RIHAI MANCH
For Resistance Against Repression
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सांप्रदायिक-जातीय गठजोड़ की राजनीति को करारा जवाब देगी रिहाई मंच की इंसाफ मुहिम
वक्त की जरुरत है इंसाफ मुहीम - मुहम्मद शुऐब
सामाजिक न्याय व सेक्युलिरिज्म के नाम पर हुई ठगी की राजनीति -
राघवेन्द्र प्रताप सिंह
हाशिमपुरा के फैसले ने साबित किया कि सरकार को इंसाफ नहीं पुलिस के मनोबल
की चिंता- मसीहुद्दीन संजरी
सुल्तानपुर में सांप्रदायिकता, जातिगत हिंसा और भागीदारी के सवाल पर
'लोकतंत्र और इंसाफ का सवाल'पर हुआ सम्मेलन
सुल्तानपुर 6 जून 2015। सांप्रदायिकता, जातिगत हिंसा और भागीदारी के सवाल
पर सलीम हायर सेकेन्डरी स्कूल, खैराबाद सुल्तानपुर में रिहाई मंच की
'लोकतंत्र और इंसाफ का सवाल'सम्मेलन में गांव व कस्बे स्तर पर इंसाफ
मुहिम चलाने का आह्वान किया गया।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कमरतोड़ मेहनत करने वाले
मजदूर को भरपेट खाना, सबको कपड़ा मुहैया कराने वाले बुनकर को कपड़ा, सबको
छत देने वाले कारीगर को मकान और किसान के बच्चों को रोजगार की उपलब्धता
लोकतंत्र की प्राथमिक बुनियाद होती है। जब चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारें
किसानों से उनकी जमीन छीनकर मुल्क को भूखों-नंगों का देश बनाने पर आमादा
हों तो देश के हर कस्बे-गांव की गली से इंसाफ की आवाज बुलंद करना वक्त की
जरुरत है। मुल्क में युवाओं को जेलों में सड़ाने और तमगों के खातिर फर्जी
मुठभेड़ों में मारने का सिलसिले को खत्म करने के लिए सूबे में जिस तरह से
रिहाई मंच को एक जनआंदोलन में आपने तब्दील किया आज जरुरत है कि जब
सरकारें अन्नदाता और देश के भविष्य युवाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर कर
रही है तो इसके खिलाफ प्रतिरोध की सशक्त आवाज को हम बुलंद करें।
सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आजादी के
इतने लंबे समय बीतने के बाद भी सामाजिक न्याय का सवाल लोकतंत्र में ज्यों
का त्यों बना है। गैर बराबरी का आलम इस कदर है कि ऊंची डिग्री होने के
बावजूद मुसलमान होने के नाते रोजगार के अवसर और किराए के मकान से बाहर
किया जाता है तो कहीं दलित को प्रोफेसर होने के बावजूद बैठने के लिए
कुर्सी तक नहीं दी जाती है। ऐसे में यह बात साफ हो गई है कि अभी तक जिन
लोगों ने सामाजिक न्याय और सेक्युलिरिज्म के नाम पर राजनीति करके भले ही
सरकारें बनाई हों लेकिन उन लोगों ने सामाजिक न्याय के सवाल पर ठगी करने
का काम किया है। सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को 18 फीसद
आरक्षण देने के नाम पर बरगलाकर भले ही अपने बेटे की उत्तर प्रदेश में
सरकार बनवा ली हो लेकिन सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद भी आरक्षण के
वादे पर बेईमानी की है। ऐसे में हमारी इंसाफ मुहिम प्रदेश भर में मुलायम
की वादा फरामोशी के खिलाफ पूरे सूबे में जारी रहेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना रफीक सुल्तान ने कहा कि जिस तरह से
सांप्रदायिकता का माहौल बनाकर जनता के मूलभूत सवालों से भटकाया जा रहा है
ऐसे में जरुरत यह है कि हम सब इंसाफ के सवाल पर एक जुट होकर इंसाफ की इस
मुहिम में शामिल हों।
रिहाई मंच के वरिष्ठ नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि देश में आबादी के
अनुपात से अधिक मुसलमान जेलों में कैद है, ठीक इसी तरह दलितों और
आदिवासियों के भी हालात हैं। इससे जांच एजेंसियों की विवेचना और राज्य के
अभियोजन तंत्र का अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग विरोधी चेहरा खुद ब खुद उजागर
होता है। अपनी इन्हीं एजेंसियों और अभियोजन तंत्र के सहारे सत्ताधारी
दलों का न्याय पालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप का दायरा बढ़ता जा रहा है
जिसके नतीजे में अमित शाह जैसे लोगों को क्लीन चिट मिल जाती है तो माया
कोडनानी, बाबू बजरंगी, वंजारा और पांडेय जैसे लोग बड़ी आसानी से सलाखों
के बाहर आ जाते हैं। तो वहीं खालिद मुजाहिद की हिरासत में हत्या कर दी
जाती है और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो0 साईबाबा को अंडा सेल में बंद
कर दिया जाता है और उनकी विकलांगता भी ज़मानत के लिए आधार नहीं बन पाती।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हाशिमपुरा पर आए फैसले ने और तारिक कासमी
जिन्हें आरडी निमेष आयोग बेगुनाह कह चुका को आजीवन कारावास दिया गया है
साबित करता है कि सरकारों को इंसाफ से अधिक पुलिस के मनोबल की चिंता है।
हाशिमपुरा के फैसले के बाद रिहाई मचं ने इंसाफ मुहिम शुरु की जिसे पूरे
सूबे में चलाया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता शरद जायसवाल ने कहा कि जहां जोर-शोर से सांप्रदायिक
ताकतों को रोकने के नाम पर जनता परिवार की एका की बात चल रही है,
रिश्तेदारियां भी हो रहीं हैं वहीं यह बात काबिलेगौर है कि भागलपुर के
दंगों के आरोपियों को राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने तमगों से नवाजा था
तो यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर दंगों के गुनहगार भाजपा
विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा पर से रासुका हटाने का काम किया। वहीं
दूसरी तरफ अस्थान से लेकर फैजाबाद, कोसी कलां, मुजफ्फरनगर और पश्चिमी
यूपी में राशन कार्ड के नाम गरीब मुसलमानों के घरवापसी और लव जेहाद के
नाम पर मुस्लिम युवाओ ंपर हमले की घटना किसी दूसरे के राज में नहीं बल्कि
जनता परिवार के एकीकरण के सूत्रधार मुलायम के बेटे अखिलेश यादव के सरकार
में हुई। इससे यह बात साफ हो चली है कि भाजपा के साथ गठजोड़ की जमीन
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने मुहैया कराई है। ऐसे में इस
सांप्रदायिक गठजोड़ के बरखिलाफ रिहाई मंच की इंसाफ मुहिम मोहतोड़ जवाब
होगी।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि मथुरा की नरेन्द्र मोदी की रैली के
बाद से सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा का सिलसिलेवार क्रम बदस्तूर जारी है।
यह संयोग नहीं बल्कि पूर्व नियोजित केसरिया रणनीति के तहत केन्द्रीय
गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर सांप्रदायिक नेता विनय कटियार तक मंदिर
राप अलापने लगते हैं। दूसरी तरफ हरियाणा के अंदर अटाली में मस्जिद के नाम
पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाकर मुस्लिम परिवारों को बेघर किया जाता है तो
वहीं राजस्थान के नागौर में दलितों की बस्तियों को आग के हवाले कर दिया
जाता है। वहीं भाजपा के नेता घूम-घूमकर यूपी समेत देश के दीगर हिस्सों
में भड़काऊ सांप्रदायिक भाषा बोलकर समाज के अमन-चैन को खराब कर
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दे रहे है। ऐसे दौर में रिहाई
मंच की इंसाफ मुहिम इन सांप्रदायिक चेहरों करारा जवाब देगी।
वरिष्ठ रंगकर्मी आदियोग ने कहा कि जब गुजरात में किसान आत्महत्या कर रहे
थे तो उस समय वाइबे्रंट गुजरात के नाम पर आदिवासियों को जमीन से बेदखल
किया जा रहा था ठीक उसी तर्ज पर जब सूबे में पिछले मार्च-अप्रैल में 500
से अधिक किसान आत्महत्या व हार्ट अटैक से मर चुके हैं तब ड्रीम प्रोजेक्ट
के नाम पर अखिलेश यादव फिल्म सिटी-स्मार्ट सिटी बनाने में मशगूल हैं।
उन्होंने कहा कि रिहाई मंच की इस इंसाफ मुहिम में देशभर के रंग कर्मी
अपने सांस्कृतिक अभियान के साथ शामिल रहेंगे।
रिहाई मंच कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश
सरकार भ्रष्टाचार के आकंठ में इस कदर डूबी है कि जिसके कई बड़े नेता खनन
की लूट-खसोट में लिप्त हैं आलम यह है कि सरकार की खनन लूट पर साथ न देने
वाले ईमानदार अफसरों को प्रताडि़त किया जा रहा है। जिसका सबसे ताजा
उदाहरण झांसी में तैनात रहे तहसीलदार गुलाब सिंह का प्रकरण है। उन्होंने
कहा कि पूरे सूबे में सपा सरकार के काबिज होने बाद से ही लोक सेवा आयोग
से लेकर अधीनस्थ सेवा आयोग, सहकारी संस्थागत सेवा मंडल माध्यमिक शिक्षा
चयन बोर्ड समेत अन्य भर्ती आयोगों में भ्रष्टाचार और वसूली इस कदर
व्याप्त हो चली है कि प्रदेश भर में लिखने पढ़ने वाले नौजवानों ने रोजगार
की आस को बंद कर दिया है। सूबे के मुख्यमंत्री के चाचा शिवपाल सिंह यादव
एक-एक भर्ती की बिक्री कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश भर के नौजवानों को
सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आई सपा सरकार के खिलाफ जनाक्रोश है, रिहाई मंच
की इंसाफ मुहिम में इन नौजवानों का सवाल केन्द्रीय विषय होगा।
सम्मेलन को जुल्फेकार अहमद, लियाकत नाना, आमिर सिद्दीकी, हाशिम अबदुल्ला
आदि ने भी संबोधित किया।
सम्मेलन की अध्यक्षता कमालुद्दीन अहमद ने की। सम्मेलन में विषय प्रवर्तन
तैय्यब बारी खान ने की, संचालन मुहम्मद आरिफ ने व धन्यवाद सोहराब अंसारी
ने किया। लियाकत नाना, सोहराब अंसारी, अबरार उल हक, डा0 लईक अहमद, फहीम
खान, हासनी अब्दुल्ला, अबुल कैश, शहबाज, अफसर हुसैन, फहीम अंसारी, आदि
सम्मेलन में शामिल हुए।
द्वारा जारी-
मुहम्मद आरिफ, तैय्यब बारी खान
9807743675
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Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
E-mail: rihaimanch@india.com
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वक्त की जरुरत है इंसाफ मुहीम - मुहम्मद शुऐब
सामाजिक न्याय व सेक्युलिरिज्म के नाम पर हुई ठगी की राजनीति -
राघवेन्द्र प्रताप सिंह
हाशिमपुरा के फैसले ने साबित किया कि सरकार को इंसाफ नहीं पुलिस के मनोबल
की चिंता- मसीहुद्दीन संजरी
सुल्तानपुर में सांप्रदायिकता, जातिगत हिंसा और भागीदारी के सवाल पर
'लोकतंत्र और इंसाफ का सवाल'पर हुआ सम्मेलन
सुल्तानपुर 6 जून 2015। सांप्रदायिकता, जातिगत हिंसा और भागीदारी के सवाल
पर सलीम हायर सेकेन्डरी स्कूल, खैराबाद सुल्तानपुर में रिहाई मंच की
'लोकतंत्र और इंसाफ का सवाल'सम्मेलन में गांव व कस्बे स्तर पर इंसाफ
मुहिम चलाने का आह्वान किया गया।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कमरतोड़ मेहनत करने वाले
मजदूर को भरपेट खाना, सबको कपड़ा मुहैया कराने वाले बुनकर को कपड़ा, सबको
छत देने वाले कारीगर को मकान और किसान के बच्चों को रोजगार की उपलब्धता
लोकतंत्र की प्राथमिक बुनियाद होती है। जब चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारें
किसानों से उनकी जमीन छीनकर मुल्क को भूखों-नंगों का देश बनाने पर आमादा
हों तो देश के हर कस्बे-गांव की गली से इंसाफ की आवाज बुलंद करना वक्त की
जरुरत है। मुल्क में युवाओं को जेलों में सड़ाने और तमगों के खातिर फर्जी
मुठभेड़ों में मारने का सिलसिले को खत्म करने के लिए सूबे में जिस तरह से
रिहाई मंच को एक जनआंदोलन में आपने तब्दील किया आज जरुरत है कि जब
सरकारें अन्नदाता और देश के भविष्य युवाओं को आत्महत्या करने पर मजबूर कर
रही है तो इसके खिलाफ प्रतिरोध की सशक्त आवाज को हम बुलंद करें।
सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आजादी के
इतने लंबे समय बीतने के बाद भी सामाजिक न्याय का सवाल लोकतंत्र में ज्यों
का त्यों बना है। गैर बराबरी का आलम इस कदर है कि ऊंची डिग्री होने के
बावजूद मुसलमान होने के नाते रोजगार के अवसर और किराए के मकान से बाहर
किया जाता है तो कहीं दलित को प्रोफेसर होने के बावजूद बैठने के लिए
कुर्सी तक नहीं दी जाती है। ऐसे में यह बात साफ हो गई है कि अभी तक जिन
लोगों ने सामाजिक न्याय और सेक्युलिरिज्म के नाम पर राजनीति करके भले ही
सरकारें बनाई हों लेकिन उन लोगों ने सामाजिक न्याय के सवाल पर ठगी करने
का काम किया है। सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को 18 फीसद
आरक्षण देने के नाम पर बरगलाकर भले ही अपने बेटे की उत्तर प्रदेश में
सरकार बनवा ली हो लेकिन सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद भी आरक्षण के
वादे पर बेईमानी की है। ऐसे में हमारी इंसाफ मुहिम प्रदेश भर में मुलायम
की वादा फरामोशी के खिलाफ पूरे सूबे में जारी रहेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना रफीक सुल्तान ने कहा कि जिस तरह से
सांप्रदायिकता का माहौल बनाकर जनता के मूलभूत सवालों से भटकाया जा रहा है
ऐसे में जरुरत यह है कि हम सब इंसाफ के सवाल पर एक जुट होकर इंसाफ की इस
मुहिम में शामिल हों।
रिहाई मंच के वरिष्ठ नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि देश में आबादी के
अनुपात से अधिक मुसलमान जेलों में कैद है, ठीक इसी तरह दलितों और
आदिवासियों के भी हालात हैं। इससे जांच एजेंसियों की विवेचना और राज्य के
अभियोजन तंत्र का अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग विरोधी चेहरा खुद ब खुद उजागर
होता है। अपनी इन्हीं एजेंसियों और अभियोजन तंत्र के सहारे सत्ताधारी
दलों का न्याय पालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप का दायरा बढ़ता जा रहा है
जिसके नतीजे में अमित शाह जैसे लोगों को क्लीन चिट मिल जाती है तो माया
कोडनानी, बाबू बजरंगी, वंजारा और पांडेय जैसे लोग बड़ी आसानी से सलाखों
के बाहर आ जाते हैं। तो वहीं खालिद मुजाहिद की हिरासत में हत्या कर दी
जाती है और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो0 साईबाबा को अंडा सेल में बंद
कर दिया जाता है और उनकी विकलांगता भी ज़मानत के लिए आधार नहीं बन पाती।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हाशिमपुरा पर आए फैसले ने और तारिक कासमी
जिन्हें आरडी निमेष आयोग बेगुनाह कह चुका को आजीवन कारावास दिया गया है
साबित करता है कि सरकारों को इंसाफ से अधिक पुलिस के मनोबल की चिंता है।
हाशिमपुरा के फैसले के बाद रिहाई मचं ने इंसाफ मुहिम शुरु की जिसे पूरे
सूबे में चलाया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता शरद जायसवाल ने कहा कि जहां जोर-शोर से सांप्रदायिक
ताकतों को रोकने के नाम पर जनता परिवार की एका की बात चल रही है,
रिश्तेदारियां भी हो रहीं हैं वहीं यह बात काबिलेगौर है कि भागलपुर के
दंगों के आरोपियों को राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने तमगों से नवाजा था
तो यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर दंगों के गुनहगार भाजपा
विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा पर से रासुका हटाने का काम किया। वहीं
दूसरी तरफ अस्थान से लेकर फैजाबाद, कोसी कलां, मुजफ्फरनगर और पश्चिमी
यूपी में राशन कार्ड के नाम गरीब मुसलमानों के घरवापसी और लव जेहाद के
नाम पर मुस्लिम युवाओ ंपर हमले की घटना किसी दूसरे के राज में नहीं बल्कि
जनता परिवार के एकीकरण के सूत्रधार मुलायम के बेटे अखिलेश यादव के सरकार
में हुई। इससे यह बात साफ हो चली है कि भाजपा के साथ गठजोड़ की जमीन
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने मुहैया कराई है। ऐसे में इस
सांप्रदायिक गठजोड़ के बरखिलाफ रिहाई मंच की इंसाफ मुहिम मोहतोड़ जवाब
होगी।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि मथुरा की नरेन्द्र मोदी की रैली के
बाद से सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा का सिलसिलेवार क्रम बदस्तूर जारी है।
यह संयोग नहीं बल्कि पूर्व नियोजित केसरिया रणनीति के तहत केन्द्रीय
गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर सांप्रदायिक नेता विनय कटियार तक मंदिर
राप अलापने लगते हैं। दूसरी तरफ हरियाणा के अंदर अटाली में मस्जिद के नाम
पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाकर मुस्लिम परिवारों को बेघर किया जाता है तो
वहीं राजस्थान के नागौर में दलितों की बस्तियों को आग के हवाले कर दिया
जाता है। वहीं भाजपा के नेता घूम-घूमकर यूपी समेत देश के दीगर हिस्सों
में भड़काऊ सांप्रदायिक भाषा बोलकर समाज के अमन-चैन को खराब कर
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दे रहे है। ऐसे दौर में रिहाई
मंच की इंसाफ मुहिम इन सांप्रदायिक चेहरों करारा जवाब देगी।
वरिष्ठ रंगकर्मी आदियोग ने कहा कि जब गुजरात में किसान आत्महत्या कर रहे
थे तो उस समय वाइबे्रंट गुजरात के नाम पर आदिवासियों को जमीन से बेदखल
किया जा रहा था ठीक उसी तर्ज पर जब सूबे में पिछले मार्च-अप्रैल में 500
से अधिक किसान आत्महत्या व हार्ट अटैक से मर चुके हैं तब ड्रीम प्रोजेक्ट
के नाम पर अखिलेश यादव फिल्म सिटी-स्मार्ट सिटी बनाने में मशगूल हैं।
उन्होंने कहा कि रिहाई मंच की इस इंसाफ मुहिम में देशभर के रंग कर्मी
अपने सांस्कृतिक अभियान के साथ शामिल रहेंगे।
रिहाई मंच कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश
सरकार भ्रष्टाचार के आकंठ में इस कदर डूबी है कि जिसके कई बड़े नेता खनन
की लूट-खसोट में लिप्त हैं आलम यह है कि सरकार की खनन लूट पर साथ न देने
वाले ईमानदार अफसरों को प्रताडि़त किया जा रहा है। जिसका सबसे ताजा
उदाहरण झांसी में तैनात रहे तहसीलदार गुलाब सिंह का प्रकरण है। उन्होंने
कहा कि पूरे सूबे में सपा सरकार के काबिज होने बाद से ही लोक सेवा आयोग
से लेकर अधीनस्थ सेवा आयोग, सहकारी संस्थागत सेवा मंडल माध्यमिक शिक्षा
चयन बोर्ड समेत अन्य भर्ती आयोगों में भ्रष्टाचार और वसूली इस कदर
व्याप्त हो चली है कि प्रदेश भर में लिखने पढ़ने वाले नौजवानों ने रोजगार
की आस को बंद कर दिया है। सूबे के मुख्यमंत्री के चाचा शिवपाल सिंह यादव
एक-एक भर्ती की बिक्री कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश भर के नौजवानों को
सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आई सपा सरकार के खिलाफ जनाक्रोश है, रिहाई मंच
की इंसाफ मुहिम में इन नौजवानों का सवाल केन्द्रीय विषय होगा।
सम्मेलन को जुल्फेकार अहमद, लियाकत नाना, आमिर सिद्दीकी, हाशिम अबदुल्ला
आदि ने भी संबोधित किया।
सम्मेलन की अध्यक्षता कमालुद्दीन अहमद ने की। सम्मेलन में विषय प्रवर्तन
तैय्यब बारी खान ने की, संचालन मुहम्मद आरिफ ने व धन्यवाद सोहराब अंसारी
ने किया। लियाकत नाना, सोहराब अंसारी, अबरार उल हक, डा0 लईक अहमद, फहीम
खान, हासनी अब्दुल्ला, अबुल कैश, शहबाज, अफसर हुसैन, फहीम अंसारी, आदि
सम्मेलन में शामिल हुए।
द्वारा जारी-
मुहम्मद आरिफ, तैय्यब बारी खान
9807743675
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