खुल्ला ताला
रंगरसिया
कयामत बरपायो
पलाश विश्वास
लोकप्रिय ब्रांडों में आइटीसी का सनफेस्ट येपी, एचयूएल का नोर, निसिन फूड्स का टॉप रामेन और नेपाल के चौधरी समूह का वाईवाई आदि शामिल हैं।
जिनके खातिर पलक पांवड़े बिछे बिछे हैं और हमारी जान जहांजिनके लिए कुर्बान,रंगरसिया तमामो स्त्री पुरुष वे बाजार के दल्ला हैं और आम जनता को लुटेके खातिर महिमामंडित ब्रांड हैं।
समझ लीजिये कि कयामत जलवे के चिटयारा चियारिनों की वजह से आंख मूंदकर हम जहर खा पी रहे हैं।
ऊपर से यह जो सुरसामुखी मंहगाई हमारी ब्रांडेड जीवनशैली की वेलनैस विकासगाथा हरिकथा अंनत बोल हरिबोल है,उसके पीछे भी परदे पर झिलमिलाते तमामो सितारे हैं।
सितारे संसद में हैं तो सितारे जमीन पर हैं और सितारों का ही राजसूय है और हम जनगण के खिलाफ भाग्यविधाता भी सितारे हैं।
इसे समझने के लिए फैकी ब्रांड का रात दिन चौबीसों घंटा बरपाया झाला आला रे आला हिंदू ह्रदय सम्राट आला ब्रांडिंग उदाहरण के लिए काफी है।
हम दुनियाभर से आ रहे फीडबैकआपतक पहुंचाने में इस कदर बिजी बाड़न कि ज्यादा लिखने वास्ते,एनालिसिल ठोंकते वास्ते मोहलत भी नहीं है।
उन सितारों को देखते ही होंगे जो सिर्फ कहकहे लगाकर,कहकहे लगवाकर देस के सौ अरबपतियों में शामिल हैं।
उनको बरकतें और नियमते मोर मोर मुबारक,लेकिन बदले में हमारे लिए तबाही ही तबाही है।
अब कुछ गौर करें मैगी मसाला उपभोक्ता बाजार का सच सामने है और तमामो बेबी फूड फैयरमनेस ब्रांड से लेकर हर चीज की मिलावट का बड़ा शोर है।
उत्पादन लागत के मुकाबसले दसियों गुणा महंगा सामान हम सिर्फ लेवेल और पैकेज और ब्रांड के भरोसे जो खरीदते हैं,सेक्सअसमानता और पुरुषवर्चस्व के देश में प्रेम कुंठाओं यौन कुंठाओं की वे गोरी फसलें वसंतबहार है जो कालों के सफाये का अचूक रामवाण है रामराज्य में।
कंगना रणावत ही एकमात्र ऐसी निकली जो सितारा भी हैं और जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ के रंगभेदी अश्वमेध की फीस लेने से इंकार भी कर पायी हैऔर बाकी सितारे तो शीतल पेय से लेकर लंगोट तक न जाने क्या क्या बेचते रहते हैं।बूढ़े बूढिया सितारों के जलवे से आखेट का जलवा घमासानो है।
मैगी को ही लीजिये कि मैगी के विज्ञापनों का खर्च देख लीजिये।तो हुजूर देखते रहियेः
नेस्ले इंडिया इन दिनों मैगी की गुणवत्ता को लेकर घिरी हुई है। इस बीच कंपनी की एक आर्थिक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमे उजागर हुआ है कि नेस्ले ने 2014 में विज्ञापनों पर 445 करोड़ रुपये फूंके, जबकि उत्पादन की गुणवत्ता जांच पर इस राशि का भी पांच फीसदी से भी कम यानी सिर्फ 19 करोड़ रुपये। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी कंपनियां भी ब्रांड प्रमोशन पर लगभग इसी तरह ज्यादा खर्च करती हैं।
पांच सालों में बिक्री पर खर्च 47% बढ़ा: नेस्ले की भारतीय इकाई के सालाना वित्तीय खातों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले पांच साल में कंपनी ने कर्मचारियों पर खर्च 75% बढ़ाया है। यह 2010 में 433 करोड़ रुपये था जो 2014 में बढ़कर 755 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह कंपनी ने जहां 2010 में अपने विज्ञापन व बिक्री पर 302 खर्च किए थे वह 2014 में 47% बढ़कर 445 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं इस अवधि में कंपनी का प्रयोगशाला या गुणवत्ता परीक्षण पर खर्च इस राशि का सिर्फ पांच फीसदी से भी कम यानि 13 से 19 करोड़ रुपये पहुंचा।
गुणवत्ता जांच से ज्यादा खर्च यात्रा-ट्रेनिंग पर: खातों के विश्लेषण में सामने आया है कि कंपनी ने ट्रैवेलिंग और ट्रेनिंग पर गुणवत्ता जांच की तुलना में ज्यादा खर्च किया है। ट्रैवेलिंग खर्च जहां 2010 के 54 करोड़ से 27% बढ़कर 2014 में 68 करोड़ रुपये रहा वहीं ट्रेनिंग खर्च में 51% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2010 में 25 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014 में यह 38 करोड़ रुपये हो गया।
कर्मचारियों पर खर्च में 75% इजाफा
कंपनी की भारतीय इकाई ने पिछले पांच साल के दौरान अपने कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में पिछले पांच साल के दौरान 75% का इजाफा किया है। साल 2010 में जहां कर्मचारियों पर होने वाला खर्च 433 करोड़ रुपये था वहीं 2014 में यह 755 करोड़ रुपये हो गया।
मीडिया के मुताबिकः
भारत में केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर विज्ञापन गुमराह करने वाले पाए गए तो ब्रांड एंबेसडर पर भी कार्रवाई मुमकिन है.
मैगी को लेकर जहां 'नेस्ले इंडिया'मुश्किल में है वहीं मैगी की ब्रैंड एंबेसडर फ़िल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित पर भी संकट की तलवार लटकी हुई है.
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव जी गुरुचरण ने सोमवार को कहा, "अगर कंपनी के खाद्य उत्पाद के विज्ञापन में किसी खास गुण का ज़िक्र किया गया है जो उसमें नहीं है तो ऐसा विज्ञापन भटकाने वाला माना जाएगा."
जी गुरुचरण ने यह भी कहा, "अगर कंपनी का ब्रैंड एंबेसडर विज्ञापन में उन खास गुणों के बारे में बोलता है जो कि उत्पाद में नहीं पाए जाते हैं तो उस पर कार्रवाई हो सकती है."
कार्रवाई के प्रावधान
खाद्य पदार्थों के लिए बनाए गए क़ानून 'फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006′ के मुताबिक कंपनी का विज्ञापन गुमराह करने वाला पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई के प्रावधान हैं.
इस प्रावधान के मुताबिक अगर विज्ञापन भटकाने वाला है तो इसकी जगह सही जानकारी के साथ नए विज्ञापन को टीवी-रेडियो पर प्रसारित किया जाना चाहिए.
इस एक्ट के तहत ग़लत जानकारी देने वाले विज्ञापन के लिए जुर्माने का भी प्रावधान है.
माधुरी को नोटिस
मैगी का विज्ञापन करने के लिए हरिद्वार के खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग की तरफ से अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को नोटिस भेजा गया है.
उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के मुताबिक मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटेमैट और लैड (सीसा) तय सीमा से ज़्यादा पाया गया है.
हालांकि नेस्ले ने बयान जारी कर कहा है कि परीक्षणों से पता चला है कि "उनके उत्पाद में लैड का स्तर निरंतर तय सीमा के अंदर पाया गया है."
नेस्ले का ये भी कहना है कि वो "भारत में बिकने वाले मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटेमैट नहीं मिलाती."
"#KanganaRanaut would be one of the very few leading ladies in Hindi cinema in the past two and a half decades who managed to become an A-list entity without working opposite the Khans or with marquee production houses," writes Gautam Chintamani.
Why Kangana Ranaut can now be crowned the queen of Bollywood
One exceptional factor about the success of her 'woman-centric' films is that it doesn't imagine her as the 'hero'.
गौरतलब है कि मैगी पर प्रतिबंध के एक दिन बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने शनिवार को कहा कि वह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न ब्रांड के इन्स्टेंट नूडल्स के नमूनों का परीक्षण करेगा। वह ब्रांडेड पास्ता और मैक्रोनी उत्पादों की भी जांच करेगा। प्राधिकरण ने कहा कि वह फिलहाल ब्रांड अंबेसडर के खिलाफ कोई कार्रवाई करने पर विचार नहीं कर रहा है।
एफएसएसएआइ के सीईओ युद्धवीर सिंह मलिक ने कहा कि हम दूसरे इन्स्टेंट नूडल्स ब्रांड की भी जांच करेंगे। हम दूसरे नूडल्स ब्रांड के नमूने ले रहे हैं। उन्होंने दूसरे ब्रांड का नाम नहीं बताया। लेकिन लोकप्रिय ब्रांडों में आइटीसी का सनफेस्ट येपी, एचयूएल का नोर, निसिन फूड्स का टॉप रामेन और नेपाल के चौधरी समूह का वाईवाई आदि शामिल हैं। मलिक ने कहा कि सोमवार को हम इन्स्टेंट नूडल्स, मैक्रोनी और पास्ता के सभी ब्रांडों को प्रकाशित करेंगे जिन्होंने अपने उत्पादों की बिक्री के लिए प्राधिकरण से मंजूरी ली है।
उन्होंने कहा कि जिन ब्रांडों या उत्पादों ने मंजूरी नहीं ली है, वे अवैध हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई ऐसे ब्रांड हैं जिन्होंने एफएसएसएआइ से मंजूरी नहीं ली है। परीक्षण के लिए इन ब्रांडों के नमूनों को लिया जाएगा।
एफएसएसएआइ ने शुक्रवार को नेस्ले इंडिया के मैगी की सभी किस्मों को असुरक्षित और खतरनाक बताते हुए उन्हें प्रतिबंधित कर दिया। उत्पादों के ब्रांड अंबेसडर के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर युद्धवीर सिंह मलिक ने कहा- फिलहाल नहीं। उन्हें निश्चित रूप से संदेह का लाभ मिलना चाहिए। लेकिन उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय ब्रांड अंबेसडर बने लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या एफएसएसएआइ अन्य एफएमसीजी उत्पादों के परीक्षण के बारे में विचार करने पर गौर कर रहा है, मलिक ने कहा- उन्हें शिकायत मिली तो हम इसके लिए तैयार हैं।
Jun 08 2015 : The Economic Times (Kolkata)
All Maggi Packs may Not Go Off Shelves
Sagar Malviya & Writankar Mukherjee |
Mumbai | Kolkata: |
40% of total stock, outside Nestle's direct distribution network, may be hard to recall
Nestle is likely to struggle to recall Maggi packs from stores across the country as it will not be able to access as much as 35-40% of the total stock because millions of outlets selling the snack are outside the company's direct network.
Nestle directly reaches around 2 million outlets where it sells products through its own distributors or wholesalers. However, according to market researcher Nielsen's data, the firm's products reach 47% of the country's estimated 8.8 million retail outlets.That means more than 2 mil lion stores that sell Maggi, mostly in the hinterland, are serviced through middlemen, semi-wholesalers or even larger kirana owners.
"At any given time, about 40% of the products are difficult to trace in the complex tra de system," said Mayank Shah, deputy marketing manager at top biscuits maker Parle Products, which has the highest store reach among food compani es with its products available in 68% of outlets. "We can always go to wholesalers where we supplied products directly, but there are villages with less than 2,000 people where products are distributed by semiwholesalers in small batches. To get those packs back is neither possible nor economical," Shah said.
Even if Nestle is able to recall 100% of the Maggi stock from its distribution network, it will still not be able to reach at least half the total outlets resulting in about one-third of the product by volume being left on shelves.
"Recall is difficult to implement and it won't be efficient in rural areas," said Abneesh Roy, associate director at Edelweiss Securities. "The company can only hope that inventory dries up in the next two weeks with or without recall," he said.
RS Sodhi, managing director at Gujarat Co-operative Milk Marketing Federation that makes Amul dairy products, said a complete pullout of Maggi from the Indian market will be complex considering the deep penetration of the product into every nook and corner of the country.
"While a product pullout of this scale is the first in the Indian FMCG industry, it will take 5-7 days for distributors to withdraw the stocks from retailers. But in smaller towns and villages, unless the distributors reach out to the smallest retailer, the stocks will remain, which is what may become a big challenge," said Sodhi.
While Nestle's distributors are yet to hear from the company, several retailers have already received communication to follow the standard operating procedure, or SOP, for recall. A senior executive with a retail chain that had stopped selling Maggi on its own said its contract with Nestle ensures the company will take back all unsold stock. "We will get credit notes which can be used to procure any Nestle product," he said.
Nestle suspended Maggi production across all its plants and at two contract manufacturers on Friday when it decided to pull the brand from the Indian market. It has also ensured Maggi packs produced in the past couple of days do not leave the plant premises.
Nestle will review its production plans in 7-10 days after more clarity emerges on the evolving crisis, said an industry executive.
"We expect Nestle to burn all its existing stock and start fresh production with new packaging as per the guidelines of FSSAI (Food Safety & Standards Authority of India, the food safety regulator)," the executive said.
Despite the recall, some online grocery sellers were still selling Maggi till late Saturday. While most popular online players such as MeraGrocer, Local Banya and Zopnow had stopped selling the product, orders could be placed for as many as 40 packs on sites such as OneKirana and WeAreOpen.
OneKirana founder Megha Singh said a few orders were accepted by mistake.
Other products such as readymade pastas, low-cost seasonings and soups in cups are all available across online grocery stores. "The stocks of these products will soon dry up as we have not been receiving supplies from the backend," said Saurabh Chadha, co-founder of MeraGrocer.
(With inputs from Shambhavi Anand in New Delhi)
Jun 08 2015 : The Economic Times (Kolkata)
Maggi Storm Rocks the Noodle Boat, Washes Away 80% of Sales
Ratna Bhushan & Rasul Bailay |
New Delhi: |
Sales of entire instant noodles category hit as rattled consumers shy away from other brands too
India, the world's fifthlargest instant noodles market till the other day, looks set to lose that status as sales in the category have crashed by about 80% across the country following the Maggi controversy, according to retailers and industry insiders.
The controversy over high lead content in Nestle's Maggi, which led to ban and recall of the top instant noodle brand in the country, has apparently impacted sales of rival brands . 3,800-crore instant noodles too in the ` market.
"The consumer's trust from the category as a whole is gone. Consumers aren't picking up other brands as well," the CEO of one of the country's biggest organised retail chains said on condition of anonymity.
The CEO of a national company that sells instant noodles said, "Sales of our brands have dropped by more than three-fourths over the past one week.We don't know how long this will last."
Besides Maggi, which has dominated the category with an estimated 70% share, ITC's Sunfeast Yippee and Top Ramen from Nissin are the other big brands in the category , followed by HUL's Knorr and GSK Consumer's Foodles.
Some states and retailers have targeted other brands too, besides Maggi. Reliance Retail, for example, has taken 11 noodles brands off shelves starting last Friday across its 2,500plus stores, while Tamil Nadu has banned sales of Wai Wai Xpress Noodles, Reliance Select instant noodles and Smith & Jones chicken masala noodles, besides Maggi.
Retailers like Savemax have removed all stocks of other Maggi products like ketchup too, which were giving noodles free as promotions.
A top retailer said sales of Maggi pasta too have dropped by 50%, as there has been a rub-off effect on the entire brand.
Financial service firm Motilal Oswal's analysts Gautam Duggad and Manish Poddar, in a report, has said, "Food safety con cerns have muddied the waters for Nestle. We understand this issue could also impact the performance of other products in the prepared dishes portfolio in the near term like pas ta, soup and ketchup."
All retailers like WalMart, Big Bazaar, Reliance and Metro pulled Maggi off shelves last week, while Nestle has announced a complete recall of the brand early Friday.
Chandra Bushan, deputy director general at non-profit think tank Centre for Science and Environment (CSE), has said that controversies such as Maggi are just a beginning as regulators are looking for stricter rules. "Expect standards to come in for different products categories.Changes will be made in the next five years in domestic as well as imported processed foods categories," he said during an analyst conference call on ongoing probe of harmful substances in packaged foods.
Damodar Mall, CEO, value formats and consumer business, at Reliance Retail, had said in a statement on Friday, "We believe that the uncertainty is unwarranted and undeserved. But it merits the launch of a robust, nationwide process of reassuring ourselves and our valued stakeholders."
In 2014, the domestic instant noodle market was valued at ` . 3,800 crore, with value growth of 7.4% and volume growth of 2.9%.
According to the World Noodle Association, the global instant noodle mar ket is estimated at 100 billion packs.
Researcher Euromonitor had, in a report before the controversy broke, said: "The opportunity for noodles is huge, as noodles are no longer simply a metro phenomenon, but are becoming very popular in semi-urban and rural areas. Noodles were targeted primarily towards children, but have now moved on as a mainstay meal even for adults. This has increased the target audience and the scope to expand."
But now, the category has run into a roadblock and it remains to be seen how fast instant noodles brands can get over it and regain the segment's growth momentum.
Since the Narendra Modi govt came to power in May last year, 91 projects worth Rs 2.6 lakh crore have been put back on track. Ten power generation and transmission projects with investments over Rs 72,000 crore have also got the green signal.
Modi government likely to revive investment for 42 stalled projects worth Rs 1.15 lakh crore
The Narendra Modi government seems to be stepping on the pedal to revive the investment climate.
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थन में नारे लगा रहे थे।
डुमरी विधायक जगरनाथ महतो ने कहा कि भाजपा की सरकार कानून की धज्जी उड़ाने पर तुली हुई है। पूर्व में ग्रामसभा के माध्यम से जमीन का अधिग्रहण किया जाता था, लेकिन भाजपा सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के अनुसार किसानों एवं रैयतों की जमीन जबरन ले ली जाएगी। स्थानीय नीति लागू करने को लेकर जनप्रतिनिधियों का घेराव कर उनके घर पर डेरा डाला जाएगा। कहा कि बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी स्थानीय नीति लागू की जाए, ताकि यहा के लोगों को अपना अधिकार मिल सके। उन्होंने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को किसान विरोधी बताया।
बेनीलाल महतो ने कहा कि झारखंड में स्थानीय लोगों की उपेक्षा की जा रही है। अगर सरकार स्थानीय लोगों को अधिकार जल्द नहीं देगी, तो उग्र आदोलन कर सरकार की ईट से ईंट बजा दी जाएगी। सभा को सूरज महतो, गौरीशकर महतो, यदू महतो, काशीनाथ केवट आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर नरेश महतो, धनेश्वर महतो, विनोद महतो, विश्वनाथ तूरी, कृष्णा थापा, सहोदरी देवी, दौलत महतो, सरयू महतो, शंभु महतो, विजय गिरि, राजकिशोर पुरी, सुभाष महतो, वीणा देवी, गीता देवी, अमर महतो, भुनेश्वर महतो, मुन्ना उराव, सोमर मुंडा आदि उपस्थित थे।
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