भू-अधिग्रहण अध्यादेश और दमन के खिलाफ
विरोध प्रदर्शन
12 जून 2015
लखनऊ-उ0प्र0
दिनांक 12 जून 2015 को देश के विभिन्न जनांदोलनों जनसंगठनों, ट्रेड यूनियनों व राजनैतिक मंचों द्वारा भूमि अधिकार के सवाल पर व भू-अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में गठित संयुक्त मोर्चा ''भूमि अधिकार आंदोलन''द्वारा तय किये गये राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत उ0प्र0 की राजधानी लखनऊ में भूमि अधिकार आंदोलन व अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले केन्द्र द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश व उ0प्र0 सरकार द्वारा सोनभद्र में कन्हर बाॅध के लिये किये जा रहे अवैध भू-अधिग्रहण और गरीब किसानों, खेतीहर मज़दूरों व महिलाओं पर दमनकारी कार्रवाईयों के विरोध में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया।
इस प्रदर्शन में उ0प्र0 के विभिन्न जनपदों तराईक्षेत्र लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, गौंडा, बहराईच, बुन्देलखण्ड क्षेत्र चित्रकूट, कैमूर सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, अधौरा व रोहताश बिहार से यूनियन के करीब 3000 की संख्या में समुदाय के सदस्यों व नेतृत्वकारी साथियों ने पुरजोश हिस्सेदारी की। इनमें विशेष रूप से कन्हर बाॅध प्रभावित गाॅवों के 50 लोगों का एक दमनकारी स्थिति में भी शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण रहा। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव व भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी माकर््सवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य का0 हन्नान मौला, मज़दूरों के राष्ट्रीय यूनियन एन.टी.यू.आई के महासचिव का0 गौतम मोदी, अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश महासचिव का0 दीनानाथ सिंह, एन.ए.पी.एम के संयोजक श्री संदीप पांडे, कम्यूनिस्ट पार्टी माले केन्द्रीय कमेटी सदस्यगण का0 सुधाकर, का0 कृष्णा अधिकारी, का0 सलीम, का0 रमेश व दलित भूमि अधिकार आंदोलन से साथी रामकुमार व इनके अलावा दिल्ली समर्थक समूह-दिल्ली से कुछ साथीगण इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इन सभी साथियों के शामिल होने से इस प्रदर्शन का मंच एक मज़बूत साझा राजनैतिक मंच के रूप में तब्दील हो गया। जो कि बहुत उत्साहजनक रहा। इस प्रदर्शन में भी यूनियन के सभी कार्यक्रमों की तरह महिलाओं की उपस्थिति 80 फीसदी से अधिक रही, जिससे सभी आंदोलनों से आये प्रमुख वरिष्ठ साथीगण भी बहुत प्रभावित हुए और अपने द्वारा रक्खे गये वक्तव्यों में उन्होंने इस बात का विशेष रूप से जिक्र भी किया।
12 जून की सुब्हा राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले समुदायों के लोग शहर के अलग-अलग स्टेशनों से रैली की शक्ल में अपने हाथों में लाल रंग के बैनरों व झण्डों को लेकर भू-अधिग्रहण अध्यादेश और कन्हर बाॅध विरोधी आंदोलन के समर्थन में पुरजोर नारेबाज़ी करते हुए धरना स्थल लक्ष्मण मेला मैदान में पहुंचे जहां एक विशाल जनसभा की गई। इस जनसभा को समुदाय के नेतृत्वकारी साथियों मातादयाल, सोकालो गोण्ड, निबादा राणा, फुलबासी व श्यामलाल ने सम्बोधित करते हुए अपनी बात में केन्द्र द्वारा भू अधिग्रहण अध्यादेश जारी करने और राज्य सरकार द्वारा कन्हर बाॅध विरोधी आंदोलन को दमन द्वारा कुचलने और अवैध भूमि अधिग्रहण करने की कोशिश को लेकर सत्ता को सीधी चुनौती देने की बात की और यह बात खुलकर कही गई कि कन्हर की लड़ाई महज सोनभद्र की लड़ाई नहीं है, ये पूरे देश की लड़ाई है और अपने जल जंगल ज़मीन को बचाकर अपनी आजीविका और पर्यावरण को सुरक्षित करने की लड़ाई है, जिसे हम सभी क्षेत्रों के साथी मिल कर लड़ेंगे और कन्हर बाॅध विरोधी आंदोलन को सांगठनिक मज़बूती देंगे।
का0 हन्नान मौला, का0 गौतम मोदी, का0 दीनानाथ सिंह, का0 कृष्णा अधिकारी, श्री संदीप पांडे, का0 सुधाकर, का0 सलीम, का0 सुधाकर व रामकुमार द्वारा रखी गयी बातों में मुख्य रूप से कहा गया कि मौजूदा भूमि अधिग्रहण व प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले राष्ट्रीय आंदोलन के चलते भू अधिकार राष्ट्रीय राजनीति का एक केन्द्र बिन्दु बन गया है और आज़ादी के आंदोलन के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इसलिये ये ज़रूरी है कि राष्ट्रीय आंदोलन के साथ-साथ क्षेत्रीय आंदोलन भी मज़बूत हों और इसके लिये राष्ट्रीय नेतृत्वकारी आंदोलन सभी क्षेत्रीय आंदोलनों को भी इकट्ठा होकर लड़ें। इस संदर्भ में सभी प्रमुख नेतृत्वकारी साथियों ने कन्हर में चल रहे बाॅध विरोधी आंदोलन को एक महत्वपूर्ण आंदोलन के रूप में चिन्हित किया। जहां पर अध्यादेश आने के बाद आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा दो बार गोलीबारी की गई और जिसके कारण वहां के आंदोलनकारी लोगों पर पुलिस प्रशासन का भारी दमन चल रहा है। क्षेत्र में आदिवासी दलित और किसान मज़दूरों के ऊपर प्रशासन ने एक आतंक की स्थिति कायम की हुई है, जिससे वहां की आम जनता की स्वाभाविक जि़न्दगी प्रभावित हो रही है। आंदोलन के कई प्रमुख साथीगण अभी भी जेल में हैं और अदालती कार्रवाई को प्रशासन के हस्तक्षेप के कारण बार-बार स्थगित किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के लोगों के नागरिक अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। राष्ट्रीय आंदोलनकारी संगठन अब कन्हर प्रभावित क्षेत्र में मिलकर नागरिक अधिकारों की पुनर्बहाली के लिये कन्हर आंदोलन को तेज़ करेंगे। इसी तरह अन्य राज्यों में भी जहां-जहां भू-अधिकार आंदोलन चल रहे हैं वहां भी उन्हें मिलकर मज़बूत किया जायेगा और आने वाले दिनों में भू-अधिकार के मुद्दे पर राष्ट्रीय आंदोलन को सशक्त किया जायेगा, जो कि संसद से लेकर गाॅव तक चलेगा। इससे देश की राजनैतिक स्थिति पर बुनियादी परिवर्तन की प्रक्रिया भी शुरू होगी। कार्यक्रम का सफल संचालन यूनियन की उपमहासचिव रोमा द्वारा किया गया और अन्त में यूनियन के महासचिव अशोक चैधरी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव रखकर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
Tribal, forest workers protest against land acquisition ordinance, demand stay on Kanhar dam project
Ashish Tripathi,TNN | Jun 12, 2015, 10.56 PM IST
LUCKNOW: Tribal and left groups from across the state took part in a demonstration organized by the All India Union of Forest Working People (AIUFWP) at Laxman Mela ground in the state capital on Friday against the land acquisition amendment ordinance of the Modi sarkar.
Organized as a part of AIUFWP's land rights movement, the protest saw tribal pledging to fight against the pro-corporate land acquisition amendment till their last breath. Apart from scraping the land amendment ordinance issued by the third time by NDA government after failing to get it pass through Rajya Sabha, the protesters demanded implementation of the Forest Rights Act and land rights for landless peasants and agricultural workers.
The leaders said that the Joint Parliamentary Committee examining the land ordinance should reach out to the farmers, tribal and workers of this country and hold wider consultations, public meetings and public hearings on the Bill, especially where local communities have been affected by past or present experiences of land acquisition, rehabilitation and resettlement like in Kalinga Nagar and Dhinkia to Narmada, Sompetta, Raigarh, Madurai, Mundra, Kanhar, Bhatta Parsaul, Jashpur and Dholera among others in different parts of the country.
The tribal also demanded end to state repression in Kanhar valley and action against those responsible for the police firing on villagers protesting peacefully in Sonbadhra on April 14 and 18, 2015, against illegal land acquisition in the Kanhar valley for construction of a dam. They said that the National Green Tribunal stay order on Kanhar Dam should be implemented and all leaders arrested for participating in protest must be released.
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Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
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