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दिल्ली समर्थक समूह, एन0ए0पी0एम व अखिल भारतीय वनश्रम जीवी यूनियन की टीम द्वारा कनहर आंदोलनकारी साथी गंभीर प्रसाद से मिर्जापुर जेल में मुलाकात , कन्हर संघर्ष के दलित एवं आदिवासी नेतृत्वकारी आंदोलनकारियों गंभीरा प्रसाद, राजकुमारी और पंकज गौतम को रिहा करो

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दिल्ली समर्थक समूह, एन0ए0पी0एम व अखिल भारतीय वनश्रम जीवी यूनियन की टीम द्वारा कनहर आंदोलनकारी साथी गंभीर प्रसाद से मिर्जापुर जेल
कन्हर संघर्ष के दलित एवं आदिवासी नेतृत्वकारी आंदोलनकारियों गंभीरा प्रसाद, राजकुमारी और पंकज गौतम को रिहा करो

मिर्जापुर 29 मई 2015 

दिल्ली समर्थक समूह के संजीव ढ़ांढा, एन0ए0पी0एम के विमल भाई व यूनियन के रजनीश गंभीर, मुजाहिद नफीस एवं मातादयाल द्वारा कनहर नेता व आंदोलनकारी श्री गंभीर प्रसाद से मिर्जापुर जेल में जाकर मुलाकात कर यह जांच की कि कहंी उनके साथ जेल में उत्पीड़न तो नहीं हो रहा है। ज्ञात हो कुछ ही दिन पहले संगठनों को यह खबर मिली थी कि कनहर के आंदोलनकारीयों साथीयों के साथ जेल में भेदभाव किया जा रहा है व पुलिस द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है। इसी संदर्भ में सभी संगठनों का एक जांच दल 29 मई 2015 को मिर्जापुर जेल उ0प्र0 में सभी आंदोलनकारी साथीयों से मिलने गया। जेल अधीक्षक एवं साथी गंभीर प्रसाद से बातचीत से यह पता चला कि जेल में सभी आंदोलनकारी सुरक्षित है व उनके साथ उत्पीड़न नहीं हो रहा है। बल्कि साथीयों ने बताया कि जेल में अन्य व्यवस्थाए जैसे खाने एवं रहने के लिए काफी असुविधा है। क्षमता से ज्यादा कैदीयों को बैरकों में ठूस रखा है। महिला बैरकों की हालत काफी खराब है जहां पर क्षमता से अधिक कैदी हैं। जेल अधीक्षक द्वारा संगठनों के प्रतिनिधियों से कनहर के बारे में पूरी जानकारी ली गई व इस बात का आश्वासन दिया कि कनहर के आंदोलनकारीयों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। गंभीरा प्रसाद को संगठन के प्रतिनिधियों ने कनहर आंदोलन से सम्बन्धित अखबारों की कतरनें, लेख व मुख्य मंत्री एवं मानवाधिकार संगठन को सम्बोधित पत्रों का एक दस्तावेज़ सौंपा ताकि उनको पता लग सके कि आंदोलन के स्तर पर क्या हो रहा है। गंभीर प्रसाद ने आंदोलन के तमाम साथीयों को यह संदेश भेजा है कि वह आंदेालन को नहीं छोड़ेगें व जेल से अपने आंदोलन को ज़ारी रखेगें। कनहर के अवैध बांध पर एन0जी0टी के आर्डर के तहत रोक की सरकार द्वारा अवमानना एवं अवैध भूअधिग्रहण को वे कतई बर्दाश नहंी करेगें। इसके लिए कनहर नदी घाटी के तमाम गांव एक वृहद आंदोलन छेड़ेगें। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही जमानत मिल जाएगी व बाहर आ कर वे फिर से आंदोलन को नए पैमाने पर खड़ा करेगें। संगठनाों के प्रतिनिधियों ने उन्हें सूचित किया कि आने वाली 12 जून 2015 को लखनउ में कनहर में दमन, अवैध भूअधिग्रहण के लिए तमाम संगठन एक विशाल धरना प्रर्दशन कर रहे हैं व इस मुददे को उ0प्र0 एवं देश के कोने कोने तक फैलाने को काम किया जाएगा व सरकार का पर्दाफाश किया जाएगा। 


कनहर आंदोलन में आंदोलनकारीयों की गिरफतारी के विषय में -

जैसा कि आप जानते हैं कि उ0प्र0 के जि़ला सोनभद्र में कन्हर घाटी के लोग वहां किये जारहे गैर कानूनी भू-अधिग्रहण और बड़े बाॅध के निर्माण के विरोध में चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को पुलिस द्वारा पूरी बेरहमी के साथ कुचलने के लिये 14 अप्रैल 2015 और फिर 18 अप्रैल को सैकड़ों राउंड गोलीबारी की गई और आंदोलन के कई नेतृत्वकारी साथियों गंभीरा प्रसाद, राजकुमारी, पंकज भारती, लक्ष्मण भुईयां, अशरफी यादव को गैर संवैधानिक तरीके से गिरफतार करके मिर्जापुर जेल में डाल दिया  गया है। इसमें जिला प्रशासन दलित और आदिवासी नेतृत्वकारियों के साथ पूरी तरह से बदला लेने की दुर्भावना से शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाये हुए है और खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे उन्हें कन्हर बाॅध का विरोध करने और जिला प्रशासन को ज़मीन पर कब्जा ना करने देने के जुर्म में उनकी बाकी जि़न्दगी को वे जेल में पूरी तरहा से सड़ा कर रख देंगे। स्थानीय कोर्ट द्वारा उनकी जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी गयी हो और ना ही वे किसी को भी यहां तक की परिवार के सदस्यों तक को उनसे मिलने की इजाज़त तक दे रहे हैं।
गम्भीरा प्रसाद जिन्हें कि इलाहाबाद से अवैध तरीके से गिरफतार किया गया था और वे 21 अप्रैल 2015 से जेल में हैं।
  • गम्भीरा प्रसाद जिन्हें कि इलाहाबाद से अवैध तरीके से गिरफतार किया गया था और वे 21 अप्रैल 2015 से जेल में हैं।गम्भीरा प्रसाद बांध से होने वाले विस्थापितों के समर्थन में लड़ रहे थे। वे इस लड़ाई को जमीन के साथ कोर्ट के माध्यम से भी लड़ रहे हैं। इसी सिलसिले में वे 20 अप्रैल को इलाहाबाद आये हुए थे जहां गैर कानूनी तरीके से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गम्भीरा प्रसाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट रवि किरन जैन के पास इसी सिलसिले में आये हुए थे। इससे सम्बन्धित कुछ जरूरी कागजात की फोटोकाॅपी कराने के लिए वे बाहर निकलकर पास की फोटो काॅपी की दुकान में गये थे, तभी वहां स्कार्पियों से  में 8 लोग आये और उन्हें उठा कर ले जाने लगे। आस-पास के लोगों ने देखा तो इन लोगों को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन पांच लोग गम्भीरा प्रसाद को ले जाने में सफल हुये, शेष तीन को लोगों ने पकड़ लिया पास के कैण्ट थाने ले गये। इतनी देर में फोटोकाॅपी की दुकान वाले ने रवि किरन जैन को खबर कर दी। वे हाईकोर्ट के अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह, के.के. राॅय और अंशु मालवीय के साथ कैण्ट थाने पहुंचे, जहां पुुलिस ने जनता द्वारा पकड़े गये लोगों को सोनभद्र पुलिस का आदमी बताया लेकिन उनका आईकार्ड मांगने पर नहीं दिखाया। साथ ही उन्होंने गम्भीरा प्रसाद के बारे में भी सूचना देने से इन्कार कर दिया। इन लोगों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समेत कई जगहों पर फैक्स भिजवाया तब 12 बजे रात के बाद गम्भीरा प्रसाद को कैण्ट थाने में प्रस्तुत कर सोनभद्र भेज दिया। गम्भीरा प्रसाद को भी पुलिस वालों ने गिरफ्तार नहीं किया बल्कि उनका अपहरण किया है, इसकी जितनी निंदा की जाय कम है। राज्य में जिस तरह से आन्दोलनकारियों पर दमन बढ़ रहा है वह चिन्ता का विषय है। 
अशर्फी यादव और लक्ष्मण भुईयां को 14 अप्रैल 2015 को वाराणसी से तब उठाया गया जब वे अकलू चेरो को अस्पताल में भरती कराने जा रहे थे, जिन्हें कि पुलिस द्वारा छाती पर गोली मार कर बुरी तरह से घायल कर दिया गया था। दरअसल इनका वाराणसी के सर सुन्दर लाल अस्पताल से तब अपहरण किया गया जहां 14 अप्रैल की शाम को वहां भरती किया गया। यहां तक कि अकलू को भी इसके बारे में कोई खबर नहीं हुई कि वे कहां हैं। इसके बाद जब गाॅव के लोगों ने और उनके परिवार के लोगों ने खोज शुरू की तो, जिलाधिकारी सोनभद्र द्वारा दो दिन बाद एन.ए.पी.एम. की संयोजक अरुंधति धुरू को सूचना दी कि वे दोनों जेल में बंद हैं। पुलिस इन सभी पर एक खतरनाक अपराधी साबित करने के लिए केस पर केस लादे जा रही है।
हमारी नेतृत्वकारी साथी राजकुमारी को भी गैरकानूनी तरीके से 20 अप्रैल को गिरफतार किया गया। वे वनविभाग द्वारा वनाश्रित समुदायों के किये जारहे उत्पीड़न के खिलाफ लगातार लड़ रही थीं और वनाधिकार कानून को कैमूर क्षेत्र में सही तरीके से लागू कराने के आन्दोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निबाह रही थीं। वनविभाग के कहने पर उन पर पूर्व में वनविभाग द्वारा लादे गये मुक़दमों को शामिल कर लिया गया और उनकी जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी गयी। हालांकि वनाधिकार कानून की रोशनी में वनविभाग द्वारा लादे गये इस तरह के सभी मुक़दमों को सबूत के तौर पर भी माना गया है कि वे उस जगह के मूल निवासी हैं और वे वनाधिकार कानून की प्रस्तावना में दिये गये ''ऐतिहासिक अन्यायों''के तहत वापिस लिये जाने हैं और उनका दावा करने का अधिकार बनता है। लेकिन यहां की पुलिस और प्रशासन ऐसे सभी तरह के कानूनों का उलंघन करते हुए संसद की अवमानना करते हुए ऐसे सभी पुराने मामलों को निकाल रहे हैं और आदिवासियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। जेल में राजकुमारी की शारीरिक हालत बहुत खराब होते हुए भी जेल में उनसे ज़बरदस्ती कड़ा काम करवाया जा रहा है।
पंकज गौतम जो कि 20 वर्ष का एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता है, जिसने शांतिपूर्ण तरीके से इस बड़े बाॅध के निर्माण के विरोध में चल रहे आंदोलन का नेतृत्व किया, उसे भी जिलाधिकारी द्वारा आंदोलन में हिस्सा बनने के कारण सस्पेंड कर दिया और उसके ऊपर झूठे मुक़दमे लादकर जेल में बन्द कर दिया। जेल में उससे भी किसी को मिलने की अनुमति नहीं है।
आपसे आह्वान है कि दलितों और आदिवासियों पर हो रहे इन अत्याचारों के खिलाफ और इससे सम्बंधित मंत्रियों और मानवाधिकार आयोग को लिखें। 


-- 
Ms. Roma ( Adv)
Dy. Gen Sec, All India Union of Forest Working People(AIUFWP) /
Secretary, New Trade Union Initiative (NTUI)
Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj, 
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 
Email : romasnb@gmail.com
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