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मुस्लिम बालक को हनुमान समझ करते थे पूजा, कटवाई पूंछ
चंडीगढ़. फतेहगढ़ के जिस बालाजी को लोग पूंछ होने की वजह से हनुमान मानकर पूजते थे उन्होंने ऑपरेशन करवा कर पूंछ हटवा दी है। बालाजी ( अरशद अली) का कहना है कि लोग मुझे भगवान मानते थे, लेकिन मैं तो खुद को साधारण ही मानता हूं। जो मुझे भगवान समझकर अपनी समस्या लेकर आते थे उनमें से अगर किसी का काम हो जाता तो वो मुझे पूजता था, लेकिन जिसका काम नहीं होता वो साधारण ही मानता था। हाल ही में फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में हुई अपनी तरह की पहली सर्जरी में बालाजी की 7 इंच की पूछ का उपचार किया गया।
कभी भी पेशाब कर देता था और उसे पता भी नहीं चलता था
बालाजी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर डॉ. आशीष पाठक बुधवार को मीडिया से रूबरू हुए। रूबरू प्रोग्राम में डॉ. आशीष पाठक ने कहा कि बालाजी क्लबफुट डिफॉर्मिटी और निचले अंगों में कमजोरी के साथ पैदा हुआ था। पूंछ निचले सिरे पर चिपकी थी। इसे हटाया जाना जरूरी था, क्योंकि यह ऊपर की सामान्य रीढ़ की हड्डी में भी बदलाव कर सकती थी। दरअसल, बढ़ती हुई पूंछ के कारण बालाजी ब्लेडर पर नियंत्रण नहीं रख पाता था। वह कभी भी पेशाब कर देता था और उसे पता भी नहीं चलता था।
2001 में फतेहगढ़ में जन्में बालाजी अपने नाना-नानी इकबाल कुरैशी और सुरैया के साथ रहते हैं। पिता का निधन उनके जन्म के एक साल बाद ही हो गया था और उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी।
मुस्लिम बालक को हनुमान समझ करते थे पूजा, कटवाई पूंछ
चंडीगढ़. फतेहगढ़ के जिस बालाजी को लोग पूंछ होने की वजह से हनुमान मानकर पूजते थे उन्होंने ऑपरेशन करवा कर पूंछ हटवा दी है। बालाजी ( अरशद अली) का कहना है कि लोग मुझे भगवान मानते थे, लेकिन मैं तो खुद को साधारण ही मानता हूं। जो मुझे भगवान समझकर अपनी समस्या लेकर आते थे उनमें से अगर किसी का काम हो जाता तो वो मुझे पूजता था, लेकिन जिसका काम नहीं होता वो साधारण ही मानता था। हाल ही में फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में हुई अपनी तरह की पहली सर्जरी में बालाजी की 7 इंच की पूछ का उपचार किया गया।
कभी भी पेशाब कर देता था और उसे पता भी नहीं चलता था
बालाजी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर डॉ. आशीष पाठक बुधवार को मीडिया से रूबरू हुए। रूबरू प्रोग्राम में डॉ. आशीष पाठक ने कहा कि बालाजी क्लबफुट डिफॉर्मिटी और निचले अंगों में कमजोरी के साथ पैदा हुआ था। पूंछ निचले सिरे पर चिपकी थी। इसे हटाया जाना जरूरी था, क्योंकि यह ऊपर की सामान्य रीढ़ की हड्डी में भी बदलाव कर सकती थी। दरअसल, बढ़ती हुई पूंछ के कारण बालाजी ब्लेडर पर नियंत्रण नहीं रख पाता था। वह कभी भी पेशाब कर देता था और उसे पता भी नहीं चलता था।
2001 में फतेहगढ़ में जन्में बालाजी अपने नाना-नानी इकबाल कुरैशी और सुरैया के साथ रहते हैं। पिता का निधन उनके जन्म के एक साल बाद ही हो गया था और उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी।