ब्रिटिश पुरातत्व वेत्ताओं के प्रयास से, ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में असीरिया पर राज्य कर रहे असुर बनीपाल (जो भारतीय परंपरा में बाणासुर के नाम से प्रख्यात है) के पुस्तकालय में ईंट की पट्टिकाओं पर कीलों से कुरेद कर लिखे गये अनेक ग्रन्थ प्रकाश में आये थे. उनमें से अनेक पट्टिकाएँ ब्रि्टिश संग्रहा्लय में प्रदर्शित हैं. उन में से एक ग्रन्थ 'गिल्गिमेश'में सुदूर अतीत में हुए उस जल प्रलय की कथा अंकित है जिसकी यादें वैवश्वत मनु और श्रद्धा की कथा. हजरत नूह, बाइबिल के नोवा आदि की कथाओं में भी मिलती है. यह एक भयानक सुनामी थी, जिसने पश्चिम एशिया के बड़े भूभाग को, जो कभी सघन जंगलों और वन्य जन्तुओं से परिपूर्ण था, एक विशाल पठारी मरुभूमि में बदल दिया
उसकी एक पट्टिका जिसे ' The Flood tablet' नाम दिया गया है, यहाँ प्रस्तुत की जा रही है.
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ईंट की पट्टिकाओं पर कीलों से कुरेद कर लिखे गये अनेक ग्रन्थ, उन में से एक ग्रन्थ ’गिल्गिमेश’ में सुदूर अतीत में हुए उस जल प्रलय की कथा अंकित है
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