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दिल्ली के हुक्मरान भूले नहीं कि दिल्ली भी भूंकप क्षेत्र में है गनीमत है कि कल का हिंदू राष्ट्र नेपाल आज स्वतंत्र संप्रभू है और वह संघ परिवार के हिंदू साम्राज्य में शामिल होने से इंकार कर रहा है। भारतीय कारपोरेट मीडिया के जनविरोधी हिंतुत्ववादी मोदीयापे पर इस देश के खासोआम की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।भूकंप से जख्मी हिमालयी इंसानियत खून से लहूलुहान चीख चीखकर कह रहा हैः #GoHomeIndianMedia पलाश विश्वास

Previous: Chairman from the private sector is the latest trend to revamp State run units! Besides bringing the second tranche of the existing CPSE ETF to raise Rs 5,000 crore, the government may create a second ETF consisting of only PSU shares. The Bagula community has taken over Indian Parliamentary system. No public hearing at all.No information about legislation.No publication of draft.It is the Bagula Private Expert panel which decides which law has to be amended next,what should be the new tax reform and what would be the policy of government of India.Parliament is made for readymade consensus to sustain the racial governance of fascism,the Manusmriti rule and our politics of Millionair Billionair ruling class irespective of ideology ,identity and color is all about the continuity of ethnic cleansing.
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दिल्ली के हुक्मरान भूले नहीं कि दिल्ली भी भूंकप क्षेत्र में है


गनीमत है कि कल का हिंदू राष्ट्र नेपाल आज स्वतंत्र संप्रभू है और वह संघ परिवार के हिंदू साम्राज्य में शामिल होने से इंकार कर रहा है।


भारतीय कारपोरेट मीडिया के जनविरोधी हिंतुत्ववादी मोदीयापे  पर इस देश के खासोआम की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।भूकंप से जख्मी हिमालयी इंसानियत खून से लहूलुहान चीख चीखकर कह रहा हैः

#GoHomeIndianMedia


पलाश विश्वास

फोटोःइकोनामिक टाइम्स के सौजन्य से


हम लगातार नेपाल त्रासदी पर फोकस बनाये हुए हैं क्योंकि यह हमारे लिए नेपाल की त्रासदी है  नहीं,इंसानियत के खिलाफ मुक्तबाजारी फासिस्ट हमलों की वजह सा आन पड़ी कयामत है यह।


हिमालय हमारे लिए कोई भारतवर्ष या नेपाल तक सीमाबद्ध राजनीतिक भूगोल नहीं,यह मनुष्यता और सभ्यता के लिए अनिवार्य प्राकृतिक रक्षा कवच है जो तहस नहस है प्रकृति के विरुद्ध अप्राकृतिक ,धर्म के नाम पर अधार्मिक वाणिजियक दखलंदाजी के अखंड सिलसिले की वजह से,जिसे भारत की हिंदू साम्राज्यवादी सरकार और उसके गुलाम कारपोरेट मीडिया की दखलंदाजी ने,हिंदू राष्ट्र बहाली और हिंदू साम्राज्य के गठन की बेताबी ने एकबयक नंगा कर दिया है।


भारतीय कारपोरेट मीडिया के जनविरोधी हिंतुत्ववादी मोदीयापे  पर इस देश के खासोआम की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।भूकंप से जख्मी हिमालयी इंसानियत खून से लहूलुहान चीख चीखकर कह रहा हैः

#GoHomeIndianMedia


हमारे लिए यह मामला शर्मिदंगी का उतना नहीं है बाहैसियत भारतीय नागरिक या बाहैसियत इस मीडिया के एक नगण्य कारिंदे ,जितना भारी फिक्र का मामला है कि बाजार के हितों,विदेशी पूंजी और विदेशी हितों और हिंदू साम्राज्यवादी एजंडा ने हमारे हुक्मरान और हमारे कारपोरेट मीडिया को इतना अंधा बना दिया है कि सर पर शुरु मृत्युतांडव का भय भी नही है।


केदार जलआपदा से पहले दिल्ली के हुक्मरान और दिल्ली केंद्रित कारपोरेट मीडिया के लिए हिमालय में तो जैसे इंसानों का कोई बसेरा ही नहीं रहा है।


केदार जलआपदा के दौरान भी हिमालयी इंसानियत के भूगोल के बजाय हुक्मरान और मीडिया का फोकस धर्मस्थलों और पर्यटन स्थलों के सीमेंट के जंगल को बचाने की प्राथमिकता से सराबोर रहा है।तब हमने इस पर सिलसिलेवार लिखा भी है और हमारे पाठकों को याद भी होगा।


हिमालयी उत्तुंग शिखरों,हिमालयी ग्लेशियरों,हिमालय से निकली अविराम जलधाराओं,हिमालय की गोद में बसी भौगोलिक राजनीतिक रेखाओं के आर पार इंसानियत के भूगोल के जख्मों,डूब में शामिल आबादियों,घाटियों और गांवों की कोई खोज खबर आज तक नहीं हुई।


नेपाल की त्रासदी और केदार जलप्रलय के पहले भी हिमालय भूंकप से बार बार थरथराता रहा है।लेकिन उन त्रसादियों ने चूकि मैदानों को स्पर्श किया नहीं,तो हिमालय के जख्मों को मलहम लगाने की सोची नहीं किसी ने।


यह वैसा ही है कि बंगाल की खाड़ी में इस महादेश का रक्षाकवच बने हुए सुंदरवन और भारतीय समुद्रतट को रेडियोएक्टिव मुक्तबाजारी विकास का आखेटक्षेत्र बनाते हुए मुनाफावसूली में बराबार के हिस्सेदार देस के हुक्मरान और कारपोरेट मीडिया को होश ही नहीं है कि इसके क्या भयंकर नतीजे हो सकते हैं।


गढ़वाल में आये भूकंप और पहाड़ों में रोज रोज के भूस्खलन और हिमस्खलन से न हुक्मरान का कुछ बिगड़ता है और न मीडिया का।


तमाम नदियां जो मैदानों को हरियाली नवाजती है और इंसानियत की प्यास बुझाती है,वे आखिरकार हिमालय की बेटियां हैं और गंगा कोई अकेली बेटी नहीं है हिमालय की।


न गंगा कोई अकेली पवित्र नदी है,कायनात के जनरिये से देखें,इंसानियत के नजरिया से देखें तो जल में चूंकि बसता है जीवन,जल में चूंकि आक्सीजन का बसेरा और जल से ही अन्न और जीवन है,तो जलधारा वहन करने वाली हर नदी पवित्र है।



लोग यह जानते भी नहीं है अब शायद की मानसून के बादल अगर हिमालय के उत्तुंग शिखरों से टकराकर इस महादेश की प्यासी धरती पर जल न बरसाये,तो मरुस्थल में तब्दील हो जाये राजनीतिक सीमाओं और अस्मिताओं में खंड खंड लहुलूहान इंसानियत का यह भूगोल।


हम नेपाल पर चर्चा करे हैं बारंबार तो हम उसी इंसानियत के भूगोल की बात कर रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे उत्तराखंड में आयी हर आपदा की गूंज हिमालय के कोने कोने में सुनायी पड़ती है और जैसे उत्तराखंड के बाद नेपाल में भूकंप आया है तो कभी भी नेपाल के बाद उत्तराखंड में फिर भूकंप आ सकता है।


इसी इंसानियत के भूगोल को बचाने के लिए गौरादेवी और हिमालय में बसने वाली हमारी इजाओं और वैणियों ने पेड़ों को राखी पहनाने का आंदोलन शुरु किया कि भारतवर्ष और समूची मनुष्यता के लिए हिमालय की सेहत को कोई खतरा न हो।


इसी इंसानियत के लिए देहरादून में एक नब्वे साल के बूढ़े इसान सुंदर लाल बहुगुणा ने अन्न जल त्यागा हुआ है।


भारत को विदेशी पूंजी और विदेशी हितों का अनंत वधस्थल बनाने वाले हुक्मरान और मीडिया को इनकी क्या परवाह।


हो सकता है कि जैसे 1978 में गोमुख पर भूस्खलन से बने कृत्तिम जलाशय के फटने से गंगासागर तक जलप्लावन हो गया वैसे ही टिहरी बांध में जो समुंदर बांधा हुआ है पहाड़ में इसानियत की आबादी को डूब में शामिल करके अगले भूकंप में टिहरी भी चपेट में आ जाये और जैसी कि भविष्यवाणी है कि हिमालय में 9 रिक्टर स्केल का भूकंप फिर आना है तो सत्ताकेंद्र दिल्ली के अस्सी फीसद बहुमंजिली फाइव स्टार आबादी की भी शामत आ सकती है और टिहरी में बंधा वह समुंदर पता नहीं भूगोल के किस किस टुकड़े को समुंदर में तब्दील कर दें।


1978 के उस बाढ़ के वक्तगिरदा,शेखर और मैं गढ़वाल में गंगा के किनारे किनारे गंगोत्री की यात्रा पर अलग अलग जाते रहे हैं और उसकी रपटें सिलसिलेवार नैनीताल समाचार में प्रकाशित है.गढवाल के भूकंप पर उत्तरा टीम से जुड़ी हमारी बैणियों ने गांव गांव का दौरा किया है,उसकी रपटें भी उत्तरा में है


हम सिर्फ नेपाल को देख नहीं रहे हैं,अपने गृहप्रदेश के एक एक इंच बेदखल ऊर्जाप्रदेश उत्तराखंड के पहाड़ों को देख रहे हैं,बिजली का बिजनेस ,धर्म का बिजनेस,अध्रम का बिजनेस और राजनीति का बजनेस में जिसके शिराएं और धमनियां अब फटने वाली हैं कि तब फटने वाली हैं।


उस हिमालय के बिना हमारा कोई वजूद नहीं है,यह जितना सच है,उससे बड़ा सच यह है कि हिमालय के बिना न कायनात है और न इंसानियत है।


भारत में गोरखों को हम या तो रंगरुट समझते हैं या दरबान।भारत की गोरखा आबादी की तकलीफों पर देश के हुक्मरान ने गौर कब किया है बतायें।


बंगाल ,सिक्किम और उत्तराखंड के अलावा बाकी देश में जो गोरखे बसते हैं,या सारे पूर्वोत्तर के लोग जो बाकी देश में हैं या जो पूर्वी बंगाल के शरणार्थी जो सारे देश में पुनर्वासित हैं,या जो आदिवासी अपने ही घर गांव में रोज बेदखली अश्वमेध के शिकार हैं,उन सबको आर्यों का यह हिंदू साम्राज्यवाद गैरनस्ली प्रजाजन  ही समझता है।लेकिन भारत में सत्ता के खिलाफ आवाज बुलंद करने की हिम्मत हम नागरिकों की नहीं है।


गनीमत है कि कल का हिंदू राष्ट्र नेपाल आज स्वतंत्र संप्रभू है और वह संघ परिवार के हिंदू साम्राज्य में शामिल होने से इंकार कर रहा है।



  1. News about #Gohomeindianmedia

  2. bing.com/news

हस्तक्षेप और हमारे ब्लागों पर कल ही हमने यह स्टोरी लगायी है।देखेंः

भारतीय मीडिया की दादागीरी के विरुद्ध नेपाल उबला #GoHomeIndianMedia

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नेपाल संप्रभु राष्ट्र है और उसका आत्मसम्मान है- नेपाली जनता की प्रतिक्रियाएं

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भारतीय सेना को 200 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहरा रहा नेपाली मीडिया

भारतीय सेना को 200 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहरा रहा नेपाली मीडिया

2015/05/03


Letter To Indian Media by Nepali People #GoHomeIndianMedia

2015/05/04 World1 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

Letter To Indian Media To Indian media, I would like to thank from the bottom of my heart for the help your country has provided at this time of crisis in my country, Nepal. All the Nepalese in and outside of the country are thankful to your country. However, me being a Nepali outside from my motherland, when saw your ... Read More »

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नेपाल संप्रभु राष्ट्र है और उसका आत्मसम्मान है- नेपाली जनता की प्रतिक्रियाएं

2015/05/04 नेपाल भूकंप0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नेपाल संप्रभु राष्ट्र है और उसका आत्मसम्मान है- नेपाली जनता की प्रतिक्रियाएं नई दिल्ली। भारतीय मीडिया ने नेपाल के विनाशकारी भूकंप के विषय में गलत प्रचार किया। अब नेपाल में भारत सरकार द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप करने की बातें नेपाली मीडिया में उठ रही हैं। इसी समय भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी ने भी नेपाल में भारतीय मीडिया के असफल ... Read More »

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मोदी सरकार, ये समय उद्दार का है, जासूसी का नहीं- नेपाली मीडिया

2015/05/04 नेपाल भूकंप1 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

नेपाली मीडिया के निशाने पर भारत और नेपाल सरकार नई दिल्ली। भूकंप की तबाही से उजड़े नेपाल को संवारने में जुटी वहां की सत्ताधारी कुलीन वर्ग की जो रीढ़विहीन औकात है, उस पर हिन्दुस्तानी सुगम संगीत की एक महानतम शख्सियत में से एक बेग़म अख्तर की गाई एक ग़ज़ल बिलकुल सटीक बैठती है। कोई उम्मीद गर नजर नहीं आती/ कोई ... Read More »

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भूकंप, राहत और राजनीति

2015/05/04 नेपाल भूकंप0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

25 अप्रैल को दोपहर लगभग 12 बजे आये भूकंप ने नेपाल को बुरी तरह तबाह कर दिया है। राजधानी काठमांडो के अलावा घाटी के दो अन्य प्रमुख शहर भक्तपुर और ललितपुर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। घाटी से बाहर लामजुंग, गोरखा, सिंधुपालचोक आदि जिलों में तबाही का आलम यह है कि वहां 70 प्रतिशत से अधिक मकान ध्वस्त हो चुके ... Read More »

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भारतीय सेना को 200 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहरा रहा नेपाली मीडिया

2015/05/03 नेपाल भूकंप0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

भारतीय सेना को 200 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहरा रहा नेपाली मीडिया  धोती की कठपुतली सरकार नई दिल्ली। ताजा मामला इस 'बहादुर'देश की सार्वभौमिकता से नहीं जुड़ता बल्कि उससे कहीं ज्यादा संगीन व अपराधिक है। नेपाल से छपने वाले तमाम छोटे-छोटे वेब न्यूज़ साईट और सोशल साईट इस घटना की गंभीरता से द्रवित हैं। सिन्धुपालचौक, राजधानी काठमांडू से ... Read More »

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भारतीय मीडिया की दादागीरी के विरुद्ध नेपाल उबला #GoHomeIndianMedia

2015/05/03 नेपाल भूकंप1 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

भारतीय मीडिया से घर लौटने की नेपाली जनता की मांग भारतीय मिडियाको दादागिरीविरुद्ध ट्वीटरमा आक्रोश काठमाण्डौ :  नेपाललाई महाविपत्ती परेका बेला छिमेकी मुलुक भारतका सञ्चार माध्यमको अस्वभाविक गतिविधिको सामाजिक सञ्जालमा तीब्र विरोध हुन थालेको छ । भूकम्पको समाचार लेख्न नेपाल आएका भारतीय सञ्चारमाध्यमका प्रतिनिधिको अराजक गतिविधि र भारतीय सञ्चार माध्यमको हेपाहा प्रवृत्तिको ट्वीटरमा तीब्र विरोध हुन थालेको छ । An ... Read More »

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दुनिया भर की मेहनतकश इंसानियत के कत्लेआम की तैयारी है

2015/05/03 मुद्दा0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

यह मानवीय त्रासदी जितनी नेपाल की है, उससे कहीं ज्यादा भारत और समूचे महादेश की है हिमालय में जो उथल पुथल हो रहा है। उसका खामियाजा बदलते मौसम चक्र, जलवायु और आपदाओं के सिलसिले में हमें आगे और भुगतना है। इसलिए नेपाल के महाभूकंप को हम किसी एक देश की त्रासदी नहीं मान रहे हैं। यह मानवीय त्रासदी जितनी नेपाल ... Read More »

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नेपालः भूकंप पर डरावनी राजनीति

2015/05/03 नेपाल भूकंप1 Comments

Hastakshep With Nepal

नई दिल्ली। नेपाली मीडिया में लगातार भूकंप और उसके बाद भूकंप राहत के नाम पर लड़े जा रहे छद्म कूटनीतिक युद्ध पर लेख और समाचार प्रकाशित हो रहे हैं। हम अपने पाठकों के लिए यह लेख और समाचार उपलब्ध करा रहे हैं। नेपाली भाषा के ये लेख पढ़ने में आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है, लेकिन थोड़ा धैर्य से पढ़ने ... Read More »

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महोदय! नेपाल कम से कम अभी तक सार्वभौमिक राष्ट्र है

2015/05/02 नेपाल भूकंप1 Comments

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कहीं, दुश्मनी में न बदल जाए ये ऑपरेशन मैत्री !!!

2015/05/02 नेपाल भूकंप1 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

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भूकंप और भगवान

2015/05/02 कुछ इधर उधर की0 Comments

नेपाल भूकंप पर विशेष रिपोर्टिंग

धन्य हैं ऐसे भगवान और इनके एजेंट- भूकंप और भगवान ईरान के किसी अयातुल्लाह काज़िम सेदिघी ने कुछ साल पहले कहा था कि प्राकृतिक आपदाएं लोगों के कृत्यों का परिणाम है। अयातुल्लाह साहब पर्यावरण को किए जा रहे नुकसान की बात नहीं कर रहे हैं। उनका बयान किसी और ही 'नुकसान'के बारे में है। इनका कहना है कि भूकंप ... Read More »

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2015/05/01 आजकल0 Comments

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मेहनतकशों को इस कारपोरेट केसरिया फासिस्ट मनुस्मृति सत्ता के खिलाफ गोलबंद करके हम यकीनन देश जोड़ेंगे, गुलामी की जंजीरें तोड़ेंगे! उनके एटमी सैन्यतंत्र, सलवाजुड़ुम और आफसा के खिलाफ हमारा हथियार भारत का राष्ट्रीय झंडा, झंडा ऊंचा रहे हमारा, मां तुझे सलाम! राष्ट्रीय झंडे के साथ कोलकाता से शुरु हो चुकी है आजादी की लड़ाई। मेहनतकशों को इस कारपोरेट केसरियाफासिस्ट मनुस्मृति ... Read More »

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नेपाल की भूकंप त्रासदी – प्राकृतिक आपदा में भी घृणा अभियान !!!

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जब भूकम्प आता है तो कोई पहचान पत्र लेकर नहीं भागेगा

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कृपया भूकम्प को कमीशनखोरी का जरिया न बनायें!

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गोरखा जिले के बरपाक क्षेत्र की एक दुर्गम सड़क पर जीप में लदी राहत सामग्री के साथ दिनेश परसाई

कृपया भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा को कमीशनखोरी का जरिया न बनायें! नेपाल में 25 अप्रैल को दिन की दुपहरी में 11.56 मिनट पर गोरखा जिले के बरपाक को केंद्र बनाकर आये 7.9 रिक्टर स्केल के भूकम्प ने हमारे पडोसी देश में व्यापक जन धन की क्षति पहुंचाई है. नेपाल सरकार के अनुसार मृतकों की संख्या 10,000 के आस पास हो ... Read More »

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2015/04/26 मुद्दा0 Comments

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पहली मई से पहले क्या करें हम? पूरे देश को जोड़ने का यह मौका है। बेकार न जाने दें। फासिस्ट संघ परिवार को और उसकी कारपोरेट केसरिया सरकार को सुखी लाला के मुनाफे के अलावा न मनुष्यता की परवाह है और न प्रकृति या पर्यावरण की। आपको जनजागरण अभियान के वास्ते मुक्तबाजारी फासिस्ट जायनी नरमेध संस्कृति और जनसंहारी राजकाज के ... Read More »

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