याकूब की फांसी बरकरारः अब से 14 घंटे बाद नागपुर जेल याकूब को दी जाएगी फांसी, याचिका खारिज!
Reporter : ArunKumar, RTI NEWSनई दिल्ली: 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में मौत की सजा पाने वाले याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी की सजा बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याकूब मेमन की याचिका को खारिज कर दिया और उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। वहीं, मेमन की क्यूरेटिव पेटिशन पर दोबारा सुनवाई के लिए भी शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस याचिका पर अब दोबारा सुनवाई नहीं होगी। शीर्ष कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि डेथ वारंट को सही बताते हुए कहा कि याकूब को कल ही फांसी होगी। अब गुरुवार सुबह सात बजे नागपुर जेल में मेमन को फांसी दी जाएगी। उधर, महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने भी याकूब की दया याचिका को आज खारिज कर दिया।
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तो दूसरा महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी याकूब का फांसी का लंबित याचिका को खारिज कर दिया, वहीं नागपुर सेंट्रल जेल ने कल यानी 30 जुलाई को सुबह 7 बजे याकूब की फांसी का समय मुकर्रर किया गया है। इसके पहले कोर्ट ने याकूब के वकील की दलील है कि हमारी दया याचिका को खारिज करने या आगे भेजने के बारे में राज्यपाल की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है। उधर, अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि इसमें कोई शक नहीं है कि मौत की सजा पर अमल होना है वह इस तारीख पर हो या किसी और तारीख पर। दोषी को न्यायिक प्रक्रिया के इस्तेमाल का पूरा मौका मिला। डेथ वारंट की तारीख का मुद्दा मीन-मेख निकालने वाली बात है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत और जस्टिस अमिताव राय की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन ने फांसी की सजा से एक दिन पहले फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। 2014 में याकूब के भाई ने भी दया याचिका दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। इससे पहले कल की सुनवाई में जस्टिस कूरियन और जस्टिस दवे की राय अलग-अलग होने के चलते मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया था। मंगलवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस दवे ने कहा कि याकूब की याचिका में कोई आधार नहीं है। वहीं जस्टिस कूरियन ने फांसी पर स्टे लगाते हुए क्यूरेटिव पिटीशन को आधार बनाकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट से याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन में गंभीर चूक हुई है और तकनीकी खामी की वजह से किसी की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। याकूब ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट गैरकानूनी है। याकूब के मुताबिक, उसकी पुर्नविचार याचिका खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी कर दिया गया, जबकि उसकी क्यूरेटिव याचिका कोर्ट में पेंडिंग थी। ऐसे में डेथ वारंट जारी करना गैरकानूनी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे एक जज ने सवाल उठाते हुए कहा था कि याकूब की क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई में उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया। याकूब के समर्थन में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी याचिका दाखिल कर उसकी फांसी पर रोक लगाने की मांग की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है। ऐसे में क्यूरेटिव से पहले डेथ वारंट जारी करना गैर-कानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है। इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद्द किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था। 2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। याक़ूब केस : कब क्या हुआ -1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट का दोषी -साज़िश में शामिल होने, मदद का दोषी -2007 : टाडा कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई -21 मार्च 2013 : फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर -अप्रैल 2014 : राष्ट्रपति ने दया याचिका ठुकराई -10 अप्रैल: SC ने पुनर्विचार याचिका खारिज की -29 अप्रैल 2015 : टाडा कोर्ट से डेथ वारंट जारी -30 जुलाई को फांसी की तारीख तय -मई 2015: याक़ूब ने क्यूरेटिव पिटीशन दिया -21 जुलाई 2015: क्यूरेटिव पिटीशन ख़ारिज -23 जुलाई 2015: SC में डेथ वारंट को चुनौती -क्यूरेटिव पिटीशन पर फ़ैसले से पहले वारंट -27 जुलाई को याक़ूब की अर्ज़ी पर सुनवाई -28 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में जजों की बेंच बंटी -तीन सदस्यों की नई बेंच गठित |