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आखिर यह कैसा गठबंधन बन रहा है, जिसके लिए किसानों के सवाल महत्वपूर्ण नहीं हैं?

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अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा-माले के नेता सुदामा प्रसाद और इंकलाबी नौजवान सभा के नेता राजू यादव पिछले पांच दिन से भोजपुर में किसानों की धान खरीद के बकाये पैसे के जल्द से जल्द भुगतान करने, खेती करने वाले बंटाईदारों समेत फसल क्षति से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने, सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त करने, पूंजीपरस्त भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेने तथा गरीबों और बेरोजगारों के लिए तय योजनाओं में की जा रही कटौती को बंद करने और आशाकर्मी, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविका, शिक्षा मित्र, आशाकर्मी आदि की सेवाओं को नियमित करने तथा उनका वेतन सुनिश्चित करने आदि मांगों को लेकर पिछले पांच दिन से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं। आज अनशन का छठा दिन है। कल शाम जब मैं वहां पहुंचा, तो मालूम हुआ कि अब तक कोई पदाधिकारी अनशनकारियों से मिलने नहीं आया है, मैंने देखा कि प्रशासन की ओर से कहीं कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया था। रात साढ़े नौ बजे तक मुझे कोई प्रशासनिक व्यवस्था नजर नहीं आई। हद दर्जे का जनविरोधी रवैया है। क्या नौकरशाहों का काम सिर्फ मंत्रियों और सासंदों की चाकरी करना है? 
क्या विडंबना है इस देश की जहां किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है, जहाँ उनकी मदद करने के बजाए केंद्र सरकार सांप्रदायिक गिरोहों और कारोबारी बाबाओं का मनोबल बढ़ाने में लगी हुई है। आरा में किसानों के लिए अनशन कर रहे माले-इनौस के नेताओं की सुरक्षा की फिक्र इस तंत्र को नहीं है, उसे तो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को जेड सुरक्षा देना जरूरी लगता है, ताकि उनके नेतृत्व में पूंजीपतियों के हित में जनता को विभाजित करने का खेल बदस्तुर जारी रहे। बिहार में एक सरकार भी है, जिसके नेता किसानों की मदद करने के बजाए महागठबंधन बनाने में लगे हुए हैं। आखिर यह कैसा गठबंधन बन रहा है, जिसके लिए किसानों के सवाल महत्वपूर्ण नहीं हैं? इस सरकार का प्रशासन किसानों के सवालों के प्रति इस कदर संवेदनहीन क्यों है? इस भीषण गर्मी में अनशन कर रहे नेताओं की तबीयत अब बिगड़ने लगी है। अनशनकारियों की मांगों के प्रति उपेक्षा के खिलाफ कल कुछ घंटों के लिए भोजपुर में जबरदस्त चक्का जाम भी रहा।
एक लेखक-संस्कृतिकर्मी होने के नाते मैं अनशनकारियों द्वारा उठाये गए मुद्दों का समर्थन करता हूं और प्रशासनिक संवेदनहीनता पर लानत भेजता हूं। आज किसानों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में मैं अनशन स्थल पर मौजूद रहूंगा। तमाम कलाकारों-संस्कृतिकर्मियों से भी अपील है कि आप भी किसानों के साथ खड़े हों। अनशनकारियों का हौसला बढ़ाएं तथा प्रशासन और सरकार पर दबाव बनायें।

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