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Rihai Manch Press Note-हिन्दुत्ववादी निजाम का फैसला है याकूब मेमन की फांसी-रिहाई मंच

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Rihai Manch Press Note-हिन्दुत्ववादी निजाम का फैसला है याकूब मेमन की फांसी-रिहाई मंच
RIHAI MANCH
For Resistance Against Repression
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हिन्दुत्ववादी निजाम का फैसला है याकूब मेमन की फांसी-रिहाई मंच
याकूब मेमन की फांसी ने राज्य सत्ता के बहुसंख्यकवादी चरित्र को किया उजागर
मेमन की फांसी के फैसले पर पूरी दुनिया सवाल करेगी कि कृष्णा आयोग द्वारा
दोषी ठहराए गए बाल ठाकरे पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई

लखनऊ, 16 जुलाई 2015। रिहाई मंच ने याकूब मेमन के फांसी के फैसले को
भारतीय राज्य तंत्र द्वारा सांप्रदायिकता जैसे गंभीर मसलों को हल न कर
पाने वाली बल्कि उसको मजबूत करने वाली नाकाम राज्य सत्ता द्वारा
बहुसंख्यकवाद को संतुष्ट करने वाली कार्रवाई करार दिया। मंच ने कहा कि
भारतीय राज्य बहुसंख्यक सांप्रदायिक तत्वों के सामने लगातार घुटने टेक
रहा है। यह संयोग नहीं है कि एक तरफ कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा को
रिहा करवाने की कोशिशें चल रही हैं तो दूसरी तरफ याकूब मेमन को फांसी दी
जा रही है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि याकूब मेमन को जब फंासी दी
जा रही है तब इस बात पर भी बहस होना चाहिए कि बाबरी मस्जिद शहादत व उसके
बाद देश में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के गुनहगारों को क्यों नहीं सजा दी
गई। बाबरी मस्जिद विध्वंस कर सांप्रदायिक राजनीति के खूनी परिपाटी लिखने
वाली भाजपा की आडवाणी-कल्याण वाली पीढ़ी को जहां उनकी पार्टी ने रिटायर
कर दिया तो वहीं 1993 मुंबई सांप्रदायिक हिंसा के अभियुक्त बाल ठाकरे
अपनी मौत मर गए। आखिर जब कृष्णा कमीशन ने ठाकरे को 93 की सांप्रदायिक
हिंसा का जिम्मेदार ठहराया था तो भारतीय राज्य सत्ता से यह सवाल है कि वह
ठाकरे से डर रही थी या फिर जेहनी तौर पर वह ठाकरे जैसे दंगाइयों के साथ
थी। ठाकरे की मौत के बाद जिस तरीके से राष्ट्रीय ध्वज को झुकाकर सम्मान
देने की कोशिश की गई वह सत्ताधारियों द्वारा भारतीय संविधान को
सांप्रदायिकता के आगे झुकाने की कोशिश थी। उन्होंने कहा कि अफजल गुरू
मामले में देश की इंसाफ पसंद आवाम ने खुली आंखों से देखा है कि जनभावनाओं
की संतुष्टि के लिए किस तरह बिना तथ्यों के उसे फांसी पर लटका दिया। आज
उसी तरह याकूब मेमन के साथ भी किया जा रहा है। वह एक सह अभियुक्त है जबकि
मुख्य अभियुक्त को आज तक पकड़ा नहीं गया बल्कि उसके पकड़ने और उसकी फरारी
के नाम पर देश और दुनिया में मुसलमानों को बदनाम करने का काम किया गया
है। दूसरा बहुसंख्यकों में बार-बार उसके डर का माहौल बनाकर केन्द्र में
अबकी बार भाजपा ने कुर्सी हथियाई।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि कृष्णा कमीशन ने भी इस बात को कहा
है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस और मुबंई में हुई सांप्रदायिक घटना के बाद की
परिघटना मुंबई में हुए धमाके हैं। क्या हमारी राज्य सत्ता को कभी यह
जरूरत महसूस नहीं हुई कि वह इन मामलों के हल और गुनहगारों पर कारवाई के
लिए कोई ठोस रणनीति बना पाए। उन्होंने कहा कि राज्य सत्ता इन मामलों को
हल नहीं करना चाहती है बल्कि इन मामलों के लाशों के ढेर पर खड़ी होकर
सत्ता की कुर्सी हथियाना ही उसका उद्देश्य है। याकूब मेमन की फांसी के
लिए हिन्दुत्ववादी राजनीति के साथ ही तथाकथित सेक्यूलर राजनीति भी उतनी
ही जिम्मेदार है। राजीव यादव ने कहा कि याकूब मेमन की फांसी का आकलन जब
इतिहास करेगा तो यह चीख-चीखकर कहेगा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे
जाने वाले देश के न्याय का पलड़ा बहुसंख्यक वाद के पक्ष में अल्पसंख्यकों
के खिलाफ था। अभी वक्त है कि इतिहास हमारा सही आकलन करे इसलिए इस गलती को
अभी सुधार लिया जाए।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)
09415254919
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Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
E-mail: rihaimanch@india.com
https://www.facebook.com/rihaimanch

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