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जी नहीं, सिर्फ आईआईटी और आईआईएम ही नहीं, आज ज्ञान-विज्ञान औए विचार का हर केंद्र राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल है...स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी सब...आधे से ज्यादा को तो आप नाथ कर अपने रंग में रंग ही चुके हैं. बाकियों को भी जल्दी से नाथ कर अपने रंग में रंग लीजिये. नहीं तो, आपका सब किया धरा बेकार हो जायेगा...

Previous: Cheraman Juma Masjid: The first Masjid of India TCN Malabar series- part 2 Local traditions have it that Cheraman Juma Masjid in Kerala was established in the year 629CE. An inscription in Arabi-Malayalam language on the gate of the masjid gives the date as 5 Hijri. This makes Cheraman Juma Masjid in Kodungallur in the Thrissur district of Kerala, the first mosque of India and one of the oldest in the whole world. Legend has it that the king of Kodungallur, Cheraman Perumal accepted Islam and traveled to Madina to meet the Prophet Mohammad (salallahu alaihi wasallam). He died on his way back and is now buried in Salalah, Oman. Before dying, he instructed his travel companions to spread the message of Islam in his homeland. A group of Muslim travelers led by a companion of the Prophet, Malik Bin Dinar (not to be confused with the famous scholar of the same name) came to Kerala and according to the wishes of Cheraman Perumal, established this and other mosques in Kerala and also instru
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जी नहीं, सिर्फ आईआईटी और आईआईएम ही नहीं, आज ज्ञान-विज्ञान औए विचार का हर केंद्र राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल है...स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी सब...आधे से ज्यादा को तो आप नाथ कर अपने रंग में रंग ही चुके हैं. बाकियों को भी जल्दी से नाथ कर अपने रंग में रंग लीजिये. नहीं तो, आपका सब किया धरा बेकार हो जायेगा...
पर एक बात बताइए. आप हरेक के दिमाग को कैसे नाथियेगा? इंसानी सोच को, उसके सोचने-समझने-जांचने-परखने की शक्ति को, उसके विवेक को, उसकी तर्क शक्ति को, उसकी नैसर्गिक जिज्ञासा को? और फिर ये कोई एक-दो-हज़ार-लाख तो हैं नहीं. सवा सौ करोड़ हैं. और वह भी अलग-अलग जाति, धर्म, रूप, रंग, भाषा और बोली के...और फिर ग्लोबलईजेशन के इस दौर में, जब बाहर की मुद्राओं के साथ वहां के विचारों की बयार भी उड़ कर आयेगी, तो फिर आप क्या करेंगे?...
हाँ एक काम आप कर सकते हैं. आप की शरण में तो दुनिया का सारा ज्ञान बहुत पहले से ही लोटपोट होकर लहलहा रहा है...अरे वही पुरातन ज्ञान का असीम भण्डार, जिसके बलबूते हम जल्दी ही विश्व गुरू बनने वाले हैं...क्यों नहीं आप उसी ज्ञान का इस्तेमाल करके हरेक इंसान के दिमाग में एक ऐसा चिप इंस्टाल करवा देते कि वह आसानी से आपके हांथों की कठपुतली बन जाये. फिर वह वही देखेगा, वही सोचेगा, वही बोलेगा, वही पढ़ेगा, वही लिखेगा, वही करेगा, जो आप चाहते हैं...सारा झंझट ही ख़त्म...

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