Quantcast
Channel: My story Troubled Galaxy Destroyed dreams
Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

Kamal Joshi 13 hrs · Baidini byggyaal/// और नंदी कुंड

$
0
0

Baidini byggyaal/// और नंदी कुंड
बैदिनी बुग्ग्याल: वाण गाँव ताल ही मोटर सड़क है यहाँ से पैदल रास्ता शुरू होता है. बैदिनी बुग्याल के लिए रण की धार और फिर गैरोली पातळ होते हुए जाना पड़ता है.
कुछ लोग वाँण से चल कर रात को गैरोली पातळ में ही ठिकाना कर लेते है रात का....! ट्रेकिंग कम्पनियां यही कराती हैं क्यों की वो अपने क्लाइंट्स को आराम से ले जाती है और ये स्वार्थ भी होता है की जितने रात के stopage होंगे उनका पैकेज महँगा होगा...वो ज्यादा कमाएंगे. 
पर हम ठहरे भ्यांस...! सीधे बैदिनी जाकर ही दम लिया...! गैरोली पातळ चढ़े फिर वहाँ से उतर कर नील गंगा में पहुंचे (नील गंगा बाद में कैल नदी में मिल जाती है.), वहाँ से बैदिनी बुग्याल के लिए विकट चढ़ाई है ...सीधी खडी...., बस गनीमत ये है की सारा रास्ता बाँझ, खरसू और बुरांस के जंगल से होकर गुजरता है...पर चढ़ाई थका देती है... 
सुबह आठ बजे के आसपास चले हम लगभग ढाई तीन बजे बैदिनी बुग्याल पहुंचे...., खूबसूरत बुग्याल सॉफ्ट light में मानो हमारा ही इंतज़ार कर रहा था... बादलों की छिटकी ने light को सॉफ्ट किया था. 
मुझे थोड़ा migrain की की शिकायत होने लगी थी और कमर भी दुखने लगी थी..., थकान ज्यादा इस लिए भी थी की हाई altitude में था..हवा थोड़ी विरल थी.. और मैंने दमा रोकने के लिए दवाइयां खायी हुई थी...मैं खुश था की चलो आज की चढाई ख़तम हुई..., खच्चर वालेने, जो हमारा कैम्पिंग का सामान लेकर आया था न केवल सामान उतार्दिया था बल्कि हीरा के साथ मिल कर बेहतर जगह में हमारा टेंट पिच भी कर दिया था.....
यहाँ से अगला पडाव पांच किलोमीटर दूर पातर नाचौनी था...., जब मैं बैदिनी के सुन्दरता, सरदर्द के बावजूद, निहार रहा था तो हमारे एक साथी ने सुझाव दिया की क्यों ना आज ही पातर नाचोनी चल दिया जाय..उसमे ऊर्जा शेष थी...मैं चुक चुका था..थोड़ा सांस और थोड़ा सरदर्द...! मैंने मना कर दिया...! तीसरा साथी भी उर्जावान था..उसने कहा जो तय करो मैं साथ हूँ.., रूको तो ठीक , चलो तो ठीक...
पर मैंने साफ़ साफ़ कह दिया की मैं तो आगे नहीं जाऊंगा..यही रूक कर बैदिनी बुग्याल की सुन्दरता एन्जॉय करूंगा...क्यों की मैं उन लोगों से ट्रेक शुरू होने से पहले ही कह चुका था की मैं ट्रेक एन्जॉय करने आया हूँ..सिर्फ भागने नही...! रूठने और मनोव्वल के बाद तय हुआ की रात का पडाव बैदिनी में ही हो.., दोस्त मेरी स्थिति समझ कर मान गए....!
हमारा टेंट लग ही चुका था ...मैंने सरदर्द की दवा खायी और, मैं स्लीपिंग बैग लेकर लेट गया...
पर हमारे उर्जावान साथी कहाँ मानने वाले थे ... वो थोड़ा rest करने के बाद बगल के ही औली बुग्याल की और चल दिए... उन्होंने वहा औली बुग्याल की खूबसूरत तसवीरें खींची...
एक घंटे के आराम के बाद मैं बाहर निकला, एक खूबसूरत सूर्यास्त मेरा इंतज़ार कर रहा था..., मैंने सूर्यास्त की फोटो खींची....(कल उन्हें पोस्ट करूंगा...) बैदिनी बुग्याल में ठंडी हवा चल रही थी जो रात में होने वाली ठण्ड का अनुमान दे रही थी...
..दूर सूरज की कुछ किरणे पहाड़ में चोरी से उतर रही थी....पहाड़ निश्चल थे की कही किरणों की चोरी पकड़ी ना जाए और सूरज उन्हें वापस ना बुला ले...शायद सूरज भी किरणों की हरकत जानता था....इसलिए उसने तुरंत अँधेरे को बुला लिया.. मेरे दोस्त ब ही वापस आ गए... हम तारों को हाथ हिला कर टेंट में घुस गए..



Get your own FREE website, FREE domain & FREE mobile app with Company email.  
Know More >

Viewing all articles
Browse latest Browse all 6050

Trending Articles