उत्तराखंडौ सांसदुंन सांसद निधि से कुछ बि खर्च किलै नि कार ?
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
'ब्याळि देवभूमि की पुकार ' पत्र मा एक खबर छे बल " उत्तराखंड के एक भी सांसद सांसद निधि से एक भी पैसा खर्च नही कर पाये। पांच लोकसभा सांसदों में से केवल भगत सिंह कोशियारी ने कुछ पैसा खर्च किया है । " खबर्या श्री अरविन्द शेखर यीं खबर से खौंळेण्या छया , पित्याणा छया अर झसकेणा छया कि पांचो सांसदों तै 10 -10 करोड़ रुपया समाज प्रिय , जनप्रिय कामों बान मिल्दन अर सन 2015 केवल कोशियारी जीन 34 लाख खर्चा कार बकै सांसद सियां छन।
मि यीं खबर पौधिक ना तो खौंळयों , न अचरज ह्वे ना मि गस खैक भ्युं पोड। मि तै तो पता छौ कि उत्तराखंड का लोकसभा सांसद कुछ बि किलै नि कर सकणा छन। पता नी श्री अरविन्द शेखर तै पता किलै नि चौल कि उत्तराखंड का सांसद सांसद निधि से एक बि ढेला खर्च किलै नि कर सकिन ?
जख तक टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी को सवाल च बिचारी पर सांसद निधि को उचित प्रयोग नि करणो अभियोग लगाण जनानी जात की बेज्जती करण च। दिन मा सांसदुं मा चार या पांच ही घंटा तो हून्दन अपण व्यक्तिगत समय। अब बिचारी माला राज्य लक्ष्मी तो मैत से बि राजघराना की च अर ससुराल से बि ियास्ट घराना की च तो उन बि बिचारी उल्ट लाब सुल्ट नि कर सकदी होली। फिर एक घंटा तो अपण बाळ बणाण मा लगान्दी होली, फिर एक घंटा मुख लिपणम लग जांद होला , एकाद घंटा आई ब्रो ठीक करण मा लग जांद होला अर भारी भरकम साड़ी पैरण मा बि काफी बगत लगद भै ! अब राजरानी च तो मेक अप नि कारली तो बगैर मेकअप का राजररानी तै देखिक लोग झसक नि जाला ? फिर वा टिहरी की राजरानी च तो वीं तै टिहरी -उत्तरकाशी वळु फिकर ह्वेइ नि सकद। भाई जै राजघरानान अपण अच्छो दिनों मा जनता तै ढिबर समज तो अब क्या सांसद ह्वेका वे राजघराना का उत्तराधिकार जन सेवा का काम कारल , सांसद निधि खर्च कारल तो रजघराना का नाम पर धब्बा नि लग जालो ? फिर टिहरी सांसद राज्य लक्ष्मीन अपण ससुर स्व मानवेन्द्र शाह कु इतिहास बि ज्ञात कर होलु अर पै होलु कि निककज्जु रैक बि महाराज मानवेन्द्र शाह संसद मा तीन चार दै विराजमान ह्वेन तो क्या मानवेन्द्र शाह की भू निककज्जु ह्वेक , बगैर जनहित का क्वी बि काम कर्याँ सांसद जीवन नि बितै सकदी ? जरूर हैंक दै बि टिकेट वीं तै मिलण तो या सांसद जनहित का काम कारो या नि कारो क्या फरक पोड़दो ?
अब बिचारा महान अनुशासक में ज भुवन चन्द्र खंडूरी अर भगत सिंह कोशियारी कु रूण तुमन द्याखि नी च तो तुम तै क्या पता यूँ पर क्या गुजरनी च ? बिचारा 75 साल का अळग छन अर मंत्री संत्री बण नि सकदन। अब बताओ बुढ़ापा मा जब मुख पर दांत नि ह्वावन अर पेट मा आंत नि ह्वावन तो क्वी बगैर मंत्रीपद का जनहित का सोच सकुद क्या ? बिचारों तै बि पता च अग्नै भाजपा ना टिकेट बि नि दीण अर टिकट बि मिल ग्ये तो जितण त छौ नी च तो जनहित का काम मा खुट तुडै किलै करे जावो। तो यूँ द्वी बुड्या ढांगों से तो अब जनहित का काम की उम्मीद करण इनि च जन बिरळौ औंरु खुज्याण। बिरळौ औंर तो मिल बि सकद पर खंडूरी अर कोशियारी से अब जनहित को काम कतै नि ह्वे सकदो।
जख तक अल्मोड़ा सांसद अजय टमटा को सवाल च तो बिचारा वैदिन से ही गस खैक बेहोश ही होला जैदिन बिटेन समाचारों मा आइ कि अजय टमटा नरेंद्र मोदी सरकार मा मंत्री बणना छन पर ऐन बगत पर टुटकि ह्वे ग्ये तो यूंन बेहोस हूणी छौ अर बेहोस या अर्धबेहोस आदिम से क्या क्वी जनहित का कामौ उम्मीद कर सकद क्या ?
बकै रै गेन अपणा पैंतराबाज डा रमेश निशंक तो निशंक साब तो भौत सा कामुँ मा व्यस्त होला जनकि अपण किताब छपवाण , इना ऊना जुगाड़ भिड़ांण। सबसे बड़ो काम तो वो हिमालयी चिंता मा चिंतित होला ही। फिर मंत्रीपद पाणो बान कैकि सुखद चम्पी करण मा व्यस्त होला , या कैकी मालिस मा व्यस्त होला या कैकि चम्पी करणा होला। अर सबसे बड़ो काम निशंक साब माँ हूंद अपण इ पार्टयूं नेताओं की जमीन खिस्काणो तो इन मा निशंक का पास समय की कमी तो अवश्य ही होली तो सांसद निधि खर्च करणो उम्मीद निशंक से करण तो इनि च जन आकास से गैणा तुड़न।
तो मि तै तो आश्चर्य नि ह्वे कि कोशियारी छोड़िक उत्तराखंड का सांसदुंन सांसद निधि से एक बि धेला खर्च नि कार। आपकी क्या राय च ? क्या आप आसा करदवां कि खंडूड़ी , राज्य लक्ष्मी , टमटा , निशंक जनहित का कामुं मा कुछ रूचि ल्याला , दिलचस्पी ल्याला या सांसद निधि खर्च करणो स्वाचल बि ?