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टीम इंडिया के क्रिकेट विश्वकप का एक बड़ा खिलाड़ी उपेक्षा के चलते अब गांव में भैंस चराने को मजबूर है! क्रिकेट का नाम आते ही आपके दिमाग में आजकल ये शट्टेबाजी का खेल खेलने वाले खिलाड़ियों की तस्वीर आ जाती होगी। लेकिन इनका नाम शायद आप जानते भी होंगे। ये भालाजी डामोर है।

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टीम इंडिया के क्रिकेट विश्वकप का एक बड़ा खिलाड़ी उपेक्षा के चलते अब गांव में भैंस चराने को मजबूर है! क्रिकेट का नाम आते ही आपके दिमाग में आजकल ये शट्टेबाजी का खेल खेलने वाले खिलाड़ियों की तस्वीर आ जाती होगी। लेकिन इनका नाम शायद आप जानते भी होंगे। ये भालाजी डामोर है।

भालाजी के नाम भारतीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है। यही नहीं साल 1988 विश्व कप में इन्होने धमाके दार प्रदर्शन कर टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचाया था। भालाजी डामोर 1988 में नेत्रहीन विश्वकप के पहले मैन ऑफ द सिरीज भी बने थे। 125 मैच में 150 विकेट और 3125 रन बनाने वाले भालाजी उस समय इंडियन क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर के तौर पर खेलते थे।

टीम इंडिया को एक के बाद एक कामयाबी दिलाने पर भालाजी को राष्ट्रपति केआर नारायण ने सम्मानित भी किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में भालाजी ने कहा विश्व कप के बाद मुझे उम्मीद थी कि एक नौकरी मिल जाएगी लेकिन कई सालों बाद गुजरात सरकार से केवल प्रशंसा प्रमाण मिला।

विश्व कप के दौरान भालाजी को दूसरा सचिन तेंदुलकर कहा जाता था। अब शारीरिक कमजोरी के चलते उन्हें कहीं काम भी नहीं मिलता है। पत्नी खेतों में मजदूरी कर रही हैं। अब वास्तव में देखा जाए तो सच में भालाजी नेत्रहीन नहीं हैं लेकिन हमारी हरामखोर केंद्र सरकारें औऱ गुजरात की सरकार, खेल मंत्रालय आदि सभी नेत्रहीन जरूर हैं जो देश को इतना सम्मान दिलाने वाले खिलाड़ी को एक छोटा सा रोजगार भी उपलब्ध न करा सकी! मैं अपनी तरफ से भारत की सभी सरकारों लाखों लानत भेजता हूं





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