मेरे एक मित्र जब से फेसबुक में अवतरित हुए हैं, उनकी प्रस्तुतियाँ औरों से भिन्न होती हैं. जब भी अन्य लोग व्यवस्था की खामियों और सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने का प्रयास करते हैं, वे किसी न किसी बहाने उन विसंगतियों का पारिस्थितिक औचित्य और प्रासंगिकता का पिष्टपेषण करते हुए दिखते हैं. जब वे नैनीताल के डी.एस.बी कालेज के इंटर अनुभाग में मेरे छात्र थे, उनकी तार्किक क्षमता को देख कर मैं उन्हें वैज्ञानिक परिकल्पना से युक्त निबन्ध लिखने के लिए प्रेरित किया करता था आज पचास साल बाद भी उनकी वही तार्किकता यथावत ही नहीं और भी रूढ़ हो गयी है. दिली में एल.जी. और मुख्यमंत्री के बीच सत्ता का जो द्वन्द्व चल रहा है. आपको भले ही लगे कि जनता के द्वारा प्रचंड बहुमत से चुनी हुई सरकार द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार किये जा रहे कार्यक्रमों को इसलिए बाधित नहीं किया जान चाहिए कि वे केन्द्र पर काबिज दल को बुरी तरह पराजित कर दिल्ली की सत्ता पर आसीन हुए हैं. पर वे एल.जी. के पक्ष में खड़े दिखेंगे. आप कहेंगे पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या करवाने वाले मंत्री को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वे कहेंगे जगेन्द्रसिंह ने यह जानते हुए भी कि जिसके विरुद्ध वे लिख रहे हैं, वह एक ऐसा खतरनाक माफिया है, जिससे अखिलेश सरकार भी काँपती है, खुद ही अपनी मौत बुलाई.
हर हाल में यथास्थिति के ऐसे प्रात:स्मरणीय समर्थक के सामने मैं नतमस्तक हूँ.
इस मामले में मेरे ये मित्र अकेले नहीं हैं इस शहर में उन जैसे दीवाने हजारों हैं,
हर हाल में यथास्थिति के ऐसे प्रात:स्मरणीय समर्थक के सामने मैं नतमस्तक हूँ.
इस मामले में मेरे ये मित्र अकेले नहीं हैं इस शहर में उन जैसे दीवाने हजारों हैं,