहीं धड़कता? अगर नहीं! तो फिर वह इंसान कहलाने के लायक नहीं हैं. ‪‎धिक्कार है ऐसे समाज को और धिक्कार ऐसे इंसानों को जो इंसानियत के लिए नहीं धड़कते.

Dalit1

Amit Kumar Singh ·
in madarchodon ko bhi isi main peec do ......................................maanvata mar gayi hai dost is samaj main ......................................................................shame shame mukhya mantri aur pradhaan mantri kya yeah hidustaan hain agar haan to mujhe sharam aati hai aise desh main rehne per jaha per koi kuch bhi nahi bolta aisi harkaton main ....................netaon ke comment per to sab charcha karna chahte hai per .......................shame shame ..............................bhagwaan isnki aatma koi shaanti de aur inko kabhi bihaar main naa paida kare
Pushpendra Kumar · 
is desh mein koi insaaniat nhi bachi,anth ke karibh h yeh desh...........................SHAME ON INDIAN'S CITIZENS,AND ALL OF SYSTEM
Like · Reply · 2 · 1 hr
Chander Prashar · 
unhe bhi usi me daal diya jaye
Like · Reply · 1 · 2 hrs
Ashraf Imam · 
Allah Raham!!!
Cant express the feelings; are these human being?
Dalits are human being like you and me, do they deserve such gruesome killing?
Court may not be able to provide any justice for these maraders; tit for tat would do the justice.
Like · Reply · 24 mins
Savita Kolhe · 
यह जघन्य अपराध है। आवाज उठनी चाहिए।
Ramesh Dhiman · 
पूरी की पूरी व्यवस्था इतनी सड़ चुकी है की इसमें बुरी तरह से बदबू मार रही है अगर अभी मिलकर इसका इलाज नहीं किया गया तो महामारी फलने का डर है
Like · Reply · 5 hrs
Narender Kumar · 
ye bahut hi gambhir baat hai sarkar ko is par sakt karyavahi karni chahiye
Ashraf Imam · 
Sarkar kuch nahoi karegi kyonki sarkar khud chor an criminals se bani hai!
Like · Reply · 22 mins
Nanasaheb Kadam
कितना अमानवीय कृत्य है ये | ऐसे जघन्य अपराध अभी तक जारी है इस लोकतंत्र मे बहुत शर्मनाक | कानून बनानेवाले और अमल करनेवाले जातिवादी हो तो ऐसे घटनाक्रम अक्सर पाए जाते है | अपराधीयोंको कडी से कडी सजा होनी चाहिये|
Like · Reply · 1 · Aug 7, 2015 10:59pm
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Pl see my blogs;


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