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हुजूर नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था, आज भी सेक्युलर स्टेट है

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हुजूर नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था, आज भी सेक्युलर स्टेट है


भारत में नेपाल भूकंप विमर्ष : कृपया फतवे न जारी करें!

#नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था क्यूंकि जिस आबादी पर हिन्दू राजशाही शासन कर रही थी, उसका बहुसंख्यक हिस्सा बौद्ध, आदिवासी-जनजाति, दलित, मुस्लिम, क्रिश्चियन है। 

  नेपाल में भूकंप परिघटना से उपजी दुख दर्द पर भारत से निकलने वाले संचार माध्यमों में काफी कुछ लिखा और दिखाया गया। भारतीय संचार माध्यमों के भारतीय वर्चस्व के एक चौथे खम्भे (पूंजीवादी लोकतंत्र में वह पहले से ही स्थापित है) के रूप में मोदी सरकार के राजनैतिक हिंदुत्ववादी भोपूं के रूप में प्रचारित होना कोई बड़ी परिघटना नहीं है, जैसा कि भारत के अंग्रेजी/ हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में लिखा और विश्लेषित किया जा रहा है। अपने मूल रूप में भारतीय मीडिया का यह चिंतन भारतीय राजसत्ता के चरित्र और जड़ जमाये बैठी हिन्दू ब्राह्मणवादी ज्ञान परंपरा से नाभि नाल से जुड़ा है। सारगर्भित अर्थ में कहें तो यह भारत में नेपाल के बारे में स्थापित कॉमनसेंस का ही एक छोटा सा प्रतिबिम्ब मात्र है। इस किस्म के प्रतिबिम्ब सब जगह पाए जाते हैं। दक्षिणपंथियों से लेकर विभिन्न रंगों के उदारवादियों चिंतकों व अपने को प्रगतिशील घोषित करने वाले वामपंथी दलों में (संसदीय क्रांतिकारियों से लेकर अतिवादी वामपंथी क्रांतिकारियो तक सभी में)। इसका एक दिलचस्प नजारा सोशल मीडिया में नेपाल से उपजे दुख दर्द पर की गयी टिप्पणी में भी देखा गया।

25 अप्रैल को हुई भूकंप के बाद जाहिर तौर पर पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल था। यहाँ तक कि राजधानी काठमांडू से देश के अन्य भागों का संचार संबंध पहले के एक हफ्ते तक कटा रहा था क्यूंकि बिजली और टेलीफोन लाइन बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। चूँकि पहाड़ में भूकंप का व्यापक प्रभाव होने के कारण काठमांडू से दूसरे जिले को जोड़ने वाली सड़कें क्षतिग्रस्त थीं इसीलिए शुरू के एक हफ्ते तक संसार भर से आये हुए राहत और बचाव दल राजधानी काठमांडू के अलावा सबसे क्षतिग्रस्त इलाकों में (जैसे सिन्धुपालचौक में सबसे जाया मानवीय क्षति हुई है) नहीं जा पा रहे थे।

इसी सन्दर्भ में फेसबुक ने भूकंप से प्रभावित लोगों को उनके परिवारों व शुभचिंतक-मित्रों की खोज खबर जानने के उद्देश्य से एक विशेष पहल करते हुए एक पेज का निर्माण किया था। फेसबुक के इस कदम को हिंदी की एक प्रगतिशील लेखक ने पूंजीवादी बकवास करार दिया। इस पर मेरे द्वारा की गयी टिप्पणी पर टिप्पणी करते हुए उसे 'पैनिक'होना करार दिया।

बहरहाल फेसबुक द्वारा उठाया गया यह एक अच्छा कदम था, जिसने संसार के लगभग हर देश में फैले नेपाली नागरिकों को अपने देश में रह रहे परिवार की सुरक्षा के बारे जानकारी मिली। पूंजीवाद भी क्या नई-नई तकनीक इजाद करता है। फेसबुक में इस भूकंप पेज पर जाकर बस एक क्लिक और आप के नेटवर्क से जुड़े हजारों लोगों को आपके परिवार जनों व इष्टमित्रों को आपसे चैट या बात किये बिना पता चला, कि आप सुरक्षित हैं। फेसबुक के इस कदम से नेपाल के दूर दराज के गांवों में रह रहे परिवारों के बारे में उनके खाड़ी देशों से लेकर अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका महाद्वीप में जीविका कमाने गए उनके परिवारजन कम से कम इतनी जानकारी तो ले सकें, कि वे जिन्दा और सुरक्षित हैं। यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपने सार्वजनिक टेलिफोन उपक्रम बीएसएनएल से नेपाल फ़ोन करने के लिए 3 दिन तक आईएसडी के बजाय एसटीडी काल दर पर विशेष सुविधा प्रदान की थी। पहले एक हफ्ते के दौरान मानवीय स्तर पर इस दौरान नेपाल फोन करने वाले के लिए भारतीय/नेपाली निजी मोबाईल कम्पनियों यथा आईडिया, एयरटेल, नेपाल टेलिकॉम, एयरसेल आदि ने कम दर पर सेवा उपलब्ध करायी और संसार के विभिन्न देशों के सरकारों ने कहीं-कहीं बिलकुल फ़ोन सेवा निःशुल्क कर दी। बावजूद इसके बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त होने की वजह से संचार माध्यम कभी कभार ही ठीक से काम कर पा रहे थे। लेकिन इन कदमों ने लाखों नेपाली लोगों को अपने परिवार के हाल चाल लेने में मदद हुई। लेकिन फेसबुक के विशेष कदम ने, लाखों नेपाली परिवारों को कम से कम दिलासा तो दी।

मेरे लेखक मित्र शायद समझ नहीं सके और उनके अनुसार, इस तरह के विशेष पेज से नेपाली लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचेगा। बकौल उनके अनुसार, जिन लोगों को अपने परिवारों-मित्रों के बारे में जानकारी लेनी होगी, उसके लिए वे फ़ोन कर लेंगे और अपने परिवार के बारे में जानकारी ले लेंगे। लेकिन वे यह नहीं समझ सके कि बिजली और टेलिकॉम लाइने बुरी तरह प्रभावित होने के वजह से क्या सामान्य रूप में फोन करना संभव था! कम से कम वैकल्पिक उर्जा संसाधन जैसे जेनरेटर ने बहुत हद तक अधिक से अधिकतम समय तक टेलिकॉम लाइने चालू रख संसार भर में फैले लाखों नेपाली नागरिकों को अपने परिवारजनो-इष्टमित्रों को एक इतनी तसल्ली देने में तो मदद की। मृत्यु के आगोश में लीन एक पहाड़ के बाशिंदों के लिए दुख के ऐसे क्षणों में एक पल की वह फेसबुक क्लिक बहुत सुनहरा काम करती है। संवेदनशीलता तो इसी का नाम है न! कि इसे 'पैनिक'होना कहते हैं? जहाँ हजारों गाँव के गाँव जमींदोज़ हो गए हों, उन इलाकों में जहाँ आपके पांव पड़े हों। उन बिकट दुर्गम इलाकों में वर्षों आपने अपने शुभचिन्तक मित्रों के साथ चहलकदमियाँ की लीं हों, क्या उस अनुभव से उपजी दुश्चिंता पैनिक होना कही जायेगी? कम से लेखकों/ कवियों से इतनी न्यूनतम उम्मीद की जाती है कि वे इस किस्म की संवेदनशीलता का परिचय नहीं दें?

हमारे लेखकों और मित्रों में नेपाल के बारे निश्चित रूप से इस किस्म की 'संवेदनशीलता' (उन लेखक मित्र ने नेपाल के बारे 'पैनिक'होना सही ठहरता है। लेकिन नहीं यह उनका दोष नहीं है। इसका कारण व्यक्तिगत न होकर बल्कि नेपाल के बारे में पहले से स्थापित भारतीय राज द्वारा स्थापित की गयी नेपाल (और भूटान भी वहां शामिल है) कॉमनसेंस की उपज है। भारत में जहाँ इस समाज व राष्ट्र के बारे में केवल सतही और अधकचरी समझदारियां मजबूत रूप में मौजूद हैं। भारत के विश्वविद्यालयों (नेपाल के बारे विशेष शोध संस्थानों यथा साउथ एशियन अध्ययन केंद्र, जेएनयू, जयपुर और बनारस के अलावा और कहीं पढाई ही नहीं होती) में नेपाल चिंतन भारतीय राजसत्ता के वर्चस्व को बनाये रखने व नेपाल में माओवादी/कम्युनिस्ट चीन के सामरिक आधार को न पनपने देने के सन्दर्भ में होती है। भारत में नेपाल चिंतन भारतीय राज्यसत्ता के सुरक्षा/सामरिक आधार के अलावा किसी और चीज़ का तलबगार नहीं है। इस देश के समाज, संस्कृति, साहित्य, कला, अर्थ, राजनीति और सत्ता संबंधों पर इसीलिए हमारे बुद्धिजीवी सतही समझ रखते हैं। यहाँ तक कि जनपक्षधर कहलाने वाले वामपंथी 'एक्सपर्ट'भी इसी चिंतन के शिकार हैं। इसकी एक झलक हिंदी के सबसे बौद्धिक अखबार के भूकंप पर आये विश्लेषण से पता चलता है, जिसमें पत्रकार पुष्प रंजन आज के नेपाल को हिन्दू राज्य न होने का इशारा करते हैं। इस किस्म की अधकचरी समझ के अनुसार, चूँकि 2006 के परिवर्तन व हिन्दू राजतंत्र 2008 में समाप्त होने के बाद से अब नेपाल सेक्युलर स्टेट हैं। जबकि उनको यह पता नहीं है कि नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था क्यूंकि जिस आबादी पर हिन्दू राजशाही शासन कर रही थी, उसका बहुसंख्यक हिस्सा बौद्ध, आदिवासी-जनजाति, दलित, मुस्लिम, क्रिश्चियन है। समकालीन नेपाल समाज के मनोविज्ञान में मनुवादी ब्राह्मणवादी कानून मुलुकी ऐन जिसके अनुसार ब्राहमण, क्षत्रिय के अलावा देश में कोई हिन्दू नहीं कहा जाता और न समझा जाता है। भारतीय वर्चस्व का यह बहुप्रचारित रूप कोई नई बात नहीं है, जैसा कि नेपाल मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार हमें बता रहे हैं। यहाँ तक कि यह प्रतिबिम्ब भारतीय ज्ञान परंपरा के मठों और नेपाल मामलों के 'एक्सपर्ट' मठाधीशों में बहुरंगी सिक्यूरिटी अध्ययन बनाम प्रगतिशील का ठप्पे वाले सभी में।

एक देश जिसकी आधी से ज्यादा आबादी का एक तिहाई हिस्सा भारत में मजदूरी करने आता है।भारतीय शहरों के वेश्यालय/ कोठों में हरेक साल हजारों नेपाली किशोरियां आयातित होती हैं। वैदेशिक रोजगार में दलाल को लाखों रुपये देकर नेपाल की दो तिहाई जनता 50 डिग्री के आस पास तापमान में खाड़ी देशों में कंस्ट्रक्शन के काम में लगी है, या ऊंट चराने जाती हो। मलयेशिया, कोरिया, थाईलैंड जैसे देशों में रहती है। जहाँ हजारों लोग अक्सर दलाल की ठगी का शिकार हो जाते हैं। इस इलाकों में जाने वाली नेपाली महिलायों के साथ यौन दुर्व्यवहार की घटनाएं एक सामान्य बात हैं।

असल सवाल यह है, कि नेपाल को समझते समय हमें उसके विकट पहाड़ी-हिमाली, तराई-मधेश वाले बहुरंगी भूगोल को भी तो समझने की जरूरत है। नेपाल में भूकंप से पहले भी तो काठमांडू की सुगम्य रोड कनेक्टिविटी के अलावा भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों गोरखा, सिन्धुपालचौक, रसुवा, नुवाकोट अदि के जिला मुख्यालयों से ग्रामीण इलाकों में सड़क परिवहन व्यवस्था बहुत ख़राब रही है। इन इलाकों के ढेर सारे गाँव ऐसे हैं जहाँ भूकंप के पहले भी लोग सड़क या पुल न होने के कारण घंटों या एकाध दिनों पैदल चल अपना गंतव्य पूरा करते थे। नेपाल के बारे में सोचते वक़्त यदि हम उत्तराखंड को अपने जहन में लायेंगे, तो बात अधकचरी या सतही ही रहेगी। ब्रिटिश राज से होते हुए भारतीय राज तक (स्वंतंत्र भारत से लेकर मोदी राज तक) नेपाल विश्व का सबसे पिछड़ा मुल्क क्यूँ बना रहने को अभिशप्त है? नेपाल की ब्राह्मणवादी राजशाही द्वारा अपनी ही उत्पीड़ित जनता (बौद्ध आदिवासी-जनजाति, दलित और दूर दराज की क्षेत्रगत विषमता से जूझ रहे सभी समुदाय जिसमें सुदूर पश्चिम व मधेश-तराई के इलाके के प्रमुख हैं) के आन्तरिक उपनिवेश बना कर शोषण का ही तो इतिहास रहा है। असल बात भारत नेपाल के बारे में प्रचलित कॉमन सेंस के विपरीत जाकर इस इतिहासबोध से अपने को लैस करने की है।

पवन पटेल

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About The Author

लेखक पवन पटेल, नेपाली समाज पर काम कर रहे भारतीय राजनैतिक समाजशास्त्री हैं; जेएनयू, नईदिल्ली से समाजशास्त्र में पीएचडी हैं. वे गणतंत्र नेपाल के समर्थन में बने इंडो-नेपाल पीपुल्स सॉलिडेरिटी फोरम के पूर्व महासचिव भी रहे हैं. वे आजकल नेपाली माओवाद के प्रमुख केंद्र रहे 'थबांग गाँव के सामाजिक-राजनैतिक इतिहास'पर आधारित एक किताब पर काम कर रहे हैं,

Tag Archives: With Nepal

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हुजूर नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था, आज भी सेक्युलर स्टेट है

2015/05/12 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल - पूरा कस्बा हो गया जमींदोज़

भारत में नेपाल भूकंप विमर्ष : कृपया फतवे न जारी करें! #नेपाल हिन्दू राज्य कभी नहीं था क्यूंकि जिस आबादी पर हिन्दू राजशाही शासन कर रही थी, उसका बहुसंख्यक हिस्सा बौद्ध, आदिवासी-जनजाति, दलित, मुस्लिम, क्रिश्चियन है।    नेपाल में भूकंप परिघटना से उपजी दुख दर्द पर भारत से निकलने वाले संचार माध्यमों में काफी कुछ लिखा और दिखाया गया। भारतीय संचार ... Read More »

Embarrassment in Nepal

2015/05/10 OPINION 0 Comments

Hastakshep With Nepal

India is aspiring to be a 'world power' but unable to maintain good relations with any of its neighbours and the reason for that is our 'big brotherly' attitude. The self- respecting people of Nepal need to be congratulated for compelling the jingoist brahmanical Indian media to ponder over its follies and idiocies in reporting the painful stories of earthquake ... Read More »

नेपाल में भारतीय वर्चस्व, युवराज घिमिरे को धमकी और नेपाली राष्ट्र की पीड़ा

2015/05/10 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

भारतीय समाजशास्त्री की नज़र में भारतीय वर्चस्व, युवराज घिमिरे को धमकी और नेपाली राष्ट्र की पीड़ा यदि भारतीय वर्चस्व के खिलाफ जनमानस में गुस्सा इतना मजबूत रूप से स्थापित नहीं होता, तो काठमांडू की सड़कों में लेखक कृष्ण अविरल के दरबार हत्याकांड पर लिखा गया बहुचर्चित उपन्यास 'रक्तकुण्ड'के लाखों संस्करण नहीं बिकते. यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश/ यह ... Read More »

Nepal Earthquake, Rescue versus Relief and Rehabilitation?

2015/05/10 OPINION 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

Nepal Earthquake, April 2015, Rescue versus Relief and Rehabilitation? In recent years there is a new trend noticeable with international disaster-related work. This is that within a few days of rescue work, the agencies involved say that there is now no hope of finding survivors and that attention must now shift to rehabilitation work. Thus they quickly create an "either-or" between ... Read More »

भारतीय दूतावास के अधिकारी पर वरिष्ठ नेपाली पत्रकार युवराज घिमिरे को धमकाने का आरोप

2015/05/09 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नेपाल की संप्रभुता में  भारतीय हस्तक्षेप का चरम नमूना है युवराज घिमिरे को धमकी- नरेश ज्ञवाली काठमाण्डू स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी पर नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार युवराज घिमिरे को धमकाने के आरोप के बाद एक बार फिर नेपाल में भारत विरोधी स्वर तेज हो गए हैं। युवराज घिमिरे नेपाल के प्रमुख अखबार अन्नपूर्णा पोस्ट के संपादक हैं। अन्नपूर्णा पोस्ट ... Read More »

Don't appreciate any kind of dictatorship. Rather want democracy flourish no matter how messy it has been

2015/05/09 OPINION 0 Comments

Hastakshep With Nepal

Dear Bihari sir: It is quite unfortunate a person of your intellectual stature is calling on the president of the Federal Democratic Republic of Nepal to be a dictator. I don't appreciate any kind of dictatorship. I rather want democracy flourish no matter how messy it has been. At least we have rights to shout at the politicians to say ... Read More »

Nepal- Failure of democracy that keeps the country one of the poorest and least developed in the world

2015/05/08 OPINION 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

It was a nice opportunity for me to give vent to my anger as well as to tell whoever in the government cared to listen that the disaster after all is also an opportunity for Nepal to earn some dignity too around the world by accomplishing accelerated reconstruction and rehabilitation of the earthquake victims. Basically, in the 25 minute interview programme in the Sagarmatha TV ... Read More »

नेपाल को महाशक्तियों की जंग का अखाड़े में तब्दील कर रहा है भारत ?

2015/05/07 नेपाल भूकंप 0 Comments

Modi-5

नेपाल को महाशक्तियों की जंग का अखाड़े में तब्दील कर रहा है भारत ? क्या भारत अपनी विस्तारवादी नीति के चलते नेपाल में राहत व बचाव कार्य के बहाने एक नया कश्मीर तैयार कर रहा है ? भले ही ऐसा न हो, पर नेपाल के राजनीतिक हलकों में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि भारत अनावश्यक रूप से नेपाल ... Read More »

भारत की मनमानी के खिलाफ नेपाल के तीन बड़े दलों की अपील

2015/05/07 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

भारत की मनमानी के खिलाफ नेपाल के तीन बड़े दलों की अपील नेपाल भूकंप के बाद भारत की कथित राहत व बचाव कार्य नेपाल के लिए बवाल-ए-जान बन गई है। भारत की कथित विस्तारवादी नीति के खौफ और भारतीय सेना के मनमानी रवैये के कारण नेपाल को अन्य देशों से भी अपने राहत बचाव दल को वापिस बुलाने का अनुरोध ... Read More »

नेपाल में मोदी के पुतले फूँके गए

2015/05/06 नेपाल भूकंप 0 Comments

Modi

नई दिल्ली। भारतीय मीडिया कितना ही मोदियापा कर ले लेकिन नेपाल के दूरदराज क्षेत्रों से अब असली खबरें आना शुरू हो गई हैं। नेपाल में #GoHomeIndianMediaकैंपेन चलने के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूँके जाने का क्रम प्रारंभ हो गया है। नेपाली मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल में पूर्व-पश्चिम महेंद्र राजमार्ग भारतीय सहायता से ... Read More »

भारतीय सेना पर नेपाल सरकार के आदेशों का खुला उल्लंघन करने के आरोप

2015/05/06 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नई दिल्ली। नेपाल की संप्रभुता में भारत का दखल कम होने का नाम नहीं हो रहा है। भारतीय सेना नेपाल सरकार के आदेशों का खुला उल्लंघन करते हुए नेपाल में अपने पैर जमाए हुए हैं, जिसकी वहां तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। नेपाल के विदेश मंत्री महेन्द्र बहादुर पाण्डे ने सोमवार को काठमांडू में विदेश मंत्रालय में अपने कूटनीतिक अधिकारियों ... Read More »

नेपाल में भारतीय सेना की उपस्थिति का राजनैतिक समाजशास्त्र

2015/05/06 दुनिया 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

एक विशेष देशकाल में आस्तित्व में आये राष्ट्र-समाज के बिबिध आयामों की जांच पड़ताल करते समय वर्चस्व की एक मुकम्मल समझ बहुत जरुरी है. व्यक्ति एक राष्ट्र में बसे समाज की सबसे बुनियादी इकाई होता है. बौद्धिक मठों में बैठे मठाधीशों की उलझाऊ जुगलबंदी से परे जाकर हिंदी जनकवि शमसेर के शब्दों में कहें तो "बात बोलेगी, हम नहीं/ भेद ... Read More »

भारतीय बजरंगी ब्रिगेड को खदेड़ने के बाद नेपाल ने राहत कार्य अपने हाथ में लिये

2015/05/06 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल - पूरा कस्बा हो गया जमींदोज़

भारतीय बजरंगी ब्रिगेड को खदेड़ने के बाद नेपाल ने राहत कार्य अपने हाथ में लिये,  मृतक संख्या 7611 हुई नेपाल ने विनाशकारी भूकंप की त्रासदी झेलने वाले लोगों के पुनर्वास के व्यापक अभियान को विदेशी बचाव दलों से अपने हाथ में लेते हुए इस सिलसिले में आज हजारों पुलिसकर्मी तथा सेना के जवानों को तैनात किया।  भूकंप से मृतक संख्या ... Read More »

भूकंप नेपालियों के लिए मौत का नाम होगा, भारतीय मीडिया के लिए तो यह पैसों की बरसात है #‎GoHomeIndianMedia

2015/05/05 आजकल 0 Comments

Sandhya

भूकंप नेपालियों के लिए मौत का नाम होगा, भारतीय मीडिया के लिए तो यह पैसों की बरसात है #‎GoHomeIndianMedia जब आप किसी की मदद करें तो उसे इतना गायें बजाएं नहीं, न ही उसे आत्मप्रचार और आत्मप्रशंसा का माध्यम बनाएं. मदद करना अच्छी बात है, पर मदद करते हुए पडोसी को हीनता का एहसास कराना, हम न होते तो तुम ... Read More »

माफी मांगाे अाैर वापस ले जाअाे भारतीय सेना !

2015/05/05 नेपाल भूकंप 0 Comments

Hastakshep With Nepal

माफी माग अनि फिर्ता लैजाऊ भारतीय सेना ! सम्पादकीय विचार डबली २० बैशाख २०७२ 31.2K 72 0 १२ वैशाख २०७२ को दिन नेपाली जनताको घरआँगनमा भयानक संकट बनेर आइलाग्यो । तर, यही दिनलाई कसैले भने 'दसैं'ठान्ने प्रयास गरेको पनि देखियो । विनाशकारी महाभूकम्पबाट नेपाल राष्ट्र, नेपाली समाज र यहाँको जनजीवनमा सिर्जित त्रासदी, कहर र शोक–पीडा अझै मत्थर हुन सकेको ... Read More »

भारत विरोध नहीं वरन् नेपाली राष्ट्रवाद की प्रगतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है‪ #‎GoHomeIndianMedia

2015/05/05 मुद्दा 0 Comments

ट्विटर पर जबरदस्त चर्चित गो बैक इंडियन मीडिया सन्देश का एक पोस्टर

भारत विरोध नहीं वरन् नेपाली राष्ट्रवाद की प्रगतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है‪ #‎GoHomeIndianMedia‬ नेपाल भले ही एक गरीब देश हो, पर स्वतंत्र रहने और स्वाभिमान कायम रखने के सवाल पर कोई समझौता नहीं।  राष्ट्रवादी चेतना एक मायावी, बेहद मानवीय और प्यारी चीज़ है। जिस राष्ट्र और राष्ट्रीय समूहों में यह चेतना प्रगतिशील रूप में विकसित नहीं होती, वहां पर सत्ताधारी ...Read More »

भूकंप से जख्मी हिमालयी इंसानियत खून से लहूलुहान चीख-चीखकर कह रहा हैः #GoHomeIndianMedia

2015/05/04 आजकल 0 Comments

BREAKING NEWS

हम लगातार नेपाल त्रासदी पर फोकस बनाये हुए हैं, क्योंकि यह हमारे लिए नेपाल की त्रासदी है नहीं, इंसानियत के खिलाफ मुक्तबाजारी फासिस्ट हमलों की वजह सा आन पड़ी कयामत है यह। हिमालय हमारे लिए कोई भारतवर्ष या नेपाल तक सीमाबद्ध राजनीतिक भूगोल नहीं, यह मनुष्यता और सभ्यता के लिए अनिवार्य प्राकृतिक रक्षा कवच है जो तहस-नहस है प्रकृति के ... Read More »

Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! #GoHomeIndianMedia

2015/05/04 World 0 Comments

Breaking News-2

Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! #GoHomeIndianMedia : Indian Media Faces Flak for Insensitive Coverage of Nepal Earthquake Nepal defends its sovereignty and Nepal asks all nations to end rescue operations! Mind you ,Nepal has been reduced to a diplomatic battleground and sovereign Nepalese people refuses to include itself in Hindutva empire once ... Read More »

Letter To Indian Media by Nepali People #GoHomeIndianMedia

2015/05/04 World 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

Letter To Indian Media To Indian media, I would like to thank from the bottom of my heart for the help your country has provided at this time of crisis in my country, Nepal. All the Nepalese in and outside of the country are thankful to your country. However, me being a Nepali outside from my motherland, when saw your ... Read More »

नेपाल संप्रभु राष्ट्र है और उसका आत्मसम्मान है- नेपाली जनता की प्रतिक्रियाएं

2015/05/04 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नेपाल संप्रभु राष्ट्र है और उसका आत्मसम्मान है- नेपाली जनता की प्रतिक्रियाएं नई दिल्ली। भारतीय मीडिया ने नेपाल के विनाशकारी भूकंप के विषय में गलत प्रचार किया। अब नेपाल में भारत सरकार द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप करने की बातें नेपाली मीडिया में उठ रही हैं। इसी समय भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी ने भी नेपाल में भारतीय मीडिया के असफल ... Read More »

मोदी सरकार, ये समय उद्दार का है, जासूसी का नहीं- नेपाली मीडिया

2015/05/04 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नेपाली मीडिया के निशाने पर भारत और नेपाल सरकार नई दिल्ली। भूकंप की तबाही से उजड़े नेपाल को संवारने में जुटी वहां की सत्ताधारी कुलीन वर्ग की जो रीढ़विहीन औकात है, उस पर हिन्दुस्तानी सुगम संगीत की एक महानतम शख्सियत में से एक बेग़म अख्तर की गाई एक ग़ज़ल बिलकुल सटीक बैठती है। कोई उम्मीद गर नजर नहीं आती/ कोई ... Read More »

भूकंप, राहत और राजनीति

2015/05/04 नेपाल भूकंप 0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

25 अप्रैल को दोपहर लगभग 12 बजे आये भूकंप ने नेपाल को बुरी तरह तबाह कर दिया है। राजधानी काठमांडो के अलावा घाटी के दो अन्य प्रमुख शहर भक्तपुर और ललितपुर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। घाटी से बाहर लामजुंग, गोरखा, सिंधुपालचोक आदि जिलों में तबाही का आलम यह है कि वहां 70 प्रतिशत से अधिक मकान ध्वस्त हो चुके ... Read More »

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