35 साल के वार्ड पंच ने की 6 साल की बच्ची से शादी,
अब हो गया परिवार सहित गांव से गायब
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Rajasthan- चित्तौड़गढ़Jun 27, 2015,
गंगरार/चित्ताैड़गढ़। गंगरार क्षेत्र की सोनियाना ग्राम पंचायत के 35 साल के वार्ड पंच ने पिछले दिनों 6 साल की मासूम से शादी कर ली। जैसे ही इसकी खबरें और फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हुए, प्रशासन को खबर लगी, तब से ही शादी करने वाला यह वार्ड पंच परिवार सहित गायब हो गया है।
असल में गंगरार के रतनलाल जाट की काफी समय से शादी नहीं हो रही थी। शादीशुदा होने का ठप्पा लगाने के लिए ही उसने 6 साल की बालिका से पिछले दिनों 22 जून को गुपचुप शादी रचा ली। इससे पहले इसके पास नाता प्रथा से विवाह का प्रस्ताव आया था। जबकि जानकारों का कहना है कि इसे नाता प्रथा का विवाह नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उस स्थिति में तो शादी करने वाले का पूर्व में ही बाल विवाह हो चुका होता है।
बालिका के माता-पिता की मौजूदगी में हुई शादी
बालिका की शादी उसके माता-पिता की मौजूदगी में करवाई गई। बताया जा रहा है कि बालिका से रतनलाल जाट ने कुछ घंटों के लिए शादी की, ताकि उसे शादीशुदा होने की योग्यता मिल जाए। इसके बाद उसने बच्ची को उसके परिवार के पास ही छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि यह शादी भी उसने बच्ची के माता-पिता को पैसे देकर रचाई। जैसे ही प्रशासन को पता चला, वह बच्ची को उसके माता-पिता के पास कुछ घंटों बाद ही छोड़कर चला गया।
पांच सदस्यीय टीम ने की जांच
गंगरार एसडीएम ज्ञानमल खटीक तक भी पहुंची। इस पर उन्होंने पांच सदस्यीय एक टीम का गठन कर जांच के आदेश दिए। टीम में शामिल तहसीलदार गोपाललाल बंजारा, बीडीओ रूपलाल रैगर, गंगरार सीआई ज्ञानेंद्रसिंह मय जाब्ता शुक्रवार को गणेशपुरा गांव में पहुंचे।
पंडित भी था उप सरपंच का पति
जांच दल गांव में पहुंचा तो आरोपी वार्ड पंच के घर पर ताला जड़ा हुआ था। माता-पिता सहित पूरा परिवार गायब था। उल्लेखनीय यह भी है कि शादी की रस्में कराने वाला पंडित भी सोनियाना ग्राम पंचायत के उप सरपंच का पति है।
क्या है नाथा प्रथा
राजस्थान में दशकों से बाल विवाह की प्रथा चल रही है। हालांकि शारदा एक्ट के तहत फिलहाल यह गैर कानूनी है, लेकिन फिर भी चोरी-छिपे कई परिवारों में ऐसा होता रहता है। इस बाल विवाह के बाद जब बच्चे बड़े होते हैं और लड़का कहीं बाहर चला जाता है तो कई बार वह बाल विवाह में बनी पत्नी को साथ ले जाने से मना कर देता है। इस पर नाता प्रथा के तहत फैसला होता है कि वह दूसरी शादी तो कर सकता है, लेकिन पहली पत्नी को वह खर्च के रूप में कुछ राशि देता है। यह राशि 50 हजार रुपए से ऊपर कितनी भी हो सकती है। यानी सामाजिक रूप से तलाक।