Quantcast
Channel: My story Troubled Galaxy Destroyed dreams
Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

मख़्दूम की नज्म- इंतजार रातभर दीद-ए-नमनाक में लहराते रहे साँस की तरह से आप आते रहे जाते रहे । ख़ुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा अपना अरमान बर अफ़गंदा नक़ाब आएगा ।

$
0
0


बॉलीवुड में दूसरे के गीतों की नक़ ल आम बात है। किसी शायर की लाईन चुराकर अपना बनाके लिख देने की यहाँ लम्बी फेहरिस्त है। लेकिन, हम जिस घटना के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वह नज़्मों के नक़्ल का एक बड़ा मामला है। 
उर्दू के मशहूर शायर मख़्दूम मोहिउद्दीन की 1944 में छपे गज़ल की किताब सुर्ख सवेरा में एक नज़्म है- इंतज़ार। इस नज़्म को 1997 में बनी फ़िल्म 'तमन्ना'में गीत के रूप में उपयोग किया गया है। लेकिन इसके गीतकार का नाम लिखा गया -- निदा फाज़ली। ये वही निदा फाज़ली हैं, जो उर्दू के प्रतिष्ठित शायर और बॉलीवुड के गीतकार हैं।
पूजा भट्ट और महेश भट्ट की इस फिल्म में मख़्दूम की नज़्म का उपयोग तो कर लिया गया लेकिन इस नज़्म को जरा सा हेर-फेर कर लिखने के बाद श्रेय ले उड़े -- निदा फाज़ली। नीचे मख़्दूम मोहिउद्दीन की वो नज़्म और निदा फाज़ली के द्वारा तथाकथित लिखा गया गीत, दोनों दिए गए हैं। अब, आप तय करें कि यह नक़ल है कि नहीं।

मख़्दूम की नज्म- इंतजार
रातभर दीद-ए-नमनाक में लहराते रहे
साँस की तरह से आप आते रहे जाते रहे ।
ख़ुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा
अपना अरमान बर अफ़गंदा नक़ाब आएगा ।
नज़रें नीची किए शरमाए हुए आएगा
काकुले चेहरे पे बिखराए हुए आएगा ।
आ गई थी दिले मुज़तर में शकेबाई -सी
बज रही थी मेरे ग़मख़ाने में शहनाई-सी ।
पत्तियाँ खड़कीं तो समझा के लो आप आ ही गए
सजदे मसरूर के मसजूद को हम पा ही गए ।
शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी
आपके आने की एक आस थी अब जाने लगी ।
सुबह के सेज से उठते हुए ली अँगड़ाई
ओ सबा तू भी जो आई तो अकेली आई ।
मेरे महबूब मेरी नींद उड़ाने वाले
मेरे मसजूद मेरी रूह पे छाने वाले ।
आ भी जा ताके मेरे सजदों का अरमाँ निकले
आ भी जा, ताके तेरे क़दमों पे मेरी जाँ निकले ।

निदा फाज़ली का गीत-(फिल्म तमन्ना)
रात भर दीदाए नमनाक में लहराते रहे
सांस की तरह से आप आते रहे जाते रहे
शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी
आपके आने की इक आस थी अब जाने लगी
हम तो समझे थे तमन्नाओं का ख्वाब आएगा
नज़रें नीची किए शरमाए हुए आएगा
काकुलें चेहरे पे बिखराए हुए आएगा
पत्तियां खड़की तो हम समझे कि आप आ ही गए
सजदे मसजूद के माअबूद को हम पा ही गए
सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई
अय सबा तू भी जो आई तो अकेली आई
मेरे महबूब मेरे होश उड़ाने वाले
मेरे मसजूद मेरे रूह पे छाने वाले
आ भी जा ताकि मेरे सजदों का अरमां निकले
आ भी जा ताकि तेरे कदमों पे मेरी जां निकले।

इस गीत का वीडियो देख लीजिए, आपको यकीन हो जाएगा।

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

Trending Articles