जौब अप्वाइंटमेंट लेटर : इ नि कौर , वु नि कौर , सि बि नि कौर
जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -5
चबोड़ इ चबोड़ मा मैनेजमेंट स्टाइल की पोल ::: भीष्म कुकरेती
जब बि क्वी अभ्यार्थी कै बि संस्थान मा नौकरी पांद तो वैक कुछ सुपिन हूंदन , कुछ करणै आकांक्षा हूंदन , सुखद भविष्य की सोच हूंद। संस्थान कु अप्वॉन्टमेंट लेटर ही सबसे पैल वा /वु संस्थान से जुड़द। किन्तु जब बि क्वी अभ्यार्थी अपण अप्वाइंटमेंट लेटर बंचद तो वु समज जांद कि परतंत्रता से दुसर परतंत्रता मा पौंछि गे।
अप्वॉन्टमेंट लेटर वास्तव मा सकारात्मक हुण चयेंद किन्तु हमर टैम पर अप्वाइंटमेंट लेटर वास्तव मा नकारात्मक ही हूंद छा। शायद अब सकारात्मक नियुक्ति पत्र मिलदा होला मि नि जाणदु। पर नियुक्ति पत्र मा आस जगाये जाण चयेंद वा आस नियुक्ति पत्रु मा नि हूंद।
सबसे पैल हूंद आफ्टर आप्व्इंटमेंट यू विल नौट ---------
'यू विल नौट डू' शब्द 'यू विल डू' का मुकाबला हजारों प्रतिशत अधिक हूंदन।
नियुक्ति पत्र मा इन नि लिखे जांद कि तू कम्पनी नाम सब जगा बढैल किन्तु इन अवश्य लिखे जांद -साले /साली! यदि तीन कम्पनी तै बदनाम कार तो तेरी खैर नी च।
अप्वाइंटमेंट पत्र मा अभ्यार्थी से उम्मीद नि करे जांद कि कर्मिक विश्वासपात्र हो किन्तु हिदायत अवश्य दिए जांद कि उतका का गस्सा यदि तीन विश्वासघात कार तो इंडियन पैनल कोड हमारा साथ च अर तेरी मौण तोड़े सक्यांद।
हरेक कम्पनी रुणि रौंदि कि हमर क्रमिक इन्नोवेटिव नि छन , नवप्रवर्तक नि छन , मौलिक सोच का समर्थक नि छन। अब जब नियुक्ति पत्र मा लिखे इ नि जाव कि हम तुम से इन्नोवेसन की आस करदां तो संस्थान मा नई सोच कखन आलि ? उल्टां नियुक्ति पत्र मा लिख्युं रौंद - देख बै कार्मिक ! हम त्वै तै गधा समजदा तो गधा जन अपर संचालक /सुपरवाइजर की आज्ञा पाल करता जा। यदि तीन गधापंथी छोड़िक अपण बॉस की अवज्ञा कार तो तेरी नौकरी खतम करे जाली।
नियुक्ति पत्रु मा इन नि लिख्युं रौंद कि तुम तै अनुशासन मा रौण चयेंद बल्कि लिख्युं रौंद कि यदि तू अनुशासन मा नि रैली तो त्वे पर अनुशासनत्मक कार्यवाही होली। नियुक्ति पत्र वास्तव मा अभ्यार्थी तै सिखांद कि तू यदि भेड़ /ढिबर जन व्यवहार करिल त कम्पनी मा खै कमै सकदी अर यदि तीन इना उना द्याख तो त्यार हतुं मा टर्मिनसन लेटर पकड़ाए जालु। नियुक्ति पत्र का मजमून हूंद कि -हे ! कर्मिक यदि तू अनवश्यक निलंबन नि चांदी तो बण्यां बुण्या बाटु पर ही हिट।
नियुक्ति पत्र का हरेक क्लाउज मा सकारात्मक वाक्यों का बनिस्पत नेगेटिव /नकारात्मक वाक्यों की अधिकता हूंदी याने कार्मिक तै नकारात्मक बणाणै प्रक्रिया नियुक्ति पत्र से शुरू ह्वे जांद।
उन त मालिक बुल्दु बल कर्मिक म्यार परिवार च पर नियुक्ति पत्र की इबारत बथांदि कि कर्मिक एक अविश्सनीय अर दुसर ब्रह्माण्ड कु जीव च अर वै तै बांधिक बंधक बणान आवश्यक च।
असल मा नियुक्ति पत्र मा कम्पनी का लीगल बेनिफिट्स का ही ख़याल रखे जांद कि यदि कम्पनी लीगली कखि फंस जावो तो नियुक्ति पत्र का बल पर कंपनी पर आंच नि आवो।
व्यापारिक नियुक्ति पत्र याने चोरी रुकणो नियुक्ति पत्र
एक दै हमन टेक्नीकल सर्विस बेहतर बणाणो बान सर्विस फ्रेंचाइजी नियुक्त करणो निर्णय ले। तो हमन सर्विस मैनेजर से सर्विस फ्रंचाईजी नियुक्ति पत्र का प्रारूप बणाणो ब्वाल।
सर्विस मैनेजर कु भेज्युं प्रारूप की नकल मीम विचार विमर्श का वास्ता आइ। मि बेहोश ह्वे ग्यों। कखिम बि बेहतर सेवा , संतुष्ट ग्राहकुं बात नि छे अपितु सौ टर्म्स मादे अस्सी टर्म्स/ क्लाउज /परिच्छेद इन छा जखमा वाक्य की शुरवात ही इन छे - यू विल नौट -
जब शरतुं का अस्सी प्रतिशत वाक्य 'यू विल नौट -' से शुरू ह्वाला तो अवश्य ही सेवा मा नकारात्मक सोच आली ही।
मीन अपण बौस मा 'यू विल नौट -'शब्द बदलणो सुझाव दे तो सर्विस मैनेजर अर बॉस का वाक्य छौ - साले सब सर्विस फ्रैंचाइजी चोर होते हैं उनको -यू विल नौट - से ही सुधारा जा सकता है। अर सर्विस मैनुअल मा 'यू विल डू ' की जगा 'यू विल नौट ' कु ही बोलबाला राइ।