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रायपुर टॉकीज "सरोकार का सिनेमा"हबीब तनवीर को समर्पित: इस बार स्मिता पाटिल अभिनीत "भूमिका"का प्रदर्शन

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Jeevesh Prabhakar
June 15 at 2:28am
 
रायपुर टॉकीज "सरोकार का सिनेमा" हबीब तनवीर को समर्पित: 
इस बार स्मिता पाटिल अभिनीत "भूमिका" का प्रदर्शन 


रायपुर टॉकीज राजधानी रायपुर की एक प्रमुख सिने सोसायटी है । विगत 3 माह से रायपुर टॉकीज़ द्वारा प्रतिमाह "सरोकार का सिनेमा" श्रंखला के अंतर्गत सामाजिक सरोकार से जुडी फिल्मो का प्रदर्शन किया जा रहा है । इस बार यह आयोजन मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर को समर्पित किया गया । लगातार आयोजित की जा रही "सरोकार का सिनेमा" श्रंखला के अंतर्गत गत 14 जून2015 को फिल्म "भूमिका" का प्रदर्शन किया गया । सरोकार का सिनेमा की कड़ी में सुप्रसिद्ध निदेशक श्याम बेनेगल के निर्देशन एवं सुविख्यात अभिनेत्री स्मिता पाटिल अभिनीत फिल्म "भूमिका" का प्रदर्शन किया गया । श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी चर्चित फिल्म 'भूमिका' (1977) मराठी रंगमंच की ख्यात अदाकार हंसा वाडकर के जीवन पर उन्ही के द्वारा लिखित किताब " सांगते एका " पर आधारित है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार -स्मिता पाटिल,अमोल पालेकर ,नसीरुद्दीन शाह, अमरीश पूरी,सुलभा देशपांडे ,अनंत नाग,कुलभूषण खरबंदा हैं । यह फिल्म स्मिता पाटिलके करियर की टर्निग पॉइंट साबित हुई थी । 
इस फिल्म की नायिका ऊषा एक अभिनेत्री है, जिसका जीवन द्वन्द्व और झंझावातों से भरा है। एक अधेड़ आदमी उसका पति है जो उसकी माँ का कभी प्रेमी रहा था और उससे दस साल की उम्र में चार आने के बदले विवाह का वचन कुटिलतापूर्वक ले लेता है। यह भूमिका अमोल पालेकर ने बखूबी निभायी है। 
अमोल पालेकर, एक शोषक पुरुष के रूप में अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय करते हैं वहीं ऊषा की भूमिका निबाहने वाली स्मिता पाटिल, भावाभिव्यक्ति से शोषण, पीड़ा और इस सबके बावजूद भीतर-बाहर से इन तमाम विरोधाभासों से लडऩे वाली स्त्री के रूप में गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। यह स्त्री, अपने आसपास के परपीडक़ और शोषक परिवेश के बीच पूरी जीवटता के साथ खड़ी रहती है और सफलता, सम्पन्नता और प्रतिष्ठा अर्जित करती है। 
नायिका के जीवन में और भी पुरुष आते हैं मगर अपनी भूमिका में वह शोषित होने या किए जाने की दयनीयता से उबर चुकी है। फिल्म के उत्तरार्ध में स्मिता पाटिल, अपने किरदार में जिस तरह विद्रोही चरित्र को प्रस्तुत करती हैं, वह सचमुच उन्हीं के द्वारा निभाया जा सकना सम्भव था। नसीरुद्दीन शाह, अमरीश पुरी, अनंत नाग फिल्म के अहम कलाकार हैं। 
इस फिल्म का कैमरा वर्क गोविन्द निहलानी का है। चौथे-पाँचवें दशक के परिवेश के अनुरूप गीत रचना मजरूह सुल्तानपुरी और वसन्त देव ने की है। वनराज भाटिया ने भूमिका का उसी मिजाज़ का संगीत भी तैयार किया है। श्याम बेनेगल की यह एक सशक्त फिल्म है, जो अपने आपमें एक विशिष्ट उदाहरण है उत्कृष्ट सिनेमा का । इस अवसर पर बड़ी संख्या में नगर के साहित्यकार, रंगकर्मी , बुध्धिजीवी ,सिनेमा से जुड़े प्रबुद्ध वर्ग एवं सिने प्रेमी उपस्थित थे ।

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